मेरी विधवा माँ अपने ससुर और देवर से चुदती है
(Full Fucking In Family)
फुल फकिंग इन फॅमिली स्टोरी में मैंने अपनी सौतेली माँ को अपने चाचा और दादा जी से चुदाई करवाती देखा. मेरे पापा की मृत्यु के बाद मम्मी के ससुर और चाचा रोज आते थे और मम्मी मजे से चुदती थी.
दोस्तो, मैं सनी.
मेरी कहानी के पहले भाग
मम्मी पापा की लाइव चुदाई का नजारा
में आपने पढ़ा था कि मम्मी पापा की गजब की चुदाई को मैंने खूब देखा था और अचानक से पापा की मृत्यु हो जाने के बाद से मम्मी गमजदा रहने लगी थीं.
अब आगे फुल फकिंग इन फॅमिली:
पापा के जाने के बाद कुछ महीनों बाद एक दिन दादाजी और चाचाजी हमारे घर पर मुलाकात करने आए थे.
हम दोनों उनसे मिले.
कुछ देर बाद मैं अपने कमरे चला गया क्योंकि मुझे उनकी बातें बोरिंग लगती थीं.
हॉल और मेरा कमरा नजदीक होने की वजह से मैं अब भी उनकी बातचीत ठीक से सुन पा रहा था.
मैंने दादाजी को कहते हुए सुना- बहुत समय बाद मिल रहे हैं. अच्छा लगा तुमसे मिलकर. पुराने दिन याद आते हैं. अपने घर पर बुलाने के लिए धन्यवाद.
मम्मी ने जवाब दिया- इसमें धन्यवाद कैसा? आप कभी भी घर आ सकते हैं. अपना ही घर समझिये और इस घर के दरवाजे आपके लिए सदैव खुले हैं.
दादाजी और चाचाजी का मम्मी से कुछ ज्यादा ही मेलजोल दिख रहा था.
ऐसा कुछ साल चला.
फिर पिछले कुछ दिनों से मुझे ऐसा महसूस होने लगा था कि अचानक मेरे घर पर मेरे दादाजी और चाचाजी का आना जाना कुछ बढ़ सा गया है.
पहले सिर्फ त्योहारों पर ही आना जाना लगा रहता था पर आजकल उनका रोजाना आना जाना होने लगा था.
मैं समझ रहा था कि मम्मी को सहारा देने के लिए आते होंगे.
चाचाजी ने शादी नहीं की थी और दादी तो मेरे पैदा होने से पहले ही जा चुकी थीं.
दादाजी और चाचाजी दोनों हमारे पुराने घर में साथ में ही रहते थे.
अब वे दोनों रोजाना हमारे घर आने लगे थे और घंटों घर पर ही रहते.
जब भी वह आते मम्मी के अन्दर एक नयी ऊर्जा आ जाती.
बहुत गर्मजोशी से उन दोनों की आवभगत होती.
एक रात की बात है, मैं सोने के लिए जाने ही वाला था कि मैंने देखा चाचाजी ने मम्मी को पीछे से बांहों में भर लिया है और एक हाथ से मम्मी की नाभि में उंगली कर रहे हैं. एक हाथ उनके मम्मे को भी मसल रहा था.
यह देख कर मैं चौंक गया था, गुस्से से मैं कांपने लगा था.
इतने में चाचाजी मम्मी से मादक आवाज में कहने लगे- आ जाओ मेरी जानेमन … हाय, इस उम्र में भी क्या कहर ढा रही हो. कुछ देर तो मुझे तुम अपने बदन से खेलने दो.
मम्मी ने आंखें बंद कर रखी थीं. उन्हें भी मजा आ रहा था.
वे भी सेक्स का मजा लेना चाहती थीं लेकिन मैं उस वक़्त घर में ही था तो शायद उन्हें इस बात का डर था.
मम्मी ने भी बड़ी कामुकता से कहा- मैं पूरी तरह आप ही की हूँ देवरजी! मगर सब्र रखो, कोई देख लेगा!
चाचाजी कहां मानने वाले थे, उन्होंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और मम्मी की चूचियों को दबाना और मसलना शुरू कर दिया.
वे कहने लगे- काश मेरी उंगलियां तुम्हारी चिकनी चूत में होतीं .. आह्ह्ह्ह …
इतना कहते ही वे मम्मी की नाभि से अपनी उंगली को धीरे धीरे चूत की तरफ सरकाने लगे.
मम्मी ने भी उत्तेजना पर काबू करते हुए उनका हाथ पकड़ लिया और कहा- आप क्यों मेरी प्यास बढ़ा रहे हो? कल तक रुको. मैं पूरे मजे दूंगी.
चाचाजी ने झट से मम्मी को अपनी तरफ घुमा लिया और होंठों पर जोरदार चुम्मा ले लिया.
इसमें मम्मी ने उनका पूरा साथ दिया और चुम्मे का मजा लेने लगीं.
अलग होने पर चाचाजी ने मम्मी को हवस भरी नजरों से देखते हुए कहा- कल का इंतजार रहेगा जानेमन. अभी चलता हूँ. कल मिलेंगे.
उन्होंने अपने दोनों हाथों से मम्मी के स्तनों को जोर से दबाया.
मम्मी ने भी निचले होंठ को दांत में भींचते हुए सिसकी ली और कहा- स्स्स्स … आईईई … मैं भी तैयार रहूंगी देवरजी!
चाचाजी मम्मी को गालों पर चूम कर चले गए.
मम्मी की चमक अलग ही दिखाई दे रही थी.
मुझे यह जानने की दिलचस्पी और बढ़ गयी कि और क्या क्या होने वाला है.
मैं उस दिन कॉलेज जाने के लिए निकला.
जाते हुए मैंने कमरे की खिड़की खुली छोड़ दी ताकि मैं वहां से वापस अन्दर आ सकूँ.
थोड़ी देर मटरगश्ती करने के बाद मैं चोरी से घर के अन्दर घुस गया और इंतज़ार करने लगा.
दादाजी और चाचाजी लगभग उसी समय फिर से घर पर आए.
उन्होंने हर बार की तरह नाश्ता किया और बातें करने लगे.
कुछ देर की बातचीत के बाद मम्मी अपने कमरे की ओर जाने लगीं.
वे दरवाजे पर जाते ही रुक गईं और सेक्सी अंदाज़ में पलट गईं.
मम्मी ने अपना एक हाथ कमर पर और एक हाथ दरवाजे पर रखा.
मेरी उत्तेजना अचानक से बढ़ गयी.
मम्मी को पहली बार इस अवतार में देख कर मेरा लंड उछलने लगा.
जो साड़ी मम्मी ने पहनी थी, वह कमर के काफी नीचे थी और ब्लाउज भी पीछे से पूरा खुला हुआ था, सिर्फ एक हुक के सहारे बंधा हुआ था.
जिस तरह से मम्मी खड़ी थीं, वह स्टाइल बहुत ही मादक लग रहा था.
उन्होंने दोनों को देख कर पूछा- हम्म्म … तैयार हो? आज किसकी बारी पहले है?
इतना सुनते ही दादाजी खड़े हुए और मम्मी की तरफ बढ़े.
सत्तर साल की उम्र में भी दादाजी कम जवान नहीं लग रहे थे.
कुर्ता पजामा पहनने वाला ये आदमी आज कुछ और ही लग रहा था.
मम्मी के पास जाकर उनकी कमर में हाथ फिराते हुए उन्होंने कहा- ये भी कोई बात है मेरी जान? कोई भी पहले सवारी कर सकता है.
इतना कहकर दादा जी ने मम्मी को चूम लिया.
मम्मी हंस दीं.
दोनों कमरे के अन्दर चले गए और दरवाज़ा बंद कर दिया.
दरवाज़ा बंद होने से पहले चाचाजी ने दोनों से कहा- बाबूजी, मजे लूटने का पहला हक़ तो आपका ही है, पर देखते हैं कि कितनी देर टिकोगे!
चाचाजी उत्साह के साथ सोफे पर बैठे रहे.
मैं अपने कमरे से खिड़की से निकल कर मम्मी के कमरे की तरफ गया.
लेकिन उनके कमरे की खिड़की पर पर्दा लगा हुआ था और झाँक कर देखने पर कुछ दिखाई भी नहीं दे रहा था.
मैं उदास मन से मेरे कमरे में दोबारा आ गया.
लगभग आधा घंटा बाद मम्मी के कमरे का दरवाज़ा खुला और दादाजी बाहर निकले.
वे थके थके से सोफे पर आ कर बैठ गए.
चाचाजी की तरफ संतोष वाले भाव से देखा और मुस्कुराते हुए कहा- जाओ. लूट लो.
इस पर चाचाजी ने जवाब दिया- हां हां! बिल्कुल … लेकिन कल पहले मैं!
दादाजी ने भी हामी भरी और चाचाजी कमरे की तरफ चल दिए.
कमरा बंद होने से पहले मम्मी की झलक मुझे दिखाई दी.
मम्मी अपने बालों को बांध रही थीं और वे सिर्फ काले रंग की सेक्सी पैंटी में थीं.
जाते हुए चाचाजी को दादाजी ने कहा- जरा प्यार से पेलना, मेरी जान है वह!
कमरे का दरवाज़ा बंद होने से पहले मुझे सिर्फ मम्मी को कहते हुए इतना ही सुनाई दिया- तैयार हो देवर जी?
दरवाज़ा बंद हो गया.
वे दोनों बारी बारी से मम्मी चोदते हैं, ये तो पता चल गया था … पर मुझे अब ये सब लाइव देखना था.
लगभग आधा घंटा बाद चाचाजी भी बाहर आ गए.
मम्मी भी तैयार होकर बाहर आ चुकी थीं.
तीनों ने फिर से चाय पी, कुछ देर बातें की … और उसके बाद दोनों चले गए.
तीनों का यह खेल अब रोजाना का हो चुका था.
इनका तरीका वही था. तीनों पहले चाय नाश्ता करते थे, फिर मम्मी कमरे में जातीं और दरवाजे पर खड़े होकर पूछतीं कि आज किसकी बारी है.
फिर जिसकी बारी होती थी, वह पहले अन्दर जाता था. पहले के बाहर आने पर दूसरा अन्दर जाता था.
फिर तीनों चाय पीते थे.
उसके बाद दादाजी और चाचाजी घर चले जाते.
हफ्तों तक ये सब मैं देखता रहा था.
लेकिन मुझे कमरे के अन्दर की चुदाई देखनी थी.
कुछ हफ्तों में इसका भी तोड़ मैंने निकाल लिया.
एक दिन जब मम्मी घर पर नहीं थीं तो मैंने उनके कमरे में कैमरा लगा दिए.
चार कोनों में कुल चार कैमरा सही जगह पर लगा दिए.
कैमरा की सैटिंग्स पूरी तरह करने के बाद अब मौका था इसको जाँचने का.
अब कैमरा से मैं लाइव चुदाई देख सकता था और ऑडियो की सुविधा होने की वजह से कमरे में होने वाली आवाजें सुन भी सकता था.
बस अब हमेशा की तरह उनके आने का इंतज़ार था.
अगले दिन हमेशा की तरह ही माहौल था.
आज मैं अपने ही कमरे में लैपटॉप पर सारी हरकतें देखने वाला था.
लाइव कैमरा की वीडियो क्वालिटी भी गजब की थी.
मैंने देखा कि दादाजी कमरे में घुसे. आज शायद उनकी बारी पहले थी.
मम्मी ने सेक्सी गाउन पहना हुआ था और गाउन गले में काफी नीचे तक खुला था जिससे उनके मम्मे साफ़ दिखाई दे रहे थे.
दादाजी हमेशा की तरह कुर्ते पायजामे में ही थे.
लाइव फीडिंग के साथ मैंने रिकॉर्डिंग भी शुरू कर दी.
दादाजी ने मम्मी का हाथ पकड़ कर जोर से अपनी बांहों में खींचा और मम्मे को हाथों से दबाने लग गए.
कभी वे कसके दबाते, कभी जोर से चूसते.
दादाजी की हर हरकत पर मम्मी की आहें निकल जा रही थीं और उनकी कामुकता और बढ़ जा रही थी.
हवस की हद दोनों की आंखों में साफ दिख रही थी.
दादाजी ने मम्मी के कपड़े उतार दिए और बहुत समय बाद मुझे मम्मी की नंगी चूचियां देखने को मिलीं.
दोनों ने एक दूसरे को नंगा किया. दोनों ने जिस तरह एक दूसरे को नंगा किया, वह सब देख कर ही मेरा लंड फड़फड़ाने लगा.
नंगी होने के बाद मम्मी ने दादाजी का लंड हाथ में ले लिया और लंड को रगड़ते हुए दादाजी से कहा- उम्म्म … ससुरजी, आप तैयार हो मुझे लूटने के लिए?
जवाब में दादाजी ने कहा- क्यूँ नहीं मेरी जान? मैं तो सुबह से ही तुम्हारी लेने के लिए तड़प रहा हूँ. मेरे लंड से खेलो, जैसे रोज खेलती हो.
यह सुनते ही मम्मी ने दादाजी के लंड को हिलाना शुरू कर दिया. मैं चारों कैमरे एक साथ चला कर हर तरफ से दोनों का खेल देख रहा था.
मम्मी तो लंड के साथ खेलने में थीं ही माहिर खिलाड़िन … और दादाजी को पूरे मजे दे रही थीं.
दादाजी भी बीच बीच में मम्मी की चूचियों के साथ खेल रहे थे. कभी कभी वे उनके होंठों पर चुम्मा भी ले लेते.
दादाजी पूरे उत्तेजित होकर बोले- जानेमन, अब लंड गीली चूत के लिए तैयार है!
मम्मी भी शरारती अंदाज़ में कहने लगीं- आज बड़ी जल्दी में हो ससुरजी?
दादाजी ने झट से मम्मी को बिस्तर पर लेटा दिया और उनकी दोनों टांगें फैला दीं. फिर अपना लंड बिना देरी किए मम्मी की चूत में घुसेड़ा और चोदना शुरू कर दिया.
मम्मी भी गांड उछाल उछाल कर झटके लेती जा रही थीं.
ठुकाई की थप थप की और मम्मी की सिसकारियों और चीखों से कमरा गूँज रहा था ‘उम्म्म … आअह्ह्ह … ऊं … ऊं … हा … हम्म्म, चोदो ससुरजी औ … र … जो … र … से … चो … दो … उम्म्म!’
यह सब मैं साफ़ साफ़ सुन सकता था. मैं भी उत्तेजित होकर अपने लंड को हिलाने लगा.
मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि मम्मी दादाजी के साथ ऐसे चुदवाएंगी.
ग़ुस्सा तो मुझे बहुत आ रहा था, पर मैं उत्तेजित भी था. मैं कुछ नहीं कर सकता था और सिर्फ लैपटॉप पर मम्मी और दादाजी की चुदाई का खेल ही देख सकता था.
दादाजी ने कुछ देर बाद अपना लंड निकाला और मम्मी की चूत को हवस भरी नजरों से देखते रहे.
इससे पहले कि मम्मी कुछ समझ पातीं कि दादाजी ने चूत पर जोरदार चांटा मारा तो मम्मी की चीख निकल गयी.
देखकर तो ऐसा लगा कि मम्मी को पता था कि मम्मी को मजा आ रहा है.
क्योंकि मम्मी ने सेक्सी आवाज़ में किकियाते हुए कहा- आह … और जोर से मारो न जान!
इतना सुनते ही दादाजी शैतानी भरी निगाहों से मुस्कुराए और फिर से दो-तीन चांटे जड़ दिए.
मम्मी चूत पर होते हुए हमले से काफी ज्यादा सेक्सी अदाएं दिखा रही थीं और अपने दोनों मम्मों को दबा रही थीं.
दादाजी ने मम्मी की चूत को सहलाते हुए फिर से कहा- हाय जान, क्या चूत है … तेरी सास के बाद कइयों की चूत चोदी … लेकिन तेरी चूत की बात ही अलग है.
यह सुनकर मैं हैरान था कि दादा जी तो पूरे रंगे सियार निकले.
अब दादाजी मम्मी की चूत को जोर जोर से रगड़ते जा रहे थे और मम्मी लेटी हुई ही दादाजी की हरकतें देख कर सेक्सी लुक देने लगी थीं.
कुछ देर तक चूत को रगड़ने के बाद दादाजी ने फिर से चूत पर एक चांटा मारा.
मम्मी फिर से आह करती हुई कहने लगीं- आह और जोर से मारो … और जोर से आह … ये चूत आप ही की तो है!
जितनी बार मम्मी मारने को कहतीं, उतनी बार दादाजी उनकी चूत पर चांटे मारते जा रहे थे.
थोड़ी देर बाद मम्मी को दादाजी ने कहा- जान, मेरी कुतिया बनोगी?
मम्मी ने हां में सर हिलाया और बिस्तर पर कुतिया बनकर अपनी दोनों टांगें फैला दीं.
यह नज़ारा देख कर तो मेरा लंड इतना कड़क हो चुका था कि अब दर्द करने लगा था.
मम्मी ने मुड़ कर दादाजी को देखा और कहा- आपकी कुतिया हाज़िर है ससुर जी.
दादाजी ने तुरंत ही अपना लंड एक ही बार में मम्मी की चूत में घुसा दिया और चोदना शुरू कर दिया.
मम्मी का ये अवतार देख कर मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था.
अब तो दादाजी ने मम्मी के बाल पकड़ कर उन्हें चोदना शुरू कर दिया था.
‘आह चोदो मेरे … राजा … आआह्ह्ह … चो … दो … क्या लंड है … उम्म्म्म … फाड़ दो अपनी कुतिया की इस प्यासी चूत को … आह मेरी चूत की प्यास बुझा दो … कितनी चुदक्कड़ चूत है!’
दादाजी बहुत देर तक मम्मी को पीछे से चोदते रहे और मम्मी भी ठुकाई के पूरे मजे ले रही थीं.
तभी दादाजी ने कहा- जानेमन, तुम्हारी कसी हुई चूत मेरे लंड का दूध निकालने वाली है, मैं झड़ने वाला हूँ.
मम्मी ने कहा- मेरे ऊपर दूध निकाल दो जान … आआह!
दादाजी ने लंड चूत से निकाला और मम्मी की गांड पर पूरा दूध गिरा दिया.
इस फकिंग से मम्मी मानो तृप्त हो गयी थीं.
उन्होंने कहा- आआह्ह्ह … कितना सारा दूध … निकाला है ससुर जी!
थोड़ी देर तक दोनों एक दूसरे को गले लगाकर चिपके रहे और दोनों ने बाथरूम में जाकर अपने आप को साफ किया.
फुल फकिंग के बाद मम्मी नंगी ही थीं.
दादाजी ने कपड़े पहने और फिर दोनों दरवाजे की तरफ जाने लगे.
दरवाजे पर पहुंचते ही दादाजी ने मम्मी को होंठों पर चूमा, चूतड़ों को दबाया और कहा- कल का फिर से इंतज़ार रहेगा!
मम्मी ने मुस्कुरा कर जवाब दिया- आपकी कुतिया आपको तैयार मिलेगी.
दादाजी कमरे से बाहर चले गए और मम्मी फिर से बिस्तर पर बैठ गईं.
कुछ ही देर में चाचाजी कमरे के अन्दर घुसे.
चाचाजी ने अन्दर आते ही पूरे कपड़े उतार दिए और नंगे होकर मम्मी के पास बैठ गए.
चाचाजी ने जोश भरे अंदाज़ में पूछा- उम्मीद है दूसरा लंड भी संभाल लोगी जानेमन!
मम्मी ने चाचाजी के खड़े लंड पर उंगली घुमाते हुए कहा- पिछले कुछ समय से मैं दो लंड संभाल ही रही हूँ मेरे राजा. सवाल ये है कि यह लंड दो बार मुझे दूध पिलाएगा क्या?
चाचाजी खड़े हुए और उन्होंने चहकते हुए कहा- वाह यह हुई न बात … तो पहले लोड के लिए तैयार हो जाओ. इस लंड को तुम्हारी सेवा की जरूरत है.
मम्मी भी घुटनों के बल बैठ गईं.
उन्होंने अपने एक हाथ से चाचाजी का लंड पकड़ कर कहा- इसकी सेवा करना तो मेरा फ़र्ज़ है.
इतना कहते ही मम्मी ने चाचाजी का पूरा लंड मुँह में भर लिया और चूसने लगीं.
इसके साथ ही मम्मी ने अपनी चूत को भी एक हाथ से रगड़ना शुरू किया.
मैं पूरा खेल देख कर फिर से उत्तेजित होने लगा.
अब चाचाजी ने लंड चूसती हुई मम्मी का सर पकड़ा और उन्होंने मम्मी के मुँह को चोदना चालू कर दिया.
मम्मी भी पूरे शवाब पर थीं और चाचाजी के कूल्हों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर वे उनके लंड को गन्ना समझ कर चूस रही थीं.
कुछ देर तक मम्मी के मुँह की चुदाई होने के बाद चाचा जी ने लंड को बाहर निकाल लिया.
मम्मी ने चाचाजी की तरफ देख कर कहा- देवरजी, तुमने दो बार लंड का दूध मुझे पिलाने का वादा किया है. चलो अखाड़े में चलते हैं.
इतना कह कर मम्मी ने चाचाजी को बिस्तर पर जाने का इशारा कर दिया.
चाचाजी किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह बिस्तर पर लेट गए मानो उन्हें पहले से ही पता था कि क्या करना है.
उनका लंड छत की ओर देख रहा था. मम्मी को चाचाजी के लंड का दूध पीने की इतनी लालसा थी कि वे तुरंत पलंग पर आईं और लंड हिलाने लगीं.
चाचाजी ने कहा- ओह्ह्ह अह … क्या बात है भाभी. लंड की सेवा करने में तुम्हारा जवाब नहीं है.
कुछ ही देर में मम्मी ने लंड को अपनी चिकनी गीली चूत के अन्दर ले लिया और वे लंड की सवारी करने लगीं.
लंड के ऊपर उछलती हुई मम्मी ने दोनों हाथ अपने चूचियों पर रख कर दबाना शुरू कर दिया.
कमरा एक बार फिर से चुदाई की आवाज़ों से गूंजने लगा.
इतने में मैंने मम्मी को कहते सुना- देवरजी, अब मेरी कमीनी चूत तुम्हारे लंड से दूध निचोड़ेगी आह लो.
यह कह कर वे जोर जोर से लंड की सवारी करने लगीं.
चाचाजी ने कहा- अब पहले लोड के लिए तैयार हो जाओ मेरी जान. मैं छूटने वाला हूँ.
मम्मी ने जल्दी से चूत से लंड निकाला और उसे हाथों से हिलाने लगीं.
लंड हिलाते हुए अपनी जीभ होंठों के ऊपर से घुमाते हुए मम्मी ने कहा- हाय … क्या बात है. लंड के दूध की धार मुझे देखनी है!
चाचाजी ने झड़ना शुरू किया, तो मम्मी ने लंड को अपनी चूचियों की तरफ मोड़ दिया और कहने लगीं- वाह … बढ़िया … अपना पूरा माल मेरी चूचियों पर छोड़ो देवर जी.
चाचाजी ने पूरा माल मम्मी के बदन पर छिड़क दिया और मम्मी ने लंड को मुँह में भर लिया.
वे उसे चाट कर साफ करने लगीं.
चाचाजी का लंड अब भी तैयार था.
मम्मी ने चाचाजी की ओर देखा और हंसते हुए कहा- अब दूसरे लोड की बारी हैं देवर जी!
चाचाजी ने कुछ ही देर में लंड कड़क करवाया और मम्मी को घोड़ी बना कर खूब चोदा.
बारी बारी से मम्मी को चोदने के बाद और अपने अपने माल से मम्मी को नहलाने के बाद दादा जी और चाचाजी दोनों घर चले गए.
मैंने लैपटॉप में चैक किया कि रिकॉर्डिंग पूरी हुई है या नहीं!
मेरी किस्मत भी बहुत बढ़िया थी … रिकॉर्डिंग पूरी थी.
आगे की फुल फकिंग इन फॅमिली स्टोरी को अगले भाग में लिखूँगा, आप अपने विचार जरूर लिखें.
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फुल फकिंग इन फॅमिली स्टोरी का अगला भाग:
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