भांजी ने घर में नथ खुलवाई -4
(Bhanji Ne Ghar Me Nath khulwai -4)
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इस नंगी और बेहद खूबसूरत चुदासी क़यामत को देखकर मेरा हाल बदतर हुए जा रहा था, लगता था बस अब झड़ा और अब झड़ा।
मैंने दस गहरी गहरी सांसें लेकर अपनी उत्तेजना को काबू किया और रीना रानी को बिस्तर पे लिटा दिया, एक नया बड़ा सफेद तौलिया चार तह कर के उसके नितंबों के नीचे बिछाया और एक तकिया तौलिये के नीचे लगा दिया।
रीना रानी की चूत अब ऊपर को उठ गई थी। गुलाबी, गीली और कभी कभी लप लप करती हुई उस अति उत्तेजक बुर को देखकर दिमाग खराब हो गया, एक पल भी रुकना भारी हो रहा था।
रानी बहुत नर्वस हो रही थी, डर के मारे उसका सुन्दर चेहरा पीला पड़ गया था, बदन में कंपकंपी छूट रही थी।
मैंने प्यार से चूम चूम के उसका डर निकलने की कोशिश की, उसके कानों में प्यार से पता नहीं क्या क्या कहा।
जब वो कुछ संभल गई तो उसने बहुत धीमे से कहा- राजे आजा… बस ज़रा हौले हौले चोदना.. मैं बहुत छोटी हूँ, डर गई हूँ कि बहुत दर्द होगा.. बस मेरे राजे ज़रा प्यार से!
‘चिंता ना कर रानी…मैं बहुत ही आराम से चुदाई करूंगा!’
मैं बिस्तर पे चढ़ के रीना रानी की बगल में लेट गया और बड़े प्यार से उसके नाज़ुक बदन पर हाथ फेरने लगा। क्या लाजवाब शरीर था, मक्खन जैसा !
मैंने उसके पैरों से उसे चूमना चालू किया और मस्ती में चूर हुआ धीरे धीरे उसकी टांगों को चाटता हुआ उसकी चूत तक जा पहुंचा। लंड पूरे ज़ोरों पर उछल उछल कर पागल किये जा रहा था।
मैंने रीना रानी की झांटों पर जीभ फिराई, बहुत ही बारीक रेशमी रोएँ थे, चाट के मज़ा आ गया।
अब उसका डर कम हो गया था और मेरे चाटने से मज़ा पाकर वह धीमी आवाज़ में आहें भी भरने लगी थी।
झांटों को चाट चाट के तर कर दिया तो फिर मैंने बड़े प्यार से उसकी चूत के होंटों पर जीभ फिराई। रीना रानी सिहर उठी और उसके मुंह से एक सीत्कार निकली।
मैंने जीभ उस रसरसाती कुमारी बुर के अंदर कर दी। थोड़ा सा अंदर घुसते ही रीना रानी की कमसिनी का पर्दा जीभ से टकराया। रीना रानी दर्द से कराह उठी।
मैंने तुरंत जीभ पीछे की और दुबारा पर्दे से पहले के हिस्से में ही चूत चूसने लगा।
रस काफी निकल रहा था, चिकना हल्का खट्टापन लिये हुए चूतामृत मेरी मस्ती को कई गुना बढ़ाये जा रहा था।
अब और प्रतीक्षा करना कठिन था, सो मैंने उठ कर अपने को रीना रानी के ऊपर जमाया ताकि मेरे घुटने उसकी जाँघों के इर्द गिर्द आ गये और लंड सीधा चूत के ऊपर।
मैंने लंड को चूत के मुंह पर सटाया हल्के से धक्का मारा। टोपा जाकर उसकी चूत के पर्दे से टकराया और वो दर्द से चीख पड़ी। सील का पर्दा बहुत सख्त नहीं था और हलके धक्के से भी फटेगा। दर्द भी उसे थोड़ा सा तो ज़रूर होगा, परंतु कोई इलाज था ही नहीं!
मैंने एक गहरी सांस ली और धड़ाम से ज़बरदस्त धक्का पेला।
लंड झिल्ली को फाड़ता हुआ धम्म से उसके बच्चेदानी से जाके भिड़ा।
‘हाय… रे… हाय.. मैं मर गई… राजे बचा ले मुझ को…. मैं… मरी… अब ना बचूंगी… हाय… उई मां… अरे मार डाला!’ खून की धारा बह चली।
उसके गरम गरम, गाढ़े, चिपचिपे लहू ने चूत भर दी।
लंड मानो उबलते हुए तेल में घुसा हो।
काफी खून निकला जबकि झिल्ली कोई ज़्यादा सख्त नहीं थी।
रीना रानी ने मुझ को बड़े ज़ोर से जकड़ रखा था, आँसुओं की धारा उसके आँखों से बहे जा रही थी और वो हाय हाय करके कराह रही थी।
मैं लंड चूत में घुसाये बिल्कुल बिना हिले डुले पड़ा था, रानी की कुमारी चूत बेहद टाइट थी, लंड उसमें फंसा हुआ था और ऐसा लगता था कि लौड़े को मुठ्ठी में दबा कर मुट्ठी को कस लिया गया हो।
यारो, इतनी संकरी चूत को लेने का मज़ा भी बेइंतिहा आता है। और यह चूत तो एक बीस साल की नवयुवती की थी, तो इसके तो क्या कहने !
जब देखा कि रीना रानी शांत होने लगी है, तो मैंने उसे बड़े प्यार से चूमना शुरू किया। उसके होंठ चूमे, चेहरा जगह जगह पर चूमा, कान की लौ मुंह में ले के चूसी, गर्दन पर जीभ फिराई और फिर दोबारा होंठ चूसे।
इतनी चूमा चाटी से उसका डर और दर्द दोनों काम होने लगे और उसके बदन ने प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी। रीना रानी के मुंह पर एक मुस्कान सी दीखने लगी और बुर में फिर से रस बहने लगा जिससे लंड को भी मज़ा आने लगा।
काफी देर ऐसा प्यार करने के बाद मैंने बहुत धीमे धीमे धक्के मारने आरंभ किये।
पहले तो वह फिर कुछ दर्द से कराही लेकिन फिर चूत में आते हुए मज़े ने उसको सब दर्द भुला दिया।
अब वह भी चुदाई का आनन्द उठा रही थी। मैंने अपना मुंह उसकी चूचियों पर जमा दिया और एक एक करके चूसने लगा।
क्या मस्त चूचुक थे ! सम्भोग की प्यास ने उनको सख्त कर दिया था। इसलिये अब मैं चूची चूसते हुए दान्त भी गाड़ने लगा और दूसरी चूची को नींबू की भांति निचोड़ने लगा।
अब उसके मुंह से चीत्कार नहीं बल्कि सीत्कार की आवाज़ें आ रही थीं, उसके नितंब भी अपने आप ऊपर नीचे होने लगे थे।
मैंने फुसफुसा के कहा- करमजली रंडी… अब कम हो गया ना दर्द… अब हल्का हल्का मज़ा भी आ रहा है ना?
रीना रानी ने धीरे से सिर हिलाकर हाँ में जवाब दिया।
‘देख, मैंने कहा था ना मज़ा आयेगा… अभी देखे जा… कितना ज़्यादा मज़ा आने वाला है।’
मैंने पूरे ज़ोर से उसके दोनों मम्मों को दबाया, अपने अंगूठे और ऊँगलियाँ चूचुक में गड़ा दीं। फ़िर उनको सहलाया और बारी बारी से चूसने का काम चालू दिया।
मैं लगातार धक्के भी हौले हौले लगाये जा रहा था।
मैंने रीना रानी के फिर से होंठों को चूसा। इस दफा उसने भी अपनी जीभ मेरे मुंह में घुसा दी। उसका मुंह चूसते चूसते ही मैंने धक्कों की रफ़्तार थोड़ी सी तेज़ की।
चूत में खून और रस के कारण बड़ी पिच पिच हो रही थी और हर धक्के पर फच फच की आवाज़ आती।
रीना रानी ने अपने चूतड़ ऊपर नीचे हिला हिला के धक्कों में मेरा साथ देना शुरू कर दिया था, उसने अपनी टांगें मेरी जाँघों पर कस के लपेट ली थीं, उसकी चूचुक मेरी छाती में गड़े जा रहे थे लेकिन उनको मैंने जो अच्छे से निचोड़ा था इसलिये उनकी अकड़न अब घट चुकी थी।
सिर्फ निप्पल सख्ताये हुए थे क्योंकि रीना रानी पर अब चुदास पूरी तरह चढ़ चुकी थी और चुदासी लड़की के निप्पल सख्त हो ही जाते हैं, जब स्खलित होगी तो दुबारा मुलायम हो जायेंगे। यह सबसे पक्की निशानी है कि लड़की गर्म हो गई है या नहीं।
मेरे लंड की गर्मी भी अब बहुत ज़्यादा बढ़ गई थी। मैं जानता था कि इतनी देर से उत्तेजित लौड़ा अब झड़ने की राहत मांग रहा है। मैंने धक्के और भी तेज़ स्पीड से मारने शुरू किये, मैं लंड को सुपारी तक बाहर खींचता और फिर धमाक से वापस चूत में घुसा देता। एक बड़े ज़ोर से फच की आवाज़ होती और साथ ही लौड़े का टोपा चूत के आखीर में रीनारानी की बच्चेदानी में जाके ठुकता।
बुर अब दबादब रस का प्रवाह करे जा रही थी इसलिये लंड अब बड़े आराम से इतनी तंग चूत में भी अंदर बाहर हो रहा था।
रीना रानी बहुत कसमसा रही थी, उसका सुन्दर मुखड़ा कामवासना के तीव्र आवेश में लाल हो गया था, माथे पे पसीने की बूंदें छलक आईं थीं। उसके नाखून मेरी पीठ पे गड़े जा रहे थे और वह बार बार सी सी कर रही थी।
उत्तेजना से भरपूर रीना रानी अपना मुंह कभी दायें करती और कभी बायें। मैंने थोड़ा सा अपने को उठाया और एक बार फिर से उसकी मस्त चूचुक कस के मसलने कुचलने लगा।
मैंने दोनों निप्प्लों को अंगूठे और ऊँगली के बीच मे जकड के बड़े ज़ोर से उमेठा, एक गहरी हिचकी उसके मुंह से निकली और फिर उसने अपने नितंब बहुत तेज़ तेज़ ऊपर नीचे किये, चूत कई बार लपलपाई और फिर झड़ गई।
रस की एक फुहार मेरे लंड पे सब तरफ से गिरी और रीनारानी ने मुझे पूरी ताक़त से भींच डाला।
उसके बाद वो धड़ धड़ करके अनेक बार झड़ी।
मेरा लंड तो काफी देर से झड़ना चाहता था जिसे मैंने बड़ी मुश्किल से कंट्रोल किया हुआ था। मैंने उसके कंधे पकड़े और दनादन बीस पच्चीस धक्के बहुत तेज़ी से मारे… लंड बड़े ज़ोर से झड़ा… मेरा गर्म गर्म लावा बड़े बड़े थक्कों के रूप मे निकला और काफी देर तक निकलता रहा।
मुझे एसा लगा जैसे मेरी रीढ़ की हड्डी पिघल गई हो और मैं मूर्छित सा होकर रीना रानी के ऊपर ढेर हो गया।
वो भी झड़ के बेसुध सी पड़ी थी।
थोड़ी देर में जब मेरी हालत कुछ ठीक हुई तो मैंने कहा- बधाई हो रीना रानी… मेरी चुदक्कड़ कुतिया… आज तेरी नथ खुल गई… आज तेरी ज़िंदगी का एक महान दिन है… बहुत बहुत बधाई… ईश्वर करे कि तुझे जीवन भर इसी प्रकार तगड़े लंड मिलें… चल मैं कुछ मीठा लेकर आता हूँ… मेरी रानी की नथ खुली है… मीठा मुंह तो होना चाहिये न!
मैं उठकर गया और अपने बैग से बादाम कतली का डिब्बा निकाला जो मैं इसीलिए साथ लेकर आया था।
कहानी जारी रहेगी।
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