बहन की ननद सील तोड़ी
प्रेषक : सतेंद्र भाटी
अन्तर्वासना पढ़ने वाले सभी चूत और लण्ड को मेरा सलाम। यह मेरा पहला सेक्स अनुभव है। मैं आप सबको अपना परिचय देता हूँ। मैं सतेंद्र भाटी हूँ। मेरा लण्ड 6.5 इंच का है और मोटा भी है। मैं बी.कॉम फाइनल में हूँ।
मेरी जीजी की शादी 2 साल पहले हुई है, वो पलवल हरियाणा में रहते हैं। उनकी फैमिली बड़ी है, जीजी जीजाजी, और जीजी के 2 देवर और सास-ससुर और 2 ननदें, सब एक साथ रहते हैं।
ननदों में एक गीता 27 साल की, उसकी दिल्ली शादी हो चुकी है और दूसरी कविता 18 साल की बहुत ही सुन्दर और कामुक बदन की लौंडिया है। उसे देखकर हर लड़के के लण्ड में पानी आ जाता है। ऐसा ही मेरे साथ हुआ।
तब तक मैंने चुदाई नहीं की थी लेकिन मैं सम्भोग के विषय में सब कुछ जानता था आप तो जानते ही हैं कि आजकल ब्लू-फिल्मों और कामुक पुस्तकों के माध्यम से चुदाई के बारे में जानना कोई बड़ी बात नहीं है। मेरा अभी रिज़ल्ट नहीं आया था, इसलिए मैं जीजी की ससुराल में चला गया।
मेरे जीजा जी बड़े बिजनेसमैन हैं और वे अपने व्यापारिक कार्यों के कारण अधिकतर व्यस्त रहते हैं। मेरी और कविता की खूब बनती थी।
कविता की चूत बहुत ज़्यादा बड़ी नहीं थी, लेकिन उसके मम्मे बहुत बड़े थे। वह 32 नम्बर की ब्रा पहनती थी। मैं उसे चोदना चाहता था।
ऐसा ही एक दिन आ गया कि मेरे जीजा जी एक व्यापारिक सिलसिले में सात दिन के लिए गोवा गए थे और मेरी बहन के दोनों देवर जवाहर लाल नेहरू यूनीवरसिटी में पढ़ते हैं और वे उस समय कॉलेज की तरफ से टूर पर थे। घर पर केवल मैं, मेरी बहन और कविता और बहन की सासू माँ थीं।
बहन की सासू का आँख का ऑपरेशन होना था, इसलिए वो उन्हें लेकर 3 दिन के लिए कैलाश हॉस्पिटल नॉएडा गई थीं।
इसलिए घर पर मैं और कविता ही थे। इसलिए कविता ने घर का काम जल्दी ही निपटा लिया और खाना जल्दी बना कर और ख़ाकर हम दोनों आज एक ही कमरे में लेट गए। थोड़ी देर टीवी देख कर टीवी बंद कर दिया और सो गए।
थोड़ी देर बाद मेरी आँख खुली तो कविता सोई हुई थी या नहीं ये मैं नहीं जानता, लेकिन मेरा दिल उसके साथ मस्ती करने के लिए कर रहा था। मैं उससे चिपक गया और अपना हाथ धीरे से उसके मम्मे पर रख दिया और धीरे से दबाने लगा।
उसने कुछ नहीं कहा, धीरे-धीरे मैं उससे चिपक गया और मेरा लण्ड उससे सटने लगा। लण्ड बहुत गरम हो गया था। मैंने धीरे से अपना हाथ उसकी सलवार पर टिका दिया और ऊपर से उसके चूतड़ दबाने लगा।
इतने मैं वो जाग गई। मैं एकदम से डर गया और अलग हो गया। लेकिन कविता भी मुझसे चुदने के लिए एकदम तैयार थी इसलिए उसने मुझसे कुछ नहीं कहा और बोली- आई लव यू सतेंद्र..!
तो मैं एकदम खुश हो गया और उससे पहले की तरह चिपक गया और उसे चूमने लगा। धीरे-धीरे हम दोनों ने एक दूसरे के कपड़े उतार दिए और अब कविता केवल ब्रा व पैन्टी में थी और मैं केवल अंडरवियर में था। मेरा लण्ड 6.5 लम्बा खड़ा था। मैं उसके मम्मे ज़ोर से दबाने लगा और चूसने लगा, वह भी मेरा साथ दे रही थी, वह अब मेरे लण्ड को दबा रही थी।
हम दोनों ने करीब 1 घन्टे तक चूसा चुसाई कि उसके बाद मैंने उसकी पैन्टी उतार दी। उसकी चूत पर छोटे-छोटे कम बाल थे। मेरे भी लण्ड पर बहुत बाल थे, क्यूँकि मैंने बहुत दिनों से शेव नहीं की थी, इसलिए पहले हम दोनों ने बाथरूम में जाकर एक दूसरे के बाल साफ किए और फ्रेश हो गए। उसके बाद हम बेड पर आकर लेट गए।
मैंने कविता की चूत चाटनी शुरू की, तो वो मेरा सर अपनी चूत में दबा रही थी और मज़े ले रही थी। वो अब पानी छोड़ चुकी थी। उसके बाद उसने मेरा लण्ड करीब 10 मिनट तक चूसा। मैंने उसके टाँगें चौड़ी कर दीं और दोनों टाँगों को फैला कर अपना लण्ड उसकी चूत में बाड़ दिया।
ज्योंही मेरा सुपारा उसकी बुर में घुसा.. वह चिल्ला पड़ी- ऊई माँ मैं ईईइ मर गाइिईईईई मर जाऊँगी… मुझे छोड़ दे..!
उसके लगातार चिल्लाने से मुझे लगा कि कहीं ‘खड़े लण्ड पे धोखा न हो जाए’.. सो मैंने उसका मुँह अपने होंठों से दबा दिया और एक जोरदार ठाप मारी और करीब 3 इंच लण्ड उसकी चूत में पेल दिया। उसके बाद धीरे-धीरे मैंने पूरा लण्ड उसके 6.5 लम्बा उसकी चूत में ठोक दिया और वह ‘सीई सीईईईई औ आहह हुउऊुउ’ की आवाज़ करती रही।
थोड़ी देर बाद उसे भी मज़ा आने लगा। उसकी चूत से खून फूट पड़ा था उसकी सील टूट चुकी थी। धकापेल चुदाई के बाद उसने और मैंने लगभग एक साथ पानी छोड़ा और चुदाई का पूरा मज़ा लिया।
उस रात मैंने उसको 3 बार चोदा। फिर मैं उसको दिन में भी चोद देता था और आज भी चोदता हूँ।
आपके ईमेल का मुझे इन्तजार रहेगा।
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