रैगिंग ने रंडी बना दिया-5
(Ragging Ne Randi Bana Diya- Part 5)
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अब तक इस सेक्स स्टोरी में आपने जाना था कि सुमन को नंगी करके टीना उसके खूबसूरत हुस्न की तारीफ़ करने लगी थी और उसको ऐसे नंगी ही एक चादर से ढक कर छत की तरफ ले जाने लगी थी तभी सुमन का सामना अपनी माँ से हो गया।
अब आगे..
हेमा- ही ही.. ये क्या हुआ.. तुम ऐसे चादर क्यों ओढ़े हुए हो?
सुमन के तो पसीने निकल गए, अब वो क्या जवाब दे। तभी टीना ने बात को संभाला और आंटी को बहाना बना के टाल दिया। उसके बाद दोनों ऊपर चली गईं और वहाँ जाकर टीना ने सुमन की चादर खींच कर अपने पास रख ली और उसे छत पर मॉडल की तरह चलने को कहा।
सुमन- दीदी पास की छत पर कोई आ गया तो उसने मुझे देख लिया तो?
टीना- अरे ऐसा लाजवाब हुस्न छुपाने के लिए नहीं मेरी जान.. दिखाने के लिए ही होता है.. चल अब देर मत कर मुझे जाना भी है।
सुमन बेचारी मरती क्या ना करती.. वो धीरे-धीरे चलने लगी। उसकी ये सब हरकतें टीना चुपके से मोबाइल में कैद करती जा रही थी।
दस मिनट तक अलग-अलग स्टाइल में सुमन को वॉक करवाने के बाद वो वापस नीचे आ गई और टीना वहाँ से चली गई, मगर सुमन को एक अलग ही असमंजस में डाल गई।
सुमन को ये सब अच्छा भी लगा और थोड़ा बुरा भी फील हुआ, अगर कोई देख लेता तो क्या होता.. मगर कुल मिलाकर वो खुश थी, उसके चेहरे पे एक अलग ही मुस्कान नज़र आ रही थी।
दोस्तो, उधर मोना को अपनी किस्मत चमकती नज़र आ रही थी.. क्योंकि वही पास ही के घर का एक लड़का राजू मोना को बहुत ताड़ता रहता था और मोना को भी अपनी फ्रेंड की कही हुई बात बार-बार याद आ रही थी कि किसी और से अपनी चुत की हवस मिटा ले।
उस लौंडे का चार दिन तक ये ताक-झाँक का खेल चलता रहा। इस बीच सारे मेहमान जा चुके थे, यहाँ तक कि गोपाल के बॉस ने भी उसको अर्जेंट आने को कह दिया था।
गोपाल ने जब जाने को कहा तो उसकी माँ ने मोना को कुछ दिन वहीं रखने की बात कही और गोपाल मान गया.. क्योंकि उसको भी कुछ दिन सुकून चाहिए था।
शाम को राम ठाकुर तो खेतों में चले गए। वो फसल के लिए रात वहीं सोते थे और गायत्री और विमला गाँव में भजन कीर्तन का प्रोग्राम था.. सो वहाँ चली गई थीं। घर में सिर्फ़ काका और मोना रह गए थे।
मोना को लगा आज अच्छा मौका है काका के सो जाने के बाद वो उस लड़के से अपनी चुत की आग मिटा लेगी, इसी सोच के चलते उसने राजू को मौका देख कर इशारा कर दिया कि रात को वो छत पर आएगी और उसके बाद वो घर के काम में लग गई।
रात होने के बाद वो काका के सोने का इन्तजार करने लगी।
वैसे तो गाँव में सब जल्दी सो जाते हैं मगर काका सबसे आखिरी में सोता था। आज भी वो 10 बजे के करीब मोना के कमरे में चैक करने आया कि वो सोई या नहीं।
मोना- काका आपको कुछ चाहिए क्या.. मुझे बता दीजिए?
काका- अरे नहीं बहू.. मैं तो तुझे देखने आया था कि तू सोई या नहीं.. वैसे तुझे पता है ना घर में कोई नहीं है, तू डरना मत.. मैं पास के कमरे में ही हूँ, डर लगे तो बता देना.. ठीक है!
मोना- जी काका.. जरूर आप बेफिक्र सो जाओ.. मैं भी बस सो ही रही हूँ।
काका के जाने के बाद मोना कुछ देर वैसे ही पड़ी रही.. जब उसको लगा कि काका सो गए। तो वो उठी उसने अपनी सेक्सी सी नाईटी पहनी और सीधी छत पर चली आई क्योंकि वो लड़का अपने घर की छत पे ही सोता था।
मोना जब ऊपर गई तो वो लड़का ऊपर टहल रहा था। मोना को देख कर उसके चेहरे पर ख़ुशी के भाव आ गए।
दोस्तों राजू की उम्र कोई 20 साल की होगी.. वो एक दुबला सा लड़का था। अब मोना जैसी हुस्न परी को देख कर उसका मन डोलना आम सी बात है।
मोना ने उसको इशारा किया कि यहाँ आ जाओ।
तो वो अपनी छत के छज्जे से कूदकर इधर आ गया।
मोना- तुम्हारा नाम क्या है और तुम रोज मुझे ऐसे क्यों देखते हो?
राजू- मेरा नाम राजू है और भाभी जी आप बड़ी सुंदर हो इसी लिए आपको देखता हूँ।
मोना- अच्छा सच सच बता.. मेरे अन्दर तुझे क्या ज़्यादा पसंद है?
राजू- वव..वो वो भाभीजी, आपके बाल बहुत सुंदर हैं।
मोना समझ गई कि लड़का शर्मा रहा है और ऐसे में ये उसकी आग शांत नहीं कर पाएगा.. इसको थोड़ा खोलना पड़ेगा। इसी सोच के चलते मोना उसके करीब को आ गई और उसकी साँसों से साँसें मिलाकर अपने चूचे फुलाते हुए कहा- बस और कुछ पसंद नहीं.. सच राजू बताओ ना तुम्हें और क्या पसंद है?
मोना की गर्म साँसें राजू को पागल बना गईं.. वो अब उसकी महकती खुशबू में खो गया और अपना संतुलन खो बैठा। उसने मोना को अपनी बांहों में ले लिया और जल्दी से उसके होंठों को चूम कर अलग हो गया।
मोना- हा हा हा हा तुम एकदम से पागल हो.. अरे डर क्यों रहे हो.. जो कहना है खुल के कहो न यार और जो करना है खुल के करो.. मैं कुछ नहीं कहूँगी.. आओ मेरे पास आओ और आराम से बताओ मेरा और क्या पसंद है तुम्हें।
राजू समझ गया कि आज कामदेव उससे बहुत खुश हैं जो ऐसी कामदेवी को उससे मिला दिया। अब उसके अन्दर की झिझक ख़त्म हो गई थी.. वो दोबारा मोना के पास आया और उसके मम्मों को दबाने लगा।
राजू- मुझे आपके ये खरबूजे भी पसन्द हैं और ये गर्दन और पीछे आपकी भरी हुई गांड और..
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राजू अब मोना के जिस्म को झंझोड़ने लगा.. वो पागलों की तरह कभी उसके चूचे दबाता, कभी उसकी गांड मसकता। वो बस पागल सा हो गया था।
मोना- आह ऑउच आराम से करो आह.. मैं कहीं भागी थोड़ी जा रही हूँ आह.. सस्स राजू आह.. अरे रूको ऐसे ही करोगे क्या आह.. कपड़े तो निकालने दो।
मोना पहले ही वासना की आग में जल रही थी। अब राजू ने उसकी आग को और भड़का दिया था। उसने राजू को अलग किया और अपने जिस्म को कपड़ों से आज़ाद किया। सोने सा चमकता जिस्म देख कर राजू का लंड झटके खाने लगा।
मोना- ऐसे क्या देख रहे हो.. चलो तुम भी तो अपने नाग को आज़ाद करो। मैं भी तो देखूँ कैसा है वो?
राजू तो जैसे हुकुम का गुलाम था.. उसने एक ही झटके में अपने कपड़े निकाल फेंके, अब उसका 6″ का लंड आज़ाद मोना को घूर रहा था।
राजू के लंड को देख कर मोना को ख़ुशी नहीं हुई वो किसी बड़े लंड की चाहत कर रही थी.. मगर वक़्त पर जो मिले वही सही। ये सोचकर वो घुटनों के बल बैठ गई और लंड को हाथ से सहलाने लगी।
राजू के तो पूरे जिस्म में करंट दौड़ने लग गया.. उसको ऐसा लगा जैसे उसका सारा खून लंड के रास्ते बाहर आ जाएगा।
राजू किसी भूत की तरह खड़ा रहा और मोना की अन्तर्वासना बढ़ती गई.. वो लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी। ये झटका राजू को पागल बना गया.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… वो आसामान में उड़ने लगा। अभी कोई 2 मिनट भी नहीं हुए होंगे कि उसके लंड की नसें फूलने लगीं।
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राजू- आह.. आ भाभी मैं आह.. झड़ने वाला हूँ आह.. हटो आ..
मोना ने उसको इशारा किया कि मुँह में ही माल निकाल दो और उसी पल राजू के लंड से पिचकारी सीधी मोना के गले में गिरने लगी। राजू की साँसें फूलने लगीं.. वो काफ़ी देर तक झड़ता रहा। मोना ने लंड को चूस कर एकदम साफ कर दिया.. आख़िरी बूँद तक उसने लंड से निचोड़ डाली।
राजू- आ आह.. मज़ा आ गया आज तो तुमने मुझे जन्नत की सैर करा दी.. क्या मस्त लंड चूसती हो।
मोना- अच्छा इतना मज़ा आया.. मगर तुम तो बहुत जल्दी आउट हो गए। अब जल्दी से इसे तैयार करो ताकि मैं भी इसे अपनी चुत में लेकर हवा में उड़ सकूँ।
राजू- अरे इतनी जल्दी कैसे होगा.. इसको दोबारा खड़े होने में टाइम लगता है.. तब तक तुम मुझसे दूर हो जाओ।
मोना- अरे क्यों दूर क्यों हो जाऊं.. मैं इसको सहला कर फिर से खड़ा करती हूँ ना!
राजू- नहीं ऐसा मत करो.. आधा घंटा से पहले ये खड़ा नहीं होगा.. शुरू में 5 मिनट में हो जाता था मगर मुझे मुठ मारने की गंदी आदत है.. बार-बार मुठ मारता हूँ.. तो इसकी नसें अब ढीली पड़ गईं। अब ये जल्दी पानी फेंक देता है और खड़ा भी देर से होता है।
राजू की बात सुनकर मोना को बड़ा गुस्सा आया वो तो कामवासना की आग में जल रही थी और ये ऐसी बातें कर रहा था। उसने राजू को जोर से धक्का दिया और चिल्ला कर बोली- कमीने नामर्द कहीं के.. जब लंड में जान ही नहीं है, तो यहाँ क्या करने आया था.. मेरी आग को इतना भड़का के अब तू कहता है ये खड़ा नहीं होगा.. हरामी जल्दी से इसको खड़ा कर.. नहीं तो आज में तेरे लंड को काट के फेंक दूँगी।
मोना का गुस्सा देख कर राजू घबरा गया.. उसने जल्दी से अपने कपड़े समेटे और वहाँ से भाग गया और मोना अन्तर्वासना की आग में जलती हुई वहीं खड़ी रोने लगी।
काफ़ी देर बाद मोना ने कपड़े पहने और वो नीचे चली गई। जैसे ही वो कमरे में गई उसके होश उड़ गए क्योंकि काका वहीं उसके बिस्तर पे बैठे उसको गुस्से से देख रहे थे।
मोना- इस्स काका.. आप यहाँ आह.. आपकी तबीयत तो ठीक है ना?
काका- मेरी तबीयत तो बिल्कुल ठीक है बहू.. मगर तुम्हारे लच्छन ठीक नहीं लग रहे मुझे।
मोना- ये आप कैसी बातें कर रहे हो, मैंने क्या किया है.. मैं तो बस ऊपर खुली हवा में टहलने गई थी।
काका- अच्छा ये बात है तो वो राजू को वहाँ क्या आरती उतारने को बुलाया था तुमने? और उसके बाद जो किया मुझे तो बोलते हुए भी शर्म आ रही है।
मोना समझ गई कि काका ने सब कुछ देख लिया है अब झूठ बोलने से कोई फायदा नहीं.. तो बस उसने उसी वक़्त त्रियाचरित्र शुरू कर दिया, उसकी आँखों से आँसू बहने लगे और उसने वहीं ज़मीन पर बैठ के सिर को घुटनों में दबा लिया।
मोना- मुझे माफ़ कर दो काका, मेरी कोई ग़लती नहीं है.. मैं वासना की आग में जल रही थी.. मुझसे भूल हो गई। अब आपने देख लिया तो मेरे पास मरने के सिवाए कोई चारा नहीं बचा, मैं तो बिना कुछ किए ही बर्बाद हो गई हूँ।
तो दोस्तो.. आप तो जानते ही हैं कि
त्रिया चरित्रम्, पुरुषस्य भाग्यम्.. देवो न जानयति, कुतो मनुष्य:
अर्थात औरत के चरित्र और मर्द के भाग्य को देवता भी नहीं समझ पाते हैं तो मनुष्य की क्या बिसात है कि वो इस गूढ़ विषय को समझ सके।
चलिए अब आपको काका और मोना की सेक्स स्टोरी अगले पार्ट में लिखूंगी, मुझे मेल कीजिएगा।
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कहानी जारी है।
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