इक्कीसवीं वर्षगांठ-3

शिप्रा XX 2011-11-10 Comments

प्रेषिका : शिप्रा

सुबह आठ बजे जब पापा ऑफिस चले गए तब शिप्रा ने मेरे पजामे में हाथ डाल कर मेरे लौड़े और टट्टों को दबा कर मुझे जगाया और कहा कि मैं फ्रेश हो कर नाश्ता कर लूँ !

मैं भी उसके मम्मों को पकड़ कर दबाते हुए उठा और उसे चूम कर बाथरूम में चला गया। नहा धो कर मैंने नाश्ता किया और तैयार हो कर कॉलेज चला गया, लेकिन वहाँ मेरा मन नहीं लगा तो मैं करीब बारह बजे वापिस घर आ गया।

जब घर पहुँचा तो मैंने शिप्रा को सोनिया भाभी के घर बैठे देखा, तब मैं भी वहीं चला गया और उनके साथ ही बैठ कर बातें करते रहे और फिर चाय पीकर हम दोनों अपने घर आ गए !

ऊपर आकर मैंने कपड़े बदलने किये अपनी जींस उतारी तो जांघिये में मेरे खड़े हुए लौड़े को देख कर शिप्रा ने पूछा- तेरा लौड़ा क्यों तना हुआ है?

तब मैंने उसे बताया- पिछले तीन दिन जब मैं नीचे रहा था तब सोनिया भाभी को एक बार नहाते हुए पूर्ण नग्न देखा था, इसलिए अब उन्हें देखते ही मुझे वह दृश्य याद आ जाता है और लौड़ा खड़ा हो जाता है !

शिप्रा यह सुन कर मुस्कराती हुई मेरे करीब आई और मेरा खड़े लौड़े पकड़ कर कहा कि क्या मुझे सोनिया अच्छी लगती है तो मैंने हाँ में सिर हिला दिया।

फिर उसने पूछा कि क्या मैं उसे चोदना चाहता हूँ तो मैंने एक बार फिर से सिर हिला कर हाँ कर दी।

मेरी बात सुन कर मेरे लौड़े से खेलती हुई उसने सवाल किया कि मैं सोनिया को क्यों चोदना चाहता हूँ। तब मैंने शिप्रा को बताया कि जब वह यहाँ होती है तब तो मुझे उसकी चूत चोदने को मिल जाती है लेकिन उसके जाने के बाद मुझे कोई चूत नहीं मिलती और मैं प्यासा ही रह जाता हूँ, अगर सोनिया चुदने को तैयार हो जाएगी तो कभी भी मौका देख कर मैं उसकी चुदाई कर सकता हूँ और अपनी प्यास बुझा सकता हूँ !

शिप्रा ने मेरी ज़रूरत को समझते हुए मुझे आश्वासन दिया कि वह सोनिया से बात करेगी और जल्द ही उसे मुझसे चुदने को राज़ी कर लेगी।

इसके बाद शिप्रा ने मेरे लौड़े को कस कर चूमते हुए कहा- मेरे इस डार्लिंग को अब प्यासा नहीं रहना पड़ेगा, इसकी प्यास बुझाने के लिए सोनिया ज़रूर आयेगी !

मैं उसकी यह बात सुन कर बहुत खुश हुआ और उससे लिपट कर उसे चूम लिया और उसके मम्मों को दबा दिया। फिर मैंने शिप्रा को और खुद को भी नंगा किया और 69 की मुद्रा में एक दूसरे को चूसा एवं चाटा। जब हम दोनों खूब गर्म हो गए तब मैंने शिप्रा की चूत में लौड़ा डाल कर उसे लगभग तीस मिनट तक खूब चोदा और अपना सारा रस उसकी चूत में ही छोड़ दिया।

शिप्रा भी उसकी इतनी अच्छी चुदाई होने से खुश थी इसलिए मेरे लौड़े को चूमते हुए कहा कि अब तो सोनिया को मनाना ही पड़ेगा क्योंकि रिश्वत में मैंने उसकी बहुत बढ़िया चुदाई जो की थी। फिर उसने मुझ से लिपट कर पूछा कि जब मुझे सोनिया चुदने के लिए मिल जायेगी तब मैं उसे भूल तो नहीं जाऊँगा।

मैंने उत्तर में शिप्रा को कहा- मैं तुम्हें कभी भी नहीं भूलूँगा !

और उसके मम्मों पर अपना लौड़ा रख कर वचन भी दिया कि जब भी वह मेरे पास होगी तब मैं हमेशा पहले उसकी चुदाई करूँगा और उसके बाद ही सोनिया को चोदूँगा !

मेरी बात सुन कर शिप्रा संतुष्ट होकर मेरे से चिपक कर लेट गई और कहा कि वह मौका देख कर सोनिया से बात करेगी और जल्द ही उसे मेरे से चुदने के लिए तैयार कर लेगी।

तब मैंने शिप्रा से कहा कि अभी कोई जल्दी नहीं है लेकिन मैं चाहूँगा कि दस दिन के बाद मेरी इक्कीसवीं वर्षगांठ पर वह मुझे अपने आपको और सोनिया को भेंट के स्वरूप दे !

यह सुन कर शिप्रा ने कहा कि इस बार इक्कीसवीं वर्षगांठ में वह मुझे सोनिया की चूत ज़रूर दिलवाएगी।

अगले दिन से शिप्रा सोनिया को पटाने में लग गई और हर रात मुझसे चुदते हुए वह मुझे उसके बारे बताती रहती थी कि वह कैसे सोनिया को तैयार कर रही थी। सातवें दिन शिप्रा ने बताया कि उस दिन दोपहर को उसने सोनिया को नंगा करके उसकी चूत में उंगली भी की थी और उसे प्यासी छोड़ दिया था !

इसके बाद जब सोनिया ने उसे प्यास बुझाने के बारे में कहा तो उसने उसको समझाया कि चूत की प्यास सिर्फ लौड़े से बुझती है !

शिप्रा ने सोनिया को कह दिया था कि अगर वह राजी होगी तो वह उसके लिए कोई प्रबन्ध कर देगी, तब सोनिया ने उसे सोच कर उत्तर देने के लिए कहा था।

आठवें दिन शिप्रा ने मुझे बताया कि सोनिया ने हाँ कर दी है और अगले दिन वह मेरा नाम उसे बता देगी और कोशिश करेगी कि इक्कीसवीं वर्षगांठ को वह मुझसे चुद ले !

मैं शिप्रा की बात सुन कर बहुत प्रसन्न हुआ और उस रात उसको धन्यवाद देने के लिए मैंने पैंतालीस मिनट तक उसकी जम कर चुदाई भी कर थी !

नौवां दिन मेरे लिए शायद सब से भाग्यशाली दिन था क्योंकि सुबह पापा ने बताया कि अगले तीन दिन यानि शुक्रवार, शनिवार और रविवार) नाना का पता करने उदयपुर जा रहें हैं, और शाम को शिप्रा ने बताया कि सोनिया मेरी इक्कीसवीं वर्षगांठ को मुझसे चुदने के लिए राज़ी हो गई है।

रात को करीब आठ बजे सोनिया आई और शिप्रा के कान में कुछ कह कर चली गई, जब मैंने उससे से पूछा तो उसने कहा कि बाद में बताएगी क्योंकि पापा ने सुबह उदयपुर जाने के लिए जल्दी उठना था इसलिए वह नौ बजे खाना खाकर तुरन्त ही सो गए और हम दोनों अपने कमरे में रोजमरा की तरह मैथुन से पहले की क्रीड़ा में व्यस्त हो गए।

तब शिप्रा ने मुझे बताया कि सोनिया बता कर गई है कि अगले तीन दिन उसका पति भी किसी गोष्ठी के सिलसिले में देहली जा रहा है इसलिए अगले दिन वह मुझे अपनी चूत भेंट में देगी।

उसकी यह बात सुन कर मैं बहुत ही खुश हुआ और मैंने दुगने जोश से जम कर उसकी चूत मारनी शुरू कर दी। मैं लगभग एक घंटा तक उसकी चूत मारता रहा।

हम जब सुबह छह बजे उठे तो शिप्रा ने मुझे अपनी चूत के दर्शन कराये जो सूजी हुई थी और रात की भीषण चुदाई के कारण लाल हो गई थी जिसके कारण उसे चलने में मुश्किल हो रही थी।

मैंने उसे सांत्वना देने के लिए उसकी चूत को चूमा और थोड़ी देर तक धीरे धीरे चाट कर अपनी थूक से गीला कर दिया जिससे उसकी जलन कुछ कम हो गई।

सुबह आठ बजे पापा के उदयपुर जाने के बाद मैंने शिप्रा की चूत का गर्म पानी से सेक किया और उस पर “बोरोलीन” मल्हम लगाई जिससे उसे आराम मिला।

जब मैं शिप्रा और अपने लिए नाश्ता बना रहा था तब सोनिया उस दिन का कार्यक्रम जानने आई। सोनिया ने आते ही जब मेरी गालों को चूम कर मुझे जन्म-दिन की बधाई दी तब मैं अपने को रोक नहीं सका और उसके चेहरे को पकड़ कर उसके होंटों को चूम कर धन्यवाद दिया।

फिर सोनिया ने बताया कि उसके पति सुबह चार बजे ही देहली चले गए थे तो हमने उसे अपने साथ नाश्ते के लिए बिठा लिया। नाश्ते के बाद हम तीनों ने उस दिन का कार्यक्रम बनाया और जल्द ही तैयार हो गए। दिन में हम सबने चल-चित्र देखा, फिर दोपहर में “हल्दीराम” में खाना खाया और मॉल में शॉपिंग की तथा शाम की चाय “मैक-डोनाल्ड” में पी कर घर लौटे।

घर पहुँचने पर शिप्रा ने सोनिया से कहा कि वह भी अपना सामान रख कर हमारे घर पर ही आ जाए और खाना हमारे साथ ही खाए तथा रात को हमारे साथ ही सो जाए।

सोनिया अच्छा कह कर अपने घर चली गई और हम अपने घर !

आधे घंटे के बाद जब सोनिया आई तब शिप्रा ने रात का खाना के बारे में पूछा तब सोनिया ने पिज्ज़ा का सुझाव दिया और हमने तुरंत “डोमिनोज़” से पिज्ज़ा मंगा लिए।

हम सबने मिल कर पिज्ज़ा खाया और साथ में सोनिया और शिप्रा ने एक एक बीयर तथा मैंने दो पैग व्हिस्की पी, इसके बाद हम सब ने मिल कर मेरी वर्षगांठ का उत्सव मनाया और उस धमा-चौकड़ी में शिप्रा ने पहल की और डाँस करते हुए अपनी जींस, टॉप और ब्रा उतार कर सिर्फ पेंटी में ही डाँस करने लगी।

शिप्रा को अर्ध-नग्न देख कर सोनिया ने भी डाँस के दौरान अपनी सलवार, कमीज़ और ब्रा उतार दी। इसके बाद शिप्रा ने अपने मम्मों को हिलाते हुए मेरी टी-शर्ट उतारी, फिर सोनिया ने भी अपने मम्मों को हिलाते हुए मेरी जींस उतार दी और हम तीनों काफी देर तक सिर्फ जांघिये में डाँस करते रहे।

रात के दस बजे शिप्रा के कहने पर हमने दोनों बिस्तर को साथ में मिला दिया और सब सोने के लिए बिस्तर पर आ गए! शिप्रा बिस्तर के एक ओर लेट गई, मैं बिस्तर के बीच में शिप्रा के साथ लेट गया और सोनिया मेरे साथ आकर लेट गई। सोनिया को सिर्फ पेंटी में देख कर मेरा लौड़ा खड़ा हो गया था जिसे देख शिप्रा ने उस पर हाथ रख दिया तथा सोनिया से भी उसे पकड़ने को कहा। सोनिया पहले तो झिझकी फिर जैसे ही उसने मेरे लौड़े पर रखने के लिए अपना हाथ बढ़ाया तब शिप्रा ने मेरा लौड़ा मेरे जांघिये से बाहर निकाल कर उसके हाथ में रख दिया। सोनिया ने एक बार तो मेरे लौड़े को पकड़ा और फिर पता नहीं उसे क्या हुआ और वह चौंक कर उसे छोड़ दिया।

शिप्रा यह सब देख रही थी इसलिए झट से उठ कर बैठ गई और सोनिया से पूछा कि वह घबराई क्यों, तो वह बोली कि उसने आज तक इतना लम्बा और मोटा लौड़ा नहीं देखा था। उसे घबराहट इसलिए भी हुई कि जब यह लौड़ा उसकी चूत में घुसेगा तो उसकी चूत को फाड़ देगी और उसके पति को भी पता चल जाएगा कि वह किसी और से भी चुदी थी!

सोनिया की अवस्था को देख कर शिप्रा ने अपनी पेंटी उतार कर उसे अपनी चूत दिखाई और सोनिया को भी अपनी चूत दिखने को कहा। तब सोनिया ने अनमने मन से अपनी पेंटी उतार दी और चूत के दर्शन कराए !

शिप्रा के कहने पर मैंने दोनों की चूतों को देखा तथा नापा और उन दोनों को बताया कि दोनों चूतें आकार एवं माप में बराबर हैं !

यह सुन कर शिप्रा ने सोनिया का ढाढस बंधाया और एक सुझाव दिया कि वह सोनिया के सामने मेरा लौड़ा अपनी चूत में लेगी, उसके बाद सोनिया मेरे लौड़े को अपनी चूत में डलवाए। मैंने शिप्रा के सुझाव को समर्थन दिया तो सोनिया ने कोई आपत्ति नहीं की और कहा कि पहले शिप्रा चुद ले फिर वह चुदेगी।

सोनिया की बात सुन कर शिप्रा झट से उठी और मेरे लोहे के खम्बे जैसे खड़े लौड़े पर आकर बैठ गई और पूरा लौड़ा अपने अंदर समां लिया। सोनिया बड़े ध्यान से सब तरफ से घूम कर शिप्रा की चूत के घुसे हुए लौड़े को देखा तो एक तरफ जाकर बैठने लगी, तब मैंने उसे कहा कि वह अपनी चूत मेरे मुँह पर रख दे ताकि मैं उसे चूस कर गीला कर दूँ जिससे मेरा लौड़ा आराम से उसकी चूत में घुस जाएगा।

सोनिया उठ कर मेरे सिर के पास आई तथा अपनी चूत मेरे मुँह पर रख दी और मैं उसे चूसने लगा। नीचे से शिप्रा की चुदाई और ऊपर से सोनिया की चुसाई ने मेरे आनन्द को दोगुना कर दिया था।

दस मिनट में ही सोनिया ने आह… आह्ह… आह्ह्ह… करते हुए मेरे मुँह में अपना रस छोड़ दिया। नमकीन रस बहुत ही स्वादिष्ट था और मैंने पीना शुरू किया, तब शिप्रा ने भी मेरे मुँह के पास अपना मुँह लगा कर सोनिया के बाहर निकल रहे रस को पीना शुरू कर दिया।

सोनिया गर्म हो गई थी, वह उठ कर मेरे बाजू में लेट गई और अपने मम्में मेरे मुँह में डाल दिए और अपने हाथों से शिप्रा के मम्में मसलने लगी। मेरे द्वारा सोनिया के मम्में चूसने से दो मिनट में ही वह बहुत गर्म हो गई और उसकी चूत में से रस रिसने लगा तब उसने शिप्रा को नीचे उतरने को कहा, शिप्रा को चूत की सूजन और लाली के कारण थोड़ी तकलीफ हो रही थी इसलिए वह तुरन्त ही अलग हो गई और सोनिया को मेरे ऊपर बिठाने में सहायता करने लगी। उसने सोनिया को मेरे ऊपर कर के मेरे लौड़े के सुपाड़े को उसकी चूत के होटों में रख कर उसे नीचे बैठने को कहा !

सोनिया नीचे होने लगी तो उसे लौड़े की मोटाई के कारण जब थोड़ी तकलीफ हुई तो वह रुक गई और शिप्रा की ओर देखने लगी तब शिप्रा ने खड़े होकर उसे कन्धों से पकड़ कर उसे नीचे की तरफ धकेल दिया। इस धक्के से सोनिया नीचे हुई और मेरा सुपारा तथा आधा लौड़ा उसकी चूत में घुस गया और उसने बहुत ही जोर की चीख मारी जो पूरे घर में गूँज गई।

सोनिया की चीख सुन कर शिप्रा ने घबरा कर सोनिया का मुँह दबा दिया और मैंने भी घबराहट में नीचे से धक्का मार दिया जिससे मेरा पूरा लौड़ा उसकी चूत में समां गया! पूरा लौड़ा अंदर जाते ही सोनिया बिन पानी मछली कि तरह तड़पने लगी और हाईईईई… मरर… गईईई… हाईई ईई… मरररर… गईईई… हाई ईईईईईईईईइई… माररर… डालाआआआ… करने लगी।

सोनिया मेरे लौड़े पर बैठी दर्द के मारे रो रही थी तब शिप्रा ने उसके सामने खड़ी होकर अपनी चूत उसके मुँह में लगा दी और उसे चूसने को कहा।

जब सोनिया शिप्रा की चूत चूसने लगी तब मैंने भी धीरे धीरे हिलना शुरू किया और उसे धक्के मारने लगा। क्योंकि सोनिया का दर्द कुछ कम हो गया था और उसे मज़े आने लगे थे इसलिए वह भी अब उछल उछल कर चुदने लगी थी। शिप्रा ने जब मुझे सोनिया की चुदाई शुरू करते हुए देखा तो वह मेरे मुंह पर आ कर बैठ गई और मुझसे अपनी चूत चुसाने लगी। यह क्रीड़ा इसी तरह लगभग बीस मिनट चलती रही और सोनिया ने अकड़ कर तथा चूत को सिकोड़ कर आह्ह… उन्ह्ह्ह्ह… आह्ह्ह्हह… उन्ह्ह ह्ह्ह… आह… की आवाजें निकलते हुए तीन बार अपना रस छोड़ा। शिप्रा भी पीछे नहीं रही और दो बार तो उसने भी मुझे अपना रस पिला दिया !

अब मैं बहुत ही उत्तेजित हो गया था और मेरा सुपारा फूलने लगा था इसलिए मैंने शिप्रा को अलग किया, सोनिया को नीचे लिटाया और उस पर चढ़ कर उसकी तेज़ी से चुदाई करने लगा। शिप्रा ने मेरे एक हाथ की उँगलियों को अपनी चूत में डाल लिया और सोनिया के पास लेट के उसके मम्में चूसने लगी !

इस तरह दस मिनट की तेज चुदाई से सोनिया का सांस फूलने लगा और वह ‘तेज, और तेज, और तेज’ कहते हुए मेरे बहुत तेज धक्कों का जवाब चूतड़ उठा कर देने लगी। तब शिप्रा सोनिया के दोनों मम्मों को जोर से मसलने लगी जिसके कारण सोनिया की चूत में अत्यंत ही तेज खिंचावट हुई और वह आह… उन्ह्ह… आह्ह्ह… उन्ह्ह्ह… करने लगी! उसकी चूत ने मेरे लौड़े को जकड़ लिया जिसके कारण मुझे कुछ ज्यादा ही रगड़ लगी और मेरा सुपारा फूला तथा उसमें से मेरे रस की पिचकारी छूट पड़ी। मेरे रस की गर्मी से सोनिया की चूत भी गर्म हो गई जिसे ठंडा करने के लिए उसकी चूत ने भी अपना रस छोड़ दिया।

हम तीनों अगले पांच मिनट तक उसी अवस्था में लेटे रहे और फिर उठ कर अलग हुए तो मैंने अपना लौड़ा सोनिया के मुँह में दे दिया जिसे उसने चूस एवं चाट कर साफ़ कर दिया।

तब शिप्रा ने सोनिया से मेरा लौड़ा लेकर अपने मुँह में डाल लिया और उसे आइसक्रीम की तरह चूसने लगी और सोनिया मुझसे अपनी चूत चुसवाती रही तथा शिप्रा की चूत में उंगली करती रही।

लगभग रात के बारह बजे हम तीनों चुदाई करते रहे और अंत में थक कर आपस में ही चिपक कर सो गए और सुबह आठ बजे जागे। तब सोनिया ने सबके लिए चाय बनाई और पिलाई !

चाय पीते पीते शिप्रा ने जब सोनिया से पूछा कि उसे रात की चुदाई कैसी लगी तो उसने बताया वह उसकी अब तक की सबसे बढ़िया चुदाई थी और वह ऐसी चुदाई तो रोज करवाना चाहेगी !

जब मैंने उसे पूछा कि उसके पति उसकी चुदाई नहीं करते तो उसने बताया कि रात में तो वह देर से आते हैं और थके होने के कारण लेटते ही सो जाते हैं !

दूसरी बात उसने यह बताई कि उनका लौड़ा सिर्फ पांच इंच लम्बा और एक इंच मोटा है इसलिए चूत के अंदर तक पहुंचा नहीं पाते और क्योंकि उसके पति दो से तीन मिनट में ही छूट जाते हैं इसलिए भी मजेदार चुदाई भी नहीं कर पाते !

सोनिया ने यह भी कहा कि जब मेरा लौड़ा उसकी चूत में गया था तब वह उसकी बच्चेदानी तक पहुँच गया था और उसकी चूत पूरी तरह से भर गई थी।

उस चुदाई के बाद अगले दो दिन तो सोनिया हमारे घर पर ही रही और हर रोज वह और शिप्रा तीन बार तो ज़रूर चुदती !

पापा के उदयपुर से वापिस आने के बाद मैं रात को तो शिप्रा और सोनिया को सोनिया के घर पर चोदने लगा और दिन में जब पापा ऑफिस जाते तब कालिज से वापिस आक़र अपने घर में !

पन्द्रह दिन के बाद जब माँ आ गई और शिप्रा अपने ससुराल चली गई तब से मैं सोनिया को उसके घर पर ही चोद देता हूँ !

अब भी मैं सप्ताह में तीन से चार बार तो सोनिया को चोद ही देता हूँ और वह इससे भी बहुत खुश है !

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top