आखिर मैंने भी चोद दिया
(Aakhir Maine Bhi Chod Diya)
हाय ! अन्तर्वासना के पाठकों को पुलकित झा का सादर नमस्कार। मेरी पिछली कहानियाँ
पर मुझे ढेरों इमेल मिले। अधिकांश में पाठकों ने मुझे लड़की मानकर चोदने की इच्छा तक जाहिर कर दी। यहाँ मैं यह बता दूँ कि “मैं लड़की नहीं हूँ !” और मैंने वे कहानियाँ सीमा की तरफ़ से उसी के शब्दों में पेश की थी। आज मैं उसी कहानी को आगे बढ़ा रहा हूँ।
गुरू के घर पे उस दिन सीमा की जो कमर-तोड़ चुदाई हुई, उससे उसका रोम-रोम दर्द करने लगा। दूसरे राउंड में जब उन्होंने अपने लौड़े उसके मुँह में खाली किये तो वह निढाल हो चुकी थी और काफ़ी देर तक तो वह उठ ही नहीं पाई, ऐसे ही नंगी पड़ी रही। उनका वीर्य उसके मुँह से नीचे टपक रहा था और उसकी चूत भी रिस रही थी।
उन्होंने उसे उठाया और बाथरूम में ले जाकर कुल्ला कराया और अपने लौड़े भी धोकर उसे अपने बीच में लिटा लिया। फ़िर कुछ देर अच्छी तरह से सहलाया तो वह कुछ होश में आई। तीन बजे के करीब उसे घर छोड़ गये। जब वह घर पहुँची तो लड़खड़ा रही थी। उसने जैसे तैसे कपड़े बदले और नाइटी में अपने बिस्तर पे जा पड़ी। मैं भी पहुँच गया।
क्या हुआ … ?
राजन और रमेश ने मुझे पूरी तरह से खोल कर बता तो दिया ही था और मुझसे कुछ भी छुपा नहीं था।
कुछ नहीं … बहुत थक गई हूँ … उसने आँखें बन्द कर लीं। मैं उसके सर पर हाथ फ़ेरने लगा।
ज्यादा हो गया क्या …
हाँ यार ! गुरुबचन और अकील अंकल ने दो-दो बार चोदा … …
तू इतनी कमजोर हो गई क्या … राजन व रमेश ने भी तो एक साथ ही चोदा था … … मैंने सर दबाते हुए कहा।
अरे वे तो इनके सामने बच्चे हैं … ये दोनों तो … हे भगवान! मार ही डाला …
इस उमर में भी … …
यार पैरों में दर्द हो रहा है … मालिश कर देगा क्या …
हाँ अभी लाया … और जब मैं तेल लेकर आया तो … उसने नाइटी ऊपर कर ली। वह पैंटी भी नहीं पहने थी। अभी अभी चुदी हुई चिकनी चूत मेरे सामने थी। मैं पूरे पैरों पर मालिश करने लगा। थोड़ी देर बाद वह बोली- तेल का हाथ जरा चूत पर भी फ़ेर दे … बेचारी बहुत पिटी है आज …
मैंने चूत पर भी थोड़ा तेल लगा दिया …
उल्टी लेट जाओ तो पीछे भी लगा दूँ !
तो एक मिनट रुक … उसने नाईटी उतार दी और औंधी लेट गई। मैंने भी पजामा उतार दिया ताकि चिकना न हो जाये।
वाह ! क्या बदन है … मेरा लंड कच्छे से बाहर आने लगा। टांगो पर तो पहले लगा ही चुका था सो मैं उसकी जांघों पर, गांड के पास दोनों ओर पैर करके, बैठ गया और फ़िर दोनों हाथों से उसकी गर्दन से चूतड़ों तक मालिश करने लगा। उसे कुछ आराम मिला।
मालिश करते हुए मैंने कहा- दीदी कई दिनों से एक बात मेरे मन में आ रही है?
क्या?
डरता हूँ कि तू नाराज न हो जाये …
बोल ना … तुझसे क्या छिपा है मेरा …
इतना सैक्सी बदन है तेरा … तो इसे क्यों ऐसे ही लुटा रही है …
क्या करूँ … सिंह अंकल ने ऐसी आग लगाई कि अब रहा नहीं जाता। वरना सोच पापा के दोस्तों से … वो भी एक बार में पटती क्या …
मालिश करते समय जब में झुकता तो मेरा लंड उसकी गांड की दरार से रगड़ खा रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था …
पर तू कुछ और कहना चाह रहा है …
हाँ और तू चाहे तो …
उसने चेहरा उठाया और मुस्कराकर बोली- अपना अन्डरवियर भी उतार ले … ।
मैं शरमा गया फ़िर बोला- दरअसल दीदी !!
बोल ना यार शरमा मत … तू भी चोदना चाहता है मुझे …
नहीं वो बात नहीं है … पर डर लगता है कि तू नाराज न हो जाये …
नहीं आराम से कह …
मैंने कुछ सोचा फ़िर बोला- राजन भैया की एक मौसी है, जिसका अपना पेईंग-गैस्ट हाऊस है।
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राजन की दीदी भी जाती है। दीदी ने मुझे उठाया और सीधी हो गई और मेरी ओर देखने लगी।
उसकी मौसी को लड़कियों की जरूरत पड़ती है …
अपनी बहन को रंडी बनाना चाहता है ?
नहीं मेरा वो मतलब नहीं है पर …
साफ़ साफ़ बोल ना यार … … उसने मुझे खींचकर अपने बगल में लिटा लिया तो मैं उसके हाथ पर सर रखकर लेट गया और बोला- इतना सुन्दर और सैक्सी बदन है तेरा तो इसे ऐसे ही क्यों लुटा रही है …
इसमें रिस्क बहुत होता है … वह मेरी ओर घूमी और गाल पर चूमते हुए बोली।
राजन की दीदी तो कई साल से कर रही है … राजन कह रहा था कि उसकी मौसी बिलकुल सेफ़ गेम रखती है …
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वो सिर्फ़ चुनिन्दा लोगों से ही सम्पर्क रखती है जिसमें शहर के कुछ बड़े लोग और विदेशी मेहमान होते हैं। मैंने उसकी कमर में हाथ डालकर कहा।
आइडिया बुरा तो नहीं है … ये लोग भी कौन सा मेरा लिहाज करते हैं … साले रन्डी की तरह ही तो चोदते हैं …
चोदेंगे तो वे भी रन्डी की तरह ही …
चल सोचूंगी … और फ़िर उसने अपना एक हाथ मेरी कच्छी के उपर रखा और लंड पकड़ लिया।
यह बड़ी देर से खड़ा है …
इतनी सुन्दर लड़की को नंगी देखकर भी खड़ा नहीं होगा क्या …
तो खाली कर ले ना … और उसने मेरा अन्डरवियर खिसका दिया और लण्ड को बाहर निकाल लिया …
छोड़ ना तू बहुत थकी हुई है … वैसे भी अभी तेरे लायक हुआ भी नहीं है …
कोई बात नहीं … ला मुँह से खाली कर देती हूँ … मैं रोमांचित हो गया … घुटनों के बल बैठ गया। उसने दो तकिये लगाये तो उसका मुँह लंड तक आ गया। मैंने उसकी एक चूची पकड़ी तो उसने मुँह खोल दिया। मैंने लंड मुँह में डाल दिया और धीरे धीरे चोदने लगा। उसने भी मुँह चलाना शुरू कर दिया।
आह्ह्ह दीदी … बहुत मजा आ रहा है … वो जोर जोर से लपालप चूसने लगी। मैं काफ़ी देर से भरा तो था ही सो 10 मिनट में ही झड़ गया।
मजा आया?
हाँ … बहुत …
चल हट अब कुल्ला करके आऊँ … फ़िर हम ऐसे ही साथ ही सो गये।
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