नौकर के बेटे की वासना भरी निगाहें-1

(Naukar Ke Bete Ki Vasna Bhari Nigahen- Part 1)

मेरे दोस्तो, मैं आपकी अपनी प्यारी प्यारी प्रीति शर्मा… मैं दिल्ली में रहती हूँ। पति का काफी अच्छा बिजनेस है, बेटा भी अपनी पढ़ाई पूरी करके अपने पापा के साथ ही काम करने लगा है। बेटी अभी छोटी है और कॉलेज में पढ़ती है, जवान है, बहुत खूबसूरत है।
बेटे की तो गर्ल फ्रेंड है, मुझे पता है। बेटी का भी कोई न कोई बॉय फ्रेंड ज़रूर होगा, अभी मुझे पता तो नहीं है, पर मुझे शक है कि होगा ज़रूर। मुझे क्यों शक है उसकी भी एक वजह है। मेरे पति एक बहुत तगड़े चोदू हैं। आज तक कोई ऐसी औरत या लड़की नहीं है जो उन्हें पसंद आई हो और उनकी चंगुल से बिना चुदे बच के निकल गई हो, और उनकी सबसे बड़ी ताकत है पैसा। पैसे के दम ही उन्होंने बहुत सी औरतों को अपने बिस्तर पर लेटने को मजबूर कर दिया।

कम मैं भी नहीं हूँ। पति जब बाहर नित नई चूत को चोद रहे हों, तो मैं कैसे बिना मर्द के रह सकती थी। मैंने भी अपनी जवानी को बहुत से लोगों पर लुटाया है। मैंने कभी इस बात की परवाह नहीं की कि जो मेरे ऊपर चढ़ने जा रहा है, वो कौन है। मैंने हर खड़े लंड को अपनी चूत तक आने का खुला निमंत्रण दिया है।

अब जब माँ बाप इतने चुदक्कड़ हों, तो बच्चों पर असर क्यों नहीं पड़ेगा। मुझे याद जब मेरा बेटा 12वीं क्लास में था, तब उसने हमारी काम वाली बाई को चोद दिया था। मुझे तब पता चला जब मैंने उसे एक बार ऐसा करते देख लिया था। मगर मैंने देख कर भी अनदेखा कर दिया। उसको शै मिल गई, और उसके बाद तो उसने कमला को जी भर के चोदा।

इसी लिए मुझे शक है कि मेरी बेटी का भी कोई न कोई बॉयफ्रेंड ज़रूर होगा, जिस पर वो अपनी खूबसूरत जवानी लुटवाती होगी।

मतलब यह कि हमारे घर सेक्स कोई प्रतिबंधित चीज़ नहीं थी। सबको पता था कि हर कोई किसी न किसी को चोद रहा है, या किसी न किसी से चुदवा रही है। अपनी ज़िंदगी के मज़े लो और दूसरों को भी लेने दो, किसी पर कोई पाबंदी मत लगाओ।
बड़ी हंसी खुशी में ज़िंदगी गुज़र रही थी।

हमारे घर में जो नौकर काम करता है, रमेश, गर्मियों की छुट्टियों में उसका बेटा गाँव से यहाँ आ गया, हमारे घर। अब नौकर का बेटा था, तो हमें उससे क्या था। सारा दिन वो अपने क्वाटर में बैठा रहता, कभी कभार अपने बाप की मदद करवाने को हमारे घर के अंदर भी आ जाता था। घर की साफ सफाई, या और किसी काम में वो अपने बाप की मदद करता रहता। खाने पीने को घर में खूब खुला था, दिन में वो अक्सर हाल में बैठ कर टीवी देखता रहता।

एक दिन की बात है कि रात को एक पार्टी से हम लोग बहुत देर से लौटे। रात को मैंने भी कुछ ज़्यादा ही पी ली थी, तो सुबह बहुत देर तक सोती रही।
करीब 11 बजे सो कर उठी। उठ कर देखा, बेडरूम के पर्दे अभी भी बंद थे, तो अभी भी रात जैसा ही अंधेरा सा माहौल था। मैं कुछ देर लेटी लेटी अपने आस पास को समझती रही। फिर उठ कर बैठी। किचन में फोन मिला कर रमेश से चाय लाने को कहा।
मैंने रिमोट उठा कर टीवी ऑन किया।

रात को सोते समय मैं अक्सर टी शर्ट और पेंटी ही पहनती हूँ, कभी कभी लोअर भी पहन लेती हूँ। मगर मुझे सिर्फ पेंटी या नंगी सोना ही अच्छा लगता है। कभी कभी बिल्कुल नंगी भी सो जाती हूँ। पर कोई आ न जाए इस डर टी शर्ट और पेंटी ही पेंटी ही पहन कर सोती हूँ।

मैं बाथरूम में गई, पेशाब किया, और हाथ मुँह धो कर वापस आकर बेड पे लेट गई। तभी रमेश का बेटा चाय की ट्रे लेकर कमरे में आया और मेरे बेड के पास ट्रे ले कर खड़ा हो गया। बेशक वो मेरी तरफ ही देख रहा था, मगर उसकी तिरछी नज़रें मेरी गोरी, चिकनी और मांसल जांघों को ही घूर रही थी।

मुझे लगा कि लड़के पर नई नई जवानी चढ़ी है, तो इसे भी औरत के बदन को घूरना अच्छा लगता होगा। मगर मैंने उसे अनदेखा कर दिया, घूरता है तो घूर ले या, तू कौन सा कुछ उखाड़ के ले जाएगा।
मैं चाय पीने लगी पर वो मेरे पास ही खड़ा रहा।

मैंने उस से पूछा- क्या हुआ, कुछ कहना है?
वो बोला- नहीं।
मैंने उसको डांटा- तो जाओ फिर!

वो चला गया, पर मुझे अच्छा नहीं लगा। मेरे दिल में खयाल आया ‘क्या यार खामख्वाह बेचारे को भगा दिया। कहीं बुरा न मान जाए।’

चाय पीकर भी मैं वैसे ही बेड पर लेटी रही और रात की पार्टी की बातें याद करने लगी। पहले सीधी लेटी थी, फिर उल्टी हो कर लेट गई। मैं अपने ही ख्यालों में खोई थी, तभी फिर से दरवाजा खुला और वो अंदर आया। चाय का कप उठाते हुये उसने मेरी तरफ देखा। एक 45 साल की गोरी चिट्टी, 5 फुट 6 इंच कद की भरपूर बदन की औरत, बेड पर आधी नंगी हालत में आपके सामने लेटी हो तो आप क्या करोगे।
मेरी टी शर्ट मेरी कमर से उठी हुई थी, मेरी सारी पेंटी, मेरी जांघें, मेरे चूतड़ सब नुमाया हो रहे थे।

मैंने उसकी तरफ देखा, इस बार उसकी हालत मुझे पहले से भी खराब लगी। अब वो कैसे अपने जवानी के जोश को संभाल पाता। मैंने उसकी ओर देखा, वो थोड़ा झेंप रहा था, मगर फिर भी चोर निगाह से मुझे ताड़ भी रहा था।
जाने से पहले मैंने उससे पूछा- रूम की सफाई कर दी?
वो बोला- जी, कर दी।
मैंने मस्ती करते हुये जानबूझ कर कहा- कहाँ कर दी? इतनी तो धूल दिख रही है, दोबारा करो।

तो वह चला गया और थोड़ी देर बाद सफाई वाला समान लेकर आ गया और कमरे में पड़े फर्नीचर की सफाई करने लगा।
मैं बेशक टीवी देख रही थी मगर मेरा सारा ध्यान उसी पर था, कैसे वो चोरी चोरी मेरी नंगी टाँगें देख रहा था।

मैंने उससे पूछा- गाँव में क्या करते हो?
वो बोला- जी स्कूल में पढ़ता हूँ।
मैंने फिर पूछा- बस पढ़ते हो?
वो बोला- जी, शाम को अखाड़े में जाता हूँ।
मैंने मुस्कुरा का कहा- पहलवान हो।
वो शर्मा गया।

मैंने कहा- तो बॉडी वोडी तो लगती नहीं तुम्हारी?
वो बोला- जी, पहलवानी में बॉडी नहीं बनती, शरीर में ताकत आती है।
मैंने पूछा- कितने दांव पेच सीख लिए पहलवानी के?
वो बोला- अभी तो नया नया शुरू किया है, तो अभी तो बस उस्ताद जी की मालिश करनी, अखाड़े की सफाई करनी, भैंस का दूध दोहना, बस ऐसे ही काम करता हूँ।

मैंने पूछा- तू मालिश कर लेता है?
वो बोला- हां जी, उस्ताद जी तो मेरे ही अपनी मालिश करवाते हैं।
मैंने सोचा ‘औरतों से तो ब्यूटी पार्लर में बहुत मसाज कारवाई है, कभी किसी मर्द से अपने जिस्म की मालिश नहीं करवाई। पूछ के देखूँ, अगर ये मेरे जिस्म की मालिश भी कर दे, एकदम कड़क।’

मैंने उससे पूछा- तेरा नाम क्या है?
वो बोला- मोनू!
मैंने पूछा- मोनू, जैसे तो अपने उस्ताद की मालिश कर देता है, क्या मेरी भी मालिश कर देगा?
वो तो लाल हो गया, शरमा कर बोला- मैडम, आपकी मालिश मैं कैसे कर सकता हूँ। आप तो औरत हो।
मैंने कहा- तो क्या हुआ, डरता है क्या?
वो बोला- नहीं जी, डरता तो मैं किसी से भी नहीं।
मैंने कहा- तो फिर?
वो चुप रहा।

मैंने कहा- उधर बाथरूम में तेल की शीशी पड़ी है, उठा कर ले आ, अगर मेरी मालिश कर सकता है। नहीं तो जा और अपना काम कर।
वो जैसे दुविधा में फंस गया हो कि अगर मालिश की तो मैडम के गोरे बदन को छूने को मिलेगा, अगर न की तो कुछ भी नहीं मिलेगा।
कुछ देर वो वैसे ही खड़ा रहा।

मैंने उसे कहा- खड़ा क्या है, जा तेल की शीशी ले कर आ!
वो बाथरूम में गया और नारियल तेल की शीशी उठा लाया, मैं सीधी हो कर बैठ गई, वो मेरे पाँव के पास आकर बैठ गया।

वो मुझे और मैं उसे देख रही थी, दोनों के ही मन में एक अजीब सी कशमकश थी। मैं सोच रही थी कि अगर मेरे जिस्म की मालिश करते करते ये गरम हो गया, तो क्या मैं इसके साथ सेक्स करूँ या न करूँ। मैंने आज तक इतनी कम उम्र के नौजवान के साथ सेक्स नहीं किया था।
मुझे तो ये भी डर था कि कहीं वो ये सब कर भी पाएगा, या नहीं। बेशक जवान है, पर अभी पूरा मर्द बन गया होगा या नहीं। वो भी कुछ ऐसा ही सोच रहा होगा, मेम साब के गोरे बदन को मैं कैसे छूऊँ, कहीं गलत जगह हाथ लग गया, मेम साब बुरा मान गई तो।

जब कुछ समय तक हम दोनों चुपचाप एक दूसरे को देखते रहे तो मैंने अपना पाँव उठा कर उसकी जांघ पे रखा और बोली- यहाँ से शुरू कर!
उसने अपने हाथ पे थोड़ा सा तेल डाला और मेरे पाँव को हल्के हल्के से मलने लगा।

मैंने पूछा- अपने उस्ताद की भी ऐसे ही मालिश करता है?
वो बोला- नहीं तो… उस्ताद का बदन तो लोहे की तरह सख्त है, उनकी तो खूब रगड़ रगड़ के मालिश करता हूँ।
मैंने कहा- तो मेरे पाँव को इतनी नरमी से क्यों मल रहा है?
वो बोला- आप तो औरत हो, और आपका बदन तो पहले से ही बहुत कोमल है, आपको उस्ताद की तरह से थोड़े ही रगड़ सकता हूँ।

मैंने हंस पड़ी और बोली- और अगर मैं ये चाहूँ कि तुम मुझे रगड़ो तो?
उसने पहले मुझे चौंक कर देखा, फिर हल्के से मुस्कुरा दिया। उसकी मुस्कुराहट में शर्म भी थी, और आगे आने वाली किसी बड़ी खुशी की आस भी थी।

मैंने कहा- सिर्फ पाँव नहीं, ऊपर तक मालिश करो।
तो उसने मेरे घुटने तक तेल लगा कर मालिश की। उसके हाथों में जैसे जादू था, मुझे अपनी टाँगों में जैसे बिजली सी दौड़ती महसूस हुई, उसको भी हुई होगी, जब उसने अपने हाथों से मेरी नंगी टाँगें छू कर देखी होंगी।

फिर मैंने अपनी दूसरी टांग भी उसके आगे की, उसने वहाँ पर भी घुटने तक ही तेल लगाया।
मैंने कहा- बस घुटने तक ही तेल लगाएगा, आगे नहीं?
वो बोला- जी लगा दूँगा.

उसने अपने हाथ पर तेल लिया और मेरी जांघों पर तेल मलने लगा, मगर उसके काँपते हाथों को मैं बहुत अच्छे से महसूस कर सकती थी। वो बहुत डर डर कर ऊपर को बढ़ रहा था। मैंने उसका हाथ पकड़ा और बिल्कुल अपनी चड्डी के पास, अपनी कमर पर हाथ रख कर कहा- यहाँ तक लगा!
उसके बाद उसको हिम्मत सी हो गई और वो मेरी जांघों को बड़े अच्छे से मलने लगा।

फिर उसने कहा- अगर आप उल्टी हो कर लेट जाओ तो जांघों के पीछे भी तेल लगा दूँगा।
मैं एकदम से पलट गई और उल्टी लेट गई, उसके छूने से मुझे भी मज़ा आने लगा था। पहले उसने मेरी एड़ी से लेकर घुटने तक और फिर घुटने से लेकर चूतड़ तक तेल लगा कर मालिश की।

कहानी जारी रहेगी.
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