पेयिंग गेस्ट से कामवासना की तृप्ति-1
(Paying guest Se Kaamvasna ki Tripti- Part 1)
शहर में खुद का घर होना बड़ी मुश्किल की बात है। और जब मैंने और मेरे पति ने शहर में एक बंगलो खरीदने की सोची तो सब हम को पागल समझने लगे। क्योंकि एक तो वो बंगलो तीन बेडरूम का था जो हमारी जरूरत से काफी बड़ा था और अभी अभी शुरू हुई हमारी शादीशुदा जिंदगी में यह बहुत बड़ी इन्वेस्टमेंट थी।
फिर भी बहुत सोच विचार कर के हमारी सारी पूंजी जमा कर के और ऊपर से बहुत बड़ा लोन बैंक से निकालकर हमने वह बंगलो खरीद लिया। इससे पहले हम मेरे पति नितिन के घर उसके माँ बाप के घर रहते थे, और फिर मेरा बेटा अभी भी अब बड़ा होने लगा था तो जगह कम पड़ने लगी थी।
हम अगल रहने वाले हैं, यह पता चलते ही नितिन के माता पिता बहुत नाराज हो गए पर हमने उन्हें समझाया और वह मान गए। आखिरकार 2-3 महीने में हम अपने नए घर रहने आ गए।
मैं नीतू और मेरे पति नितिन, हम दोनों की लव मैरिज थी। हमारी शादी को सात साल हो गए थे और हमारा एक पांच साल का बेटा गोलू है। फिर भी मेरी फिगर वैसी ही है जैसे शादी से पहले थी, हाँ कुछ चीजें बढ़ गयी थी पर उससे मेरी फिगर और भी सेक्सी हो गयी थी।
मेरे स्तन ज्यादा बड़े तो नहीं हैं पर मेरी फिगर को बहुत ही सूट करते हैं और काफी कड़क हैं। मेरा पेट एकदम सपाट है। मैं बाहर जाती हूँ तो अक्सर साड़ी ही पहनती हूँ इसलिए पल्लू की हलचल से दिखने वाली मेरी नाभि सबको आकर्षित करती हैं। मेरी लम्बी टांगों और सुडौल जांघों की वजह से साड़ी में भी मेरी फिगर काफी आकर्षक दिखती है।
मेरे पति भी एक आकर्षक पर्सनालिटी के पुरुष हैं, लव मैरिज होने की वजह से हम दोनों में बहुत जमती है।
और यह नया घर भी हमारे लिए बहुत लकी था। हम मई महीने में घर में रहने गए। मैंने जून में पास के ही एक स्कूल में दुगनी सैलरी की टीचिंग की जॉब जॉइन कर ली, थोड़ी ही दिनों में नितिन ने भी एक बड़ी कंपनी में जॉब जॉइन की।
फिर भी घर की क़िश्त भरने में हमें बहुत परेशानी होती थी। फिर हमने उसका भी उपाय सोचा, पेइंग गेस्ट।
हम दोनों ले लिया अभी सेपरेट रूम थे और एक गेस्ट बेडरूम खाली ही था। वह बैडरूम बाथरूम के साथ था और उस बैडरूम में जाने के लिए घर के अंदर से और बाहर से दो रास्ते थे तो हमें ज्यादा परेशानी नहीं होने वाली थी।
और तभी हम पता चला कि नितिन के गांव के एक दोस्त को हमारे शहर में जॉब मिल गयी थी और उसे पेइंग गेस्ट रहने की जरूरत थी। तो नितिन ने उसको अपने घर बुला लिया।
इस तरह सुहास हमारे घर में पेइंग गेस्ट बन कर आया। सुहास यहाँ एक साल की ट्रेनिंग के लिए आया था। नितिन और सुहास बचपन से दोस्त थे लेकिन सुहास नितिन से पांच साल छोटा था और अभी उसकी शादी भी नहीं हुई थी।
उसकी कंपनी उसे रेंट के लिए बहुत पैसा दे रही थी और कंपनी भी पांच मिनट की दूरी पर थी।
नितिन ने जब पहली बार मुझे पेइंग गेस्ट के बारे में बोला तो मैंने मना नहीं किया क्योंकि एक साल की ही तो बात थी और किराया भी बहुत मिलने वाला था। सुहास भी अकेला ही था तो ज्यादा लोग भी नहीं थे।
हमने किराया थोड़ा ज्यादा ही मांगा पर उसको हमारा लोकेशन बहुत सुविधाजनक था तो वह भी मान गया और दो बैग ले कर के वह रहने के लिए आ गया।
उस रूम में एक बेड था एक अलमारी एक कुर्सी और एक आईना इतना ही फर्नीचर था पर सुहास को कोई परेशानी नहीं थी। हम उसे एक फैमिली मेंबर जैसा ही समझते थे इसलिए वह हमारे हॉल और किचन में भी आ जा सकता था।
सुहास हाल ही में जापान से एक महीने की ट्रेनिंग खत्म करके आया था वापस आते वक्त वो बहुत सारी चीजें लाया था। जब वह घर में आया था तभी उसने मेरे लिए एक मिक्सर और एक इस्तरी लाया था। अशोक के लिए उसने एक ट्रिमर लाकर दिया था। और गोलू को तो बहुत सारे खिलौने और चॉकलेट्स देकर अपना दोस्त बना लिया था।
गोलू उसे सगे चाचा की तरह प्यार करने लगा और सुहास भी उसे अपने भतीजे की तरह प्यार करता था। वह रोज ऑफिस से आते वक्त कुछ न कुछ खाने को लाता, गोलू को तो रोज चॉकलेट्स मिलने लगे थे।
यह अचानक आया हुआ गेस्ट हमारे परिवार में घुल मिल गया था। मैं उसे रोज सुबह चाय के लिए हॉल में बुलाने लगी। नाश्ते के लिए उसने मना किया क्योंकि वह आठ बजे ऑफिस के लिए निकल जाता और ऑफिस में उसके नाश्ते की और लंच की व्यवस्था थी।
फिर हमने रात का खाना हमारे साथ खाने का आग्रह किया, उसे उसने मान लिया, हम चारों रात का खाना एक साथ खाने लगे। सुहास हमारे परिवार वालों के साथ भी अच्छे से घुल मिल गया। इस तरह वह हमारे परिवार का हिस्सा हो गया था।
सुहास पांच फीट दस इंच लंबा था और उसका बदन कसरती था, मैं जब भी उसे देखती तब मुझे अक्षय कुमार की याद आती। बस एक ही कमी थी कि उसका रंग काला था पर वह कमी भी उसके मजाकिया स्वभाव और कोलगेट स्माइल से पूरी होती थी।
मैं पहले तो उससे अलग रहती थी पर उसके दिलकश स्वभाव की वजह से मैं भी उससे घुलमिल गयी, मैं भी उसको नाम से बुलाने लगी। वह भी मुझे नीतू भाभी बोलता। नितिन भी कभी कभी कंपनी के काम से बाहर जाता तब सुहास की घर में रहने के वजह से नितिन भी टेंशन फ्री थे और मैं भी।
खाना होने के बाद हम चारों डायनिंग टेबल पर ही बहुत देर तक गप्पें लड़ाते रहते।
सुहास जब रहने आया था तो मैं मैक्सी छोड़ कर साड़ी या ड्रेस पहनने लगी थी पर जब हम घुलमिल गए तब से मैं फिर से मैक्सी पहनने लगी।
मेरा पति का प्यार करने का तरीका बिल्कुल साधारण है, वे ज्यादा फोरप्ले नहीं करते, कभी कभार मन करे तो मेरे स्तन दबाते हैं या फिर चूसते हैं, नहीं तो सीधा कपड़े उतार कर अपना लिंग मेरी चुत में डाल कर झड़ने तक अंदर बाहर करते हैं।
शादी के एक साल के बाद ही हमें गोलू हुआ, उसके पालन पोषण में ही हमारा सारा वक्त जाता था। पर अब वह बड़ा हो गया था पर नितिन के आफिस का काम भी बढ़ गया था। कभी कभी लगता कि जिंदगी में कुछ तो कमी है। उसी वक्त सुहास मेरी जिंदगी में आया, उसका स्वभाव मुझे मेरी जिंदगी की खामियों की याद दिलाने लगा।
कुछ दिन बाद अब सुहास मुझे और भी अच्छा लगने लगा था… एक मर्द की तरह! सुहास में मुझे अपने जीवन की खामियों को भरने के लिए एक पर्याय नजर आ रहा था.
उसकी शुरुआत भी ऐसे ही होती गयी।
उस दिन गोलू का पांचवाँ बर्थडे था, उसने अपने फेवरेट अंकल को पहले ही बता दिया था। उस दिन शनिवार था तो सुहास ने पूरा प्लान बनाकर रखा था। पहले गोलू के फेवरेट हीरो अक्षय कुमार की फ़िल्म देखेंगे, फिर गोलू के लिए शॉपिंग करने के बाद बाहर खाना खा कर घर वापिस आएंगे।
मैं और नितिन मना कर रहे थे पर गोलू की जिद की वजह से हमने हाँ कर दी। पहले तो फ़िल्म देखी, फ़िल्म ज्यादा अच्छी तो नहीं थी पर गोलू ने बहुत एन्जॉय किया।
उसके बाद हम पास के मॉल में गए, हमने गोलू को साईकल गिफ्ट की थी तो मॉल में उसके लिए ड्रेस खरीदी, सुहास ने अभी को एक रिमोट कंट्रोल वाली कार गिफ्ट की। इतना बड़ा सेलिब्रेशन होने के बाद वह बहुत खुश था।
फिर पास के एक होटल में खाना खाया।
रात को घर जाते समय बहुत बारिश हुई, एक भी टैक्सी हमारे एरिया में जाने को तैयार नहीं थी। फिर हम ऑटोरिक्शा कर के घर को जाने को निकले, ट्रैफिक भी बहुत ज्यादा था। नितिन सारे बैग पकड़ कर बैठा था, मैं बीच में सोये हुए गोलू को गोद में ले कर बैठी थी, मेरे साइड में सुहास था। हल्की बारिश हो रही थी, सुहास मुझे ज्यादा जगह मिले, इस तरह से बैठा था।
मुझे सोये हुए गोलू को संभालना मुश्किल हो रहा था तो सुहास मुझे अभी को उसकी गोद में देने को बोला। मैंने हाँ किया तब गोलू को मेरी गोद से उठाते वक्त उसका हाथ मेरे स्तनों पर दब गया। उस एक सेकंड में एक अजीब सा अहसास हुआ, मेरी धड़कनें तेज हो गयी। उसे यह अहसास हुआ या नहीं, यह पता नहीं चला।
बारिश अभी चल रही थी। बाहर से आती बारिश की बूंदों से अभी को बचाने के लिए सुहास अंदर सरकने लगा। मैं भी उसके लिए जगह बनाने के लिए अंदर सरक गयी और आगे की तरफ सरकी। पर मेरे आगे सरकने से मेरा स्तन वापस उसके हाथ से टकराने लगा। मैं एंगल चेंज कर के उसके हाथ से बचने की कोशिश करने लगी पर उस ऑटो में उतनी जगह भी नहीं थी। रिक्शा में लगते झटकों से उसका हाथ बार बार मेरे स्तन से टकरा जाता। मैं हर बार उससे बचने का प्रयास कर रही थी पर वह मुमकिन नहीं था, अंत में मैंने प्रयास छोड़ दिया और मेरे ब्लाऊज़ और ब्रा के नीचे खड़ा हुआ मेरा निप्पल उसको ना छुए, इतनी पीछे हो कर बैठ गई।
घर पहुँचने तक मेरे स्तन में मीठा दर्द हो रहा था, वह दर्द सुहास के हाथ पर घिसने की वजह से था या फिर घिसने की वजह से हो रही उत्तेजना की वजह से था क्या पता। गोलू को इतनी देर पकड़ने की वजह से सुहास का हाथ भी दुख रहा था। उतरने के बाद गोलू को वापस लेते समय सुहास का हाथ फिर से मेरे स्तनों पे लग गया, सुहास ने लेकिन कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी।
उस रात मैं तड़पती रही। नितिन को छोड़कर दूसरे आदमी का स्पर्श मेरे नाजुक अंगों पर हुआ था, पर मुझे उसमें कुछ गलत नहीं लग रहा था। मेरे अंदर दबी भूख अब उभर कर आई थी, और सुहास उसका कारण था।
सुहास जब घर में नहीं होता था, तब वह अपने रूम का दरवाजा खुला ही रखता। मैं कामवाली बाई को सफाई का बताने के लिए कभी कभार उसके रूम में जाती थी। सुहास अपना रूम हमेशा इतना साफ रखता कि मुझे कुछ काम करने की जरूरत भी नहीं थी। पर अब मैं उसके कमरे में हर दिन तीन चार बार जाने लगी।
एक दिन मैंने उसके बेड के ऊपर की बेडशीट बदल दी फिर उसकी अलमारी खोली, उसकी अलमारी में भी सभी कपड़े ठीक से रखे हुए थे। पर जब अलमारी खोली तो उसके शर्ट से उसके बदन की खुशबू आने लगी, उस खुशबू से मैं बैचैन होने लगी, ऑटोरिक्शा में हुई उसकी कामुक स्पर्श की यादें मुझे सताने लगी।
मैं वही उसके बेड पर लेट गयी, मैक्सी के ऊपर से ही मैं अपने बायें स्तन को दबाने लगी, ऊपर खड़े हुए मेरे निप्पलों को अपनी उँगलियों में पकड़ कर मसलने लगी, सुहास ही मेरे पूरे बदन पर हाथ घुमा रहा हो, ऐसी कल्पना करते हुए कब मेरा दूसरा हाथ मेरी पैंटी के अंदर मेरी चुत को मसलने लगा, मुझे पता ही नहीं चला।
और फिर अपने कामेच्छा बिंदु पर पहुँचकर झड़ गयी और वही सो गई।
कुछ दिनों से सुहास भी बदला बदला सा लगने लगा था, या फिर मुझे ऐसे लगने लगा था। नितिन के घर ना होते समय वह कुछ ज्यादा ही जॉली हो जाता, अभी जब साथ नहीं होता तब वह मुझे एक दो नॉनवेज जॉक्स भी सुनाता और कभी कभी डबल मीनिंग वाली बाते भी करता। कुछ दिनों से उसकी नजर हमेशा मुझमे कुछ ढूंढती रहती ऐसा मुझे लगता।
उस रिक्शा वाली घटना के बाद उसका मुझे गलती से छूना भी बढ़ गया था, उसका मुझे एतराज नहीं था। उस स्पर्श से मैं अधिक तड़प उठती। उस हफ्ते मेरे स्कूल की छुट्टियाँ चल रही थी तो मैं रोज उसके रूम में जाकर अपने आप को उंगलियों से संतुष्ट करती थी।
मैं शाम को उसके आने की और उससे बातें करने की राह देखने लगी। मैं जानबूझ कर शाम की चाय लेकर उसके रूम में जाने लगी। उसके बेड पर बैठ कर चाय पीते पीते उससे बातें करने लगी। उसकी बातें और उसके जोक्स मुझे बहुत अच्छे लगने लगे थे। सुबह और शाम चाय देते वक्त उसकी उंगलियों का स्पर्श मिले इसके लिए मैं प्रयास करने लगी।
एक बार मैंने साड़ी पहनी थी और वह कुर्सी पर बैठा था, चाय देते वक्त मेरा पल्लू गिर गया पर मैंने उसे उठाने की जल्दी नहीं की और उसे आराम से मेरे स्तनों के बीच की गहराई दिखाई। उसने भी चाय लेने में पहले से ज्यादा वक्त लगाया।
मैंने नजर बचाते हुए उसकी पैंट की ज़िप की तरफ देखा तो वहाँ भी तम्बू बन रहा था।
गोलू का बर्थडे होने के एक हफ्ते बाद की बात है, सुहास शाम को ऑफिस से घर आया और गोलू को साईकल से खेलने के लिए बाहर ले गया। बाद में दोनों घर आये। गोलू ने खुद अपने हाथ पैर धोए और खुद ही होमवर्क करने को बैठ गया, मेरा खाना बनाने तक उसने होमवर्क खत्म किया और आश्यर्य की बात यह थी कि उसने अपने हाथ से खाना खाया।
शायद सुहास ने उसे कुछ देने का प्रोमिस किया था और उसके बदले अच्छा बच्चा बनने को बोला था।
सुहास भी फ्रेश होकर नाईट ड्रेस पहन कर डाइनिंग टेबल पर आ गया। हम खाना खा रहे थे तब भी गोलू हमारे पास ही घूम रहा था। सुहास के हाथ धोते ही गोलू उसे खींच कर सुहास के रूम में ले गया। मैं बर्तन साफ कर के टीवी देखने लगी।
वो दोनों भी बहुत देर हुए रूम से बाहर नहीं आये, तो मैंने रूम में झांककर देखा।
गोलू सुहास के बेड पर लेटा था और एक छोटी डिबिया को इयरफ़ोन जोड़कर गाने सुनते हुए बेड पर नाच रहा था। सुहास कुर्सी पर बैठ कर उसका नाच देख रहा था।
मेरे रूम में आते ही गोलू ने मुझे खींच कर अपने पास बैठा लिया- मम्मी सुनो न… मस्त गाना है!
उसने उसके कानों में से एक इयरफ़ोन निकालकर मेरे कानो में ठूँस दिया। उसमें अक्षय कुमार की फ़िल्म का गाना बड़े ज़ोरों से बज रहा था, मेरे तो कानों के परदे ही फट गए।
मैंने इयरफ़ोन अपने कानों में से निकाल दिया- अरे जरा कम आवाज में सुनो!
तो सुहास ने उसका आवाज को कम किया, गोलू ने फिर से हेडफोन मेरे कानों में डाला। अब सुरीली आवाज में गाना बज रहा था।
“सुहास बड़ी अच्छी आवाज है इसकी, क्या है यह?” मैंने पूछा।
“नीतू भाभी यह आई पोड है, आपको कोई मराठी गाना सुनना है क्या?” उसने तुरंत एक मराठी गाना लगाया।
मुझे आश्चर्य हो रहा था एक छोटी सी डिब्बी में बिना कोई भी सीडी के या पेन ड्राइव के बहुत सुरीले गाने बज रहे थे।
मराठी गाना सुनते ही गोलू ने अपने कां में लगा हुआ इयरफ़ोन भी मेरे कान में डाल दिया। पर वह ठीक से नहीं बैठा, मैं अभी भी गोलू के पास आधी बैठी आधी लेटी अवस्था में थी।
सुहास आगे होकर मेरा इयरफ़ोन ठीक करने लगा तभी मैं ठीक से बैठने लगी। इसी दौरान सुहास का हाथ वायर की जगह मेरे स्तन पर लगा। कुछ ही सेकंड की बात थी पर मेरा दिल जोर से धड़कने लगा।
सुहास ने दूसरे प्रयास में इयरफ़ोन ठीक किये पर कान में गाने नहीं तो सिर्फ मेरे धड़कन की आवाज सुनाई दे रही थी।
इयरफ़ोन कान में ठीक से बिठाने के बाद वायर सही करने के लिए उसका हाथ फिर से नीचे जाने लगा। दोनों वायर्स मेरे छाती पर से ऊपर गयी थी तो उसका हाथ फिर से मेरी छाती को छू गया, पर अब का स्पर्श कुछ सेकंड्स ज्यादा था, ऐसे मुझे लगा।
गोलू पास में ही था, वह नाचते हुए सुहास को बोला- चाचा, फिर से अच्छे वाले गाने लगाओ ना, मैं और मम्मी सुनेंगे.
कहकर उसने मेरे कान से एक इयरफ़ोन निकाल कर खुद के कान में डाल दिया। आईपोड मेरे पेट पर था, जब सुहास ने उसे उठाया तब उसका हाथ मेरे पेट से छू गया। मैक्सी के ऊपर से हुए उस स्पर्श से मेरे सारे बदन पर रोंगटे खड़े हो गए।
मैं आंखें बंद करके गाना सुन रही थी, सुहास बीच में ही गाने बदल रहा था। दो चार गाने सुनने के बाद देखा तो गोलू सो गया था। मैंने अपने कान से इयरफोन निकाला और गोलू के कान का भी निकाल दिया।
मैंने गोलू को बांहों में उठाया और सुहास को बोली- सुहास, मैं इसे सुलाकर फिर से आती हूँ गाने सुनने को!
बोलने के बाद मुझे ऐसा लगा कि ऐसा बोलने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं थी।
‘मैं वापिस आ रही हूँ.’ सुनकर सुहास के चेहरे पर चमक आ गयी- भाभी, मेरे पास किशोर कुमार के गाने का बहुत बड़ा स्टॉक है.
किशोर कुमार के गाने मेरा वीक पॉइंट है यह उसे ध्यान में आया होगा।
अपने रूम में जाने में मैंने बहुत टाइम लिया। अभी तो सो गया था, पर मेरे मन में उथल पुथल हो रही थी। बहुत देर सोचने के बाद मैंने रूम की लाइट बंद की।
मैं जब वापिस सुहास के रूम के बाहर पहुंची तब मेरी सांस बड़ी तेजी से चल रही थी। वह कुर्सी पर बैठा पेपर पढ़ रहा था, पर उसका पूरा ध्यान दरवाजे पर ही था। मुझे देख कर उसके चेहरे पर स्माइल वापस आ गयी। मैं जब उसके रूम में गयी तब मेरा दिल ज़ोरों से धड़क रहा था।
“भाभी… आईये ना… आप बेड पर दीवार से पीठ टिकाकर बैठ जाइए।”
मुझे उसकी बात सुननी ही पड़ी क्योंकि उस रूम की इकलौती कुर्सी पर वह बैठा था। मैं दीवार पर तकिया लगाकर बैठ गई। मेरे आराम से बैठने पर उसने इयरफ़ोन एक एक कर के मेरे कानों में डाल दिया।
अब आईपोड मेरी जांघों के नीचे लटक रहा था। उसे सुहास ने अपने हाथों में पकड़ा तो उसका हाथ मेरे पेट के ऊपर आ गया। उसका हाथ मेरे पेट को छू तो नहीं रहा था पर इतना नजदीक था कि मेरे पूरे शरीर पर फिर से रोंगटे खड़े हो गए। मैं चेहरे पर कुछ भी भाव न दिखाते हुए आँखें बंद कर के गाना सुनने का नाटक कर रही थी। किशोर कुमार का ‘मेरे सामने वाली खिड़की में’ गाना लगा था पर कानों में कुछ भी नहीं जा रहा था।
फिर सुहास इयरफ़ोन की वायर ठीक करने लगा, वायर मेरी छाती पर थी तो वायर ठीक करते हुए उसका स्पर्श मेरे स्तन पर हुआ तो मुझे करंट सा लगा। पर मैंने ‘कुछ हुआ ही नहीं…’ ऐसा दिखाया, वायर पकड़कर नीचे आते हुए उसकी उंगलियाँ मेरे निप्पल्स से टकरा गई। उस स्पर्श से मेरा दिल ज़ोरों से धड़कने लगा, फिर भी मैं गाने सुनते हुए वैसे ही आंखें बंद रख कर पड़ी रही।
मुझे तो बिल्कुल विश्वास नहीं हो रहा था कि वह मेरे नाजुक अंगों को छू रहा है। पर उसके हौंसले पर मुझे आश्चर्य भी हो रहा था। आँखें बंद करके मैं सोच रही थी कि क्या सुहास और आगे भी बढ़ेगा या मुझे ही पहल करनी पड़ेगी?
पर इयरफ़ोन की ठीक से बैठी वायर भी वह जिस तरह से ठीक कर रहा था उसे देख कर मुझे यह लग रहा था कि जो मुझे चाहिए वह मुझे बिन मांगे मिलने वाला था।
मैं उसको बिल्कुल विरोध नहीं कर रही थी तो सुहास का डर कम हो रहा था। उसका हाथ मेरे कड़े हुए निप्पस को छेड़ रहा था। उसने अपने हाथ से मेरे स्तनों का नाप लेने की तैयारी शुरू कर दी। मुझे समझ में ना आये, इतना वह मेरे दोनों स्तन पर हाथ स्पर्श करने लगा।
कहानी जारी रहेगी.
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कहानी का अगला भाग: पेयिंग गेस्ट से कामवासना की तृप्ति-2
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