इक्कीसवीं वर्षगांठ-1
मेरा नाम सुमित है, मैं राजस्थान में जयपुर का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र 21 वर्ष, एक छोटे से मध्यम वर्ग के परिवार का सदस्य हूँ।
मैं जयपुर में एक इंजिनीयरिंग कालेज के अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहा हूँ।
मेरे परिवार के सदस्य हैं मेरे पापा पृथ्वीराज जो एक निजी उद्योग में कार्यरत हैं, मेरी माँ शालिनी जो एक गृहिणी हैं।
मेरे बहन शिप्रा जिसकी एक वर्ष पहले शादी हो गई थी और अब वह भीलवाड़ा में अपने पति के परिवार के साथ रहती है।
मेरी बहन अक्सर घर पर आती रहती है और उसने ही मुझे इस कथा को लिखने और आप लोगों के सामने प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित किया।
मेरी बहन शिप्रा ने ही कहानी को संपादित करके इस कथा को पूर्ण करने में बहुत योग दान दिया, जिसके लिए मैं उसका बहुत आभारी हूँ। आप सबसे अनुरोध है की इस संपादित कहानी को शिप्रा द्वारा लिखा गया ही समझें !
तीन माह पहले की बात है जब दोपहर के दो बजे थे, मैं अपने कॉलेज से वापिस आया तो घर पर ताला लगा हुआ देख कर मैंने सोचा कि शायद माँ कहीं आसपास किसी के घर गई होगी इसलिए उनके इंतज़ार में मैं सीढ़ियों में ही बैठ गया।
जब आधे घंटे तक वो नहीं आई तब मैंने नीचे वाली सोनिया भाभी का दरवाज़ा खटखटा कर माँ के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि अचानक मेरे नाना जी का स्वास्थ ज्यादा खराब हो जाने के कारण मेरी माँ और मेरे पापा उदयपुर चले गए थे।
फिर उन्होंने घर की चाबी मुझे दी और कहा- मैंने मेरे लिए भी भोजन तैयार किया हुआ था, तुम जल्दी से फ्रेश हो आ जाओ, दोनों साथ साथ भोजन करेंगे !
जब हम भोजन कर रहे थे तब सोनिया भाभी ने बताया कि मेरे माँ और पापा के आने तक मुझे उनके पास ही रहना होगा, ऐसा मेरी माँ उन्हें कह कर गई थी। मैं क्या कर सकता था इसलिए उनकी बात मान कर मैं उनके यहाँ ही रहने लगा।
सोनिया भाभी हमारी नीचे वाले फ्लैट की किरायेदार थी और वह अपने पति के साथ पिछले एक वर्ष से वहाँ रह रही थी !
उसके पति एक अखबार के दफ्तर में समाचार संपादक हैं और उनके व्यवसाय के कारण उन्हें अधिकतर देर रात तक ऑफिस में काम करना पड़ता था।
वह सुबह बारह बजे के बाद ही ऑफिस जाते थे और रात को दो बजे के बाद ही घर लौटते थे ! लेकिन जब कोई बहुत ही महत्वपूर्ण समाचार प्रकाशित हो रहा होता था तब वह दो दो दिन तक घर नहीं लौटते थे और ऑफिस के गेस्ट-हाउस में ही रहते थे।
सोनिया भाभी तो घर पर अकेली ही रहती थी और मैंने अक्सर उन्हें माँ के पास बैठने के इलावा कभी कहीं बाहर आते जाते नहीं देखा था, मुझे महसूस होता था कि उसका जीवन सिर्फ चार दीवारों के अंदर ही सिमट कर रह गया था।
वह देखने में बहुत ही सुंदर है और उसकी उम्र लगभग 24 वर्ष है, कद 5 फुट 6 इंच, उसका शारीरिक नाप 34/34/34 है, रंग अत्यंत गोरा, नैन नक्श तीखे, बड़ी बड़ी मदहोश करने वाली हिरनी जैसी आँखें, लंबी सुराही-दार गर्दन, उभरी हुई छाती पर दो उठे हुए सख्त और ठोस मम्मे, कमर पतली, नाभि पर छोटा सा बटन, चूतड़ थोड़े भारी, टाँगे लंबी और जांघें सुडौल हैं !
जब भी वह चलती तो कमर तक लंबे काले रंग के बाल लहराते हैं ! वह एक सम्पूर्ण विश्व सुन्दरी लगती है जिसे एक नज़र देखने के बाद उसे चोदने की लालसा पैदा हो जाती है।
तीन दिन के बाद शाम पांच बजे जब पापा उदयपुर से वापिस आए तो मेरी बहन शिप्रा को भीलवाड़ा से अपने साथ लेते आये, क्योंकि नानाजी हस्पताल में भरती थे और माँ को वहाँ की देख भाल के लिए रहना ज़रूरी था।
यहाँ घर की देखभाल के लिए माँ ने ही पापा को शिप्रा को अपने साथ घर लाने के लिए कह दिया था।
शिप्रा मेरी बड़ी बहन है, वह 23 वर्ष की है और बहुत ही नटखट स्वभाव की है, हमेशा हँसती और हंसाती रहती है !
दिखने में गोरी चिट्टी तथा जवानी की भरी हुई है और सोनिया भाभी की तरह बहुत सुंदर है और उसका शारीरिक नाप 36/24/36 है, उसके बदन का हर अंग सोनिया से भी ज्यादा कामुक एवं आकर्षक है और वह एक ब्रह्मांड सुन्दरी लगती है जिसे एक नज़र देखने के बाद लोगों के लौड़े क़ुतुब मीनार की तरह तन जाते हैं, पढ़ाई, घर के काम और खेल कूद में बहुत ही निपुण है, बातों में कोई उसे हरा नहीं सकता, और काम वासना में तो तो उसने अपने पति के भी छक्के छुड़ा दिए थे, यह बात उसने जब ससुराल से पहली बार घर आई थे तब मुझे खुद ही बताई थी, शिप्रा बहुत ही कामुक स्त्री है और नग्नता से उसे कोई परहेज़ नहीं है!
वह घर पर मेरे और माँ के सामने बिना झिझक ही कपड़े बदल लेती है !
गर्मियों में तो दोपहर के समय वह घर पर कई बार सिर्फ पेंटी में ही घूमती रहती थी और माँ की डांट का उस पर कोई असर ही नहीं होता था।
वह सिर्फ पापा से डरती है और उनकी उपस्तिथि में वह अपने आप को पूरा ढक कर रखती है।
घर पहुँचने के बाद पापा आराम करने के लिए अपने बैडरूम में चले गए और शिप्रा मेरे साथ हमारे कमरे में आ गई।
कमरे में घुसते ही मैंने शिप्रा को पकड़ कर उसका आलिंगन किया और उसके होंटों पर अपने होंट रख दिये, शिप्रा ने भी मेरा साथ दिया और मेरी जीभ को अपने मुँह में ले कर कुछ देर चूसती रही, फिर उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी जिसे मैं काफी देर तक चूसता रहा !
आप सब मेरी यह हरकत पढ़ कर चौंक गए होंगे, इसलिए मैं आप सबको बताना चाहूँगा कि मुझ और शिप्रा में से जब भी कोई बाहर से आता है तो हम एक दूसरे को परस्पर ऐसे ही मिलते हैं, वास्तव में लगभग तीन वर्ष पहले मेरी अठारवीं वर्षगाँठ पर शिप्रा ने मेरे साथ यह शारीरिक सम्बन्ध बनाए थे और अब शादी के बाद भी वह जब भी घर आती है तब भी वह इन सम्बन्धों को बनाए रखती हैं !
चुम्बन क्रिया समाप्त करने के बाद शिप्रा ने अपने कपड़े उतारे और नंगी होकर बाथरूम में नहाने घुस गई।
उसने बाथरूम का दरवाज़ा खुला छोड़ दिया था इसलिए मैं उसके पीछे बाथरूम में चला गया और उसे पकड़ लिया और उसके मम्मों को चूसने लगा तथा उसकी चूत में उंगली करने लगा।
शिप्रा ने मुझे रोका और धीरज रखने को कहा तथा समझाया कि रात होने पर वह मुझे जो मैं करना चाहूँगा वह करने देगी।फिर वह मुझसे अलग हो कर नहाने बैठ गई और मैं कोने में खड़ा हो कर उसे नहाता देखता रहा !
रात को भोजन समाप्त करने के बाद मैं शिप्रा की प्रतीक्षा में अपने बिस्तर पर आँख बंद कर के लेटा था, तब शिप्रा आई और मुझे बताया कि वह थोड़ी देर में पापा को दूध पिला कर आएगी, तब तक मैं थोड़ी देर और धीरज रखूँ !
लगभग तीस मिनट के उपरान्त शिप्रा बैडरूम में आई और मेरे सामने ही अपने सारे कपड़े उतारने लगी तथा मुझे भी सारे कपड़े उतारने को कहा।
मैंने जब कहा कि पापा आ गए तो क्या होगा तब शिप्रा ने मेरे पास आ कर बताया कि उसने पापा के दूध में नींद की गोली डाल कर उन्हें पिला दी थी इसलिए अब पापा सुबह ही जागेंगे, उसने कहा कि हमारे पास अब पूरी रात थी और कोई भी शोर पापा को जगा नहीं सकता।
उसकी बात सुन कर मैंने उठ कर अपने कपड़े उतारे और भाग कर शिप्रा को चिपट गया और उसके मम्मों को चूसने तथा मसलने लगा।
शिप्रा भी मेरे लौड़े और टट्टों को पकड़ कर मसलने लगी और देखते ही देखते मेरा लौड़ा कुतब मीनार की तरह खड़ा हो गया।
शिप्रा की डोडियाँ भी सख्त हो गई थी और वह आह… आह्ह… करने लगी थी।
तब मैं उसकी चूत में अपनी दो उँगलियाँ डाल कर हिलाने लगा!
जब शिप्रा गर्म हो गई तो उसने लेट जाने के लिए कहा, तब मुझे बोध हुआ कि हम दोनों खड़े खड़े ही एक दूसरे के बदन के साथ खेल रहे थे।
शिप्रा के सुझाव पर मैं 69 की अवस्था में लेट कर उसकी चूत चाटने लगा और वह मेरे लौड़े को चूसने लगी।
आधे घंटे की इस मैथुन की पूर्व-क्रीड़ा में मेरा आठ इंच लम्बा लौड़ा एक दम लोहे की रॉड की तरह सख्त हो गया और सुपारे का व्यास ढाई इंच से फूल कर तीन इंच हो गया था।
शिप्रा की चूत का मुँह भी खुल बंद हो रहा था और उसमें से रस रिसने लगा था, तब मैंने शिप्रा से चुदाई शुरू करने और उसकी चूत में अपना लौड़ा डालने के बारे में पूछा तो उसने झट सहमति दे दी।
मैंने उठ कर शिप्रा को सीधा लिटाया और उसकी चौड़ी फ़ैली टांगों के बीच में बैठ कर अपना लौड़ा उसके हाथ में थमा दिया, शिप्रा ने बड़े प्यार से लौड़े को मसला और अपनी चूत के मुँह के सामने लगा दिया तथा मुझे धक्का देने को कहा।
उसके संकेत पर मैंने धक्का लगाया तो मेरा लौड़ा उसकी चूत में से निकले रस की फिसलन के कारण पूरा फिसलता हुआ उसकी चूत में घुस गया।
उसकी चूत ने मेरे लौड़े का स्वागत पूरी गर्मी से सिकुड़ कर किया एवं उसे जकड़ कर मुझे बहुत आनंदित कर दिया।
मैंने आहिस्ता आहिस्ता लौड़े को चूत के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और शिप्रा नितम्ब उठा कर मेरे धक्कों का जवाब देने लगी।
दस मिनट की धक्का-पेल में शिप्रा ने तीन बार रस छोड़ा और अंत में शिप्रा की चूत में हुई बहुत ज़बरदस्त खिंचावट के दौरान हम दोनों के रस का स्खलन एक साथ ही हुआ।
अगले दस मिनट तक हम दोनों उसी तरह लौड़े को चूत में रही रखे एक दूसरे की बाहों में चिपट कर लेटे रहे।
फिर शिप्रा उठी और मेरे लौड़े को अपनी चूत से अलग कर मुँह में लेकर चूस तथा चाट कर साफ किया, इसके बाद उसने बाथरूम में अपने आप को साफ़ किया और मेरे साथ आकर लेट गई और हम सो गए।
सुबह छह बजे जब अलार्म बजा तब मैंने और शिप्रा ने जल्दी से उठ कर कपड़े पहने और वह पापा के लिए चाय बनाने रसोई में चली गई।
कहानी जारी रहेगी।
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