ससुराल में एक और सुहागरात ससुर जी के साथ- 4

(Father In Law Fuck Kahani)

फादर इन लॉ फक़ कहानी में मेरे ससुर मुझे सेक्स के लिए पटा रहे थे और मैं ख़ुशी से पट रही थी. असल में मैंने ही उनको दाना डाला था ताकि ससुराल में मुझे लंड की कमी ना रहे.

प्रिय पाठको,
आपने मेरी कहानी के पिछले भाग
ससुर जी को चूचियों से दूध पिलाया
में आपने पढ़ा कि
ससुर जी अब पूरा ऊपर तक हाथ से मेरी जांघों को सहलाते हुए चूची चूसने लगे। स्कर्ट के अंदर हाथ डाले जांघों को सहलाते हुए उनके हाथ पैंटी तक पहुंच गये।

यह कहानी सुनें.

अब आगे फादर इन लॉ सेक्स कहानी:

अब उन्होंने चूची चूसते हुए ही अपने दूसरे हाथ को भी स्कर्ट के अंदर डाल दिया और मेरी कमर के दोनों ओर ले जाकर पैंटी को पकड़कर उसे नीचे खिसकाने लगे।
लेकिन मेरे टेबल पर बैठे होने की वजह से निकल नहीं पा रही थी.
जिस पर मैंने थोड़ा सा अपनी गांड को उठाकर पैंटी उतारने की जगह दे दी।

मेरे गांड उठाते सुसर जी ने एक झटके में पैंटी को खींच कर घुटनों तक कर दिया और फिर उसे खिसका कर एकदम नीचे कर दिया।
जिसके बाद मैंने खुद ही पैंटी को पैरों से बाहर कर दिया।

अब स्कर्ट के नीचे मैं पूरी नंगी थी।
वहीं ससुर जी लगातार मेरी चूचियां चूसे जा रहे थे और अब पैंटी उतारने के बाद वह स्कर्ट में हाथों को पूरा पीछे तक ले जाकर गांड को भी सहलाने लगे।

मेरी उत्तेजना की कोई सीमा नहीं थी।
मैं अपने एक हाथ से उनके सिर को पकड़े थी और दूसरे हाथ से दोनों चूचियों को उनके मुंह में बारी-बारी से डालते हुए चुसवा रही थी।

मेरे मुंह से हल्की-हल्की सिसकारियाँ निकल रही थीं।

कामुकता में मैं बड़बड़ाए जा रही थी- आआ आआआ आहह हहह … हां पापा और तेज चूसिए … आ आआ आह हहह … मेरे दूध से प्यास बुझा लीजिए पापा … आआ आआहहह!

ससुर जी चूचियों को चूसते हुए जहाँ अब तक मेरी गांड और जांघों को सहला रहे थे वहीं अब वे धीरे से अपने एक हाथ को मेरी जांघों के बीच सरकाते हुए मेरी चूत तक पहुंचना चाह रहे थे।
जिस पर मैंने अपनी जांघों को फैला कर उनके हाथों को चूत तक पहुंचने की पूरी जगह दे दी।

मेरे बैठे होने से चूत तो नीचे दबी थी तो वे उंगलियों को मेरी झांटों पर ही फेरने लगे।

कुछ देर इसी तरह चूत और गांड सहलाते हुए चूचियों को चूसने के बाद ससुर जी ने चूचियों से मुंह हटाया और हाथों को स्कर्ट के नीचे से निकालकर सीधे होकर बैठ गये।

इसके बाद वह सोफे से उतर कर मेरे सामने नीचे फर्श पर घुटनों के बल बैठ गये और अपने हाथों को मेरे दोनों जांघों पर रखकर उसे अगल-बगल फैलाने लगे।

मैं समझ गयी कि ससुर जी मेरी चूत चाटना चाह रहे हैं।

अब मैं कुछ भी रोकने और मना करने की स्थिति में बिलकुल नहीं थी।
ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी नशे में हूँ, बस करती जा रही थी।

फिर भी मैंने हिम्मत कर बस धीरे से इतना बोला- पापा, अब रहने दीजिए … कहीं पायल जग ना जाए।

ससुर जी धीरे से बोले- वह सुबह से पहले जगने वाली नहीं है बेटा! कब से इस दिन का इंतजार कर रहा था मैं। बस थोड़ी देर और रुक जाओ।
यह कहते हुए वे मेरी जांघों को फैलाने लगे.

फिर अचानक वह रुके और सोफे की तरफ इशारा करते हुए बोले- इस पर बैठ जाओ।

मैं इतनी चुदासी हो चुकी थी कि उनकी हर बात मानती जा रही थी।
वासना के नशे में हम दोनों की आंखें लाल हो रही थीं।

मैं टेबल से उठकर सामने सोफे पर बैठ गयी।
ससुर जी घुटनों के बल नीचे ही बैठे-बैठे घूम कर मेरे सामने आ गये।

फिर वे मेरी दोनों जांघों को फैलाते हुए बोले- पैर को ऊपर कर लो बेटा!

मैं समझ रही थी कि ससुर जी चूत चाटने के लिए पूरी जगह चाह रहे हैं।

मैंने सोफे पर पीछे पीठ टिका दिया और पैरों को घुटनों से मोड़कर ऊपर सोफे पर रख लिया।
मेरी स्कर्ट खिसक कर कमर पर आ गयी जिससे अब मेरी नंगी चूत ससुर जी की आंखों और मुंह के सामने थी।

ससुर जी मेरी चूत के पास जांघों पर अपने दोनों हाथ रखा और दोनों तरफ फैलाते हुए अपना मुंह जांघों के बीच लाए और चूत को चूम लिया।
मेरे शरीर में करंट सा दौड़ गया।

उसके बाद ससुर जी ने जीभ से मेरी चूत को चाटना शुरू कर दिया।
मेरे मुंह से ‘आआ आआ आह हह हहह …’ की सिसकारियां निकलने लगीं।

ससुर जी ने हाथों से चूत के फांकों को पूरा फैला दिया था और आइसक्रीम की तरह चाट रहे थे।
बीच-बीच में वे अपनी जीभ चूत में घुसेड़ कर हिलाने लग रहे थे।

मैं उत्तजेना के सातवें आसमान पर थी।

आंखें बंद किये मैं मजे से हल्का-हल्का कमर हिलाते हुए, एक हाथ से ससुर जी के सिर को पकड़े और दूसरे हाथ से खुद ही अपनी चूची को सहलाते हुए ससुर जी से चूत चटवा रही थी।
मेरी मुंह से लगातार सिसकारियां निकल रही थीं- हां अअअ आआआ आ … पापाआ आआ आआआ … आआ आआआ आहहहह!

गीली चूत को ससुर जी जीभ निकाल कर इतनी तेज-तेज चाट रहे थे कि सुड़प-सुड़प की आवाज से पूरा कमरा गूंज रहा था।

इसी तरह चूत चटवाते हुए 3-4 मिनट बीते होंगे कि अचानक मेरा चेहरा और शरीर एकदम गर्म होने लगा।
मेरी चूत का पानी निकलने वाला था।

मैंने दोनों हाथों से ससुर जी के सिर को कसकर पकड़ लिया और अपनी चूत पर दबाते हुए तेज सिसकारियां लेते हुए कमर को तेजी से हिलाने लगी।
मेरे मुंह से तेज सिसकारियां निकल रही थीं- आआ आआ … आआआ … आआआ … आआआह … हहह … हह … हहहह … पापा … पापा … पाआआआ आआआआ … .औ और रररर तेज चाटिये.. पापा पापआ आआ आआ … हाँ हांहा हहाँ आआआ आआ … पापा पापा … और तेज … आआ आआआह हहह!

सुसर जी भी समझ गये कि मैं झड़ने वाली हूँ।
इसलिए वे और भी तेजी से चूत को जीभ से चाटने लगे।

तभी अचानक मेरे मुंह से तेज सिसकारी निकली- ओओ ओओह हहह हहह … पापा पपा पापा पापा आआआ … आआ आआआ आआआह हहहहहहह!
और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया।

मैंने ससुर जी के सिर को अपनी जांघों के बीच में दबाए हाथ से कसकर पकड़ा और अपनी चूत पर दबा दिया और कमर को हल्का-हल्का झटका देते हुए चूत का पानी निकालने लगी।

मेरा शरीर एकदम अकड़ गया था।
मैं तेजी से हांफ रही थी।

वहीं ससुर जी अभी भी चूत को चाटे जा रहे थे और चूत का सारा पानी चाट कर पी गये।

मेरी सांस धौंकनी की तरह चल रही थी।

एक मिनट तक आंखें बंद किए इसी तरह ससुर जी के मुंह को चूत से दबाए पड़ी रहने के बाद मैंने आंखें खोलीं तो देखा।
ससुर जी ऊपर मेरे चेहरे को देखते हुए अभी भी चूत को धीरे-धीरे चाट रहे थे।

मैंने हल्का सा मुस्कुराते हुए उनके सिर पर से हाथ हटाया और जांघों को फैलाते हुए सीधी बैठने की कोशिश करने लगी।

ससुर जी भी हल्का सा मुस्कुराते हुए सीधे हुए लेकिन खड़े होके के बजाय वह उसी तरह फर्श पर घुटनों के बल ही बैठे रहे और आगे झुककर एक बार फिर मेरी चूचियों को मुंह में भरकर चूसने लगे।

एक मिनट तक इसी तरह चूचियों को चूसने के बाद ससुर जी ने चूचियों से मुंह हटाया और सीधा मेरे सामने खड़े हो गये।

खड़े होते ही लुंगी के अंदर तना हुआ लण्ड साफ पता चल रहा था जो मेरे मुंह के ठीक सामने था।

मैं जान रही थी कि अब मुंह का कमाल दिखाने की मेरी बारी है।

मैं तो कब से इस पल के इंतजार में थी कि मुझे फादर इन लॉ सेक्स का मौक़ा मिलेगा।
मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था।

तभी ससुर जी ने सामने की ओर से लुंगी को बीच से पकड़ा और उसे दोनों और फैला दिया जिससे एक झटके में उनका तना हुआ लण्ड लुंगी से बाहर निकल आया और ठीक मेरे मुंह के सामने हवा में लहराने लगा।

मैं एकटक उनके मस्त लण्ड को देख रही थी।
लण्ड पूरी तरह टाइट और खड़ा था जिससे उसका मोटा और फूला हुआ गुलाबी सुपारा आधा खुला हुआ था।
उत्तेजना में ससुर जी के लण्ड से थोड़ा-थोड़ा पानी रिस रहा था जो उनके सुपारे पर फैल गया था जिससे उनका गुलाबी सुपारा चमक रहा था।

लण्ड और वीर्य की मिश्रित खुशुबू जो सीधा मेरे नाक में घुस रही थी उससे एक बार फिर मेरे ऊपर नशा छाने लगा था।
वहीं लण्ड को देखते ही मेरे मुंह में पानी आ गया और चूत में भी कुलबुलाहट शुरू हो गयी।

ससुर जी ने एक हाथ से अपने लण्ड को पकड़ा और दूसरे हाथ को मेरे सिर पर रखा और अपने लण्ड की तरफ दबाते हुए धीरे से बोले- इसे मुंह में लेकर चूसो बेटा!

मैंने चेहरा उठाकर एक बार ससुर जी की तरफ देखा और फिर दोबारा लण्ड को देखने लगी।
उसके बाद बिना देर किये मैंने लण्ड को एक हाथ से पकड़ा और उसकी चमड़ी को पूरा पीछे की तरफ खींचकर थोड़ा आगे झुकी और सुपारे को मुँह में भरकर चूसने लगी।

लण्ड से थोड़ा-थोड़ा निकल रहे पानी के नमकीन टेस्ट ने मेरे वासना के नशे को और बढ़ा दिया था।
मैं मुंह को आगे पीछे कर उनके लण्ड को चूसने लगी।

वहीं ससुर जी ने अपने दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़ लिया और हल्का-हल्का अपनी कमर हिलाते हुए अपना लण्ड चुसवाने लगे।
उत्तेजना में उनके मुंह से सिसकारियां भी निकल रही थीं- आआ आआआह हह हहहह … हाँ आआ आआआ आआ … .. बेटा आआआ आआ … चूसो … और तेज चूसो बेटा … आआआ आआआह हहह!

लण्ड चुसवाते हुए ही ससुर जी अचानक मेरे सिर से अपना हाथ हटाया और अपनी लुंगी पकड़ कर पूरी खोल दी और उसे बेड पर रख दिया।

अब ससुर जी के शरीर पर सिर्फ बनियान थी, बाकी नीचे पूरी तरह वह नंगे थे।

वे दोबारा दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़कर कमर हिलाते हुए लण्ड चुसवाने लगे।

मेरी चूत चाटने और उसके बाद अपना लण्ड चुसवाने से ससुर जी उत्तेजना के चरम पर थे।

उन्होंने अपनी आंखें बंद कर ली थीं और मेरे सिर को पकड़ कर तेजी से अपनी कमर हिलाते हुए लण्ड चुसवा रहे थे।
उनकी उत्तेजना देखकर मैं समझ गयी कि वे ज्यादा देर तक बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे और जल्दी ही झड़ जाएंगे।

और फिर वही हुआ।
मुश्किल से एक मिनट भी नहीं हुआ होगा कि उनका शरीर हल्का-हल्का कांपने लगा और और वे मेरे सिर को पकड़ कर तेजी से कमर हिलाते हुए लण्ड को मेरे मुंह में आगे पीछे करने लगे.

तब वे कांपती आवाज में बोले- आआआ हह हहहह … बेटाआआआ … पानी निकलने वाला है … मुंह से निकालना है … चूसती रहो बेटा!

फिर उनके मुंह से एक तेज सिसकारी निकली- आ आआ आआआ आआह हहह हहह हह हहहह!
और उनके लण्ड से पिचकारी की तरह वीर्य की एक धार निकली जो सीधा मेरे गले में उतरती चली गयी।

ससुर जी का शरीर एकदम अकड़ गया और कमर को पांच-छह तेज झटके देते हुए वह लण्ड का सारा पानी मेरे मुंह में निकालने लगे।
उनके लण्ड से इतना वीर्य निकला कि से मेरा मुंह तो भर ही गया वहीं होंठ के अगल-बगल से निकल कर मेरे गले पर बहने लगा।

ससुर जी खड़े-खड़े हाम्फ रहे थे और उनके पैर अभी भी कांप रहे थे।
मैं अभी भी उनका लण्ड मुंह में लिए वीर्य का एक-एक बूंद चूस रही थी।

करीब एक मिनट तक इसी तरह चूसते हुए लण्ड को साफ करने के बाद मैं जैसे ही लण्ड को मुंह से निकालकर जैसे ही सीधी हुई, ससुर जी मेरे बगल ही सोफे पर धप्प से बैठ गये।

उनकी आंखें अभी भी बंद थीं और वे अपनी सांस को काबू में करने की कोशिश कर रहे थे।

मैंने अपनी टीशर्ट से अपने गले और मुंह पर लगे वीर्य को साफ किया।

ससुर जी कमर से नीचे पूरी तरह नंगे थे।
उनका लण्ड ढीला होकर उनकी जांघ पर लुढ़का हुआ था।

मैं सोफे से उठकर खड़ी हो गयी।

ससुर जी ने आंखें खोलकर मुझे देखा।
उन्हें लगा कि मैं शायद जाने के लिए खड़ी हुई हूँ।

अभी वे कुछ कहते … इससे पहले ही मैं घूमकर उनके सामने आ गयी और उनके सामने फर्श पर घुटनों के बल बैठ गयी।

मेरा टीशर्ट अभी भी कंधे तक खिसका हुआ था जिससे मेरी नंगी चूचियां ससुर जी के घुटनों से टकराने लगीं।

मैंने सोच लिया था कि जब हम दोनों के बीच खेल शुरू ही हो गया है तो फिर आज ही सब कुछ कर लिया जाए।
प्रिय पाठको, मेरी इस फादर इन लॉ सेक्स कहानी पर आप अपनी राय मुझे मेल और कमेंट्स में बताएं.
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फादर इन लॉ सेक्स कहानी का अगला भाग: ससुराल में एक और सुहागरात ससुर जी के साथ- 5

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