ससुराल में चुदाई की कामुक दास्ताँ- 13
(Ass Hole Sex Story)
ऐस होल सेक्स स्टोरी में मेरे भाई ने मेरी गांड मारी तो मेरे ससुर जी को भी मेरी गांड मारने की इच्छा हुई. उनको खुश करने के लिए मैंने अपनी लेगिंग नीचे सरका के अपनी गांड उनके सामने पेश कर दी.
कहानी के पिछले भाग
छोटे भाई ने बहन की गांड मारी
में आपने पढ़ा कि पहले मेरे छोटे भी ने बाथरूम में मेरी गांड मारी, फिर मेरे ससुर ने मेरी चूत चोदी.
यह कहानी सुनें.
अब आगे ऐस होल सेक्स स्टोरी:
तभी सोनू हंसते हुए बोला- घर भी चलना है या ऐसे ही चिपकी पड़ी रहोगी पापा जी के साथ?
मैं आंखें खोली और सीधी होती हुई मुस्कुराते हुए सोनू से गीजर ऑन करने के लिए बोला।
सोनू ने गीजर ऑन कर दिया।
फिर मैं बाथटब का किनारा पकड़कर धीरे से खड़ी हुई.
जैसे ही मेरी चूत से ससुर जी लंड निकला तो उनका गाढ़ा वीर्य चूत से निकल कर मेरी जांघों पर बहने लगा।
मैं झुककर देखने लगी।
ससुर जी भी देख रहे थे।
मैं अभी भी पैर अगल-बगल किये उनके मुंह के सामने ही खड़ी थी।
तभी सोनू मजा लेते हुए बोला- अरे पापा जी, आपका और दीदी का मिक्स जूस है टेस्ट करके देखिए। मेरा जूस तो दीदी के पिछवाड़े में गया है।
सोनू की बात पर हम तीनों जोर से हंस दिये।
अभी ससुर जी कुछ बोलते, तभी मैंने भी हंसकर मजा लेते हुए कहा- क्यों पापा जी, टेस्ट करना हो तो बताइये?
मेरी बात पर ससुर जी हंसते हुए बोले- लाओ फिर टेस्ट कर ही लेता हूँ।
मुझे उम्मीद नहीं थी कि ससुर जी सच में तैयार हो जाएंगे।
मैं हंसते हुए बोली- वाह सच में टेस्ट करेंगे क्या? चलिए फिर करिए टेस्ट!
यह कहकर मैंने अपने एक पैर को उठाकर बाथटब के ऊपर रख दिया और एक हाथ की उंगलियों से चूत के दोनों फांकों को फैलाकर ससुर जी के मुंह के ठीक सामने कर दिया।
मेरी चूत से गाढ़ा-गाढ़ा पानी अभी भी रिस रहा था।
ससुर जी सीधे होकर बैठे और अपने दोनों हाथों से मेरी गांड को पकड़कर जीभ निकालकर सीधा चूत पर रखकर चाटने लगे।
15-20 सेकेण्ड तक चाटकर मेरे चूत की जीभ से सफाई करने के बाद मुंह हटाते हुए हंसकर बोले- लो चूत की सफाई भी कर दी और टेस्ट भी कर लिया, अब खुश?
जिस पर हम तीनों हंसने लगे।
फिर मैं बाथटब से बाहर निकली और सीधा शॉवर खोलकर उसके नीचे खड़ी हो गयी।
गीजर के हल्के गुनगुने पानी से नहाने के बाद शरीर एकदम फ्रेश लग रहा था।
मेरे बाद ससुर जी और सोनू भी गुनगुने पानी से नहाए।
फिर हम तीनों साथ ही बाथरूम से बाहर निकले।
सोनू का बैग मेरे रूम में ही था.
तो मैं और सोनू अपने कमरे में ही रहे और ससुर जी अपने कमरे में कपड़े पहनने चले गये।
तौलिये से शरीर सुखाकर मैं रास्ते के हिसाब से लेगिंग और कुर्ती पहनने लगी।
ब्रा पहनने के बाद मैंने कुर्ती पहन ली लेकिन जैसे ही पैंटी पहनने लगी तो सोनू बोला- अरे दीदी, पैंटी रहने दो ना … सिर्फ लेगिंग पहन लो. कौन सा कोई लेगिंग उतार कर कोई देख रहा है कि नीचे पैंटी पहनी है यानहीं।
मैं हंसते हुए बोली- अच्छा, मतलब रास्ते में भी कुछ करने का इरादा है क्या?
सोनू हंसकर बोला- देखेंगे. अब तीन-साढ़े तीन घंटे के सफर में बोर होने से तो अच्छा है कि कुछ मजा कर लेंगे।
इस पर मैं भी हंसने लगी।
फिर मैंने बिना पैंटी के लेगिंग पहन लिया।
वहीं सोनू ने लोअर और टीशर्ट फिर से पहन ली।
कपड़े पहनने के बाद हम और सोनू कमरे से बाहर निकले तो आंगन में देखा कि बारिश तेज हो रही थी।
जैसे ही हम ड्राइंग रूम में घुसे तो देखा कि ससुर जी भी कपड़े बदल कर टीशर्ट और लोअर पहने थे और खिड़की से बाहर देख रहे थे।
हमारे कमरे में घुसते ही ससुर जी बोले- बाहर का नज़ारा देखा है?
हम दोनों साथ बोले- क्या हुआ?
ससुर जी बाहर का दरवाजा खोलते हुए बोले- बहुत तेज आंधी आयी थी, बारिश तो अभी भी हो रही है। हम लोगों को अंदर पता ही नहीं चला!
जैसे ही हम तीनों बाहर आये, बाहर का नज़ारा देखकर सन्न रह गये।
दरअसल तेज आंधी के चलते पेड़ की एक डाली टूटकर हमारी कार (मतलब मायके वाली कार जिससे सोनू मुझे लेने आया था) के बोनट पर गिर गयी थी।
जिससे बोनट का अगला हिस्सा पर डेंट काफी डेंट आ गया था।
वहीं हेडलाइट, वाइपर और साइड व्यू मिरर भी टूट गये थे।
वहीं घर का पूरा लॉन भी तहस-नहस हो गया था लॉन में कई जगह टहनी गिरी थी।
सोनू और ससुर जी आपस में बातें करने लगे कि इस बारिश में तो गाड़ी बन भी नहीं सकती है इतनी जल्दी।
फिर थोड़ी देर बातचीत के बाद ससुर जी बोले- तुम लोग कार यहीं छोड़कर कोई कैब करके चले जाओ, मैं गाड़ी यहां पर बाद में बनवा दूंगा। क्योंकि गाड़ी बनने में कम से कम चार-पांच दिन लग जाएंगे।
फिर ससुर जी ने 3-4 जगह गाड़ी के लिए बात की तो पता चला कि तुरंत के लिए कोई गाड़ी नहीं है.
एक-दो लोगों के पास खाली भी थी तो उन्होंने मौसम को देखकर शहर से बाहर जाने से मना कर दिया।
फिर घर पर भी बात हुई और आखिरकार तय हुआ कि हम लोग ट्रेन से घर जाएंगे।
ससुर जी ने जल्दी से पता किया तो हमारे यहां जाने के लिए एक ही ट्रेन है जो शाम साढ़े-पांच बजे के करीब आयेगी।
अभी दिन साढ़े बारह बज रहे थे, धीमी-धीमी बारिश अभी भी हो रही थी।
हम लोग बाहर बरामदे में ही कुर्सी पर बैठ गये।
तीनों लोगों का मूड थोड़ा खराब था।
सोनू कार से टहनी हटाने के लिए जाने लगा, ससुर जी भी साथ लॉन से सब हटाने के लिए उठने लगे।
तब मैंने मूड ठीक करने के लिए मुस्कुराते हुए सबसे कहा- चलो जो होना था तो हो गया, शाम को आराम से निकलेंगे। मैं चाय बनाकर लाती हूं। चाय पीने के बाद आप लोग काम करिएगा, तब तक मैं खाना भी बना लूंगी।
मेरी बात पर सोनू और ससुर जी भी थोड़ा मुस्कुराए।
ससुर जी बोले- हां, अब चाय पीने के बाद ही ये सब किया जाए। अच्छी सी चाय पीते हैं, मूड फ्रेश हो जाएगा।
मैं चाय बनाने अंदर रसोई में चली गयी।
इधर तब तक ससुर जी ने पायल को फोन कर कार वाली बताते हुए बोला- तुम्हारी भाभी और उसका भाई ट्रेन से जाएंगे तो तुम थोड़ा जल्दी आ जाना।
तो पायल ने बोला- ठीक है, मैं 4 बजे तक घर आ आऊंगी।
मैं चाय लेकर आयी.
फिर चाय पीने के बाद ससुर जी और सोनू टहनी हटाने और कार देखने चले गये।
मैं रसोई में आकर खाना बनाने लगी।
खाना बनाकर मैंने जल्दी से डायनिंग टेबल पर लगा दिया।
तब तक सोनू और ससुर जी भी बाहर का ठीक-ठाक कर बाहर बरामदे में ही कुर्सी पर बैठे थे।
टाइम देखा तो ढाई बज रहे थे।
मैंने खाने के लिए बोला तो ससुर जी बोले- 11 बजे ही तो नाश्ता किया है तो अभी खाने का मन नहीं है।
सोनू ने भी यही बात बोली और बोला- निकलते समय थोड़ा खा लेंगे।
मुझे भी मन नहीं था इसलिए मैं भी वहीं एक कुर्सी पर जाकर बैठ गयी।
अब हमें ट्रेन से जाना था तो गाड़ी में कुछ सामान था जिसे सोनू निकाल कर वहीं सामने टेबल पर रख दिया था ताकि चलते समय भूल ना जायें।
हम तीनों बैठ कर बातें करने लगे.
तभी सोनू मुस्कुराते हुए ससुर जी से बोला- तो इतने दिन बिना दीदी के कैसे काटेंगे आप?
ससुर जी मेरी तरफ देखकर मुस्कुराते हुए बोले- हम्म्म्, बात तो सही कह रहे हो। यही तो मैं भी सोच रहा था अभी!
मैं मुस्कुराते हुए बोली- जैसे मेरी शादी के पहले रहते थे, वैसे ही … और क्या?
सोनू आंख मारते हुए बोला- अरे पागल, शादी के पहले तो किसी तरह हाथ से काम चला रहे थे लेकिन अब तुमने आदत खराब कर दी है।
ससुर जी मुस्कुराते हुए बोले- ये बात तो सोनू बिल्कुल सही कह रहा है. लेकिन अब किया भी क्या जा सकता है. अब तो तुम्हारी याद में हाथ से काम चलाना होगा। अब घर पर भाई को मजे दो इतने दिन!
इस पर हम तीनों हंस दिये।
सोनू हंसते हुए बोला- फिर तो पापा जी आपको आज और मजे करना चाहिए था।
मैं हंसते हुए बोली- अच्छा तो अभी कम किए हो क्या तुम लोग?
सोनू बोला- अरे मैं अपनी नहीं, पापा जी की बात कर रहा हूँ। मैं तो घर पहुंच कर मजे कर ही लूंगा। लेकिन बेचारे पापा जी को पूरा मौका मिलना चाहिए था।
ससुर जी हम दोनों की बातें सुनकर हंस रहे थे।
मैं हंसते हुए सोनू को चिकोटी काटते हुए बोली- अच्छा बेटा, तुम्ही तो उन्हें मौका नहीं दे रहे थे, खुद ही अपनी बहन चोदने में लगे पड़े थे।
सोनू हंसते हुए बोला- अरे वो तो पापा जी खुद बोले थे कि वो हमें करते हुए देखना चाहते हैं इसलिए किया था मैंने।
मैं हंसकर बोली- तो फिर एक बार करके बाकी उन्हें मौका दे दिये होते लेकिन आगे-पीछे सब तुम्ही किये बेचारे पापा जी को लास्ट में मौका मिला जाकर!
मेरी इस बात पर ससुर जी मुस्कुराते हुए बोले- हां. ये बात तो सच है कि अपना फेवरेट काम करने का मौका नहीं मिल पाया मुझे।
सोनू थोड़ा उत्सुकुता से पूछा- कौन सा फेवरेट काम? मुझे भी बताइये।
मैं समझ गयी कि ससुर जी का इशारा किधर है।
दरअसल ससुर जी को गांड मारना पसंद है.
लेकिन सोनू उनसे पहले पीछे शुरू हो गया था तो बेचारे को मौका नहीं मिला।
मैं मुस्कुराते हुए बोली- बाथरुम में जो तुमने शुरू कर दिया था पहले वही काम और क्या!
ससुर जी मेरी इस पर बिना बोले हंस दिये।
सोनू बोला- तो अभी कौन सी देर हुई है, अभी कर लीजिए ना!
मैं बोली- पागल है क्या? पायल के आने का टाइम हो रहा है।
सोनू बोला- अरे दीदी, पौने तीन ही तो बजे हैं अभी। सवा घंटा बाकी है अभी। कितना टाइम लगेगा इस ऐस होल सेक्स में बस 10 मिनट और क्या? क्यों पापा जी?
ससुर जी मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखकर बोले- हां, कह तो सही रहा है सोनू!
मैं हंसते हुए बोली- अभी दो घंटे भी नहीं हुए हैं और आप लोग फिर से शुरू हो गये। मैं अब कुछ नहीं करने वाली. वैसे भी कपड़े वगैरह बदल चुकी हूं।
सोनू बोला- अरे तो पूरे कपड़े कहां निकालने हैं बस लेगिंग निकाल दो और काम हो जाएगा।
मैं हंसते हुए बोली- वो तो कुछ नहीं बोल रहे हैं. तुझे बड़ी चिंता हो रही है उनकी?
इस पर ससुर जी मुस्कुराते हुए बोले- अब तो तुम काफी दिनों बाद ही आओगी तो बस एक बार जाने से पहले मेरी पसंद का काम कर लेने दो. तो सच में मजा आ जाएगा।
सोनू बोला- अरे मान जाओ ना दीदी, ऐसा भी क्या है।
मैं बोली- ठीक है बस एक बार! लेकिन तुम कुछ नहीं करोगे. बस जो करना है पापा जी को करने दो।
सोनू बोला- अरे सच में मैं कुछ नहीं करुंगा. उन्ही के लिए बोल रहा हूं।
ससुर जी बोले- मेरे कमरे में चलें। वहां बिस्तर गंदा हुआ तो मैं बाद में बदल दूंगा।
मैं मुस्कुराते हुए बोली- चलिए फिर … जो करना है जल्दी कर लीजिए. नहीं तो पायल के आने का टाइम हो जाएगा।
मैं और ससुर जी खड़े हो उनके कमरे में आने के लिए खड़े हो गये।
सोनू बोला- आप लोग चलिए, मैं ये सामान अंदर रखकर और दरवाजा बंद करके आता हूँ।
सोनू वहीं रुक कर सामान अंदर करने लगा।
इतनी देर में मैं और ससुर जी दोनों उनके कमरे में आ गये।
कमरे में आकर मैं बेड के बगल सोफे पर बैठ गयी।
ससुर जी मेरे सामने आकर खड़े हो गये फिर लोअर और अंडरवियर एक साथ पकड़कर नीचे जांघ तक खिसका दिया।
उनके ढीले लंड में हल्का-हल्का तनाव दिख रहा था।
मैं लंड को हाथ से पकड़कर हिलाते हुए उनकी तरफ देखकर बोली- पूरा उतार दीजिए ना!
ससुर जी ने झुककर एक ही बार में लोअर और अंडरवियर खींच कर पैरों से बाहर कर दिया और फिर मेरे सामने खड़े हो गये।
अब वो सिर्फ ऊपर टीशर्ट में थे।
उनका ढीला लंड मेरे मुंह के सामने झूल रहा था।
मैं लंड की चमड़ी को पीछे खींच कर सुपाड़े को मुंह में भरकर चूसने लगी।
इतनी देर में सोनू भी कमरे में आ गया।
मुझे लंड चूसती देखकर हंसते हुए बोला- वाह, बड़ी जल्दी शुरू हो गये आप लोग तो!
मैं बिना लंड को मुंह से निकाले चूसते हुए उसकी तरफ देखकर बस मुस्कुरा दी।
सोनू मेरे बगल ही आकर बैठ गया और हमें देखने लगा।
ससुर जी सुबह से तीन बार झड़ चुके थे तो उनका लंड जल्दी खड़ा होने का नाम ही नहीं ले रहा था।
मैं लंड चूसते हुए बीच-बीच में मुंह से निकाल कर मुठ मारने लगती थी फिर चूसने लगती थी।
ससुर जी मेरे सिर को पकड़ कर कमर हिलाते हुए लंड चुसवा रहे थे।
सोनू बगल में बैठकर मुझे लंड चूसता हुआ देख रहा था।
कुछ देर बाद सोनू ने भी बैठे-बैठे अपनी कमर को उठाया और अंडरवियर और लोअर को साथ पकड़कर घुटनों तक खिसका दिया।
फिर अपना लंड हाथ में लेकर हल्का-हल्का हिलाते हुए हमें देखने लगा।
मैंने देखा तो उसका लंड भी ढीला था जिसमें हल्का-हल्का तनाव आ रहा था।
शायद मुझे ससुर जी का लंड चूसता हुआ देखकर वो भी एक्साइटेड हो रहा था।
इस तरह 5-6 मिनट तक चूसने के बाद ससुर जी का लंड फिर तन कर खड़ा हो गया।
मैं लंड को चूसते हुए ही ससुर जी की तरफ देखकर हल्का सा इशारा किया कि क्या करना है अब।
ससुर जी लंड मुंह से निकालते हुए बोले- बेड पर आ जाओ बेटी!
मैं खड़ी हो गयी फिर लेगिंग को उतार कर सोफे पर रख दी।
फिर ससुर जी से बोली- कुर्ती रहने देती हूं उतारने को … बस ऐसे ही कर लीजिए।
ये कहकर मैं झुकी और बेड का सहारा लेकर खड़ी होने लगी.
तभी ससुर जी बोले- ऐसे नहीं बेटा बेड पर लेट जाओ।
मैं बेड पर गयी और मुंह नीचे करके पेट बल लेट गयी।
ससुर जी भी बेड पर आकर अपने पैरों को घुटनों से मोड़कर मेरी कमर के अगल-बगल रखकर गांड पर बैठ गये।
फिर मेरी कुर्ती को उठाकर पूरा पीठ तक कर दिया और गांड की दरार को फैलाकर गांड की छेद पर थूक लगाने लगे।
मैं बोली- ऑयल ले लीजिए पापा जी, जल्दी हो जाएगा।
इस पर पापा ने शेल्फ की तरफ इशारा करते हुए सोनू से ऑयल की शीशी मांगी।
सोनू ने उठाकर ससुर जी को दे दी और फिर सोफे पर बैठकर लंड सहलाते हुए हमें देखने लगा।
ससुर जी मेरी गांड के छेद और आसपास अच्छे से ऑयलिंग की और फिर अपने लंड पर भी लगाया।
फिर मेरी गांड पर ही बैठे-बैठे अपने लंड को गांड की छेद पर रखकर धीरे-धीरे कमर को धक्का देते हुए लंड को पूरा जड़ तक गांड में डाल दिया।
गांड में पूरा अंदर तक डालने के बाद कुछ देर उसी तरह गांड में लंड डाले बैठे रहे और मेरी पीठ और कमर पर हाथ फेरने लगे।
कुछ सेकेण्ड बाद धीरे-धीरे कमर को हिलाते हुए ससुर जी अपना लंड आगे-पीछे करते हुए मेरी गांड मारने लगे।
मैं हाथों को मोड़कर सिर के नीचे तकिये पर रखकर आराम से लेटी गांड मरवा रही थी।
उधर सोनू अपना लंड सहलाते हुए हमें देख रहा था।
उसके लंड में भी हल्का-हल्का तनाव दिख रहा था।
ससुर जी अपने दोनों को हाथों को मेरे अगल-बगल टिका कर कमर हिलाते हुए गांड पर धक्का मार रहे थे।
बीच-बीच में रुक कर पीठ और गांड सहलाते फिर धक्का मारने लगते।
ससुर जी तीन बार के लंड का पानी तीन बार निकल चुका था तो वे जल्दी झड़ने का नाम नहीं ले रहे थे।
इसी तरह करीब 15 मिनट तक गांड मारने के बाद अचानक से ससुर जी धक्के मारने की स्पीड बढ़ा दी और तेजी गांड में लंड अंदर-बाहर करने लगे।
उनके मुंह से आआ आआआ हह हह हह … बेटा … आ आआआह हहह …’ सिसकारियां निकलने लगीं.
और अचानक से एक तेज सिसकारी लेते हुए उनका शरीर अकड़ गया और कमर को दो-तीन तेज झटका देते हुए गांड में झड़ गये।
उनके लंड से इस बार ज्यादा पानी नहीं निकला था।
ससुर जी निढाल होकर अपना लंड मेरी गांड में ही डाले मेरे ऊपर लेटे थे।
मुझे भी गांड में पड़ा हुआ उनका लंड अच्छा लग रहा था इसलिए मैं बिना कुछ बोले चुपचाप नीचे लेटी हुई थी।
मैं गांड में उनके टाइट लंड को ढीला होते हुए महसूस कर रही थी।
करीब एक मिनट बाद ससुर जी उठकर मेरी गांड पर ही बैठ गये और फिर धीरे से अपने लंड को गांड से बाहर निकाले और बगल में बैठ गये।
फिर बगल में रखी टॉवेल से अपना लंड साफ किया फिर उसी टॉवेल से मेरी गांड के छेद को भी साफ किया।
ऐस होल सेक्स का मजा लेने के बाद मैं भी फिर सीधी होकर बैठ गयी।
मेरी गांड से हल्का सा पानी रिसकर बाहर आने लगा था जिसे मैंने टॉवेल से साफ किया और फिर लेगिंग लेकर पहनने लगी।
सोनू अभी भी अपने लंड को हिला रहा था।
मैं हंसते हुए बोली- अब इन्हें क्या हिला रहे हो? चुपचाप कपड़े ऊपर करो और इसे अंदर करो।
सोनू खड़ा हुआ और मुस्कुराते हुए लोअर और अंडरवियर को खींच कर ऊपर करके ठीक से पहन लिया।
फिर ससुर जी की तरफ देखते हुए बोला- अब तो आपका फेवरेट काम भी हो गया।
ससुर जी मुस्कुराते हुए बोले- हा … हो गया भाई।
मैंने टाइम देखा तो साढ़े तीन बच चुके थे।
मैं बोली- जल्दी से कपड़े पहन लीजिए पायल के आने का टाइम हो गया है।
फिर हम और सोनू कमरे से बाहर आकर ड्राइंग रूम में बैठ गये।
थोड़ी देर में ससुर जी भी कपड़े पहन कर वहां आ गये।
कुछ देर बाद पायल भी आ गयी फिर हम साथ बैठकर जल्दी से साथ में ही खाना खाया।
चूंकि ट्रेन साढ़े पांच बजे की थी और स्टेशन भी करीब 5-6 किलोमीटर दूर था तो हम करीब पौने पांच बजे ही घर से निकल लिए।
ससुर जी अपनी कार से हमें स्टेशन छोड़ने के लिए साथ में चल रहे थे।
घर से कुछ ही दूर चले होंगे कि रास्ते का जाम देखकर हमारी हालत खराब हो गयी।
आंधी की वजह से कई जगह पेड़ गिरे थे जिससे जाम लग गया था।
हमें निकलते समय इसका अंदाजा भी नहीं था कि इस तरह जाम मिलेगा।
ससुर जी भी परेशान हो गये किसी तरह मोड़कर दूसरे रास्ते से घूमते हुए हम लोग स्टेशन जाने लगे।
लेकिन हर तरफ जाम ही मिल रहा था।
टाइम देखा तो सवा पांच बज गये थे।
सोनू परेशान होते हुए बोला- लग रहा है कि ट्रेन छूट जाएगी।
ससुर जी को भी यही लग रहा था.
शायद इसलिए बिना कुछ बोले वो जल्दी से किसी तरह गाड़ी जाम से निकाल रहे थे।
स्टेशन पहुंचते हमें पौने छह बज गये।
फिर भी हम जल्दी से सामान लेकर प्लेटफार्म की तरफ भागे कि हो सकता है पांच-दस मिनट लेट हो तो ट्रेन मिल जाए।
लेकिन प्लेटफार्म पर पहुंच तो पता चला ट्रेन 10 मिनट पहले निकल गयी थी।
हम तीनों लोगों का मूड फिर खराब हो गया था।
हम वापस बाहर की तरफ आने के लिए मुड़े.
तभी ससुर जी के कोई साथ के कोई मिल गये।
कपड़े देखकर वो भी गार्ड लग रहे थे।
उन्होंने पूछा- यहां कैसे?
ससुर जी ने सारी बात बता दी।
इस पर वो बोले- अरे तो हम भी गाड़ी लेकर उसी रूट पर जा रहे हैं अभी 10 मिनट में निकलेंगे। इन्हें इनके स्टेशन पर उतार देंगे।
ससुर जी हमारी तरफ घूम कर बोले- मालगाड़ी से जाओगे? पीछे गार्ड के डिब्बे में इनके साथ जाना होगा।
अभी मैं कुछ बोलती तभी सोनू बोला- अरे कोई दिक्कत नहीं, चले जाएंगे हम लोग!
सोनू की बात पर वो गार्ड अंकल हंसते हुए हमारी तरफ देखकर बोले- वाह … फिर क्या आज मालगाड़ी से चलने का भी मजा ले लो।
ससुर जी मेरी तरफ देखकर बोले- चली जाओगी? कोई दिक्कत तो नहीं?
इस पर गार्ड अंकल बोले- अरे दिक्कत क्या होगी, चार-पांच घंटे में आराम से घर पहुंच जाएंगे बच्चे।
मैं देख रही थी कि गार्ड अंकल कुछ ज्यादा ही उत्सुकुता दिखा रहे थे।
सोनू भी तैयार ही था.
मैंने भी मन ही मन सोचा कि चलो कम से कम रात तक घर तो पहुंच ही जाएंगे।
क्योंकि अगर इसे छोड़ दिया तो फिर वापस घर जाना और कल की तैयारी करना।
यह सब सोचकर मैंने भी हां में सिर हिलाते हुए बोला- हां कोई दिक्कत नहीं पापा, चले जाएंगे हम!
फिर हम चारों उस प्लेटफार्म पर पहुंचे जिस पर मालगाड़ी खड़ी थी।
वहां पहुंच कर हम गार्ड के केबिन में सामान रखकर चढ़ गये।
ससुर जी और गार्ड अंकल नीचे ही बात करने लगे।
कुछ देर बाद सिग्नल हो गया तो गार्ड अंकल भी ऊपर आ गये और हरी टॉर्च दिखाने लगे।
हमने और सोनू ने ससुर जी को हाथ हिलाकर बाय किया।
बादल की वजह से छह बजे ही अंधेरा हो गया था।
ट्रेन चल दी साथ ही हम भी चल दिये एक बेहद रोमांचक और कामुक यात्रा पर!
घर पर जो भी हुआ वो हमारे, सोनू और ससुर जी की प्लानिंग थी.
लेकिन हमारे घर पहुंचने के चार-साढ़े चार घंटे की यात्रा में जो कुछ भी हुआ उसके बारे में हमने और सोनू ने कोई प्लानिंग नहीं की थी।
लेकिन जो भी हुआ वो बेहद यादगार और मजेदार था।
इस यात्रा के बारे में जानने के लिए थोड़ा इंतज़ार कीजिए।
यह ऐस होल सेक्स स्टोरी कैसे लगी?
मुझे ज़रूर बताइयेगा।
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