मेरा दूध, तेरी मलाई मिल दोनों ने धूम मचाई- 3

(Xx Xx Hindi Kahani)

Xx Xx हिंदी कहानी में मेरे एक्स बॉस मेरे घर आये. मैंने उनसे पहले से ही चुदना चाहती थी. मैं अपने बेटे को दूध पिलाने लगी तो मैंने अपनी चूचियां उनके सामने ही नंगी कर ली.

कहानी के दूसरे भाग
बड़े लंड से चुदाई की लालसा
में आपने पढ़ा कि मेरी सेटिंग अपने बॉस के साथ हो गयी थी. मैं उनके बड़े लंड को अपनी चूत में लेने को आतुर थी पर मैं अपने पति से गर्भवती हो गयी तो मुझे जॉब छोड़नी पड़ी.
मेरा बेटा होने के बाद बॉस अचानक मेरे घर आये तो मेरे मानस पटल में उसके साथ बिताये अन्तरंग पल उभर आये.
मैं एक बार फिर पराये मर्द की बांहों में जाने को मचलने लगी थी.

अब आगे Xx Xx हिंदी कहानी:

जैसे मैंने एक स्तन की निप्पल मेरे बेटे के मुंह में दिया और विक्रम को मेरे दूसरे स्तन को उंगली से इंगित करके विक्रम को आमंत्रित किया कि वह आगे बढ़े और मेरे स्तन में से दूध को चूसे।

मेरा इशारा मिलते ही विक्रम मेरी जांघ पर सर रख कर लेट गया गया और मेरी छाती में अपना मुंह डालकर मेरे निप्पल को मुंह में ले कर छोटे बच्चे की तरह शिद्द्त से चूसने लगा।

मेरे दो स्तनों पर एक साथ दो चूसते मुँहों को महसूस करने के उन्माद का मैं वर्णन नहीं कर सकती।
एक तरफ मेरा बेटा मेरे वात्सल्य भरे स्तन से मेरा दूध पी रहा था तो दूसरी तरफ मेरा प्रेमी मेरे वासना भरे स्तन से मेरा दूध पी रहा था।

मेरी निप्पलों को कौन सा मुंह ज्यादा ताकत से चूस रहा था यह कहना मुश्किल था।
मेरा बेटा भी जैसे उसके अंकल के साथ दूध चूसने की कम्पटीशन में लगा हो, वैसे बड़े जोरों से मेरा दूध चूस रहा था.

आम तौर पर वह ऐसा नहीं करता था।
शायद उस कम उम्र में भी वह मेरे स्तन चूसने में अंकल से पीछे नहीं हटना चाहता था।

विक्रम मेरी निप्पल को चूसते चूसते कभी उत्तेजना में उसे चबा भी लेता था तब दर्द के मारे मेरे मुंह से दर्द भरी कराहट निकल जाती थी।
मेरा कराहना सुनकर मेरा बेटा भी और जोर से मेरा स्तन चूसता हुआ मेरी निप्पल को दांत मार कर काटने लगता था।

यह दोनों की होड़ एक तरफ मेरे लिए दर्द का कारण बन रही थी तो दूसरी तरफ मेरी जबरदस्त कामुक उत्तेजना का सबब भी हो रही थी।

मेरी चूत में से तो जैसे वासना की धारा ही बहने लगी थी। मेरी चूत सिर्फ गीली नहीं हो रही थी, मेरे स्तनों में से दूध की धारा बह रही थी तो मेरी चूत में से मेरा कामरस रिस रहा था।

अनायास ही मेरा हाथ विक्रम की जांघों के बीच चला गया।
मैं बिना देरी के विक्रम का वह मोटा तगड़ा लण्ड मेरे हाथ में महसूस करना चाहती थी जिसे मैंने कई महीनों तक नहीं देखा था।

विक्रम ने तपाक से अपनी पतलून का बेल्ट खोल दिया और पैन्ट और जांघिया नीचे खिसका दिया।
बाप रे! कई महीनों या यूँ कहो कि सालों बाद मैं विक्रम का तगड़ा लण्ड देख रही थी।
यह लण्ड मैं कभी भूल नहीं सकती।

जो भी लण्ड मैंने देखे थे, उन सब में विक्रम का लण्ड अलग ऐसे था कि एक तो वह एकदम गोरा चिट्टा था, दूसरे इतना मोटा था जैसे कोई लौकी हाथ में पकड़ ली हो, तीसरे उस लण्ड पर इतनी ज्यादा नसों का जाल बिछा हुआ था जैसे लण्ड किसी जाल में फंसा हुआ हो और चौथा जांघिये के बाहर निकलते ही जैसे ऊपर आसमान में देख रहा हो ऐसे ऊपर की तरफ मुड़ा हुआ था।

अलग अलग लण्ड में यह विशेषताएं होती हैं पर विक्रम के ही लण्ड में यह सारी विशेषताएं एक साथ मैंने देखीं।

मेरे छूते ही विक्रम के लण्ड के छिद्र में से बून्द बून्द कर उसका पूर्वरस निकलने लगा।
मैंने उसे विक्रम के लण्ड की सतह पर मेरी उंगलियां फिरा कर फैला दिया ताकि लण्ड काफी चिकना हो जाए जिससे जब उसे मेरी चूत में घुसना हो तो उसे घुसेड़ने में ज्यादा परेशानी ना पैदा हो।

मेरी गोद में एक तरफ मेरा बेटा था और दूसरी तरफ मेरा प्रियतम था।

मेरा एक हाथ मेरे बेटे के बदन को सहला रहा था तो दूसरा हाथ विक्रम के लण्ड को।
मेरा बेटा देख रहा था कि मां किसी मर्द के लण्ड को हिला हिला कर सहला रही है।

बेचारा कुछ जानता नहीं था पर यह देख कर मुस्कुराये जा रहा था।

पर विक्रम कहाँ मेरे सहलाने से ही मानने वाला था.
उसने मेरी जांघों के बीच में टटोलना शुरू किया।
मेरी साड़ी जांघों के ऊपर तक चढ़ा कर वह मेरी पैंटी तक पहुंचना चाहता था।

पर जैसे मैं पालथी मार कर बैठी थी मेरी गांड के नीचे मेरी साड़ी इकट्ठी हो कर फंस जाने के कारण वह अपना हाथ मेरी जांघों के बीच नहीं डाल पा रहा था।
फिर भी जैसे तैसे कर विक्रम अपना हाथ मेरी जांघों के बीच घुसाने की कोशिश में था।

मैं उसकी बेसब्री समझ रही थी। मैं भी उनका लण्ड चूसने, मेरी चूत चुसवाने के लिए बेसब्र थी।

जब मेरे बेटे ने मुझे विक्रम का लण्ड सहलाते हुए और विक्रम को मेरी चूत को छूने की कोशिश करते हुए देखा तो दूध पीने की बजाये मेरा बेटा मेरी निप्पल को मुंह में लिए उससे खेलने लगा।

उसे जैसे मेरा दूध पीने में नहीं, बल्कि अब आगे चल कर मेरे दूसरे स्तन का दूध पी रहा विक्रम उसकी मां की कैसी वाट लगाएगा, वह देखने में ज्यादा इंटरेस्ट लग रहा था।

बच्चे हमेशा मां बाप की चुदाई देख कर बड़े एक्साइट होते हैं।
पर यहां उसका बाप नहीं कोई अजनबी मर्द मां के स्तनों से चिपका हुआ था, मां का दूध पी रहा था।

बच्चे को ऐसा नजारा देखने का मौक़ा कहां मिलता है.
मेरा बेटा कभी मेरी तरफ तो कभी विक्रम की और नजर गाड़े देख रहा था।

मैंने सोचा था कि बेटा दूध पीकर पेट भर जाने पर चुपचाप एक अच्छे बेटे की तरह पलने में आराम से सो जाएगा और मैं और विक्रम हमारा कार्यक्रम कर लेंगे।
पर मेरा बेटा तो अपनी बड़ी बड़ी आंखें फैलाये हुए हमें बारी बारी से देख रहा था. जैसे उसे पता था कि जल्दी ही कुछ ना कुछ काण्ड होने वाला था।

मैंने विक्रम से कहा- देखो विक्रम यार, मेरा बेटा सोने का नाम नहीं ले रहा है। अब क्या करें?
विक्रम ने अपने हाथों से मेरा गुब्बारा सा फुला और दूध से भरा हुआ स्तन की निप्पल को पिचका कर उसमें से दूध की पिचकारी मेरे मुंह पर मारते हुए हंस कर कहा- यार, इसमें इसका क्या दोष है? इसे मालूम है कि कुछ ही देर में इसकी मां की जबरदस्त ठुकाई होने वाली है। ऐसा सीन देखने का मौक़ा कोई जाने देता है भला? इसे भी देखने दो ना यार … इसकी आज पालने में से ही चूत चोदने की ट्रेनिंग शुरू हो जायेगी।

मैंने विक्रम की छाती पर नकली हल्का सा घूंसा मार कर हंस कर कहा- विक्रम तुम भी ना! फिर क्यों उसकी मां चोदने जा रहे हो? जाने दो ना उसे?

विक्रम ने मेरे बेटे के गालों को हल्की सी प्यार भरी चूँटी भरते हुए कहा- बेटे, ऐसी पटाखा जैसी तेरी मां को चोदने का मौक़ा भला कोई मर्द छोड़ सकता है क्या? बेटा, अब तू देखता जा मैं कैसे तेरी मां को चोदता हूँ। कल तू भी बड़ा हो कर क्या याद करेगा कि वाट लगाई थी मेरी मां की किसी अंकल ने मेरे सामने कभी!

यह कह कर विक्रम फिर अपना सर झुका कर मेरे दूध के भरे स्तन को मेरे बेटे के देखते हुए अपने मुंह में भर कर शिद्दत से चूसने लगा।

मेरे बेटे की नजर के सामने ही विक्रम की इस तरह की उत्तेजक बातें करने से मैं काफी चुदासी हो रही थी।
मेरी Xx Xx चूत पानी छोड़ने लगी।

अनजाने में ही मेरा हाथ मेरी जांघों के बीच जा पहुंचा और मेरी चूत को घाघरे के ऊपर से ही सहलाने लगा।

अब विक्रम से भी रहा नहीं जा रहा था।
उसने मुझे कहा- दीपू, अब यार और ज्यादा मत तड़पाओ मुझे!

वह बेसब्री सिर्फ विक्रम की ही नहीं थी, मेरी चूत में भी आग लगी थी।
मेरी पैंटी सिर्फ गीली नहीं हुई थी, वह पूरी तरह भीग चुकी थी।

तक़दीर से विक्रम उसे देख नहीं पा रहा था क्योंकि मैं सोफे पर पालथी मार कर मेरी साड़ी के ऊपर अपनी गांड टिकाये बैठी हुई थी।

उधर मैं हैरानगी से विक्रम के लण्ड को देख रही थी।
विक्रम का लण्ड हर पल मेरी चूत को चोदने की आस लगाए फैला ही जा रहा था।

जो पहले 6 या 7 इंच का था बढ़ कर आठ इंच का होने लगा था।
उसकी मोटाई देख कर तो मैं आंखें ही बंद कर देती थी क्यूंकि उसे मुझे मेरी छोटी सी नाजुक चूत में घुसड़ना था।

विक्रम इस महाकाय लण्ड को कितनी मशक्क्त करके कैसे मेरी चूत में घुसेड़ेगा, यह भी मेरे लिए एक चिंता का विषय था।

मैंने बेटे की और इशारा करके कहा- पर यह सो तो जाए!
विक्रम ने कहा- इसकी आंखें तो देखो! कितनी बड़ी बड़ी आंखें खोल कर तुम्हें और मुझे टकटकी लगाए देख रहा है? जैसे हमें कह रहा हो कि बाबा अब बहुत हो गया भाषण … अब चुदाई शुरू करो। यह बदमाश सोने वाला नहीं। इसे तो मां की चुदाई देखनी ही है। आगे चल कर यह भी मेरे जैसा ही कमीना चुदक्कड़ बनेगा। अब देखने दो इसे यार!

मैंने शर्माते हुए कहा- अरे इसके सामने मुझे नंगी होना पडेगा यार, समझा करो!
विक्रम ने मेरा हाथ थाम कर कहा- यार, यह तुम्हारी चूत में से ही तो निकला है! इसके बाप ने तुम्हें नंगी जरूर देखा होगा पर तुम्हारी पूरी चूत ठीक से नहीं देखी होगी। इसने तो तुम्हारी पूरी चूत अंदर से और बाहर से ना सिर्फ देखी है बल्कि महसूस भी की है। इससे क्या शर्माना? यार, अब मुझ से रहा नहीं जाता। अब यह सब बहानेबाजी बंद करो और चलो तुम्हारे बैडरूम में! आज मैं तुम्हारी ऐसी ठुकाई करने वाला हूँ कि तुम भी क्या याद रखोगी। कितने लम्बे अरसे बाद आज पहली बार तुम मेरे शिकंजे में आयी हो। अब जल्दी करो।

कह कर विक्रम ने बिना मेरी इजाजत के या बिना बताये, मुझे अपनी चौड़ी बांहों में उठा लिया और बैडरूम में ले जा कर धीरे से पलंग पर बेटे समेत रख दिया।

मैं मेरे स्तनों को ढकने की चिंता किये बगैर ही ऊपर से नंगी बेटे को मेरे स्तन से चिपकाए रखे हुए पलंग के एक कोने पर जा बैठी।
जैसे ही मैं बेटे को मेरे स्तन से हटाने लगी, वह जोर जोर से चिल्लाने लगा जैसे वह मेरे स्तन को छोड़ना ही ना चाहता हो।

मेरे लिए यह बड़ी समस्या हो गयी।
मैंने विक्रम की ओर देखा।

विक्रम ने कहा- यार, उसकी चिंता छोडो अब! यह शैतान तुम्हारी चुदाई देखे बिना तुम्हारे बूब्स को छोड़ने वाला नहीं। लगा रहने दो इसे तुम्हारी चूचियों से चिपके हुए!
कह कर विक्रम ने मेरी साड़ी खींच कर खोल कर निकाल दी और पलंग के एक कोने में फेंक दी।

फिर मेरे घाघरे को उठा कर उसने ऊपर कर दिया तो उसकी नजर मेरी पूरी भीगी हुई पैंटी पर पड़ी।

विक्रम ने हंसते हुए कहा- मेरी रंडी दीपू, बात सिर्फ अब मेरे लण्ड की ही नहीं है। देखो तुम्हारी चूत में भी कोई कम आग नहीं लगी हुई। साली धड़ल्ले से पानी छोड़ रही है। तुम भी तो चुदवाने के लिए पागल हो रही हो यार!

मैं क्या बोलती? उसकी बात सौ फीसदी सही थी।

शर्म के मारे अपनी आंखें मींच कर मैं चुपचाप ‘आगे विक्रम क्या करेगा’ उसके इंतजार में अपने घुटनों को टेढ़े किये बेटे को छाती से लगाए हुए पलंग के एक कोने पर दीवार के सहारे बैठी रही।

विक्रम तपाक से पलंग पर चढ़ गया और मेरे टेढ़े पांव फैला कर मेरी जांघों के बीच में अपने हाथ डाल कर मेरी पैंटी को निकालने लगा।

मैंने अपने हाथ से विक्रम को रुकने का इशारा किया और एक हाथ से अपने पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया।
एक ही झटके में विक्रम ने मेरा पेटीकोट निकाल फेंका।

अपने दोनों हाथ से मेरी पैंटी का स्ट्रेच बेल्ट पकड़ कर विक्रम उसे नीचे की और खींचने लगा.
तब मैंने मेरे कूल्हे उठा कर उसे निकल जाने दिया।

मैं पलंग पर पूरी तरह नंगधडंग हो गयी।

विक्रम बिना समय गंवाए मेरी टांगों को फैला कर मेरी जांघों के बीच में अपना सर घुसा कर मेरी चूत की पंखुड़ियों को अपनी जीभ से कुरेदते हुए चाटने लगे और हल्के हल्के रिस रहे मेरे प्रेम रस को लपालप चाटने और चूसने लगे।

यह मेरे लिए एक अनूठा और अद्भुत अनुभव था।

मेरे पति रात में जब भी मुझे चोदने आते थे तो उनका सिर्फ एक मात्र ध्येय होता था मेरी चूत में लण्ड डालकर चोदना और जैसे ही उनका वीर्य स्खलन होता, उनकी मलाई निकल जाती और वे फारिग हो जाते थे.
तब वे फटाफट अपना पजामा बंद कर के या तो चुपचाप सो जाते थे.
या तो एकदम कुछ फ़ालतू बात ‘इसका क्या हुआ. उसका क्या हुआ’ ऐसी बेकार की बातें करके मेरा पूरा मूड खराब कर देते थे।

ना तो उनको कोई फोरप्ले में रस था, ना ही यह देखने में कि मेरा कुछ हुआ या नहीं।
मैं भी कैसे सब जल्दी ख़त्म हो, यह सोच कर अपनी जांघें फैला देती थी और जैसे ही मेरे पति मेरे ऊपर से हट जाते, मैं भी उठ कर मेरी चूत साफ़ करके बिना कोई बात किये या मेरे पति की फ़ालतू बात का बिना कोई जवाब दिए सो जाती थी।

यह चूत चाटना या लण्ड चूसना हमारे लिए बहुत पुरानी बात हो चुकी थी।
विक्रम ने काफी समय के बाद उस दिन मेरे स्त्रीत्व को उजागर किया और मुझे अहसास दिलाया कि चुदाई में मैं सिर्फ एक साधन मात्र नहीं, मेरा भी कोई महत्त्व है।
यह मानना पड़ेगा कि विक्रम चूत चाटने में बड़े ही उस्ताद था।
उसे पता था कि कहां और कैसे जीभ से कुरेदने में स्त्री को ज्यादा से ज्यादा कामुक उन्माद प्राप्त होता है।

हिंदी में जिसे भगशिश्न और अंग्रेजी में Clitoris कहते हैं, उसे छेड़ने से स्त्री कहीं ज्यादा उन्मादित हो कर चुदास हो जाती है और पुरुष उस स्त्री को चुदवाने के लिए आसानी से अपने वश में कर सकता है।

मैं विक्रम के मेरी चूत इतनी दक्षता से चाटने और मेरी चूत में से रिस रहा प्रेमरस चूसने के कारण पगला रही थी और चाहती थी कि विक्रम जल्द से जल्द मेरी चुदाई शुरू करे।

Xx Xx हिंदी कहानी के हर भाग पर आप अपने कमेंट्स देते रहियेगा.
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