प्यार के लिए लड़की बनकर गांड मराई- 1
(Pyar Me Crossdresser Bana)
क्रॉसड्रेसर बन गया मैं प्यार में एक लड़की के! लड़की के भाई को हमारे प्यार का पता चल गया. उसने मेरे साथ बहुत बुरा बर्ताव किया. लेकिन बाद में उसने एक शर्त रखी.
दोस्तो, मैं आप सबका अपनी पहली चुदाई कहानी में स्वागत करता हूँ.
यह कहानी मेरे सच्चे प्यार की है जिसे पाने के लिए मुझे वो सब करना पड़ा जो शायद कोई भी लड़का नहीं कर सकता.
सबसे पहले मैं आप सबको अपने बारे में थोड़ा बता देता हूँ.
मेरा नाम निखिल है और मैं कॉलेज से स्नातक यानि ग्रेजुएशन कर रहा हूँ.
मेरी लंबाई 5.6 इंच है. मैं काफी गोरा हूँ और दिखने में काफी आकर्षक हूँ. मेरी दाढ़ी भर के नहीं आती इसलिए क्लीन शेव करके बिल्कुल चिकना रहता हूँ.
आकर्षक होने के कारण बहुत से लड़के लड़कियां मेरे दोस्त हैं.
मुझे अपनी क्लास में एक लड़की बहुत पसंद थी, जिसका नाम फातिमा था.
वो लड़की बहुत ज्यादा सुंदर थी … या यूं कहिए कि अगर वो किसी हीरो या हीरोइन की बेटी होती, तो पक्का हीरोइन ही बन जाती.
दिन पर दिन मैं उसका दीवाना होता जा रहा था और मेरा प्यार कब जुनून में बदल गया, मुझे पता भी नहीं चला.
किस्मत ने भी मेरा साथ दिया और हमारी बातें होने लगीं.
धीरे धीरे दोस्ती हो गयी और दोस्ती प्यार में बदल गयी.
अब तो हम दोनों बस एक दूसरे के साथ ही समय बिताते थे.
वो भी मेरे प्यार में डूब चुकी थी.
पूरी क्लास को हमारी प्रेम कहानी के बारे में पता था और कोई परेशानी नहीं हो रही थी.
मेरे दोस्त भी खुश थे.
पर वो कहते हैं ना कि इतनी आसानी से मिल जाए तो मोहब्बत कैसी.
हमारी प्रेम कहानी का खलनायक भी जल्दी ही निकल कर सामने आ गया.
उसका नाम था आसिफ.
आसिफ, फातिमा का चचेरा भाई था और बहुत ही हरामी था.
वो दूसरी क्लास में पढ़ता था पर फातिमा पर पूरी नज़र रखता था.
जैसे ही उसके कानों में हमारी प्रेम कहानी की बात पड़ी, उसे गुस्सा आ गया.
पहले तो उसने सिर्फ फातिमा पर अपना जोर चलाया और हमारी बातें कम हो गईं.
पर इश्क़ को दबाना इतना आसान कहां होता है. मैं अभी भी फातिमा से मिलने की कोशिश करता रहता और मिल भी लेता था.
एक दिन की बात है, मैं और फातिमा क्लास के बाद भी क्लास में अकेले बैठे बातें कर रहे थे.
उस दिन धीरे धीरे हमारी किस हो गयी.
अभी कुछ देर ही हुई थी कि किसी ने फटाक से दरवाजा खोल दिया.
तो हम दोनों भौचक्के रह गए.
सामने आसिफ था, उसे देखते ही फातिमा का चेहरा सफ़ेद पड़ गया.
आसिफ गुस्से में चिल्लाया- ये मरेगा आज! फातिमा तू फौरन घर भाग जा.
फातिमा ने कुछ नहीं कहा और चुपचाप वहां से चली गयी.
मैं भी मुँह बचा कर जाने को हुआ तो आसिफ ने मुझे घेर लिया.
उसने कहा- कहां भाग रहा है साले, बहुत आशिक़ी कर रहा है मेरी बहन से, थोड़ी आशिक़ी मेरे से भी कर ले.
मैंने कहा- सॉरी आसिफ भाई, गलती हो गयी, आगे से ऐसा नहीं होगा.
फिर हमारी तू-तू मैं-मैं शुरू हो गयी.
आसिफ बोला- तूने मेरी बहन पर क्या जादू किया है साले, उसका पीछा छोड़ दे. वरना हाथ पैर तोड़ दूंगा, तू किसी लड़की के लायक नहीं रहेगा. कोई और लड़की ढूंढ ले.
मैं फातिमा के प्यार में इस कदर डूबा था कि मैंने कहा- नहीं, सॉरी मैं तेरी बहन से प्यार करता हूँ और उसके अलावा किसी और के बारे सोच भी नहीं सकता.
आसिफ बोला- साले, मुझे क्या समझ नहीं आता कि तू सिर्फ उसे चोदना चाहता है. उससे दूर रह, वरना तेरी गांड फाड़ दूंगा.
मैंने भी गुस्से में कहा- अब मैं उससे दूर नहीं रह सकता, चाहे कुछ भी अंजाम हो.
इससे आसिफ चिढ़ गया और उसने मेरे हाथ पीछे से पकड़ लिए और दीवार से सटा कर मुझे अपने शरीर से दबा लिया.
उसने गुस्से से कहा- साले चिकने, आज मैं भी तो देखूँ तेरी आशिक़ी.
मैं उससे छूटने की कोशिश कर रहा था पर मेरा हाथ मुड़ा होने के कारण मैं हिल भी नहीं पा रहा था.
मैं बस थोड़ा गिड़गिड़ाते हुए सा कहने लगा- प्लीज आसिफ भाई, जाने दे मुझे.
पर उसने अपनी पकड़ और कस दी.
आसिफ बोला- ऐसे कैसे जाने दूं, बोल छोड़ेगा मेरी बहन का पीछा या नहीं!
मैंने कहा- वो तो नहीं हो सकता.
मैं उससे छूटने की कोशिश कर रहा था पर आसिफ ने मुझे अच्छे से जकड़ रखा था.
फिर उसने मुझे क्लास के अन्दर धकेल दिया और बोला- ओए भेनचोद … वहां बैठ कुर्सी पे, आज ढंग से बात ही हो जाए!
मैंने कहा- क्या बात करनी है, मैं फातिमा से अलग नहीं हो सकता, चाहे तू कुछ भी कर ले.
अब आसिफ थोड़े ठंडे स्वर में बोला- तो तू मानेगा नहीं न?
मैंने कहा- हां, ये नहीं हो सकता, तुझे मुझे और कुछ बात करनी है, तो कर ले.
आसिफ ने कहा- तुझसे बात करके क्या फायदा. चल बेटा मेरे पास तेरे लिए एक ऑफर है. तय कर ले कि मैं भी फातिमा को चोदूंगा.
उसके मुँह से ये सुन कर मेरा दिमाग सन्न रह गया.
मैंने कहा- ये क्या बकवास है, दिमाग खराब है तेरा! नहीं, मैं ऐसा कभी नहीं होने दूंगा.
आसिफ बोला- अबे मान जा साले, बस मैं उसकी एक बार मारूंगा, फिर चाहे तू ही उसे अपनी रंडी बना कर रख लेना.
मैंने कहा- बिल्कुल नहीं, मैं उससे सच्चा प्यार करता हूँ. मैं ऐसा कभी नहीं होने दूंगा.
आसिफ बोला- साले मान जा, वरना उसकी चूत का तो पता नहीं, तेरी गांड जरूर मार लूँगा.
मैंने कहा- मैं तुझे उसे हाथ भी नहीं लगाने दूंगा, फिर तुझे जो करना है … कर ले.
आसिफ एक मिनट के लिए शांत हुआ और बोला- चल एक और ऑफर है और ये तो तुझे मानना ही पड़ेगा, वरना मैं चाचाजान को फातिमा और तेरे चक्कर के बारे में बोल दूंगा. फिर वो उसकी पढ़ाई बीच में ही छुड़वा के वापस घर ले जाएंगे.
मैंने कहा- तू फातिमा को हाथ भी नहीं लगाएगा और बाकी सब मुझे मंजूर है.
आसिफ बोला- सोच ले भोसड़ी के, बाद में पलटेगा तो नहीं?
मैंने भी डायलॉग मारते हुए कहा कि सच्चे आशिक कभी पीछे नहीं हटते.
आसिफ बोला- चल फिर सुन, मुझे क्या चाहिए!
मैंने बोला- हां बोल क्या चाहिए?
आसिफ बोला- मुझे तेरी गांड चाहिए.
मैंने कहा- क्या … दिमाग खराब है क्या तेरा … पागल हो गया है क्या? ये बिल्कुल नहीं हो सकता.
आसिफ बोला- क्या हुआ … फट गयी तेरी! लोग तो प्यार में जान दे देते हैं, तू गांड नहीं मरवा सकता. मान जा यार, फिर मैं खुद फातिमा का हाथ तेरे हाथ में दूंगा, वादा करता हूँ.
इतने में आसिफ के दोस्त का फोन आया.
तो वो खड़ा होता हुआ बोला- सोच ले, कल तक का वक़्त है. बता दियो, वरना मैं परसों चाचा को बोल कर फातिमा को वापस भिजवा दूंगा.
हम दोनों में बात खत्म हो गई और मैं घर चला आया.
मैंने पूरी रात सोचा कि अगर फातिमा चली गयी तो मैं क्या करूंगा, मेरा सच्चा प्यार अधूरा रह जाएगा.
और अगर आसिफ की बात मान ली तो मैं अपनी ही नजरों में गिर जाऊंगा.
पर मुझे चुनना किसी एक को ही था.
मैंने आखिरकार फैसला कर लिया कि गांड मरवा कर तो मैं जिंदा रह सकता हूँ, पर फातिमा से दूर रह कर कभी नहीं.
तो मैंने आसिफ की बात मानने का फैसला कर लिया.
अगले दिन मैं आसिफ के पास गया और बोला- मुझे तेरी शर्त मंजूर है, पर पहले उसे सबके सामने मुझे फातिमा को सौंपना होगा.
आसिफ बोला- ठीक है चल!
अब हम दोनों फातिमा के पास आ गए.
आसिफ ने खुद फातिमा का हाथ मेरे हाथ में दिया और बोला- ये ले बहन, आज से मैं तुम दोनों के प्यार के बीच में नहीं आऊंगा.
उसने मुझसे कहा- मेरी बहन का ख्याल रखना.
फातिमा ये सब सुन कर एकदम ऐसे खुश हो गयी जैसे उसे आज सब कुछ मिल गया हो.
आसिफ वहां से चला गया और हम दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे.
कुछ दिन बाद आसिफ का मेरे पास फोन आया.
वो बोला- निखिल, अपना वादा याद है ना … प्यार की कीमत चुकानी है, भूला तो नहीं?
मैंने कहा- नहीं भूला, बता क्या करना है?
उसने कहा- चल फिर आज शाम को मेरे साथ चलना.
मैंने कहा- ठीक है.
मैं फातिमा के साथ वक़्त बिताने लगा.
शाम को मैं कॉलेज के बाहर आसिफ के पास गया और बोला- हां बता, क्या हुआ?
आसिफ बोला- अभी हुआ कहां है, चल आज रात मेरे साथ बिताना.
मैंने फातिमा के बारे में सोचा और बिना कुछ बोले उसके साथ बाइक पर बैठ गया.
कुछ देर बाइक चलाते हुए हम दोनों एक भीड़भाड़ वाले इलाके में पुराने से मकान में आ गए.
मैंने सोचा कि ये साला कहां ले आया, इसके दिमाग में क्या चल रहा है.
मकान के अन्दर एक 40-45 साल की औरत थी.
वो खूब मेकअप किये हुई थी.
उसे देख कर ही लग रहा था कि ये तवायफ है या धंधेवाली है.
मुझे लगा शायद ये आज किसी रंडी को चोदने आया है, पर मुझे क्यों लाया है.
आसिफ उससे बोला- क्या हाल हैं जानेमन!
वो औरत बोली- सब मस्त है, तू सुना ये किसे लाया है … क्या आज इसके लिए लड़की चाहिए … अभी बुला देती हूँ.
पर आसिफ बात काटते हुए बोला- नहीं जानेमन, आज इसके लिए लड़की नहीं चाहिए … आज तू इसे लड़की बना दे, मैं आज इसी की मारूंगा.
वो औरत हंसने लगी और बोली- ओह जनाब इतने शौकीन भी हैं. अभी लो.
उसने मुझे अपने पास बुलाया और बोली- माशाल्लाह … क्या चिकना और सुंदर लौंडा है. इसे तो लड़की ही होना चाहिए था.
आसिफ बोला- लड़का है इसलिए तो तेरे पास लाया हूँ. अब इसे अपने तरीके से फटाफट तैयार कर … और मेरे कमरे में भेज दे.
इतना कह कर आसिफ ने उस औरत के हाथ में कुछ रूपए रख दिए.
उस औरत का नाम शबाना बेगम था.
उसने मेरा हाथ पकड़ा और बोली- चल मेरे साथ अन्दर!
मैंने कुछ नहीं कहा और चुपचाप सर झुका कर अन्दर चला गया.
अन्दर वो मुझे भी उसी कमरे में ले आई जहां सब लड़कियां तैयार हो रही थीं.
वो वहां की लड़कियों से बोली- ये लो लड़कियों … इसे भी पूरी तरह से अपने जैसे ही तैयार कर दो, इसकी पेमेंट आ गयी है, ये आजकल के चिकने लौंडे हम रंडियों के पेट पर लात मारने लगे हैं.
इतना कह कर वो हंसती हुई वहां से निकल गयी.
अब तक मैं समझ चुका था कि आसिफ मुझे लड़की बना कर चोदना चाहता है. पर मैं अब कुछ नहीं कर सकता था, मुझे क्रॉसड्रेसर बनना था वरना फातिमा को हमेशा के लिए खो देता.
जो लड़की उन रंडियों को तैयार कर रही थी, उसका नाम तान्या था.
उसने मुझसे कहा- अब देख क्या रहा है चिकने … फटाफट अपने कपड़े उतार और उस कुर्सी पर बैठ जा.
मुझे शर्म आ रही थी, पर फिर भी मैंने एक एक करके अपने कपड़े उतार दिए और सिर्फ कच्छे में बैठ गया.
तान्या ने कहा- चल री नेहा, शुरू हो जा.
नेहा ने मेरा कच्छा नीचे उतारा और बोली- आज तेरा लौड़ा खड़ा नहीं होना चाहिए … वरना मालिक बुरा मान जाएंगे.
उसने मेरा लौड़ा मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.
कुछ ही देर में मेरा लौड़ा पूरा खड़ा हो गया और मुझे बहुत मजा आने लगा.
थोड़ी देर बाद ही मेरे लौड़े ने पिच पिच करके ढेर सारा वीर्य छोड़ दिया.
उसने सारा वीर्य पौंछा और अलग हो गई.
मैं भी थोड़ी देर आराम करने लगा.
पन्द्रह मिनट बाद ही वो फिर से आ गयी और दुबारा से लंड चूसने लगी.
कुछ ही देर बाद उसने फिर से मुझे झड़वा दिया.
ऐसे ही उसने दो बार और किया और अब तक मेरा सारा वीर्य खत्म हो चुका था.
मेरा लौड़ा बिल्कुल मुरझा चुका था और किसी मूँगफली की तरह बहुत छोटा हो गया था.
अब उसमें जरा भी जान नहीं रह गयी थी.
नेहा बोली- हां अब ठीक है, अब शुरू करते हैं.
मैंने पूछा- क्या शुरू करते हैं?
तान्या बोली- बस तू हमारा कमाल देखता जा.
फिर उन्होंने धीरे धीरे मेरे हाथों पैरों और छाती के सारे बाल साफ कर दिए; मेरे शरीर को बिल्कुल चिकना बना दिया.
मैं अपना चेहरा तो बिल्कुल क्लीन शेव रखता ही था.
नेहा ने कहा- जा अब अच्छे से रगड़ रगड़ के नहा आ.
मैं नहाने चला गया, मैंने शीशे में देखा कि उन रंडियों ने मेरा पूरा शरीर चिकना कर दिया है.
जब मैं नहा कर अन्दर आया तो नेहा अन्दर से एक बड़ा से डब्बा लेकर आई और मुझे बैठने को कहा.
मैं नंगा ही उसके सामने बैठ गया.
उसने डब्बा खोला तो उसमे मेरी त्वचा के रंग के नकली के बहुत नर्म रबर के दूध यानि उरोज रखे थे.
मैं हैरान हो गया और मैंने पूछा- ये क्या है?
नेहा बोली- बिना चूची के लड़की कैसे बनेगा साले!
अब नेहा ने मेरी छाती पर कुछ चिकना सा गोंद सा लगाया और बड़े ध्यान से दो मम्मों को मेरी छाती पर चिपका दिया.
फिर मेकअप से उन्हें बिल्कुल मेरे शरीर में मिला दिया.
ऐसा लग रहा था मानो वो मेरी असली चुचियां हों.
इसके बाद नेहा ने एक रबर की टेप सी से मेरे छोटे से लौड़े को बिल्कुल शरीर से चिपका दिया.
मैंने नीचे देखा तो ऐसा लगा कि जैसे मेरा लौड़ा गायब हो गया हो.
मुझे तो पता ही नहीं था कि आजकल ऐसी ऐसी चीजें भी आने लगी हैं.
फिर नेहा ने डब्बे से जो निकाला, उसे देख कर तो मैं भौचक्का ही रह गया.
उसने एक बहुत बारीक रबर या सिलिकॉन की कच्छी सी निकाली, जिसके बीचों बीच रबर की चूत बनी हुई थी.
नेहा ने वो भी मेरे लौड़ा के ऊपर इस तरह से चिपका दिया कि जैसे मेरे पास लौड़ा ना हो बल्कि मुझे पैदाइशी चूत ही मिली हो.
मैंने खड़े हो कर देखा तो मैं बाहर से पूरी लड़की बन चुका था.
उसने मेकअप से मेरा पूरा शरीर किसी लड़की की तरह चिकना गोरा कर दिया था.
मैं सोच रहा था कि आज जो होना है, जल्दी हो जाए और मैं हॉस्टल निकलूं.
मैंने कहा- अब ठीक है, मैं आसिफ के पास जाऊं?
नेहा बोली- अरे इतनी जल्दी है क्या चूत और गांड मरवाने की. रुक अभी मेकअप पूरा नहीं हुआ है.
फिर बस उसने फटाफट मेरे सिर पर लंबे बालों की एक विग लगा दी.
तभी शबाना बेगम अन्दर आई और बोली- तैयार हो गयी क्या वो?
नेहा बोली- बस मैडम 15 मिनट और.
इसके बाद नेहा मेरे चेहरे का मेकअप करने लगी और उसकी सहेली मेरे हाथों पर नकली के लंबे लंबे नाखून लगाने लगी.
उसने उन नाखूनों पर खूबसूरत लाल नेल पॉलिश लगा दी, इसी तरह से मेरे पैरों के नाखूनों पर भी पॉलिश लगा दी.
इधर नेहा ने मेरी आंखों में काजल लगा दिया और गुलाबी लिपस्टिक भी लगा दी.
इस तरह से मेरा मेकअप पूरा कर दिया गया.
फिर नेहा ने मुझे घुमा कर शीशे की तरफ कर दिया और बोली- देखना तो!
मैंने सामने शीशे में देखा तो बिल्कुल हैरान रह गया.
ऐसा लग ही नहीं रहा था कि ये मैं हूँ, ये तो कोई बहुत ही खूबसूरत लड़की थी.
अब तो मैं खुद को फातिमा से भी खूबसूरत महसूस कर रहा था या यूं कहिए कि कर रही थी.
मुझे अन्दर ही अन्दर एक अजीब सी खुशी भी हो रही थी.
दोस्तो, मैंने अपनी गर्लफ्रेंड फातिमा के लिए अपनी गांड किस तरह से मराई और गांड चुदाई का मजा लिया, वो सब मैं इस क्रॉसड्रेसर कहानी के अगले भाग में लिखूँगा.
आपका प्यार मुझे ईमेल और कमेंट्स से मिलेगा, ऐसी आशा करता हूँ.
क्रॉसड्रेसर कहानी का अगला भाग:
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