सेक्स भरी कुछ पुरानी यादें-2
(Sex Bhari Kuchh Purani Yaaden- Chapter 2)
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नमस्कार दोस्तो, मैं मनु अपनी आगे की कहानी लेकर आया हूँ। कुछ लोगों को शायद मेरी कहानी पसंद नहीं आई हो, क्योंकि वो सिर्फ़ झूट और गंदे शब्द ही पसंद करते हैं। पर मैं उन लोगों का थैंक्स बोलना चाहता हूँ जिन्होंने मेरी कहानी को पसन्द किया और मुझे हौसला दिया।
तो उस दिन मैंने किस तरह अपनी बड़ी ताईजी के मम्मों को सहलाया, यह आपको मैं पिछली कहानी में बता चुका हूँ। दिन यूँ ही बीत रहे थे और मेरी सेक्स की इच्छा बढ़ती ही जा रही थी, पर कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ।
मैं रोज़ वो ही किताब बार-बार पढ़ता था।
एक दिन मैंने सोचा कि मेरी यह किताब आई कहाँ से..! हो सकता है कि अगर कोई घर में यह किताब पढ़ता होगा तो?
फिर मैंने अपने घर के सूटकेस वगैरह चेक किए, तो मैंने देखा उसमें बहुत सारी सेक्स बुक रखी हैं।
किताबों को देखकर मुझे ऐसा लगा, जैसे मुझे कोई खजाना मिल गया हो, पर सवाल अभी भी वो ही था कि घर में ये किताबें पढ़ता कौन है?
तो एक दिन मैंने देखा कि मेरे चाचा एक बुक स्टॉल पर खड़े थे और धीरे से अपनी शर्ट में कुछ छिपा रहे थे। तो मुझे पता चला कि वो खजाना चाचा का है।
मेरे चाचा की अभी शादी नहीं हुई थी।
फिर मैं रोज़ रात को वो किताबें पढ़ने लगा उसमें बहुत सारी फैमिली इन्सेस्ट कहानियाँ थीं इसलिए मेरे दिमाग में हमेशा पूरे दिन वो ही चलता रहता था।
एक दिन मैं फिर से अपने छोटी ताईजी के घर गया। वो आज चटाई के ऊपर लेटी हुई थीं, उनकी शायद तबियत ठीक नहीं थी।
मैंने पूछा- ताईजी क्या आज ब्लाउज नहीं सिल रही हो! क्या कोई ऑर्डर नहीं है?
तो वो बोलीं- आज मेरे पेट में दर्द हो रहा है, तुम कुछ दवाई बता दो ना…!
क्योंकि पूरे परिवार को मालूम था कि मैं हॉस्पिटल में काम करता हूँ।
तभी एकदम से मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया, क्यों न आज छोटी ताईजी के मम्मों को हाथ लगाया जाए।
मैंने ताईजी को बोला- सबसे पहले यह बताओ आपके दर्द कहाँ हो रहा है, मतलब पेट में या दिल में?
वो बोली- पेट में!
मैंने उनके पेट पर हाथ लगाया और पूछने लगा- यहाँ?
वो बोली- नहीं ज़रा नीचे!
मैंने थोड़ा हाथ नीचे किया, फिर से पूछा- यहाँ?
वो बोली- और नीचे!
फिर मैंने उनके चूत के बालों पर हाथ लगाया और बोला- यहाँ?
वो बोलीं- हाँ.!
फिर मैं धीरे-धीरे उनके नीचे के बालों पर हाथ फिराने लगा। मेरी इच्छा उनकी चूत में ऊँगली डालने की हो रही थी, पर जैसे ही मेरा हाथ नीचे जाता, वो हाथ पकड़ लेती थीं। बहुत कोशिश के बाद भी मैं उनकी योनि में ऊँगली नहीं डाल पाया।
उस दिन मैंने उनके साथ जो किया, उस समय उनकी अन्दर की फीलिंग क्या थी, आज तक ये मैं नहीं समझ पाया क्योंकि उन्होंने कुछ कहा नहीं और कुछ किया भी नहीं और मुझे कुछ करने भी नहीं दिया।
आप बता सकते हैं, क्या वो सब गलत था या सही?
आधे घंटे तक मैंने कोशिश की, पर मैं उनकी योनि में ऊँगली नहीं डाल पाया। फिर में नीचे आ गया।
उस दिन मैं पेशाब करने गया, तो मैं अपने हाथ से अपना लिंग आगे-पीछे करने लगा और कुछ देर बाद मेरे वीर्य निकल गया। मुझे उस दिन बहुत अच्छा लगा। वो मेरी जिंदगी का पहला हस्तमैथुन था।
फिर कुछ दिनों के बाद मेरे इम्तिहान शुरू हो गए। मैं 12वीं के इम्तिहान दे रहा था और मैंने बताया था आपको मेरी ताईजी की लड़की है, वो उस समय बीए का इम्तिहान दे रही थी और हम लोग शाम को घर की छत पर पढ़ाई करते थे।
एक दिन हमारे यहाँ एक रिलेटिव आया उनके एक छोटा बच्चा था। मेरी दीदी उस बच्चे को गोद में लेकर खिला रही थीं। मैंने भी उस बच्चे को जैसे ही उनकी गोद में से लिया, तो मेरा हाथ दीदी के मम्मे पर लगा और मुझे बड़ा अच्छा लगा।
फिर मैंने सोचा कि बार-बार मैं बच्चे को गोद में लेने का नाटक करता हूँ पर लूँगा नहीं, जिससे मुझे दीदी के मम्मे छूने को मिलेंगे। मैं वैसा ही करने लगा और उनके मम्मों को स्पर्श करने लगा।
शायद वो समझ गई थीं, उन्होंने एकदम मेरा हाथ पकड़ कर अलग कर दिया।
मैं ज़रा डर गया, पर उन्होंने कुछ कहा नहीं और मेरे रोज़ उनके मम्मे छूने का प्रोग्राम तय हो गया।
अब मैंने 12वीं क्लास का इम्तिहान पास कर लिया था और हम लोग घूमने के लिए कानपुर गए। वहाँ पर मेरी मौसी रहती हैं।
मेरी मौसी की दो बेटियाँ हैं एक मुझसे छोटी है और दूसरी मुझसे 3 साल बड़ी है।
हम लोग मौसी के घर शाम को पहुँच गए। मौसी का घर ज़्यादा बड़ा नहीं है, तो हम सब लोग एक साथ धरती पर बिस्तर लगाकर सो गए।
सुबह जब मेरी आँख खुली, तो मेरा लिंग (लंड) खड़ा था और मुझे पेशाब आ रहा था, तो मैं पेशाब करने के लिए उठा और पेशाब करने लगा और जब वापिस आया तो मैंने देखा मेरी मौसी की लड़की मेरे बिस्तर के पास लेटी थी। उसका सीना मेरी पैरों की तरफ़ था।
फिर मैं धीरे-धीरे अपने पैर के पंजों से उसके मम्मे को छूना शुरू कर दिया और दबाने लगा, वो कुछ नहीं बोल रही थी, शायद सो रही थी।
मैं आधे घंटे तक उसके मम्मे को दबाता रहा कुछ ही देर बाद सभी लोग सोकर उठने लगे और मैं भी उठ गया। फिर सब लोग फ्रेश होने लगे, घर छोटा था और बाथरूम भी एक ही था।
मेरी मौसी की लड़की सीमा कपड़े बदलने के लिए बाथरूम में जाने लगी तो मैंने कहा- नहीं.. पहले मैं जाऊँगा!
पर वो नहीं मान रही थी और झगड़ा करने लगी।
झगड़ा देखकर मेरी मौसी बोलीं- अरे सीमा, मनु को जाने दे..!
तो उसने मुझसे गुस्से में आकर बोला- ठीक है.. मैं एक काम करती हूँ, मनु तुम्हारे सामने ही कपड़े बदलती हूँ..! भागना मत…!
और उसने अपना दुपट्टा हटा दिया। उसके मम्मे सूट में एकदम कसे हुए थे और उसकी गोलाइयाँ दिखाई देने लगीं।
फिर उसने जैसे अपना कुर्ता ऊपर किया, उसकी काले रंग की शमीज दिखाई देने लगी। वो शमीज़ और ब्रा दोनों पहनती थी।
मुझे ये सब देखने में अच्छा लग रहा था, पर शर्म भी आ रही थी, इस कारण मैं वहाँ से हट गया।
फिर कुछ देर के बाद हम लोग कानपुर घूमने के लिए गए जेके टेंपल और बहुत सी जगह गए और शाम को वापिस अपने घर इटावा आ गए।
कुछ दिनों के बाद हमारे घर में एक छोटा सा फंक्शन हुआ, जिसमें मेरी पूरी फैमिली दोनों ताईजी, चाची, बुआ और मम्मी बैठी थीं और बातें कर रही थीं। मैं अपने कमरे में बैठ कर पढ़ाई कर रहा था क्योंकि अगले दिन मेरा इम्तिहान था।
तभी अचानक से दो महिलायें आईं और मेरी ताईजी से बोलीं- क्या मेरे ब्लाउज तैयार हैं?
ताईजी ने कहा- हाँ!
फिर उन महिलाओं ने अपने ब्लाउज ले लिए।
तभी ताईजी बोलीं- अगर आप पहन कर देखना चाहें, तो देख सकती हैं।
मुझे उन सब लोगों की बातों की आवाज़ सुनाई दे रही थी, वो पहन कर देखने लगी।
तभी मैंने सुना उनमें से एक महिला बोली- एक ब्लाउज तो ठीक है, पर निप्पल में थोड़ा टाइट हो रहा है, इसकी कटोरी थोड़ी ढीली करो..!
तभी मेरी ताईजी बोलीं- लगता है तुम्हारे निप्पल का साइज़ बड़ा है, पर कैसे?
वो महिला बोली- क्या बताऊँ.. ये तो तुम भी जानती होगी..!
तो ताईजी बोलीं- मेरे तो छोटे हैं…!
तभी बुआ बोलीं- कुछ लोगों के होते हैं..!
ताईजी बोलीं- कैसे?
तो महिला बोली- आपके निप्पल क्या चवन्नी जैसे हैं?
ताईजी बोलीं- हाँ!
तो वो बोली- बड़े करो!
ताईजी बोलीं- अब बड़े नहीं हो सकते हैं, क्योंकि इनका रोल ख़त्म हो गया है। बच्चे भी हो गए हैं और मेरे पति को भी इनमें इंटरेस्ट नहीं है!
तो वो महिला बोली- मेरे परि तो आज भी इनके दीवाने हैं..! रोज़ रात को आधे घंटे तक निप्पल ही चूसते हैं.. कभी-कभी तो चूसते-चूसते ही उनका निकल जाता है!
फिर बुआ बोलीं- फिर तुम क्या करती हो?
वो- कुछ नहीं बस सो जाते हैं!
ये सब बातें सुनकर मेरा मूड पढ़ाई में नहीं लग रहा था और अच्छा भी लग रहा था, पर जैसे ही मैंने अपने अगले दिन इम्तिहान के बारे में सोचा तो डर गया क्योंकि मैं फेल नहीं होना चाहता था।
मैंने मम्मी को आवाज़ लगाई- मुझे पढ़ना है!
तो मम्मी ने सब लोगों को जल्दी से खाना खिला कर घर जाने को बोल दिया और सब लोग चले गए। मैं अगले दिन इम्तिहान देने गया और कुछ महीने बाद रिज़ल्ट आया तो पास हो गया और मैं पढ़ने के लिए अकेला ही कानपुर गया।
वहाँ मेरे साथ क्या-क्या हुआ, वो मैं अगले भाग में बताऊँगा। कैसे मैंने अपनी मकान-मालकिन, गर्ल-फ्रेण्ड और मम्मी के मम्मे को सहलाया। आप अपनी राय ज़रूर लिखिए जिससे मुझे हौसला मिलेगा।
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