सेक्स है कुदरत का वरदान- 13
(Xxx Honeymoon Story)
Xxx हनीमून स्टोरी में 3 कपल एक होटल में हनीमून मनाने गए. सभी आपस में पूरे खुल चुके थे. तीनों लड़कियों ने आपस में मिलकर क्या खुरापात की?
कहानी के पिछले भाग
तीन सुहागरात एक साथ
में आपने पढ़ा कि पम्मी, कोमल और कुलजीत तीनों मिलकर अपने अपने हसबैंड को उनके द्वारा की गई गलती के लिए आंख पर पट्टी बांधकर सुहागन सेज पर बैठने की मस्ती भरी सजा सुनाती हैं।
सबसे पहले हर्ष के कमरे का दृश्य चल रहा था, पम्मी हर्ष का कुर्ता उतार के उसकी ऊपरी बदन नंगा कर देती है।
अब आगे Xxx हनीमून स्टोरी:
उसके बाद पम्मी ने हर्ष के होठों पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूसने लगी।
उसके दोनों हाथ हर्ष की निप्पलों को मसल रहे थे, जिससे हर्ष के बदन में काम तरंगें प्रवाहित होने लगी।
हर्ष के दोनों हाथ पम्मी के कूल्हों को दबा रहे थे।
जब हर्ष का लंड पम्मी के चूतड़ों में गड़ने लगा तो उसने नीचे खिसक के हर्ष का पजामा खोल दिया और उसके लंड को चूस कर मुख लार से चिकना करने लगी।
हर्ष कहने लगा- क्या मस्त चूसती है यार पम्मी, मजा आ गया।
उस का कड़क लंड पम्मी की चूत में घुसने को बेताब होने लगा तो उसने पम्मी को कंधों से पकड़ा और पलंग पर लिटा दिया।
उसके बाद उसने पम्मी के पैरों को घुटनों से मोड़ के ऊपर किया और उसकी चूत के बीच में लंड टिका कर एक जोरदार झटका मारा।
पम्मी के मुंह से एक चीख निकली।
पम्मी के मुंह से निकली चीख सुनकर हर्ष चौंक पड़ा।
उसने सोचा अब तो पम्मी कई बार उस के लंड से चुद चुकी है फिर आज चीख कैसे निकल गई?
लेकिन उसके मन ने उत्तर दिया कि पम्मी आज कई दिनों बाद चुदी है इसलिए उस के लंड के झटके को सहन नहीं कर पाई।
उसके बाद चुदाई में निपुण हर्ष ने चूत को रगड़ना शुरू किया, हर्ष ने फच फच की आवाज सुन के एक नैपकिन लिया और पम्मी की चूत से एकत्रित हो चुके चूत रस को पोंछ के फिर चुदाई में लग गया।
पिछले दिनों में दो अनुभवी चूतों को चोदने के बाद आज हर्ष को पम्मी की चूत फिर से नई लग रही थी।
वह लगातार पम्मी के मम्मों को मसल के, उन को चूस चूस के चुदाई का पूरा आनंद ले रहा था।
पम्मी भी उस की पीठ और चूतड़ों पर नाखून गड़ा गड़ा के अपनी मस्ती को दर्शा रही थी।
हर्ष महसूस कर रहा था कि पम्मी को भी चूत चुदाने में बहुत मजा आ रहा था।
एक समय आया जब पम्मी हर्ष के नीचे दबी कसमसाने लगी।
उस की सांसों की रफ्तार बढ़ने लगी।
हर्ष समझ गया कि पम्मी का चरम नजदीक है इसलिए उसने अपने धक्कों की गति बढ़ा दी।
पम्मी उछल उछल कर उसके हर धक्के का पूरी मस्ती में जवाब दे रही थी।
शीघ्र ही दो जिस्मों के इस सुखद घर्षण से चरमसुख का सृजन हुआ।
हर्ष और पम्मी के पूरे बदन पर मस्ती की ओस बिखरी पड़ी थी।
दोनों की गर्म सांसें एक दूसरे की गर्दन पर आनंद के प्रमाण अंकित कर रहीं थीं।
दोनों पसीने में भीगे, एक दूसरे को भींच के आनंद के इन क्षणों को थामे रखना चाह रहे थे।
लेकिन हर सांस के साथ तनबदन के स्पंदन शिथिल हो रहे थे।
कुछ ही देर में धमाल मचा रहा लंड, अपनी खोल में सिमट गया।
हर्ष, पम्मी के ऊपर से उतरा और उस के बगल में लेट कर, उस के बदन पर हाथ फिराते हुए कहने लगा- पम्मी बहुत मजा आया यार!
आइये अब देखते हैं कि बंटू के कमरे में क्या हो रहा है.
बंटू पलंग पर बैठा हुआ अपने जीवन की चौथी और नई नवेली चूत यानि कोमल का इंतजार कर रहा था।
जैसे ही किसी के आने की आहट हुई उसके मन में गुदगुदी होने लगी।
उसे लगा कि अब कोमल आ गयी है, उसके हाथ कोमल के गदराये हुए नंगे बदन को सहलाने के लिए मचलने लगे, लंड उस की चूत में घुसने के लिए कसमसाने लगा।
कोमल ने आते ही बंटू को नंगा किया और जैसे मर्द औरत के को गर्म करता है, उसी तरीके से, उसके होठों को चूसते हुए उसके बदन को सहलाने लगी।
उस के बाद उसे चित लिटाया और उस के मुंह पर बैठ गई और अपनी चूत चटाने लगी।
बंटू के मुंह में कोमल की चिकनी चूत से नशीले रस की टपकती बूंदें बंटू को मदहोश करने लगी।
बंटू कोमल के मुलायम स्तनों और मांसल कूल्हों को दबाकर अपनी वासना को भड़का रहा था।
जब लंड के तनाव ने बंटू को बेचैन किया तो उसने कोमल की चूत पर से मुंह हटाया और कहा- साली, केवल अपनी चूत चटा रही है, मेरा लंड भी तो चूस ना, तनाव के मारे बुरा हाल है।
कोमल पलटी और झुक कर बंटू का लंड चूसने लगी।
मुंह की नमी, नरमी और गर्मी बंटू के लंड को सुख पहुंचाने लगी।
कोमल की चूत लगातार पानी छोड़ रही थी और बंटू की जुबान पूरी तेजी से उसे चाट रही थी।
कोमल का चरम नजदीक था और बंटू का लंड भी अब चूत के रगड़े मांग रहा था।
बंटू को डर था कि यदि अब कुछ देर और चूसा तो कोमल के मुंह में ही डिस्चार्ज हो जाएगा।
तब बंटू ने कोमल को कहा- अब जल्दी से मेरे लंड पर बैठ जा वरना वीर्य मुंह में ही निकल जाएगा।
कोमल तो खुद अब चुदाई चाह रही थी।
वह बंटू के मुंह पर से उतरी और उसके लंड को एक दो बार कमर हिला के अपनी चूत में सेट किया और फिर एक जोर के झटके से पूरा लंड अपनी चूत में ले लिया।
कोमल के मुंह से एक घुटी हुई सी चीख निकली और बंटू ने महसूस किया कि कुछ गरम-गरम बहता हुआ उसके पेट के निचले हिस्से पर फैल गया।
बंटू ने सोचा कि मेरा तो डिस्चार्ज हुआ नहीं फिर यह क्या बह कर आया? क्या यह कोमल की सील टूटने पर बह के आई खून की बूंदे हैं?
अगर यह सही है तो आज उसने पम्मी की चूत के बाद, दूसरी चूत की सील तोड़ने का सुनहरा अवसर प्राप्त किया है।
कोमल लगातार कमर हिलाने लगी.
एक दो मिनट की मस्ती भरी मेहनत के बाद में कोमल और बंटू दोनों झड़ने लगे।
कोमल बंटू के सीने पर सर रखकर लंबी-लंबी सांस ले रही थी।
बंटू ने भी कोमल को जकड़ रखा था और अपनी फूली हुई सांसों को नियंत्रित कर रहा था।
मेरे रसिक पाठको मुझे पूरा विश्वास है कि आप इस कहानी का भरपूर आनंद उठा रहे होंगे.
आइए अब हम चलते हैं मोंटी के कमरे में … देखते है उस की सुहागन रात कैसी मन रही है?
मोंटी हमेशा की तरह उतावली में था वह दरवाजे के पीछे खड़ा अपनी दुल्हन का इंतजार कर रहा था।
जैसे ही कमरे में किसी के दाखिल होने की आहट हुई, मोंटी समझ गया कि उसकी कुलजीत आई होगी.
उसने उसे पीछे से पकड़ लिया।
उसने सबसे पहले अपनी लुंगी खोल के फर्श पर पटकी उसके बाद कुर्ता उतार फेंका।
उसके बाद कुलजीत की नाइटी उतारी, कुलजीत ने ब्रा पैंटी पहले ही पहनी नहीं थी।
मोंटी ने यह अनुभव किया कि कुलजीत पूरी तरह नंगी है।
उसका जोश बढ़ गया और वह उसके बूब्स दबाने मसलने लगा।
वह कुलजीत के चूतड़ों के बीच में अपना लंड टिकाकर उसे बिस्तर की ओर ले जाने लगा।
पहले जाकर उसने कुलजीत को पलंग पर चित लेटा दिया।
कुलजीत के जांघों के जोड़ से उठती हुई नशीली खुशबू मोंटी को अपनी ओर आकर्षित करने लगी।
नई चूत के रस का प्यासा मोंटी दीवानों की तरह कुलजीत की चूत पर पिल पड़ा।
उस की जुबान के हर स्ट्रोक पर कुलजीत के बदन का कंपन और उसकी चूत में हो रही थिरकन मोंटी को मस्त किये दे रही थी।
मोंटी का लंड अकड़ चुका था, उस के बाद मर्द को तभी चैन पड़ता है जब वह अपने लंड को किसी औरत की चूत में घुसेड़ देता है।
मोंटी उठा और कुलजीत को घोड़ी बनने के लिए कहा।
कुलजीत चुपचाप घुटनों के बल हो कर धोड़ी बन गई उसके बाद मोंटी ने अपने लंड को थूक से चिकना किया और एक करारे झटके के साथ चूत में घुसेड दिया।
दो-तीन लंबी-लंबी सांस खींचते के बाद मोंटी ने वहशी तरीके से चोदना शुरू किया।
कुलजीत को ऐसा लगा कि उस का बदन ही नहीं बल्कि पलंग सहित पूरा कमरा मोंटी के जोश के कारण हिल रहा है।
कई धक्के झेलने के बाद घोड़ी बनी कुलजीत के पैर कांपने लगे।
उसने पोजिशन बदली, वह नीचे पैर लटका के सीधी लेट गई।
मोंटी ने फिर अपना लंड कुलजीत की चूत में पेल दिया और रगड़े लगाने लगा।
कुलजीत की चूत भी अब फड़कना चाह रही थी।
मोंटी के लंड में उठा तूफान तब शांत हुआ जब उसने कुलजीत की चूत में चरम सुख की गर्जना के साथ वीर्य की बारिश कर दी।
दोनों की सांसें उफान पर थीं।
मोंटी कुलजीत पर पड़ा अपने लंड के नरम होने की प्रतीक्षा में था।
तीनों कमरों में चुदाई का एक दौर पूरा हो चुका था।
तीनों मर्दों के तन्नाये हुए लंड, चूतों को प्रसन्न करने के लिए एक बार अपनी शक्ति, जोश और चुदाई क्षमता का प्रदर्शन कर चुके थे।
अब वे उसका प्रभाव अपनी दुल्हनों के चेहरे पर देखना चाहते थे।
उन की सज़ा की अवधि भी समाप्त हो चुकी थी।
तीनों ने अपनी आंखों पर बंधी पट्टी खोली।
तीनों सुखद आश्चर्य से भर गये।
हर्ष को पता चला कि उसने पम्मी को नहीं चोदा था बल्कि कोमल की सील तोड़ी थी।
बंटू ने अपनी बीवी कोमल की नहीं, पम्मी की सील तोड़ने के बाद कुलजीत की सील तोड़ने का सौभाग्य प्राप्त किया था।
और मोंटी के बिस्तर पर कुलजीत के स्थान पर पम्मी नंगी पड़ी थी जिसे चोदने की हसरत लंबे समय से मोंटी के मन में थी।
आमतौर पर हर मर्द अपनी बीवी की चुदाई करते समय, किक प्राप्त करने, आनंद को बढ़ाने के लिए किसी पराई औरत का ध्यान करता है।
लेकिन मजे की बात है कि यहां तो तीनों ने पराई औरतों को अपनी बीवी समझ के चोदा था फिर भी कामुक वातावरण में उन ने भरपूर आनंद प्राप्त किया था।
लेकिन चुदाई खत्म होने के बाद जब उनको पता चला कि उन्होंने अपनी बीवी की नहीं बल्कि एक पराई औरत की चुदाई की है तो उनके आनंद में अचानक अत्यधिक वृद्धि हो गई।
हर्ष ने कोमल से पूछा- क्यों कोमल? यह क्या सरप्राइज दिया तुम तीनों ने मिलकर?
कोमल हंस पड़ी बोली- जीजा … सॉरी … हर्ष, तूने ही तो कहा था कि हम तीनों दोस्तों की तरह हैं. और यह भी कि हमारे बीच किसी तरह की लाज शर्म की जरूरत नहीं है तो कोई भी काम फिर छुप कर क्यों किया जाए? खुलकर ज़िंदगी के मजे क्यों ना लिए जाएं?
हर्ष ने कहा- सही कह रही है साली!
और फिर नैपकिन पर लाली दिखाते हुए बोला- मुझे तो इस बात की और भी अधिक खुशी है कि तू भी पम्मी की तरह सील पैक माल निकली। मुझे एक और सील तोड़ने का गौरव प्राप्त हुआ।
उधर बंटू ने कुलजीत से कहा- यार, सच में मैं तो हैरान हूं कि ऐसा कैसे संभव हो गया? किंतु एक बात तो मानना पड़ेगी कुलजीत परजाई … कि तेरी चूत यार है … बड़ी सोहणी, बहुत मजा आया तेरी सील तोड़ के! आज के जमाने में तू हमारे जैसे लौंडो से बच कैसे गई यार?
कुलजीत ने कहा- क्योंकि मेरी सील तोड़ना किसी और के नहीं, यहां तक कि मेरे मोंटी के भी नहीं, तेरे मुकद्दर में लिखा था साले!
बंटू कुलजीत की बात सुनकर खुश हो गया।
अब बचा मोंटी … उसने देखा कि पलंग पर उसकी बीवी कुलजीत नहीं बल्कि पम्मी नंगी पड़ी हुई है और पम्मी की चूत से उसका वीर्य बह कर बाहर आ रहा है।
यह देख कर उसे एक अजीब सी उपलब्धि प्राप्त करने जैसी, अनुभूति हुई क्योंकि बहुत प्रयासों और प्रतीक्षा के बाद आखिरकार उसे आज पम्मी को चोदने में सफलता मिली थी।
वह पम्मी को चोदने के रोमांचक अनुभव में इतना मगन था कि उसे तो यह भी ध्यान नहीं आया कि पता नहीं उसकी बीवी की पहली चुदाई किसने की?
पम्मी ने उसकी तरफ मुस्कुरा कर देखा और बोली- क्यों मोंटी कैसा लगा? आज आखिरकार तूने चोद ही डाला मुझे!
मोंटी बोला- जितना अधिक मज़ा तुझे चोद कर आया, उस से अधिक मजा तुझे मेरे सामने नंगी देख कर और तेरी चूत से मेरे वीर्य को बहते देख कर आ रहा है।
पम्मी ने पूछा- कुलजीत कहां है? उसकी सील किसने तोड़ी? तेरे को यह ख्याल नहीं आया?
मोंटी हंसते हुए बोला- अरे उस की चूत तो मेरी ही है और सील का क्या है? एक बार चोदने के बाद में तो टूट ही जाती है। उसके बाद तो हर मर्द हजारों बार टूटी सील वाली चूत ही चोदता है। मेरी किस्मत में सील पैक चूत अगर होती तो जब मुझे मौका मिला था तब मैं तेरी चूत नहीं चोद डालता क्या??
पम्मी हंसते हुए बोली यार गजब है तू और तेरी सोच। चल बाहर हॉल में चलते हैं और बंटू तथा हर्ष को भी बुलाते हैं। देखते हैं कि हर्ष को चूत किस ने दी और बंटू ने किसकी चूत चोदी??
मोंटी और पम्मी दोनों नंगे ही बाहर हाल में आए। हाल में आकर मोंटी ने आवाज दी, ओए बंटू मादरचोद बाहर आ।
पम्मी ने भी आवाज लगाई मेरे चोदू राजा हर्ष, बाहर आ न यार। और हां, एक बात का ध्यान रहे, किसी को कपड़े पहनने की बिल्कुल आवश्यकता नहीं है
बंटू का कमरा खुला तो वह कुलजीत के साथ बाहर आया और हर्ष कोमल को लेकर!
अब हॉल में सब के सब नंगे थे।
सबके चेहरे पर प्रसन्नता चमक रही थी।
इससे यह पता चलता था कि सब इस Xxx हनीमून खेल से बहुत संतुष्ट थे।
हर्ष ने कहा- बंटू तेरी कोमल तो सील पैक माल निकली यार!
बंटू बोला- ताज्जुब की बात है यार मोंटी, कुलजीत भी सील पैक थी।
पम्मी एकदम चिंता में पड़ी कि मोंटी कहीं उसकी पोल ना खोल दे.
लेकिन मोंटी ने बंटू को कहा- कुत्ते, इसमें ताज्जुब की क्या बात है? कोमल सील पैक हो सकती है तो कुलजीत क्यों नहीं हो सकती?
उसके बाद रात की रासलीला पर हंसी मजाक के साथ चर्चा का दौर शुरू हुआ।
सब ने अपने अपने अनुभव सुनाए।
तीनों मर्द तो पराई औरत के साथ रात रंगीन करने के कारण गर्व से भरे हुए थे।
कोमल, कुलजीत और पम्मी ये तीनों भी रात को अपने-अपने मर्दों की चुदाई क्षमता से संतुष्ट थीं।
विशेष करके कोमल और कुलजीत विवाह पश्चात पहली ही रात एक नए लंड से मिले चरम सुख के कारण अति उत्साहित थीं।
अब अलग-अलग कमरों की भी कहां जरूरत थी … सबने हॉल में ही डेरे लगा लिए।
अब सामूहिक रूप से मस्ती के समीकरण बनने लगे।
हर्ष तो अत्यंत प्रसन्न था, उसे तो उम्मीद ही नहीं थी कि यहां आकर उसे एक के बाद एक नई चूतें मिलेंगी।
कोमल को चोदने के बाद अब उसकी नजर कुलजीत पर थी और मोंटी की इच्छा थी कि कुलजीत को चोदने के पहले वह अपना लंड कोमल की चूत में डाले।
अब बंटू और पम्मी के पास तो कोई ऑप्शन नहीं था सिवाय इस के कि दोनों एक बार फिर से चुदाई का मजा लें।
हाल में फिर शुरू हुआ कामुकता का नया खेल, सब न केवल चुदाई का मजा ले रहे थे बल्कि जीवंत पोर्न का आनंद भी उठा रहे थे।
पम्मी, हर्ष के चेहरे पर कुलजीत के रूप में, एक और नई चूत चोदने की खुशी छलकती हुई देख रही थी.
तो हर्ष भोली भाली पम्मी के चेहरे में नए नए लंड से चुदाई का आनंद उठाने वाली औरत को उभरते देख रहा था।
बंटू, कुलजीत की सील तोड़ने के बाद अति प्रसन्न था, वह देख रहा था कि उसकी नई नवेली दुल्हन एक ही रात में किस तरह दूसरे नए लंड के मज़े ले रही थी।
मोंटी यह सोच रहा था कि हम दोनों दोस्त एक दूसरे की बीवी की सील तोड़ेंगे यह तो पहले ही तय कर चुके थे लेकिन सबसे अधिक भाग्यशाली रहा हर्ष, उसने अवसर का लाभ उठा लिया। किंतु संतोष इस बात का है कि उसी ने इस तरह के प्रोग्राम को संभव बनाने में हमारी हसरतें जगाईं और रही सही कसर पम्मी ने पूरी कर दी। जिस पम्मी को मैं बुरा सपना समझ के भूलने की कोशिश कर रहा था आखिरकार आज रात उसकी मस्त चुदाई कर के पुरानी ख्वाहिश पूरी कर ली।
पम्मी सोच रही थी कि वह तो अच्छा हुआ जो मैंने कमरे से बाहर आने के पहले मोंटी को इस बात के लिए मना लिया कि वह विवाह पूर्व के तीनों के कारनामों की कोई चर्चा ना करे नहीं तो … आज हर्ष के सामने उसकी सीधीसादी, भोली भाली, सील पैक वाली लड़की की इमेज की तो मां चुद जाती।
तीनों मर्दों को नाश्ते का सामान लाने के लिए भेज कर तीनों औरतें, पम्मी के कमरे में एकत्रित हुईं।
कोमल और कुलजीत दोनों ने पम्मी को अपने बहुपाश में जकड़ लिया।
कोमल बोली- यार पम्मी, तूने मज़े ला दिए.
कुलजीत बोली- मैं तो डरी हुई थी कि भांडा फूट जाएगा। तेरी तरकीब से हम दोनों न केवल कुंआरी सिद्ध हो गईं बल्कि नए लंड से सुहागरात मनवा के तूने भविष्य में होने वाली सारी समस्याएं ही खत्म कर दीं।
पम्मी ने कहा- वास्तव में तो मुझे भी इसी समस्या से गुजरना पड़ा था तो मुझे मेरी सेक्स गुरु सिमरन आंटी ने यह उपाय बताया था। मेरी एक सहेली नर्स थी उस ने एक सिरिंज में थोड़ा सा ब्लड निकाल के मुझे दे दिया था। मैंने चुदने के पहले उसे अपनी चूत की गहराई में डाल लिया था। जब तुम दोनों से दोस्ती हुई तो पता चला हम तीनों तो एक जैसी लंड की शौकीन हैं। हमारी वासना की दुनिया में हम औरतें एक दूसरे को जितना सहयोग करेंगी उतना ही आनंद का सृजन होगा। अब सहयोग का परिणाम तुम्हारे सामने है, हम तीनों के साथ साथ हमारे तीनों मर्द भी बहुत प्रसन्न हैं।
कोमल ने कहा- मेरी खुशकिस्मती से ससुराल में आकर, तेरे जैसी कामुक सहेली मिली। जिसने पहली ही रात न केवल दो नए लंड दिलवाये बल्कि इस बात का भी पक्का इंतजाम करवा दिया कि भविष्य में भी नए लौड़ों की कमी नहीं रहने वाली है।
कुलजीत ने भी सहमति जताते हुए कहा- हम दोनों कितनी खुशकिस्मत निकलीं, जिन्हें अपने हसबैंड के लंड से पहले दो नए लौड़ों का मजा मिला, शायद ही किसी दुल्हन की पहली रात इतनी मस्त हुई होगी।
पम्मी ने कहा- अब तुम दोनों तैयार हो जाओ, अब तुम दोनों को मैं जो बताने वाली हूं, वह कल रात की घटना से भी अधिक रंगीन और सनसनीखेज खबर है।
कोमल और कुलजीत दोनों के मुंह खुले रह गए कि पम्मी अब कल रात से भी अधिक आश्चर्यजनक क्या सुनाने वाली है?
उस के बाद पम्मी ने शादी वाली रात का पूरा किस्सा उन दोनों को सुना दिया।
वे दोनों हैरान थीं कि उन की सास, ससुर और ननद सब शौकीन लोग हैं यानि उन की मस्ती में कोई खलल डालने वाला नहीं है।
पम्मी ने कहा- फिलहाल तो हम सब की हवस की यह आग शांत हो गई लेकिन यह फिर से सुलगेगी, और भड़केगी। उसको शांत करने का यही तरीका सबसे बढ़िया है कि नए पुराने साथी इकट्ठे हों और हम बिना किसी पाखंड के कुदरत के इस वरदान का भरपूर उपयोग करें।
तीनों एक बार फिर जम के गले से लिपट पड़ीं।
तीनों मर्दों के आने की आहट आई तो तीनों हॉल में आ गईं।
इसके बाद फिर तीनों जोड़े जब तक डलहौजी में रहे हर तरह के समीकरण बने।
कभी एक औरत के साथ दो मर्द तो कभी एक मर्द के साथ दो औरतें।
उसके बाद एक औरत के साथ तीनों मर्द और एक मर्द के साथ तीनों औरतें भी।
पहले कौन मजे करे?
और किन-किन के साथ करे?
इसके लिए चिट भी डाली गई।
लौटते हुए तीनों जोड़े यही सोच रहे थे कि यह तो बहुत अच्छा हुआ कि हम सब एक जैसे मिल गए।
सबके तन मन में कामुकता और वासना कूट कूट के भरी हुई है।
मेरे रसिक, कामुक, सनसनी प्रेमी पाठकों, मुझे पूरा विश्वास है कि आप सब ने कहानी का भरपूर आनंद उठाया होगा।
मैं यह भी जानती हूं कि बहुत से पाठक इस का और विस्तार भी चाह रहे होंगे, जिसकी गुंजाइश भी है।
लेकिन आप जानते हैं कि मुझे कहानी को खींचना अथवा घटनाओं का दोहराव बिलकुल पसंद नहीं है।
अतः आप सब इस कहानी का अपने जीवन को सरस बनाने में यथासंभव उपयोग करें।
इस Xxx हनीमून स्टोरी के रसरंग प्रेमी पात्रों की तरह, तनाव मुक्त हो कर जीवन के हर पल का आनंद लें।
अपनी प्रतिक्रिया से अवगत करावें।
हमारी आईडी है
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