सेक्स है कुदरत का वरदान- 11
(Xxx Talk About Sex)
Xxx टॉक अबाउट सेक्स का मजा 3 जोड़े तब लेने लगे जब वे एक कार में एक साथ हनीमून मनाने के लिए निकले. सबको पता था कि 6 लोगों के बीच खुला सेक्स होने वाला है.
कहानी के पिछले भाग
किसी की चूत किसी का लौड़ा
में आपने पढ़ा कि सरताज पम्मी के साथ, और मनीष जस्सी के साथ चुदाई का आनंद लेते हैं।
हर्ष अंजू और सिमरन दोनों के साथ थ्रीसम का मजा लेता है।
अब आगे Xxx टॉक अबाउट सेक्स का मजा:
मेरे कामुक पाठको, मुझे पता है तुम्हारे लौड़ों में बहुत अधिक सनसनी हो रही है तो अपने लंड को सहलाते, मसलते, फेंटते हुए आइये, फिर से चलते हैं सरताज के कमरे में!
उधर अंजू के जाने के बाद सरताज ने पम्मी से कहा- तेरी बुआ तो गई तेरे पतिदेव से चुदाने! अब तेरा क्या इरादा है?
पम्मी ने हंस के कहा- जो बुआ कह के गई, यानि मजा करने का इरादा है। तुम्हारा खड़ा तो हो जायेगा?
“हां, खड़ा तो हो जायेगा … पर अब ये तुम्हारी गांड में जाना चाहता है।”
पम्मी ने कहा- नहीं मौसा, आज नहीं। आज तो एक और बार चूत में ही डालो, अगली बार जब भी मिलूंगी, गांड मार लेना। मैं मना नहीं करूंगी।
सरताज मान गया, उसने सोचा कि कहां तो मैं अंजू की चुदाई करने के लिए तरस रहा था। कहां उसके स्थान पर आज पम्मी जैसी कम उम्र की नई लड़की अनायास ही चोदने को मिल गई। मुझे अब ज्यादा जिद नहीं कर के, पम्मी की दुबारा चुदने की इच्छा पूरी करनी चाहिए।
उसने पम्मी के चिकने दूधिया बदन पर हाथ फेरना शुरू किया।
पम्मी के बदन से एक मीठी कामोत्तेजक गंध उठ रही थी।
पम्मी भी सरताज के लंड को जल्द से जल्द अपनी चूत में रगड़े के लिए लेना चाहती थी इसलिए वह झुकी और उसने मृत पड़े सरताज के लंड में जान फूंकने के लिए उसे चूसना शुरू कर दिया।
अभी लंड इतना नर्म मुलायम था कि पम्मी ने उसे पूरा अपने मुंह में समा लिया और जुबान से सहलाने लगी।
सरताज भी झुककर पम्मी के स्तनों को पके हुए आमों की तरह मसल मसल के चूसने लगा।
दो मिनट में ही सरताज का लंड फिर चुदाई के मैदान में जौहर दिखाने के लिए तैयार था।
इस बार सरताज ने पम्मी को बोला- अब तू घोड़ी बन, तेरे को कुत्ते की तरह चोदूंगा।
पम्मी को भी इस आसन में बहुत मजा आता है क्योंकि खड़ा हुआ मर्द अपने खड़े लंड को न केवल पूरा घुसेड़ पाता है बल्कि उसके धक्कों में शक्ति भी अधिकतम लगती है।
जबकि सरताज की मंशा यह थी कि लंड गांड से भले ही एक इंच नीचे जाएगा लेकिन वह कल्पना तो यही करेगा कि जैसे वह पम्मी की गांड मार रहा है।
पम्मी राजी खुशी घोड़ी बन गई.
सरताज ने झुक कर पम्मी की रस छोड़ती हुई चूत को चाटा और जुबान की नोक से उसकी गांड को कुरेदने लगा।
पम्मी की गांड में जब सरसराहट हुई तो वह बोली- अरे मान जा यार, मान जा कमीने, मान जा। मेरी गांड को मत छेड़!
सरताज को पम्मी का इस तरह बोलना और अधिक उत्तेजित कर रहा था क्योंकि उसे ऐसा लगा जैसे वह अचानक पम्मी का हम उम्र हो गया हो।
सरताज ने कहा- बहनचोद, गांड मारने नहीं दे रही, उस पर जुबान के स्ट्रोक तो लगाने दे।
पम्मी बोली- अबे ज़ालिम तू मेरी चूत की आग तो नहीं बुझा रहा ऊपर से मेरी गांड और सुलगा रहा है।
सरताज ने पम्मी की बात को अनसुना करके अपनी जुबान को नुकीली बना के, उसकी गांड में एक इंच अंदर भी पहुंचा दी।
उसके बाद गांड की रिंग को होठों से पकड़ के उस पर एक भीगा हुआ चुंबन दे दिया।
पम्मी का पूरा शरीर झनझन कर रहा था।
उसकी चूत सरताज के लंड के लिए तरस रही थी।
पम्मी फिर बोली- अरे यार, लंड घुसेड़ न मेरी चूत में हरामखोर … मेरी चूत तड़प रही है चुदने को!
सरताज ने मुंह में इकट्ठा हुई मुखलार को अपने लंड पर लगाया और बहुत आहिस्ता से पम्मी की चूत में अपना कड़क किंतु चिकना लंड प्रवेश करा दिया।
उसके बाद लंबी-लंबी सांसें लेकर अपनी वासना के तूफान को नियंत्रित करने लगा जिससे देर तक चोदने का उसका स्टैमिना बना रहे।
पम्मी ने जब देखा कि सरताज रगड़े नहीं लगा रहा तो उसने कहा- चोद न मादरचोद। मेरी चूत तेरे लंड के रगड़े मांग रही है।
उसके बाद सरताज ने करारे झटके लगाने शुरू किये।
पम्मी के मुंह से कभी सिसकारी कभी चीख निकलने लगी।
हर धक्का पम्मी को अनोखा आनंद पहुंचा रहा था।
पम्मी सोचने लगी कि चूत को तो कड़क लंड से मतलब है, भले ही फिर वह किसी नौजवान लड़के का हो या किसी परिपक्व मर्द का।
चूत को हर नये लंड का स्पर्श नई सनसनी प्रदान करता है।
उसकी नए-नए लंड से चुदने की भावना और अधिक बलवती होने लगी।
उसने ठान लिया कि वह हर्ष का पूरा साथ देगी और जी भर के नए लौड़ों का मजा लूटेगी।
सरताज को तो बरसों बाद ऐसी शानदार चूत मिली थी, वह तो हर रगड़े में असीम आनंद उठा रहा था।
उसकी तो ऐसी इच्छा भी हो रही थी कि पम्मी को बंटू और मोंटी के साथ जाने ही ना दे और पम्मी के साथ चुदाई के ये मस्त रगड़े यूं ही चलते रहें।
सरताज की इच्छा चाहे कुछ भी हो लेकिन पम्मी को तो अभी बंटू और मोंटी के हनीमून टूर पर और भी मजे लूटने की सोच रही थी कि हर्ष ने उस को बंटू और मोंटी के लंड दिलवाने का आश्वासन तो दिया था पर पता नहीं हर्ष ने उसके लिए कुछ जुगाड़ किया भी या नहीं?
पम्मी ने सरताज को कहा- मेरे राजा, क्या मेरी चूत का भर्ता बनाकर ही छोड़ेगा? मुझे अभी टूर पर भी जाना है। वहां भी हर्ष मेरे को चैन नहीं लेने देगा। वहां भी मेरी जबरदस्त चुदाई होने वाली है, जल्दी फ्री कर दे मौसा!
सरताज इस बार पम्मी के मुंह से मौसा शब्द सुनकर उत्तेजित हो गया।
वह बोला- साली, अपने चोदू यार को बार बार मौसा बोलती है? तेरी मां की चूत!
और फिर उसने जो धक्के लगाने शुरू करे तो घोड़ी बनी पम्मी के हाथ पांव कांपने लग गए।
लेकिन तभी उस की चूत झड़ने के बिल्कुल किनारे पर पहुंच गई थी।
उसने सरताज को कहा- राजा थोड़ा और, थोड़ा और!
और वह खुद भी आगे पीछे होकर लंड-चूत घर्षण के मजे लेने लगी।
कुछ तेज़ तेज़ धक्कों के बाद सरताज ने पम्मी की कमर को पकड़ के अपनी ओर खींचा और लंड को पूरा दम लगा के चूत के अंदर धकेला और वीर्य का छिड़काव कर दिया।
सरताज के मोटे फड़कते लंड से निकल रहे वीर्य के कतरों का एहसास उसकी गांड की रिंग पर महसूस हो रहा था।
पम्मी पलंग पर औंधी लेट चुकी थी और सरताज उस की पीठ के ऊपर निढाल पड़ा हुआ था।
दोनों ने फिर से एक शानदार चुदाई का भरपूर आनंद लिया था।
सरताज ने नैपकिन से अपने लंड को पोंछते हुए कहा- पम्मी, हर्ष नई नवेली बीवी को छोड़ कर, तेरी बुआ और मौसी के साथ मस्ती मार रहा है, तुझे बुरा नहीं लगता?
पम्मी ने कहा- नहीं, क्योंकि वह स्वार्थी मर्द नहीं है। वह भी तुम्हारी तरह बड़े दिल और खुले दिमाग का मर्द है। वह भी आनंद लो और लेने दो, जियो और जीने दो के सिद्धांतों में विश्वास रखता है। किसी भी औरत को बुरा तो तब लगता है, जब मर्द उस को नियंत्रण में रख कर अकेले इधर उधर मुंह मारता फिरता है या उस से छुप कर परायी औरतों के साथ अपनी हवस मिटाता है।
पाठको, आप लोगों ने देखा कि किस तरह आज कुल मिलाकर तीनों मर्दों ने अपनी वासना और चार कामुक औरतों ने अपनी कामुकता का भरपूर आनंद लिया था।
बंटू और मोंटी को फेरों के बाद शेष रीति रस्मों के पूरा होने तक अपनी अपनी दुल्हनों से दूर रखा गया था।
सुबह फिर उनको हनीमून टूर पर निकलना था, जिसमें पम्मी भी अपने हस्बैंड हर्ष के साथ सम्मिलित थी।
बंटू और मोंटी दोनों ने हनीमून का आनंद बढ़ाने के लिए हर्ष से बात करके उसे और पम्मी को साथ चलने के लिए मना लिया था।
दोनों के मन में दबी हुई इच्छा तो यही थी कि कभी दांव लगा तो नई दुल्हन के साथ साथ पम्मी की चुदाई भी करने का मौका मिल सकता है।
विशेषकर के मोंटी तो अपनी असफल चुदाई की यादों के कारण पम्मी की चूत के चीथड़े उड़ाना चाहता था।
हर्ष के हर्ष की तो सीमा नहीं थी।
कहां तो पम्मी ने उसे कम से कम एक यानि अंजू की चूत चोदने की केवल संभावना जताई थी।
उस समय यह तो निश्चित नहीं था कि अंजू के अलावा भी किसी और की चूत को चोदने का अवसर मिलेगा।
लेकिन यहां न केवल उसे सिमरन की चूत मिल चुकी थी बल्कि बंटू और मोंटी के उसी के जैसे कामुक विचारों ने अनंत संभावनाएं भी जगा दी थीं।
सुबह जब सब ने नाश्ता कर लिया तो घर के बाहर एक एक BMW आकर रूकी।
ठीक समय पर इसमें तीन जोड़े सवार होकर मस्ती भरी यात्रा के लिए घर से बाहर निकले।
हर्ष ने बंटू और मोंटी के साथ मीटिंग करके उनका मन टटोल लिया था और उनको मानसिक रुप से इस बात के लिए तैयार कर लिया था कि वे दोनों हर्ष को जीजा नहीं बल्कि उनके जैसा ही दोस्त समझेंगे।
हर्ष के सामने वे बिना किसी संकोच के, अपने पूरे कामुक रूप में उस के साथ रहेंगे।
तभी तीनों अपनी अपनी हसरतों को पूरा कर पाएंगे।
इसी प्रकार पम्मी ने भी कोमल और कुलजीत से मिलकर उनकी दमित इच्छाओं और शौक का पता लगा लिया था।
पम्मी को उन की इस बात से बिल्कुल भी आश्चर्य नहीं हुआ कि वे दोनों भी विवाह के पूर्व पम्मी की तरह न केवल लौड़ों के मजे ले चुकी थीं बल्कि उन्हें किसी नए लंड से चुदने में कोई दिक्कत भी नहीं थी।
हर कामुक मर्द और औरत की यह इच्छा होती है कि कोई उन के जैसा मिले, जिस के सामने वे अपने असली रूप को खोल के रख सकें और उन की शराफत की छवि पर दाग भी न लगने पाए।
अब सारा खेल इस पर निर्भर था कि कौन पहल करता है?
कैसे सब की आपसी झिझक दूर होती है?
कैसे सब के दिमाग में रची बसी वासना को उन की देह परिभाषित करती है?
दो घंटों के सफर के बाद चाय के लिए गाड़ी रोकी गई।
गाड़ी अब तक हर्ष चला रहा था और पम्मी उस के साथ आगे बैठी हुई थी।
हर्ष ने कहा- दोस्तो, मुझे अब तक की यात्रा बिना मसाले की, फीकी फीकी लग रही है। यार, यह कोई तीर्थ यात्रा नहीं है, हम लोग आनंद यात्रा पर निकले हैं। इसलिए इस सफर को चटपटा बनाने की शुरुआत मैं करता हूं। अब गाड़ी बंटू चलाएगा लेकिन आगे की सीट पर पम्मी ही बैठेगी। कोमल के साथ मैं बैठूंगा, क्यों कोमल तुझे कोई ऐतराज तो नहीं?
कोमल बोली- नहीं जीजा जी, मुझे कोई दिक्कत नहीं है, बस पम्मी दीदी और बंटू को जलन नहीं हो।
बंटू ने पलट के कहा- हर्ष साथ बैठ ही तो रहा है कोई लेट थोड़ी रहा है।
कोमल ने कहा- अरे! बहुत बड़ा बेशर्म है यार तू?
पम्मी ने भी हंस के कहा- कोमल, एक तो तू मुझे दीदी मत बोल, वरना मारूंगी। दूसरा तू सोच ले, बंटू मेरे साथ बैठेगा।
उस के बाद हर्ष ने भी टोका- और सुन तू मुझे जीजाजी नहीं, हर्ष बोल!
इस पर कोमल ने शरारत से पूछा- दीदी तो मारेगी तुम क्या करोगे?
हर्ष ने भी शरारत से कहा- यह मैं तुझे बाद में बताऊंगा तेरे कान में!
कोमल धत् कह के हंस पड़ी।
बंटू, मोंटी और कुलजीत सब वातावरण के हल्के होने और उसमें थोड़ा सा मसाला, थोड़ी सी वासना, थोड़ी सी मस्ती बढ़ने से आनंदित हो रहे थे।
कोमल ने फिर अपनी झिझक तोड़ते हुए कहा- मुझे हर्ष बोलने में कोई दिक्कत नहीं … लेकिन फिर लिहाज कम हो जाएगा।
हर्ष ने कहा- मुझे कोई दिक्कत नहीं है, जितना लिहाज कम होगा, उतना ही अधिक मजा आयेगा।
अब पहले कोमल, फिर हर्ष, फिर मोंटी, फिर कुलजीत बैठे थे।
गाड़ी थोड़ी ही आगे बढ़ी थी कि कुलजीत ने अपनी शर्म छोड़ी और मोंटी से कहा- मोंटी, मैनू वी जीजा नाल बैठना है।
नव विवाहिता कोमल के नाजुक, चिकने बदन के स्पर्श का आनंद उठा रहे हर्ष के लंड में, एक और नई दुल्हन कुलजीत की बात सुनकर कुछ सरसराहट सी हुई।
उसे लगा कि पम्मी ने तो एक नई चूत दिलाने का आश्वासन दिया था, दो तो मैं चोद चुका हूं। मेरे खुश किस्मत लंड को क्या दो और नई चूतें मिलने वाली हैं!
अपने अगल-बगल में दो कोमलांगी नवयुवतियों के सानिध्य से गदगद हर्ष अब उन की चुदाई के ख्वाब देखने लगा।
जिस कारण उसके लंड में तनाव भरने लगा।
कोमल और कुलजीत भी कनखियों से हर्ष के शॉर्ट्स की क़ैद में फड़फड़ाते हुए लंड पर उड़ती नजरें डाल रही थीं।
उसके बाद वे दोनों आपस में नजरें मिलने पर शरारत से मुस्कुरा भी रही थीं।
हर्ष ने अभी तक तो अधिकांशत: पैसे के बल पर खरीदी हुई, पेशेवर औरतों का सुख भोगा था।
वह भी हैरान था कि कल जिनकी शादी हुई है और जिनकी सुहागरात भी अभी नहीं हुई है, वे किसी गैर मर्द में रुचि ले रही हैं।
इतना ही नहीं दोनों के हसबैंड उनके साथ बैठे हुए थे।
अब माहौल रंगीन होने लगा था।
तीनों जोड़े जब भी कुछ बोलते या कोई हरकत करते, उनके चेतन-अवचेतन में वासना सक्रिय थी और सब एक दूसरे की प्रतिक्रिया पर ध्यान दे रहे थे और शरीर में हो रही सनसनी से उत्साहित भी थे।
मोंटी ने माहोल में कामुकता घोलते हुए कहा- हर्ष, तेरे को पता है कि हम हनीमून के लिए डलहौजी क्यों जा रहे हैं?
हर्ष ने कहा- नहीं, बता क्यों जा रहे है?
इस पर मोंटी ने कहा- यार कुलजीते, तू ही बता न!
कुलजीत बोली- नईं जी, मैनू शरम आंदी ए!
इस पर हर्ष ने उस की चोटी पकड़ के खींचते हुए कहा- ओए होए, बड़ी आई शर्मीली, चल बता? मैंने कहा न, हम सब हमउम्र दोस्त हैं और हम हनीमून के लिए निकले हैं। हमारे बीच अब कम से कम घर लौटने तक, शर्म के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए।
मोंटी ने फिर कहा- बोल न कुलजीते, बोल!
कुलजीत ने कहा- पता नहीं कब से मेरे दिमाग में यह बात थी कि डलहौजी नाम सुनकर ऐसे लगता है जैसे कोई पंजाबी कामुक औरत, मर्द से कह रही हो “डाल्हो जी”
कुलजीत की इस बात पर सभी बेशर्मी भरी हंसी हंस पड़े।
आगे से पम्मी ने कमेंट किया- कुलजीत, वह कामुक औरत तू ही तो नहीं थी?
कुलजीत धत् कह के हंस पड़ी।
अब बंटू ने कहा- कुलजीते, अच्छा यह तो बता तू किस को कहेगी कि “डाल्हो जी”?
कुलजीत नकली गुस्से से बोली- बस करो अब, तुम सब लोग तो मेरे पीछे ही पड़ गए।
पम्मी ने कहा- अच्छा यह तो बता कि वह कामुक औरत किसे डालने के लिए कह रही थी?
कुलजीत ने कहा- अपने हस्बैंड नूं।
पम्मी ने फिर कहा- तू तो उस समय कुंवारी थी, तुझे डालने के बारे में पता था?
कुलजीत ने कहा- हां, पता था। मैंने भी सहेलियों के साथ पोर्न वीडियो तो देखे ही थे।
फिर कोमल ने दखल देते हुए कहा- केवल पॉर्न वीडियो देखे? कुछ प्रैक्टिकल नहीं किया?
कुलजीत ने कहा- नईं जी नईं, अब सारी जिंदगी प्रैक्टिकल ही करना है।
कुलजीत की बात पर सब फिर से हंस पड़े।
Xxx टॉक अबाउट सेक्स का मजा लेने से यह तो स्पष्ट हो चला था कि अब कार में वातावरण शनै: शनै: कामुक होता जा रहा था।
अगले अंक में पढ़िए तीनों जोड़े किस तरह इस हनीमून टूर को यादगार बनाते हैं।
कहानी में उत्तेजना, सनसनी बनी रहेगी।
अपनी विशेष प्रतिक्रिया से अवगत करावें।
हमारी आई डी है
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Xxx टॉक अबाउट सेक्स कहानी का अगला भाग: सेक्स है कुदरत का वरदान- 12
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