प्यासी बुआ की कामवासना- 1
देसी औरत गरम कहानी में पढ़ें कि मैं बुआ के घर रह रहा था तो बुआ से दोस्ती सी हो गयी. मुझे पता लगा कि फूफाजी बुआ को नहीं चोदते तो बुआ प्यासी रह गयी.
दोस्तो, मैं समीर
मेरी पिछली कहानी
दोस्त की स्कूल टीचर बीवी की मस्त चुदाई
अब एक बार फिर से उपस्थित हूँ अपनी एक नई सेक्स कहानी लेकर!
जो कहानियों मेरी नहीं हैं, उनमें मैं पहले ही लिख देता हूँ कि ये मेरी कहानी नहीं है.
इस देसी औरत गरम कहानी में मैं बताऊंगा कि फूफा जी से सेक्स में संतुष्टि ना मिलने के कारण मैंने अपनी सगी और प्यासी बुआ को कैसे चोदा … उनकी कामवासना की आग को कैसे तृप्त किया.
दोस्तो, यह कहानी शुरू होती है तब से, जब मैं दिल्ली से घर लौटा था.
दिल्ली में मैंने फिजा के साथ लगभग तीन साल तक सेक्स किया या यूँ कहें कि हम दोनों लिव इन रिलेशन में रहे.
मैंने दिल्ली से एक कोर्स किया, जिसकी ट्रेनिंग मैं नहीं ले पाया था.
घर वालों को मेरी शादी की बहुत फिक्र हो चली थी.
हालांकि मैं फिजा के साथ खुश था.
घर वालों के बहुत फोर्स करने पर मैं घर वापिस आ गया.
घर वाले मेरे लिए लड़की ढूंढ रहे थे मगर मुझे टेंशन ये थी कि मेरा कोर्स बेकार जा रहा था.
मैंने घर वालों को बोला कि मेरी ट्रेनिंग पूरी करना बहुत ज़रूरी है वरना मेरा कोर्स बेकार चला जाएगा.
मुझे ट्रेनिंग का सर्टिफिकेट जमा करना था, तब ही मुझे कोर्स के पेपर मिलते.
मगर समस्या यह थी कि मेरे शहर में ट्रेनिंग लेने की कोई जगह नहीं थी.
घर वालों ने कई जगह पता किया तो पता चला कि पास के एक शहर में ऐसी जगह है … जहां ट्रेनिंग मिल जाएगी.
मगर वो शहर मेरे शहर से इतना दूर था कि मैं हर रोज अप-डाउन नहीं कर सकता था.
पिता जी ने इसका भी जुगाड़ निकाल लिया.
उस शहर के पास ही मेरी सगी बुआ का घर था.
तो तय हुआ कि मैं वहां रहकर छह महीने की ट्रेनिंग पूरी करूँगा.
मम्मी पापा के कहने पर मैं अपनी बुआ के घर रहने आ गया.
बुआ को कोई औलाद नहीं थी.
उनके घर पर फूफा जी और उनके ससुर ही रहा करते थे.
बुआ की सास को मरे बहुत दिन हो चले थे.
जब मैं वहां पहुंचा तो बुआ बहुत खुश हुईं.
उस समय ना तो उनके … और ना ही मेरे दिल में कोई बात थी.
उन्होंने मुझे गले लगाया, घर की कुशल मंगल पूछी.
मैंने सबसे मिल कर बात की, सबको मेरा आना अच्छा लगा.
उनके ससुर को सब लोग भाई जी कहा करते थे तो मैंने भी उन्हें भाई जी कह कर बुलाना शुरू कर दिया.
बुआ और फूफा जी बरामदे में सोते थे जबकि भाई जी बाहर वाली बैठक में!
सर्दी के दिन चल रहे थे.
बुआ ने मेरा बिस्तर, एक रजाई के साथ अपने साथ वाले पलंग के पास बरामदे में लगा दिया.
बरामदे में तीन चारपाई लगी थीं.
सबसे पहली पर फूफा, बीच वाली पर बुआ और एक पर मैं!
हमने देर रात तक बातें की.
हमारी बातों की आवाज़ भाई जी तक जा रही थी.
वे भी अकेले थे.
कुछ दिन तो ऐसे ही चला.
मगर मैंने नोटिस किया कि फूफा का सेक्स में कोई रूचि दिखाई नहीं दी.
खैर … मैंने सोचा उनकी मर्जी, मैं क्या करूँ?
एक दिन हम तीनों रात में बातें कर रहे थे और किसी बात पर हंस रहे थे.
तभी भाई जी ने आवाज़ दी- क्या बातें कर रहे हो? हमारे साथ भी बात कर लिया करो.
फूफा जी समझ गए कि अकेले होने के कारण वे कह रहे हैं.
तो उन्होंने बुआ से बोला- तुम और समीर, भाई जी के कमरे में चारपाई डाल लो. भाई जी का भी दिल समीर की बातों में लग जाएगा.
बुआ ने फूफा की आज्ञा का पालन करते हुए चारपाई भाई जी के कमरे में बिछा दी.
मगर उनके पास वाली जगह में बस दो ही चारपाई आ सकती थीं.
फूफा जी बोले- तुम दोनों एक ही चारपाई पर सो जाना.
अब हम दोनों भाई जी के बगल में आ गए.
भाई जी थोड़ा खड़ूस टाइप के आदमी थे; बहुत जल्दी गुस्सा कर जाते थे इसलिए हमारी उनके सामने बोलने की हिम्मत ही नहीं हुई.
हम थोड़ी देर बात करके सो गए.
बुआ जी ने बड़े गले का ब्लाउज पहना था और मैं लोवर टी-शर्ट में था.
मैं दिल्ली से लिव इन रिलेशन में रहकर आया था तो मेरी आदत वैसी ही हो गई थी कि जैसे मैं फिजा के साथ ही सो रहा हूँ.
रात में नींद में पता नहीं कैसे मेरा हाथ उनके ब्लाउज में चला गया और मैंने हल्के हल्के से बुआ के दूध दबाना शुरू कर दिए.
मुझे जब कुछ अहसास हुआ, तब तक मैं बुआ के दूध प्यार से मसल चुका था.
बुआ ने मेरा हाथ पकड़ कर ब्लाउज से बाहर निकाला और मेरे हाथ पर दो तीन मुक्के मारे.
मेरी तो गांड फट कर हाथ में आ गई.
बुआ ने हल्के से मेरे कान में कहा- शर्म नहीं आती तुम्हें!
मगर डर के मारे मेरे मुँह से कुछ नहीं निकला.
मुझे डर था कि पता नहीं अब क्या हो?
सुबह को नाश्ता करके मैं बुआ से बिना नज़र मिलाये ट्रेनिंग पर चला गया.
ट्रेनिंग पर मैं सोचता रहा कि कैसे वापस जाऊं?
घर भी नहीं जा सकता था कि घर क्या बोलूंगा?
ट्रेनिंग का टाइम पूरा हुआ, मैं फटी गांड लेकर शाम को बुआ के घर वापस आया.
मुझे बड़ा डर लग रहा था कि कोई बवाल ना हो जाए.
घर पर सब नार्मल था.
मैंने भाई जी और फूफा के साथ खाना खाया.
बुआ ने बिस्तर बरामदे में ही लगा दिया.
खाना खाकर बुआ मेरे ही पलंग पर बैठ कर बातें करती रहीं.
मेरी गांड फिर भी फट रही थी.
बातें करते करते फूफा जी सो गए और उन्होंने खर्राटे मारना शुरू कर दिए.
जब बुआ को विश्वास हो गया कि फूफा जी सो गए हैं तो बुआ ने कहा- कल रात तुम क्या कर रहे थे?
मेरी फिर गांड फटने लगी.
मैं डरते डरते बोला- मुझे नींद में पता नहीं चला. जो हुआ सब नींद में हुआ.
मैंने कसम खाकर बोला- मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था.
बुआ ने मेरी बात का विश्वास कर लिया और मामला शांत हो गया.
मेरी भी जान में जान आई.
अब बुआ मुझसे सामान्य होकर बातें करने लगी थीं.
रविवार के दिन मैं घर पर ही था.
घर में और कोई नहीं था.
बुआ मुझसे बातें करने लगीं और बातों ही बातों में उन्होंने रोते हुए अपनी बीमारी के बारे बताया कि तुम्हारे फूफा तो ढंग से दवा दिलवाते नहीं हैं. मुझे बहुत तकलीफ होती है. मेरे शरीर में बहुत दर्द रहता है.
मैंने कहा- आप फिक्र मत कीजिए … मैं आ गया हूँ तो आपको दवा भी दिलवा दूंगा!
उन्हें चुप कराने के लिए मैंने उन्हें छोटे बच्चे की तरह गले से लगा लिया.
बुआ मेरे गले लगी हुई थीं और रो रही थीं.
मैंने अपने हाथ से उनके आंसू साफ किए और उनके सिर पर किस करते हुए चुप करा रहा था.
बुआ पता नहीं क्यूँ इतना रो रही थीं.
मैंने फिर से उनके गालों से आंसू साफ किए और गाल पर किस करते हुए कहा- बुआ आप ठीक हो जाएंगी, बेफिक्र रहिए!
उन्हें मेरा यूं किस करना शायद अच्छा लगा.
मगर वो मुझसे बोली- ऐसे किस तो प्रेमी या पति पत्नी करते हैं.
मेरे पास फिर कोई जवाब नहीं था.
मैंने बस हिम्मत करके बोला- वो तो किस कहीं और करते हैं.
वे बोलीं- कहां करते हैं?
मैंने बोला- होंठों पर!
तो वो शर्मा गईं.
उन्होंने कभी लिप किस नहीं किया था क्यूँकि फूफा जी कुछ चूतिया टाइप थे.
बाद में पता चला कि दुनिया में क्या क्या हो रहा है, उन्हें ये भी पता नहीं था. लड़के लड़कियां क्या क्या कर रहे हैं, वे इससे एकदम बेखबर थीं.
जब फूफा सो जाते, तो हम दोनों एक ही रजाई में दुनिया जहान की बातें करते.
हमारा टॉपिक खास कर सेक्स पर आधारित होता.
मैंने उनकी जिज्ञासा को देखते हुए अपने मोबाइल में ढेर सारी पोर्न मूवीज़ सेव कर ली थीं.
मैं उन्हें कम सेक्स वाली पोर्न मूवीज दिखाने लगा.
वे मुझसे मोबाइल लेकर अपना मुँह दूसरी तरफ करके पोर्न मूवीज़ देखने लगी थीं.
मैं उनकी वासना को महसूस करता रहता था.
कुछ ही दिन में बुआ की चुदास उनकी आंखों में दिखने लगी थी.
मैंने अंदाज लगा लिया था कि अगर मैं ऐसे ही इनके साथ कुछ दिन खेलता रहूं, तो बुआ कब्जे में आ सकती हैं.
मुझे लगने लगा था कि एक ना एक दिन बुआ पट ही जाएंगी.
मैं उन्हें बड़ी उम्र वाली औरतों के जवान लड़कों के साथ सेक्स के वीडियो दिखाता, वे देख कर आहें भरने लगतीं.
मैंने उन्हें किस करने के बारे में भी बताया कि कितने प्रकार के किस होते हैं और किस कैसे किया जाता है.
मैं अब उनके गालों पर जब तब चाहे किस कर देता था.
वे भी मेरे गाल पर किस कर देती थीं.
एक दिन वो मेरे गाल पर किस करने ही वाली थीं कि मैंने अपना मुँह घुमा दिया और किस मेरे लिप्स पर हो गई.
वे शर्मा गईं और बोलीं- ये गलत हुआ.
मैं बोला- अब हम दोनों दोस्त भी हैं. क्यूँकि हम हर प्रकार की बातें कर लेते हैं.
बुआ मेरी आंखों की भाषा समझने लगीं.
मैंने कहा- जब हम दोस्त हैं तो हम होंठों पर भी किस कर सकते हैं.
उन्होंने कहा- हां ये बात भी सही है.
अब हम एक दूसरे के होंठों पर किस करने लगे.
एक दिन किस करते हुए मैंने उनके बूब्स पर हाथ रख दिया तो उन्होंने हाथ हटा दिया- उधर नहीं. बस किस तक ही ठीक है.
मैंने भी कुछ नहीं किया.
उन्हें किसिंग में मज़ा आने लगा था.
मैंने एक दिन उनसे पूछा- आप फूफा के साथ सेक्स कब करती हो?
तो उनका जवाब सुनकर मुझे उन पर बहुत तरस आया.
उन्होंने बताया- तुम्हारे फूफा सेक्स में एकदम बेकार हैं. मैं आज तक संतुष्ट नहीं हो पायी हूँ. तुम्हारे फूफा अपना लंड डालते ही झड़ जाते हैं.
मैं उनके मुँह से लंड सुनकर जरा चौंका मगर चुप रहा.
वे मुझसे बोलीं- अगर तुम्हारी नज़र में कोई दवा है, तो मुझे ला दो.
मुझे दवाओं के बारे में तो पता नहीं था मगर मेडिकल स्टोर्स पर मैं एक क्रीम देखा करता था जिस पर देर तक टिकने का लिखा था.
मैंने कहा- हां ला दूँगा.
वे बहुत खुश हुईं और मेरे होंठों पर किस करने लगीं, मैंने भी साथ दिया.
मैंने क्रीम लाकर दी.
उन्होंने फूफा को क्रीम दी और कहा कि उनकी सहेली के पति देर तक सेक्स करने के लिए करते हैं. मैंने उससे यही देखने के लिए ली है.
फूफा ने उसे लगा कर सेक्स किया मगर उससे भी कुछ असर नहीं हुआ.
बुआ फिर उदास थीं.
मैंने अपने साथ सेक्स करने को बोला- मैं मदद कर देता हूँ.
इस पर उन्होंने साफ मना कर दिया.
एक दिन फूफा और भाई जी को अपने बिज़नेस के काम से बाहर जाना था, तो वो मुझे बोल कर चले गए.
मेरा दिल गार्डन गार्डन था.
मगर मेरे घर से फोन आ गया कि हम तुम्हारे लिए लड़की देखने जा रहे हैं, तो तुम आ जाओ.
मजबूरी में मुझे घर जाना पड़ा.
हम लड़की देख कर वापस आए, शाम हो गई थी.
मुझे अपनी बुआ की चूत लेने की चुल्ल मची थी.
अपने लिए लड़की देख रहा था … तब भी उसकी चूचियों में मुझे बुआ की चूचियां दिख रही थीं.
मैं आंख बंद करके उस समय भी बुआ के दूध चूस रहा था.
दोस्तो, अपनी सगी बुआ की चूत चुदाई की पूरी कहानी को मैं अगले भाग में पूरा लिखूँगा.
आपको देसी औरत गरम कहानी कैसी लग रही है, प्लीज मुझे मेल से बताएं.
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देसी औरत गरम कहानी का अगला भाग:
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