पड़ोसन भाभी ने मेरी अन्तर्वासना को समझा- 2

(Group Me Open Sex Ki Kahani)

मनीषा4 2021-11-01 Comments

ग्रुप में ओपन सेक्स की कहानी में पढ़ें कि मैं अपनी पड़ोसन भाभी के साथ तीन जवान लड़कों के साथ थी. भाभी ने मेरे सामने उन तीनों से कैसे चुदाई का मजा लिया?

हैलो फ्रेंड्स, मैं मनीषा भाभी, आपको अपनी चुत चुदाई की कहानी में दिल से स्वागत करती हूँ.
ग्रुप में ओपन सेक्स की कहानी के पहले भाग
पड़ोसन भाभी ने शानदार लंड दिलवाया
में अब तक आपने पढ़ा कि एक मर्द लौंडा मुझे हचक कर चोद रहा था. उसकी चुदाई से मेरी चुत ने रस छोड़ दिया था और मैं एकदम से निढाल हो गई थी.
मैंने उससे कुछ रुकने के लिए कहा तो वो मेरी गीली चुत से अपना लंड निकाल कर मेरे बाजू में लेट गया.

अब आगे ग्रुप में ओपन सेक्स की कहानी:

उस मर्द लौंडे के अपने ऊपर से हटते ही मेरा ध्यान मेरे साथ वाली उस पड़ोस वाली भाभी पर गया तो मैंने देखा उनमें से एक लौंडा नीचे लेटा था और भाभी उसके लंड के ऊपर बैठी थीं.

नीचे वाले मर्द का लंड नीचे से भाभी की चूत में घुसा था. ऊपर वाले ने अपना लंड पीछे से उनकी गांड में डाल रखा था.

भाभी इस पोज में उन दोनों मर्दों को सैंडविच चुदाई का भरपूर मजा दे रही थीं और खुद भी बहुत मजा ले रही थीं.

मैंने यह पोज आज तक सिर्फ पोर्न मूवीज में ही देखा था. रियल में भी लोग ऐसा करते हैं, ये मैंने पहली बार देखा था.

नीचे से वह लड़का भाभी के मम्मों को बहुत बुरी तरह से चूस रहा था और पीछे के छेद में लंड पेले हुए दूसरा लौंडा उनकी कमर को अपने दांतों से काट रहा था.
भाभी उन दोनों के बीच में पड़ी हुई मीठे दर्द से भरी हुई कामुक सिसकारियां ले रही थीं.

यह दृश्य देखकर मेरी चुत फड़क उठी और मेरा मन दोबारा से सेक्स करने का करने लगा.
मैंने फिर से अपने वाले लड़के के बदन को छूना शुरू कर दिया.
वह समझ गया कि मैं फिर से रेडी हो गई हूं.

अबकी बार उसने मुझे घोड़ी बना लिया और अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगा कर अपना लौड़ा धीरे-धीरे करके मेरी चूत में डाल दिया.

वह मुझे घोड़ी बनाकर चोदने लगा.
पीछे से मेरे जिस्म की कोली भर कर वह मेरे जिस्म का पूरा मजा ले रहा था.

बीच-बीच में वह मेरे चूतड़ों पर बहुत तेज चमाट मार देता था जिसकी वजह से मेरे चूतड़ एकदम लाल हो गए थे.
लेकिन इस तरह से चुदने में मुझे बहुत मजा आ रहा था.

उसने मुझे चोदते हुए अपनी दो उंगलियां मेरे मुँह में डाल दीं.
मैं उसकी उंगलियों को चूसने लगी.

फिर उसने मेरे खुले हुए बालों को पकड़ा और मेरे बालों को अपनी तरफ खींच कर मेरी चूत में बहुत तेज तेज धक्के लगाने लगा.
इससे मुझे दर्द होने लगा और मैं छटपटाने लगी.

मुझे ऐसे दर्द से चिल्लाता देख वह और भी खतरनाक धक्के मारने लगा और जल्दी ही झड़ गया.

इस बीच मैंने उससे न जाने कितनी बार ‘प्लीज स्टॉप … प्लीज स्टॉप …’ कहा होगा. लेकिन वह नहीं रुका.
अंत में उसने अपना सारा वीर्य मेरी चूत में निकाल दिया.

उसका वीर्य इतना ज्यादा निकला था कि मेरी चुत से निकलकर जांघों पर बहने लगा.

जब उसने अपने लंड मेरी चूत से बाहर निकाला, तो मुझे बहुत राहत महसूस हुई.

हम दोनों अब आराम करने लगे.

फिर मैंने अपनी पड़ोस वाली भाभी को देखा तो उनको अब सिर्फ एक लौंडा ही चोद रहा था. एक अलग हट गया था, शायद उसके लंड का पानी निकल गया था.

मैंने ध्यान से देखा तो भाभी के मम्मों पर बहुत सारा वीर्य पड़ा था. शायद उस लौंडे ने भाभी के मम्मों पर ही अपना रस निकाल दिया था.

अब दूसरा लौंडा भाभी को ताबड़तोड़ चोद रहा था. शायद उसका भी पानी निकलने वाला था क्योंकि उसकी चुदाई की रफ्तार बहुत तेज थी.

उसकी इस धकापेल चुदाई से भाभी जोर जोर से चिल्ला रही थीं.

फिर अचानक वह लड़का भाभी की चुत से लंड निकाल कर बेड पर नीचे आकर खड़ा हो गया और अपने हाथ से मुठ मारने लगा.

उसी समय भाभी खड़ी हो गईं और उस लौंडे के फौलादी लंड के नीचे बैठ गईं.
उन्होंने लंड के सामने अपना मुँह खोल लिया और उसी समय उस लौंडे ने अपना सारा वीर्य उनके मुँह में भर दिया.
भाभी उस पूरे रस को पी गईं.

मुझे यह बहुत अजीब सा लगा … लेकिन मैं मन ही मन में सोचने लगी कि शायद भाभी सेक्स को खुल कर एन्जॉय करती हैं.

अब भाभी और वो दोनों लौंडे थक कर लेट गए थे.

मेरा वाला पार्टनर मुझे चोदने के लिए फिर से रेडी हो गया.
वह फिर से मेरे बदन को चूमने और चाटने लगा.

अबकी बार वह नीचे लेट गया और उसने मुझे अपने ऊपर आने को कहा.

मैं उसके ऊपर आ गई और उसके लंड को अपनी चूत पर सैट करके पूरा लौड़ा चुत के अन्दर डलवा लिया.
उसके ऊपर मैं राइडिंग करने लगी.

मुझे इस पोज में चुदने में सबसे ज्यादा आनन्द आता है. सच बताऊं तो औरतों का सबसे ज्यादा फेवरेट पोजीशन भी यही है, जिसमें उन्हें सबसे ज्यादा आनन्द आता है.

इस पोज में लड़कियां बहुत जल्दी झड़ भी जाती हैं.
मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ.

नीचे से वह मेरे जिस्म को चूम रहा था, मेरे मम्मों को अपने मुँह में लेकर उन्हें चूसे ही जा रहा था, छोड़ ही नहीं रहा था.
एक को छोड़ता तो दूसरी चूची को पीने लगता.

मैं नीचे उसके लौड़े पर उछल रही थी.
मेरे ऊपर चुदास इतनी ज्यादा चढ़ी हुई थी कि मैं इस बार बहुत जल्दी झड़ गई.

मेरी चूत ने फिर से अपना पानी छोड़ दिया.
अबकी बार उसने मेरी कमर की कोली भर ली.

मैंने अपने होंठ उसके होंठों में दे डाले. मेरी चूत ने अपना सारा रस बाहर निकाल दिया और मैं थक कर उसके ऊपर ही लेट गई.

वो अभी भी गर्म था, तो वो मेरी चूत में धक्के लगाता रहा. कुछ देर बाद उसके लंड ने भी पानी छोड़ दिया.

अब हम पांचों पूरी तरह से थक चुके थे. मेरा मन अब सोने का कर रहा था.
मैंने उन सब लड़कों से कहा- मुझे अब आराम करना है.

मेरी वह पड़ोस वाली भाभी बोलीं- हां, अब हम आराम कर लेते हैं … और यहीं पर सब सो जाते हैं. रात बहुत हो चुकी है तो हम अपने घर भी नहीं जा सकते हैं.

हम सबने अपने ऊपर कपड़े डाल लिए और हम सब सोने की तैयारी करने लगे.

मैंने भाभी से कहा- मुझे इनके पास नींद नहीं आएगी. आप मेरे पास आकर सो जाओ … और इन तीनों को अलग सोने के लिए कहो.

उस रूम में दो बेड थे ही, तो एक पर मैं और भाभी सो गईं. दूसरे पर वह तीनों लेट गए.

जब हमने सोने की तैयारी की थी, तब टाइम रात के करीब 2:00 बजे का हो रहा था.

कुछ देर लेटने के बाद ही मेरी आंख लग गई और सीधे सुबह के 7:00 बजे मेरी आंख खुली.
वह भी इस वजह से क्योंकि कमरे में कुछ आवाजें हो रही थीं.

मैंने देखा वो तीनों मर्द लौंडे भाभी के साथ सेक्स कर रहे थे.

वो उनके बीच में बिल्कुल नंगी पड़ी थीं. वो तीनों भाभी को बारी-बारी से चोद रहे थे.

भाभी एक साथ उन तीनों को चुदाई का मजा देने में शायद असमर्थ थीं लेकिन फिर भी पता नहीं क्यों भाभी उनसे चुदी जा रही थीं.
वह तीनों तो भूखे भेड़िए की तरह भाभी को चोद रहे थे.

मैंने सीन देखा तो नाटक किया कि जैसे मैं सोई हुई हूं. मैंने बिल्कुल भी आवाज नहीं की. बस में उनकी आवाजें सुन रही थीं.

उन तीनों ने भाभी को बहुत ज्यादा चोदा. तीनों ने भाभी की चूत में ही अपना पानी निकाला.

वह चुदाई के समय दर्द से बहुत तेज तेज चिल्ला रही थीं. भाभी तीनों से चुदवाने के बाद मेरे पास आकर लेट गईं और फिर से सो गईं.

फिर करीब 10:00 बजे हमारी आंख खुली तो मैंने भाभी से घर चलने के लिए कहा.

उन्होंने भी हामी भर दी और हम दोनों घर जाने के लिए रेडी हो गईं.
वे तीनों मर्द लौंडे भी अपने कपड़े पहन कर चले गए.

हम रास्ते में आ रहे थे तो मैंने उनसे पूछा- भाभी, मैंने आपको सुबह फिर से उन तीनों लड़कों के साथ सेक्स करते हुए देखा था. आप तो मेरे साथ सोई थीं. मुझे तो पता ही नहीं चला कि आप कब उस बिस्तर पर उठ कर चली गई थीं?

उन्होंने मुझसे कहा- जिसको तुमने चुना था, वह एक बार मेरे साथ सेक्स करना चाहता था. वह मुझे रात में उठाने लगा. मैं तुम्हारी नींद डिस्टर्ब नहीं करना चाहती थी, तो मैं उन तीनों के बेड पर ही चली गई. फिर वे बाकी के दोनों भी जग गए और वो तीनों मेरे साथ सेक्स करने लगे.

मैंने भाभी से कहा- तो आप मना कर देतीं!
उन्होंने मुझसे कहा- बेबी, यह मौका रोज रोज नहीं आता है. मानती हूं कि मुझे दर्द हो रहा था लेकिन अन्दर एक मजा भी आ रहा था.

ये कह कर भाभी मुस्कुरा दीं.
बस मैं भी उन्हें देख कर मुस्कुराने लगी.
हम दोनों अपने घर आ गयी.

बाद में शाम को भाभी से मेरी उन लड़कों को लेकर भी बात हुई.

मैंने भाभी से पूछा कि भाभी ये जो कल रात को हमने किया था, वो सब सेफ तो है ना … किसी को पता तो नहीं चलेगा?
उन्होंने मुझसे कहा- बेबी तुम चिंता मत करो, तीनों लड़कों को मैं बहुत समय से जानती हूं. वो तीनों बहुत अच्छे इंसान हैं. तुम्हें जब भी जरूरत हो, तो तुम उनसे बेझिझक कह सकती हो. सेक्स में वे तुम्हारी हर जरूरत पूरी करने के लिए तैयार रहेंगे. यह मेरा वादा है.

वो आगे बोली- मैं उन्हें 3 साल से जानती हूं. जिंदगी में इंसान तो बहुत मिल जाते हैं मगर अच्छे इंसान बहुत कम मिलते हैं. इस काम के लिए वैसे तो तुम्हें बहुत इंसान मिल जाएंगे. तुम एक को आवाज लगाओगी तो दस आकर खड़े हो जाएंगे और दसों के दस कमीन टाइप के निकलेंगे. लेकिन ये तीनों लड़के उस तरह के आदमियों में से नहीं हैं. मैंने आज तक कभी भी इन्हीं तीनों के अलावा किसी को बुलाया भी नहीं है. ये तीनों मेरे भरोसे के आदमी हैं और पूरी तरह से संतुष्ट करने की ताकत भी रखते हैं.

मैंने भाभी की बात से संतुष्ट होते हुए हां में सर हिलाते हुए कहा- ठीक है भाभी.

भाभी मुस्कुरा दीं और हम दोनों कल रात में हुए सेक्स पर चर्चा करने लगे.

भाभी ने मुझसे पूछा- गर्मी ठीक से शांत हुई थी कि नहीं?
मैंने कहा- भाभी मेरी तो आत्मा तृप्त हो गई थी. सच में मेरे वाले ने तो मुझे निचोड़ कर रख दिया था.

भाभी हो हो करके ऐसे हंस दीं मानो उन्होंने कोई बचकानी बात सुन ली हो.
सच भी था, भाभी को एक साथ आगे पीछे दोनों छेदों में लंड चाहिए होते थे तो उनकी चुत गांड को तो जैसे फर्क ही नहीं पड़ता था.

हम दोनों ने कुछ टाइम साथ में बिताया, दो दो पैग लगाए और भाभी अपने घर चली गईं.

फिर धीरे-धीरे समय बीतता गया. पन्द्रह बीस दिन निकल गए. मेरे अन्दर की सेक्स की आग फिर से बढ़ती जा रही थी.

एक दिन मैंने पड़ोस वाली भाभी को फोन किया और उनसे कहा- भाभी आप क्या कर रही हैं अभी?
भाभी बोलीं- कुछ नहीं, फ़ालतू बैठी मोबाइल चला रही हूँ.

मैंने कहा- क्या आप अभी मेरे घर आ सकती हैं, मुझे आपसे कुछ बात करनी है.
भाभी ने ओके कहा और कुछ देर बाद वह मेरे घर आ गईं.

मैंने कहा- भाभी, अब फिर से हालत खराब होने लगी है … मुझसे रहा नहीं जा रहा है. मगर इस बार मैं चाहती हूँ कि अपने घर पर ही मजा लिया जाए. क्या वही तीनों हमारे घर पर आ सकते हैं, जिनके साथ रात हम दोनों ने उस रात सेक्स का मजा लिया था?

भाभी मुझसे कहने लगीं- हां हां … क्यों नहीं, तुम कहो तो आज रात का ही प्लान कर लेते हैं.

हम दोनों के घर पर वैसे भी कोई नहीं था तो मैंने उनसे हां कर दी.

भाभी ने फोन लगाकर किसी से कुछ बात की.
उनके चेहरे पर स्माइल देख कर मैंने समझ लिया कि काम हो गया है.

फिर मैंने उनसे कहा- भाभी, आप उनको आज रात के 9:00 बजे तक बुला लीजिए.
भाभी बोलीं- हां मेरी बन्नो, वो समय से आ जाएंगे. बस तू आज व्हिस्की का इंतजाम कर लेना.

मैंने कहा- अरे भाभी वो सब है … आप बेफिक्र रहो.
भाभी खुश हो गईं.

मैं उनसे बोली- भाभी मेरी मन में एक इच्छा और है … जैसे उस रात आप तीनों के साथ ही साथ सेक्स कर रही थीं. मैं भी एक बार ऐसा मजा लेना चाहती हूं.
भाभी मुझसे बोलीं- हां हां क्यों नहीं मेरी रानी … जैसा तुम चाहो, वैसा ही होगा. क्या तुम्हारी गांड खुली हुई है?
मैंने हां कह दी.

भाभी ने भी मेरी चूची दबा कर सैंडविच चुदाई के लिए हां बोल दी.
मेरे चेहरे पर तो खुशी की एकदम से मानो सरसराहट सी दौड़ गई.

कुछ देर बाद भाभी चली गईं.

अब मैं 9:00 बजने का इंतजार करने लगी.

मैंने शाम छह बजे तक ही अपने घर का सारा काम खत्म कर लिया था और मैं अपनी चुत की झांटें वगैरह साफ़ करके एकदम मस्त तैयार हो गई थी.

फिर 9:00 बजे से पहले ही मेरी पड़ोसन भाभी भी तैयार होकर मेरे घर पर आ गईं.

हम दोनों साथ में बैठकर ड्रिंक एन्जॉय करने लगे और बातें होने लगीं.

कुछ देर बाद मेरे घर की डोर बेल बजी तो उस भाभी ने मुझसे कहा- ये वही होंगे … तू रुक, मैं जाकर दरवाजा खोलती हूं.

उन्होंने जाकर दरवाजा खोल दिया, तो सामने वो ही तीनों बंदे खड़े थे.

वो तीनों अन्दर आ गए और हम सब बैठ कर बातें करने लगे.

भाभी जी ने उनके लिए भी पैग बना दिए और वो तीनों भी ड्रिंक एन्जॉय करने लगे.

इसी बीच एक लौंडे ने सिगरेट की डिब्बी निकाल कर टेबल पर रखी तो मैंने एक सिगरेट पीने की इच्छा जाहिर कर दी.
भाभी ने उसकी डिब्बी से एक सिगरेट सुलगा कर मुझे दे दी और मैं धुंआ उड़ाने लगी.

इस समय हम सब बाहर हॉल में ही बैठे थे, माहौल गर्माने लगा था.

मैं मदहोश होकर उन तीनों लड़कों के फूलते लंड की तरफ देख रही थी और अपनी चूचियां मसल रही थी.

ये देख कर वो तीनों लड़के मेरे पास आ गए और मेरे आस-पास आकर बैठ गए.

मैं समझ गई कि भाभी ने उनको फोन पर सब समझा दिया था.

अब कोई मेरी गर्दन पर किस करने लगा, तो कोई मेरे कानों के लटकन को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
मेरे सारे बदन पर उनके हाथ और उनके होंठ ही चल रहे थे.

मैंने उस दिन एक रेड कलर की मैक्सी डाली हुई थी.
धीरे-धीरे उन्होंने उसे खोलकर मेरे बदन से अलग कर दिया. फिर उन्होंने मेरी ब्रा और पैंटी को भी उतार दिया.

वो सब मेरे जिस्म को जमकर चूमने और चाटने लगे.
मेरे साथ ऐसा होता देख, मेरी पड़ोस वाली भाभी सामने बैठ कर सिर्फ मुस्कुरा रही थीं.

एक लौंडा मेरे मम्मों को चूस रहा था और एक नीचे मेरी चूत को चूस रहा था.
उस लौंडे ने अपनी पूरी जीभ मेरी चूत में डाल रखी थी.

तीसरा मर्द अपने लंड को हिलाते हुए मुझे ललचा रहा था. वो मेरे पास आकर खड़ा हो गया और अपना लंड मेरे मुँह में डालने लगा.

मुझे भी हर तरह से आनन्द आ रहा था तो मैंने भी लपक कर उसका लंड अपने मुँह में ले लिया.

मैं उसके मोटे लंड को लॉलीपॉप समझ कर चूसने लगी. नीचे मेरी चूत की मस्त चुसाई चल रही थी जिससे मेरी दोनों टागें विपरीत दिशा में फैली हुई हवा में थीं.

जो लौंडा मेरे मम्मों पर लगा था, वो साला इतनी बुरी तरह से मेरे दोनों निप्पलों को बारी बारी से चूस रहा था, जैसे वो उसमें से मेरा सारा दूध निकाल लेगा.

दोस्तो, इस बार चुदाई का खेल जबरदस्त होने वाला है. आपको अपने लंड की मुठ मारनी हो, तो एक बार जल्दी से झड़ जाइए … और मुझे अपने मेल व कमेंट्स लिख भेजिए.

मैं अगले भाग में आपको भाभी के साथ उन तीन मर्द लौंडों के लंड से अपनी चुत की चुदाई की कहानी लिखूँगी.
आपको यह ग्रुप में ओपन सेक्स की कहानी कैसी लग रही है?
आपकी प्यारी मनीषा भाभी
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ग्रुप में ओपन सेक्स की कहानी का अगला भाग: पड़ोसन भाभी ने मेरी अन्तर्वासना को समझा- 3

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