माँ-बेटी को चोदने की इच्छा-6
(Maa Beti Ko Chodne ki Ichcha-6)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left माँ-बेटी को चोदने की इच्छा-5
-
keyboard_arrow_right माँ-बेटी को चोदने की इच्छा-7
-
View all stories in series
Maa Beti Ko Chodne ki Ichcha-6
यह सोचते-सोचते मैंने तुरंत माया से ‘सॉरी’ बोला और उससे कहा- मैं तो बस ये देख रहा था.. जो तड़प तुम्हारे लिए मेरे अन्दर है.. क्या वो तुम्हारे अन्दर भी है या मैं केवल तुम्हारी प्यास बुझाने का जरिया बन कर रह जाऊँगा।
इस पर उसने बिना देर किए ‘आई लव यू’ बोल दिया और बोली- आज से मेरा सब कुछ तुम्हारा ही है..
तो मैंने मज़ाक में बोला- बस एक अहसान करना.. दो बच्चों का बाप न बना देना।
तो वो भी हँसने लगी, फिर वो बोली- अब ये बोलो.. घर कब आओगे?
मैंने बोला- अब मैं तभी आऊँगा.. जब घर पर सिर्फ हम और तुम ही रहेंगे।
वो इस पर चहकती हुई आवाज़ में बोली- अकेले क्यों? जान लेने का इरादा है क्या?
तो मैंने बोला- नहीं.. तुम्हें प्यार से दबा-दबा कर मारने का इरादा है।
वो बोली- मुझे इस घड़ी का बेसब्री से इंतज़ार रहेगा।
फिर क्या था.. मैं भी माया को चोदने की इच्छा रखते हुए बेसब्री के साथ उस दिन का इंतज़ार करने लगा।
इसी इन्तजार में धीरे-धीरे हफ्ता हो गया।
इस बीच मेरी और माया की लगभग रोज ही बात होती थी और हम फ़ोन-सेक्स भी करते थे।
फिर एक दिन उसने मुझसे बोला- घर कल आना।
तो मैंने मना कर दिया और अपनी बात याद दिलाई कि जब घर पर कोई नहीं होगा.. तभी मैं आऊँगा।
तो वो बोली- नहीं.. तुम कल ही आओ.. तुम्हें मेरी कसम।
मैं अब क्या करता.. उनका दिल तो रखना ही था.. तो मैंने उन्हें आने को ‘हाँ’ बोल दिया।
दरअसल बात यह थी कि उनकी बेटी रूचि को बैंक का एग्जाम देने के लिए अगले दिन दूसरे शहर जाना था..
तो वो और विनोद दोनों अगले दिन सुबह 9 बजे ट्रेन से दो दिन के लिए जाने वाले थे.. जो मुझे नहीं मालूम था और माया मुझे सरप्राइज़ देने के लिए यह बात नहीं बता रही थी कि कल से वो 2 दिन के लिए घर पर अकेले ही रहेगी..
जो अगले दिन मुझे उनके घर जाने पर मालूम हुआ।
खैर.. जैसे-तैसे शाम हुई और मेरा मन उलझन में फंसता चला गया.. यह सोचकर कि अब कल क्या होगा..
मेरी इच्छा कल पूरी हो भी पाएगी या नहीं?
यही सोचते-सोचते कब रात हुई.. पता भी न चला।
मैं माया के ख्यालों में इस कदर खो जाऊँगा.. मुझे यकीन ही न था।
फिर मैंने अपने परिवार के साथ डिनर किया और सीधे अपने कमरे में जाकर आने वाले कल का बेसब्री के साथ इंतज़ार करते-करते कब आँख लग गई.. पता ही न चला।
फिर मैं सुबह उठ कर अच्छे से तैयार होकर ढेर सारे अरमानों को लिए उनके घर की ओर चल दिया।
मुझे क्या पता था कि आज मेरी इच्छा पूरी होने वाली है।
फिर थोड़ी ही देर में मैं उनके घर पहुँच गया.. तब तक मेरे फोन पर विनोद की कॉल आ गई।
मैंने उससे बात की.. तो मुझे उसने बता दिया- आज मैं और रूचि दो दिन के लिए दूसरे शहर जा रहे हैं.. तुम माँ के हालचाल लेते रहना.. अगर वो कोई मदद मांगें.. तो पूरी कर देना।
मैंने ‘ओके’ बोल कर फोन काट दिया और मन ही मन खुश हो गया।
अब आगे मैंने सोचा कि मुझे कुछ मालूम ही नहीं है.. मुझे अब ऐसी ही एक्टिंग करनी है।
देखते हैं… माया क्या करती है।
फिर मैंने दरवाजे की घन्टी बजाई…
तो थोड़ी देर बाद माया आई और उसने दरवाजा खोला।
जैसे ही दरवाजा खुला.. मेरा तो हाल बहुत ही खराब हो गया।
वो आज इतनी गजब की लग रही थी जो कि मैंने सपने में भी नहीं सोचा था।
बिल्कुल किसी एक्ट्रेस की तरह उसने आज काले रंग का अनारकली सूट पहन रखा था..
बालों को खोल कर हेयरपिन से बाँधा हुआ था..
जो कि उसकी सुंदरता को चार चाँद लगाने के लिए काफी थे।
शायद आंटी काफी फैशनेबुल थीं.. बाकायदा मेकअप वगैरह सब कर रखा था।
उन्हें देख कर लग ही नहीं रहा था कि ये 40 वर्ष की हैं और दो बच्चों की माँ है।
मैं तो उनको आँखें फाड़े देखता ही रहा।
फिर उन्होंने मेरे हाथ को पकड़ते हुए.. मुझसे बोला- कहाँ खो गए?
तो मैं अपने आपको सम्हाल.. नहीं पाया मेरी हालत ऐसी हो गई.. जैसे मैं अभी नींद से जागा हूँ…
मेरा बैलेंस बिगड़ गया और मेरा नया फ़ोन जो कि मेरी बर्थ-डे पर मेरे पापा ने गिफ्ट किया था… अचानक गिर गया.. जिससे उसका डिस्प्ले ख़राब हो गया, पर मैंने मन में सोचा होगा कि इसे तो बाद में देखेंगे और जेब में डाल लिया।
फिर उन्होंने मुझे अपने कमरे में जाने को बोला और खुद चाय के लिए रसोई की तरफ चल दी।
तो मैंने बोला- यहीं पर ही बैठता हूँ.. कोई आ गया तो मैं क्या बोलूँगा?
तो वो हँसती हुई बोली- तू डरता क्यों है.. कोई नहीं है घर पर…
जो कि अब मुझे पता था.. पर मैं नाटक कर रहा था।
फिर उन्होंने बोला- अब अन्दर जा.. मैं चाय ले कर आती हूँ।
फिर मैं अपनी दबी हुई ख़ुशी के साथ उनके कमरे की ओर चल दिया..
जहाँ मैंने देखा काफी अच्छा और बड़ा सा डबल-बेड पड़ा था.. उस पर डनलप का गद्दा और अच्छी सी कॉटन की चादर बिछी हुई थी..
काफी अच्छा कमरा था। फिर बिस्तर के बगल वाली टेबल पर बड़ा सा शीशा लगा था.. टेबल पर जैतून के तेल की बोतल देख कर मैं समझ गया कि बेटा राहुल आज तेरी इच्छा जरूर पूरी होगी।
फिर मैं उनके बिस्तर पर बैठ कर गहरी सोच में चला गया.. थोड़ी देर बाद माया आई और मुझे चाय देकर मेरे बगल में ही सट कर बैठ गई.. जिससे उसके बदन की मादक महक मुझे तड़पाने लगी।
उसके बदन की गर्मी से मेरा मन विचलित हो गया.. जिससे मेरा लंड कब खड़ा हुआ.. मुझे पता ही न चला।
फिर मैंने उसके चेहरे की ओर देखा तो वो हँसते हुए मुझे घूरे जा रही थी।
तो मैंने बोला- तड़पा तो चुकी हो.. अब क्या मारने का इरादा है?
इस पर वो मेरे मुँह पर ऊँगली रखते हुए बोली- ऐसा अब मत बोलना.. क्योंकि जिससे प्यार होता है.. उसे कभी मारा नहीं जा सकता।
इतना कह कर वो अपने मुलायम मखमली होंठों को मेरे होंठों पर रख कर चूसने लगी।
मैं और वो दोनों कम से कम 10 मिनट तक एक-दूसरे को यूं ही चूमते रहे।
फिर मैंने उससे अलग होते हुए कहा- आज नहीं.. कहीं कोई आ गया तो गड़बड़ हो जाएगी।
तो माया ने किलकारी मार कर हँसना चालू कर दिया। मुझे तो मालूम था पर फिर भी मैंने पूछा- इतना हंस क्यों रही हो?
तो वो बोली- आज और कल तुम चिल्लाओगे तो भी कोई नहीं आने वाला।
क्योंकि मुझे तो पहले ही मालूम था अंकल आने से रहे और मेरा दोस्त अपनी बहन को साथ लेकर दूसरे शहर गया..
फिर भी मैंने ड्रामा करते हुए उनसे पूछा- सब लोग कहाँ है?
तो उन्होंने मुझे बताया- विनोद रूचि को एग्जाम दिलाने गया है।
मैंने उनसे बोला- आपने मुझे कल क्यों नहीं बताया?
तो वो बोली- मैं तुम्हें सरप्राइज़ देना चाहती थी।
फिर मुझसे लिपट कर मेरे होंठों पर अपने होंठों को रख कर चूमने लगी।
क्या मस्त फीलिंग आ रही थी.. मैं बता ही नहीं सकता.. मैं तो जन्नत की सैर पर था। फिर मैं भी उसके पंखुड़ियों के समान कोमल होंठों को धीरे-धीरे चूसने लगा हम एक-दूसरे को चूसने में इतना खो गए कि हमें होश ही न रहा।
करीब 20 मिनट की चुसाई के बाद मैंने उनके शरीर पर होंठों को चूसते हुए हाथ चलाने चालू किए.. जिससे वो और बहकने लगी और मेरे होंठों को चूसते-चूसते काटने लगी।
फिर उसने एकदम से मुझे अलग किया और बोली- तुम मुझे बहुत पसंद हो.. आज हर तरह से मुझे अपना बना लो और मुझे जिंदगी का असली मज़ा दे दो… मैं इस मज़े के लिए बहुत दिनों से तड़प रही हूँ.. अब मुझे अपना बना लो.. मेरे जानू..
उसने अपनी कुर्ती को उतार दिया और मुझसे बोली- तुम भी अपने कपड़े उतार दो.. आज हम बिना कपड़ों के ही रहेंगे।
फिर उसने अपनी सलवार भी उतार दी और तब तक मैं भी अपने सारे कपड़े उतार चुका था। अब मैं और माया सिर्फ अंडरगार्मेंट्स में थे। मैं उसके बदन का दीवाना तो पहले से ही था, पर आज जब उसे इस अवस्था में देखा तो देखता ही रह गया।
क्या गजब का माल लग रही थी वो..
उसका शरीर किसी मखमली गद्दे की तरह मुलायम लग रहा था और उसकी आँखें बहुत ही मादक लग रही थीं.. जिसे देख कर कोई भी उसका दीवाना हो जाता।
फिर माया मेरे पास आई और मेरे गालों को प्यार से चूमते हुए कहने लगी- यह हकीकत है.. मेरे राजा ख्वाबों से बाहर आओ..
फिर हम दोनों एक-दूसरे को फिर से चूमने लगे।
यह मेरा पहला मौका था जब मैंने किसी महिला को इतनी करीब से देखा था.. मेरे तो समझ के बाहर था कि मैं क्या करूँ।
फिर…आगे क्या हुआ ये जानने के लिए आगे के भाग का इंतज़ार करें।
मेरी चुदाई की अभीप्सा की ये मदमस्त घटना आपको कैसी लग रही है।
अपने विचारों को मुझे भेजने के लिए मुझे ईमेल कीजिएगा।
कहानी जारी रहेगी।
[email protected]
What did you think of this story??
Comments