कानून के रखवाले-8

जोर्डन 2009-02-08 Comments

प्रेषक : जोर्डन

इस घटना के बीच मुस्तफा के अड्डे पर:

मुस्तफा- जगत (उसका मुँह बोला भाई), कल्लू तो उस दोनों की माँ चोद कर ही आएगा लेकिन यार मुझे भी आज कोई लड़की चोदनी है, जा जुगाड़ कर।

जगत जाता है और थोड़ी देर बाद वापिस आता है।

जगत- लो भाई आ गई मस्त चीज।

मुस्तफा- कहाँ है?

तभी जगत ने आवाज दी- ओ मीना……. अंदर आ जा।

और तभी एक 23-24 साल की बला की खूबसूरत लड़की कमरे में आ गई, उसे देखकर मुस्तफा की बाहें खिल गईं, मीना एकदम गोरे रंग की मलिका, चेहरा एकदम तराशा हुआ, दो बहुत ही प्यारी और भरी हुई चूचियाँ जो उसके सफ़ेद सूट में और भी प्यारी लग रहीं थी, और एक शर्मीली सी मुस्कान, यह सब देखकर मुस्तफा का बुरा हाल हो गया।

मुस्तफा- अरे हमका चक्कर आ रहे हैं, पकड़ जग्गू, हमका पकड़ ले भाई !

जगत- हा हा हा ! अरे चक्कर तो अब मीना को आने चाहिएँ, मीना जरा घूमकर अपने तरबूज तो दिखायो भइया को !

मीना ने घूमकर अपनी गाण्ड मुस्तफा को दिखाई, उफ़ एकदम उठी हुई प्यारी और मुलायम गाण्ड थी उसकी।

ज़रा झुककर अपनी गाण्ड तो दिखा मेरी जान ! मुस्तफा बोला।

मीना झुक गई और अपनी गाण्ड दोनों को दिखाने लगी, सफ़ेद सलवार में उसकी मोटी उभरी हुई गाण्ड बहुत सुन्दर लग रही थी।

मुस्तफा- उफ़ उफ़ उफ़ ! बस कर यार, ऐसा ना हो कि मैं इसकी गाण्ड मार-मार के इसे मार ही ना दूँ।

और दोनों हंसने लग गये।

मीना की कमर ज्यादा झुकने से दर्द होने लगी थी तो उसको राहत महसूस हुई।

जगत ने कहा- चल मुस्तफा का लण्ड पैंट में से निकाल और चूस उसे ! पूरा मुँह में लियो अंदर तक।

यह कहकर जगत कमरे से बाहर चला जाता है।

मीना एक आज्ञाकारी बच्ची की तरह घुटनों के बल बैठ कर मुस्तफा की पैंट खोलने लग गई और उसका लण्ड निकल के मुँह में लेकर आगे-पीछे होने लगी।

तभी मुस्तफा बोला- नहीं नहीं मेरी जान ! तुझे मेहनत करने की ज़रूरत नहीं है !

और उसने मीना के बाल पकड़े और धीरे-धीरे उसके मुँह में झटके मारने लगा। उसके झटके इतने तेज थे कि मीना को सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी, मीना के होंठों से थूक बुरी तरह बह रहा था। जब उससे झटके बर्दाश्त नहीं हुए तो उसने अपने हाथों से मुस्तफा की जांघें पकड़ कर उसे रोकना चाहा।

मुस्तफा गुस्से से लाल होकर बोला- साली, अगर अगली बार तेरा हाथ मुझे लगा तो इन्हें काट कर तेरी गाण्ड में घुसा दूँगा ! चुपचाप मुझे मुँह चोदने दे।

और वो पहले से भी तेज झटके मारने लगा, मुस्तफा उसका मुँह चोदने लगा।

मीना-प्लीज़ प्लीज़ ! आप धीरे कीजिये ! सहन नहीं हो रहा, मुझे दर्द हो रहा है।

मुस्तफा- हाय मेरी जान इतने प्यार से बोलेगी तो मैं अभी अपना लण्ड काट कर फेंक दूंगा !

और मीना को बाँहों में भर कए उसका मुँह टिस्यू से साफ़ करने लगा और उसके होंठों में होंठ डाल कर चूसने लगा।

मीना को इसमें बहुत मज़ा आ रहा था, और मुस्तफा को देखकर तो ऐसे लग रहा था कि जैसे उसे कोई अमृत का द्वार मिल गया हो।

उसने मीना का हाथ पकड़ के अपने लण्ड पर रख दिया और उसे इशारे से आगे पीछे करने को कहा।

अब दोनों के होंठ एक दूसरे में समाये हुए थे और नीचे मीना उसके लण्ड की चमड़ी को आगे-पीछे कर रही थी।

अभी तक दोनों ने कपड़े पहने हुए थे। मुस्तफा ने मीना दे कमीज़ में हाथ डाल दिया और उसके मोटे और मुलायम मम्मे दबाने लगा।

मीना की आँखें अपने आप बंद हो गई, उसके सर पर मस्ती चढ़ी हुई थी।

मुस्तफा ने मीना का कुरता बड़े प्यार से उतारा लेकिन उसकी ब्रा को एक ही झटके में ही फाड़ दिया और मीना के चूचे चूसने लगा और उन पर थप्पड़ मारने लगा।

मीना दर्द से “आह आह” कर रही थी।मीना के वक्ष एकदम लाल हो गए थे और एक तरफ उसकी फटी हुई ब्रा पड़ी हुई थी। मुस्तफा ने मीना की सलवार भी आराम से उतारी लेकिन कच्छी एक ही झटके में फाड़ दी।

मीना की छोटी सी हल्की-हल्की झांटों वाली चूत को देखकर तो वो पागल ही हो गया।

मुस्तफा- मीना, मेरी जान, उस सोफे पर जा और घोड़ी बन जा ! और हाँ, अपनी गाण्ड मटकाती हुई जाना।

मीना अपनी मोटी और मांसल गाण्ड मटकाती हुई सोफे पर घोड़ी बन गई।

मुस्तफा मीना के पास जाकर उसकी गाण्ड को निहारने लगा और कहा- आये हाय मेरी जान ! क्या मस्त गाण्ड है तेरी !

इतना कह कर उसने अपना लण्ड छेद पर रखा और एक हल्का सा धक्का मारा।

मीना- …आह आह ….आह्ह्ह्ह ! प्लीज़, मुस्तफा धीरे ……..

तभी मुस्तफा फिर से लण्ड निकला और गाण्ड पर रख कर एक जोरदार झटका मारा और पूरा लण्ड मीना की गाण्ड की जड़ तक घुसा दिया।

मीना की चीख निकल गई।

मीना- आआ,…..आय….माँ मर गई ! प्लीज़ ! प्लीज़ रुक जाओ थोड़ी देर ! आईईइ माँ प्लीज़ रुक जाईये।

मुस्तफा थोड़ी देर रूक गया और मीना के पीठ पर चूमने लगा, उसका लण्ड मीना की गाण्ड की गर्मी का मज़ा ले रहा था और थोड़ी देर बाद मुस्तफा ने झटके देने शुरू कर दिए। वो मीना को चोदते हुए उसे गालियाँ दे रहा था।

मुस्तफा- साली, कुतिया, बहन की लौड़ी आज तुझे चोद-चोद कर मार ही दूँगा ! यह ले साली चुद मुझ से !!

मुस्तफा मीना को चोदते हुए उसकी गोरी मखमली गाण्ड पर तेज़ तेज़ थप्पड़ मार रहा था, तभी मुस्तफा के झटके और गालियाँ इतनी तेज हो गईं कि मीना सह नहीं पाई और गिर गई।

मुस्तफा भी उसके ऊपर गिर कर उसे चोदता रहा।

मीना चिल्लाती रही- आआई ऊईई……धीरे ….प्लिजज्ज़…….आःह्ह…….

और झटके मारते-मारते एक दम मुस्तफा ने अपना लण्ड बाहर निकाला और मीना के बाल पकड़कर उसके मुँह में लण्ड ठूँस दिया और मीना का सारा मुँह अपने गाढ़े सफ़ेद वीर्य से भर दिया।

मुस्तफा हांफता हुआ एक तरफ पड़ गया।

मीना को तो होश ही नहीं था, उसके मुँह से सारा चिपचिपा वीर्य भर बह रहा था।

मुस्तफा कुछ देर बाद उठा और बाथरूम जा कर अपनी सफाई करने लगा।

जैसे ही मुस्तफा बाथरूम से बाहर आया तो उसके कमरे पर दस्तक पड़ी। उसने कपड़े पहने और दरवाजा खोला तो बाहर जगत था और उसके हाथ में फ़ोन था।

मुस्तफा ने मीना को जाने के लिए बोला और वो कपड़े पहनकर चली गई।

और मुस्तफा ने मोना को फ़ोन लगाया।

इधर जल्दी से अपनी गाड़ी से हॉस्पिटल पहुँचती है और आरती को वहाँ लेकर जाती है, पर वो अपने घर में किसी को भी फ़ोन करके आरती की हालत नहीं बताती… क्योंकि वो जानती है कि अगर पता चला कि आरती की इज्ज़त पर दाग लगा है तो उसकी शादी टूट जाएगी।

हॉस्पिटल में मोना का फ़ोन बजा… पर उसके बोलने से पहले ही उधर मुस्तफा की हंसी गूंजी- क्यों इन्स्पेकटरनी साहिबा… कैसी रही.. ?

मोना ने कोई जवाब नहीं दिया।

मुस्तफा की हंसी और गहरी हो गई और उसने पूछा- आरती का जो हाल हुआ, उसकी मुझको ख़ुशी है पर तुम्हारा वो हाल नहीं हुआ, इसका बहुत गम है।

मोना गुस्से में बोली- कुत्ते हिम्मत है तो सामने आ !!!

मुस्तफा- जरुर आऊँगा… इस बार तेरे पुलिस स्टेशन में आकर तुझको मिलकर.. अब्बास को लेकर जाऊँगा।

मोना- अब देख मैं तेरे अब्बास का क्या हाल करुँगी…. जिन्दा तो तू उसको कभी नहीं लेकर जा सकेगा और अगर मेरे पुलिस स्टेशन में आएगा तो तेरा तो मैं वो हाल करूँगी कि कभी चल नहीं पाएगा !!

इतना बोल कर मोना फ़ोन काट देती है और उधर आरती को होश आता है और वो मोना को बुलाने को कहती है।

आगे जानने के लिए अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर आते रहिए….और मुझे मेल करें।

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