घरजमाई
प्रेषक : डब्बू
यह तब की कहानी है जब मैं २४ साल का था। घर वालों ने मेरी शादी एक शहर की लड़की से तय की जिस शहर में मैं काम कर रहा था। लड़की के पिता साठ साल के थे और वो बीमार थे, माता सैंतालीस साल की थी और काफी सेहदमंद थी, बड़ी बहन माया सत्ताइस साल की शादीशुदा थी, उसकी शादी को तीन साल हुए थे लेकिन अभी उसकी कोई संतान नहीं थी और सबसे छोटी बहन अट्ठारह साल की थी जो पढ़ रही थी।
शादी के बाद मैं उन्हीं लोगों के साथ रहने लगा, क्योंकि घर में कोई जवान पुरुष नहीं था और पिताजी की देख-भाल के लिए वहाँ होना जरूरी था।
बड़ी साली माया दिखने में काफी सुन्दर थी लेकिन हमेशा चुपचाप रहती थी, उसके पति गाँव में अध्यापक थे और वो महीने में तीन या चार दिन ही आते थे।
मेरे साथ वो घुल मिल के रहती थी लेकिन कुछ पूछ्ने पर नहीं बताती थी। एक दिन दोपहर मैं घर पे अकेला था तो मैंने खिड़की से देखा कि माया स्कूल से घर आ रही थी, वो भी स्कूल टीचर थी, उसे देखते ही मुझे एक कल्पना सूझी और मैंने उसे पटाने की तरकीब निकाली।
मैंने अपनी चड्डी निकाल के सिर्फ लुंगी पहनी जोकि सामने से खोल सकते थे, और बेडरूम में सो गया। उसके विचार से मेरा लण्ड तन के दस इंच का हो गया था और लुंगी में खडा हुआ था।
थोड़ी देर में माया ताला खोल कर अन्दर आई और मुझे अन्दर उस स्थिति में देखकर मुस्कुराई। वो बड़े प्यार से मेरे तने हुए लिंग को देख रही थी। शायद उसने पहली बार इतना बड़ा हथियार देखा था।
अब उसने अपने कपड़े उतारने शुरू किये। उसने अपनी साड़ी उतार कर बाजू में रखी और फिर ब्लाऊज़ निकाला। वो मुझे सोया हुआ समझकर बिंदास अपने कपड़े बदल रही थी या सब कुछ जानते हुए अनजान बन रही थी।
फिर उसने पेटीकोट उठाकर अंदर से अपनी चड्डी निकाल कर बाजू में रखी। उसी कारण मुझे उसके बड़े बड़े गोरे कूल्हे नजर आये और मेरा लंड और तन गया।
फिर उसने अपनी ब्रा भी निकाली और वो घर में पहनने के कपड़े लेने के लिए मुड़ी तब मैंने उसके बड़े-बड़े गोरे आम जैसे स्तनों के दर्शन किये। उसका पेटीकोट आगे से थोड़ा फटा हुआ था इसलिए पेट के नीचे के बाल भी साफ़ नजर आ रहे थे।
अब मैंने आहिस्ते से अपनी लुंगी सरका दी ताकि मेरा पूरा का पूरा लंड उसको दिखे। जब उसने मेरा दस इंच का लंड खुला देखा तो उसके होश उड़ गए। लगता है उसको नजदीक से देखने की उसको लालसा हुई और वो थोड़ा नीचे झुक गई।
मैं उसी वक़्त उठकर खड़ा हुआ जैसे कि मुझे बाथरूम जाना है। सामने ही उसे देखकर मैंने आश्चर्य से उसे पूछा कि वो कब आई। लेकिन वो बिना कुछ बोले अपनी छाती पर हाथ रखकर खड़ी थी और मेरे नीचे वाले को देखकर मुस्करा रही थी।
मैंने नीचे देखा और उसे कहा- माफ़ करना, सपना देख रहा था, इसीलिए यह हालत हुई है।
तो उसने हंसते हुए कहा- कौन है वो जो सपने में इस सुन्दर चीज से खेल रही थी?
तो मैंने उससे कहा- बुरा नहीं मानना लेकिन वो तुम्हीं हो जो सपने में मुझे सताती हो !
ऐसा कहते हुए मैंने उसको अपनी तरफ खींचा और उसके मुख को चूमा और उसके स्तन अपने हाथ में लेकर कुचलने लगा। लेकिन उसने मुझे जोर का धक्का देकर दूर धकेला और बेड पर बैठकर रोने लगी और कहने लगी- नहीं, मुझे माफ़ करो लेकिन मैं ये सब तुम्हारे साथ नहीं कर सकती, यह पाप है, तुम मेरे बहन के पति हो, यह पाप मैं नहीं कर सकती।
थोड़ी देर उसको रोने देने का बाद मैंने उसे कहा- कैसा पाप ? तुम तो मेरी साली हो और साली तो आधी घरवाली होती है और क्या मुझे मालूम नहीं कि शादी को तीन साल होने के बाद भी तुम्हारी संतान नहीं है क्योंकि तुम्हारा पति तुम्हें यह सुख नहीं दे पाता। क्या तुम नहीं चाहती कि तुम मेरे इस लंड की मालकिन बनो और इसका मजा लूटो ! क्या तुम मुझसे संतान होना पसंद नहीं करोगी? अगर मेरी शादी छाया (मेरी पत्नी) के बजाए तुम से हो जाती तो कितना अच्छा होता ! तुम्हें पता है कि मेरा ये दस इंच का हथियार छाया नहीं पेल पाती और वो मुझे संतुष्ट नहीं कर पाती।
वो मेरी तरफ देखने लगी, मेरी नजर में अपार करुणा थी, मैंने उसे कहा- क्या महाभारत में कितनी औरतों के दो या पाँच पति नहीं थे? कितनी औरतों ने दूसरे पुरुष से संतान नहीं पाई थी? यहां तो मैं तुम्हारे घर का पुरुष हूँ और अगर तुम्हारा पति तुम्हें यह सुख और सन्तान नहीं दे पाता तो सबसे पहले ये मेरा अधिकार और कर्त्तव्य है कि मैं तुम्हें यह सुख और संतान दे दूँ ! अब यह तुम्हारे हाथ में है कि हम सब दुखी रहे या तुम मेरी पत्नी बन के यह सुख भोगो और मुझसे संतान प्राप्त करो ! इस कारण मैं छाया को भी ज्यादा परेशान नहीं करुंगा और वो भी सुखी रहेगी। क्या तुम नहीं चाहती कि तुम, मैं, तुम्हारी बहन और संतान पाकर तुम्हारे पति सब खुश हो और घर ही घर में तुम्हें यह सुख मिले?
उसको चुपचाप खड़ी पाकर मैं समझ गया और उसको अपनी ओर खींचकर उसके चुम्बन लेने लगा और उसके बड़े बड़े आम जैसे उरोज कुचलने लगा।
अब वो मेरी बदन से चिपक गई। मैंने बिना समय गँवाए उसको बेड पे डाला और उसके पेटीकोट का नाड़ा खोलकर उसे दूर फेंक दिया। अब वो पूरी नंगी मेरे नीचे थी और मैं उसके पूरे बदन को चूम रहा था।
फिर मैंने 69 की पोजीशन ली और अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया और मैं उसकी चूत को अन्दर जीभ डालकर चूसने लगा। मुझे औरतो की चूत चूसना बहुत पसंद है, उनकी चूत से बहता हुआ पानी मुझे बहुत अच्छा लगता है।
दस मिनट तक एक दूसरे की चाटने के बाद मैं उसकी टाँगों के बीच में आया और उसकी एक टांग अपने कंधे पर लेकर अपना लंड का सुपारा उसकी चूत की दरार पे टिका दिया. और एक जोर का धक्का दिया।
वो जोर से चिल्लाई तो मैंने अपने हाथ से उसका मुँह बंद किया। वो रोने लगी और मैंने नीचे देखा तो उसकी चूत में से खून बह रहा था। मैं जान गया कि उसकी चूत की झिल्ली मैंने तोड़ दी है।
शादी के तीन साल बाद भी वो कुंवारी ही थी। मैंने उसके पति को मन ही मन धन्यवाद दिया कि उसका सील तोड़ने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ। थोड़ी देर रुकने के बाद मैंने दूसरा जोर का धक्का दिया और इस बार मेरा पूरा दस इंच लम्बा और ढाई इंच मोटा लंड उसकी चूत में घुस गया।
फिर आहिस्ते- आहिस्ते मैं लंड को अन्दर बाहर करने लगा। थोड़ी देर बाद वो भी मेरा साथ देने लगी। दस मिनट बाद उसने मुझे जोर से पकड़ लिया मैं समझ गया कि उसने अपना पानी छोड़ दिया है।
लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था और 15 मिनट तक लगातार धक्के मारने के बाद मेरा लावा गिरने को आया तो मैंने उसको पूछा कि वो क्या चाहती है, मैं मेरा वीर्य उसकी चूत में गिराऊं या वो उसे अपने मुँह में लेना पसंद करेगी?
वैसे मैं अपने वीर्य को बहुत कीमती मानता हूँ और उसे जमीन पे गिराना मुझे पसंद नहीं है। लेकिन उसने कहा कि वो मेरे वीर्य को पवित्र मानती है और वो उसे अपनी चूत में लेना चाहती है ताकि उसे संतान प्राप्त हो। वो चाहती है कि छाया की बड़ी बहन होने के नाते वो उससे पहले माँ बनना चाहती है।
मैंने भी उसे कहा कि मैं उसे अब मेरी बड़ी पत्नी के रूप में देखता हूँ और मेरे बच्चे की माँ बनना उसका ही पहला अधिकार है और मैं उसे पूरा करूँगा।
ऐसा कहकर मैंने 10-12 पिचकारी वीर्य उसकी चूत में छोड़ा और फिर हम दोनों उसी पोजीशन में दस मिनट तक पड़े रहे। फिर बाथरूम जाकर हमने एक दूसरे को साफ़ किया और भगवान की तस्वीर के सामने खड़े होकर मैंने उसके साथ गन्धर्व विवाह किया।
जिंदगी भर मैंने उसे पत्नी मानने की कसम खाई और उसे बच्चे देने का अधिकार प्राप्त किया।
उसके दो दिन बाद मेरे जीवन में क्या तूफ़ान आया ये आप सोच भी नहीं सकते !
वो सब अगली कहानी में बताऊंगा, मेरी अगली कहानी का इंतजार करिए। तब तक के लिए नमस्कार !
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