एक के ऊपर एक
प्रेषक : अर्जुन
मेरा नाम अर्जुन है, मैं शहर में काम करता हूँ।
मेरी चचेरी बहन का नाम शिप्रा है, वो बहुत ही सेक्सी है।
मैं आपको एक बार की बात बताता हूँ, शिप्रा एम बी ए करके घर आई हुई थी और मैं भी घर पर ही था। जब भी वो नहा कर निकलती, मैं उसे जरूर देखता और आँखों आँखों में उसे नंगी करके चोदने लगता।
मैं हमेशा उसके करीब जाने की कोशिश करता पर घर पर काफ़ी लोग होने की वजह से गड़बड़ हो जाती। अब मुझे पता चला कि उसे बैंक सर्विस के लिए तैयारी करनी है।
तो मैंने कहा- जहाँ मैं रहता हूँ वहाँ काफी कोचिंग संस्थाएँ हैं और मैं भी काफी अच्छे से तैयारी करा दूँगा।
पर मेरे मन में तो लड्डू फूट रहे थे !
पर घर में कई लोगों ने कहा- शिप्रा को अलग कमरा दिला देना।
मुझे इससे बेचैनी होने लगी, मैंने कहा- अलग अलग रहेंगे तो खर्चा दोगुना होगा, साथ साथ रह लेंगे घर पर !
सब मान गए, पर घर से दोनों को सब सामान अलग अलग मिल गया जिससे कोई चीज़ आपस में बाँटना न पड़े।
अब हम दोनों शहर आ गए, शिप्रा ने कोचिंग में प्रवेश ले लिया, मैं काम पर चला जाता, शाम को शिप्रा को थोड़ा पढ़ा देता।
क्योंकि हमारे पास बेड था तो मैं रात को उसे छू लेता था, वो मेरा हाथ हटा देती थी।
फिर दिसम्बर का महीना आ गया, ठण्ड बहुत बढ़ गई। शिप्रा और मुझे दोनों को ठण्ड लगती रहती थी तो मैंने शिप्रा से कहा- दोनों रजाई एक के ऊपर एक करके एक साथ सो जाते हैं।
शिप्रा मान गई।
अब क्या था !
शिप्रा ने उस रात मरजीना सलवार-टॉप पहना था। कुछ देर बाद वो सो गई, मैं भी सो गया। रात को उसका पैर मेरे पैर पर लगा मेरी आँख खुल गई। मेरा बदन गर्म होने लगा, मैं धीरे धीरे उसके पैर पर पैर घुमाने लगा। उसने कोई विरोध नहीं किया, शायद वो सोई हुई थी।
फिर मैं धीरे धीरे उसकी सलवार अपने पैर से घुटनों तक ऊपर ले आया। फ़िर मैंने उसके पेट पर हाथ घुमाना शुरु किया। उसका पेट बहुत मुलायम था, मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैंने धीरे-धीरे उसकी चूची पर हाथ रखा, मुझे डर लग रहा था पर मजे के कारण मैं अपने आप को रोक नहीं पा रहा था।
मैंने उसकी चूची जोर से दबा दी, वो सिहर उठी, बोली- भाई, यह क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं ! तुम भी मजे लो !
वो मना करने लगी, उसने कहा- कुछ हो गया तो?
मैंने कहा- उसका उपाय है मेरे पास !
बहुत मुश्किल से ही सही पर वो मान गई।
मैंने पहले उसकी सलवार उतारी, फिर मैंने उसका टॉप उतारा। वो सफ़ेद ब्रा और लाल पैंटी में थी, बहुत सेक्सी लग रही थी।
मैं उसे इस रूप में देखते ही झड़ गया।
अब मैंने उसे पूरा नंगा कर दिया फिर उसने मुझे नंगा किया। वो मेरा लण्ड देख कर डरने लगी, कहने लगी- यह तो बहुत बड़ा है, बहुत दर्द होगा, मेरी तो फट जाएगी?
मैंने कहा- अगर दर्द होगा तो मैं नहीं करूँगा।
वो मान गई।
अब मैं उसकी जांघों पर हाथ घुमाने लगा, वो गर्म होने लगी। मैं उसके होंठ चूमने लगा तो वो पूरी गर्म हो गई।
अब मैंने उसे सीधा किया और पैर मोड़ कर उठाने के लिए कहा।
उसने ऐसा ही किया। मैंने अपना लण्ड क्रीम लगा कर उसकी चूत पर सटा दिया, उसकी चूचियाँ दबाता रहा और होंठों पर चुम्बन करता रहा। फ़िर धीरे से धक्का मारा तो शिप्रा को काफी दर्द हुआ।
वो चीखने लगी तो मैं रुक गया, एक-दो मिनट मैंने कुछ नहीं किया। जब वो शांत हो गई तो मैंने फिर धक्का मारा और इस बार पूरा लण्ड शिप्रा की योनि में जा चुका था और वो जोर से चिल्लाई।
मैंने उसके मुँह पर अपने होंठ रख दिए और कस कर चुम्मा लेने लगा।
जब उसका दर्द कम हो गया तो मैंने धक्के मारने चालू किए और पाँच मिनट बाद हम दोनों झड़ने वाले थे, मैंने कहा- अपना अमृत रस कहाँ निकालूँ?
उसने कहा- अंदर ही छोड़ दो !
मैंने ऐसे ही किया, और वो हँसते हुए मुझसे लिपट गई और मुझे चूमने लगी।
फिर उस रात मैंने उसे तीन बार चोदा।
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