कामुकता की इन्तेहा-9
(Kamukta Ki Inteha- Part 9)
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दोस्तो आपकी रूपिंदर का बाजा अच्छी तरह बजाया जा चुका था। फुद्दी का हाल तो आपको पता ही होगा। फिर भी बता देती हूं कि मेरी कुदरती तौर पर हल्की सी फूली हुई सफेद फुद्दी का मुंह अब पूरी तरह खुल चुका था और उसे बंद होने के लिए 1-2 हफ्तों की ज़रूरत थी। फुद्दी फट तो गई थी लेकिन मैं पहले ही काफी चुदी होने के कारण ज़्यादा हल्का सा ही निशान था। इसके अलावा अंदर जाने वाला रास्ता अब और खुल गया था। ढिल्लों के हलब्बी लौड़े ने फुद्दी का दाना थोड़ा बाहर को सरका दिया था।
जब मैं कुछ देर बाद उठ कर बाथरूम में गई तो मेरी चाल में एकदम बहुत फर्क आ गया था, यानि कि बहुत मतवाली हो गई थी। बहुत ज़्यादा चुदने वाली औरतों की चाल में ये चीज़ अक्सर देखी जा सकती है।
खैर तभी ढिल्लों का आर्डर किया हुआ चिकन आया और हम हल्की हल्की दारू पीते हुए खाने लगे और एक दूसरे से बातें करते लगे।
खाना खाने के बाद और ढिल्लों से अगली मीटिंग के बारे बातें करते करते आधा पौना घंटा बीत गया। ज़िन्दगी में पहली बार मैंने अल्फ नंगी होकर खाना खाया था। कमरे में हीटर की वजह से ठंड का नामोनिशान भी नहीं था। ढिल्लों ने भी सिर्फ अंडरवियर पहना था।
तभी सिगरेट पीते हुए वो मुझसे बोला- अगली चुदाई के लिए तैयार हो जा जल्दी, इस बार घोड़ी बना के मारूँगा। ठीक है?
दरअसल इतनी ताबड़तोड़ चुदाइयों की वजह से मैं बिल्कुल तृप्त हो चुकी थी और अब मुझे फुद्दी मरवाने में बिल्कुल दिलचस्पी नहीं थी। इसके इलावा मुझे घोड़ी बनकर चुदना पसंद भी नहीं है क्योंकि इससे मुझे दर्द होता है।
यही बात मैंने ढिल्लों से कही- ढिल्लों, वैसे तो अब कोई कसर नहीं छोड़ी है तुमने मेरा बैंड बजाने में, लेकिन फिर भी अगर और मारनी है तो आगे से मार लो, पीछे नहीं हटूंगी अपने कहे से, लेकिन घोड़ी बनके मुझे बहुत दर्द होता है।
मेरी बात सुनकर ढिल्लों मुझसे बोला- कोई बात नहीं वादा करता हूं दर्द नहीं होगा, उन्हें फुद्दी मारनी ही नहीं आती, सही एंगल में करो तो कोई दर्द नहीं होगा, फिर भी अगर ज़्यादा दर्द हुआ तो बता देना।
मुझे उसकी बात सुनके बहुत तसल्ली हुई। इन तीन-चार चुदाइयों में मुझे पता चल चुका था कि ढिल्लों फुद्दी मारने में बहुत एक्सपर्ट है क्योंकि उसने हर बार मेरी फुद्दी मारने से पहले एंगल बहुत अच्छा बनाया था। जब पहली बार उसने मेरी टाँगें उठा के मारी थी तो टांगें अपनी बांहों से पूरी तरह फैला दी थीं और 2 तकिये मेरी गांड के नीचे रख दिए थे। इस तरह हुआ यह था कि मेरी फुद्दी चौड़ी भी हो गयी और ऊपर उठ कर उसके लौड़े के हिसाब से बिल्कुल सही कोन में आ गयी थी।
उसने चुदाई भी इस तरह की थी कि लौड़ा बिल्कुल सीधा अंदर जाए और पूरा जड़ तक अंदर जाए।
यही सोच कर मैंने अपना सिर हिला कर और मुस्कुरा कर उसे मंज़ूरी दे दी।
तभी वो बेड पर चढ़ आया और मुझे पूरी तरह अपने आगोश में लेकर किस करने लगा और मेरी घूटें पीने लगा। मैं गर्म नहीं थी और मेरा चुदाई का मूड नहीं था इसीलिए मैंने ये सोच कर कि अब चुदना तो है ही, गर्म तो कर लूं खुद को, मैंने उसे जफ्फी डाल ली और उसका साथ देने लगी।
किस करते करने मैं थोड़ी हीट में आई और अपनी फुद्दी उसकी जांघों पर रगड़ने लगी; 10-15 मिनट के अंदर ही फुद्दी फिर लौड़ा लेने के लिए तरसने लगी। मुझे तैयार हुआ देख ढिल्लों ने कहा- बन जा घोड़ी, घोड़ीए।
मैं चुपचाप उल्टी ही गयी और घोड़ी बन कर अपनी प्यासी फुद्दी उसे पेश कर दी। फिर वो मेरे पीछे आया और नीचे मेरे दोनों घुटनों को पकड़ कर चौड़ा कर दिया। इस तरह मेरी गांड और फुद्दी दोनों थोड़ी नीचे होकर पूरी तरह फैल गयीं। तभी उसने मेरे पिछवाड़े के ऊपर अपना एक हाथ रखा और उसे थोड़ा और नीचे सरका दिया। जनाब फुद्दी और खुल गयी और उसे पूरी तरह दिखाई देने लगी। तभी वो मुझसे बोला- अब नहीं दर्द होगा।
यह कहकर उसने अपने मोटे खीरे जैसे काले लौड़े को फिर उसी तरह फुद्दी और गांड पर अच्छी तरह ऊपर नीचे से 8-10 बार रगड़ा और फिर फुद्दी के ऊपर सेट करके एक तूफानी झटका मारा। लौड़ा शायद 7-8 इंच अंदर घुस गया। जब उसने झटका मारा तो मेरी आँखें बाहर आ गईं और मुंह पूरी तरह खुल गया और मेरे मुँह से एक तेज़ चीख ‘अईईईईई…’ करके निकली।
दर्द की तेज लहर फुद्दी से होती हुई पूरे जिस्म में दौड़ गयी। मैंने उंगलियों से बेड के गद्दे को ज़ोर से भींचा और अपने घुटनों के बल ही “हूं, हूं” करते हुए फौजियों की तरह आगे निकल गयी और उसकी गरिफ्त से आज़ाद हो गई।
उसका यह वार बहुत ज़बरदस्त था जिसे मैं सह नहीं पाई। आगे निकल कर मैं बेड के नीचे उतर गई। फुद्दी में हो रहे दर्द के कारण मैं बहुत गुस्से में आ गई और उसे गालियां निकालने लगी- भेनचो, कमीने, आराम से नही कर सकता, मैंने कहा था कि मुझे दर्द होता है ऐसे, फ्री की फुद्दी रास नहीं ना आई तुझे, नहीं देती अब कर ले क्या करना है, जा रही हूँ मैं।
क्योंकि मेले से वो सीधा मुझे इसी कमरे में ले आया था, मैंने नीचे पड़ी वही छोटी सी निक्कर उठाई और पहनने लगी लेकिन वो फिर आकर मेरी मोटी जांघों में फंस गई। मैं बहुत गुस्से में थी इसीलिए मैंने अपना पूरा ज़ोर इकठ्ठा किया और जैसे तैसे उसे खींच कर अपनी अपनी कमर तक ले आयी। अब मेरी गांड एक बार फिर उस निक्कर में बुरी तरह फंस गई।
अभी मैं टीशर्ट पहनने ही लगी थी कि ढिल्लों ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा और कहने लगा- मेरी छमकछल्लो, मैं तो मज़ाक कर रहा था, आजा, तू तो बहुत गुस्से हो गई, चल अब प्यार से करूँगा।
लेकिन गुस्से में मैंने उसकी बात न सुनी और टीशर्ट पहनने लगी थी.
वो उठा और मुझे उठा कर हल्के से बेड पर पटक दिया और मुझे बुरी तरह चूमने चाटने लगा। मैंने बहुत हाथ पैर मारे लेकिन उसके आगे मेरी एक ना चली। उसने अगले एक मिनट के अंदर ही मेरे पिछवाड़े में फंसी निकर को केले के छिलके के तरह उतार दिया और फुद्दी पर मुट्ठी भर के मुझे किस करने लगा।
एक तो वो इतना तकड़ा मर्द था कि उसका ये वार भी न सहन कर पाई और फिर उसकी बांहों में बर्फ की तरह पिघल गयी; 5-7 मिनट के बाद उसने मुझे फिर घोड़ी बना लिया और अच्छे से मेरी गांड सेट करके लौड़ा धीरे से फुद्दी के अंदर धकेल दिया।
जनाब … इस बार उसने दो तीन झटकों से 4-5 इंच लौड़ा अंदर डाला था मगर मुझे इस बार बिल्कुल दर्द न हुआ और उसके तजरबे पर मैं वारे वारे गई। अब वो इसी तरह आधा लौड़ा अंदर डाल कर हल्के हल्के घस्से मारने लगा। फुद्दी फिर पूरे उफान पर आ गयी और मेरे मुंह से फिर ‘हाय मां, हाय मां…’ निकलने लगा।
जब उसने 8-10 मिनट के बाद भी और अंदर नहीं डाला तो मैंने जोश में आकर चादर अपनी मुट्ठी में ज़ोर से भींच कर अचानक ही एक तेज़ घस्सा पीछे को मारा और उसका 10 इंच का काला लौड़ा जड़ तक अंदर चला गया, मुझे थोड़ा दर्द ज़रूर हुआ और इसीलिए मैंने सिसियाते हुए ढिल्लों से कहा- तू रुक जा, मुझे करने दे थोड़ी देर!
मेरी इस हरकत से बहुत खुश हुआ और अपनी कमर रोक ली। तभी मैं आगे को हुई औऱ एक बार आगे हो गयी और पूरी अपनी ताकत इकठ्ठी करके फिर पीछे को घस्सा मारा, इस बार दर्द नहीं हुआ और फुद्दी और लौड़े के टकराव से एक ऊंची ‘फड़ाच’ की आवाज़ आयी और मेरे मुंह से अनायास ही निकल गया- आह, स्वाद आ गया ढिल्लों!
इसके बाद मैं ‘हाय हाय’ करती खुद घस्से मारती रही और मज़े लेते रही लेकिन 10-12 मिनट के बाद मैं फिर झड़ गई। झड़ते ही मेरा मुँह बेड में धंस गया। मैं फिर फ़ौजियों की तरह आगे निकलने वाली थी कि ढिल्लों ने मेरी कमर पकड़ ली और बोला- जाती कहाँ हो, जानेमन, अभी तक मैंने तांगा जोड़ा ही कहाँ है।
उसकी गिरफ्त से छूटना मेरे लिए मुमकिन नहीं था इसीलिए मैं एक बार फिर तृप्त होकर भी मन मसोस कर ढिल्लों से आगे होने वाली ताबड़तोड़ चुदाई के लिए मोर्चे पर डट गयी और आगे बंद करके चादर को मुठियों में भर लिया।
मेरे मुंह से कुछ नहीं निकला, न ही मुझमें बोलने की अब हिम्मत थी। अब सारा खेल ढिल्लों के हाथ में था।
मुझे मोर्चे से हटती न देख कर ढिल्लों ने मेरी कमर से अपनी पकड़ ढीली कर दी और 4-5 धीरे मगर लंबे घस्से मारे। मुझे अब बिल्कुल भी मज़ा नहीं आ रहा था, मैं रंडियों की तरह मजबूर थी और इस इस इंतज़ार में थी कि जल्दी उस घोड़े जैसे मर्द का काम हो जाये।
दोस्तो, मैं इससे पहले 13-14 अलग अलग मर्दों से चुद चुकी हूं, और कइयों ने तो गोलियाँ खाकर भी मुझपर अपनी ज़ोर आज़माइश की थी मगर मेरी ऐसी हालत कभी नहीं हुई थी। आपकी जट्टी रूपिंदर कौर की फुद्दी की प्यास एक ही रात में 3-4 बार पूरी तरह बुझायी जा चुकी थी।
मैं दिल से यही चाहती हूं कि हर औरत की प्यास इसी तरह बुझे।
तो जनाब, ढिल्लों ने जल्दी नहीं की और 10-15 मिनट मुझे इसी तरह पुचकारते हुए चोदता रहा। शायद उसे भी पता चल चुका था कि मेरी प्यास फिर बुझ चुकी और इसीलिए वो धीरे धीरे घस्से मार रहा था कि कहीं घोड़ी टांग ही न उठा ले।
इसी तरह चोदते हुए उसने मुझे हौले से कहा- बता देना जब मूड बन गया तो, तब तक तेरी ऐसे ही मारूँगा।
और यह कहकर उसने अपना काम जारी रखा।
यह तो शुक्र है कि झड़ने के कारण मेरी फुद्दी पूरी तरह गीली थी और लौड़ा आराम से अंदर बाहर हो रहा था। कुछ और देर के बाद जट्टी फिर मूड में आ गयी और थोड़ा थोड़ा हिलने लगी। तो जनाब … मेरे इस इशारे को समझ कर ढिल्लों मोर्चे पर पूरी तरह डट गया।
हुआ ये कि उसने अपना एक घुटना सीधा कर लिया और फुद्दी के अंदर लौड़ा फंसाये ही आधा खड़ा हो गया और सही कोण की जांच करने के पूरा लौड़ा बाहर निकाल कर थोड़े ज़ोर से अंदर धकेल दिया।
मुझे चीखती न देख अब दोनों हाथों से मेरी कमर पकड़ ली और लगा मेरी पहलवानी चुदाई करने। जनाब उसके घस्से इतने भीषण थे कि मेरा मुँह और आंखें पूरी तरह खुल गई और मुँह में से बुरी तरह लार टपकने लगी।
कमरे में ‘फड़ाच फड़ाच फड़ाच…’ की तेज आवाज़ें गूंजने लगी मगर मेरे मुंह से सिर्फ ‘आ… आ …’ निकल रहा था। इस बार ढिल्लों इतना ज़ोर लगा रहा था कि वो हांफ रहा था और हर घस्से के साथ उसके मुंह से ‘हूँ … हूँ … हूँ …’ की आवाज़ निकल रही थी।
दरअसल उसका ध्यान मुझमें बिल्कुल नहीं था, ऐसा लग रहा था जैसे मेरी फुद्दी से कोई पुरानी दुश्मनी निकाल रहा हो। इतनी ताबड़तोड़ चुदाई … वो भी घोड़ी बनकर … मैंने सोची तक नहीं थी।
तभी चोदते चोदते उसके दिमाग में पता नहीं क्या आया कि उसने रुक कर गर्दन को नीचे धकेल दिया और मेरी कोहनियों को सीधा कर दिया, टाँगें जो पूरी तरह फैली हुईं थी उन्हें थोड़ा सा आपस में जोड़ दिया और खुद दोनों पैरों के सहारे आधा खड़ा हो गया। मेरी हालत यह थी कि मुँह बेड के गद्दे में धंस गया और बांहें सीधी होकर बेड के नीचे लटकने लगी।
इसके बाद ढिल्लों ने आधा खड़ा होकर फुद्दी में फड़ाच से लौड़ा धकेल दिया और इसी तरह मेरी ताबड़तोड़ चुदाई करने लगा। इस ज़बरदस्त चुदाई से मैं और मस्त हो गयी और जितना हिल सकती, हिल हिल के उसके तूफानी घस्सों का साथ देने लगी। मेरे मुंह से एक बार फिर तरह तरह की आवाज़ें निकल रही थी।
इसी तरह मैं आधा घण्टा घोड़ी की तरह की तरह चुदती और 2-3 बार बहुत बुरे तरीके से झड़ी। ढिल्लों को मेरे दूसरे जिस्म से कोई मतलब नहीं था वो तो बस मेरा मेरा बड़ा पिछवाड़ा पकड़ के दे दनादन मेरी फुद्दी की धज्जियां उड़ाता रहा।
इस खतरनाक हो रही चुदाई से अब मेरे हाथ खड़े होने हो वाले थे कि ढिल्लों ने पूरा जोर लगातार हांफते हुए अपनी रफ्तार बुलेट ट्रेन की तरह तेज़ कर दी और अपनी दो उंगलियां थूक से गीली करके मेरी गांड में पेल दीं और बोला- अगली बार इसका भी उद्घाटन करूँगा, बड़ी टाइट गांड है घोड़ीए।
तभी वो जोश में आकर झड़ने लगा और अपना बेहद गर्म लावा मेरी बच्चेदानी तक भर दिया। किसी मर्द के मेरे अंदर इस झड़ने को मैं पहली बार महसूस कर रही थी। उसके झड़ने के बाद मेरी जान में जान आयी और इसके बाद उसी तरह बेड पर औंधे मुँह लेटी रही।
इसके पांच मिनट बाद ढिल्लों ने मुझे उठाया और अपनी बगल में लिटा लिया।
रात का 1 बज गया था। इसी तरह लेटे लेटे 10-15 मिनट के बाद ढिल्लों बोला- ले अफीम खा ले अगर थक गई है तो, अभी 2-3 बार और चुदेगी तू!
यह सुन कर मेरे तो तोते उड़ गए और मैंने उसके सामने हाथ बांध दिए और कहा- बस ढिल्लों, पहले ही तूने मुझे बहुत उधेड़ दिया है, मेरी मिन्नत है अब नहीं चुद पाऊँगी यार, तसल्ली हो गयी पूरी तरह। बाकी कसर अगले पेपर वाले दिन निकाल लेना। फुद्दी को भोसड़ा तो बना दिया है।
मेरी बात सुन कर ढिल्लों हंस पड़ा- अभी तो शुरुआत है मेरी जान, ले अफीम खा ले और हो जा तैयार, चल!
मैं फिर उस सांड की मिन्नतें करने लगी कि अब और चूत नहीं दे पाऊँगी- मेरी फुद्दी भी छिल गई है यार … अगर और चुदी तो बाहर निकल आएगी। और सुबह मेरा पेपर भी है। अगर मेरे पति को पता चल गया तो दोनों इससे भी जाएंगे। प्लीज मेरी बात मान लो और मुझे मेरे रूम में छोड़ आओ, अब तो बहुत नींद भी आने लगी है।
पति की बात सुनकर ढिल्लों ढीला पड़ गया और बोला- एक वादे पे छोड़ कर आऊंगा?
मैंने पूछा- क्या?
तो वो बोला- अगली बार कोई भी बहाना बना कर लहंगा चोली पहन कर और पार्लर से तैयार होकर आना है, मैं तुझे एक शादी में लेकर जाऊंगा, उसके बाद पहाड़ों पे चलेंगे। तीन दिन पहले आ जाना पेपर से, ठीक है?
मैंने मिन्नत तरले करके उसे 2 दिनों के लिए मना लिया और बोली कि अब मुझे छोड़ कर आये रूम में।
उसने मुझे वही निक्कर और टीशर्ट पहनने के लिए कहा तो मैंने उसे वो पहनने से मना कर दिया क्योंकि उसे पहनना और उतारना मेरे बस में नहीं था और वैसे ही हील पहन के पास पड़ी हुई लोई ले ली और ऐसे ही जाकर उसके साथ गाड़ी में बैठ गई।
रात डेढ़ बजे के करीब वो मुझे कमरे में छोड़ गया।
मैं रूम में आते ही लोई उतार कर नंगी ही कंबल में घुस गई और कई घंटों की हुई ज़बरदस्त सर्विसिंग के बारे में सोचती होई सुबह 7 बजे का अलार्म लगाकर सो गई।
आपकी घोड़ी रूपिंदर कौर की सेक्स कहानी जारी रहेगी.
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