कैसे बनी मैं चुदक्कड़ औरत

(Kaise Bani Main Chudakkad Aurat)

विशाल राव 2019-03-02 Comments

अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा नमस्कार. मेरी पिछली दो कहानियाँ पढ़कर एक पाठिका ने मुझसे अपनी कहानी शेयर की. इस कहानी को मैं पाठिका के शब्दों में आप सब के सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ.

दोस्तो, मेरा नाम फातिमा है, मैं कानपुर की रहने वाली हूँ. मेरी उम्र 30 साल है और मैं एक शादीशुदा महिला हूँ. मैं दिखने में गोरी हूँ. मेरी हाईट 5 फुट 5 इंच है और मेरा बदन मोटा है थोड़ा सा. आप लोग मुझे ये बोल सकते हैं कि मैं एक भरे बदन की महिला हूँ. मेरे मम्मों का साइज़ 34 है और मेरी कमर 36 है. जबकि मेरी गांड 38 के साइज की है. मैं एक चुदक्कड़ महिला हूँ.

पहले मैं इतनी चुदक्कड़ नहीं थी लेकिन वक्त के साथ-साथ मेरी वासना की आग बढ़ने लगी थी. मुझे अपनी चूत की प्यास बुझाने के लिए लंड चाहिए था. इसलिए मुझे अपनी चूत को चुदवाना पड़ा और मैं चुदक्कड़ बन गई. ऐसा तब हुआ जब मेरे शौहर नहीं रहे थे. मुझे उनकी गैर-मौजूदगी लंड लेने की प्यास जगी और वहीं से मैं एक चुदक्कड़ महिला बन गई.
मैंने अपनी चूत को शांत करने के लिए बहुत कुछ किया. एक दिन तो मैंने अपनी चूत को शांत करने के लिए एक रिक्शे वाले से चूत को चुदवा लिया. जब एक बार चूत गैर मर्द के लंड से चुदने लगी तो फिर तो मजा आने लगा मेरे भोसड़े को. मैं उसके बाद हर जगह लंड ही ढूंढती रहती थी.

मैं आप लोगों को अपने परिवार के बारे में बताना चाहती हूँ. मेरे घर में मेरी सास और मेरे दो बच्चे ही रहते हैं. मेरे दोनों बच्चे मदरसे में पढ़ने के लिए जाते हैं. मेरे शौहर और मेरे ससुर की बहुत टाइम पहले मौत हो गई थी. मैं यहाँ पर वह सब बातें बता कर आपका वक्त और मजा खराब नहीं करना चाहती. इसलिए बस जानकारी के लिए बता दिया कि मेरे शौहर अब इस दुनिया में नहीं हैं.
मेरी सास भी बूढ़ी औरत है और उसके बुढ़ापे के कारण उसको बहुत ही कम दिखाई देता है. घर का सारा काम मुझे ही करना पड़ता है. सास मेरे बच्चों की थोड़ी बहुत मदद कर देती है लेकिन बाकी का सारा काम मुझे ही करना पड़ता है.

इससे पहले मैं बहुत ही सीधी-सादी औरत थी. मैं अपने काम से ही मतलब रखती है. लेकिन मेरे शौहर के जाने के बाद मेरी जिंदगी में काफी बदलाव आ गया था. घर की सारी जिम्मेदारी मेरी सास और मेरे ऊपर ही आ गयी थी. इसलिए जब से मेरा शौहर मुझे छोड़कर गया था तब से एक और जिम्मेदारी मुझे निभानी थी. वह थी अपनी चूत को शांत करने की जिम्मेदारी. मैं बहुत दिनों तक तो बिना लंड के ही काम चलाती रही.

लेकिन वक्त के साथ मैंने मान लिया अब मेरा शौहर कभी वापस लौटकर नहीं आएगा. अगर शौहर नहीं आएगा तो मेरी चूत प्यासी ही रहेगी. इसलिए मैंने सोच लिया था कि चूत को शांत करने के लिए मुझे गैर मर्द के लंड का सहारा लेना पड़ेगा. बस वहीं से शुरू हो गई मेरी चूत चुदाई की कहानी.
लंड न मिलने के कारण मेरी चूत हर रात तड़पती रहती थी. जब बहुत दिनों तक इसको लंड नहीं मिला तो यह बीमार रहने लगी. मुझे इसका इलाज करना था या यूं मानिए कि इसकी खुजली का इलाज करना था. तब अचानक ही एक दिन मुझे एक लड़के के बारे में याद आया. वह लड़का हमारे घर के ठीक पीछे ही रहता था. हमारी छतें आपस में जुड़ी हुई थीं. मैं उसे तब से जानती थी जब वो स्कूल में हुआ करता था. वह अक्सर हमारी छत पर आ जाया करता था और मेरे शौहर उसको पढ़ाई करवाते थे.

उसके घरवाले भी हमारे घर को अपना ही घर समझते थे. हम भी उसको अपना ही समझते थे. वैसे तो मैं छत पर बहुत कम जाती थी क्योंकि मुझे छत पर कोई काम पड़ता ही नहीं था.
ससुर और शौहर के जाने के बाद घर में लोग भी कम हो गए थे और इस कारण कपड़े भी कम ही होते थे जिनको हम नीचे बालकनी में ही सुखा देते थे. इसलिए अभी भी मेरा छत पर जाना कम होता था.

एक दिन की बात है कि सुबह में मेरी नींद जल्दी ही खुल गई. उस वक्त मेरी सास सो रही थी और बच्चे भी सो रहे थे. मैंने सोचा कि अभी कुछ काम भी नहीं है इसलिए कुछ देर छत पर टहल आती हूँ. जब मैं टहलने के लिए छत पर गई तो मैंने वहाँ उस लड़के को देखा. वह वहाँ पर मुट्ठ मार रहा था. उसकी आंख बंद थी और उसके हाथ में उसका लंड था जिसको हिलाकर वह तेजी से मुट्ठ मार रहा था. मैं उसका लंड देखती ही रह गई.

उसके लंड का साइज आठ इंच लम्बा और तीन इंच मोटा लग रहा था देखने में. वह तेजी से अपने लंड को आगे पीछे करते हुए मुट्ठ मार रहा था. मैंने एक बार तो वापस नीचे जाने के लिए सोचा लेकिन बाद में मुझे मेरी चूत की याद आ गई. इसलिए मेरी नजर उसके लंड पर ही लगी रही. मुझे उसको मुट्ठ मारते देखते हुए अच्छा लग रहा था. मैं चुपचाप उसको देखती रही.
कई मिनट तक उसको देखने के बाद मैं दबे पांव उसके करीब चली गई. जब उसने आंख खोली तो वह एकदम थोड़ा घबराया लेकिन ज्यादा नहीं डरा. वह वापस से नॉर्मल हो गया. मुझे उसकी ये हिम्मत पसंद आई.

उसका नाम तो मैं आपको बताना भूल ही गई. उसका नाम पंकज था. मैंने पंकज के पास जाकर कहा- अब तुझे इस तरह अपने लंड की मुट्ठ मारने की जरूरत नहीं है. अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें अपनी चूत का मजा दे सकती हूँ.
वह मेरी बात सुनकर मुस्कराने लगा.

पंकज बोला- फातिमा, मैं तो तुम्हें याद करके ही मुट्ठ मार रहा था.
उसके मुंह से अपना नाम सुनकर मैं भी खुश हो गई. मैंने उसको अपने घर पर आने के लिए कह दिया. उसने कहा कि अभी तो वह नहीं आ सकता है लेकिन कल आ जाएगा.
मैंने कहा- ठीक है, मैं इंतजार करूंगी.

मैं अगले दिन का इंतजार करने लगी. मैं सोच रही थी कि अगर वह बच्चों के स्कूल में जाने के बाद आए तो ज्यादा सही रहेगा क्योंकि मेरी सास को तो वैसे भी कुछ दिखाई नहीं देता है. इसलिए मैं ऊपर वाले से दुआ कर रही थी कि वह बच्चों के स्कूल जाने के बाद ही मुझसे मिलने के लिए आए. जैसा मैंने सोचा था, वैसा ही हुआ.
दोपहर के करीब 1 बजे का टाइम था. मेरे बच्चे मदरसे से पढ़ाई करने के बाद शाम को ही वापस आते थे. मैं अपने कमरे में अकेली थी और मेरी सास दूसरे कमरे में सो रही थी. मैंन चुपचाप जाकर घर का दरवाजा अंदर से बंद कर दिया. मैंने पंकज को बता दिया था कि वह ऊपर छत की तरफ से घर में आए क्योंकि अगर वह नीचे से आता तो पड़ोस के लोगों को भी पता लग जाने का डर था.

कुछ देर बाद मुझे छत पर किसी के कूदने के आवाज आई और मैं समझ गई कि पंकज आ गया है. मैंने धीरे से अपने कमरे का दरवाजा खोल दिया. कुछ देर के बाद पंकज नीचे आया और मैंने उसको अंदर कर लिया. अंदर आते ही मैंने दरवाजा ढाल दिया.

उसने पीछे से मुझे अपनी बांहों में पकड़ लिया और मेरे चूचों को दबाने लगा. मैं पलट कर उसकी तरफ घूम गई तो उसने मेरे होंठों को चूसना शूरू कर दिया. फिर हम दोनों बहुत देर तक एक दूसरे के होंठों का रस पीने में लगे रहे. फिर पंकज ने मुझे बेड के साथ में खड़ी कर लिया और मेरे शर्ट को उतारने लगा. मैंने शर्ट को उतरवाने में उसकी मदद की. अब मैं पंकज के सामने ब्रा में खड़ी थी. उसने ब्रा के ऊपर से ही मेरे मम्मों को दबाना शुरू कर दिया. मेरी चूचियां तन गईं. उसके बाद उसने मेरी सलवार को खोलना शुरू कर दिया.

पंकज ने मेरी सलवार को निकाल दिया और अब मैं केवल ब्रा और पैंटी में उसके सामने खड़ी हुई थी. उसके बाद पंकज ने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और मेरे चूचे उसके सामने नंगे हो गए. उसने मेरे चूचों को अपने हाथों में पकड़ लिया और उनको दबाने लगा. फिर उसने मेरे निप्पलों को चूसना शुरू कर दिया. मेरे मुंह से कामुक सिसकारियां निकलने लगीं. आह्ह् … आह्ह … बहुत दिनों के बाद किसी ने मेरे निप्पलों को इतने मजे से चूसा था. मेरे चूचे तनकर टाइट हो चुके थे. पंकज मेरी चूचियों को बच्चे की तरह पीने में लगा हुआ था. मैंने अपना हाथ नीचे ले जाकर उसकी पैंट के ऊपर से ही उसके लंड को सहलाना शुरू कर दिया.

आह्ह … उसका लंड बिल्कुल टाइट हो गया था. शौहर के जाने के बाद मुझे बहुत दिनों के बाद मेरे हाथों ने लंड को छुआ था. मैं उसके लंड को पैंट के ऊपर से ही सहलाने लगी. फिर पंकज ने मेरी पैंटी को भी उतरवा दिया और मैं पंकज के सामने बिल्कुल नंगी हो गई. उसके बाद उसने मुझे बेड पर पीछे धकेल दिया और मेरी टांगों को फैला कर मेरी चूत पर अपनी जीभ को रख दिया. मैं तो पागल सी होने लगी.

उसने मेरी चूत को चाटना शुरू कर दिया. मुझे बहुत मजा आ रहा था. उसकी जीभ जब मेरी चूत को चाट रही थी तो मेरे पूरे बदन में सिरहन हो रही थी. मैं पागल सी होने लगी थी लेकिन मैं ज्यादा तेज आवाज़ भी नहीं कर सकती थी क्योंकि मेरी सास को दिखाई तो नहीं देता था लेकिन सुनाई जरूर देता था. मुझे इस बात का डर भी लग रहा था कि कहीं सास को हम दोनों के सेक्स कांड का पता न लग जाए. वैसे तो मैं अपनी सास से नहीं डरती थी लेकिन उस वक्त बदनामी से डर लगता था.

वैसे भी ससुर भी इस दुनिया में नहीं थे इसलिए मैं अपनी सास के साथ ज्यादा लड़ाई झगड़ा नहीं करना चाहती थी. इसलिए मैं अपनी कामुक आवाजों को मुंह से बाहर न आने देने की पूरी कोशिश कर रही थी. पंकज भी मेरी बात को समझ रहा था. वह उम्र में मुझसे काफी छोटा था इसलिए उसे भी डर था कि कहीं हम दोनों पकड़े न जाएँ. मगर जिस तरह से वह मेरे बदन के साथ खेल रहा था वह मुझे कच्चा खिलाड़ी नहीं लग रहा था.
इसलिए हम दोनों कंट्रोल में रह कर ही सब कुछ कर रहे थे. उसके बाद मैंने पंकज की शर्ट के बटन खोलना शुरू कर दिया. मैंने उसकी छाती के बालों में अपने होंठों को फिरा दिया और उनको चूम लिया. उसके बाद मैंने उसकी पैंट को भी खोल दिया. अब मेरे सामने केवल कच्छा में लेटा हुआ था और उसका लंड अंदर तना हुआ था. मैंने उसके कच्छे को भी उतरवा दिया और उसका बड़ा और लम्बा, मोटा लंड उछल कर बाहर आ गया. बाहर आते ही मैंने पंकज के लंड को अपने मुंह में भर लिया.

बहुत दिनों से मैं लंड की प्यासी थी. इसलिए मैं जी भर कर लंड चूसना चाहती थी. मैं उसके लंड को खा जाना चाहती थी. बहुत दिनों के बाद मुझे लंड मिला था. मैं उसके लंड को चूस रही थी और पंकज के मुंह से कामुक सिसकारियां निकल रही थीं. आह्ह … ओह … उम्म … करके वह अपने लंड को चुसवा रहा था और मैं मजे के साथ उसके लंड को चूस कर पंकज को मजा दे रही थी और साथ में खुद भी उसके लंड का मजा ले रही थी. उसके बाद मैंने पंकज के टट्टों को अपने हाथ से सहलाना शुरू कर दिया. फिर मैंने उसकी गोलियों को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी. वह पागल सा होने लगा.
मैं कभी उसके लंड को चूस लेती तो कभी उसकी गोलियों को मुंह में भर लेती थी. उसने मेरे सिर को पकड़ लिया और अपने लंड को मेरे मुंह में घुसा दिया और मेरे मुंह को चोदना शुरू कर दिया. वह अपनी गांड को उठा उठा कर मेरे मुंह में लंड को धकेल रहा था. उसका लंड अब पहले से ज्यादा टाइट हो गया था और बिल्कुल मोटे डंडे की तरह तन कर सख्त लगने लगा था.

उसके बाद पंकज ने मुझे फिर से नीचे गिरा लिया और मेरे होंठों को चूसने लगा. फिर मैंने पंकज को अपनी बांहों में भर लिया और वह मेरे पूरे बदन को चाटने लगा. उसका लंड मेरे बदन पर यहां-वहां टच हो रहा था. मैंने एक हाथ से पंकज के लंड को पकड़ लिया और अपनी जलती हुई गर्म चूत पर रखवा दिया. मैं अब और नहीं रुक सकती थी. मेरी चूत लंड लेना चाहती थी. लेकिन पंकज अभी भी मेरे होंठों को चूसने में लगा हुआ था.

मैंने पंकज को अपनी तरफ खींच लिया जिससे उसका लंड मेरी चूत पर फिसलने लगा. मैं उसका लंड लेने के लिए तड़प रही थी. मैं मन ही मन उससे अपनी चूत में लंड डालने के लिए मिन्नत कर रही थी. मैं बहुत दिनों से लंड की प्यासी थी. उसका लंड लेकर मैं अपनी चूत की आग को शांत कर देना चाहती थी.

फिर पंकज ने मेरी चूत के छेद पर लंड को लगाया और एक धक्का दे दिया. मेरी गीली और गर्म चूत में लंड अंदर गच्च की आवाज के साथ चला गया. मुझे आनंद आ गया. बहुत दिनों के बाद ऐसा मोटा और रसीला लंड चूत ने चखा था. उसके बाद पंकज ने अपनी स्पीड को बढ़ा दिया और मेरी चूत को चोदने लगा.
मैं उसके लंड से चुदाई करवाने लगी. मेरी प्यास और ज्यादा बढ़ गई थी. मैं उसके चूतड़ों को अपने हाथों से पकड़ कर उसका लंड अपनी चूत में धकेलने लगी. साथ में मैं अपनी गांड को भी उछाल रही थी. मुझे बहुत मजा आ रहा था. मैं पंकज की पीठ पर अपने नाखून से नोंचने लगी थी. पंकज मेरी चूत को पेलने में लगा हुआ था. वह जवान लड़का था इसलिए उसके लंड में बहुत जोश था.
वह शरीर से भी जवान था और उसके लंड में बहुत ज्यादा कड़कपन था. मेरी चूत की प्यास बुझने लगी. मैं मजे से पंकज के साथ चूत चुदवाती हुई उसकी चुदाई का मजा लेने लगी.

पंकज भी मेरी चूत को चोद रहा था. साथ में वह मेरे मम्मों को भी दबा रहा था. बहुत देर तक पंकज मेरी चूत की चुदाई करता रहा. फिर एकदम से मेरे शरीर ने अकड़ना शुरू कर दिया और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया. मैं तृप्त हो गई लेकिन पंकज अभी भी मेरी चूत को चोदने में लगा हुआ था. अब मुझे चूत में दर्द महसूस होने लगा लेकिन मेरे पानी से चूत पूरी तरह से गीली हो गई थी जिसके कारण पंकज का लंड अब और ज्यादा अच्छी तरह मेरी चूत को फाड़ने में लग गया.

लगभग 20 मिनट तक उसने मेरी चूत की चुदाई की और फिर उसके लंड के धक्के और ज्यादा तेज हो गए. मैं दर्द से कराहने लगी. पंकज ने मेरे होंठों को काटना शुरू कर दिया. साथ में वह मेरे चूचों के निप्पलों को भी मसल रहा था. वह एक जानवर की तरह मेरी चूत को चोदने में लगा हुआ था. कुछ ही देर में मैं दोबारा झड़ गई.

फिर उसके बाद मुझे थकान महसूस होने लगी और अचानक से पंकज धक्के भी तेज होकर धीमे होना शुरू हो गए. उसके लंड ने भी वीर्य छोड़ दिया था. मैं अब माँ नहीं बन सकती थी इसलिए मैंने भी उसका वीर्य अपनी चूत के अंदर ही गिरवा लिया. उसके बाद पंकज मेरे ऊपर ही गिर गया. हम दोनों 15 मिनट तक ऐसे ही एक दूसरे के ऊपर नंगे पड़े रहे और फिर मुझे बगल वाले कमरे में कुछ बर्तनों की आवाज सुनाई दी. शायद मेरी सास जग गई थी.

मैंने पंकज को छिप जाने के लिए कहा. पंकज ने अपने कपड़े उठाए और दरवाजे साथ लगे पर्दे के पीछे छिप गया. लेकिन कुछ मिनट तक इंतजार करने के बाद दोबारा कोई आवाज नहीं हुई. उसके बाद वह बाहर आ गया. उसका लंड वापस सिकुड़ गया था. फिर मैंने टाइम देखा तो बच्चों के आने का समय हो गया था.
मैंने पंकज से कहा कि अब बच्चे आने वाले हैं तो वह अपने घर वापस चला जाए.

उसके बाद उसने कपड़े पहन लिये. मैंने अपने कपड़े पहले ही पहन लिए थे. मैंने सेफ्टी के लिए पंकज से पहले बाहर निकल कर देखा तो मेरी सास के कमरे का दरवाजा बंद ही था. मैंने वापस आकर पंकज को बाहर आने का इशारा किया.

वह दबे पांव बाहर आया और चुपके से सीढ़ियों पर से होते हुए छत पर वापस चला गया. उसके जाने के बाद मैं बाहर चली गई. बच्चों के मदरसे से वापस आने का समय हो गया. उस दिन मैं बहुत खुश थी. बहुत दिनों से प्यासी मेरी चूत की आग आज पंकज ने ठंडी कर दी थी. उसके बाद तो मैं अपनी सास की नजरों से नजर बचाकर पंकज को अपने कमरे में बुला लिया करती थी.
बहुत दिनों तक मैंने पंकज के लंड से अपनी चूत की चुदाई करवाई और मेरी चूत की प्यास हर दिन बढ़ती ही चली गई. उसके बाद मैं एक दिन में दो बार लंड लेने लगी और चुदक्कड़ बन गई.

अब मुझे रोज लंड की जरूरत महसूस होती रहती है. कभी रिक्शे वाले को पकड़ कर चुदवा लेती हूं तो कभी सब्जी वाले चुदवा लेती हूँ. मेरी चूत हमेशा ही प्यासी रहती है. इसलिए जहाँ भी मुझे मौका मिलता है मैं अपनी चूत की प्यास को लंड लेकर शांत करवा लेती हूँ.

आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी, इसके बारे आप मुझे जरूर बताना. मैं एक चुदक्कड़ औरत हूँ और हमेशा ही लंड के इंतजार में रहती हूँ.
कहानी पर अपनी राय देने के लिए आप नीचे दिए गए मेल आई-डी का प्रयोग कर सकते हैं.
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