लव प्रेम और वासना- 1
(Love Love Love Kahani)
लव लव लव कहानी मेरी पुरानी सखी से पुनर्मिलन की तैयारी की है. उसने मुझे अपने शहर में बुलाया था. पता नहीं उसने दिल में क्या था. पर मेरे दिल में उसके प्रति प्यार के साथ वासना भी थी.
अन्तर्वासना के सभी पाठक पाठिकाओं को संदीप साहू का नमस्कार.
आप लोगों ने मेरी पिछली सेक्स कहानी
एक उपहार ऐसा भी
पढ़ी होगी.
अगर नहीं पढ़ी तो जरूर पढ़िये.
पिछली कड़ियों को पढ़कर ही आगे की कहानी का आनन्द आएगा.
आप सबके मेल मुझे निरंतर प्राप्त होते रहे हैं. आप सबकी कौतूहलता को मिटाने के लिए ही मैं आगे की लव लव लव कहानी लिख रहा हूँ.
आपने पिछली सेक्स कहानी में पढ़ा था कि खुशी और उसके मंगेतर वैभव ने मुझे अपनी शादी में बुलाया था.
शादी में मैं खुशी की सहेलियों के लिए जिगोलो की भूमिका में था.
हालांकि मैं खुशी को चाहता था लेकिन खुशी की सहेलियों के लिए मुझे जिगोलो बनना पड़ा … और जो परिस्थिति आई, उसमें हम दोनों ही विवश थे.
खैर .. मामला चाहे जो हो.
मुझे खुशी से प्यार के बोनस के रूप में बहुत सारी चूतें मिलीं, मुझे छप्पर फाड़ कर चुदाई का मौका मिला.
चूंकि शादी में मुझे जिगोलो की भूमिका मिली थी तो जाहिर है कि जिगोलो से औरतों की उम्मीदें क्या रही होंगी?
चुदाई और सिर्फ चुदाई.
मैंने इसी बात को कहानी में लिखा, जैसे एक रंडी बहुतों का लंड लेकर उफ नहीं करती, वैसे ही एक जिगोलो बहुतों की चूत लेकर भी उफ नहीं करता.
उस शादी में मुझे नई नई महिला दोस्त मिलीं.
सब कुछ मिलने के बावजूद मैं कुछ अधूरा सा घर लौटा था.
मैं खुशी की शादी में इंदौर गया था जहां खुशी के सभी परिवार वालों से मिलने का और करीब आने का मौका मिला था.
घर लौटने के दूसरे दिन ही खुशी का फोन आया.
उसकी विदाई के वक्त मेरे ना होने की बात पर वह बहुत ज्यादा नाराज थी.
खुशी ने नाराजगी दिखाते हुए कहा- लड़के होते ही ऐसे हैं. कोई और मिल गई तो पहली को भूल गए. मैंने विदाई के वक्त कितनी बार फोन लगाया और तुमने जवाब तक नहीं दिया!
मैंने कहा- तुम्हारी नाराजगी ठीक है, पर ऐसा आरोप तो मत लगाओ.
फिर मैंने बहुत मेहनत से सफाई देकर खुशी को किसी तरह से मना लिया.
उसके बाद मैंने उसका हालचाल पूछा.
खुशी ससुराल में खुश थी.
लेकिन अभी उसे बात करने का अवसर कम ही मिलता था, उसने जल्दी फोन रख दिया.
शादी से लौटकर कुछ दिन तो घर के किसी काम में मन ही नहीं लग रहा था.
लेकिन कभी खुशी से और कभी पायल से बातचीत हो जाने से मैं कुछ राहत महसूस करते हुए अपनी दिनचर्या में लौटने लगा था.
मैंने अपनी पिछली कहानी में जिक्र किया था कि मैं एक कामुक महिला कुसुम से भी सेक्स चैट किया करता था.
शादी से लौटकर जब मैं बेचैन होता, तो मैं कुसुम को मैसेज किया करता था.
मैंने उसे एक बार नहीं, कई बार मैसेज किया .. तब जाकर उसका जवाब आया.
मैंने उसे रंडियां चोदने वाली बात छोड़कर सारी बातें विस्तार से बताईं.
क्योंकि एक वह ही तो थी जिसे मैं दिल की सारी बातें खुल कर कह सकता था.
पर रंडी वाली बात के लिए मैं खुद अच्छा महसूस नहीं कर रहा था तो ये बात मैंने कुसुम से भी छुपा ली.
कुसुम ने कहा- मेरा काम अभी पूरा नहीं हुआ है, जिसके लिए मैं चैट पर ज्यादा नहीं आ पा रही थी. लेकिन तुमने बार-बार मैसेज किया तो मुझे आना पड़ा. अच्छा ये सब छोड़ो, पहले तुम मुझे ये तो बताओ कि तुम्हें किसकी चूत सबसे ज्यादा पसंद आई?
मैंने कहा- आंचल की!
कुसुम ने कहा- तुमने तो कहा कि आंचल के साथ तुम्हारी बात आगे नहीं बढ़ी थी!
मैंने कहा- हां, मैंने सही कहा था.
कुसुम- तो फिर?
मैंने कहा- यार, लड़कों की यही खास बात होती है. उन्हें वही चूत सबसे ज्यादा पसंद आती है, जो उसे मिली नहीं होती … और मिलने की संभावना भी कम होती है.
कुसुम ने कहा- अच्छा जी … तब तो तुमको मेरी चूत कभी नहीं मिलना चाहिए ताकि जिंदगी भर तुम्हें सबसे अच्छी चूत मेरी ही लगे.
मैंने कहा- अरे नहीं यार … मुझ पर ऐसा जुल्म मत करना. तुम कभी ना कभी मिलोगी, इसी आस में तो मैं जिंदा हूँ.
कुसुम ने कहा- अच्छा बाबा ठीक है, तब की तब देखेंगे. लेकिन तुम ये बताओ कि क्या तुमने शादी में जो सब किया, वह सब सही था, क्या तुम सच में खुशी से प्यार करते हो … क्योंकि तुम्हारी बातों से तो लगता नहीं कि तुम्हें खुशी की तनिक भी फिकर हुई या तुमने उसके बारे में सोचा भी!
यह बात मुझे चोट पहुंचाने वाली थी, क्योंकि सच्चाई कड़वी होती है और चोट भी पहुंचाती है.
उसकी बातों से मुझे पसीने आ गए थे.
मैंने कहा- नहीं यार, मैं सच में खुशी को चाहता हूँ. वह तो वक्त और हालात ऐसे थे कि ये सारी चीजें हो गईं. पर मेरे दिल में तो खुशी ही है.
कुसुम ने कहा- ठीक है तुम कह रहे हो, तो अच्छी बात है!
फिर कुसुम चली गई लेकिन उसकी बातें मेरे दिलो दिमाग में घूमने लगीं.
अब छह माह गुजर गए, सब कुछ सामान्य होने लगा.
वैभव को बिजनेस संबंधी काम नासिक में ज्यादा रहता था तो खुशी और वैभव नासिक में अलग रहने लगे थे.
इससे मेरा फायदा हुआ और खुशी से मेरी बातें ज्यादा होने लगी थीं.
बीच-बीच में वैभव विदेश यात्रा पर भी जाता था, उस वक्त खुशी मुझसे रात को भी बात कर लेती.
मैं खुशी को पाने के सपने संजोने लगा पर खुशी पास आने की बजाय मुझसे दूरी बनाने लगी थी.
उसकी बातों में बेरूखी आने लगी, मैं परेशान रहने लगा.
आप सबको तो पता है ऐसी स्थिति में मैं अपनी आन लाईन फ्रेंड कुसुम से चैट पर बात करता हूँ.
उस वक्त भी मैंने अपनी इस परेशानी को कुसुम से शेयर करना उचित जाना.
इस पर कुसुम ने कहा- यार, हो सकता है कि खुशी को तुम्हारी कोई बात बुरी लग गई हो.
मैंने कहा- मुझे नहीं लगता कि मैंने अभी ऐसी कोई हरकत की है. यह तो तुम्हीं बताओ ना कौन सी बात लड़कियों को चुभ सकती है?
कुसुम ने कहा- मैं क्या जानू, तुम खुद सोचो.
मुझे बहुत सोचने पर भी कुछ समझ नहीं आया.
तब कुसुम ने कहा- हो सकता है शादी के वक्त की कोई घटना खुशी को अब पता चली हो और बात बुरी लगी हो?
अब मेरा दिमाग ठनका और रंडी वाली बात झट से याद आ गई.
लेकिन मैंने कुसुम से कुछ नहीं कहा.
अब धीरे-धीरे खुशी से मेरी दूरी बढ़ने लगी और साथ ही मेरी बेचैनी भी बढ़ने लगी.
मैंने कुसुम को मैसेज किया और जब बात हो रही थी, तब मैंने झिझकते हुए कुसुम को शादी में रंडियों की चुदाई वाली बात बता दी.
इस पर कुसुम ने कहा कि ये बात तुमने मुझसे भी छुपाई थी.
पहले तो उसने खुद ही मुझे जमकर लताड़ा, फिर कहा- हो सकता है यही बात खुशी को पता चल गई हो!
अब मैं ये सोचने लगा कि खुशी को यह बात प्रतिभा ने बताई होगी या वैभव ने!
खैर … ये तो मुझे खुशी ही बता सकती थी, पर उससे ये जानने के लिए मुझे उसे सब कुछ बताना भी पड़ता.
मैंने कुसुम से कहा- यार अब ये तो बताओ कि अब मैं क्या करूँ?
तो कुसुम ने बेरूखी दिखाते हुए कहा- तुम जानो और तुम्हारा काम जाने!
वह चैट ऑफ करके चली गई.
महीना बीत गया, पर ना कुसुम ने मैसेज किया .. और ना खुशी से ही बात हुई.
तब एक दिन मैंने खुशी को सब बताकर माफी मांगने की सोची और हिम्मत करके कॉल किया.
बड़े प्रयत्न से बात हुई, तब पहले तो मैंने उससे दूर होने की वजह जाननी चाही.
पर जब वह कुछ ना बोली और बात टालने लगी, तब मैंने डरते झिझकते उसे सारी बात बता दी.
खुशी रोने लगी.
उसने मुझे बहुत बुरा भला कहा और फोन काट दिया.
उस समय उसे दुबारा फोन करने की हिम्मत मुझमें नहीं थी.
तो दो दिन बाद मैं हिम्मत जुटा पाया और खुशी को फोन किया.
वह अब भी नाराज थी.
पर मैंने फिर माफी मांगते हुए आगे से गलती ना दोहराने की बात कही.
फिर यूँ ही सामान्य बातचीत के बाद हमने फोन रख दिया.
खुशी के मान जाने से मुझे थोड़ी राहत मिली लेकिन अब कुसुम ने मेरे मैसेज का जवाब देना बंद कर दिया था.
तीन महीने और बीत गए लेकिन कुसुम का मैसेज नहीं आया.
एक दिन मैंने कुसुम को फिर से झूठा मैसेज किया और कहा- मेरी तबीयत खराब है.
हालांकि मुझे हल्का बुखार था, पर मैंने उसे बढ़ा-चढ़ा कर बताया.
मुझे पता था कि मेरी ये बात तुरूप का इक्का साबित होगी.
और हुआ भी वही, जो मैंने सोचा था.
कुछ ही देर में उसका मैसेज आया- कैसे हो? अपना ख्याल तक नहीं रख सकते, डॉक्टर के पास गए या नहीं?
मैंने कहा- डॉक्टर के पास से हो आया हूँ, मैंने दवाई ले ली है, अब मैं ठीक हूँ. अगर एक बार तुम्हें देख लेता तो तबीयत बिल्कुल ठीक हो जाती.
उसने लिखा- अगर बात तुम्हारी तबीयत की है, तो संदीप मैं कुछ भी कर सकती हूं. एक काम करो तुम मुंबई आ जाओ, मैं तुमसे मिलना चाहती हूँ.
अब मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या कहूँ.
मैंने कहा- यार अचानक इतनी दूर का प्लान करना मुश्किल होगा, कहीं तुम मजाक तो नहीं कर रही हो ना?
कुसुम का जवाब आया- मैं मजाक नहीं कर रही हूँ. जब तुम रंडियों को समय दे सकते हो तो मुझे समय नहीं दे सकते क्या? … और मैं तुम्हें तुरंत बुला भी नहीं रही हूँ … अगले माह आना.
मैंने कहा- ठीक है, कब और कहां आना है … बता दो!
उसने कहा- तुम्हें मुंबई आना है बस!
मैंने कहा- हां ठीक है, पर कब, कहां कुछ तो बताओ?
उसने कहा- कब कहां, ये सब मिलने वाले दिन ही बताऊंगी … तुम्हें मेरे लिए इतना करना होगा कि मुंबई में आकर होटल या किसी रिश्तेदार के यहां ठहरना होगा. मैं एक तारीख से दस तारीख के बीच तुम्हें कभी भी मैसेज कर सकती हूं. इस बीच मैं एक या दो दिन फ्री रह सकती हूं, तब मैं तुम्हें बुला लूँगी और तब तक तुम मुंबई या आसपास का भ्रमण कर लेना.
मुझे उसकी बात बिल्कुल बकवास लगी पर मुझे कुसुम से मिलना भी था इसलिए मैंने कहा- मुझे दो दिन सोचने और प्लान करने का मौका दो!
उसने कहा- ठीक है … सोचकर बता देना.
अब मैं सोचने लगा कि उधर मेरी पहचान का कौन है. एक दो लोगों के नाम दिमाग में आए, पर उनके पास इतने दिन रुकना संभव ना था.
फिर मैंने लॉज लेने की बात सोची और घूमने की जगह जानने के लिए मेरे मन में खुशी का ख्याल आया!
मैंने खुशी को टूर का प्लान बता कर मैसेज किया ही था कि कुछ ही देर में उसका कॉल आ गया- कब जा रहे हो, कहां घूमने जा रहे हो, अपने बिजनेस से फुर्सत निकाल लोगे?
तो मैंने उससे बहाना बनाते हुए कहा- एक भैया को अगले माह आठ दस दिनों का काम है, वह जा रहे हैं … तो मैं सोच रहा था कि साथ में मैं भी घूम आता हूँ.
खुशी ने कहा- भैया काम करेंगे तो तुम अकेले कहां घूमोगे?
मैंने कहा- वही तो मैं भी सोच रहा हूँ.
तो उसने कहा- एक काम करो, भैया को वहां काम करने देना और तुम मेरे यहां नासिक आ जाना, मैं तुम्हें घुमा दूंगी. लेकिन मैं तुम्हें सिर्फ पाँच-छह दिन ही रोक पाऊंगी क्योंकि उसके बाद मेरे हब्बी आ जाएंगे!
मेरी तो जैसे लॉटरी ही लग गई.
मैंने कहा- ठीक है, फिर मैं टिकट करवा लेता हूँ.
तभी मुझे ध्यान आया कि दस दिन मेरे लिए भी दुकान छोड़ना मुश्किल है.
तो मैंने कुसुम को मैसेज किया कि मैं पांच-छह दिनों के लिए ही आ पाऊंगा. मैं मुंबई या नासिक में रहूंगा, तुम जब बुलाओगी तो मैं आ जाऊंगा!
कुसुम का भी ओके मैसेज आ गया.
कुसुम मेरे लिए अनदेखी पहेली थी, उसे पहली बार देखने की खुशी तो मेरे मन में थी.
उस पर खुशी से मिलन का आनन्द भी मेरे मन में हिलोरें मारने लगा था.
इस बीच कुसुम ने मैसेज करके आने जाने की दिन तारीख और तैयारी के बारे में पूछा और यही खुशी ने भी किया.
मैंने दो से सात तारीख तक की टिकट करा ली.
एक दिन मैंने मुंबई घूम कर वहीं से वापसी की प्लानिंग कर ली और जाने की टिकट भी पहले मुंबई की बनाई क्योंकि मैंने भैया के साथ आने का बहाना जो किया था और एक अतिरिक्त दिन इसलिए भी रखा कि हो सकता है इसी बीच कुसुम का भी मैसेज आ जाए.
अब तक सब कुछ तय हो चुका था, बस अब मेरे लव लव लव का, सब्र का इम्तहान था.
मैं हवाई यात्रा करके मुंबई पहुंचा और पहुंचते ही खुशी को मैसेज करके बताया- मैं मुंबई पहुंच चुका हूँ और अब भैया को छोड़ कर नासिक के लिए निकलूँगा.
खुशी का जवाब मिला- मैं अभी मुंबई में ही हूँ, वैभव को यहां काम था और उसने यहीं से अपनी फ्लाइट पकड़ी है. तुम मेरे साथ ही चलना, तुम अपने भैया को कहां छोड़ोगे, मैं वहीं आ जाती हूँ.
अब मेरे साथ तो कोई भैया थे ही नहीं … तो मैंने खुशी को दो मिनट बाद फोन करने की बात कही.
अपने फोन में आस-पास के अच्छे होटल को सर्च किया और एक होटल के पास खुशी को बुला लिया.
मैं खुद भी उसी होटल के बाहर जाकर ऐसे खड़ा हो गया, जैसे मैंने भैया को अभी अभी छोड़ा हो!
अब मेरी दिल की धड़कन तेज होने लगी, आज मैं खुशी से पहली बार अकेले मिलने वाला था और खुशी को महसूस करने का वक्त जो आ गया था.
दोस्तो, लव लव लव कहानी कैसी लग रही है, प्लीज जरूर बताएं.
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लव लव लव कहानी का अगला भाग: लव प्रेम और वासना- 2
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