चूत चुदाई के हसीन सपने- 1

(Live Nude Scene Kahani )

लाइव न्यूड सीन कहानी में मैं भाई के घर गया तो भाभी से दोस्ती हो गयी. एक सुबह भाभी ने मुझे जगाया तो मेरा लंड खड़ा था और भाभी की नजर मेरे लंड पर थी.

हाय दोस्तो, मैं छोटू, आपके सामने मैं अपनी पहली कहानी पेश कर रहा हूँ।
मैं 28 साल का एक गबरू जवान हूँ और सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा हूँ।

हम तीन भाई हैं।
मेरे सबसे बड़े भाई दिल्ली में रहकर जॉब करते हैं।
दो साल पहले उनकी शादी हुई है।

मेरी भाभी गजब की सुन्दर है। बड़ी-बड़ी आँखें, पतले होंठ, दूध जैसा उनका जिस्म, किसी हिरोईन से कम न थी मेरी भाभी।
यह लाइव न्यूड सीन कहानी इसी भाभी की है.

शादी के कुछ दिन तक तो भाई और भाभी हमारे साथ रहे, पर फिर दिल्ली शिफ्ट हो गये।

अक्सर मेरे भाई काम के सिलसिले में आउट ऑफ सिटी होते, इस कारण दिल्ली ऐसे शहर में कई कई दिन भाभी अकेले घर में रहना पड़ता था और इसके लिये माँ से भाभी को कई बार डांट भी खानी पड़ती थी.

लेकिन भाई की मजबूरी थी तो हम सबने मिलकर एक रास्ता निकाला कि भाभी पढ़ी-लिखी भी है तो वह भी अपना अकेलापन मिटाने के लिये जॉब कर सकती है और इस तरह भाभी ने भी दिल्ली में ही जॉब करना शुरू कर दिया।

भाभी-भैया के कोई बच्चा नहीं है।
लेकिन भाभी का जिस्म खूब खिल गया है।
अक्सर करके मम्मी मुझे भाभी से मिलने दिल्ली भेज दिया करती थी। इस कारण मैं और भाभी आपस में काफी घुल मिल गये थे।

पर एक दिन एक साथ दो अजीब सी घटना मेरे साथ घटी।

हुआ यह कि मैं दिल्ली में भाभी पास आया हुआ था।
रात को खाना खाने के बाद भाभी अपने कमरे में सोने चली गयी और मैं अपने कमरे में!

दूसरे दिन सुबह भाभी मुझे जगाने आयी।
मेरा लंड कैपरी में तना हुआ था।

जैसे ही मैं जागा तो पाया कि भाभी मेरे ऊपर झुकी हुई है।
मैं हड़बड़ाहट में उठ गया।

भाभी मेरी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोली- छोटू, रात के सपने मैं तूने ऐसा क्या देख लिया, जो तेरा बम्बू तना हुआ है।
मेरी नजर अपने लंड पर गयी तो तना हुआ लंड देखकर मैं थोड़ा झिझक गया और झट से बगल में पड़ी हुई चादर को अपने ऊपर डाल लिया।

भाभी कनखियों से मेरे लंड की तरफ देखते हुए बोली- चल जल्दी से उठ जा, मैं तेरे लिये चाय बना कर लाती हूँ!
इतना कहकर भाभी कमरे से बाहर चली गयी और मैं शर्म और झुंझुलाहट में अपना बाल खुद नोचने लगा।

यह बात बताने के लिये मैंने अपने फुफेरे भाई रवि को कॉल मिलाया.
रवि मैं दोनों ही हम उम्र है और दोनों ही सरकारी जॉब के लिये तैयारी कर रहे हैं।

मेरी बात सुनते ही वह बहुत जोर से हँसा और बोला- देख भाई, हो सकता है कि तेरी भाभी तुझसे चुदना चाहती है।
मैं बोला- मजाक मत कर!
वह बोला- मैं मजाक नहीं कर रहा, तू ही तो बता रहा है कि तेरी भाभी ने तेरा तना हुआ लंड देखा है। तो जाकर तू भी भाभी से बोल कि तुम्हें उसकी चूत देखनी है।

मैंने उसको डांट कर कॉल काट दिया।
पर अब मेरे दिमाग में भाभी की चूत देखने का फितूर सवार हो गया।
क्या करूँ, यही सोच रहा था।

तभी भाभी मुस्कुरा कर मुझे चाय देते हुए बोली- छोटू थोड़ा दरवाजे का ध्यान रखना, दूध वाला आता होगा, उससे दूध ले लेना।

रवि से मैंने बात क्या की, मेरा दिमाग खुरापात में हुसैन बोल्ट से भी तेज गति से दौड़ने लगा।
अपने मन में मैं बोला- आपका दूध होते हुए दूध वाले की क्या जरूरत है।

“अरे! तुम कहाँ खो गये, सुन रहे हो न मैंने क्या कहा?”
“हाँ हाँ भाभी!” मैं अपनी सोच से बाहर आते हुए बोला।

अपना कोमल हाथ मेरे कंधे में रखते हुए भाभी बोली- चल ठीक है, तू चाय के मजे ले, तब तक मैं नहा कर आती हूँ।
इसके साथ ही भाभी बाथरूम की के अन्दर चली गयी।

यह सुनकर मेरे दिमाग में 100 वॉट का बल्ब जल गया।
अब इससे अच्छा मौका मुझे भाभी को नंगी देखने का नहीं मिल सकता था।

मैं तुरन्त उठा और बाथरूम के अन्दर झाँकने का जुगाड़ करने लगा।
लेकिन कोई जुगाड़ बन नहीं रहा था और मैं भी हार नहीं मान रहा था।

कहते है न … जहां चाह वहां राह!
बाथरूम के ऊपर का रोशनदान से बाथरूम के अन्दर की रोशनी बाहर आ रही थी.
बस फिर क्या था … मैंने आसपास नजर दौड़ाई और एक ऊँची स्टूल को उठाकर दरवाजे के पास रख कर उस पर चढ़ गया और उस झिर्री से अन्दर मैं बड़े आराम से देखने लगा।

अभी तक भाभी ने अपने कपड़े नहीं उतारे थे, वे अभी अपने बालों को खोल रही थी।

भाभी को नंगी देखने की सोच से ही मेरे लंड में तनाव आना शुरू हो गया था।
मैं टकटकी लगाये देख रहा था।

लेकिन भाभी ने अभी तक कपड़े उतारे ही नहीं।
मैं भी ढीठ की तरह वहीं जमा रहा।

कुछ देर बाद ने भाभी ने अपनी कुर्ती उतारी और जमीन पर फेंक दी और अपनी पीठ, पेट पर हाथ चलाने लगी.
उसके बाद भाभी ने अपनी कांख को अपने हाथ से पौंछा और अपने हथेलियों को सूंघने लगी।

मेरे सामने उनका आधा नंगा गोरा जिस्म था और उनके चूचे अभी भी काली ब्रा में कैद थे।

पर जैसे ही भाभी ने अपनी ब्रा के हुक को खोला, उनके कबूतर उछलकर बाहर आ गये।
खरबूजे के आकार की उनकी चूचियां … भाभी ने ब्रा को अपने जिस्म से अलग किया और ब्रा को बड़ी नजाकत के साथ फर्श पर गिरा दिया और बारी-बारी से अपने कबूतरों से खेलने लगी।

मेरा तो मन करने लगा कि बाथरूम का दरवाजा तोड़ दूँ और भाभी के दूध पीने लगूँ.
लेकिन हल्के से एक डर के कारण मैं मन मसोस कर रह गया और चुपचाप उनको देखने लगा और अपने लंड को मसलने लगा।

फिर भाभी ने अपनी सलवार को अपने जिस्म से अलग किया और फिर मैंने पैन्टी का उनके जिस्म से अलग होना भी देखा, मेरे सामने भाभी पूरी नंगी हो चुकी थी।

मुझे अभी उनकी उभरी हुई गांड दिखाई पड़ रही थी।
भाभी ने पैन्टी हाथ में ली और चूत के अन्दर, उसके आस-पास की जगह और फिर अपनी गांड को उससे साफ करने लगी.
और फिर उस पैन्टी को जमीन में डालकर सभी कपड़े को पैरों से पीछे की तरफ धकेल कर शॉवर को खोला और अपने जिस्म में गिरते हुए पानी का आनन्द लेने लगी।

बस बहुत हुआ, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है, मैं भी अन्दर जाऊँगा और भाभी के साथ नहाकर उनको चोदूंगा भी, फिर चाहे जो हो।

लाइव न्यूड सीन का मजा आने लगा था मुझे कि तभी दरवाजे की घण्टी बजी, और मेरा तना हुआ लंड साला मुरझा गया।

मादरचोद … कौन अपनी माँ चुदाने चला आया।
साले ने पूरा मजा किरकिरा कर दिया।

तभी याद आया कि दूध वाला होगा.

मैंने तुरन्त स्टूल को अपनी जगह रखा, दूध का बर्तन उठाया और दूध वाले की माँ बहन करते हुए दरवाजे को खोल दिया।

सामने नजर पड़ते ही मेरा सारा जोश ठंडा हो गया और चेहरा पीला पड़ गया।
कंधे में हाथ रखते हुए मेरे भइया बोले- और छोटू, क्या हाल-चाल है?
हड़बड़ाते हुए मैं बोला- ठीक हूँ भइया!

मूड तो इतना खराब था कि क्या कर जाऊँ।

थोड़ी देर तक मेरे और मेरे भाई के बीच बातें होती रहीं।
इसी बीच भाभी नहा कर बाहर आ गयी।

इस समय वे मेरी बीवी ज्यादा और भइया की बीवी कम नजर आ रही थी।
उनको चोदने की मन में कसक रह गयी।
अपनी कुलबुलाहट को लिये हुए मैं नहाने चला गया।

अन्दर मेरी नजर भाभी के कपड़ों पर पड़ी, मैंने झट से पैन्टी उठा ली और सूंघने लगा।
भाभी के जिस्म और चूत की गंध को अपने अन्दर मैं समा लेना चाहता था।

मेरी सांसें भी तेजी तेजी चल रही थी और हाथ भी।
मैं जल्दी से फारिग हो गया और भाभी की पैन्टी को वहीं छोड़कर नहाने के बाद बाहर आ गया।

दरवाजा खोलते ही मेरे सामने भाभी कमर में हाथ रखे खड़ी थी और मुझे घूरते हुए बोली- अरे जाने से पहले बता देता तो मैं अपने कपड़े हटा देती।
मैं अपनी नजर झुकाकर उनके सामने से हट गया।
मेरा मन बुरी तरह से उखड़ा हुआ था।

मैंने अपना समान समेटा और खाना खाने के बाद घर के लिये चलने लगा।
भाई भाभी ने बहुत रोका लेकिन रूकने का मन नहीं कर रहा था।
ऐसा लगा कि बीच बाजार मेरी गांड मार ली गयी और मैं कुछ नहीं कर पाया।

मन मसोस कर मैं घर आ गया।

मैं और रवि दोनों भाई कम दोस्त ज्यादा थे, वह मुझसे हर बात शेयर करता था और मैं उससे!
जब मैंने भाभी वाली बात रवि को बताई तो वह हँसने लगा और बोला- यार छोटू, तेरे खड़े लंड पर धोखा हो गया।

बीच बीच में भाभी से बातें होती रहती थी।

उस घटना के बाद मेरे ऊपर एक अजीब सा जुनून सवार था।
जब से मैंने भाभी को नंगी देखा, पता नहीं मुझे क्या हुआ.

मेरी मौसी जो आजकल मेरे यहाँ आयी हुई थी, उनमें भी मुझे भाभी की शक्ल नजर आती थी।
और मैं इस जुगाड़ में लग गया कि जब तक मौसी हमारे साथ है, मैं उनको नहाते हुए देखूँगा भी और चोद भी डालूँगा।

एक दिन मैंने जुगाड़ लगा लिया और जब मौसी नहाने गयी तो मैं बाथरूम में झांक कर देखने लगा।

मौसी भी भाभी से कम नहीं थी, उनके भी मम्मे भाभी के मम्मे की ही तरह थे और आदत भी भाभी की तरह थी.
वे वह भी जब अपने कपड़े उतारती तो अपनी पीठ पेट वगैरह सहलाती और कांख को साफ करती और सूंघती।

पर एक दिन और मुझसे अनहोनी हो गयी, मैं नींद में था, तभी मेरे कान में बाथरूम से पानी गिरने की आवाज आयी.
मुझे लगा कि मौसी नहाने गयी होंगी, मैं तुरन्त झरोखे से झाँकने लगा.

पर यह क्या … मौसी की जगह मम्मी नहा रही थी और वह भी पूरी नंगी.
उनकी चूत और चूचे मेरी नजरों के सामने थी।

अब मुझे अपने आप पर बहट गुस्सा आ रहा था।

मैं वहां से हटने वाला था कि तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और मौसी को मादरजात नंगी बाथरूम में घुसती देखा.
मेरे पैर वहीं ठिठक गये।

मौसी के अन्दर आते ही मम्मी बोली- छोटू सो रहा है न?
मौसी बोली- हाँ, मैंने उसे सोते हुए देखा है।

फिर वे एक दूसरी से लिपट गयी और एक-दूसरे के मम्मे को सहलाती जाती और दबाती जाती, और वे एक दूसरी के होंठ चूस रही थी।

फिर मम्मी मौसी को चूमती हुई नीचे की तरफ आई और उनकी चूत को चूमने के साथ-साथ ही चाटने लगी. फिर मौसी ने भी यही किया।

मैं यह देखकर अपने आपको रोक नहीं पा रहा था और बिस्तर पर आकर मुट्ठ मारने लगा।
कसम से मुझे उस समय भाभी अपने लंड के ऊपर सवारी करते हुए लग रही थी.

लेकिन क्या करूँ … मन मारकर मुट्ठ मार रहा था।
उस घटना के बाद मेरे मन मम्मी के प्रति भी बदल गया।

क्या करूँ … यही सोचकर मैंने यह बात रवि को बताई.
रवि बोला- मादरचोद, क्या कह रहे हो? मामी और मौसी, एक दूसरे के साथ सेक्स कर रही थीं?

फिर आहें भरता हुआ बोला- भाई, मामी के अन्दर गर्मी बहुत है, इस उम्र में! मैं तेरी जगह होता तो उनको चोदकर उनकी गर्मी कम कर देता।
“क्या बोल रहा है भोसड़ी के, वह मेरी मम्मी है।”
“तेरी मम्मी है और मेरी मामी. टेशन मत ले।” रवि बोला।
“वाह रे बेटा, तू मेरी मां को चोदने की बात रहा है और मुझसे बोल रहा है कि मैं टेंशन न लूँ?” मैंने थोड़ा झिड़कते हुए कहा।

हालांकि हालांकि हम दोनों भाई कम और दोस्त अधिक थे।
मां-बहन करना तो जैसे हमारी आदत में था।

“भोसड़ी के … मां की हरकतें तुम बता रहे हो जिनको सुनकर मेरा लौड़ा खड़ा हो गया है। तो चोदने के लिये चूत तो चाहिए ना … अपने लौड़े की आग कहां शान्त करूंगा? मामी की चूत ही तो है मेरे लौड़े को शान्त करने के लिये। वैसे भी तूने ही तो कहा है कि मामी और मौसी दोनों ही नहाते समय अपनी गर्मी को शांत कर रही हैं। तो मेरा लौड़ा क्या बुरा है। बात घर के घर में रह जायेगी, और हम सभी को मजा भी मिल जायेगा।” उसने मुझसे कहा।

उसकी बात मुझे समझ में आ गयी.
लेकिन पलटकर मैंने उससे कहा- जानेमन, तू तो मेरी मां को चोद कर अपनी और उनकी गर्मी शांत कर लेगा और मेरे लौड़े का क्या होगा? क्या मैं अपनी मां को चोदूँ।
“अबे तू मां क्यों चोदेगा, तू मौसी की चूत को ठंडा कर दियो!” उसने तपाक से उत्तर दिया।

भावना में बहकर मैंने भी बोल दिया- भाई कह तो तू ठीक रहा है। मौसी को चोदना तो मैं भी चाहता हूँ। उसकी चूत चाटना चाहता हूँ उसका दूध पीना चाहता हूँ, पर कैसे करूँ मेरी समझ में नहीं आ रहा है।
“अबे छोटे, मैं किसलिये हूँ, तू जो चाहे अपनी मौसी के साथ करना, मैं सब इंतजाम मर दूंगा।” रवि बोला।

मैंने कहा- रवि, तुझसे मम्मी और मौसी की बात करके मेरे लौड़े में भी तनाव आ गया, साला हाथ बहुत तेज चल रहा है। आह आह … आ आ!
“अबे क्या कर रहा है?”
मैं इतने उन्माद में आ गया तो कि रवि मुझसे क्या पूछ रहा था, मैं न तो सुन पा रहा था और न ही समझ पा रहा था।

तभी मेरे लौड़े ने पानी छोड़ दिया और मैं शांत पड़ गया।
मेरे पूरा हाथ वीर्य से सन गया था।

काश कोई चूत वाली होती तो मेरा सारा माल सफाचट कर गयी होती।
यही सोचकर मैंने जीभ से अपने माल को टच किया।
अजीब सा मुँह बन गया।
मैंने सोचा कि लंड वाली मलाई को औरते कैसे ले लेती है?

खैर माल निकलने के बाद मैं शांत हो चुका था।
पर उसके बाद कोई भी काम में मन नहीं लगा।
पूरा दिन और रात कैसे बीती, समझ में नहीं आया।

दूसरे दिन सुबह के कोई 10 बजे रहे होंगे।
डोरबैल बजी, दरवाजा खोला तो सामने रवि था।

मैं मन ही मन सोचने लगा कि साला चूत के चक्कर में भोसड़ी वाले को रात भर नींद नहीं आयी है, मेरी माँ को चोदने के लिये सुबह ही सुबह मेरे घर पहुँच गया।

इससे पहले मैं कुछ कहता कि मम्मी रसोई से मम्मी बाहर निकल कर आ गयी।
वे बोली- अरे रवि तू?
उनकी तरफ देख रवि बोला- बस अपनी प्यारी मामी को देखने के लिये चला आया!
इतना कहकर वह मम्मी की तरफ लपक लिया और उनको अपनी बांहों में जकड़ लिया।

“अरे छोड़ … ये क्या कर रहा है?”
रवि झट से मामी से अलग हुआ और बोला- मामी क्या बना रही हो, जो पसीने से तरबतर हो रही हो?
“हट शैतान … जैसे-जैसे बड़ा हो रहा है, उतना ही शैतान होता जा रहा है।” कहते हुए मम्मी ने रवि के कान को पकड़ लिया।
“आह मामी … दर्द हो रहा है।”

मम्मी कान छोड़ते हुए बोली- अच्छा चल बता तू क्या खायेगा?
“कुछ भी … जो आप खिला दो।”

मैंने रवि को पकड़ा और कमरे में लाकर बोला- भोसड़ी के … मेरी माँ चोदने की बड़ी जल्दी है तुझे?
वह बोला- अरे यार, चोदन और भोजन कभी नहीं छोड़ना चाहिये, नहीं तो पछताना पड़ता है।

दोस्तो, अब आगे की कहानी रवि बतायेगा कहानी के अगले भाग में!
आप सब मेरी लाइव न्यूड सीन कहानी पर कमेंट्स करते रहिएगा.
[email protected]

लाइव न्यूड सीन कहानी का अगला भाग: चूत चुदाई के हसीन सपने- 2

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top