इश्क विश्क प्यार व्यार और लम्बा इन्तजार-5
(Ishq Vishq Pyar Vyar Aur Lamba Intjar- Part 5)
दोस्तो, मैं आपका रवि खन्ना फिर से अपनी और मेरी गर्लफ्रेंड मोनिका की स्टोरी के 5वें भाग के साथ हाजिर हूँ.
जो पाठक मेरे और मोनिका के बारे में नहीं जानते हैं, वो मेरी गर्लफ्रेंड के साथ सेक्स स्टोरी का पिछला भाग
जरूर पढ़ें. उसका लिंक मैंने दिया हुआ है.
जैसा कि मैंने बताया था कि मोनिका की शादी के बाद हम दोनों फिर से दोबारा होटल में मिले थे और वहां हमने दबा के सेक्स किया था. सेक्स के साथ ही अपनी पुरानी यादें ताजा की और फिर वहां से दुबारा मिलने का वादा करके चले आए.
अब आगे:
घर आकर 2-3 दिन हमारी नार्मल बातें हुईं. मुझको ऐसा लगने लगा जैसे अब सब नार्मल है . … पहले जैसे ही है.
उसके बाद मोनिका अपनी ससुराल चली गई. वहां से उसने कई दिनों तक कोई कॉल या मैसेज नहीं किए.
मेरी तड़फ मोनिका के लिए बढ़ती जा रही थी, तो लगभग एक महीने बाद मैंने उसके मैसेंजर पर मैसेज छोड़ा.
मैं- कैसी हो?
उसका जबाव अगले दिन आया- मेरा फ़ोन मुझ पर कम … औरों के हाथों में ज्यादा रहता है, तो कोई कॉल या मैसेज नहीं करना.
मैंने ‘ओके’ लिख दिया.
उसके घर में दो ननदें थीं, एक देवर भी था. तो मुझको लगा खुद फ्री होकर कॉल कर लेगी. लेकिन इंतज़ार करते करते लगभग 4 महीने गुजर गए.
मैं अब उसे मैसेज या कॉल करने नहीं चाहता था. मुझे डर था कि कहीं मेरी वजह से उसको कोई दिक्कत हुई, तो मैं अपने आपको कभी माफ नहीं कर पाऊंगा.
ये सोच कर मैंने कभी भी उसको अपनी तरफ से फोन करने की कोशिश नहीं की.
फिर कुछ दिन बाद पता चला कि वो मां बनने वाली है … अभी 6 महीने की प्रेग्नेंट है.
सच कहूं, तो मैं उसके लिए खुश था … क्योंकि वो बच्चों से बहुत प्यार करती थी.
हमारा बच्चा गिरने के बाद वो दिल से बच्चा चाहती थी, जो हमारा हो. पर ये उसका बच्चा था ना कि हमारा … तब भी मैं उसके लिए खुश था.
मुझसे ख़ुशी से रहा नहीं गया, तो मैंने 4-5 मैसेज उसे कर दिए. उसने उनको पढ़कर मुझको हर जगह से ब्लॉक कर दिया.
ये देख कर मैं बहुत दुखी हुआ, पर उसकी केयर करनी नहीं छोड़ी … और कहीं ना कहीं से उसके बारे में जानकारी लेता रहता था. मुझे इस बात का कौतूहल रहता था कि कैसी है … उसका बच्चा कब होगा.
आखिरकार उसको बेबी हो ही गया … लड़का हुआ था.
मैं उसके लिए खुश था, मैंने उसको विश भी किया. ये मैंने अपनी एफबी पर पोस्ट डाल कर कुछ इस तरह से उसको विश किया था कि यदि वो देखे, तो उसको ही समझ में आए कि ये मैंने उसके लिए ही लिखा है. पर शायद ही उसने देखी हो. वो मेरे अन्य फेसबुक मित्रों की तरह से देख सकती थी. मैंने अपनी इस पोस्ट में एफबी पर उसकी तरह कोई बंदिश नहीं लगा रखी थी.
यूं ही दिन बीते गए, जैसा मैंने पहले भी बताया था कि उसका पति कहीं बाहर आउट ऑफ टॉउन रह कर जॉब करता था.
बच्चा होने के बाद मैंने कभी उसको कांटेक्ट करने की कोशिश नहीं की. हर जगह से ब्लॉक होने के बाद भी मैं कर सकता था, पर कोशिश ही नहीं की.
बच्चा होने के बाद पता चला कि उसने बच्चे का नाम अपने और मेरे नाम को मिला कर रखा था. मुझे ये जान कर ख़ुशी हुई, पर फिर भी मैं कुछ नहीं कर सकता था.
बच्चे के होने के 6-7 महीने बाद वो अपने मायके आई हुई थी. मुझको पता चला … तो मैं कसमसा कर रह गया.
उसी रात 11 बजे उसका संदेश आया.
मोनिका- हैलो रवि, कैसे हो?
मैं- अच्छा हूँ. तुम कैसी हो?
मोनिका- मैं भी अच्छी हूँ.
मैंने उसके बच्चे का नाम लेकर पूछा- बेबी कैसा है?
मोनिका- वो भी अच्छा है … वैसे तुमको उसका नाम कैसे पता चला.
मैं- मुझको सब पता है, कब हुआ … सब कहां हुआ.
मोनिका- अच्छा है … मैं डर रही थी कैसे बताऊंगी, तुम मुझे वादा याद दिलाओगे बेबी हमारे होने का … जो मैंने तुमसे किया था.
मैं- पागल हो … मेरा कोई वादा तुमसे ज्यादा इम्पोर्टेन्ट नहीं है.
मोनिका ये सुनकर बहुत खुश हो गई और बोली- क्या तुम मेरी तारीफ कर सकते हो, जो मुझसे हर बार करते थे.
मैं बोला- अभी 12 बजे.
वो बोली- हां अभी प्लीज.
मैंने कहा- पर क्यों?
वो बोली- मैं जानना चाहती हूँ, तुम आज भी मुझको उतनी ही अच्छी तरह जानते हो या नहीं.
मैंने ‘ओके..’ कहा और उसकी तारीफ करना स्टार्ट कर दी.
मैं- मोनिका, तुम्हारा चेहरा आज भी सपना चौधरी और बॉडी एमा वॉटसन जैसी है.
वो बोली- ऊंहूँ … ऐसे नहीं … जैसे पहले करते थे, वैसे करो रवि.
मैं- कैसे?
वो बोली- बॉडी के एक एक पार्ट की …
मैं फुल बॉडी की तारीफ़ करने से पहले बोला- क्या सब पहले जैसा है.
वो बोली- हां बिल्कुल … पर जरा खुल के करो न!
मैंने- मुझे अच्छा नहीं लगेगा मोनिका.
वो बोली- पर मुझको लगेगा.
मैं- ओके … तुम्हारे बाल आज भी लम्बे घने और काले हैं. तुम्हारा मस्तक मुझे तब बड़ा ही दिलकश लगता है, जिस पर गुस्से में बल पड़ जाते हैं.
वो- और …
मैं- तुम्हारी मोटी मोटी आंखें एकदम वाइट और बीच में मटकता काला गोला … आह … आज भी नशीला है … जो एक बार देख ले, तो नशे में हो जाए.
वो मेरी बात सुन रही थी.
मैं- तुम्हारे पतले और गुलाबी होंठ … जिनको आज भी लिपिस्टिक की कोई जरूरत नहीं होती है.
ये सब कह कर मैं रुक गया क्योंकि मैं अब चेहरे से नीचे जाना नहीं चाहता था.
दो मिनट बाद … मोनिका- आगे बोलो … रुक क्यों गए? आज तुमको पूरी आजादी है … खुल कर बोलो.
मैं- तुम्हारे पैर छोटे छोटे, जिनमें आज भी पंजाबी 5 नंबर की जूतियां फिट आती हैं. तुम्हारी चिकनी चिकनी पिंडलियां, जिन पर नजर भी जाते ही फिसल जाती हैं. तुम्हारे हल्के हल्के से घुटने, जो दिखते नहीं है भी या नहीं … तुम्हारी वो गोरी (सुंदर) सुडौल सी जांघें, जिनसे किसी की नजर हट ही नहीं सकती.
मोनिका- रवि प्लीज … सब बताओ. मेरी पुसी और बूब्स के बारे में भी कुछ कहो न प्लीज!
मैं- तुम्हारी गोरी गोरी 34 साइज़ की चूचियां, जिन पर हल्के भूरे रंग का छोटा सा तिल है … निप्पल … आह … जिनकी सख्ती से कभी किसी का दिल न ही भरे. तुम्हारी 34 इंच की कमर, जिस पर से नजर ही न हटे.
मोनिका- और!
मैं- तुम्हारे 36 के हिप्स एकदम गोल और भरे उठे हुए. … अब बस मोनिका प्लीज़ मैं और नहीं कर सकता.
मोनिका- क्यों?
मैं- तुमको पता है … मैं क्यों अपने आपको रोक नहीं पाऊंगा. फिर!
मोनिका ने मेरी बात काटते हुए- आपको रोका किसने है? वैसे रवि मेरी फिगर में कुछ बदलाव आ गया है. रवि जब आपका अभी ये हाल है, तो वो पता चलेगा, फिर आपका क्या होगा?
मैं- कैसे बदलाव मोनिका?
मोनिका- जो तुम हमेशा कहते थे, इनको बढ़ाओ मतलब मेरे बूब्स को … और मैं मना कर देती थी. वो खुद बेबी होने के बाद 34 से 36 नाप के हो गए हैं … और मेरे हिप्स भी अब 36+ के हो गए हैं.
मैंने स्माइली के साथ लिखा- कोई तो रोक ही लेगा.
मोनिका- नहीं … आज तुम्हें रोकने वाला कोई नहीं है. मां पापा घर पर भैंसों की रखवाली के लिए हैं और भैया भाभी नीचे वाले रूम में हैं. ऊपर मैं अकेली हूँ.
उसने ये लिख कर आंख मारने वाला स्माइली भेजा.
मैं- यार अभी एक बजा है, मैं ये सब चैक करने के लिए नहीं आ सकता हूँ. ये समय ठीक नहीं रहेगा.
मोनिका- ओके तो तुम बताओ.
मैं- मैं कल पक्का आता हूं … अभी 3 घण्टे बाद तुम्हारी मां भी जग जाएंगी, तो अभी रहने देते हैं, कल की पूरी रात साथ रहेंगे.
मोनिका- कल का ऐसा है, मेरा मन हो या ना हो … आज तुमको एक साल से ज्यादा दिन बाद याद किया है. अगली बार क्या पता दो साल या 4 साल या सारी जिन्दगी इंतज़ार करो … और रही मां पापा की बात, आपके पास इतना समय बहुत है, इतने में तो मैं आपको जन्नत के दरवाजे तक 3-4 बार ले चलूंगी और तब तक ले जाती रहूँगी, जब तक आप खुद ना कहो कि बस मोनिका बस … अब और नहीं.
ये लिख कर उसने मुँह में जीभ दबाने वाली स्माइली भेजी.
मैं- मोनिका …
और कुछ कहता मैं … उससे पहले उसका मैसेज आ गया.
मोनिका- पीछे वाले गेट से आना … खुला है … और मैं वहां खड़ी होकर आपका इन्तजार कर रही हूँ … अपने हबी का.
जैसे उसने हबी शब्द लिखा, मैंने एक पल की भी देर न की और बिना कुछ बोले जाने को तैयार हो गया.
मेरी बीवी अपने गांव गई थी. इस समय मुझे किसी का डर नहीं था. मैं सीधे मोनिका के घर जा पहुंचा, जो कुछ ही दूर था.
मैं पीछे के गेट से गया और दरवाजे को हल्का सा धकेला, तो गेट खुल गया. मैं अन्दर गया, गेट लगाया. फिर घूमा तो वहीं तीसरी सीढ़ी पर मोनिका खड़ी थी. मैं उसके पास गया, वो बिना कुछ कहे मेरी बांहों में समाते हुए मेरे गले लग गई.
वो मुझे अपनी बांहों में भरके कसके आलिंगन करने लगी. जब मैं उससे शिकायती लहजे में बात करने लगा.
तो वो धीरे से बोली- कुछ मत कहो … तुमसे ज्यादा मैं तुम्हारे लिए तड़फती थी.
यह सुन कर मैंने उसको और जोर से हग किया और किस करने लगा.
कम से कम 15 मिनट हम वहीं सीड़ियों खड़े किस करते रहे. कभी वो मेरे नीचे वाले होंठ को खाती, कभी मैं उसका. कभी वो मेरा ऊपर वाला होंठ चबाती, कभी मैं उसका. कभी दीवार से लग कर वो मेरी पूरी जीभ अपने मुँह में ले जाती, कभी मैं उसकी जीभ को चूसने लगता.
कोई 15 मिनट बाद मैंने ही अपने आपको रोका और मोनिका से कहा- जन्नत कब ले चलोगी!
वो हंस दी और बोली- जब तुम कहो.
मैं- अभी.
वो बोली- ठीक है ऊपर चलो, यहां नहीं!
मैंने उसको गोद में उठाया और सीढ़ियां चढ़ कर उसको उसके रूम में ले गया. उस रूम में जहां अक्सर उसके मां पापा जन्नत जाया करते थे … ये मेरा सपना भी था कि उसी पलंग से जन्नत जाऊं, जिससे उसकी मम्मी पापा ने उसे जन्नत से निकाला था.
कमरे की लाइट बन्द थी. मोनिका ने लाइट जलाई. मैं बस मोनिका को देखता रह गया.
वो लाल रंग की नाईटी में थी, जो सिर्फ एक डोरी से आगे से बंधा होता है.
चेहरा बिल्कुल वैसा ही, सपना चौधरी जैसा … वो इस वक्त बिना मेकअप के भी कयामत लग रही थी. वो अपने काम में लगी थी. उसने पहले बेबी को सोफे पर सुलाया और बेडशीट दूसरी डाली. दो तकिये भी रखे. उसको पता था मैं पिलो के साथ सेक्स पसन्द करता हूँ.
फिर बोली- आएं हुजूर … आपकी जन्नत की सवारी तैयार है.
मैं बोला- आज मैं आपका अकेला यात्री हूँ … तो पायलट को इतनी शर्म क्यों … चलो दोनों बिना कपड़ों के जन्नत चलते हैं.
मोनिका- हुजूर पायलट खुद अपने कपड़े उतारे … या आप ये कष्ट करेंगे.
मैं- नहीं … आप खुद उतारें … पैसेंजर बस ये देखेगा कि जो पायलट जन्नत ले चलेगा … और उसने बुकिंग के टाइम जिसने कहा भी था कि उसकी फिगर अपडेट हुई है … ये सच है या नहीं. ये जानना जरूरी है.
मोनिका हंसी और बोली- ठीक है सर!
उसने अपनी नाईटी को खोल कर उतार फेंका.
आह … मेरी आंखें चुंधिया गईं.
जैसा उसने कहा था, वो उससे भी एक कदम आगे थी. मेरे सामने वो ब्रा और पैंटी में थी, वो भी काले रंग की जो मेरी पसंद का रंग है.
उसने ब्रा खोल कर मेरे चेहरे पर फेंक कर मारी … क्योंकि मैं एकटक उसे ही देखे जा रहा था.
सच में दोस्तो, उसकी चुचियों का साइज बढ़ा था … पर वो एक परसेंट भी लूज़ नहीं हुई थीं, बिल्कुल उसकी छाती पर टेनिस की बड़ी बॉल की तरह उठी हुई थीं.
मेरी अभी उनसे नजर हटी नहीं थी कि तभी उसने अपनी पैंटी उतारकर मेरी नजरों के सामने कमर हिलाई.
तब मेरी नजर मोनिका की चूत पर गई, जिस पर कोई बाल नहीं था. उसकी चुत पहले से सुंदर हो गई थी. पहले गुलाबी हुआ करती थी. आज लाल सी लग रही थी.
हमारे यहां एक कहावत है ना चमड़े की जूती और चूत का कुछ नहीं बिगड़ता, जितनी घिसती है, उतनी लाल निकलती आती है.
वैसे ही उसकी चूत भी लाल हो गई थी.
आप ही सोच लो, उसका पति चूत को कितनी यूज़ कर पाया होगा, जो महीने में बस 3-4 दिन के लिए घर आता हो. उसकी ये चूत लाल भी मेरी ही की हुई थी.
मोनिका धीरे से मेरे पास आई और मेरा लोवर उतारा. लोवर उतरते ही टी-शर्ट मैंने खुद उतार दी. निक्कर में मेरा लंड इस तरह तन गया था कि उसके थोड़ा दूर खड़े होने के बावजूद उसको टच कर रहा था.
मैं बोला- लाइट?
वो बोली- जलने दो!
पहले खुद बंद करने की बोलती थी.
मैंने उसको बांहों में लिया और किस करने लगा. किस करते करते मेरे हाथ मोनिका के चूतड़ों पर गए, जो पहले से काफी बड़े हो गए थे. मोनिका के चूतड़ों को सहलाने और मसलने में मुझको बड़ा मजा आ रहा था. उसको कमर आज भी पहले जैसी ही पतली थी … मतलब उसका वजन नहीं बढ़ा था. बस मम्मों और चूतड़ों का साइज बढ़ गया था.
उसकी जांघें और भी सुडौल हो गई थीं. गोरी वो थी ही इतनी कि संगमरमर भी उसके रूप को देख कर शर्मा जाए.
सच दोस्तो, मैं बहुत किस्मत वाला था, जो मुझको मोनिका मिली.
मैंने मोनिका को किस करते हुए ही अपने ऊपर बेड पर लिटा लिया और अपनी निक्कर को उतारा, जिसको उतारने में मोनिका ने मेरी मदद की. अब वो मेरे ऊपर लेट गई. उसके चुचे मेरी छाती से बिल्कुल चिपके हुए थे. मोनिका की वो सुडौल और मस्त जांघें, उनके बीच में जन्नत का दरवाजा था. उसकी चुत मुझे बहुत गर्म महसूस हो रही थी. मेरी जांघों पर उसकी जांघें रगड़ रही थीं और उसकी चूत तो जैसे मेरे लंड पर आग उगल रही थी.
हम लेटे हुए किस किए जा रहे थे और मैं दोनों हाथों से उसके चूतड़ मसले जा रहा था. कभी दवाब डाल कर उसकी चूत को अपने लंड पर दबा रहा था.
सच कहूं, तो आज ऐसा लग रहा था जैसे मेरे दोनों हाथों में लड्डू हैं. वो बात अलग है कि वो लड्डू अब लड्डू से कहीं ज्यादा बड़े थे.
मैंने मोनिका से कहा- जन्नत चलें?
वो बोली- बिल्कुल … पर बताओ तो जन्नत ले जाने वाली कैसी लगी?
मैं उसके चूतड़ों पर दोनों हाथों से जोर से थप्पड़ मार कर बोला- जोरदार!
वो आउच … कर गई. तुमको आज सवारी करने में मजा आ जाएगा.
मैंने बिना देर किए मोनिका को करवट से लिटाया और खुद उसके पीछे लेट गया. मैंने इस पोजीशन में उसका एक पैर हवा में उठा कर लंड मेरी गर्लफ्रेंड की चूत पर सैट कर दिया. फिर बिना समय जाया किये झटके से लंड अन्दर उतार दिया. चुत गीली होने के कारण कोई दिक्कत नहीं हुई.
मोनिका- उम्म्ह… अहह… हय… याह… आराम से बेबी, जल्दी में हो क्या … जन्नत जाने के रास्ते में मस्ती करते हुए चलते हैं ना … आराम से चोदो न राजा.
मैं- ओके.
मैंने लंड बाहर निकाल कर जल्दी जल्दी 3-4 झटके मार दिए.
मोनिका- अअअअअ आउच रवि आपको कहीं लग जाएगी … धीरे चोदो.
मैं बिना उसकी कुछ सुने, उसे चोदता रहा. उसे लग रहा था कि जैसे जलती भट्टी में मेरा लंड गोते खाए जा रहा था.
मोनिका- रवि, ऐसे में पूरा अन्दर नहीं जाता.
मैं- तो?
मोनिका- मेरे ऊपर आओ न … या मुझे आने दो.
उसने जैसे मेरे मन की बात छीन ली थी. मैं झट से सीधा लेट गया. लंड बिल्कुल खड़ा था, मानो छत देख रहा हो.
वो मेरा लंड देखती हुई मेरे ऊपर आ गई. उसने अपने घुटने मोड़ कर मेरी कमर के आस-पास रख लिए और नीचे हुई, लंड एक हाथ से पकड़ कर अपनी चूत पर सैट करके बैठती चली गई.
‘अअअअह..’ की आवाज के साथ पूरा लंड चुत के अन्दर लेकर वो मेरे ऊपर लेट गई. अपनी चुचे मेरे सीने से रगड़ कर मुझे किस करने लगी.
एक पल बाद ही मोनिका अपनी गांड उठा कर लंड पर ऊपर नीचे करने लगी. सच दोस्तो, उसके चूतड़ जब हिल हिल कर मेरी जांघों से टकरा रहे थे, तब महसूस हो रहा था कि उसकी गांड के पहाड़ क्या मस्त चीज बन चुके थे.
मोनिका मेरे लंड को घपाघप चुत में अन्दर बाहर ले रही थी और इस दौरान उसकी बस कमर हिल रही थी.
हमारी बस ‘आआआ अअअअ अअअअ …’ की ही आवाजें निकल रही थीं.
इस बीच दो बार मैंने उसकी चूतड़ों पर चपत भी मारी. पर चुदाई के जोश में उसका कोई रिएक्शन नहीं आया. वो बस ‘दे दनादन …’ अपनी चूत को लंड में पेले जा रही थी.
आज भी सच ये सोच कर मैं रोज मुठ मार लेता था कि मोनिका की चूत मारने के बाद कैसा लगेगा. आज वो पल महसूस करके मजा गया.
उसके बाद मैंने उसको उलटा लिटाया. अब मेरी गर्लफ्रेंड की गांड ऊपर हवा में लहरा रही थी. मैंने लंड उसके दोनों चूतड़ों के बीच में डाला और ऊपर नीचे होने लगा.
मेरी गर्लफ्रेंड की चूत पानी छोड़ चुकी थी. वो अपने अन्दर ही मेरा भी लंड खाली कर चुकी थी.
झड़ने के बाद मैं उसके चूतड़ों पर ही लेट गया. भरपूर मजा आया था. इतना मजा मुझको काफी अंतराल के मिला था.
मैंने कुछ देर बाद खड़े होकर उसके चूतड़ चौड़े किये और लंड चूत पर लगाकर पेल दिया. मैंने लंड अन्दर बाहर करने लगा.
एक बार फिर से ‘थप थप थप थप…’ की आवाजों से रूम गूंज उठा. हर झटके पर उसकी गांड हिल जाती थी, जो मुझको और भी मजा दे रही थी … मेरा जोश चढ़ता जा रहा था.
मोनिका- अअअअ अअअअ अअअअ रवि फ़क मी फ़क फ़क अअअअ.
ये ही सब करते करते वो फिर से झड़ गई और मैं भी अपनी गर्लफ्रेंड की चूत में झड़ गया. मैंने चूत को अपने माल से भर दिया.
हम दोनों चिपक कर लेटे रहे. फिर टाइम देखा, तो पौने चार हो रहे थे.
मैं बोला- चलूं?
वो बोली- हां … मुझको आज ही थोड़ी मरना है … अभी तो मैं एक महीना यहां ही हूँ. जन्नत का मजा लेने आते रहना.
वो हाहाहा करके हंसने लगी.
मैंने कपड़े पहन कर उसको लेटी अवस्था में ही गर्लफ्रेंड की चूत को एक किस करके उसको पैंटी पहना दी.
फिर उसके चूचों को किस करके ब्रा पहनाई. इसके बाद मेरी गर्लफ्रेंड नाईट सूट पहन कर मुझको छोड़ने आई.
विदा के समय वो पूछने लगी- जन्नत मिली?
मैं- हां जन्नत के दरवाजे तोड़ दिए और तुमने तो यात्री की बड़ी सेवा की.
वो बोली- अब रोज टूटेगें.
ये बोल कर हम दोनों ने एक लम्बा चुम्बन किया और मैं घर आ गया.
दोस्तो, अब तब ही मिलूंगा, जब आपको बताने लायक कुछ हुआ, तो जरूर लिखूंगा.
मेरी सच्ची सेक्स कहानी कैसी लगी … बताना जरूर. आपका रवि खन्ना.
आई लव यू मोनिका
मेरी मोनिका
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