उन्मुक्त वासना की मस्ती- 12

(Free Sex In A Family)

फ्री सेक्स इन अ फॅमिली स्टोरी में वासना से भरपूर दो परिवार आपसी रिश्तों की मर्यादा का परित्याग करके एक दूसरे के साथ जीभर के चुदाई यौन संसर्ग के मजे ले रहे हैं।

कहानी के पिछले भाग
पापा और ससुर से एक साथ चुदाई
में अब तक आपने पढ़ा कि शालू का विवाह रवि से होने के बाद, दोनों कामुक परिवार सब रिश्तों की मर्यादा को तिलांजलि देकर एक दूसरे के साथ जी भर के चुदाई के मजे लेते हैं।

शालू के विवाह को एक वर्ष होने के उपलक्ष्य में, अपनी सेक्सी बहू शालू के सुझाव पर सोनिया एक रेव पार्टी का प्रबंध करती है जिसमें केवल दोनों परिवारों के लोग ही सम्मिलित होते हैं।
उस पार्टी में सिगरेट, शराब और वासना, हर तरह के नशे की पूरी व्यवस्था थी।

काम लिप्सा और लालसा से भरी इस पार्टी में तीन तीन जीवंत पोर्न फिल्में चल रही थी एक की हीरोइन सोनिया थी, एक की सपना और एक की शालू।

सब ने वासना भरी मस्ती का एक दौर भोग लिया था। अब आगे के खेल खेलने के लिए, शरीर में रमी हुई वासना को जगाने के लिए फिर से थोड़ा नशा जरूरी लग रहा था और भूख भी जोरों की लगी हुई थी।

तीनों औरतों ने मर्दों को उत्तेजित करने के लिए अपनी अपनी चूतों में सिगरेट को लगाया और चूत को अंदर की ओर सिकोड़ के कश खींचा और फिर धुंआ उगल दिया।

दो दो पैग लगाने के बाद सबने खाना खाया और पेट की भूख शांत की, अब फिर से पेट के नीचे की भूख को शांत करना बाकी था।

अब आगे फ्री सेक्स इन अ फॅमिली स्टोरी:

अगले दौर के लिए सब अपनी बॉडी को रेस्ट देने लगे।
सोनिया उठ कर वॉशरूम की ओर चल दी।

सोनिया जब बहुत समय बाद वॉशरूम से वापस आई तो संजू की आंखें उसकी चिकनी चूत को देखकर चौंधिया गई।

सोनिया ने वॉशरूम में अपनी झांटें साफ़ कर ली थीं, अब उसकी चूत हीरे सी दमक रही थी।
शेखर की भी लार उसकी चिकनी चूत देखकर टपकने लगी।

संजू का सुस्ताया हुआ लंड सोनिया का यह बदला हुआ रूप देखकर फिर से तन्नाने लगा।

रही सही कसर सोनिया ने आकर उसका लन्ड चूस के पूरी कर दी।
उसका लन्ड अगले घमासान के लिए तैयार हो चुका था।

इस बार संजू की इच्छा सोनिया की गांड को गोदाम बनाने की थी जबकि झांटें साफ करने के बाद में सोनिया की चूत की सरसराहट लन्ड मांग रही थी।

शेखर भी सोनिया के इस बदले हुए रूप के कारण उसको भोगना चाहता था।
वह उठा और सोनिया के स्तनों को सहलाने लगा।

यह सोनिया संजू को स्पष्ट संकेत था कि इस बार वह भी सोनिया की कामुकता के मजे लेगा।

संजू ने सोनिया को अपनी बांयी बाजू पर करवट से सुलाया और उसके पीछे से उसके कोमल कोमल स्तनों से खेलने लगा।

सामने से शेखर सोनिया के बांये बाजू पर सिर रखकर उस की किशमिश जैसी नर्म और नाज़ुक निप्पल को मुंह में लेकर, चूसते हुए सोनिया की गांड में उंगली करने लगा।

इस तरह संजू और शेखर ने मिलकर सोनिया की चुदासी चूत और गुदगुदाती गांड में और अधिक आग भर दी।

संजू ने अपने लन्ड को चिकना किया और उसकी गांड के मुंह को चौड़ा करते हुए उसमें धीरे-धीरे अपना फनफनाता हुआ लन्ड घुसेड़ दिया।

और शेखर ने समधन की ताजा-ताजा झांटें साफ की हुई चिकनी चिकनी चूत में अपना चोदने को उतावला लन्ड प्रवेश करा दिया।

उसके बाद दोनों बाप बेटे एक एक कर के धक्के लगाने लगे.
जब संजू धक्का लगाता तो उसका लंड सोनिया की चूत में घुसे शेखर के लंड को सहलाता हुआ गांड के भीतर जाता।

और फिर जब शेखर अपनी कमर हिलाता तो उसका लंड उस के बेटे संजू के लंड पर फिसलता हुआ सोनिया की चूत की गहराई को नापता।

दोनों ने जी भर के सोनिया के हर एक मादक अंग का आनन्द उठाया और बदले में पंद्रह मिनट तक सोनिया की भीषण चुदाई करी।

सोनिया को पुनः शरीर के पोर पोर में तनाव भर देना वाला, आवेश भरा, वह चरम सुख प्राप्त हुआ जिसको पाने के लिए औरत किसी भी जाने अंजाने मर्द का लन्ड लेने के लिए सहमत हो जाती है।

संजू और शेखर दोनों की सांसें धौंकनी की तरह चल रही थीं।
सोनिया ने अपनी आंखें मूंद रखी थीं और अपनी चूत की हर फड़कन के साथ मिल रही राहत का अनुभव कर रही थी।

कुछ ही मिनटों में सोनिया की सांसें सामान्य हो गईं और शरीर ढीला पड़ गया।
संजू और शेखर के शरीर पर पसीने की बूंदे उभर आई थीं जो इस बात को दर्शा रही थी कि ‘मेहनत जब करता हूं तसल्ली पूरी चाहता हूं।’

जब संजू और शेखर दोनों के लंड सिकुड़ के बाहर आ गए तो सोनिया ने दोनों को बड़े प्यार से अपनी बाहों में कसा और कहा- वाह समधी जी, दोनों बाप बेटों ने आज तो मज़े ला दिए।

शालू की अपने बाप और ससुर के लंड से चुद लेने के बाद इच्छा थी कि आज अब एक बार संजू ने जिस तरह से उसकी सासू मां की दोनों तरफ से बजाई है, वैसे ही वह अपनी बहन की भी चूत और गांड की सेवा अपने मोटे लंड से करे।

पर अभी-अभी तो संजू ने सोनिया जैसी कामुक, लंड प्रेमी औरत की काम ज्वाला शान्त करने के लिए, शेखर के साथ अपने वीर्य का स्टॉक खाली किया था।

वह देख रही थी कि संजू अभी मीठी थकान के कारण सो चुका था इसलिए उसने सोचा क्यों ना स्वयं भी एक नींद निकाल कर शरीर एवं मस्तिष्क को मस्ती के एक और दौर के लिए तैयार कर लिया जाए।

करीब एक घंटे की नींद निकालने के बाद संजू की नींद तब खुली जब शालू उसके आंड सहलाते हुए उसका लंड चूस रही थी।
उसके हाथों और होंठों का स्पर्श संजू को बहुत सुखद लग रहा था।

नींद निकालने के बाद तो मर्द का लंड वैसे ही खड़ा रहता है फिर कम उम्र के जवान लौंडे के लौड़े पर जब उसकी बहन के रसीले होंठ और तर जुबान सक्रिय हों तो उसे कितनी देर लग सकती थी?

उसका लन्ड कुछ ही देर में आसमान से बातें करने लगा।
जब संजू का लन्ड एकदम कड़क हो गया तो उसने उसे अपने हाथ से पकड़ के सीधा किया, शालू उसके लन्ड को अपनी चूत पर सेट करके बैठती चली गई।

संजू का पूरा लन्ड उसकी बहन की चूत में समा चुका था।
ऐसी स्थिति में शालू को संजू कामदेव का रूप लग रहा था।

शालू ने फिर एक लय में कमर हिलाना शुरू किया, उसकी चूत और संजू के लन्ड दोनों में काम लहरें उठने लगीं।

कुछ देर की वूमन ऑन टॉप वाली चुदाई का मजा लेने के बाद संजू ने शालू को अपने नीचे लिया और उसको अपनी बांहों में अच्छे से दबोच के करारे धक्के लगाने प्रारंभ किए।

शालू को उसकी पहली बार वाली चुदाई याद आने लगी जब उसके भाई ने उसकी कौमार्य झिल्ली को तोड़ कर उसके कुंवारेपन को अपने लन्ड से रौंद दिया था।

आज की मदहोश कर देने वाली पार्टी में शालू की उत्तेजना का स्तर अलग ही था, आज वह चाहती थी कि संजू उसको सामान्य चुदाई से हटकर कुछ वहशी तरह से चोदे।

उसने संजू को उकसाया और कहा- भाई, तुझ में और तेरे इस लन्ड में जितना भी दम है, आज तू मेरी चूत को दिखा दे और आज की इस रंगीन रात को यादगार कर दे।

एक बार झड़ने के बाद संजू का स्टैमिना वैसे भी बढ़ा हुआ था, उसने शालू का चैलेंज स्वीकार कर लिया और कहा- आज तेरी चीखें न निकलवा दी तो कहना!

उसके बाद संजू ने शालू को कारपेट से उठाया और सोफे पर घोड़ी बनाकर फिर से उसकी चूत में अपना दमदार लन्ड घुसेड़ दिया और दोनों हाथों से उसकी कमर को पकड़ कर थप्पड़ों से उसके चूतड़ों को लाल करते हुए कुत्ते वाली स्टाइल में उसे चोदने लगा।

शालू की चूत को संजू के हर करारे धक्के से असीम घर्षण सुख की प्राप्ति हो रही थी।

उसके बाद संजू ने उसकी कमर में हाथ डाले हुए उसे फिर से उठाया और सोफे के पीछे जाकर उसके ऊपरी सिरे पर उसको डाल दिया।

उसकी कमर से ऊपर का हिस्सा सोफे पर नीचे झुका हुआ था और कमर से नीचे का हिस्सा पीछे की ओर लटका हुआ था।
इस पोजीशन में अब संजू ने 8 – 10 कड़क धक्के लगाए।

नीचे सोफे का आधार मिलने के कारण शालू को वे धक्के दोगुने दमदार लग रहे थे।
वह सोचने लगी कि उसने संजू को उकसा कर कोई गलती तो नहीं कर दी?
कहीं संजू उसकी चूत को, भोसड़ा तो नहीं बना देगा??

लेकिन शालू का शरीर और दिमाग पूरी तरह से हर स्थिति का सामना के लिए तैयार था।
उसका मुख्य लक्ष्य तो आज बस … आनन्द था।

कुछ धक्कों के बाद संजू ने अचानक अपना लन्ड शालू की चूत से बाहर निकाल लिया।
शालू की गर्म और पानी छोड़ती, गीली चूत पर ठंडी हवा का एक झोंका आके लगा और उसकी चूत को प्यार से सहला गया।

शालू एक सुखद अहसास से भर उठी।

अब बारी थी शालू की गांड की!
संजू झुक कर थोड़ी देर पहले दो-दो लन्ड खाकर चौड़ी हो चुकी गांड से उठ रही, पकी हुई अंजीर की महक का आनन्द लेने लगा।

उसके बाद उसने शालू की गांड पर अपना मुंह लगा दिया और अपनी जुबान को गोल-गोल घुमा कर उसकी गांड के छिद्र की मालिश करने लगा।
शालू की गांड में गजब की गुदगुदी होने लगी।

उसके बाद संजू ने उसकी गांड को जितना हो सकता था दोनों हाथों से चौड़ा किया और अपनी जुबान को गांड के भीतर पहुंचा दिया।
संजू की जुबान को सुधीर के वीर्य में लिपटे भुने हुए गोश्त का स्वाद आने लगा।

वह एकदम मस्त हो गया और अपने कड़क, चिकने लन्ड को तुरंत शालू की गांड में एक दमदार धक्के के साथ घुसेड़ दिया।

शालू के मुंह से चीख के साथ आनन्द अतिरेक में एक गाली निकली- अबे हरामजादे, आज मेरी गांड फाड़ेगा क्या?
संजू हंसते हुए बोला- तूने ही तो मेरे लंड को चैलेंज किया था कुतिया … तो अब तेरी गांड क्यों फट रही है?

शालू कुछ बोल नहीं पाई।

उसके बाद संजू ने शालू की गांड में लन्ड डाले हुए ही फिर से उसकी कमर में हाथ डालकर उसको सोफे पर से उठाया और पलंग पर ले जाकर घोड़ी बनाकर उसकी गांड में कस कस के रगड़े लगाने लगा।

कुछ देर भाई से गांड मरवाने के बाद बाद शालू को लगा कि ऐसी स्थिति में यदि उसकी चूत में एक और दमदार लन्ड घुस जाए और जम के रगड़ दे तो वह जल्दी ही नियाग्रा जल प्रपात की तरह झड़ जाएगी।

ऐसे में उसको रवि के दमदार लन्ड का ध्यान आया जो आज की पार्टी में उपस्थित चारों मर्दों के लौड़ों में सबसे अधिक लंबा एवं मोटा था।

उसने देखा कि रवि सपना की दोनों तरफ से बजाने में लगा हुआ था।
सपना भी अपने दामाद रवि का भरपूर मजा ले रही थी।

उसने रवि को आवाज़ लगाई और कहा- रवि इधर आ और पहले मेरी चूत को अपने मूसल लन्ड से कूट दे! उसके बाद फिर मेरी मां की जैसे चाहे वैसे बजाना।

सपना शालू की बात सुनकर हंस पड़ी और रवि को बोली- जा बेटा, पहले मेरी बेटी की आग बुझा!

रवि, सपना की बात मानकर उसको छोड़ शालू की ओर आगे बढ़ा तो उसका स्थान सुधीर ने लपक लिया जो बहुत देर से सपना को चोद कर पुरानी यादें ताज़ा करने के लिए, सपना के हरे भरे शरीर और अनुभवी चूत के साथ मस्ती मारने के अवसर की प्रतीक्षा में था।

उसने अपने अनुभवी लन्ड से, सपना के लंड के ढेरों झटके खा चुकी, अति उत्तेजित चूत को कस के रगड़ने में बिल्कुल देरी नहीं की।

सपना झड़ने के बिल्कुल करीब थी, कुछ ही मिनटों के लगातार रगड़ों ने सपना की चूत में आनन्द दायक स्पंदन उत्पन्न कर दिया।

उसके मुंह से जोर-जोर से सिसकारियों के साथ ‘सुधीर … सुधीर …’ निकला।
वह अपने अकड़े हुए शरीर को ढीला छोड़ते हुए आनन्द सागर में डूब गई।

सुधीर भी अपनी वीर्य पिचकारी को खाली करके सपना के गदराये हुए बदन पर निढाल पड़ा लंबी-लंबी सांसें ले रहा था।

इधर संजू शालू की चूत में मच रही खलबली को ध्यान में रखते हुए चित्त लेट गया.

रवि आया और अपने फुंफकारते हुए लौड़े को शालू की चूत में घुसेड़ दिया।

उसके बाद हर धक्के में रवि का लन्ड शालू की गांड में घुसे हुए, संजू के लन्ड को सहलाता हुआ शालू की चूत की नाव को चरम सुख के किनारे की ओर धकेलने लगा।

संजू के लन्ड पर रवि के लन्ड का आवागमन संजू को ऐसा लग रहा था जैसे कि कोई उसके लन्ड को मखमल के कपड़े में लपेटकर सहला रहा हो।

संजू और रवि के दमदार लौड़ों ने शालू के पोर पोर को मस्ती से भर दिया था।
रवि के रगड़े शालू और संजू दोनों को उत्तेजना प्रदान कर रहे थे।

आखिरकार वह पल आ गया जब दोनों लौड़ों की उत्तेजना अपने शिखर पर पहुंची, दोनों के लंड की नसें फड़कने लगीं और शालू की चूत और गांड उनके गाढ़े, चमकदार वीर्य से भरने लगी।

दोनों लौड़ों और चूत के एक साथ फड़कने के कारण शालू को ऐसा लग रहा था जैसी उसकी चूत में डमरू बज रहा हो।

तीनों आनन्द के उत्कर्ष पर पहुंच कर अब अपनी सांसों को सामान्य करते हुए अपने शरीर को शिथिल होता देख रहे थे।

जब सबने जीभर के पार्टी का मजा ले लिया तो फिर से सबने एक एक सिगरेट सुलगाई और आज की मस्त पार्टी के बारे में बातें करने लगे।

उसके बाद जब सभी लोग सोच रहे थे कि अब पार्टी समाप्ति की घोषणा होगी तभी आज की सामूहिक चुदाई पार्टी की संयोजिका सोनिया ने कहा- आज हम सबने एक दूसरे के साथ बहुत मस्ती मार ली, शेखर और सुधीर तो पूरी तरह से खल्लास भी हो गए. लेकिन मैं समझती हूं, रवि और संजू के लौड़ों में अभी थोड़ा दम बाकी होगा।

वह आगे बोली- अब इस कामुक आनन्द यात्रा के आखिरी पड़ाव पर हम तीनों औरतें, इन दोनों जवान लौंडों को एक और मौका देंगी जिससे वे एक और बार स्खलन का लुत्फ उठा के अपनी वासना को पूरी तरह शांत कर सकें।

रवि और संजू के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी।

उसके बाद सोनिया, शालू और सपना तीनों पलंग के किनारे बैठ गई।

रवि और संजू एक के बाद एक अपना लंड उनको चुसवाने लगे और एक के बाद एक तीनों औरतों की लंड चूषण में निपुण जुबान का आनन्द लेने लगे।

शेखर और सुधीर तीनों औरतों के पीछे जा कर उन के मांसल मम्मों से खेलने लगे।

शनै: शनै: रवि और संजू दोनों की कमर एक ही लय में हिलने लगी।

जब रवि और संजू दोनों के लंड का क्लाइमेक्स समीप आया तो दोनों के लौड़ों से वीर्य पूरे वेग के साथ उछलता कूदता निकला।

कुछ वीर्य तो उन औरतों के खुले मुंह में निकला और बाकी उन तीनों के नग्न बदन पर बिखर कर उनको वीर्य स्नान करवाने लगा।

तीनों कामसुख प्रेमी औरतों ने आपस में होंठ से होंठ मिला कर दोनों लाड़लों का मिला जुला लन्ड रस यानि वीर्य चखा।
फिर एक दूसरे के बदन पर टपकी अमृत बूंदें भी चाट चाट के साफ कीं।

दोनों नौजवान मर्द तृप्त, मस्त और पस्त हो चुके थे।
तीनों औरतें भी अपने मनपसंद लंड, शरीर के हर छेद में ले लेकर संतृप्त थी।

आज की इस अनोखी पार्टी में एक दूसरे के अंग प्रत्यंग का भरपूर मजा लेकर सभी लोग कार्पेट पर पसर के आज के आनन्द लोक में डूब गए।

शरीर की गर्मी निकलने से अब सबको ऐसी के कारण ठंडक लगने लगी तो सब आपस में गुत्थमगुत्था हो गए और मीठी नींद निकालने लगे।

जब सब लोग एक नींद निकालकर फ्रेश हो गए और विसर्जन का समय आया तो एक बात थी जो सपना को रह रह कर परेशान कर रही थी।

उसने हिम्मत करके सोनिया से बोला- यार पता नहीं तुम को कैसा लगे, पर एक बात पूछनी थी।
सोनिया ने कहा- अरे सखी, हमारे बीच कम से कम अब तो संकोच के लिए कोई स्थान नहीं है, बेधड़क पूछ यार!

सपना ने कहा- रवि तो तुम्हारा सगा बेटा है न? फिर तुम्हारे बीच में चुदाई की शुरुआत कब? और कैसे सम्भव हुई?

सोनिया सपना के प्रश्न सुनकर कुछ देर के लिए विचारमग्न हो गई फिर उसने जैसे कुछ निश्चय किया और थोड़ी ऊंची आवाज में कहा- सब लोग ध्यान से सुनो, मैं आज एक रहस्य पर से पर्दा उठाने वाली हूं।

सब लोग सोनिया की ओर देखने लगे।

सोनिया ने कहना शुरू किया- मैं … रवि की … सगी … मम्मी.. नहीं हूं।

शालू, संजू, सपना और शेखर इस रहस्योद्घाटन से चौंक पड़े।

इसके आगे सुधीर ने बोलना शुरू किया- मैं भी … रवि का … पिता नहीं हूं।

चारों भौंचक्के से रवि और उसके परिवार को देख रहे थे।

इसके आगे सुधीर ने कहा- वास्तव में सोनिया किसी समय एक हाईली पेड कॉल गर्ल थी। मैं अक्सर इसको चोदने जाता रहता था, नई नई चूत को चोदने के शौक के कारण मैंने शादी नहीं की थी।

अब इस सस्पेंस थ्रिलर का सिरा सोनिया ने पकड़ा, उसने कहा- रवि के मां-बाप एक एक्सीडेंट में चल बसे थे। और रवि को लड़कियों की चुदाई में कम, भाभियों, आंटियों को चोदने में ज्यादा मज़ा आता था इसलिए यह भी मेरी अनुभवी चूत के सम्मोहन में मेरे पास खिंचा चला आता था।

फिर सुधीर ने बोलना शुरू किया- एक बार हम दोनों की मुलाकात सोनिया के यहां ही हुई। रवि और मेरे बीच में उम्र का अंतर तो था लेकिन हम इस सैक्सी सोनिया के कारण मित्र बन गए। हमारा बिज़नेस एक जैसा था अतः हम दोनों ने पार्टनर बन के बिजनेस चलाने का फैसला किया। रवि का विवाह होना बाकी था, सोनिया चूंकि बहुत मस्त चुदवाती थी इसलिए हम दोनों ने सोचा कि क्यों ना सोनिया को अपने साथ में ही रख लें, इसमें तीनों का फायदा है।
सोनिया को भी दो मालदार मर्दों के साथ रहने में कोई आपत्ति नहीं थी और वह कीमती रंडी से हम दोनों की हाउसवाइफ बन गई। जबकि लोगों की नजर में वह मेरी पत्नी और रवि की मां थी।

अब सोनिया ने कहना शुरू किया- लेकिन बड़े दिलवाले मेरे इन दोनों पतियों ने मेरे नये नये लंड से चुदवाने के शौक पर कोई रोक नहीं लगाई। मैं पहले की तरह किसी से मोटी रकम लेकर तो किसी से मुफ्त में चुदवाती रही, अपनी चूत को नये नये लंड दिलवाती रही।

संजू ने आश्चर्य चकित होते हुए कहा- ओह माय गॉड, तभी मेरे से चुदवाते समय तुम कह रही थी कि यदि मैं रंडी होती तो ऐसी चुदाई के लिए दोगुनी फीस वसूल करती।

सोनिया ने हंसते हुए हामी भरी.

बाकी सब भी मुस्कुराने लगे।

अब रवि ने आगे की कहानी बताई- जब मेरी विवाह की इच्छा हुई तो मेरे बहुत आग्रह करने पर ही ये दोनों मेरे मम्मी पापा बनने के लिए सहमत हुए। जब हम दोनों यानि मैं और सुधीर, शालू को देखने गए तो पहली मुलाकात में ही सपना ने मुझे अपने मोहपाश में जकड़ के, मेरे लन्ड को खड़ा कर दिया। यह बात मैंने शालू पर ज़ाहिर भी कर दी थी।

सोनिया ने कहा- और सपना, तू जो फूलों की सेज पर अपने दामाद के साथ सुहागरात मनवा के गई थी, वह सब भी मेरी जानकारी में है।

सपना अवाक होकर सुन रही थी।

अब रवि ने पुनः बातों का सिरा पकड़ा- शालू, मुझे भी यह पता है कि तुमने रास्ते में कार रुकवा के, खुले मैदान में, चट्टान पर सुधीर से चुदाई करवाई थी।
शालू निरुत्तर थी।

अब सुधीर ने कहा- इतना ही नहीं, मैंने एक बार सपना को घर बुला के जो चोदा था, वह बात भी रवि और सोनिया दोनों को मालूम है।

शालू और सपना दोनों सकपकाए हुए सुन रहे थे, दोनों के मुंह से एक साथ निकला- तुम तीनों बहुत बड़े हरामी और मादरचोद हो!

सब हंस पड़े।

सोनिया ने कहा- और सपना, तू क्या किसी गर्म कुतिया से कम है जिसने बेटी के विवाह के पूर्व ही समधी तो समधी, दामाद को भी नहीं छोड़ा।

सपना झेंप गई, बोली- वह तो मैं रवि के लन्ड को आजमाने गई थी कि मेरी बेटी के लिए ठीक तो रहेगा? और रही बात समधी की … तो इस रिश्ते की स्वीकृति के बदले में मेरी चूत उनको धन्यवाद देने गई थी। मुझे पहले पता होता कि तुम लोग भी हम जैसे ही हो तो मुझे योजनाएं बनाने में, इतना परिश्रम नहीं करना पड़ता।

सपना की इस बात पर फिर एक ठहाका लगा।

इसके बाद फिर रवि ने एक और रहस्योद्घाटन किया- शालू, अब जरा और ध्यान से सुनना … हमारी शादी में सुधीर बाप बनने के लिए इस शर्त पर राज़ी हुआ कि सुहागरात को तुम्हारी चुदाई वह करेगा।

सब एक दूसरे को हैरत से देख रहे थे।

शालू का मुंह खुला का खुला रह गया, उसके मुंह से निकला- क्या?
रवि ने कहा- हां, इसीलिए मैंने तुम्हारी आंख पर पट्टी बांधने का उपाय काम में लिया था। उस रात तुमसे केवल बातें मैं कर रहा था और चुदाई सुधीर ने की थी।

इस पर शालू ने पूछा- फिर सुहागरात को क्या तुम्हारा लन्ड बिना चूत के प्यासा ही रहा?

रवि ने कहा- नहीं तुम्हारी चुदाई खत्म होने के बाद जब तुम को नींद आ गई तो मैं सोनिया को चोदने चला गया था और उसके बाद आकर तुम्हारे पास नंगा सो गया था। जिससे तुम्हें यह लगे कि रात को मैंने ही तुम्हारी चुदाई की थी।

शालू, संजू, शेखर और सपना, तीनों लंपटों की कहानी मंत्रमुग्ध हो कर सुन रहे थे।

हालांकि इस रहस्य के खुलने से उन चारों को अब घंटा फर्क नहीं पड़ने वाला था क्योंकि रिश्ते अपनी जगह और चूत, लंड के खेल अपनी जगह!

यह जवानी एक दूसरे से डर-डर के जीने का नाम नहीं है बल्कि
‘जियो और जीने दो, मस्ती मारो और मस्ती करने दो, आनन्द खुद भी उठाओ और दूसरों को भी लेने दो’
का नाम है।

सातों ने मस्ती में आकर आपस में एक दूसरे को अपनी बांहों में भींच लिया और कहा- हमारे बीच में ये कामुकता भरा प्रेम बना रहे। जब तक हमारे लौड़ों में दम है और चूतों में आग है, मस्ती का, आनन्द का, भोग विलास का यह सिलसिला चलता रहे।

उसके बाद सबने इस शानदार पार्टी की सफलता के लिए सोनिया को गले से लगा कर, उसके होंठों को चूम कर, उसके मम्मों को मसल कर, उसके चूतड़ों को दबा कर बधाई दी।

आज की पार्टी की उभर के आई हीरोइन सोनिया ने सबकी इस उत्तेजक प्रतिक्रिया से उत्साहित हो कर कहा- बोलो आज के आनन्द की!
सबने एक स्वर में कहा- जय!

अन्तर्वासना के रसिक पाठकों एवं मेरी कामुक लेखनी के प्रशंसको, मुझे पूरा विश्वास है कि दो परिवारों के सामूहिक सेक्स से भरी इस कहानी ने, विशेष करके इस कहानी के अंत ने आपको बहुत रोमांचित किया होगा।
अपनी प्रतिक्रिया से अवगत करावें।

मैं अपने सभी पाठकों से करबद्ध निवेदन करती हूं कि कृपया जब भी मुझे मेल करें, मेरी फ्री सेक्स इन अ फॅमिली स्टोरी में क्या पसंद आया, क्या पसंद नहीं आया, उस पर अपनी प्रतिक्रिया दें, लेकिन मेरे पास आने वाले अधिकांश मेल में केवल Hi या गुड मॉर्निंग या कैसी हो? या मिलना चाहते हैं या जी चैट पर आओ, इंस्टा का आईडी दो। इस तरह की बातें होती हैं।

मैं एक जिम्मेदार हाउसवाइफ हूं, मेरे पास इन सब का जवाब देने का समय नहीं है क्योंकि अन्तर्वासना एक तरह से मेरी रील लाइफ है, रियल नहीं। कृपया ध्यान रखें।
मेरी आईडी है
[email protected]

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