किस्मत से मिली मामी की चूत

शगुन शर्मा 2013-07-24 Comments

अंतर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार।

दोस्तो, मैं पिछले 4 साल से अंतर्वासना का नियमित पाठक हूँ। आज मैं आपको अपनी ज़िंदगी की एक सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ। यह मेरी पहली सैक्स की कहानी है। मैं दिल्ली का रहना वाला हूँ, मेरी उम्र 23 साल, हाइट 6 फीट, गोरा दिखता हूँ।

बात उन दिनों की है जब मैं अपनी डिग्री पूरी होने के बाद छुट्टियों में किसी अन्य इम्तिहान की तैयारी कर रहा था। मेरे मामा जिनका अपना कपड़े का बिजनेस है। वो अक्सर दुकान पर ही रहते हैं।

उनकी पत्नी यानि मेरी मामी बहुत ही सुंदर हैं। किसी को देखते ही नशा हो जाये। बिल्कुल स्वर्ग की अप्सरा लगती हैं। मेरी तो जान ही निकाल कर रख देती हैं। कोई उसे देख ले तो उसका मन करे कि बीच चौराहे पर नंगी करके उसकी फ़ुद्दी में अपना लाण्डिया घुसा कर चोद दे! क्योंकि वो एकदम कटरीना कैफ़ जैसी गोरी हैं, वो पहाड़ी हैं इसलिए उसके नैन नक्श भी बहुत तीखे और कामुक हैं।

मैं अक्सर उनके घर जाता था तो मामी के दर्शन के लिए ही जाता था।

एक बार उन्होंने अपने घर पाव-भाजी बना कर मुझे खाने पर बुलाया था। जब हम लोग खाने के लिए बैठे, तो मामी परोस रही थी, क्या लग रही थीं। उन्होंने मैक्सी पहनी हुई थी, उनके मांसल चूतड़ गजब के मटक रहे थे, उन्होंने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी, बाल गीले थे, अभी नहा कर आई थीं।

जब वो खाना देने के लिए झुक रही थीं तो मेरी नज़र उनके दुद्दुओं पर ही थी जो बाहर आकर अपनी झलक दिखला कर मुझे पागल कर रहे थे।

अचानक मामी के एक चूचुक के मुझे दर्शन हो गये। मैं उचक कर देख रहा था, शायद मामी को भी मेरे मन्सूबे समझ आ रहे थे, वो जानबूझ कर ज़्यादा झुक रही थीं या मुझे ऐसा लग रहा था।

वैसे तो मैं रोज़ ही मामी को चोदने के सपने देखता था और मुठ्ठ मार लिया करता था। मगर आज उनके चूचे और निप्पल देखने के बाद मेरी इच्छा और भी ज़ोर पकड़ने लगी। मैं किसी भी तरह मामी की चूत चोदने के बारे मैं सोचने लगा। कई बार मैं बाथरूम के टब में रखे हुए कपड़ों में से मामी की ब्रा या उनकी पेंटी निकाल कर उसमें मुट्ठ मार लिया करता था।

एक दिन जब मामी छत पर थीं, तो मैं उनके बेडरूम से उनकी ब्रा ले आया जो शायद उन्होंने अभी उतारी थी। उसे अपने पास छुपा लिया ताकि घर ले जाकर आराम से उसे सूंघ कर मुट्ठ मार सकूँ।

मैंने इससे पहले मामी की पेंटी भी चुराई थी, मैं मामी की ब्रा लेकर अपने घर चला गया। उस ब्रा में से मोहक खुशबू आ रही थी। शायद मामी के लेडी परफ्यूम की थी और कुछ मामी के बदन की भी थी, जो मेरा लंड खड़ा किए दे रही थी।

मैं जल्दी से बाथरूम गया और मुठ्ठ मारने लगा। मेरा वीर्य निकला और दूर जाकर गिरा। यह मामी की खुशबू का कमाल था।

अब मैं बस किसी भी तरह मामी को चोदना चाहता था। मैंने कभी भी किसी लड़की के साथ चुदाई नहीं की थी इसलिए मैं पागल हुआ जा रहा था।

अगले दिन मैं किसी काम से मामा के घर गया। मामा दुकान पर गये हुए थे, मामी ने दरवाजा खोला। मैं अंदर गया। मैंने सोचा कि आज अगर किस्मत ने साथ दिया तो समझो काम हो जाएगा।

मैं सोफे पर बैठ गया और मामी से बात करने लगा। आज मुझे मामी के तेवर कुछ बदले से लग रहे थे जैसे उन्हें पता चल गया हो कि उनकी ब्रा मेरे पास है।

वो बार-बार किसी बहाने से मेरे सामने झुकतीं, कभी कुछ सामान उठाने को, कभी किसी और बहाने से। उन्होंने ब्रा नहीं पहनी हुई थी तो मैं समझ गया कि वो क्या चाहती हैं।

मैंने हिम्मत करके मामी से कह दिया- मामी जी, आज आपने ब्रा क्यों नहीं पहनी हुई है? प्लीज़ पहन लीजिए मुझे अच्छा नहीं लग रहा!

मामी बोली- क्यों? जब मेरी ब्रा तेरे पास है तो मैं कैसे पहनूँ? और तुमको तब बुरा नहीं लगता, जब मेरी ब्रा और पेंटी में मुठ मार कर उन्हें गंदा करता है और मेरी कच्छियाँ और ब्रा चुराता है?

मैं सन्न रह गया। उनकी और मेरी उम्र में कोई खास फ़र्क नहीं था। वो 26 की थी और मैं 23 का था।

मैंने कहा- यह आप क्या कह रही हैं? ऐसा कुछ भी नहीं है।
उन्होंने कहा- जैसे कि मुझे पता ही नहीं है? कल तुम्हारे अलावा घर में कोई नहीं था। मुझे तुम पर पहले से ही शक़ था, पर कल यकीन में बदल गया है।

मैं डर गया। मुझे लगा अब ये मामा को बता देगी और मेरा तो काम तमाम।

मैंने कहा- मुझे माफ़ कर दो, आपको कैसे देख कर मैं अपना कंट्रोल खो बैठता हूँ। मेरी कोई गर्लफ्रेंड भी नहीं है इसलिए मैं ऐसा करता हूँ।
उसने कहा- ठीक है, मैं तुम्हारे मामा को कुछ नहीं बताऊँगी, मगर कैसे भी मेरे लिए कुछ करना होगा।
मैं झट से मान गया।

उन्होंने कहा- कैसे भी मुझे संतुष्ट करना होगा जो तुम्हारे मामा मुझे कभी नहीं कर पाए। दिन भर के लिए मुझे घर में अकेला छोड़ कर चले जाते हैं। तभी तो हमारी कोई औलाद भी नहीं है।

मैं सुन कर अवाक रह गया, यह तो सज़ा में भी मज़ा है।
मैंने कहा- ठीक है, तुम चिंता मत करो, मैं तुमको बच्चा दूँगा।
उसने कहा- ठीक है तो फिर इंतज़ार किसका कर रहे हो?
यह सुनते ही मैं मामी के ऊपर टूट पड़ा और अपनी बरसों की प्यास बुझाने लगा।

मैंने उसके मस्त गुलाबी होठों को चूसना शुरू किया। उसके होंठों में कमाल का रस था। मैं मस्त हुआ जा रहा था।

वो भी भूखों की तरह मुझे होठों पर काटे जा रही थी। उसे बहुत मज़ा आ रहा था। फिर से एक जवान लड़के के साथ जवानी का खेल खेलने में उसकी कामुकता देखने लायक थी।

मैंने उसके बाल खोल दिए और वो इतनी सुंदर लग रही थी कि बस जी चाहता था उससे मैं शादी कर लूँ।

मैं उसके चुच्चों को दबाने लगा उसके मम्मों का साइज़ 36 रहा होगा। वो एक सुंदर बदन की औरत थी, जिसे देख कर किसी के भी लंड से पानी निकल जाए। उसकी गोरी छाती एकदम भरी हुई थी। मैं उसे चूम रहा था, उसके गुलाबी निप्पल्स को काट रहा था। वो सिसकारियाँ भर रही थी और कह रही थी- आज मेरी प्यास बुझा दो!

मैंने कहा- मैं कब से तुमको चोदने के सपने देख रहा था। आज अपनी सारी कल्पनायें पूरी कर लूँगा।
उसने कहा- हाँ अब मुझे अपना लौड़ा देखने दो, मुझे उसका रस पीना है।

मैं उसके पेट पर चूमते हुए उसकी पैन्टी तक गया और उतार दी।

उसकी चूत एकदम चिकनी थी, उसमें से पानी रिस रहा था। हम 69 की पोजीशन में आ गए। उसकी रस से भरी चूत चाटने लगा, उसका नमकीन रस भी मीठा लग रहा था जैसे बरसों की प्यास बुझ गई हो।

वो मेरा लंड चूस रही थी। कभी उसे ऊपर-नीचे करती, कभी गले तक मुँह में डाल लेती, कभी चाट कर मुझे पागल ही किए दे रही थी।

मैं झड़ने की स्थिति में आने लगा और उसकी चूत को ज़ोर-ज़ोर से चाटने लगा, अपनी जीभ उसकी चूत में घुसाने लगा। वो भी झड़ रही थी। हम दोनों दोनों के बदन अकड़ गये, हम एक दूसरे में ही लिपट गये।

कुछ देर तक हम एक दूसरे से लिपटे हुए पड़े रहे। मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा।

मैं उसके ऊपर आ गया और उसके होंठों को चूसने लगा। अपनी जीभ से उसकी जीभ चाटने लगा।

उसने कहा- अब और मत तड़पाओ, अपना लंड मेरी फ़ुद्दी में पेल दो, मेरी बेचैन जवानी को भोग लो! यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

मैंने उसकी चूत चाटकर गीली की और अपना लंड उसकी चूत के ऊपर रख दिया। क्या एहसास था वो!! नर्म मुलायम और गर्म चूत मेरा जोश बढ़ा रही थी।

एक धक्का लगाया मैंने और आधा लंड उसकी चूत में घुस गया। वो ‘आह-आह’ करने लगी। मैं उसके चूचे चूसने लगा। वो तड़पने लगी। तभी मैंने बाकी का लंड भी अंदर डाल दिया और उसके ऊपर छा गया।

मैंने उसके गीले होंठों को चूसना शुरू किया और धक्के लगाने शुरू कर दिए। वो सीत्कारें भरने लगी। मैं ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगा रहा था। हम दोनों बहुत जोश में थे। दस मिनट धक्के लगाने के बाद मैं झड़ने लगा। वो एक बार झड़ चुकी थी। अब वो भी झड़ने लगी थी। हम दोनों एक साथ झड़े।

उसके चेहरे पर संतुष्टि दिखाई दे रही थी। मैं उसके ऊपर ही लेट गया। हम काफ़ी देर तक ऐसे ही लेटे रहे। उस दिन मैंने अपनी मामी को चार बार चोदा।

उस के बाद हम दोनों को जब भी मौका मिलता तो चुदाई जरूर करते। वो बहुत खुश थी और मैं भी खुश था।

यह थी मेरी पहली चुदाई की कहानी। अगली बार मैं बताऊँगा कि कैसे एक मॉल के लेडीज टायलेट में अपना फोन नंबर लिख कर मैं जिगोलो बना और कैसे मेरी एक फ्रेंड ने मुझे इसमें मदद की।

तब तक के लिए नमस्कार। मेरी कहानी कैसी लगी ज़रूर बताइयेगा।
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