वो सात दिन फूफाजी के साथ

(Chudai ke Wo Sat Din Fufa Ji Ke Sath)

अजय कुमार 143 2016-05-07 Comments

नमस्कार मेरा नाम तारा है.. मेरी उम्र 43 साल है.. और मैं तीन बच्चों की माँ हूँ। मेरे पति रेलवे में काम करते हैं, उनकी उम्र 49 साल है। वो पिछले 3 साल से ओड़िसा में हैं।

मैं अपने जीवन काल में अब तक 4 लोगों के साथ सम्भोग कर चुकी हूँ। शादी के 3 साल के बाद ही मेरे और मेरे पति के बीच रतिक्रिया में बहुत बदलाव आ गया था। मैं उन दिनों जवान तो थी ही और मेरी कामेक्षा भी अधिक हो गई थी.. क्योंकि एक बार सम्भोग का स्वाद चख लेने के बाद चूत की चुदने की चाहत बढ़ जाती है।
मेरी हालत भी ऐसी ही हो गई।

पति की अरुचि के कारण मैंने हस्तमैथुन की आदत लगा ली। फ़िर जब मुझे मौका मिला तो मैंने दूसरों से सम्भोग कर लिया।

मैं अन्तर्वासना की नियमित पाठिका हूँ मुझे यहाँ की कहानियाँ पढ़ना बेहद पसन्द हैं। इसलिए मैंने भी अपने कहानी लिखने की सोची।
आज मैं अपने जीवन की सबसे रोमान्चक घटना बताने जा रही हूँ.. जो आज भी मुझे उत्तेजित करती है।

बात 5 साल पहले की है। मेरे पति के फूफ़ा जी की बीवी यानि बुआ जी की तबियत बहुत खराब थी और उनके घर कोई नहीं था.. तो मेरे पति ने मुझे उनके घर जाने को कहा।
मैं अपने छोटे बच्चे के साथ वहाँ चली गई, उस वक्त मेरा बेटा 15 महीने का था।

मैं बुआ जी की देखभाल में लग गई। घर में बस हम 4 लोग ही थे, मैं.. मेरा बेटा और वो दोनों।

एक दिन सुबह बुआ जी की तबियत ज्यादा ही खराब हो गई और उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। उनकी बच्चेदानी में घाव हो जाने से इन्फेक्शन बढ़ गया था।
दिन में तो मैं उनके साथ रहती.. पर शाम को वापस घर आ जाती, फूफाजी के साथ ही शाम का खाना खाते और फ़िर बातें करते और फ़िर अपने-अपने कमरे में सोने चले जाते।

एक रात मैं जब पेशाब करने बाहर गई तो मैंने फूफाजी के कमरे के दरवाजा खुला देखा और उसमें से रोशनी आती देखी।
मैंने सोचा कि शायद फूफाजी को कोई परेशानी होगी.. इसलिए अन्दर उनसे पूछने चली गई।

जब मैंने अन्दर देखा.. तो मेरे होश ही उड़ गए।
मैंने देखा कि वे अपनी आँखें बन्द किए अपने लिंग को जोर-जोर से हिला रहे हैं।

यह नजारा देखते ही मैं वापस अपने कमरे की और दौड़ पड़ी। मैं सोने की कोशिश करने लगी.. पर मुझे नींद ही नहीं आ रही थी, मेरे दिमाग में बस उनके विशाल लिंग की ही छवि आ रही थी।

मुझे भी चुदास की गर्मी महसूस होने लगी.. और मेरे हाथ खुद व खुद मेरी बुर पर चली गए।
करीब 5 मिनट ही हुए होंगे कि मैंने किसी के अन्दर आने की आहट सुनी।
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इससे पहले कि मैं कुछ कह पाती.. किसी ने मेरे ऊपर आते हुए मुझे कस कर पकड़ लिया।
मैंने चिल्लाना चाहा.. पर उन्होंने अपने हाथ से मेरी आवाज बन्द कर दी।

फिर एक आवाज आई- तारा तुम भी प्यासी हो.. और मैं भी.. क्यों न एक-दूसरे की मदद करके इस आग को शान्त कर दें।
फिर उन्होंने अपना हाथ मेरे मुँह से हटाया और मेरे ऊपर से उठ गए।
अब उन्होंने लाइट जला दी।

मेरे सामने फूफा जी खड़े थे।
मैंने कहा- यह आप क्या कह रहे हैं, मैं आपकी बेटी की तरह हूँ।
उन्होंने कहा- जरूरत इन्सान को बदल देती है, मैं जानता हूँ तुम्हरी भी यही इच्छा है।

मैंने उनको ऊंची आवाज में कमरे से जाने को कहा.. पर वो बस मुझे मनाने में लगे रहे।
करीब एक घन्टे के बाद मैंने अपनी हार मान ली।

मेरे ‘हाँ’ करते ही उन्होंने मुझे पूरी तरह नंगा कर दिया और मेरे ऊपर आ गए। फ़िर मुझे ऊपर से नीचे तक चूमना और चूसना शुरू कर दिया।
मुझे जरा भी नहीं लगा कि वो कोई 56 साल के बुजुर्ग हैं.. मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई 30-35 साल का जवान मर्द मेरे ऊपर चढ़ा हो।

करीब 10 मिनट के बाद वो थोड़ा रुके और फ़िर मुझसे कहने लगे- तारा तुम बहुत खुबसूरत हो.. तुम्हारा जिस्म एकदम फूल की तरह कोमल है।
मैं बस शर्माती हुई उनकी बातें सुन रही थी। वो बस मेरी तारीफ़ करते और चूमते रहे।
मुझे लगा कि इस बुजुर्ग से कुछ हो भी पाएगा या नहीं।

उन्होंने मेरी टाँगों को फ़ैला दिया। खुद अपने आपको वहाँ पोजीशन में कर लिया और अपने लण्ड को मेरी बुर में रगड़ते हुए मुझे चूमने लगे।
धीरे-धीरे उन्होंने मेरे मम्मों को चूसना शुरू किया। उनका एक हाथ मेरी एक चूची पर था जिसे वो जोर-जोर से मसल रहे थे और दूसरी चूची को अपने मुँह में ले कर चूस रहे थे।
मुझे अजीब सा दर्द और मजा का अहसास हो रहा था।

मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं। अब वो नीचे की तरफ़ आने लगे और अचानक उन्होंने अपना मुँह मेरी बुर से लगा दिया।
मैं उठ कर बैठने लगी.. पर उन्होंने मुझे लिटा दिया।

मैंने कहा- ये क्या कर रहे हैं?
उन्होंने कहा- तुम्हें मज़ा आएगा.. बस लेटी रहो।
उन्होंने मेरी बुर चाटना शुरू कर दिया मेरी बुर और गीली होने लगी.. मुझे काफी मज़ा आने लगा।
मैंने उनका सिर अपनी बुर की ओर खींचना शुरू कर दिया।

कुछ देर में मेरी हालत खराब होने लगी। मैंने सिस्कारते हुए कहा- मैं झड़ने वाली हूँ।
तो वो और जोर से चाटने लगे।
फ़िर मैं भलभला कर झड़ गई।

अब वो वहाँ से ऊपर आए और मुझसे बोले- तुम्हारी बुर कितना पानी निकालती है.. अब मेरे लण्ड को प्यार करो।
मैंने उनका अंडरवियर उतार दिया और अपने हाथ से उनका लौड़ा हिलाने लगी।
उनका लिंग काफी मोटा था।

कुछ देर बाद उन्होंने मुझे लिंग मुँह में लेने को कहा.. पर मैंने मना किया।
फ़िर उन्होंने जिद की.. तो मैंने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया।
कुछ देर बाद उन्होंने मुझसे कहा- अब बस करो.. चलो चुदाई करते हैं।

उन्होंने मेरी कमर के नीचे एक तकिया रखा और मेरी जाँघों को खोल दिया। मेरी बुर पर थूक लगा दिया और अपने लिंग से चूत को रगड़ने लगे।
फ़िर वे झुके और मुझे कस कर पकड़ लिया, उन्होंने मुझसे कहा- मेरे लिंग को बुर में लगा दो।

मैंने लिंग को पकड़ कर बुर के छेद पर रखा और घुसाने के लिए कहा, उन्होंने धीरे-धीरे लिंग को अन्दर घुसाने की कोशिश करना शुरू कर दी।
उनका सुपारा अन्दर घुस चुका था। मुझे अपनी बुर में खिंचाव सा महसूस होने लगा।
अचानक उन्होंने एक जोर का धक्का मारा और उनका पूरा लिंग चूत में अन्दर घुस गया।
मैं चीख पड़ी- ऊई मा..
वो बोले- बस.. हो गया.. थोड़ी देर रुको.. फ़िर चोदना चालू करूँगा।

वो मुझे चूमने लगे.. मेरे होंठों को चूसने लगे, मेरी जुबान को चूसने लगे.. मेरे मुँह से निकलते रस को पीने लगे, फ़िर मुझसे कहा- तारा क्या तुम तैयार हो.. तो मैं धक्के मारना शुरू करूँ?
मैंने कहा- हाँ..
मैंने अपनी टाँगें उठा कर उनके ऊपर रख दीं।

अब उन्होंने धक्के लगाना शुरू कर दिए। हम दोनों काफी गरम हो चुके थे और एक-दूसरे का भरपूर साथ दे रहे थे।
मैं उनके हर धक्के का जबाव अब अपनी कमर को उचका कर दे रही थी।

कुछ देर बाद उन्होंने मुझसे कहा- क्या तुम ऊपर आना चाहोगी?
मैंने कहा- ठीक है.. शायद आप थक गए हैं।

उन्होंने मुझे उनको पकड़ने को कहा और एक हाथ मेरे चूतड़ों पर रख कर मुझे अपनी ओर खींचा और कहा- बस लिंग को बाहर मत आने देना।
मैंने वैसा ही किया अपनी चूत से उनका लौड़ा निकाले बिना ही मैं उनके ऊपर आ गई।
उन्होंने मुझे चोदने को कहा और मैं धक्के लगाने लगी।

थोड़ी देर बाद वो भी नीचे से धक्के लगाने लगे।
मुझे लगा कि मैं झड़ने वाली हूँ और मैंने धक्के तेज़ कर दिए।
कुछ ही देर में मैं झड़ गई और उनके ऊपर लेट गई.. पर वो नीचे से अब भी धक्के लगाते ही रहे।

वो समझ चुके थे कि मैं झड़ चुकी हूँ.. इसलिए उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया था.. ताकि मैं अलग न हो सकूं।
तभी मैंने उनसे कहा- मुझे पेशाब लगी है।

यह सुनते ही उन्होंने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और बाथरूम की ओर चल दिए।
मैंने कहा- ये क्या कर रहे है?
उन्होंने कहा- सालों के बाद बुर में लिंग गया है.. निकालने का मन नहीं हो रहा।
उन्होंने मुझे बाथरूम में उतारा और कहा- जल्दी कर लो।

मैं उनके सामने ही बैठ गई और पेशाब करने लगी।
वे मेरे सामने ही खड़े होकर अपने लिंग को हाथ से हिलाते हुए मुझे देखते रहे।
मैं जैसे ही उठी.. वे मेरे सामने आए और मुझे दीवार से लगा दिया।

फ़िर मेरी एक पैर को उठा कर लिंग को मेरी चूत में अन्दर पेल दिया और मुझे चोदने लगे।
कुछ देर बाद उन्होंने मेरा दूसरा पैर भी उठा लिया.. अब मैं हवा में झूल रही थी।

वो जोर-जोर से धक्के मार रहे थे, उनके जिस्म से पसीना टपक रहा था.. उनकी साँसें तेज़ होती जा रही थीं।

इधर मेरी भी सिसकारियाँ तेज़ होने लगीं।
मेरे मुँह से निकलने लगा- और अन्दर और अन्दर..

वो और तेज़ गति से चोद रहे थे। उन्होंने मुझसे कहा- मेरा निकलने वाला है..
मैंने कहा- निकाल दो..

फ़िर जोरदार धक्कों के साथ उन्होंने अपना वीर्य मेरी बुर के अन्दर निकाल दिया और मैं भी झड़ गई।
करीब 5 मिनट तक हम उसी अवस्था में पड़े रहे।
फ़िर हम अलग हुए।

मैंने अपनी बुर को साफ़ किया और हम दोनों अन्दर चले गए।
कुछ आराम के बाद फूफा जी फ़िर शुरू हो गए।
उस रात हमने 3 बार चुदाई की।

सुबह हम दोनों की हालत खराब हो चुकी थी.. पूरे जिस्म में दर्द था। सुबह तो मैं ठीक से चल भी नहीं पा रही थी, मेरी जाँघों में दर्द और अकड़न सी हो गई थी।

मैं उनके यहाँ करीब 7 दिन रुकी थी और हर दिन हम दोनों ने जी भर कर चुदाई की। यहाँ तक कि जब दिन में मौका मिलता तब भी लण्ड चूत का खेल शुरू हो जाता था।

मैंने जैसा सोचा था.. इसका उल्टा हुआ था.. वे 56 साल के होने के बाद भी उनमें एक 30 साल के जवान मर्द की तरह ताकत थी।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी जरूर बताएं।
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