जिस्म से रूह तक का सफर- 2
(X love Sex Kahani)
X लव सेक्स कहानी में मैंने प्यार से अपनी विवाहिता पड़ोसन को दोस्त बनाया, अपने प्यार का इजहार किया और उसे चुम्बन के लिए मनाया. उससे आगे सेक्स तक हम कैसे पहुंचे?
दोस्तो,
कहानी के पहले भाग
पड़ोस की नवविवाहिता से वासना भरा प्यार
में अभी तक आपने पढ़ा कि कैसे मैंने श्रुति से अपनी दिल की भावनायें व्यक्त की और हम कैसे एक दूसरे के इतने करीब आये।
अब आगे की X लव सेक्स कहानी:
जैसा कि मैंने बताया था कि मैं कोई भी जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता था और श्रुति की भावनाओं और इच्छओं का बखूबी सम्मान भी करता था।
और ऐसा मैं बिल्कुल भी नहीं चाहता था कि मेरी किसी हरकत की वजह से वो आहत हो या जल्दबाज़ी में किये गये किसी कृत्य की वजह से उसे बाद में आत्मग्लानि हो या किसी प्रकार का कष्ट उठाना पड़े।
मैं अपनी जरूरतों के साथ उसे भी हमेशा खुश देखना चाहता था इसलिये सब कुछ आराम से करना चाहता था।
मैंने सोच लिया था कि जब तक श्रुति खुद मेरे साथ चुदाई के लिये राजी नहीं हो जाती तब तक मैं उसे फ़ोर्स नहीं करूंगा और उसके बाद ही आगे बढूंगा।
मेरा अपनी सभी महिला मित्रों के लिये यह सुझाव है आप सभी अपने साथी का चुनाव सोच समझ कर ही करें और सेक्स करने से पहले अच्छे से सोच विचार कर लें।
खासकर शादीशुदा महिलाएं क्योंकि बहुत सी महिलाएं क्षणिक उन्माद में आकर चुदाई के मजे तो ले लेती हैं।
पर कुछ समय बाद उन्हें यह एहसास होता कि उन्होंने जिस इंसान पर भरोसा करके खुद को सौंपा था वो इंसान उनकी साधारण सी भावनायें समझने में भी असमर्थ है।
इसका दूसरा पहलू यह है कि कुछ औरतें पहले तो बिना सोचे समझे भावनाओं में बह जाती हैं और फिर बाद में अपने पति से बेवफाई करने की सोच में आत्मग्लानि से भर जाती है और पूरा समय यही सोच कर दुखी रहती हैं।
इसके लिये आप जब भी किसी से संबंध बनायें तो पहले खुद को हर तरह से तैयार कर लें और अपनी प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुये सही साथी के चुनाव के बाद ही सेक्स का आनंद लें।
ताकि भविष्य में उन पलों की याद मात्र से ही आपका रोम रोम खिल जाये और आप पूरी तरह से रोमांच से भर उठें।
मैं यहाँ किसी भी व्यक्ति का आंकलन या समीक्षा नहीं कर रहा बल्कि सिर्फ अपने व्यक्तिगत विचार आप सबके सामने रख रहा हूँ।
ताकि आप सभी अपने जीवन का बिना किसी परेशानी के भरपूर आनंद ले सकें।
अब ज्यादा समय न लेते हुये मैं सीधे कहानी पर आता हूं।
मेरे और श्रुति के बीच भावनात्मक आलिंगन और किसिंग का सिलसिला काफी दिनों तक चलता रहा और हम दोनों बहुत खुश भी थे।
किस करते-करते मैं कभी कभार उसके चुचे दबा देता तो उसकी प्यार भरी सिसकियां निकल जातीं।
कुछ दिनों के बाद मैंने श्रुति से उसके मम्मे चूसने की इच्छा जाहिर की तो उसने मुझे अपनी सहमति दे दी साथ ही बोली- थोड़ा आहिस्ता आहिस्ता करना, बस मुझे दर्द न हो।
मैंने उसे प्यार से चूमा और कहा- मुझे इस बात का पूरा खयाल है कि तुम्हें किसी भी तरह की तकलीफ न होने पाये। तुम बेफिक्र रहो और बस खुलकर इस एहसास को महसूस करो।
इसके बाद मैंने बड़े प्यार से उसकी कुर्ती उतारी। उसने कुर्ती के अंदर नेट वाली डिज़ाइनर ब्रा पहनी हुई थी।
वो नज़ारा मैं आज तक नहीं भूल पाया हूँ क्योंकि वो उस वक़्त बिल्कुल संगमरमर की तराशी हुई किसी मूर्ति जैसी लग रही थी और उसके बड़े बड़े चुचे ब्रा में कैद होते हुए भी कयामत ढा रहे थे।
मुझे उसे इस तरह से देखकर कुछ पल के लिये उसके पति से जलन होने लगी थी कि इतनी खूबसूरत लड़की अगर मेरी बीवी होती तो मैं उसे एक पल के लिये भी न छोड़ता।
मैं अपने हाथ उसकी पीठ पर ले गया और उसकी ब्रा के हुक खोल कर ब्रा के स्ट्रैप्स नीचे खिसका दिये।
उसके मम्मे उछल कर बाहर आ गये जैसे अभी तक किसी ने उन्हें कैद में बंद करके रखा रहा हो।
वो सच में इतने प्यारे और बेदाग थे कि मन कर रहा था बस चबा कर खा जाऊँ।
हमारे बीच इतना सब होने के बाद वो अभी भी मुझसे शरमा रही थी और मुझे उसकी इस अदा पर बहुत X लव उमड़ रहा था।
मैंने उसके मम्मे बड़े प्यार से अपने हाथों में लिये और सहलाने लगा और मुँह लगाकर बड़े प्यार से धीरे-धीरे चूसने लगा।
उसके चुचे इतने मुलायम थे जैसे ताज़ी ब्रेड के बन से बनें हों।
मैं बारी-बारी से दोनों चुचों को सहलाता और चूसता रहा.
उसकी आँखें बहुत नशीली हो गयी थी और चेहरे के भाव बता रहे थे कि उसे बहुत अच्छा लग रहा है।
वो बार-बार अपनी टांगे सिकोड़ती और आपस में भीच लेती, उसकी कसमसाहट और बेचैनी से साफ पता चल रहा था कि उसकी आग धीरे-धीरे भड़क रही है।
मैं बिना रुके उसके होठों से लेकर पेट के निचले तक चूम रहा था और साथ ही अपनी झीभ से उसके हर अंग को सहलाता जा रहा था.
जिससे उसकी बेचैनी भी बढ़ती जा रही थी।
मैंने कमर से उसकी लेग्गिंग की साइड्स को छुआ तो उसने आहिस्ता से अपनी कमर ऊपर उठा दी।
मैंने बड़े प्यार से उसकी लेग्गिंग को नीचे खिसका दिया और उसके शरीर से अलग कर दिया।
उसकी जाँघें बिल्कुल बेदाग और केले के तने जैसी चिकनी थी।
अब वो मेरे सामने सिर्फ डार्क मैरून डिज़ाइनर लायेंज़री सेट की पारदर्शी पैंटी में थी जिसमें उसकी फूली हुई चूत उभरी हुयी दिख रही थी जो कि पूरी तरह से उसके कामरस से भीग कर गीली हो गयी थी।
उसने अपनी दोनों टांगें आपस में कसकर भीच रखी थी।
और भले ही वो काफी गर्म हो गयी थी पर उसकी शर्म अभी तक खत्म नहीं हुई थी।
मैं अभी भी अपने कपड़ों में था।
और जब मुझे इस बात का खयाल आया तो मैंने बड़ी तेजी से अपने सारे कपड़े उतार कर इधर उधर फेंक दिये कि ताकि हम दोनों एक जैसी अवस्था में आ जाएं।
मैं उसकी मांसल जाँघें चूमते हुए उसकी चूत के ऊपर अपनी गर्म सांसें छोड़ रहा था।
उसकी आंखें बंद हो गयी थी और वो आनन्द के सागर में डूबी हुई थी।
मैं धीरे से ऊपर आया और उसके कानों में आहिस्ता से बोला- अब आगे बढ़ें जान!
उसने अपनी आँखे खोली और आंखों ही आंखों में अपनी सहमति मुझे दे दी।
मैंने अपने दोनों हाथ की उंगलियाँ उसकी कमर से खिसकाते हुए उसकी पैंटी में फंसाई और आगे के हिस्से को अपने दांतो से दबाते हुए उसकी पैंटी को नीचे खिसकाते हुए उसके तन से जुदा कर दी।
उसकी चूत गुलाबी सी थी और ऐसा लग रहा था जैसे बहुत कम ही चुदी है।
मैंने बोला- तुम्हारी चूत तुम्हारी तरह ही प्यारी है।
वो यह सुनकर शरमा गयी।
इसके बाद मैंने बड़े प्यार से उसकी चूत को चूमा और अपनी झीभ लगाकर बडे प्यार से उसे चोदने लगा और अपनी एक उंगली उसकी चूत के अंदर डाल कर उसके खुरदुरे हिस्से को सहलाने लगा।
वह कुछ देर बाद उसकी कमर में हरकत आ गयी।
मैं समझ गया कि अब चुदाई का वक्त आ गया है।
मैंने अपनी अंडरवीयर उतार कर साइड में रखा और मेरा लंड किसी रॉड की तरह सख़्त हो चुका था क्योंकि अभी तक चुदाई के इंतज़ार में एक-एक पल गिन रहा था।
मैंने दो तकिया उठा कर श्रुति की कमर के नीचे लगा दीं और उसकी दोनों टांगों को उठाकर अपने कंधे पर रखकर अपना लंड उसकी चूत के मुहाने में रख कर धीरे-धीरे रगड़ने लगा.
और फिर धीरे धीरे उसकी चूत में डालने लगा।
शादीशुदा होने के बावजूद भी उसकी चूत काफी कसी हुई थी।
जैसे ही मैंने थोड़ा सा लंड उसकी चूत में डाला उसकी आंखें खुल गयीं और वो मेरी तरफ बड़े प्यार भरी निगाहों से देखने लगी।
मैंने उसको तसल्ली दी और एक झटके के साथ लंड उसकी चूत में उतार दिया उसकी हल्की सी आह निकल गयी।
फिर मैंने श्रुति को धीरे-धीरे चोदना चालू कर दिया और जल्दी ही अपनी स्पीड बढ़ाने लगा।
मेरे हर झटके के साथ उसकी आहें निकल रही थीं और वह अपनी कमर हिला हिला कर लंड अपने अंदर ले रही थी।
अब हमारी धकापेल चुदाई का दौर शुरू हो गया था।
मैं पूरे जोश में उसे चोद रहा था और मेरे दोनों हाथ उसको मम्मों का मर्दन कर रहे थे।
साथ ही उसे बीच बीच में झुक कर उसके होंठों को चूमता जा रहा था।
मेरा लंड पूरी रफ्तार से श्रुति की प्यारी सी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था और उसी के साथ श्रुति की आहें भी तेज़ होती जा रही थी।
कुछ देर में श्रुति थरथराते हुए मेरे लंड पर झड़ गयी और मुझे कस कर जकड़ लिया।
मैंने उसे तेजी से चोदना जारी रखा और अपना लंड उसकी चूत की जड़ तक उतार कर अपना पूरा गाढ़ा माल उसकी चूत की गहराइयों में भर दिया और उसके ऊपर ही लेट गया।
पहले ही राउंड में श्रुति के चेहरे पर संतुष्टि के पूर्ण भाव दिख रहे थे।
उसके बाद मैं उसे अपनी बाहों में लेकर काफी देर तक चूमता और सहलाता रहा।
श्रुति अभी भी मेरे साथ बेड पर नंगी पड़ी थी उसके नंगे जिस्म को देख कर एक बार फिर मेरा मूड बन गया और मेरा लंड उठकर फिर से सलामी देने लगा।
मैंने श्रुति को पकड़ा और चूमने लगा और लंड डालकर फिर से चोदना शुरू कर दिया।
श्रुति जोर जोर से आहें भर रही थी- उई मां आहह … आह!
मैंने अपना लंड श्रुति की चूत से बाहर निकाला तो वह बड़े प्यार से मेरे लंड को निहारने लगी.
मेरा लौड़ा अभी भी तना हुआ था।
मैंने उसको घुमा कर घोड़ी बना दिया और पीछे से उसकी चूत में अपना लंड पेल दिया।
उसकी गांड भी उसके शरीर के बाकी अंगों की तरह एकदम गोरी और देखने में स्ट्राबेरी के शेप जैसी लग रही थी।
उसकी गांड का छोटा सा सुर्ख लाल छेद देखकर मेरा मन मचल गया।
पीछे से उसकी चूत मारते हुये मैंने अपनी एक उंगली उसकी गांड में डाल दी जिससे वो सिहर सी गयी क्योंकि शायद उसको इस बात का अंदाज़ा भी नहीं रहा होगा कि मैं ऐसा कुछ करने वाला हूँ।
मैंने अपनी उंगली निकाल कर उसकी गांड को थपथपाया और चोदना जारी रखा।
फिर मैंने उस से पूछा- कोई ऑयल है क्या?
उसने बोला- किचेन में रखा होगा।
वो समझ गयी थी कि मैं उसकी गांड देख कर फिदा हो गया हूँ.
तो उसने बोला- मैंने कभी गांड में लंड नहीं लिया, अभी पीछे से मत करो प्लीज! मेरी सहेलियों ने बताया था कि पीछे से बहुत दर्द होता है।
मैंने बोला- कुछ नहीं होगा बेबी! बस शुरू में थोड़ा दर्द होता है पर बाद में मजा आएगा।
थोड़ा मनाने के बाद वो राज़ी हो गयी और बोली- मुझे तुम पर पूरा भरोसा है, तुम मुझे कोई भी तकलीफ नहीं होने दोगे।
मुझे उसकी इस बात पर बहुत X प्यार आ रहा था, मैं बोला- बिल्कुल जान, मैं तुम्हारा पूरा ख्याल रखूंगा।
फिर मैं जल्दी से किचन की तरफ गया तो मुझे वहाँ ऑलिव ऑयल की बॉटल दिखाई दी।
मैं बिना देरी किये उसे उठाकर सीधे श्रुति के पास वापस आ गया।
मैंने खूब सारा तेल उसकी गांड में डाला जो बह कर उसकी चूत तक चला गया।
मैंने फिर से अपना लंड उसकी चूत में डाला और मस्ती के साथ चोदने लगा और अपनी एक उंगली उसकी गांड में डालकर अंदर बाहर करने लगा।
जब थोड़ी जगह बन गयी तो मैंने धीरे से अपनी दूसरी उंगली भी उसकी गांड में डाल दी और अपनी दोनों उंगलियों से उसकी गांड चोदने लगा।
जब मुझे लगा कि अब उसकी गांड मेरा लंड ले सकती है तो मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाल कर अपने लंड पर भी थोड़ा तेल डाला और धीरे-धीरे उसकी गांड के छेद में डालने लगा।
मेरा लंड फिसलते हुए उसकी गांड में चला गया।
उसकी एक ज़ोरदार आह निकली और वह फड़फड़ाने लगी।
मैं उसे अपने नीचे दबा कर लेट गया और किस करने लगा फिर धीरे धीरे से लंड को अंदर बाहर करने लगा और एक हाथ से उसकी चूत भी सहलाने लगा।
कुछ देर बाद उसके मुँह से मादक आवाज़ें निकालने लगी तो मैंने अपने धक्के तेज़ कर दिये।
श्रुति- आआआ आह जान … थोड़ा धीरे करो दर्द हो रहा है!
कुछ देर आराम से उसकी गांड मारने के बाद मैं जोर-जोर से अपना लंड उसकी गांड में पेलने लगा।
मैंने बोला- जान मजा आ रहा है ना!
श्रुति बोली- आह! तुम बहुत दुष्ट हो। आह! माने नहीं, आखिरकार मेरी गांड भी फाड़ ही दी … आह एयेए!
लगभग दस मिनट तक जमकर गांड मारने के बाद मैं श्रुति की गांड में ही झड़ गया।
और जब मेरा पूरा लंड उसकी गांड में खाली हो गया, मैंने अपना लंड उसकी गांड से निकाला और उसके साथ लेट गया।
कुछ देर तक हम एक दूसरे की बाहों में वैसे ही नंगे पड़े रहे।
और फिर मैंने उस से कहा- चलो साथ में नहाते हैं।
हम दोनों शावर के नीचे खड़े हो गये और खूब सारा शावर जेल डाल कर एक दूसरे को अच्छे से साफ किया।
और देखते ही देखते मेरा लंड एक बार फिर से तन गया।
मैंने श्रुति को लंड चूसने को बोला।
श्रुति वहीं घुटनों के बल बैठ गयी और मेरा लंड अच्छे से साफ करके अपनी जीभ उस पर फिराने लगी।
मेरा लंड का आगे का हिस्सा काफी बड़ा है तो वो मेरा लंड मुँह में नहीं ले पा रही थी।
मैंने बोला- तुमसे जितना हो सके उतना ही करो।
उसने मेरे लंड को धीरे-धीरे चूसना शुरू कर दिया और कभी पकड़कर अपने हाथों से हिलाने लगती.
और जब वो थक गयी तो कहने लगी- जान! अब चूत में डाल के कर लो। मुझे लंड चूसने की आदत नहीं है।
उसकी हाइट मुझसे काफी कम थी तो मैंने उसे दीवार से सटा कर आगे की तरफ झुका दिया और पीछे से अपना लंड डाल कर चोदने लगा।
इतनी नॉन स्टॉप चुदाई के बाद मैं भी थोड़ा थक गया था।
पर शॉवर की वजह से काफी फ्रेशनेस भी महसूस हो रही थी।
फिर मैं कमोड पर बैठ गया और उसकी दोनों टांगे खोलकर अपनी गोद में बिठा लिया।
श्रुति अब बड़े आराम से चुदवा रही थी और लगातार मुझे किस किये जा रही थी।
हम दोनों एक लय में चुदाई कर रहे थे और इस बार एक साथ ही झड़ गये।
इसके बाद हम एक बार फिर नहाये और नहाने के बाद मैंने अपने हाथों से उसे सारे कपड़े पहनाये और बोला- जान, अब तुम आराम कर लो।
उसने मुझे कसकर गले लगा लिया फिर मैं वापस अपने फ्लैट में आ गया।
हमारी चुदाई कई महीनों तक चली और वो हम दोनों के जीवन के बेहद यादगार पल थे।
हम दोनों एक दूसरे के साथ बिताये हुए पलों के लिये बेहद खुश थे इसलिए किसी को कोई मलाल नहीं था।
उसके बाद जॉब के सिलसिले में मैं दूसरी जगह शिफ्ट हो गया और हमने आपसी सहमति से अपने दायरे भी सीमित कर लिये.
और आज भी अच्छे दोस्तों की तरह एक दूसरे के साथ हैं।
क्योंकि बेशक हमारे बीच सब कुछ बेहद रोमांचक था, पर मैं उसकी निजी जिंदगी में किसी तरह की खलल नहीं डालना चाहता था।
आशा करता हूँ आपको मेरी X लव सेक्स कहानी जरूर पसंद आई होगी।
आप मेरी मेल पर अपने विचार और सुझाव व्यक्त कर सकते हैं।
साथ ही आप मुझे मेरी इंस्टाग्राम यूजर आईडी Arnav9k7 के द्वारा भी संदेश भेज सकते हैं।
मुझे आप सभी के संदेश का इंतजार रहेगा।
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