जिस्मानी रिश्तों की चाह -44

(Jismani Rishton Ki Chah- Part 44)

जूजाजी 2016-07-28 Comments

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सम्पादक जूजा

मैं आपी के पीछे से उनकी जांघों के बीच अपना लन्ड रगड़ रहा था और आइने में दिख रहा था जैसे मैं आपी की चूत चोद रहा हूँ।

आपी ने फरहान को बुलाया कि वो भी कुछ मौज मस्ती कर ले।

फरहान एकदम कूद कर बिस्तर से उठा.. जैसे कि वो बस हमारे बुलाने का ही इन्तजार कर रहा था।

वो भागता हुआ आपी के पास आ गया और आते ही अपने हाथ आपी के सीने के उभारों की तरफ बढ़ाए ही थे कि आपी ने उसके हाथ को झटका दिया और बोलीं- जब तक वहाँ बैठे रहते हो.. तो सब्र में रहते हो.. लेकिन मेरे पास आते ही जंगली हो जाते हो.. रुको और सीधे खड़े हो जाओ।

फरहान सीधा खड़ा हुआ तो आपी ने अपना हाथ कुर्सी से उठाया और फरहान के लण्ड को अपने हाथ में पकड़ कर आगे-पीछे करते हुए बोलीं- अब पकड़ लो.. लेकिन आहिस्ता-आहिस्ता दबाना.. अच्छा..!

फरहान ने अपने हाथ नर्मी से आपी के उभारों पर रखे और उन्हें आहिस्ता आहिस्ता दबाने लगा।

आपी ने सुरूर में आकर अपनी आँखें बंद कर लीं और फरहान के लण्ड पर हाथ चलाते-चलाते ही मुझसे बोलीं- उम्म्म.. सगीर.. अपना हाथ आगे ले आओ न..

मैंने आपी की बात सुन कर अपना हाथ आगे से आपी की चूत के दाने पर रख दिया।

अब पोजीशन यह थी कि आपी अपनी आँखें बंद किए सिसकारियाँ भरते हुए कुर्सी के बाजुओं पर एक हाथ रखे.. थोड़ा झुक कर खड़ी थीं और दूसरे हाथ से फरहान के खड़े लण्ड को मुठी में थामे हाथ आगे-पीछे कर रही थीं।

फरहान आपी के कंधों को चूमते और चाटते हुए आपी के खूबसूरत सीने के उभारों को अपने हाथ से मसल रहा था।
मैंने अपने एक हाथ से आपी की चूत के दाने को चुटकी में पकड़ रखा था और अपना लण्ड आपी की रानों के बीच में रगड़ते हुए उनकी कमर को भी चाटता जा रहा था।

थोड़ी देर बाद आपी ने अपनी आँखें खोलीं और फरहान के लण्ड को छोड़ते हुए अपना हाथ कुर्सी के आर्म पर रखा और कहा- फरहान.. सगीर के पीछे जाओ और पीछे से सगीर को चोदो।

मुझे आपी की बात से शदीद हैरत हुई और आपी के इस ऑर्डर ने मेरे अन्दर एग्ज़ाइट्मेंट की एक नई लहर भर दी।

फरहान मेरे पीछे आकर खड़ा हुआ और जैसे ही उसका खड़ा लण्ड मेरी गाण्ड के सुराख से छुआ.. तो मैंने चिल्ला कर उससे कहा- बहनचोद.. किसी उतावले के चोदे हो..! कम से कम तेल तो लगा ले मेरे भाईईईईईई..

आपी मेरी बात सुन कर और मेरा चिड़चिड़ा अंदाज़ देख कर खिलखिला कर हँसी और फरहान झेंपी सी हँसी हँसते हुए पीछे हट गया और अपने लण्ड पर और मेरी गाण्ड के सुराख पर तेल लगाने के बाद दोबारा अपना लण्ड मेरी गाण्ड के सुराख पर रखा..

तो मैंने उससे धमकाते हुए कहा- आहिस्ता-आहिस्ता डालना.. जंगली नहीं हो जाना।

फरहान ने कोई जवाब नहीं दिया और धीरे-धीरे मेरी गाण्ड में उसका लण्ड अन्दर जाने लगा और पूरा जड़ तक उतारने के बाद फरहान ने आहिस्ता-आहिस्ता झटके मारने शुरू किए।

उसका लण्ड मेरी गाण्ड के अंदरूनी हिस्से से रगड़ ख़ाता हुआ अन्दर-बाहर होने लगा।

मैं कुछ देर चुप खड़ा रहा और उसके बाद फरहान के रिदम के साथ ही खुद भी झटके लेने शुरू कर दिए.. जब फरहान अपने लण्ड को मेरी गाण्ड के अन्दर दबाता.. तो में भी अपना लण्ड आपी की रानों के दरमियान अन्दर तक ले जाता और फरहान लण्ड बाहर निकालता.. तो मैं भी उसी रिदम में अपने लण्ड को आपी की रानों से बाहर की तरफ खींच लेता।

‘फरहान.. सगीर.. देखो ज़रा आईने में कैसा नज़ारा है?’

आपी की आवाज़ हमारे कानों में पड़ी.. तो मैंने और फरहान ने एक साथ ही आईने में देखा और बेसाख्ता ही मेरे मुँह से निकाला- ववऊओ..

हमारा साइड पोज़ आईने में नज़र आ रहा था और बिल्कुल ऐसा ही लग रहा था.. जैसे मैं आपी को चोद रहा होऊँ और फरहान मुझे चोद रहा है।

आपी ने आईने में ही नज़र जमाए मुझे देखा और आँख मार कर बोलीं- कैसा सीन है.. बोलो कभी ऐसा सीन देखा है किसी फिल्म में? अरे थैंक यू बोलो अपनी बड़ी बहन को.. जो ऐसा मज़ेदार आइडिया दिया है मैंने!

इस नज़ारे ने हम तीनों के जिस्मों में ही बिजली सी भर दी थी और हमारे झटकों की रफ़्तार काफ़ी तेज हो गई थी।

मैंने अपना हाथ आपी की चूत से हटाया और उनके दोनों सीने के उभारों को अपने हाथों से दबाने और मसलने लगा।

आपी ने मेरा हाथ उनकी चूत से हटता महसूस किया तो अपना एक हाथ कुर्सी से उठा कर अपनी चूत पर रख लिया और तेजी से अपनी चूत को मसलने लगीं।

अचानक ही फरहान के झटके बहुत तेज हो गए और मैंने आपी की रानों में अपने लण्ड को रोक लिया और फरहान के लण्ड को अपनी गाण्ड में तेजी से अन्दर-बाहर होता महसूस करने लगा।

चंद ही तेज-तेज झटकों के बाद फरहान का जिस्म अकड़ गया और उसने एक ज़ोरदार झटका मार कर अपने लण्ड को मेरी गाण्ड में जड़ तक उतार दिया और इसके साथ ही मैंने फरहान के लण्ड से निकलते गरम-गरम जूस को अपनी गाण्ड के अन्दर महसूस किया।

इस अहसास ने मुझे भी एकदम ही मंज़िल पर पहुँचा दिया और मेरे लण्ड से भी गरम गाढ़ा सफ़ेद पानी निकल कर आपी की रानों पर चिपकने लगा।

मैंने डिसचार्ज होते वक़्त आपी के सीने के उभारों को बहुत ताक़त से अपने हाथों में दबोचा था और मेरा जिस्म अकड़ गया था.. जिससे आपी ने भी मुझे डिसचार्ज होता महसूस कर लिया था और उनका हाथ उनकी चूत पर बहुत तेजी से चलने लगा था।

मैंने आपी को छोड़ा और उनसे पीछे हुआ ही था कि उनके जिस्म ने भी झटके लेने शुरू किए और आपी की चूत की दहकती आग उनके अपने ही जूस से ठंडी होने लगी।

मुझे नहीं पता मेरे दिल में पता नहीं क्या आया कि मैंने झुक के आपी की रानों पर लगे अपने ही लण्ड के जूस को काफ़ी मिक़दर में चाटा और अपने मुँह में अपना जूस भर कर आपी के सामने आया और उनके चेहरे को दोनों हाथों से थाम कर अपने होंठ अपनी आपी के होंठों से चिपका दिए।

आपी ने भी रिस्पोन्स दिया और मेरे होंठों को चूसने लगीं।

मैंने ऐसे ही किस करते-करते अपने मुँह में भरे अपने लण्ड के जूस को अपनी ज़ुबान से ढकेलते हुए आपी के मुँह में दाखिल कर दिया और उनके चेहरे को मज़ीद मज़बूती से थामते हुए उसी तरह किस करता रहा।

जब मुझे यक़ीन हो गया कि मेरे लण्ड का सारा जूस मेरे मुँह से आपी के मुँह में मुन्तकिल हो गया है.. तो मैंने आपी का चेहरा छोड़ा और पीछे हट गया।

आपी ने कुछ सोचने के से अंदाज़ में अपनी ज़ुबान से अपने होंठों को चाटा और सवालिया से अंदाज़ में मुझे देखा।

मैं समझ गया था कि आपी ने अजीब सा ज़ायक़ा अपने मुँह में महसूस कर लिया है।
मैं वहाँ ही खड़ा आपी को देखता रहा।

‘क्या है?’ आपी ने अभी भी ना समझने के अंदाज़ में पूछा।

मैंने आपी से नज़र मिलने पर उन्हें आँख मारी और मुस्कुरा कर कहा- देखा आपने.. ये इतना बुरा तो नहीं है ना.. जितना आप समझ रही थीं?

आपी ने गुस्सैल अंदाज़ में थूकते हुए कहा- ऑहह कमीने.. गंदे.. मैं भी कहूँ कि किस करने से मुँह का ज़ायक़ा अजीब सा क्यों लग रहा है।

मैंने आगे बढ़ कर आपी को अपने बाजुओं में जकड़ लिया और उनके होंठों पर एक ज़ोरदार किस करके कहा- कुछ नहीं होता आपी.. मैंने भी तो आप की चूत से निकलता हुआ जूस पिया है और कसम से बस मुझे इतनी ज्यादा मज़ेदार चीज़ कभी कोई नहीं लगी.. आप का जूस बहुत मज़ेदार है.. तो क्या हुआ अगर आपने भी मेरे लण्ड का पानी चख लिया है।

आपी कुछ देर तो बुरा सा मुँह बनाए चुपचाप अपना मुँह चलाते खड़ी रहीं.. फिर मेरे गाल को चूम कर अपना मुँह मेरे कान के पास लाईं और शरारती अंदाज़ में बोलीं- वैसे सगीर इतना बुरा भी नहीं था ये..

यह बोल कर मेरे कान को अपने दाँतों से काटा और मुझसे अलग होकर अपने कपड़ों की तरफ चल दीं।

मेरा दिल चाह रहा था कि अभी हम कुछ देर और ऐसे ही खेलें.. इसी लिए मैंने आपी को कहा- आपी थोड़ी देर और रुक जाओ ना प्लीज़.. आज दिल और कुछ देर खेलने को चाह रहा है।

आपी ने अपनी सलवार हाथ में पकड़ी हुई थीं.. और उसे फैला कर अपनी टांग उठा कर सलवार में डालते हुए ही जवाब दिया- तुम्हारे साथ तो मैं सारी रात भी गुजार लूँ.. तो तुम्हारा दिल नहीं भरेगा.. कल कर लेंगे.. अभी मुझे जाने दो..

आपी ने सलवार पहन ली थी और अब अपनी क़मीज़ में अपने दोनों हाथ डाले और उसे अपने सिर से गुजार कर गर्दन पर लाते हुए बोलीं- उस दिन रात को भी जब मैं कमरे में गई.. तो हनी जाग ही रही थी और मुझसे पूछ भी रही थी कि मैं इतनी देर तक स्टडी-रूम में क्या करती रहती हूँ?

‘तो बता देना था ना.. कि अपने भाईयों के साथ मज़े कर रही थी..’ मैंने मुस्कुरा कर शरारत से जवाब में कहा।

आपी ने अपने कपड़े पहन लिए थे.. उन्होंने पहले फरहान के माथे को चूमा और फिर मेरे माथे को चूम कर मेरे बालों में हाथ फेरते हुए बोलीं- चलो बस अब तुम लोग भी सो जाओ.. मैं भी जाती हूँ।

यह कह कर हमारे कमरे से बाहर चली गईं।

कहानी जारी है।
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