बीवी को गैरों से चुदने का मौका देना पड़ता है-3
लेखक : राहुल शर्मा
मिलासा ने मेरी गाण्ड में माल निकाला और अपने कपड़े ठीक करके हम दोनों हाल में आ गए जहाँ गीता बैठी थी. वहाँ मिलासा ने गीता को पकड़ लिया और उसके बदन से खेलने लगा ! थोड़ी चूमाचाटी के बाद गीता बोली- चलो बीच पर चलते हैं !
मीलासा बोला- मेरा दोस्त विक्रम आने वाला है फिर चलते हैं.
मीलासा ने गीता के कपड़े अस्त व्यस्त कर दिए और मेरे सामने उसकी चूचिया चूसने लगा.
तभी घंटी बजी इससे पहले कि गीता अपने कपड़े ठीक कर पाती, विक्रम अंदर आ गया, मेरी बीवी के अधनगे बदन को देख विक्रम पागल हो गया.
मीलासा बोला- यह राहुल और यह उसकी बीवी !
“ओह हो ! राहुल आ गए तुम लोग?”
खैर हाय हेलो के बाद हम दोनों कमरे में चले गए, वो दोनों बातें करने लगे, मेरा ध्यान उन की ही बातो में था।
विक्रम बोला- तो क्या किया तुमने? दोनों मियां-बीवी शीशे में उतार लियाँ?
“राहुल की गाण्ड में माल भर दिया, उसकी बीवी को अभी मालना शुरू ही किया था !”
“मुझे भी दोनों की दिलवा दे यार !”
“आज तो आये ही हैं ! सब कुछ हो जाएगा ! सब्र कर !”
मैंने कमरे को बंद किया, बिस्तर पर पसरा, बीवी ने खुद को पूरी नंगी कर लिया था, मुझे दिखा दिखा अपनी चूत को मसलने लगी- आओ ना राजा, हनीमून है !
मैं पास गया, उसने कहा- डाल दो अब !
मैंने डाला, डेढ़ मिनट में मेरा काम खत्म हो गया, वो तड़पने लगी, हर बार की तरह मैंने पालतू कुत्ते की तरह उसकी चूत चाटी और मंजिल तक पहुँचाया !
तभी दरवाज़ा खटका।
“कौन?”
“हम हैं राहुल, चलो बीच पर चलते हैं !”
अँधेरा सा भी हो चुका था, वहाँ सब तरफ़ प्रेमी जोड़े ही लगे पड़े थे, यह बीच इसी काम के लिए मशहूर है। मीलासा ने सी-होम लिया वहाँ से बिकनी किराए पर लेकर दी जिसे पहन कर मेरी गीता मैडम गज़ब ढा रही थी। विक्रम मुझे लेकर काफी आगे निकल आया, वो मुझे चूमने लगा, मुझे नंगा किया मेरी गोरी गाण्ड पर चांटे लगाने लगा, मैं उसका लंड चूसने लगा बड़ा था लेकिन साथ साथ मेरी नज़र गीता पर थी मेरा चेहरा गीता और मिलासा की तरफ़ था, वहाँ गीता गीली रेत पर लेटी थी, मीलासा उस पर पानी फेंक फेंक मजे ले रहा था, मैं वहाँ से सब दिख रहा था। मीलासा बीयर के दो कैन ले आया और लेटी हुई गीता के मुँह में बीयर डाली, साथ ही उसके बदन पर भी गिरा दी, जो बीयर उसके बदन पर थी, उसको उसने जुबान से चाट लिया। मेरी बीवी गर्म होने लगी क्यूंकि मैंने कुछ समय पहले उसको प्यासी जो छोड़ दिया था।
उसने गीता की पीछे बिकनी की जिप खींच दी जिससे बिकनी खुल गई सामने कयामत जैसे मम्मे देख मीलासा पागल हो गया वो उन पर टूट पड़ा। मेरी बीवी आँखें मूँद कर असली मर्द की सेवा ले रही थी।
मीलासा ने अपना लण्ड निकाल कर गीता के होंठों से छुआ दिया, वो उसका लंड देख रुक न पाई और उसको चूसने लगी, उसको पूरा मजा देने लगी।
इधर विक्रम का विशाल लंड मेरे होंठों में खेल रहा था, विक्रम बोला- साले घोड़ी बन जा !
मैं गीता-मीलासा की तरफ मुँह करके घोड़ी बन गया। विक्रम जुबान से मेरी गाण्ड चाटने लगा, मुझे बहुत आनन्द मिलने लगा।
उधर मीलासा का लण्ड मेरी बीवी चूस रही थी, यह देख मुझे गाण्ड मरवाने में और मजा आने लगा।
विक्रम बोला- तुझे बुरा नहीं लग रहा कि तेरे सामने तेरी बीवी किसी पराये मर्द से खेल रही है?
“जब मैं उसको खुश नहीं कर सकता तब किसी से खुश होते कैसे रोकूँगा?”
“चल उनके पास चलते हैं !”
हम दोनों मीलासा-गीता से कुछ ही दूर आकर रुक गए। गीता हमें नहीं देख सकती थी।
विक्रम ने कंडोम पहना और मेरी गाण्ड में अपना लण्ड घुसाने लगा। सामने मीलासा ने बीवी की चूत में आखिर कर लंड घुसा दिया था अभी आधा घुसा था कि ‘हाय बहुत बड़ा है आपका ! जब से शादी हुई इतना बड़ा मिला नहीं ! इसलिए थोड़ा दर्द है !”
उसने झटके देकर पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया और जोर जोर से चोदने लगा। कुछ देर में मेरी गीता जान भी गाण्ड उठा उठा चूत मरवा रही थी- अह राजा, फाड़ डालो इस रंडी की चूत को ! बहुत खुजली होती है इसमें ! बना डालो भोसड़ा इस भोसड़ी का !
“ले बहन की लौड़ी, आज फाड़ दूंगा तेरी चूत ! तेरे पति का लंड इसमें नाचेगा ! जिस चूत में मीलासा का जाता है उसके बाद बाकी के लंड नाचने ही लगते हैं !
“हाय स्वामी कामदेव, मैं झड़ने वाली हूँ !”
“अब घोड़ी बन जा, तुझे दूसरी जन्नत दिखाता हूँ ! यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
गीता घोड़ी बन गई, मीलासा ने गीला लंड उसकी गाण्ड में घुसाने की कोशिश की तो गीता की दर्द से गाण्ड फटने लगी- रहने दो प्लीज़ !
“एक बार लोगी न, फिर अगली बार खुद गाण्ड मरवाने का शौक पाल लोगी !” उसने करते करते पूरा लंड फंसा दिया। बीवी दर्द से कराहने लगी, लेकिन मीलासा ने छोड़ा नहीं, लेकिन जल्दी उसको दर्द ने मजा देना चालू कर दिया, अब वो खुद गाण्ड हिला हिला कर मरवाने लगी।
साला मीलासा कितना धांसू मर्द था, झड़ने का नाम नहीं ले रहा था क्यूंकि एक बार वो मेरी गाण्ड को माल से भर चुका था !
आखिरकार जैसे उसका काम तमाम होने लगा, उसने कंडोम उतारा और बोला- कहाँ डालूँ अपने रस को !
मेरी बीवी ने मुँह खोल दिया, उसने हाथ से दो तीन झटके दिए और पूरा पानी उसके मुँह में भर दिया।
“राजा, अगली बार यह पानी मेरे अंदर निकालना, वरना सासू माँ मुझमें दोष निकालने में समय नहीं लगाएगी, तेरे जैसे मर्द के बच्चे को जन्म देकर धन्य हो जाऊँगी !”
“तो ऐसा है क्या? फिर अगली बार बीज तेरी कोख में बो डालूँगा, तेरा हनीमून मैं कामयाब कर दूँगा !”
इधर विक्रम ने भी अपना माल निकाल दिया, मेरे ऊपर गिर हांफने लगा।
थोड़ी देर बाद हम उठ कर कुछ दूर का चक्कर काट कर मिलासा और गीता को ढूंढने का नाटक करते हुए आए, मेरी बीवी बहुत खिली खिली सी थी मानो उसकी प्यास पूरी तरह से बुझ गई हो !
हम खूब घूमे फिरे शाम को चारों घर लौटे, दारु पीने लगे। मैंने ज्यादा नहीं पी थी, जोर देने पर गीता ने भी बीयर में थोड़ी दारु मिला कर पी।
तभी एक काला सा भयंकर सा दिखने वाला एक मर्द वहाँ आया, उस वक़्त मेरी बीवी बाथरूम में फ्रेश होने गई थी, मैंने निक्कर सी पहनी थी वो मेरी गोरी टांगों को देखने लगा, पैग पीने लगा, उधर मेरी बीवी कयामत बनकर निकली, ब्रा-कम टॉप छोटा सा जालीदार नीचे छोटी सी निक्कर !
सभी उसको देखते रह गए, वो भी देखने लगा मेरी बीवी को देख साला अपनी जुबां को चाटने लगा था। सभी पी रहे थे, मेरी बीवी ने उनके जोर देने पर एक और पैग खींच लिया, दारु चढ़ने लगी थी, मुझे भी चढ़ने लगी थी, विक्रम उसके पास बैठा था उसने उसकी पीठ पर हाथ फेरना चालू किया, उसकी चूची को दबाया, मेरी बीवी को लगा कि शायद सामने मैं लुढ़क चुका लेकिन मैंने हल्की सी आँख खोल रखी थी।
“तेरा पति तो लुढ़क गया रानी !” मीलासा बोला।
विक्रम ने उसकी चूची को दबाते हुए कहा- हम दोनों होश में हैं इसके लिए !
मीलासा ने मुझे उठाया, बोला- चल कमरे में चल !
वो काला बंदा साथ ही कमरे में आ गया, उसने अपना बड़ा सा लंड हाथ में ले रखा था- आजा मेरी जान, बाहर तेरी बीवी नज़ारे लूटेगी, इधर तू नज़ारे लूट !
उसने मुझे नंगा कर दिया- वाह क्या माल है अपनी बीवी की तरह !
उसके लंड को मुँह में लेते हुए मैंने चुप्पे मारे।
“साले एक बात बता, तुझे फर्क नहीं पड़ता तेरी बीवी उनके साथ जवानी के खेल खेल रही है? तुझे बस यह लंड चाहिए !”
मैंने कहा- मुझे जरा देखने दो कि वो कितनी बेशर्म हो सकती है !
मैंने बाहर झांक कर देखा, पूरी नंगी, एक भी कपड़ा जिस्म पर नहीं था, गलीचे पर बैठी कभी एक लंड चूसती तो कभी दूसरे का, तभी विक्रम ने उसको अपनी जांघों पर बिठाया और चोदने लगा। उसके हिलते मम्मों को मीलासा चूस रहा था और कभी अपना लंड उसके मुँह में दे रहा था।
यह देख मैं गर्म होकर वहीं फर्श पर घोड़ी बन गया, वो काला बन्दा मेरी मन्शा समझ गया।
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