सम्भोग से आत्मदर्शन-21
(Sambhog Se Aatmdarshan- Part 21)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left सम्भोग से आत्मदर्शन-20
-
keyboard_arrow_right सम्भोग से आत्मदर्शन-22
-
View all stories in series
आपने पढ़ा तनु की पुरानी सहेली भी अब हमारे साथ मिल चुकी है और मौके की नजाकत के चलते हम सेक्स करने लगे।
अब आगे…
मैंने भी ठान लिया था कि वाइल्ड सेक्स किसे कहते हैं आज बता के ही रहूंगा। अब मैंने उसके उरोजों को बेरहमी से मसला, और चपत भी लगा दी, वो अभी-अभी झड़ी थी इसलिए शायद उसे दर्द हुआ, लेकिन मैं रुकने वाला नहीं था और वो मेरा साथ भी बराबर दे रही थी।
अब मैंने उसे बिस्तर पर उल्टा कर दिया और फिर मैंने उसके पैर पकड़ कर अपने कंधे पर रख कर जकड़ लिए और बिस्तर का सहारा लेकर खड़ा हो गया, मेरा लंड अब तक फिर से तन चुका था, और इस तरह के सेक्स पोजिशन में प्रेरणा का मुंह मेरे लंड पर आ गया और उसकी चूत को मैंने अपने मुंह में भर लिया, प्रेरणा हवा में लटक कर मेरा लंड चूस रही थी, और उसके बाल जमीन तक लटक रहे थे।
इस तरह से किसी भी महिला को उठा पाना बहुत मुश्किल होता है, अगर प्रेरणा पतली दुबली ना होती तो शायद मैं भी उसे नहीं उठा पाता, और फिर प्रेरणा सहयोगी स्वभाव की भी थी, इसलिए मैं उसे अच्छे से सम्हाल पा रहा था।
कुछ देर इसी तरह जम कर चूसना चाटना हुआ, फिर मैंने उसे नीचे उतारा और बिस्तर पे कोने पर लिटा के नीचे खड़े होकर ही उसकी चिकनी चपटी हुई चूत की फाँकों को हाथ से फैला कर उसकी गुलाबी से लाल हो चुकी चूत को पहले चपत मारी और फिर उसमें अपना लंड पेल दिया.
प्रेरणा कराह उठी, लेकिन मैंने उसके पैरों को पकड़ कर अपने कमर में लपेट लिया, तो वो खुद भी इशारा जान गई और उसने सहयोग किया. फिर मैंने झुक कर उसके हाथों को पकड़ कल अपने गले में डाल लिया, उसने भी अपनी बांहों का हार बना दिया और अब मैंने उसे उसी तरह उठा लिया, और उसे गोद में ले लिया।
अब मैं खड़े होकर ही उसे चोद रहा था, उसकी चूत में मेरा लंड बहुत कसावट के साथ अंदर बाहर हो रहा था क्योंकि उसके चूत का छेद संकरा था और मेरा लंड विकराल, ऐसे में तो रगड़ ज्यादा होनी ही है। अब मैं चुदाई के दौरान उसके कूल्हों से उसे थामे रखा था, और बीच बीच में उसके चूतड़ों पर चपत भी लगा रहा था, प्रेरणा भी मस्त उछल उछल कर चुद रही थी, हम दोनों एक बार झड़ गये थे इसलिए अभी हमारे लिए दिल्ली दूर थी।
प्रेरणा ने और उत्तेजित होते हुए मेरे होंठों को फिर से काटना शुरू कर दिया, अबकी बार थोड़ा दर्द हो रहा था, पर वो दर्द हमारे नशे को बढ़ा रहा था। और मुंह पर खून का स्वाद हमें वहशीयत का अहसास करा रहा था।
लेकिन अब मेरे पैर थकने लगे क्योंकि हम दोनों का भार उन्हीं दो पैरों पर था और हमें ऐसे वाइल्ड सेक्स करते भी लंबा समय हो चुका था।
फिर मैंने उसे नीचे उतारा और बिस्तर के किनारे पर बैठ गया और प्रेरणा के बाल को खींच कर और पीठ को मारते हुए अपने सामने झुका लिया और थोड़ी दूर पर ड्रेसिंग टेबल थी, उधर झुक कर मैंने बोरोप्लस की ट्यूब उठाई और उसकी गांड के छेद में लगाने लगा। अब मैंने सोचा कि गांड मार कर देखते हैं
प्रेरणा कामुकता के सागर में गोते लगा रही थी इसलिए उसे सब कुछ मनभावन लग रहा था फिर भी गांड की सील टूटने का डर चेहरे पर नजर आने लगा, उसके शरीर की हलचल बता रही थी उसकी गांड मराने से पहले ही गांड फट रही है।
प्रेरणा के शरीर के बाकी हिस्सों के बजाय कूल्हों पर मांस ज्यादा था, छेद छोटा सा था, और उसकी गोलाई में भूरा पर था, मुझे वो बहुत आकर्षक तो नहीं लगा, क्योंकि मैंने मोटी और अच्छी गांड देख रखी है और चोद रखी है, पर यह रोमांच मन में जरूर था कि पतली दुबली लड़की की गांड मेरा विकराल लंड कैसे लेगी।
मैंने जब बोरोप्लस लगाने के लिए उसके छेद में अपनी उंगली घुसाई तो वह मचल उठी और सामने की ओर सरक गई। तब मैंने उसे कमर से पकड़ कर वापस खींचा और कूल्हों पर चपत लगानी शुरू कर दी, उसके थोड़ा सा खिसकने की सजा मैंने ये दी कि मैं और ज्यादा बेरहम हो गया, मैंने कूल्हों को दांत से भी काटा और पीट पीट के लाल कर दिया।
मैंने छेद में भी बेरहमी दिखाते हुए उंगली घुसाई पहले एक.. फिर दो नहीं… सीधे तीन उंगली घुसा दी, प्रेरणा की गांड ऐसा दर्द और ऐसा सुख पहली बार ही महसूस कर रही थी इसलिए मुंह से सितकार और दर्द वाली कराह एक साथ निकल गई।
मेरी उंगलियां काफी देर छेद को बढ़ाती रही, फिर भी गांड की छेद में ज्यादा ढीलापन महसूस नहीं हो रहा था, वास्तव में गांड मराना भी एक कला है जो सबको नहीं आती, आज तो प्रेरणा का पहला प्रयास है वो भी धीरे धीरे सीख जायेगी लेकिन मुझे उस नवयौवना जैसी बाला को सिखाने और कसी हुई गांड को बेरहमी से बजाने मजा आने वाला था।
अब मैंने प्रेरणा को उकसाते हुए कहा- क्यों मादरचोद. गांड की बारी आई तो गांड फटने लगी? तेरी माँ को चोदू… बड़ी चुदक्कड़ बनती है साली कुतिया… अब डर रही है?
प्रेरणा ने जवाब दिया- अरे कमीने, मेरी माँ को क्यों चोदेगा? उसे भी तनु की माँ समझा है क्या? चोदना है तो मुझे चोद ना, जितना दम है सब लगा दे।
प्रेरणा ने तनु की माँ का नाम लेकर कहा… इसका मतलब यह था कि मेरे और आंटी के बारे में तनु को शक ही नहीं था बल्कि यकीन था, और उसी ने प्रेरणा को बताया था। पर अभी उन बातों का वक्त नहीं था.
मैंने फिर कहा- हाँ री कुतिया, तुझे भी चोदूंगा, उसे भी चोदूंगा, उसकी गांड भी मारुंगा, और सबको चोदूंगा। साली कुतिया रण्डी अगर अपनी गांड की सलामती चाहती है तो सांस खींच के मत रख, गांड ढीला छोड़, तभी खून खराबा कम होगा।
उसने कहा- जा रे मादरचोद, ये सब किसी और को सिखाना, मुझे तो दर्द में मजा आता है, देखती हूँ तेरे में कितना दम है।
मेरे लिए यह चैलेंज था, अब मेरा दिमाग खराब हो गया, मैंने कूल्हों के साथ पीठ, जांघों और कमर पर जोरदार चपत लगा दी, तब प्रेरणा ने मुझे और उकसा दिया- तुम साले मर्द और कर भी क्या सकते हो? जब चुदाई में दर्द देने की औकात नहीं होती तो मारते पीटते हो.. चल मादर चोद मुझे वो भी मंजूर है, तुझे जो करना है कर ले! और आज देख एक औरत क्या सहती है, और दर्द का मजा कैसे लेती है।
मुझे उसकी बात सही भी लगी और थोड़ी चुभी भी, तब मैंने चिढ़ते हुए कहा- रुक मादर चोद, बहन की लौड़ी, तेरे को अभी बताता हूं!
और उसकी गांड को कपड़े से पौंछ दिया. अब बोरोप्लस साफ हो गया लेकिन उसकी हल्की सी चिकनाई अभी बाकी थी. मैंने खड़े होकर अपना फनफनाता विकराल लंड के सुपारे को उसकी गांड में पेल दिया, लंड करीब दो इंच अंदर गया होगा और लगभग फंस सा गया और प्रेरणा बिलबिला उठी, मुझे उसकी गांड से खून निकलता स्पष्ट नजर आया। वैसे बोरो प्लस अब नहीं था लेकिन उसकी हल्की चिकनाहट ने प्रेरणा की जान बचा ली।
वो कहते हैं ना डूबते को तिनके का सहारा।
पर मुझे तो वाइल्ड सेक्स करना था, मुंह से गालियां निकलती रही, मुझे प्रेरणा के दर्द की आंसुओं की बिल्कुल परवाह नहीं थी, मैंने और तेज झटका मारा और साथ ही कूल्हों पर चपट मारते ही रहा. झटके से मेरे लंड ने उसके गांड की गहराई नाप ली और आधा से ज्यादा लंड उसकी गांड में समा गया, लेकिन प्रेरणा के अंदर भी गजब का साहस था उसके गोरे मुलायम कूल्हों पर मेरी चपत से हाथ की उंगलियों के निशान स्पष्ट नजर आ रहे थे, उसके बाद भी उसने गांड की सील टूटने और शरीर के इस दर्द को आहहह हह चोद हरामी उहह हहह कहते हुए आराम से सह लिया।
मैंने अपनी मर्दानगी दिखाते हुए कहा- क्यों रंडी हो गई ना टांय-टांय फिस…
वह कराह रही थी, फिर भी एक लंबी सांस भरते हुए प्रेरणा ने कहा- तू रुका क्यों है? तेरे लंड बस इतना ही दम था क्या, अरे मादरचोद मर्द है तो मर्द की तरह चोद ना बातें क्यों बना रहा है?
उसका ऐसा साहस देख कर मेरी सच में गांड फट गई, पर जोश भी दुगुना हो गया. मैंने उसकी कमर पकड़ी और जोरदार धक्का लगाते हुए अपना लंड उसकी गांड की जड़ में पहुंचा दिया.. प्रेरणा आहहह कहते हुए और झुक गई. गोरी प्रेरणा दर्द और कामुकता के कारण लाल हो चुकी थी, मेरा चेहरा भी तमतमा उठा था, हम पसीने से भीग चुके थे, और हम चुदाई में नहीं किसी प्रतियोगिता में लीन हो गए थे।
इस प्रतियोगिता में कोई भी हारने को तैयार नहीं था, मैंने प्रेरणा के बालों को पकड़ कर खींच रखा था जिससे वो घोड़ी बन कर चुद रही थी। मेरा लंड इतनी सख्ती से अंदर बाहर हो रहा था मानो मैं नलकूप खनन कर रहा हूं, और हर धक्के के साथ गांड की छेद के अगल बगल की चमड़ी लंड के साथ ऐसे अंदर बाहर जा रही थी मानो वो लंड के हाथ ही चिपकी हो!
गालियों और मारपीट के दौर के बीच इस चुदाई में हम दोनों ही थकने लगे।
फिर मैंने अपने विकराल लंड को वैसे ही उसकी गांड में फंसाये रखा और उसके हाथों को पीछे की ओर लाकर सख्ती से पकड़ लिया, और थोड़ा पीछे सरक कर बिस्तर पर बैठ गया, प्रेरणा को अब खुद उछल कर गांड चुदानी थी।
अब तक लंड ने भी थोड़ी जगह बना ली थी इसलिए प्रेरणा खुद ड्राइव कर सकती थी, उसने कहा- हो गया ना मादरचोद तू टांय-टांय फिस?
मैने कहा- अरे कुतिया, मर्द का लंड जब तक खड़ा है, उसे कम समझने की भूल मत करना। चल रंडी साली, अब उछलने की बारी तेरी है!
और उसके हाथ पकड़े हुए उसे जमीन की ओर आधा झुका कर अपने लंड में बैठा के चोदने लगा, हम फोरप्ले के वक्त एक बार झड़ चुके थे इसलिए अब तक टिके हुए थे।
अब प्रेरणा ने उस अवस्था में रह कर ही तेज झटके मारने शुरु कर दिये, इस तरह वो पांच मिनट और टिक गई फिर अकड़ने लगी, कांपने लगी, उसके हाथ पैर सब ढीले पड़ने लगे, शायद लंड चूत में होता तो वो और भी पहले झड़ जाती पर गांड मरवाते हुए चूत का झड़ना बहुत मुश्किल हो जाता है।
अब उसके शरीर में जान नहीं बची तो मैंने उसे हजार गालियां देते हुए कुतिया बना दिया और उसकी गांड को बेरहमी से चोदता रहा. मेरी स्पीड और बढ़ गई क्योंकि अब मैं भी आने वाला था, मेरे मुंहहह से आहहह उहह की कामुक ध्वनियां निकलने लगी।
अब तक पूरा कमरा ऐसी ध्वनियों का आदी हो चुका था, प्रेरणा के घर के पास किसी और का घर नहीं था इसलिए हम और आजाद थे।
मैंने उसकी कमर को पकड़ कर अंतिम कुछ धक्के और मारे फिर अपना लंड निकाल के प्रेरणा के बाल पकड़ कर उसे सामने बिठा लिया और उसके मुंह में पिचकारी मारने लगा, मेरी पिचकारी उसके चेहरे और उरोजों के अलावा उसकी आंख और होंठों पर भी थी, जिसे उसने वहीं के वहीं पूरा मल लिया।
हमारी कामुक चुदाई पूरी हो चुकी थी शरीर में थकावट आ रही थी, और इस थकावट को अब हमारा आफ्टर प्ले दूर करने वाला था।
हम बिस्तर पर लेट गये, प्रेरणा मेरे लंड की ओर चेहरा करके लेटी और मेरे लटक चुके किन्तु मोटे और अर्ध जागृत लंड और आंड़ को सहलाती रही, जैसे वो उसे मजेदार चुदाई के लिए धन्यवाद कह रही हो।
वो मेरी जांघों को सहला रही थी और मैं उसके पूरे बदन को सहला रहा था, हम दोनों सेक्स के दौरान हुए क्रूरता के लिए बिना कुछ कहे ही माफी मांग रहे थे।
प्रेरणा लंड को अब भी बार बार मुंह में लेकर चूस रही थी, उसने उसे पूरा साफ कर दिया और वो मेरे शरीर के हर अंग को भी सहलाने चूमने लगी।
फिर वो मेरे सीने से चिपक कर लेट गई और मेरे सीने के बालों को सहलाते हुए ‘आई लव यू…’ के साथ थैक्स भी कहा!
और मैंने जब उसे थैंक्स के साथ सॉरी कहा, तब उसने कहा- उंहू, तुम सॉरी मत कहो, मुझे तो हर बार तुमसे ऐसी ही चुदाई चाहिए, ताकि जब वो कुत्ते मुझे नोचें, तब मुझे दर्द ना हो बल्कि मजा आये, और ऐसे भी तुम्हारी हर हरकत मेरे दिल को भा रही थी।
फिर मैंने उसे छेड़ते हुए कहा- दिल को या चूत और गांड को?
तो उसने मेरी आंखों में देखा, शर्म समर्पण और कृतज्ञता उसके आंखों में तैर गई, उसने मस्ती से मेरे सीने में एक मुक्का मारा और फिर उसी जगह पर चुंबन अंकित कर दिया और बिना कुछ कहे मेरे सीने से लिपट कर सो गई।
ये यौन तृप्ति और सुख विरले ही मिलता है, आज हम दोनों ही बहुत ज्यादा खुश थे, पता नहीं कब तक हम यूं ही बातें करते रहे और कब हमारी नींद भी लग गई।
कहानी जारी रहेगी.
आप अपने विचार मुझे इन ईमेल पर दे सकते हैं.
[email protected]
[email protected]
What did you think of this story??
Comments