चुदक्कड़ परिवार में सारी चूतें चुद गई

(Bad Xx Hindi Story)

बैड Xx हिंदी स्टोरी में मेरे माँ बाप की मौत के बाद मैं दादा जी से मिला तो मुझे उनके और मेरे सारे परिवार की सभी औरतों, लड़कियों के चुदक्कड़ होने का पता चला.

दोस्तो, मेरा नाम अवी है. आपने मेरी पिछली सेक्स कहानी
चुदक्कड़ परिवार में इकलौते मर्द से सारी चूतें चुदीं
को लेकर मुझे बहुत सारे ईमेल भेजे, जिसके लिए मैं आप सभी का धन्यवाद करता हूँ.

जिन नए पाठकों ने मेरी सेक्स कहानी को नहीं पढ़ा है, मेरी उनसे गुजारिश है कि वे एक बार अवश्य ही पहले भाग को पढ़ लें ताकि सेक्स कहानी का सही मजा आए.

अभी तक आपने पढ़ा था कि कैसे मेरे मम्मी पापा मुझसे दूर गए, कैसे मैं अपने दादा से मिला और वहां मुझे चूत का भंडार मिला.
थोक में चूत मिलने पर कैसे मैंने अपने चचेरी बहन निशा को चोदा, उसके बाद भाभी की चुदाई की.

अब आगे बैड Xx हिंदी स्टोरी:

जैसे ही भाभी की चुदाई खत्म हुई, दादा जी ने कहा- अब हम सबको कपड़े पहन कर तैयार हो जाना चाहिए, वकील साहब आने वाले होंगे.
मैं एक लोवर और टी-शर्ट पहन कर तैयार हो गया.
मैंने अंडरवियर को नहीं पहना था क्योंकि मुझे अभी तीन चूत और चोदनी थी, तो मैंने सोचा कि वकील साहब के जाते ही ज्योति की चूत का भोसड़ा बनाने में लग जाऊंगा.

मैं जाकर दादा जी के पास बैठ गया.

थोड़ी देर बाद सारी रंडियां कपड़े पहनकर बाहर आने लगीं.

कहने को यह एक गांव था मगर यहां की औरतें तो अलग ही फैशन में चूर थीं.
मतलब मुंबई और यहां के कपड़ों में मुझे कोई फर्क नहीं दिखा.

मैं तो सब रंडियों को घूरता ही रह गया.
जैसे जैसे वे बाहर आती जा रही थीं, मेरी नजर बारी बारी से सबको दूर से ही चोद रही थी.

सबसे पहले बुआ बाहर आई.
उसने ऊपर एक टॉप पहना हुआ था जो कि बहुत ही ज्यादा खुले गले का था.
उस टॉप में से उसकी आधी से ज्यादा चूचियां साफ नजर आ रही थीं.
बुआ का टॉप छोटा था तो उसका पूरा पेट दिख रहा था.

नीचे उसने स्कर्ट पहनी थी जो घुटनों से चार इंच ऊपर और पेट से काफी नीचे. मतलब चूत के बस थोड़ा सा ही ऊपर.
बुआ एक बड़ी छिनाल के जैसी लग रही थी और बहन की लौड़ी वैसी ही मुस्कान देती हुई मुझे देख रही थी.

उसके बाद ज्योति बाहर आई.
उसने एक वन पीस पहना हुआ था.
उसका यह वन पीस पीछे से बिल्कुल बैकलेस था, सीधा गांड को ढकने वाला वन पीस था.
सामने से उसकी चूचियां तो मानो कभी भी बाहर आ सकती थीं.
यह वन पीस नीचे की तरफ साइड से कटा हुआ था, जिससे उसकी पूरी जांघें नंगी दिख रही थीं.

ज्योति के बाद निशा बाहर आई.
वह बहुत ही छोटे शॉर्ट्स में थी और ऊपर एक ब्रालेट टॉप पहना था.
देखने से ही साफ समझ आ रहा था कि उसका यह टॉप उसके नाप से एक नंबर छोटा था क्योंकि उसकी चूचियां बहुत कसी हुई दिख रही थीं.

निशा के बाद मेरी प्यारी मालती रांड आई.
जैसा कि मैंने उसका नाम लिया, वह बिल्कुल वैसी ही माल थी.
उसने भी रंडियों के जैसे कपड़े पहने हुए थे.
साली इतना गहरा मेकअप पोती हुई थी, जैसे रंडी अपने किसी कस्टमर को लुभाने आई हो.
उसकी स्कर्ट का साइज मुश्किल से पांच इंच का रहा होगा.
ऊपर उसने एक क्रॉप टॉप पहना था जिसमें उसकी गेंदों जैसी चूचियां नीचे से साफ दिख रही थीं.

उसके बाद सबसे आखिरी में अंजु रांड मेरी चाची बाहर आई.
बहन की लवड़ी एक लो-वेस्ट जींस और क्रॉप टॉप पहनी हुई थी.
उसकी चूचियां ऊपर से आधी झलक रही थीं और नीचे से आधी कमर दिख रही थी.

इस बैड Xx हिंदी स्टोरी की सारी रंडियां एक एक करके आती गईं और सोफे पर बैठती गईं.

उनको एक लाइन से बैठी देख कर मुझे एक रंडीखाने की फीलिंग आ रही थी कि ये सारी रंडियां अपने ग्राहक के लिए बाहर आई हैं.

जैसे ही ग्राहक इनमें से किसी को छाँट लेगा, वह रंडी उस ग्राहक के साथ चुदने के लिए चली जाएगी.

मैंने दादा जी से पूछा- चाचा की शादी भईया के बाद क्यों हुई? चाचा भईया से छोटे थे क्या?
दादा जी बोले- मेरी तीन शादियां हुई थीं. मैं अपने टाइम में बहुत बड़ा ठरकी था. मेरे टोटल तेरह बच्चे थे. जिनमें से छह लड़के और सात लड़कियां थीं. सबसे बड़े लड़के के बेटे की पत्नी मालती सामने बैठी है. फिर तेरे पापा थे. तेरी छह बुआएं विदेश में अपने हसबैंड के साथ हैं. वे सब मुझसे अपना नाता तोड़ चुकी हैं. बाकी दो चाचा तेरे पापा के साथ एक्सीडेंट में चल बसे और चार चाचा कोरोना में नहीं रहे.

हम बात कर ही रहे थे कि वकील अंकल आ गए.
दादा जी ने सब कुछ मेरे नाम कर दिया था जिसमें सारी लेडीज ने हामी भरी और वकील साहब ‘दो दिन में सब कुछ मेरा हो जाएगा’ कह कर चले गए.

उनके जाते ही मैं निशा के पास गया और उसका ब्रालेट और शॉर्ट्स दोनों को को ही झटके में फाड़ दिया.

निशा- जान, ये भी फाड़ दिया, अब नया तुमको ही दिलवाना पड़ेगा!

मैं बिना कुछ कहे मालती रंडी के पास गया.
वह तो जैसे नंगी होने के लिए एकदम तैयार बैठी थी.

मैंने उसके कपड़े भी फाड़ दिए जो कि नाम मात्र के थे.

फिर मैंने ज्योति को अपने पास बुलाया.
वह समझ गई और अपने सारे कपड़े खुद ही उतार कर मेरे पास नंगी होकर आ गई.
ज्योति- वह मेरा फेवरेट ड्रेस था, इसी लिए निकाल दी.

मैं बिना कहे उसके बूब्स जोर से मसलने लगा, उसे दर्द होने लगा.

तो मैं बोला- कपड़े नहीं फड़वाने की सज़ा तो मिलेगी ही!
ज्योति- सज़ा में ही असली मजा है मेरी जान!

मालती हंस कर बोली- अभी जब इसका लंड तेरी चूत फाड़ेगा, तब बताना कि कितना मजा आ रहा है!

ज्योति- मैं तो अभी तक अपने भाई से अपनी चूत फड़वाने का इंतजार ही कर रही थी, अब जाकर भाई के लंड से चुदने मौका मिला है.

यह सुनकर मैंने उसकी चूत में दो उंगलियां घुसा दीं, जिससे वह चिल्लाने लगी- उई मां … मर गई … इस बहनचोद ने तो बिना लंड डाले ही मेरी चूत फाड़ दी … आह बड़ा ही जलिम है ये!
मैं- ये तो बस शुरूआत है.

मैं अपनी उंगली को जोर जोर से अन्दर बाहर करने लगा.
वह मीठी कराहों में चिल्लाने लगी.

तभी निशा आकर उसके मुँह पर बैठ गयी और अपनी चूत चटवाने लगी.
ये देख कर मैंने बिना समय गंवाए अपना लंड चूत पर लगाया और जोरदार शॉट मार कर आधा लंड अन्दर घुसा दिया.

वह रोने लगी, मगर मैंने जरा सी भी परवाह नहीं की और दूसरे झटके में अपना पूरा लंड चूत में घुसा दिया.
मुझे जैसे ही लगा कि मेरा पूरा लंड अन्दर चला गया है, मैं जोर जोर से धक्के लगाते हुए उससे चोदने लगा.

थोड़ी देर बाद उसे भी मजा आने लगा तो वह भी अपनी गांड उठा उठा कर मेरा साथ देने लगी.

फिर मैं उसे चुदाई की पोजीशन में ही उठा कर दादा जी के पास लाया और उसके मुँह को दादा जी के लंड पर झुका दिया.

उसने अगले ही पल दादा जी का लंड मुँह में भर लिया और चूसने लगी.
इधर पीछे से मैं उसकी चूत को ताबड़तोड़ चोदने लगा.

वह मस्ती में ‘ऊँह आंह’ करती हुई दादा जी के लंड के साथ उनके गोटे भी सहलाने लगी.

मैं उसकी गांड पर थप्पड़ मार रहा था, जिससे वह और ज्यादा तेज आवाज में कामुक आवाजें निकाल रही थी.

थोड़ी देर ऐसे ही चोदने के बाद मैंने उसकी गांड पर थूका और गांड के छेद को गीला कर दिया.
वह समझ गई कि अब उसकी गांड फटेगी, तो वह अपनी गांड के छेद को खींच कर खोलने लगी.

मैंने लंड चूत से निकाल कर गांड पर सैट किया और एक तेज धक्का लगाया जिससे लंड का टोपा गांड के अन्दर घुस गया.
वह दादा का लंड मुँह से निकाल कर चिल्लाने लगी- आह मर गई … आह निकाल लो … आह मेरी गांड फाड़ दी … आह!

वह चिल्लाती रही मगर मैं नहीं रुका और कुछ ही तेज धक्कों में मैंने अपना पूरा लंड उसकी गांड में पेल दिया.
लंड अन्दर घुसेड़ने के बाद मैं उसकी कमर पकड़ कर तेज़ तेज़ धक्के लगाने लगा.

अब वह और जोर जोर से चिल्लाने लगी.

दादा जी- शाबाश बेटे, तुझे देख कर अब मैं निश्चिंत हो गया हूँ कि अब मुझे इन रंडियों की चिंता नहीं है, तू सबका ध्यान रख लेगा … अब मैं आराम से मर सकता हूँ.

मैं- ऐसे नहीं बोलते दादा जी, अभी तो आपको बहुत मेहनत करनी है, इतनी सारी रंडियों को एक साथ विधवा करना ठीक नहीं है दादा जी!

यह कहते हुए मैं ज्योति की चूचियों को मींजता हुआ उसकी गांड मारने लगा.
दादा जी भी मेरी बात सुनकर मुस्कुरा दिए.

काफी देर तक ज्योति की गांड का बाजा बजाने के बाद मैंने उसकी गांड में अपना सारा माल गिरा दिया और उसके ऊपर लेट कर थोड़ा आराम करने लगा.

बुआ- कमाल कर दिया, तुमने तो इस रांड का घंटा बड़ा मस्त बजाया. बहन की लौड़ी क्या चिल्ला रही थी … साली को लौड़े का मतलब समझ में आ गया!

हम सब बुआ की बात पर हंसने लगे.

मैं- अगली बारी आपकी ही है मेरी रांड बुआ … और आपकी तो चूत और गांड दोनों खुली हुई हैं तो इसका मतलब ये नहीं की आपकी चीख नहीं निकलेगी. इस भ्रम में मत रहना. अभी तीन बज रहे हैं. ठीक चार बजे से आपकी चुदाई कपड़े फाड़ कर स्टार्ट होगी.
बुआ- जो हुक्म मेरे आका! मैं तुम्हारे लंड के इंतजार में हूँ!

मैं- और फिर आप सब मिल कर चाची को तैयार करोगी. आज उनकी सुहागरात होगी, वह भी खुले आसमान के नीचे सबके सामने … उनकी सुहागरात का सारा इंतजाम आप सब लोग मिल कर करोगी.

सब खुश हो गईं और बुआ मेरे लिए दूध लाईं जिसे पीकर मैं रेस्ट करने लगा और बाकी लोग बुआ की चुदाई का इंतजार करने लगे.

थैंक्स दोस्तो, अगली बार बताऊंगा कि कैसे बुआ की चुदाई हुई और चाची की सील टूटी.
तब तक के लिए चलता हूँ, फिर मिलेंगे.

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