मालिश के बाद ओरल सेक्स फिर चूत चुदाई
(Malish Ke Bad Oral Sex Fir Chut Chudai)
मेरा नाम बन्टी है, मैं अमेरिका में रहता हूँ, यह मेरी पहली सेक्सी स्टोरी है. मैं यहाँ ट्रेवल ऐजन्सी में काम करता हूँ. मुझे टिकट देने के लिए लोगों के घर अक्सर जाना पड़ता है.
ज़्यादातर भारतीय लोग ही हमारे कस्टमर हैं. उनमें से एक मीना जी भी हैं, जो मुझे बहुत पसंद हैं. मैं अक्सर उनके घर टिकट देने जाता था, क्योंकि उनके पति का ऐसा बिज़नेस था कि उनको महीने में 3-4 बार अलग अलग स्टेट में जाना पड़ता था.
मैं जब भी जाता, पानी पीने के बहाने मीना ज़ी को देखता ही रहता. मैं कोशिश करता था कि ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त उनको घूरता ही रहूँ. मीना का फिगर 34-28-36 था, गोरा बदन और लगभग 5 फुट 4 इंच की हाइट थी.
एक दिन मैं जब काम से निकल कर मीना जी के घर गया तो जैसे उस दिन मेरी लॉटरी ही लग गई.
जब मीना ने दरवाजा खोला तो मैं उनको देखता ही रह गया. काली नाइटी में वो गजब की खूबसूरत लग रही थीं. आजा उन्होंने ब्यूटी ट्रीट्मेन्ट ली थी, वो उनके मेकअप से पता चल रहा था, साथ ही उन्होंने बाल भी स्टाइलिश तरीके से बनाए हुए थे. मैं तो देखता ही रह गया.
जब मुझे थोड़ी देर हो गई तो मीना जी ने कहा- देखते ही रहोगे बंटी या टिकट भी दोगे?
मैंने हड़बड़ाते हुए ‘हां’ कह कर उनको टिकट दे दिया. वो टिकट ले कर सब चैक करने लगीं.
मैंने खामोशी को तोड़ते हुए कहा- मीना जी.. क्या आप कहीं बाहर जा रही हैं?
मीना- क्यों.. आप को कैसे पता?
मैंने कहा- आज आप अलग ही दिख रही हो.. इसलिए पूछा.
मीना- अलग? क्या मैं अच्छी नहीं दिख रही हूँ?
मैंने कहा- मेरा मतलब है कि कयामत लग रही हो..!
मेरे मुँह से अचानक ही ‘कयामत..’ शब्द निकल गया.
ये सुन कर मीना खूब हंसने लगीं और बोली- अरे इस ब्यूटीपार्लर में 3 घंटा फँसी रही और ऊपर से मुफ़्त में ये सरदर्द मिला.
मैंने कहा- ऐसा क्यों?
तब उन्होंने बताया कि फेसियल और आई-ब्रो की ट्रीट्मेन्ट में अक्सर मुझे सर दर्द हो जाता है.
मैंने उनसे बात को बदलते हुए खुद के लिए पीने के पानी लाने के लिए कहा, तो वो बोलीं कि सॉरी मैं तो बातों बातों में पूछना ही भूल गई.
वो सर पकड़ कर किचन में चली गई और पानी ले के आईं.
वो बोली- आप खड़े क्यों है.. बैठिए ना?
मैं अक्सर जब भी यहां आया तो मीना जी को अकेले ही पाया, इसलिए मैंने पूछ लिया- बच्चे दिखाई नहीं दे रहे?
वो शाम का वक्त था, बच्चे अगर होते तो जरूर दिखाई देने चाहिए थे.
मीना जी ने एक लंबी साँस लेते हुए कहा- हम दो ही रहते हैं, अभी बच्चे के बारे में सोचा नहीं है.
वो फिर से अपना सर पकड़ कर दबाने लगीं. मैंने अपना पानी खत्म करके कहा- अगर इतना ही सर में दर्द हो रहा है तो आप दवाई क्यों नहीं ले लेतीं?
वो बोलीं- दवा से मुझे एलर्जी हो जाती है और दवा घर में है भी नहीं.. और वो (उनका पति) बिजनेस के सिलसिले में टेक्सास गए हैं, मुझे कल वहां कुछ डोक्युमेन्ट साइन करने बुलाया है. इसी लिए तो आपसे ये टिकट करवाई है, अगर वो होते तो…
इतना कह कर वो अटक गईं.
मैंने सवाल, अपने मुँह के हाव-भाव से से पूछा.. तो उन्होंने कहा कि जाने दो और फिर सर को अपने हाथों से घिसने लगीं.
मैंने कहा- बताइए ना.. अगर मेरे से कुछ होता है तो मैं जरूर आपकी मदद करूंगा.
मेरे इस मासूम सवाल पर वो हंस दीं. उनका हंसना मुझे समझ नहीं आया, मैंने कहा- अगर ऐसी कोई बात है तो मुझे भी बताओ, मैं भी हंसूँ?
तब उन्होंने हिचकते हुए कहा कि वो हमेशा मेरे सर की बाम से मालिश कर देते हैं.
मैंने कहा- इतनी सी बात है? लाइए, मैं कर देता हूँ.
वो बोलीं- नहीं नहीं, आप क्यों परेशानी उठाते हैं.. और आपको भी घर जाने में देरी होती होगी, घर पर सब राह देखते होंगे.
मैं उनका इशारा समझ गया और बोला- नहीं मीना जी, मैं अकेला ही पी.जी. में रहता हूँ.. काश कोई मेरे साथ होता.
मीना इस बात पर जरा मुस्कुराईं और बोलीं- तो जनाब की शादी नहीं हुई है, लेकिन कोई तो होगी ना?
मैंने कहा- नहीं जी, अभी नहीं है पहले थी. आप सब बातें छोड़िये और बाम लाइए, मैं सर की मालिश कर देता हूँ.
वो बोलीं- नहीं नहीं… किसी को अगर पता चला तो क्या सोचेगा?
मैंने कहा- यहां हमारे दो सिवाए कोई नहीं है और आपको लगता है कि मैं किसी को बताऊँगा?
इस पर मीना ने अपनी निगाहें नचाकर कहा- मैं कैसे भरोसा करूं?
मैंने कहा- आप बेझिझक भरोसा कर सकती हैं और बात तो सिर्फ सर दर्द की ही है, उसमें क्या गलत है?
तब मीना जी ने कहा- तो फिर ठीक है.
वो कमरे के अन्दर चली गईं और बाम की शीशी हाथ में ले कर आईं. उन्होंने कहा- मैं आपके आगे बैठ जाती हूँ, ताकि आपको मालिश में आसानी हो.
मैंने ‘ठीक है…’ कह कर बाम की शीशी को खोला और उंगली में बाम ले कर दोनों हाथों से मीना जी के माथे पर आहिस्ता आहिस्ता रगड़ने लगा.
वो ‘हुम्म.. हुम्म..’ जैसी आवाजें निकालने लगीं. हम दोनों आपस में औपचारिक बातें करने लगे. उससे ये पता चला कि उनकी शादी हुए 4 साल हुए हैं और उनके पति का रियल स्टेट का बिजनेस हैं. वो टेक्स बचाने के लिए वो मीना जी का नाम का भी यूज करते हैं. इसलिए मीना जी को भी पेपर साइन करने के लिए अक्सर अलग अलग स्टेट में जाना पड़ता है.
मैंने बात करते समय अपना घुटना मीना जी की पीठ से सटा दिया था. क्योंकि दूर से मालिश करने में मेरे हाथ दर्द करने लगे थे. मेरे मन में तो ये सोच कर ही लड्डू फूट रहे थे कि जब कोई मालिश के लिए कहे तो उसका क्या मतलब होता है.
और फिर मैंने ये भी सोचा कि यही सही मौका है, अगर चौका नहीं मारा तो ज्यादा से ज्यादा क्या होगा? वो मना ही तो कर देंगी, भगा देंगी और क्या होगा? अगर कुछ नहीं किया तो ज्यादा से ज्यादा हाथ में ही तो कुछ नहीं आएगा.. कुछ जाएगा तो नहीं.
मैंने धीरे से सर से अपनी उंगलियों को घिसते हुए मीना जी के कान के पीछे से होते हुए, गरदन से कंधे पर दोनों हाथ फिराना शुरू किया. पहले मुझे लगा कि वो मना कर देंगी, पर उन्होंने कुछ नहीं कहा.
मुझे लगा कि अब रास्ता साफ़ है. मैंने भी अब धीरे धीरे कंधों को दबाना शुरू कर दिया और फिर बांहों की भी मालिश करना शुरू कर दी.
अब मीना जी ने खामोशी तोड़ते हुए कहा- अच्छा कर लेते हो, देखो सरदर्द बिल्कुल चला गया और 3 घंटा बैठे बैठे शरीर भी अकड़ गया था, अब आराम मिल रहा है.
अब तक मैंने उनकी पीठ की भी मालिश शुरू कर दी थी, इसलिए मैंने मेरे पैर हटा लिए थे. मेरी उंगलियाँ अब उनकी ब्रा की पट्टी को बार बार छू रही थीं और मीना जी मुझसे इधर उधर की बात कर रही थीं. लेकिन मुझे लग रहा था कि उनका दिमाग कहीं और है.
वो खाने के बारे में, मेरी जॉब के बारे में बातें कर रही थीं, मैं कब अमेरिका आया, या कभी घूमने के लिए इंडिया गया कि नहीं, मेरी पसंद नापसंद वगैरह की बातें कर रही थीं.
अब समय था हिम्मत करने का, या तो मामला इस पार होगा या उस पार होगा. मैंने धीरे धीरे अपनी उंगलियाँ उनकी बगल तक पसार दीं. इस पर मीना जी ने अपने दोनों हाथों को जरा सा खोल दिया ताकि मैं अच्छे से मालिश कर सकूँ. अब जब मैं बदन की मालिश कर रहा था तो जाहिर सी बात है कि बाम यूज ना करूं.
मीना जी वही बाम की शीशी अपने हाथों में घुमा रही थीं, पर जब मैंने बगल पर अपनी उंगलियाँ सटाईं तो वो बेचैनी में जल्दी जल्दी शीशी को अपने हाथों से घुमाने लगीं. यहां मेरी भी हालत पतली हो रही थी कि आगे जाऊं या ना जाऊं.
मैंने काफी देर ये सोचने में ही लगा दी. अब तक मैं बगल में ही अपनी उंगलियाँ घुमा रहा था. तभी मीना जी अचानक से हंसने लगीं.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो मीना जी ने कहा- गुदगुदी होती है और आपकी आवाज क्यों इतनी कांप रही है?
अब इस पर मैं क्या बोलता सो मैंने इतना ही कहा कि कुछ नहीं, सुबह से कुछ खाया नहीं है, इसलिए शायद होगा.
तब मीना जी ने मेरे दोनों हाथों को पकड़ लिया और कहा- रुको मैं कुछ लाती हूँ.. फिर पूछा- ड्रिंक चलेगा?
मुझे सच में जरूरत थी. मीना जी दो गिलासों में ड्रिंक बनाकर लाईं और फिर पहले की तरह बैठ गईं. मैंने कुछ ही घूंटों में गिलास खलास कर दिया.
मीना जी ने कहा- अरे.. इतने प्यासे हो?
मैंने कुछ नहीं कहा, सिर्फ ‘हुम्म’ कहके फिर से अपने हाथ मीना जी की पीठ पर लगा दिए, तो वो बोलीं- रुको, एक और ड्रिंक चाहिये?
मैंने जवाब में फिर ‘हम्म’ किया. इस बार वो गईं लेकिन काफी देर बाद ड्रिंक लेकर आईं और पहले की तरह नीचे बैठ गईं. मैंने एक हाथ से धीरे धीरे ड्रिंक लेना चालू किया और दूसरे हाथ की मुठ्ठी बनाकर हल्के से उनकी पीठ पर मारने लगा. अब मुझे अपनी तबियत हरी लगने लगी थी. तभी मैंने महसूस किया कि अब ब्रा की पट्टी गायब हो गई है.
मैंने मुठ्ठी को पीठ के चारों और थपथपाते चैक किया, तभी मीना जी खामोशी तोड़ते हुए बोलीं- क्या ढूँढ रहे हो?
वो हंसने लगीं. मेरी हालत तो देखने लायक थी.
तभी वो बोलीं- मैंने सोचा, आपको शायद मालिश में दिक्कत हो रही होगी इसलिए निकाल दी.
वो फिर से हंसने लगीं.
मैंने कहा- ठीक किया.
फिर जल्दी से ड्रिंक खत्म करके दोनों हाथों से फिर से उनकी मालिश में जुट गया. अबकी बात कुछ और बात थी. ड्रिंक की वजह से अब हिम्मत भी थी और मैं समझ गया था कि मीना जी ने ब्रा निकाल कर हरा सिग्नल दे दिया है. लेकिन अब भी बगल से उंगलियाँ आगे नहीं बढ़ पा रही थीं.
तब फिर मीना जी हंस दीं और बोलीं- बहुत ही गुदगुदी होती है.
इतना कह कर मीना जी ने मेरे दोनों हाथ पकड़ कर, अपने मम्मों के ठीक नीचे, कमर पर रख दिए और कहा- यहां पर भी करो जनाब.
मुझे एक बार को लगा था कि मामला फिट हो गया लेकिन अभी कुछ और भी हो सकता था.
खैर, अब मैं उनकी कमर की मालिश करने गया तो मेरी उंगलियाँ उनके मम्मों को छू गईं, उस पर वो सिर्फ थोड़ी से सिकुड़ीं, पर कहा कुछ नहीं. मैं भी थोड़ा सहम सा गया, पर मैंने मालिश चालू रखी.
वो सिर्फ ड्रिंक की चुस्कियाँ ले रही थीं, उन्होंने बातें करना बंद कर दी थीं. अब जब भी मेरी उंगलियाँ उनके मम्मों को छूतीं, मेरे पूरे शरीर में करंट सा दौड़ जाता और मैं सहम जाता.
तकरीबन जब दस बार मेरी उंगलियाँ उनके मम्मों को छुईं, तब मीना जी ने खामोशी को तोड़ते हुए कहा- बंटी, डरो नहीं और मुझसे शरमाओ भी मत, मालिश ठीक से करो और फिर तुम किसी को बताने वाले तो हो नहीं.
इतना कह कर वो हंसने लगीं. अब मीना जी की आवाज भी बदली सी थी, शायद ड्रिंक का असर हो गया था, मुझे भी था.
बस, मुझे इसी पल का इंतजार था. मैंने हिम्मत करके, अपनी उंगलियाँ समेट कर अपने हाथ को धीरे धीरे मम्मों के निचले हिस्से पर फिराया और वो कुछ नहीं बोलीं, सिर्फ अपना बाकी का ड्रिंक एक ही सांस में खलास कर दिया.
अब मैंने हल्के से उनके मम्मों को सहलाना शुरू कर दिया. तभी उन्होंने मेरे दोनों हाथों को पकड़ लिया, लेकिन हटाया नहीं.
फिर मम्मों के ऊपर ही मेरे हाथ को दबाकर बोलीं- बंटी राजा, बहुत देर कर दी.
अपना हाथ मेरे हाथों से सटा कर अपने मम्मों को सहलवाने लगीं. मैं तो खुशी के मारे पागल सा हो गया और जोश में आकर उनके मम्मों को छोड़ कर, उनको दोनों हाथों से पकड़ कर घुमा के अपने सीने से लगा दिया. हम एक दूसरे को किस करने लगे. मैं उनके मम्मों को दबाने लगा.
जब मैंने उनके नाईटी निकालनी चाही, तो उन्होंने कहा- अभी नहीं, पहले शावर लेते हैं और साफ सफाई कर लेते हैं.
मैंने ‘ठीक’ कहा और हम शावर लेने बाथरूम में आ गए. उससे पहले मैंने अपने जूते निकाल दिए. हम दोनों शुरूर में थे.
उन्होंने मस्ती में कहा- हम दोनों एक-दूसरे को नहलायेंगे.
जब उन्होंने अपनी नाइटी निकाली, तो मैं देखता ही रह गया. सुडौल तने हुए मम्मों और छोटे चने से कड़क निप्पल.. नीचे उन्होंने थोंग पेन्टी पहन रखी थी. मैंने अपना संयम खो दिया और उन्हें अपने सीने से लगा कर किस करने लगा.
थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे अलग करके कहा- चलो, अब शावर ले लेते हैं.
इतना कह कर अपनी पेन्टी भी उतार फेंकी. आह.. क्लीन शेव चुत.. उनकी दोनों मांसल जांघों के बीच इतनी जंच रही थी कि लंड खड़ा हो गया.
मैंने भी मेरे कपड़े उतार फेंके. पर जब अपना बॉक्सर उतारने गया तो मीना जी ने मेरा हाथ पकड़ कर, अपनी नशीली आंखें नचाते हुए अपनी मुंडी ‘ना’ में हिलाई. मैं समझ गया कि वो क्या चाहती हैं. उन्होंने खुद अपने हाथों से मेरा बॉक्सर निकाला नहीं, बल्कि मेरे लंड को ऊपर से ही पकड़ कर हिलाने लगीं.
मैं तो जैसे जन्न्त में आ गया था, क्या ये कोई सपना था? मैंने भी अपने हाथ फैला कर, उनके मम्मों को पकड़ लिया और सहलाने लगा. तभी उन्होंने एक झटके से मेरा बॉक्सर उतार फेंका.
मेरा लंड झन्ना कर ऊपर नीचे हिलने लगा. वो मुँह ऊपर करके जोर से हंसने लगीं और फिर जब मुँह नीचे करके मेरे लंड को देखा तो कुछ बोली नहीं.. बस अपने एक हाथ को ऊपर करके उंगलियाँ घुमा के अपनी आंखें मोटी करके अपने होंठों को नीचे की तरफ मोड़ लिया.. और मुँह को ऊपर-नीचे हिलाने लगीं, मानो कह रही हों कि नॉट बेड.
फिर उन्होंने शावर चालू कर दिया. हम दोनों गीले हो कर एक दूसरे को नहलाने लगे. मैंने मम्मों और चुत को खूब रगड़ा. उन्होंने भी मेरे तने हुए लंड को रगड़ रगड़ कर और मोटा कर दिया.
मुझे तो बहुत ही मजा आ रहा था, अगर बला की खूबसूरत औरत आपके साथ नंगी होकर नहाए, तो मजा क्यों ना आए.
हमने शावर लेकर एक दूसरे के बदन को पौंछा और ननगे ही एक दूसरे से चिपक कर बेडरूम में आ गए.
मैंने उसको बेड पे लेटा दिया, तो वो फटाक से बैठी होकर बोलीं- जान, हम शुरू करें उससे पहले एक गेम खेलते हैं.
मैंने कहा- इस वक्त?
उन्होंने कहा- देखो बंटी राजा, हम गाड़ी गाड़ी खेलते हैं.
इतना कह कर वो बेड से नीचे उतर गईं और मेरे आगे आकर खड़ी हो गईं. फिर मेरे दोनों हाथों को लेकर अपने मम्मों पर रख कर अपने हाथ को पीछे ले जा कर मेरा लंड पकड़ लिया. फिर धीरे धीरे छोटे बच्चों की तरह हम दोनों ‘छुक छुक..’ बोल कर बेडरूम से, हॉल से, किचन से होकर बेडरूम में फिर से आ गए. सच में मुझे इतना मजा आया कि मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता.
जैसे ही हम बेडरूम में पहुँचे, उन्होंने मेरा लंड छोड़ कर मुझे बेड पर पटक दिया और मुझे किस करने लगीं. मैंने भी उनके मम्मों को रगड़ दिया. वो मेरे होंठों को चूस कर मेरी छाती से होकर मेरे लंड पर आ गईं. मैं समझ गया कि अब ओरल सेक्स का वक्त आ गया है.
अब मेरे हाथ खाली हो गए. पहले उन्होंने मेरे लंड को हिलाया, फिर सुपारे को ऊपर नीचे करके लपक लपक चूसने लगीं.
मैं भी मीठी आवाज में कहने लगा- आह चूस लो मीना रानी, चूस लो.
दो मिनट की लंड चुसाई के बाद वो उठ गईं और मेरे दोनों हाथों को पकड़ कर मुझे खड़ा कर दिया. वो खुद नीचे बैठ कर फिर से मेरा लंड चूसने लगीं. उन्होंने अपना एक हाथ जमीन पर टिकाया हुआ था और दूसरे हाथ से लंड को पकड़ कर चूस रही थीं. मैंने भी उनका हाथ अपने लंड से हटा दिया. अब वो दोनों हाथ को जमीन पर रख कर सिर्फ मुँह से मेरे लंड को चूस रही थीं. मुझे मजा आ रहा था, मीना की लंड चूसने की विधि मुझे अच्छी लगी.
कुछ 5 मिनट की लंड चुसाई के बाद मैंने खुद ही उनको पकड़ कर खड़ा किया और बेड पर लेटा दिया, उनकी दोनों मखमली टांगों को फैला कर, मैं उनकी चुत में अपनी उंगलियों से खेलने लगा. वो कराहने लगीं, मुझे और मजा आने लगा.
मैंने अपनी जीभ को उनकी चुत में डाल दिया और अन्दर बाहर करने लगा. साथ ही अपनी उंगलियों से उनकी चुत की फांकों में उंगली करने लगा. उनकी चुत अब गीली होने लगी थी, इसलिए मैंने चूसना बंद करके अपने मुँह को सीधे उनके मम्मों पर छोड़ दिया और फिर जो मेरे मुँह ने मम्मों की चुसाई और हाथों ने रगड़ाई की है, मानो कि मीना जी हवा में उड़ने लगी हों. उनकी गरम सांसें भी तेज होने लगी थीं.
फिर वो खड़ी हो गईं, मम्मों से मुँह हटाकर उन्होंने मुझे लेटा कर फिर से मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया. लेकिन उसने थोड़ा ही चूसा था कि मैंने उन्हें हटा कर लेटा दिया. अब ओरल सेक्स से आगे बढ़ने का वक्त आ गया था.
वो अपनी आंखें मूंद कर दोनों टांगें फैला कर जैसे जन्नत का मजा देने का कह रही थीं कि जान जल्दी से आ जाओ.
मैंने भी अपने लंड को उनकी चुत पे रख कर धीरे से धक्का दे दिया, तो वो बोल पड़ीं- आह, क्या मजा है यार..
मैं लंड अन्दर तक घुसेड़ता चला गया और साथ में सातवें आसमान में उड़ने लगा.
वो बोलने लगीं- बंटी, बहुत मजा आ रहा है, करो और करो.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… उम्म.. आह्ह…
मैंने भी स्पीड बढ़ा दी, अब मैं भी पूरे मजे में था और बोल रहा था- आह.. कैसा लग रहा है मेरा लंड?
मीना- बहुत मस्त.. और जोर से करो.
तकरीबन 5 मिनट की चुदाई के बाद वो अचानक मेरा लंड निकाल कर बैठी हुईं, फिर मुझे लेटा कर अपने हाथों से मेरा लंड पकड़ कर अपनी चुत में लेकर उछल उछल कर चुदने लगीं. साथ में ‘उह्ह्ह.. आह्ह्ह..’ करने लगीं.
मैं भी उन्हें चोदते हुए कहने लगा- आह.. मीना, तेरी चुत रसीली है, मार जोर जोर से धक्का.
वो बोलीं- हां राजा, आपका ये बहुत ही आनन्द दे रहा है.
वो चुत और लंड बोलने में शरमाती थी. मैंने कहा- जो हम कर रहे हैं, जिससे कर रहे हैं उसका नाम भी तो होता है.. उसे बोलने में कैसी शरम? मैं बोलता हूँ तो तुमको अच्छा लगता है ना? तुम बोलोगी तो मुझे अच्छा लगेगा.. अब बोलो कि तेरा लंड मस्त है.
पहले तो वो हिचकिचाई, पर मैंने भी नीचे से धक्के लगाना शुरू किए तो पहले तो वो ‘ओफ्फ्फ्फ.. उम्म..’ बोलीं, फिर बोल पड़ीं- और जोर से चोदो राजा.
अब वो मेरे सामने मुँह करके मुझे चोद रही थीं. अब हम दोनों एक दूसरे की आंखों में देख के बोलने लगे.
वो बोलीं- जोर से और जोर से चोद..
मैं- हां जान, चुदवा ले और ले ले अन्दर तक ले ले!
वो- फाड़ डाल..
मैं- हाँ फड़वा ले जान.
अब वो लंड निकाल कर उलटा मुँह करके मेरे लंड को अपनी चुत में सटा कर फिर चोदने लगीं और बोलने लगीं- आह.. ओह्ह्ह..
मैं भी नीचे से धक्के लगाने लगा.
शायद 5 मिनट के बाद अब मेरा सब्र खो रहा था. मैंने पीछे से उसको पकड़ के अपना लंड निकाला और उन्हें घोड़ी बना दिया. फिर जो मजा आया यारो, मत पूछो.
अहाआ.. जो मजा पीछे से चोदने में है, वो किसी भी तरीके में नहीं है.
अपने दोनों हाथों से उसके मम्मों को पकड़ा, उसके लिये उनको अपना मुँह ऊँचा करना पड़ा. उससे उनकी चुत और थोड़ी टाइट हो गई. लंड ने अपना कमाल दिखाना शुरू कर दिया.
फिर जो धकापेल चुदाई का संगीत कमरे में गूंजना शुरू हुआ आह.. मस्ती छा गई.
ऊपर से उनकी कामुक आवाजें- आह फाड़ डालो, कर दो भोस का भोसड़ा, आह.. बहुत मस्त लंड है तेरा.. जम के चोदो..
मैं भी ताव में था, मैं भी जोर जोर से चोदते हुए, मम्मों को पीछे से सहलाते हुए बोल रहा था- अह.. चुदवा ले, ले ले लंबा लंड.. फड़वा ले.
मैं तो अब सातवें आसमान में था.
फिर वो घड़ी आ गई दोस्तो, वो ऐसे ही घोड़ी बनी रहीं. मेरा स्खलन हो गया था, मैंने चुदाई का पूरा मजा लिया था.
जब लंड से पिचकारी छूटी तो मेरे भी मुँह से आह निकली- आआअहह हो गया..
मैंने लंड निकालना चाहा तो मीना ने कहा- अभी ऐसे ही रहो.
मैंने उनके चूतड़ के ऊपर के हिस्से से लेकर कमर तक अपनी उंगलियाँ धीरे धीरे फेरीं. इससे उनको हल्की सी गुदगुदी हो रही थी, लेकिन लगता था कि उन्हें मजा आ रहा है.
कुछ मिनट के बाद साफ सफाई करके मैंने अपने कपड़े पहने और घर जाने के लिये तैयार हो गया.
एक कसा सा हग और छोटी पप्पी मीना जी को देकर लहराता हुआ घर की ओर चल दिया.
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