शायरा मेरा प्यार- 21
(Shayra Mera Pyar- Part 21)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left शायरा मेरा प्यार- 20
-
keyboard_arrow_right शायरा मेरा प्यार- 22
-
View all stories in series
हमारे जिस्म जल रहे थे. कुछ देर हम एक दूसरे के बदन की गर्मी को फील करते रहे, फिर शायरा के रक्तिम होंठों से मेरे होंठ मिले तो हमारे हमारे जिस्म की प्यास भी बढ़ गयी.
दोस्तो, मैं महेश अपनी सेक्स कहानी में शायरा की चुत चुदाई के बाद का एपिसोड लेकर हाजिर हूँ.
अब तक आपने पढ़ा था कि मैं शायरा को दोस्ती और प्रेम के बीच का अर्थ समझा रहा था. फिर मैं उसके कमरे से निकल आया.
अब आगे:
मैं ऊपर अपने कमरे में आ गया और सोने की कोशिश करने लगा.
मगर मुझे अब नींद ही नहीं आ रही थी. मेरे जहन में तो बस शायरा ही शायरा घूम रही थी और चारों तरफ मुझे बस वो ही वो नजर आ रही थी.
काश कि अगर शायरा ने हां कह दिया होता, तो वो अब मेरी बांहों में सो रही होती.
उसको मैं इतनी ख़ुशियां देता कि वो मेरे सिवा किसी के बारे में सोचती भी नहीं.
वो बस मेरी बनके रहती और मैं उसे वो सारे सुख देता, जिसके सिर्फ़ उसने सपने ही देखे होंगे.
शायरा के बारे में सोचते सोचते मेरा लंड भी अब खड़ा हो गया था.
मैंने खुद को तो समझा लिया था कि शायरा अब दोस्त है, वो अब नहीं मिलने वाली.
पर लंड को कैसे समझाता. लंड तो लंड है, वो तो बस अकड़ गया … तो अकड़ गया. मेरे पास अब उसे हाथ से समझाने के सिवाए कोई चारा नहीं था.
वैसे तो रात में ऊपर कोई नहीं आता, मगर गर्मी के कारण मैं रात को सोते समय दरवाजा खुला ही रखता था इसलिए मैंने अपने ऊपर एक पतली सी चादर डाल ली और चादर के अन्दर ही अपने लंड को धीरे धीरे हाथ से सहलाना शुरू कर दिया.
मेरे ख्यालों में बस शायरा ही शायरा घूम रही थी … इसलिए मैं अपनी आंखें बन्द करके अपने लंड को सहलाते हुए भी शायरा को ही इमेजिन कर रहा था. मगर अचानक किसी के आने की आहट से मेरा ध्यान अचानक से भंग हो गया.
मैंने आंखें खोलकर देखा तो दरवाजे पर मुझे शायरा खड़ी नजर आई. पता नहीं ये क्या हो रहा था … मुझे जो चारों ओर शायरा ही शायरा दिखाई दे रही थी.
कभी वो मुझे अपने बगल में सोते हुए दिख रही थी, तो कभी मेरे पास बैठी हुई नजर आ रही थी … और अब वो तो मुझे दरवाजे पर भी खड़ी नजर आ रही थी.
शायरा ने मुझे पागल बना दिया था. पता नहीं क्या हो गया था मुझे … जो हर तरफ शायरा ही शायरा नजर आ रही थी.
शायद मैं उसके बारे में कुछ ज्यादा ही सोच रहा था, इसलिए चारों तरफ मुझे वो ही वो नजर आ रही थी.
“ये क्या हो रहा है आज, मुझे हर जगह शायरा ही शायरा क्यों दिख रही है, लगता है मैं पागल हो जाऊंगा!” मैंने ये बड़बड़ाते हुए कहा और फिर से अपनी आंखें बन्द कर लीं.
मेरी बात सुनकर वो अब हंसने लगी.
मैं कुछ समझ ही नहीं रहा था … इसलिए मैंने फिर आंखें खोलकर देखा.
वो धीरे धीरे चलकर मेरे पास आ गयी.
मुझे अब भी ये सपने के जैसा ही लग रहा था क्योंकि शायरा ऐसे कैसे मेरे पास आ सकती थी.
मेरे दिल में शंका तो थी, मगर फिर मैंने उसे छूने के लिए अपना एक हाथ आगे बढ़ा दिया, जिससे शायरा तुरन्त पीछे हो गयी.
अब तो ये सपना हकीकत जैसे लग रहा था. मैं खुद के हाथ पर चुटकी काटने वाला था कि …
वो- क्या हुआ … ऐसे क्या देख रहे हो?
मैं- ये सपना है या हकीकत?
वो- तुम्हें क्या लग रहा है?
मैं- लग तो हकीकत ही रहा है, पर ऐसे सपने मैं बहुत देर से देख रहा हूँ … इसलिए यकीन नहीं हो रहा.
वो- तो छू कर देख लो.
ये कहते हुए शायरा मेरी बगल में ही आकर लेट गयी.
अब तो ऐसा लग रहा था … जैसे मैं सच में ही मैं तो पागल हो जाऊंगा … क्योंकि शायरा ने मुझे सर्प्राइज़्ड कर दिया था. मुझे अब भी यकीन नहीं हो रहा था इसलिए.
मैं- एक बार मुझे चुटकी काटो तो प्लीज!
मेरी बात सुनकर शायरा हंसने लगी और मुझे ज़ोर से चुटकी काट ली जिससे मैं तड़फ गया.
‘ओऊउक्क चह ..’ कहकर मैं चिल्ला पड़ा और मुझे यकीन हो गया.
मैं- मतलब … मतलब ये रियल है?
शायरा ने हां में गर्दन हिलाई.
मैं- तुम इस तरह रात को मेरे पास, इसका मतलब तुम भी मुझसे प्यार करती हो?
शायरा ने फिर से हां में गर्दन हिलाई. मेरी तो जैसे अब ख़ुशी का कोई ठिकाना ही नहीं रहा था- याआ … हूऊऊ.
मैं जोर से चिल्ला पड़ा, जिससे शायरा ने तुरन्त अपना एक हाथ मेरे मुँह पर रख दिया.
वो- श्श्श्श्शस … क्या कर रहा है? चिल्लाकर अब सबको बताना है क्या?
मैं- ओह … सॉरी सॉरी … पर मैं क्या करूं … मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा, लग रहा खुशी से मैं पागल हो जाऊंगा.
ये कहकर मैंने शायरा को कसकर गले से लगा लिया.
मैं- तुम सच में मुझे प्यार करती हो?
शायरा ने फिर से हां में गर्दन हिलाई. शायरा के हां करते ही एक बार तो मैं उसको चूमने के लिए आगे बढ़ा, मगर फिर रुक गया.
मैं- ऐसे नहीं, पहले एक बार आई लव यू कहो.
वो- आई लव यू … मुझे कभी छोड़ कर नहीं जाना.
मैं- नहीं जाऊंगा.
वो- मुझे धोखा मत देना, तुम पर विश्वास तो पहले ही था मगर अब सच में तुमसे प्यार करने लगी हूँ, इस प्यार को बदनाम मत होने देना.
मैं- कभी नहीं होने दूँगा.
वो- आई लव यू.
शायरा के अब आई लव यू बोलते ही मैंने उसे फिर से गले लगा लिया और उसके गालों पर किस करते हुए उसे बिस्तर पर लेकर लुढ़क गया. मैंने शायरा को किस करना शुरू किया, तो शायरा भी मुझे अब प्यार करने लगी.
शायरा कभी मेरे गालों को चूम रही थी, तो कभी मुझे दुलार कर रही थी. ये सब कैसे हुआ … इससे ज़्यादा ज़रूरी अब ये था कि इस प्यार को और मज़बूत कैसे किया जाए. इसलिए शायरा के गालों को चूमते हुए मैं उसके रसीले होंठों पर आ गया.
इस बार हमारे किस से प्यार की बरसात हो रही थी और शायरा मेरे प्यार की बरसात में भीग रही थी. एक दूसरे से प्यार करते हुए हम दोनों ही अब एक हो रहे थे.
शायद मेरे आने के बाद शायरा ने मेरे बारे में बहुत सोचा होगा, जिससे उसको भी मेरे प्यार की सच्चाई पता चल गयी. मेरे जैसे ही उसको भी हर तरफ मैं ही मैं दिख रहा होऊंगा, तभी तो वो रात को ही मेरे पास आ गयी.
वैसे शायरा मुझे प्यार तो पहले से ही करती थी … मगर बस वो उसे बता नहीं पा रही थी.
पर अभी तो उसने हां भी कर दी थी.
फिर भी मैं शायरा के साथ कुछ कर नहीं पा रहा था … क्योंकि शायरा के हां करने से मैं इतना खुश था कि मैं हवा में ही उड़ रहा था.
शायरा के साथ मैं अब क्या करूं और क्या ना करूं. ये करूं कि वो करूं, इस वजह से मैं उसके साथ कुछ भी नहीं कर पा रहा था.
वैसे शायरा ने अपना इरादा क्यों बदल दिया … मैं ये भी जानना चाह रहा था. शायरा को कुछ देर किस करने के बाद मैं उससे अलग हो गया.
वो- क्या हुआ?
मैं- कुछ नहीं … बस तुम्हारे ये हां करने की बात हजम नहीं हो रही है.
वो- ये सच है, मुझे भी तुमसे प्यार हुआ है.
मैं- वो तो ठीक है … पर मुझसे ये तुम्हारे हां करने की खुशी बर्दाश्त नहीं हो रही है. तुम्हारे हां करते ही ये करूंगा, वो करूंगा सोचा था, पर एक्साईटमैन्ट में मैं अब कुछ नहीं कर पा रहा हूँ.
वो- तो फिर जल्दबाजी क्या है अब तो मैं तुम्हारी हूँ.
मैं- चलो तो कुछ देर बात करते हैं. उसके बाद तुम्हें प्यार करना सिखाऊंगा.
वो- यहां बहुत गर्मी है … नीचे चलें?
मैं- तुम्हारे बेडरूम में?
वो- जब मैं खुद ही तुम्हारी हो गयी … तो फिर वो बेडरूम मेरा कैसे रह गया.
मैं- मतलब!
वो- मतलब मेरा नहीं हमारा.
शायर ने ये मेरी आंखों में आंखें डालकर हंसते हुए कहा. हम दोनों अब नीचे शायरा के बेडरूम में आ गए.
शायरा के रूम का एसी पहले से ही चल रहा था, जिससे वो कमरा ठण्डा हो रहा था.
मगर फिर भी नीचे आकर मैंने एसी को फुल पर कर दिया क्योंकि हमारे प्यार की गर्मी से उस कमरे का तापमान अब बहुत ज्यादा बढ़ने वाला था.
मैं- वैसे क्या मैं जान सकता हूँ कि तुमने इतनी जल्दी इरादा कैसे बदल दिया?
वो- तुम कितने सच्चे हो ये समझ गयी. तुम्हारी जगह कोई और होता तो मेरा फ़ायदा उठा लेता, पर तुमने सच बताया. तुम्हें दूसरों के साथ कम्पेयर करूं तो तुम बहुत अजीब हो और तुम्हारी यही बात मुझे भाती है.
मैं- और?
वो- तुम्हारी हर बात अच्छी लगी, तुम मुझे प्यार भी करते हो और मेरा ख्याल भी रखते हो, इतना तो मेरा हज़्बेंड भी नहीं करता. तुम्हारी जितनी तारीफ करूं उतनी कम है. तुम्हारे प्यार करने का तरीका भी अलग था. तुम्हारे आने के बाद मेरे ख्यालों में बस तुम ही तुम आ रहे थे. तुमने प्यार करके जो ख़ुशी दी, वो ख़ुशी मुझे सोने नहीं दे रही थी. तुमने जो एक बार किया, वो बार बार भी कर सकते थे और मैं तुम्हें रोक भी नहीं पाती. पर तुम दोस्त बन कर ही रहे.
तुम्हारी जगह कोई और होता, तो एक बार करने के बाद बार बार करने की धमकी भी देता. पर तुम तो दोस्त बना कर लिमिट में रहे. तुमने मुझे हर सिचुएशन के पीछे की रियलिटी दिखाई. मैं बस अब ये चाहती हूँ कि तुम मेरे प्रेमी बनकर रहो.
मैं- प्रेमी नहीं अब तो हम मियां बीवी के जैसे रहेंगे.
वो- तुम्हारी लिए मैं सारी शर्म छोड़ कर आई हूँ.
मैं- तुम बेफिक्र रहो, आज के बाद शर्म क्या होती है … वो तो तुम खुद भूल जाओगी … सिर्फ़ याद रखोगी तो वो मेरा प्यार.
वो- पर तुम वो क्या कर रहे थे?
शायरा ने मुझे अपना लंड हिलाते हुए देख लिया था, इसलिए उसने पूछा.
मैं- तुम्हें याद कर रहा था.
वो- ऐसे?
मैं- हां.
वो- छीः बहुत गन्दे हो तुम.
मैं- तो क्या करता, इस दिल को तो मैंने समझा दिया था कि तुम अब नहीं मिलने वाली. पर ये समझ नहीं रहा था, इसलिए इसे अपने हाथ से समझा रहा था.
मैंने अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा.
वो- ऐसे?
मैं- तो क्या करता? तुम्हारे बिना ये मान ही नहीं रहा था … इसलिए मैं इसे हाथ से ही तुम्हारा प्यार दे रहा था.
वो- अच्छा … मैंने मना कर दिया तो तुम ऐसे प्यार कर रहे थे मुझे? बहुत गन्दे हो तुम!
मैं- ये गंदा नहीं है, अब तो तुम भी ये करना सीख लो, ताकि कभी मैं ना रहूं और तुम्हें मेरी याद आए … तो तुम भी मुझे याद करके अपनी चुत में उंगली कर सको.
वो- छीः कितना गंदा बोलते हो तुम!
मैं- इसमें क्या गंदा है, अब चुत को तो चुत ही कहूँगा ना!
वो- तुम्हें जो कहना वो कहो, जो करना है वो करो. पर मुझे नहीं करना ये सब.
मैं- ठीक है तो तुम मत करो, तुम्हें तो मैं अब असली का ही प्यार करना सिखाता हूँ. सुहागरात तो हो गयी हमारी अब उसी सुहागरात को कंटिन्यू करता हूँ.
शायरा के साथ फिर से कबड्डी खेलने का अब समय आ गया था. मैं तो ना जाने कब से उसके साथ सुहागरात मनाने को तैयार था. पर इतनी जल्दी फिर से मौका मिल जाएगा, ये मैंने सोचा नहीं था.
मैंने शायरा को अपने साथ प्यार करने को तैयार कर लिया था. मैंने दिल में ही सोचा कि आज तो शायरा की गुलाबी गुलाबी पिंकी को मैं अपने लंड से लाल लाल कर दूँगा … और उसको फिर से अपनी बांहों में कस लिया.
एसी को फुल पर करने से कमरा एकदम ठंडा हो गया था मगर हमारे जिस्म अब भी जल रहे थे. इसलिए कुछ देर तो हम ऐसे एक दूसरे के बदन की गर्मी को ही फील करते रहे, फिर शायरा के मुँह को मैंने अपने मुँह से बंद कर दिया. शायरा के रक्तिम होंठों से मेरे होंठ मिले, तो हमारे होंठों की प्यास के साथ साथ हमारे जिस्म की प्यास भी अब बढ़ गयी.
पार्टनर अगर दिल से प्यार करने वाला मिल जाए … तो बेड टूट जाते हैं और पार्टनर अगर जानवर बन कर प्यार करने वाला मिल जाए, तो चुत फटनी तय समझो.
फिर यहां तो दोनों ही थे. दिल से प्यार करने के लिए शायरा थी और चुत फाड़ने के लिए मैं था.
अब देखना ये था कि शायरा मेरा कितना साथ देती है. अभी तो मैंने शायरा के होंठों से आरम्भ किया था … पर सफर बहुत लंबा तय करना था.
शायरा के होंठों के बाद उसका मदमस्त कर देने वाला जिस्म, उसकी चूचियां … फिर तब जाकर उसकी चूत का नंबर आएगा. पर शुरूआत तो मैंने मुँह को मीठा करने से की.
उसके होंठों में काफ़ी रस जमा हो गया था.
मैं सोच रहा था कि अगर इसका यहां ये हाल है … तो नीचे क्या हो गया होगा. ये सोचकर ही मैं तो मस्त हो गया. आज तो मेरी किस्मत खुल गयी थी. क्योंकि शायरा जैसे मदमस्त कर देने वाली रूप की मल्लिका अब मेरी हो गयी थी.
शायरा अब फिर से मेरे पहलू में आ गई थी.
इस बार हमारी सेक्स कहानी एक नए लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए रेडी थी. क्या हुआ … इसे अगली बार लिखूंगा.
आपका महेश आपके मेल की प्रतीक्षा करेगा.
[email protected]
कहानी जारी है.
What did you think of this story??
Comments