मेरा नम्बर कब आएगा

राजन कुमार 2007-09-04 Comments

मेरा नाम राजन है, उम्र 21 साल है। मैं आज अपनी एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ। कहानी करीब तीन साल पुरानी है। मैं पिछ्ले दस साल से चाचाजी के साथ रह रहा हूँ। चाचाजी की अपनी कोई सन्तान नहीं है इसलिए चाचा और चाची मुझे अपने बेटे की तरह मानते हैं। चाचाजी की शादी के दस साल बाद भी कोई औलाद नहीं होने से सभी लोग चाची को बुरा-भला कहते थे इसलिए चाचा गुस्से में चाची को गाँव छोड़ कर शहर आ गए थे।

चाचा चालीस साल के जवान हैं और चाची की उम्र 35 साल है। फिर भी चाची बेहद खूबसूरत हैं। चाची मुझ से उम्र में बड़ी हैं फिर भी मेरी नियत कभी-कभी खराब हो जाती थी। चाची की फ़ीगर 36-34-38 थी, ऐसी फ़ीगर कम ही बीवियों की होती है। इतने साल तक चाचा के यहाँ रहकर चाचा-चाची की चुदाई बहुत बार देखी। हर रोज चाचा और चाची चुदाई किया करते थे। बाद में मैं अपने हाथों से काम चलाकर आनन्द लिया करता था। जब भी मैं चाची को देखता तो ऊपर वाले से पूछता- मेरा नम्बर कब आएगा?

एक दिन चाचा ने अपने जन्म दिन पर सभी दोस्तों को घर पर बुलाया और पार्टी दी। सभी मेहमान आए और मजे करके चले गये। सबके चले जाने के बाद चाचा भी दो पेग लेकर तनाव-मुक्त होकर चाची के साथ बैठ गए। रात के करीब नौ बज चुके थे और चाचा के दो दोस्त आ गये रोशन और दीपक।

चाचा को जन्मदिन की बधाई दी। फिर एक बार पार्टी का सा माहौल बन गया। चाची मेहमानों के लिए खाना लगाने चली गई। फिर एक बार दारु-पानी का दौर चल गया। चाचाजी पहले से ही टुन्न थे।

चाची कुछ खाने को लाई पर चाचाजी तो आउट ऑफ कन्ट्रोल हो गये थे। चाची आई तो चाचा को देख कर दंग रह गई। चाची चाचा को अपने कमरे में ले गई।

वापिस आई तो चाचा के दोनों दोस्त पी रहे थे, चाची के आते ही चाची को भी साथ देने को कहा, चाची मना करती रही पर रोशन ने चाची को खींच कर अपने बगल में बिठा लिया। मस्त हट्टा कट्टा देखकर चाची भी ना ना करके बैठ गई। दीपक ने चाची को दारु में साथ देने को कहा। फिर चाची गिलास लेकर बैठ गई। रोशन ने चाची के स्तन दबोचना शुरु किया, चाची मजे ले रही थी।

मैं सब कुछ अपनी आँखों से देख रहा था। आप यह कहानी अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

चाची ने पहले मना किया, बाद में मजा लेने लगी। दीपक अपना खड़ा लण्ड लेकर चाची के आगे नाचने लगा। चाची ने भी लपक कर उसका लण्ड पकड़ा और मजे से चूसने लगी। रोशन चाची के कपड़े उतारने लगा। चाची ने अन्दर लाल रंग की पैन्टी और ब्रा पहनी थी। लाल रंग चाचाजी का मन-पसंद रंग है। रोशन ने पैन्टी और ब्रा भी उतार दिए। दोनों दोस्त सफाचट चूत देखकर पागल से हो गए और मजे से चाटने लगे। चाची धीरे-धीरे गर्म हो रही थी, चाची स्..स्..स..स्..स्..स्..स्..स् करके सिसकारियाँ लेने लगी और चिल्ला कर कहने लगी- नीचे कुछ डालो !

फिर क्या था, दीपक ने अपना सात इन्च लम्बा लण्ड चाची की चूत में घुसेड़ दिया, रोशन ने चाची के मुँह में !

चाची दो लण्ड के साथ मजे ले रही थी। यह सब देख कर अपनी हालत खराब हो गई।

वो दोनों कभी सोफे लिटा कर तो कभी कुतिया बनाकर चाची को चोद रहे थे। मेरी हालत तो बहुत खराब थी, फिर भी मैने भी अपने हाथों से ही मजे लिए। मुझे तो उस दिन लाइव ब्लू-फिल्म देखने का आनन्द आ रहा था। करीब एक घन्टे तक दोनों मिल कर चाची की चुदाई करते रहे। रात के 11 बज गये और वो लोग चले गए। मेरा नम्बर कब आएगा, यह सोच सोच कर मैं सो गया।

अगले दिन सुबह मेरी परीक्षाएँ शुरु होनी थी। कुछ दिन बाद मेरा परीक्षा खत्म हुई तो कुछ दिन के लिए गाँव जाने का मन किया। फिर चाचा से पूछा तो दो दिन बाद जाने की इजाजत दे दी।

मुझे थोड़ी खुशी थोड़ा गम सा होने लगा। यहाँ चाचा-चाची की चुदाई रोज देखने को मिलती है, गाँव में क्या पता …

जब शाम को चाचाजी घर लौटे तो बोले- राजन, तुम एक हफ़्ते के बाद गाँव चले जाना .. मुझे काम से 5 दिन के लिए शहर से बाहर जाना है। तब तक के लिए तुम यहीं रहना ….

मन ही मन मैं सोचने लगा- अब मेरा भी नम्बर आएगा ……

सुबह होते ही चाचा निकल गए। घर पर चाची और मैं अकेले थे। समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ !

एक दोस्त को फोन किया, कुछ देर के लिए मैं बाहर चला गया। खाना खाने के लिए जल्दी ही घर वापस आ गया। चाची मेरा ही इन्तजार कर रही थी। खाना खाया। मुझमें बात करने की हिम्मत ही नहीं हो रही थी।

फिर चाची ने पिक्चर के लिए पूछा, मैंने जल्दी ही हाँ कह दिया।

दिसम्बर का महीना था, जब पिक्चर से वापस आए तो दिन ढल चुका था, चाची रिलैक्स-मूड़ में थी ….

मैंने हिम्मत कर के बात छेड़ दी- चाची ! चाचा की बर्थ-डे पार्टी में खूब मजा आया !!

चाची ने कहा- बहुत दिन बाद घर में पार्टी का माहौल बना था … सभी ने खूब मज़ा किया !

मैंने बात छेड़ी- चाची, आपने तो पार्टी के बाद भी खूब एन्जोय किया !

चाची चौंक गई- क्या मतलब?

मैंने सब देखा था ! चाचा के दोस्तों के साथ खूब मजे किए थे..!

चाची कुछ सहज हो कर मेरे सामने आकर बैठ गई- …धत् बदमाश ! मैं तो समझती थी, तुम तो बच्चे हो ! पर तुम तो कब के जवान हो चुके हो ! हमें तो पता ही नहीं चला ..

चाची के सामने बैठते ही मेरा लण्ड खड़ा होने लगा था। चाची यह सब देख रही थी। चाची मेरे लण्ड के ऊपर अपना हाथ फेरने लगी। मैं भी चाची के ऊपर टूट पड़ा।

चाची गर्म होने लगी थी। मैंने ही चाची के सब कपड़े उतार दिए। चाची भी मेरी पैन्ट खोल कर मेरे लण्ड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।

मैंने भी पहली बार आमने-सामने चूत को देखा था। चाची की चूत तो गीली हो चुकी थी, पहले मैंने उन्गली से चुदाई की, बाद में लण्ड घुसेड़ा।

चाची श्..श् ..श् श् श् करके सिसकारियाँ लेने लगी। मुझे पहली बार चुदाई का आनन्द हो रहा था।

मैंने पूरी रात चाची की चुदाई की।

उस दिन के बाद हर रोज मेरा नंबर लगने लगा।

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