भांजी ने घर में नथ खुलवाई -3
(Bhanji Ne Ghar Me Nath khulwai -3)
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रात को खाना इत्यादि में ग्यारह बज गए तो मैंने रीना रानी को इशारा किया कि अपने रूम में जाये!
मैंने अपने साले के साथ ज़बरदस्ती 15-20 मिनट गुज़ारे और फिर मैं यह बोल कर कि नींद आ रही है गेस्ट रूम में चला गया।
मैंने फिर करीब आधा घंटा इंतज़ार किया जिससे कि सब लोग सो जाएँ। करीब 12 बजे मैं अपना बैग उठा कर धीमे से दबे पांव रीना रानी के रूम में चला गया।
दरवाज़ा भिड़ा हुआ था, मैं भीतर घुसा तो देखा एक छोटा सा टेबल लैंप बेड की साइड में जल रहा है और रीना रानी सिर तक चादर ओढ़े लेटी हुई है।
मैंने धीमी आवाज़ में कहा- रीना रानी उठ मेरी जान। ज़रा अपना यह हसीन बदन तो दिखा… बहनचोद आँखें तरस गई सारा दिन इस बदन को नंगा देखने के लिए… आज तो कमीनी सारी रात चाटूंगा तुझे!
रीना रानी फुसफुसाई- चाट चाट बहन के लौड़े.. तेरे लिए ही तो है… अब बत्ती बुझा दे मैं चादर में नंगी हूँ… शर्म आ रही है, अँधेरे में तू जो चाहे करियो!
मैंने बैग में से एक मोमबत्ती निकली और लाइटर से जला के नीचे फर्श पर दूर को रख दी, फिर मैंने टेबल लैंप को ऑफ कर दिया और एक ही झटके में रीना रानी को ढकी हुई मादरचोद चादर को खींच के दूर फेंक दिया।
‘साले कुत्ते… कहा था न मुझे शर्म आ रही है… चादर क्यों हटाई… वापिस दे मादर…’ रीना रानी ने कहा और पलट के औंधी होकर लेट गई।
मैंने उसके मदमस्त नितम्ब और जांघों के पिछले भाग पर निगाहें गड़ाकर अपनी आँखें हरी कीं।
क्या शरीर था बहन की लौड़ी का ! एकदम मलाई !!
लौड़ा अकड़ के फुन फुन करने लगा। मैंने उसकी टांगों पर आहिस्ता से हाथ फिराया और चूतड़ों को चौड़ा करके गांड… गुलाबी गुलाबी गांड… हाय मैं मर जाऊं… छोटी सी गांड के छेद पर जीभ फिराई।
रीना रानी चिहुंक उठी और चुदास में सीत्कार लेने लगी!
मैं बोला- अब बत्ती बुझ गई है.. उठ सीधी हो कुतिया और मुझे नंगा कर दे.. बहुत शर्मीली बनने की ज़रूरत नहीं है… साली लंड की प्यासी चुदक्कड़ रंडी… चल हो जा सीधी… इस कैंडल लाइट में तू एकदम सुनहरी दिख रही है कमीनी कुतिया… माँ कसम आज तेरा कचूमर निकाल के ही छोड़ूंगा… बहनचोद चार दिन चल भी न पायेगी!
रीना रानी सीधी तो हो गई लेकिन हरामज़ादी ने बांह से अपनी आँखें ढक लीं, बोली- राजे…तू एक रुमाल अपनी आँखों पर बांध ले… बहनचोद मैं तुझे नंगा कर दूंगी लेकिन मुझे बहुत शर्म आती है… पहले कभी मुझे किसी ने ऐसी दशा में नहीं देखा… प्लीज राजे… मान ले कमीने मेरी बात!
मैंने कहा- ठीक है रीना रानी, जैसा तू कहती है, मैं आँखों पर पट्टी बांध लेता हूँ।
इतना कह कर मैंने उसी के दुपट्टे को अपनी आँखों पर लपेट लिया।
रीना रानी बिस्तर से उठी और सबसे पहले मेरी टीशर्ट को उठाकर सिर से निकाल के उतार दिया। तुरंत मैंने उसे बाँहों में जकड़ लिया और उसके मुंह से अपना मुंह सटा के उसके गुलाब से होंठ चूसने लगा।
मैंने अपना मुंह नीचे कर लिया था जिससे उसका मुंह ऊपर को हो जाय और उसके मुंह का रस मेरे मुंह में आने लगा। लण्ड हुमक हुमक के अपनी मौजूदगी दिखाने लगा।
मेरे हाथ रीना रानी के मुलायम चूतड़ों को सहला रहे थे, उसने भी मस्त के अपनी जीभ मेरे मुंह में घुसा दी जिसे मैं खूब मज़े में चूसे जा रहा था।
काफी देर तक यूँ ही उसके मतवाले होंठ चूसने के बाद मैं थोड़ा पीछे को हुआ और आँखों पर बंधा दुपट्टा खोल के फेंक दिया।
अब रीना रानी को मोमबत्ती की लौ की मद्धम बलबलाती रौशनी में रानी को मैंने बड़े ध्यानपूर्वक ऊपर से नीचे तक निहारा।
लम्बा क़द, जीरो फिगर शरीर, कंधों पर लहराते हुए काले काले सुन्दर बाल, गुलाबी होठों से सजा हुआ खूबसूरत चेहरा, सुराहीदार गर्दन, ताज़े ताज़े उभरे संगतरे के आकार के चूचुक, बहुत ही दिलकश हाथ और पैर।
रंग एसा गोरा कि छू लो तो मैली हो जाये, फिगर ऐसी कि मॉडल लड़कियाँ शर्म खाएँ, बड़ी बड़ी आँखें, त्वचा बिल्कुल साफ और रेशम जैसी चिकनी… कोई मेकअप नहीं।
खैर उसे मेकअप की ज़रूरत थी भी नहीं… रीना रानी एक पतली कमसिन युवती थी जो एक आध साल पहले ही व्यस्क हुई थी। हरामज़ादी में गज़ब की कामुकता कूट कूट के भरी हुई थी। मुझे खुद को इतने ध्यान से देखता पाकर रीना रानी ने फिर शर्म से एक सुन्दर सी बांह अपनी आँखों पर ढक ली।
मैंने कहा- रानी, अब मेरे कपड़े भी तो उतार दे माँ की लोड़ी!
रीना रानी ने धीमी सी आवाज़ में कहा- राजे मुझे बहुत शर्म लग रही है… तूने आँखों की पट्टी भी खोल डाली… तू खुद ही नंगा हो जा… मेरे से नहीं होगा… सच में राजे बहनचोद… तेरे लौड़े की कसम!
फिर ज़्यादा ज़िद न करते हुए मैंने अपने सभी कपड़े उतार दिये और मादरजात नंगा रीना रानी के सामने खड़ा हो गया।
उसने शर्म के मारे अपनी नज़रें झुका लीं और दोनों बाहें क्रॉस कर के अपनी चूचियाँ छिपाने की नाकाम कोशिश करने लगी।
मैंने उसकी बाहों को परे किया और कहा- अरे रानी… ऐसे शरमायेगी तो कैसे चलेगा… अभी तो तेरा ये सुनहरा बदन मुझे चूसना है और फिर नथ खोलनी है… ले मादरचोद कमीनी राण्ड, तेरे लिये भगवान ने एक लंड भेजा है, इसे मुंह में लेकर प्यार से चूस कुतिया… हाय मेरी बन्नो… माशाअल्लाह क्या चूचुक हैं !
तेरी जैसी ये मस्त नशीली भूरे रंग की निप्पल तो पहली बार देखी है किसी लड़की में… मोमबत्ती की रोशनी में बहनचोद कैसा तमतमा रहा है ये सोने का बदन! हराम की ज़नी बदचलन कुतिया चल पहले तेरी नथ ही खोल देता हूँ… तेरा बाकी का मज़ा बाद में लूंगा… सारी रात पड़ी है तेरे बदन का स्वाद चखने के लिए!
इस नंगी और बेहद खूबसूरत चुदासी क़यामत को देखकर मेरा हाल बदतर हुए जा रहा था, लगता था बस अब झड़ा और अब झड़ा।
मैंने दस गहरी गहरी सांसें लेकर अपनी उत्तेजना को काबू किया और रीना रानी को बिस्तर पे लिटा दिया, एक नया बड़ा सफेद तौलिया चार तह कर के उसके नितंबों के नीचे बिछाया और एक तकिया तौलिये के नीचे लगा दिया।
रीना रानी की चूत अब ऊपर को उठ गई थी। गुलाबी, गीली और कभी कभी लप लप करती हुई उस अति उत्तेजक बुर को देखकर दिमाग खराब हो गया, एक पल भी रुकना भारी हो रहा था।
रानी बहुत नर्वस हो रही थी, डर के मारे उसका सुन्दर चेहरा पीला पड़ गया था, बदन में कंपकंपी छूट रही थी।
मैंने प्यार से चूम चूम के उसका डर निकलने की कोशिश की, उसके कानों में प्यार से पता नहीं क्या क्या कहा।
जब वो कुछ संभल गई तो उसने बहुत धीमे से कहा- राजे आजा… बस ज़रा हौले हौले चोदना.. मैं बहुत छोटी हूँ, डर गई हूँ कि बहुत दर्द होगा.. बस मेरे राजे ज़रा प्यार से!
कहानी जारी रहेगी।
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