चूत की खिलाड़िन-4
4-5 दिन बाद मैंने अपनी बहन को अपने यहाँ बुला लिया। मेरी बहन मेरी तरह बदमाश नहीं थी, विनोद की उससे अच्छी पटी। मैंने इस बात का पूरा ध्यान रखा कि विनोद उसे चोद न दे। मेरी चुदाई करने के बाद से विनोद का लंड चोदने के लिए फड़फड़ा रहा था।
एक रविवार शाम को घर में कोई नहीं था, मैं खाना बना रही थी, उसने पीछे से मेरे दूध दबा लिए और गांड पर लंड चिपकाते हुए कहा- भाभी चोदने का बहुत मन कर रहा है।
मैंने मुड़कर उसकी पप्पी लेते हुए कहा- मुझे पता है, एक बार चूत चोदने के बाद बिना चोदे नहीं रहा जाता। अब तुम्हारी शादी रजनी से जल्दी करनी पड़ेगी।
देवर बोला- भाभी, लंड में तो आग लगी हुई है, एक बार चूत मारने दो न।
मैंने उसके गालों पर नोचते हुए कहा- मेरी सासू जी बाहर सब्जी ले रही हैं, कभी अकेले होंगे तब मार लेना।
तभी दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई, देवर बाहर भागा।
सासू अंदर आ गई थीं, बोली- बहू, सब्जी रख मैं नहा कर आती हूँ। विनोद, तू बाहर का दरवाज़ा बंद कर दे, गाय आ जाएगी !
सासू नहाने चली गई, विनोद दरवाज़ा बंद करके आ गया, मुझे देखकर कान पकड़ते हुए बोला- बाल बाल बचे !
मैंने इशारे से पास बुलाया और जाकर बाथरूम का दरवाज़ा बाहर से बंद कर दिया।
विनोद आश्चर्य से बोला- बाथरूम में तो मम्मी हैं।
मैंने पीछे से साड़ी उठाते हुए देवर को आँख मारी और बोली- अपना लंड अब जल्दी से मेरी चूत में पेल दे ! रसोई की स्लैब के पत्थर पर मैं झुक गई, देवर ने पीछे से मेरी साड़ी और ऊपर तक उठा दी और पैंट से अपना लंबा सा लंड निकाल कर पीछे से मेरी चूत में पेल दिया और मुझे चोदने लगा। उह आह की आवाजें करते हुए मैं चुदाई का मज़ा लेने लगी।
पाँच मिनट देवर ने जम कर अपने लंड को मेरी चूत में रगड़ा और अपना वीर्य मेरी मटकी में भर दिया।
मैंने देवर की एक पप्पी ली और बोली- अब जाकर बाथरूम का दरवाज़ा खोल दो।
मेरी सास हर सोमवार को मेरे पति के साथ सुबह दो घंटे के लिए मंदिर जाती थीं। सास के जाने के बाद मैं नहाने चली गई। मैं पूरी नंगी होकर नहाती थी, जब मैं नहा रही थी तब मुझे लगा देवर चोर आँखों से झांक कर मेरे नग्न संगमरमरी बदन का नज़ारा ले रहा है। मैंने अपनी चूत में उंगली डाली, इसके बाद अपनी चूचियाँ साबुन से मलते हुए दबाने लगी। दस मिनट तक मैं नहाने का मज़ा लेती रही और देखने वाले को देती रही। नहा कर जब बाहर आई तो एक बीड़ी बाहर पड़ी हुई थी।
अचानक मुझे याद आया देवर तो आज बैंक गए हैं और घर में नहीं हैं, बीड़ी तो घर में सिर्फ ससुर ही पीते है। अब मेरी समझ में आ गया मेरा कुत्ता ससुर ही मेरी नंगी जवानी के मज़े ले रहा था। चंपा पहले ही मुझे बता चुकी थी कि ये मेरे असली ससुर नहीं हैं, ये मेरे पति के चाचा थे और मेरे असली ससुर के मरने के बाद गलत संबंधों के चलते इनकी शादी मेरी सास से हो गई थी। चंपा ने एक बार मुझे बताया था जब भी सास मामा के या कहीं दो-तीन दिन को बाहर जाती हैं तब ये घर में काम करने वाली 33-34 साल की चमेली से अपने बदन की मालिश करवाते हैं और एक बार दो साल पहले पटना के एक होटल में लड़की चोदते हुए पकड़े भी गए थे। मेरे मन में एक कुटिल योजना जन्म लेने लगी।
एक महीने बाद सास को किसी काम से माएके जाना पड़ा। देवर बैंक चले गए थे और पति खेत में चले गए। घर में ससुर अकेले थे। मैं जान कर नौकरानी चमेली के आने से पहले नहाने गई और ससुर जी से बोली- पापा जी, मैं नहाने जा रही हूँ, नहा कर आपकी चाय बना दूँगी।
आदत से मजबूर ससुर ने बाथरूम में झांकना शुरू कर दिया मैं भी बेशर्म होकर नंगी नहाने लगी और उन्हें नग्न जवानी देखने का पूरा मज़ा दिया। मैं चाह रही थी कि ससुर जी का लंड आज पूरा गर्म हो और वो नौकरानी चमेली को चोदें।
चमेली के आने के बाद मैं नहा कर बाहर आई। चमेली ऊपर काम कर रही थी मैंने चाय बनाई और टॉपलेस बदन के ऊपर साड़ी का पल्लू गीला करके डाल लिया, पूरी चूचियाँ साड़ी के बाहर से नंगी चमक रही थीं। चाय लेकर मैं ससुर जी के पास गई और मुस्कराते हुए चाय मेज पर रख दी।इसके बाद जानबूझ कर साड़ी का पल्ला नीचे गिरा दिया दोनों नंगे कबूतर बाहर आ गए ससुर जी का मुर्गा कबूतर देखकर कुकडूं कुं करने लगा। मैंने अपने दोनों दूध ढके और घबराने का नाटक करते हुए बोली- ओह, आपकी चाय बनाने के चक्कर मैं ब्लाउज पहनना तो मैं भूल ही गई।
मैं बाहर आ गई बाहर आकर मैंने अच्छी तरह से कपड़े पहने और अंदर जाकर पूरा घूंघट डालकर बोली- पापाजी, आज की बात सासू माँ को मत बताना। मुझे बड़ी शर्म आ रही है। मैं चंपा भाभी के पास जा रही हूँ, एक घंटे बाद आऊँगी। ऊपर चमेली काम कर रही है, कुछ काम हो तो उसे बता दीजियेगा।
ससुर का जवाब सुने बिना मैं दरवाज़े तक आई और दरवाज़ा खोलकर वापस घर में अंदर घुस गई और छुप कर एक कमरे में बैठ गई। मुझे आज चमेली की चुदाई देखनी थी।
जैसा मैंने सोचा था, वैसा ही हुआ, ससुर 5 मिनट बाद बाहर निकला और उसने बाहर का दरवाज़ा बंद करके चमेली को इशारे से नीचे बुला लिया। छत पर चढ़कर मैंने रोशनदान से देखा तो चमेली ससुर की टांगों पर बैठी थी और ससुर की देसी अंगिया का नाड़ा खोल रही थी। सुसर ने उसकी ब्लाउज को खोलकर उसकी चूचियाँ लपक ली थीं और उन्हें मल रहा था।
थोड़ी देर में ससुर का लंड चमेली के हाथ में था। वाह क्या मोटा लंड था, बिल्कुल मेरे पति की तरह।
ससुर का लौड़ा सहलाते हुए चमेली बोली- आज तो शेर के बहुत दिन बाद दर्शन हो रहे हैं।
ससुर खी खी करते हुए बोला- जल्दी से चुस्सी कर ले, जब से बहू आई है, मौका ही नहीं मिलता है।
चमेली ने खड़े होकर अपना पेटीकोट अलग किया और बोली- कुछ माल तो दे दो !
ससुर ने एक 500 का नोट थमा दिया।
चमेली लौड़े को सहलाते हुए बोली- बहू तो तुम्हारी बड़ी माल है। बाथरूम में झांक झांक कर खूब मज़े लेते हो?
ससुर ने उसकी गांड दबाते हुए कहा- थोड़ा धीरे बोल, दीवारों के भी कान होते हैं। अब जल्दी से लंड चूस, आज तो बहु का नंगा बदन देखकर आग लगी हुई है, क्या माल रसीला बदन है, काश चोदने को मिल जाए।
चंपा झुककर सुसरे का लौड़ा चूसने लगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
चमेली को हटाते हुए ससुर ने उसे बिस्तर पर लेटा दिया, अपनी टांगें चौड़ी करते हुए चमेली बोली- तुम बाप बेटे ने तो मेरी चूत का भोंसड़ा कर दिया है, अगली बार से हज़ार रुपए लूँगी ! कल साले राजू ने खेतों में पकड़ लिया था, उसने और चंपा के आदमी ने मेरी 1 घंटे तक बजाई। अभी तक दुःख रही है।
ससुर ने चंपा की चूत में उंगली घुसा दी और बोला- नाराज़ क्यों होती है अगली बार से हज़ार पक्के ! कुतिया तेरी जवानी इतनी मदमस्त है, कोई चोदे बिना रह ही नहीं सकता।
ससुरे का लौड़ा चमेली की चूत में घुस चुका था, उसकी चूचियाँ जोरों से हिल रही थीं, ससुर धक्के पर धक्के मारे जा रहा था। शहर में 50 का आदमी ठीक से चल नहीं पाता, यहाँ यह कुत्ता बांका जवान बना हुआ था।
इसके बाद ससुर ने चमेली को अपनी गोद में बिठा लिया और पीछे से लौड़ा उसकी चूत में पेल दिया अंदर घुसा हुआ लंड और चमेली की मसलती हुई चूचियों ने मेरी चूत में आग लगा दी थी। चमेली चूचियाँ दबवाती हुई उह आह करते हुए चुदवा रही थी।
चुदाई चरम सीमा पर थी।
कुछ देर बाद ससुर ने अपना वीर्य त्याग दिया और उठते हुए बोला- थोड़ी तेल मालिश कर दे। आज तो मज़ा आ गया। जब से बहू को नंगी नहाते हुए देखा है, लौड़ा तब से टनक भी बहुत रहा था। साली रसीली की क्या मस्त गदराई हुई मांसल चूचियाँ हैं।
कहानी जारी रहेगी !
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