भाभी की चुत चुदाई औलाद के लिए- 2

(Bhabhi Aur Devar Ki Chudai)

शरद प्रताप 2021-11-13 Comments

भाभी की और देवर की चुदाई हुई मजेदार … वो मेरे मौसेरे भाई की पत्नी थी और उन्हें बच्चा नहीं हो रहा था. उनको बच्चा क्यों नहीं हुआ और मैंने क्या किया?

दोस्तो, मैं प्रेम एक बार पुन: आपको अपनी भाभी की चुदाई की कहानी में ले जाने के लिए हाजिर हूँ.
भाभी की और देवर की चुदाई कहानी के पहले भाग
भैया चुदाई का मजा नहीं दे पाए भाभी को
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं भाभी की याद में मुठ मारकर सो गया था. मुझे शाम को भाभी ने ही जगाया और मेरे साथ मजाक करने लगीं.

अब आगे भाभी की और देवर की चुदाई:

भाभी से बात होने के बाद मैंने सर झटकाया और डाइनिंग टेबल पर आ गया.

जब भाभी ने खाना लगाया और हम दोनों खाने लगे.

भाभी- मैंने उस बारे में काफी सोचा.
मैंने जानबूझ कर पूछा- किस बारे में!

भाभी ने शर्माते हुए कहा- अरे उसी बारे में … मैं तुम्हारे भैया को धोखा तो नहीं दे सकती. अगर किसी को पता चल गया तो और भी ज्यादा दिक्कत होगी … और इज्ज़त का क्या होगा!

मैं- अगर ऐसा नहीं किया तो वैसे भी उनकी इज्जत जानी है. कोई भरोसे वाला नहीं है क्या?

मैंने ऐसा जानबूझ कर कहा, पर भाभी पहले से ही शायद सब सोच कर आई थीं.

भाभी- है तो, पर वो मानेगा क्या?
मैं थोड़ा दुःखी होते हुए बोला- कौन है वो भाग्यशाली!

भाभी- तुम.
ये सुन कर पहले तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ.

मैं- भाभी फिर से बोलना, कुछ सुनाई सा नहीं दिया?
भाभी हंस कर बोलीं- हां तुम.

मैं मन में खुशी के मारे उछल गया. अपने लिए ये सुनते ही मेरा लंड खड़ा हो गया.

मैं- सच में … भाभी मैं आपके काम में आ सकता हूँ क्या?
भाभी- हां, यहां पर तुम्हारे सिवा कोई नहीं है. वैसे भी तुम एक साल यहां पर रुकने वाले हो तो मैंने सोचा तुम ही सही हो.

मैं अपने आपको संभालते हुए धीमे से बोला- टेस्टट्यूब वाला या सादा.

भाभी ने आंख दबाई और खुल कर बोलीं- पहले तो टेस्टट्यूब का सोचा, पर तुम्हारा तम्बू देख कर मन बदल लिया.

जब भाभी ने ये कहा तो मेरा कौर हाथ में ही रह गया और मैं उनकी तरफ देखने लगा.

भाभी ने मादक अंगड़ाई ली और फिर से आंख दबा दी.

अब मैं सीधा उठा और मैंने भाभी के करीब चला गया.
भाभी मुझे अपने करीब देख कर मुस्कुरा दीं.

मैंने उनके मुँह को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी तरफ किया और उनके होंठों पर अपने होंठ रख कर जोरदार किस करने लगा.
भाभी भी मेरा साथ देने लगीं.

पांच मिनट तक हमारा किस चलता रहा.

तभी भाभी को एकाएक होश आया, वो मुझे हटा कर बोलीं- पहले खाना तो खा लो प्यारे देवर जी!
मैंने कहा- मेरा पेट तो अब बाद में भरेगा … चलिए पहले आपका पेट भर दूँ.

भाभी हंसी और बोलीं- तुम्हारे मुँह में किशमिश.
मैंने कहा- हां अब तो मेरे मुँह में तीनों किशमिश होंगी.

भाभी हंसी और बोलीं- तीनों कैसे? दो ही तो होती हैं.

मैंने समझ लिया कि भाभी अपनी चुचियों के निप्पल को किशमिश कर रही हैं.

मैंने कहा- चलो बताता हूँ कि तीसरी किशमिश किधर होती है.

भाभी को मेरी बात से एकदम से ख्याल आ गया और वो खिलखिला कर हंस पड़ीं.

मैंने कहा- आ गया समझ में?
भाभी बोलीं- बड़े बदमाश हो … मेरी नीचे वाली किशमिश तक भी पहुंच गए.

मैंने कहा- मैं बदमाश नहीं हूँ भाभी, आपका प्यारा सा देवर हूँ.
ये कह कर मैंने भाभी को गोद में उठाया और बेडरूम में ले गया.

मैंने भाभी को चूमा और बिस्तर पर पटक दिया, फिर अपनी टी-शर्ट जैसे ही उतारी.

भाभी- वाओ तुम्हारे तो सिक्स पैक्स एब्स हैं.
मैं- मेरे तो वहां भी सिक्स पैक्स एब्स हैं भाभी.

ये सुन कर वो जल्दी से उठीं और मेरा लोवर उतार कर सीधा लंड पकड़ लिया.

पहले तो कुछ समय तक भाभी लंड को देखती रहीं. फिर बोलीं- इतना बड़ा लौड़ा!
ये कह कर भाभी ने मुँह में लंड ले लिया.

यह मेरा पहला सेक्स अनुभव था तो मेरे मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं.
मेरी आंखें बंद हो गईं.

वो मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थीं. कभी पूरा का पूरा लंड मुँह में ले लेतीं, तो कभी सुपारे पर जीभ फेरने लगतीं.

मैं तो बस आंखें बंद करके आनन्द ले रहा था.

भाभी का मुँह इतना गर्म था कि मेरा लंड उनका मुख चोदन करने लगा.
मैं उनके बाल पकड़ कर आगे पीछे करने लगा.

पता ही नहीं चला कि मेरी गति कब बढ़ गई.
कुछ देर झटके देते ही मेरा वीर्य उनके मुँह में निकल गया. उनका पूरा मुँह भर गया.

भाभी ने मेरा वीर्य पी लिया और लंड चाट कर साफ कर दिया.

अब मेरा लंड मुरझा चुका था.

भाभी बोलीं- देखो तुम्हारा मुरझा गया है … फिर भी 4 इंच का है. इतना तो तुम्हारे भैया का खड़ा होकर होता था. वो भी बिल्कुल पतला सा.
मैं- भाभी, आज तो स्वर्ग की अनुभूति करवा दी आपने … वैसे ये ग़लत है कि मैं पूरा नंगा हूँ और आप अभी तक कपड़ों में हैं.

भाभी- लो तो तुम्हीं उतार लो, मैंने कहां रोका है.

वो सीधी होकर बिस्तर पर लेट गईं.

मैंने जल्दी से भाभी की शर्ट को उनके बदन से अलग कर दिया.

उन्होंने अन्दर ब्लैक कलर की ब्रा पहनी थी. ब्रा में छुपे भाभी के दोनों चूचे मानो अन्दर से बाहर आने को तरस रहे थे.

मैं चूचों को ब्रा के ऊपर से ही दबा रहा था और ब्रा को नीचे सरकाकर उन्हें एकटक देखने लगा.

बिल्कुल रसीले आमों की तरह थे. ना ही बड़े, ना ही छोटे … बिल्कुल नई नवेली दुल्हन की तरह थे जैसे आम अभी पके ना हों.

मैंने जैसे उनके नंगे चूचे दबाया तो एक अलग ही आनन्द की अनुभूति हुई.

बस फिर क्या था … मैं भूखे भेड़िए की तरह टूट पड़ा.
कभी एक दूध चूसता तो दूसरे को दबाता … कभी दूसरे को चूसता और पहले को दबाता. आगे का तो जैसे मैं भूल ही गया कि इसके आगे भी कुछ करना है.

भाभी भी बड़े प्यार से मुझे अपने दूध चुसवा रही थीं.

उनका एक हाथ मेरे सर पर जमा हुआ था और दूसरे हाथ की दो उंगलियों से भाभी मुझे अपना निप्पल पकड़ कर चुसा रही थीं.
मैं भी निप्पल को खींच खींच कर चूस रहा था.

भाभी के कंठ से मीठी आहें और कराहें निकल रही थीं- आं आंह पी लो … मेरी पूरी चूची खा लो देवर जी … आह आज पहली बार मुझे ये सुख मिल रहा है. तुम्हारे भैया ने तो कभी मेरे बूब का स्वाद लिया ही नहीं है. आह काटो मत मेरी जान चूसो आंह आह.

भाभी के दोनों दूध चूसते चूसते मेरा लंड तन कर सलामी देने लगा था और भाभी की चूचियां एकदम लाल पड़ गई थीं.
अब शायद उन्हें दर्द भी होने लगा था.

भाभी थोड़ा कराह कर बोलीं- देवर जी, इनको खाने का इरादा है क्या … दर्द हो रहा है.
मैं- भाभी, अभी तो पता नहीं कहां कहां दर्द होगा.

भाभी- क्या मैं अभी भी भाभी हूं!
मैं- सॉरी जानेमन अब से जानू … ठीक है. मगर अब तुम भी देवर न बोलो मेरी जान.

भाभी- ठीक है … मेरे राजा!
फिर भाभी की टाइट जींस को मैंने एक झटके में उतार फैंका.

उनकी पतली सी बिल्कुल सफेद दूध से भी साफ कमर पर काले रंग की पैंटी थी.
भाभी के शरीर पर एक डोरी वाली पैंटी ही बची थी.

उसको भी मैंने उंगली में फंसा कर अलग कर दिया.

जैसे ही अलग किया प्यारी सी छोटी सी गुलाबी गुलाबी चूत के दर्शन हो गए.

पहले तो मैंने चुत पर हाथ फेरा, फिर उंगली चूत के छेद पर रख कर उसे अन्दर डाल दिया.
जैसे ही उंगली अन्दर डाली, भाभी थोड़ा काम्प सी गईं.

मैं उंगली से भाभी की चूत का जायजा लेने लगा.

भाभी ने कसमसाते हुए कहा- आह मेरे राजा, तुम्हारी तो उंगली ही मेरे लिए मोटी है.
मैंने कहा- अभी सब ठीक हो जाएगा जानू … मेरी उंगली, लौड़ा सब कुछ चुत खा जाएगी. इसके बाद जब तुम्हारे खेत में मैं बीज बोऊंगा न … तो नौ महीने बाद फसल भी इसी छेद से निकलेगी.

भाभी खुश हो गईं और बोलीं- जान, यदि ऐसा हो गया तो मैं सच में तुम्हारी बड़ी आभारी होऊंगी. मैंने कल रात तुम्हारे भैया से बड़ी मुश्किल में दो बार चुदवाया था कि अब साल भर तक चुत में कुछ नहीं जा सकेगा … और उन्होंने भी मेरे अन्दर अपना रस टपकाते हुए कहा था कि भगवान ने चाहा तो इस बार तुम्हारी कोख जरूर भर जाएगी.

ये सुनकर मैंने कहा- जानू, इस बार जब तुम्हारी माहवारी कुछ संकेत दे, तो उसी समय तुम भैया को खुशखबरी दे देना कि उनकी मेहनत सफल हो गई. ताकि तुम्हारा सम्मान बना रहे और तुम मां भी बन जाओ.

भाभी बच्चे की मां बन जाने की बात सुनकर एकदम खुश हो गईं और मुझे चूमने लगीं.

मैंने किस के बाद कहा- जानू, इस बार तुमने मुँह में किशमिश वाली बात नहीं कही?
भाभी हंस दीं और बोलीं- दो किशमिश का मजा तो ले ही चुके हो, अब तीसरी का मजा भी ले लो.

मैंने ये सुनते ही उनकी टांगें खोल दीं और उनकी रस की बूंदों से चमचमाती चुत पर अपना मुँह लगा दिया.

भाभी की आंह निकल गई- आंह मर गई रे … आह मेरी जान चूस लो इस निगोड़ी को … साली बहुत खुजलाती है.

मैंने भाभी की क्लिट को अपने होंठों में दबा कर खींचने लगा और भाभी की आहें जोर से निकलने लगीं.

दो मिनट में ही भाभी की गांड ऊपर उठने लगी और उनके दोनों हाथों ने मेरे सर को अपनी चुत पर दबा लिया.

कुछ ही क्षण में भाभी का बदन ऐंठने लगा और उनकी चुत ने रोना शुरू कर दिया.
चुत रस भलभल करके रिसने लगा और भाभी ने अपने हाथों की मुट्ठियों से चादर को भींच लिया.

मैं भाभी की चुत से टपकते रस को चाटने लगा और उनकी चुत को चाट चूस कर साफ़ कर दिया.

कुछ समय के लिए हम दोनों निढाल होकर लेट गए.

मेरे अन्दर अभी भी जोश था और मैं भाभी के एक दूध में मुँह लगाए उसे चुसक रहा था.

भाभी मेरा सर सहला रही थीं- जान, आज तुमने मुझे बिना चोदे इतना मजा दे दिया … उतना तो मैं दस बार चुद कर भी नहीं ले सकती थी.
मैंने कहा- जानू अभी तो खेल शुरू हुआ है. जब मैं तुम्हें चोदूंगा तब बताना कि कैसा लगा.

इसी तरह की बातों में हमारे बीस मिनट पास हो गए थे.

अब मैं भाभी के ऊपर चढ़ गया और अपने खड़े लंड को भाभी की चुत पर रगड़ने लगा.
भाभी भी अपनी दोनों टांगें खोल कर अपनी चुत की फांकों में मेरे लंड का सुपारा घिसवा कर मजा लेने लगीं.

मैंने कुछ देर बाद भाभी से कहा- अब मैं अन्दर डाल दूँ या अभी रुकना है?
भाभी बोलीं- डाल दो ना … मेरी चुत में चींटियां रेंग रही हैं.

मैंने सुपारा चुत की फांकों में सैट किया और हल्का सा दाब दे दिया.
मेरा एक चौथाई लंड भाभी की चुत को चीर कर अन्दर घुस गया.

भाभी की चीख निकल गई- आं आंह मर गई जान … मेरी फट जाएगी … आंह धीरे करो.

मैं धीरे धीरे भाभी की चुत को भोसड़ा बनाता गया और मेरा पूरा लंड चुत में पेवस्त हो गया.

कुछ मिनट तक भाभी को बेहद दर्द हुआ, फिर चुदाई का मजा आना शुरू हो गया.

मैंने भाभी को हचक कर चोदा और बीस मिनट बाद अपना लंडरस उनकी चुत में छोड़ दिया.

उस रात भाभी ने मुझसे तीन बाद चुदाई का मजा लिया. फिर हम दोनों नंगे ही चिपक कर सो गए.

करीब दस दिन तक ताबड़तोड़ चुदाई हुई और जब माहवारी का समय निकल गया, तो भाभी बेहद खुश हो गईं.
उन्होंने भैया को फोन पर मुबारकबाद दी कि उनको बच्चा ठहर गया है.

मैं भाभी के साथ उनके पति के जैसे रहने लगा और नौ महीने बाद भाभी ने एक सुंदर सी बेटी को जन्म दिया.

दोस्तो, ये मेरी देसी भाभी सेक्स कहानी थी.
आपको भाभी की और देवर की चुदाई कैसी लगी, प्लीज़ मेल और कमेंट जरूर करें.
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top