बचपन की फ्रेंड के साथ कामुक मस्ती- 1
(Friend Sex X Kahani)
फ्रेंड सेक्स X कहानी में मेरी पुरानी दोस्त लड़की शादी के बाद मेरे पड़ोस में ही रहने लगी. उसके पति से भी मेरी दोस्ती हो गयी. एक बार उसका पति बाहर गया तो उसने मुझे अपने घर बुलाया.
दोस्तो, मैं विकी.
मेरी कई कहानियाँ अन्तर्वासना पर प्रकाशित हो चुकी है.
मेरी पिछली कहानी थी: मेरी सास की कामवासना
अब एक बार फिर से हाज़िर हूँ अपनी और अपनी प्यारी दोस्त बबली के एक प्रेम तराने को लेकर.
वैसे तो आप सब बबली के बारे में
मेरी बबली लंड की पगली
से जानते ही होंगे.
मगर फिर भी जो नए पाठक हैं, मैं उनके लिए एक बार फिर से बबली का परिचय दे देता हूँ.
बबली और मैं बचपन से दोस्त हैं और जवानी आते आते हम दोनों को देख कर सबको यही लगता रहा कि हम दोनों का अफेयर है.
मगर हम दोनों ही जवानी में अपनी दोस्ती को सिर्फ़ दोस्ती तक बनाए रखे रहे.
बबली की शादी हो गई और मैं किसी और से विवाह करके सैट हो गया था.
फिर मैंने उन दोनों को यहीं हमारे मोहल्ले के पास में ही फ्लैट दिलवा दिया और एक बार फिर से हम दोनों की दोस्ती का नया आगाज़ हुआ.
यह फ्रेंड सेक्स X कहानी इसी लड़की की है.
उसके पति की टूरिंग जॉब है, तो वह महीने में बीस दिन टूर पर ही रहता था.
उसे हम दोनों की दोस्ती पर भी पूरा भरोसा था.
बस यही हम दोनों को बहकाने के लिए काफ़ी था … और एक दूसरे के करीब आने के लिए भी.
वैसे बबली बहुत सेक्सी दिखती थी.
मैंने उसे बचपन से जवान होते हुए देखा है और तभी से कहीं ना कहीं मैं मन ही मन उसे चाहता भी था, मगर किसी और नज़र में.
बबली भी कभी कभी बातों बातों में मुझसे फ्लर्ट करती रहती थी.
शादी के बाद बबली अब काफी भर गई थी. उसका पूरा जिस्म भरा-पूरा हो गया था.
उसकी ब्रा का साइज़ 36-डी हो गया था और वह 95 नंबर की पैंटी पहनती थी.
उसे फैशनेबल कपड़े पहनने का और मॉडर्न बन कर रहने का बहुत शौक था.
उसके पति भी उसे बहुत सपोर्ट करते थे तो वह धीरे धीरे खुल सी गई थी.
अब तो वह वोदका भी पीने लग गई थी.
उसके पति और मेरे साथ वह वोदका पीने को हमेशा तैयार रहती थी.
ऐसे ही एक बार मेरी बीवी मायके गई हुई थी और उसके पति को भी टूर पर जाना था.
तभी उसने मुझे शाम को फ़ोन करके बुलावा भेजा कि अब से हम दोनों, जब तक कि मेरे पति या तेरी बीवी वापस नहीं आ जाते … यही रहेंगे मेरे यहां … और तू मुझे योगा और थोड़ी एक्सरसाइज़ भी करवा देना ताकि जब मेरे पति लौट कर वापस आएं तो मैं उनके लिए कुछ स्लिम होकर उन्हें सरप्राइज़ कर दूँ!
मैंने भी हामी भर दी और तुरंत मैं अपना बैग बना कर उसके घर पहुंच गया.
उस वक़्त उसने एक लाल रंग की स्लिप पहनी थी और काले रंग का लोवर पहना हुआ था जो उसके शरीर से चिपका हुआ सा था.
अपनी स्लिप के अन्दर उसने ब्लैक ब्रा ही पहनी हुई थी और लोवर के अन्दर लाल रंग की लेस वाली पैंटी थी जो मुझे बाद में पता चली थी.
मैंने आते ही उसे हग किया और अपना बैग उसके सोफे पर फेंकता हुआ बोला- वाह … अब हमारी भी वैकेशन्स आई हैं.
उसने मेरी बात से इत्तफाक जाहिर करते हुए दरवाजा बंद कर दिया.
मैं ड्रॉइंग रूम में बैठ कर टीवी का रिमोट लेकर बैठ गया.
वह रसोई में कुछ काम करने चली गई.
वहीं से उसने मुझे आवाज़ लगाई- क्या बात है, लगता है मेरे पास आकर खुश नहीं हुए हैं जनाब? तभी तो आते से ही रिमोट लेकर बैठ गया है. मैं तो समझी थी कि आते आते तू वोदका वगैरह लेकर आएगा!
मैंने कहा- कल ही तो तेरे हब्बी को दौरे के लिए जाने से पहले 3 बोतल दिलवाई थीं, सब ले गया क्या?
वह बोली- मुझे नहीं पता!
फिर मैंने उसके बेडरूम में जाकर उसकी अलमारी खोली और उसमें बोतल देखने लगा क्योंकि मुझे पता था कि वह बोतलें कहां रखता था.
मुझे दो बोतलें मिल गईं … और मैं दोनों बोतलें लेकर उसके पास रसोई में आ गया.
मैंने उससे कहा- मुझे तो लगा था कि तू वोदका की बोतलें लेकर मेरे इंतजार में बैठी होगी मगर तू तो रसोई में काम करने लगी है. चल जल्दी से आ अब!
बबली बोली- हां, तू बस पैग लगा, मैं बस कुछ खाने का इंतजाम करके अभी दो मिनट में आती हूँ.
मैंने पूछा- कहां लगाई जाए महफ़िल?
वह बोली- ड्रॉइंग रूम में तो तू टीवी ही देखता रहेगा, बेडरूम में ही बिस्तर पर ही लगा ले.
मैंने कहा- ओके!
यह कह कर मैं उसके कमरे में जाकर बेड पर चढ़ गया और दो ग्लास लाकर मैंने उनमें पैग बनाए.
फिर फ्रिज में से आइस-क्यूब लाकर दो दो क्यूब्स दोनों पैग में डाल दिए.
बाकी की ट्रे को बाजू में विंडो पर रख दिया.
तभी वह आई और तौलिया से अपने पसीने को पौंछती हुई वॉशरूम में घुस गई.
जब वह वॉशरूम में गई तो मैंने भी अपने पैंट शर्ट उतार दिए और लोवर और एक स्लीवलेस टी-शर्ट पहन ली.
अब मैं वापस बेड पर चढ़ कर बैठ गया.
तभी मुझे उसके मूतने की आवाज़ आई; एक तेज़ धार ‘सअरर्ररर …’ से गूंजी और मेरा शैतानी दिमाग़ घूमा.
मुझे ध्यान आया कि वह जब वॉशरूम में गई तो उसने दरवाजा बंद तो किया था, मगर चिटकनी नहीं लगाई थी.
तभी वह वापस बाहर निकली तो मैंने देखा कि उसकी चूत के पास एक गीला धब्बा बना हुआ था.
उसे देखते से ही मैंने अपने आपसे कह दिया कि भाई आज नहीं, तो कभी नहीं!
मैंने उसके हाथ को खींचते हुए उसे बेड पर खींचा और कहा- जल्दी आओ मेरी जान, कितना टाइम वेस्ट कर रही है. आइस भी पिघल गई!
वह एकदम से मेरे पर गिरती हुई अपने आपको संभालने लगी.
तब तक उसकी बांहें मेरे कंधे के पास लिपट सी गईं और वह आधी से ज्यादा मुझ पर ही गिर गई.
तभी मुझे उसकी बगलों में से उसके पसीने की एक तीखी सी महक आई … और उस महक ने मेरा दिमाग़ खराब कर दिया.
मैं उसे आंख मारता हुआ बोला- क्या कर रही है? मैं तो बेड पर आकर बैठने को बोल रहा हूँ … और तू तो मेरे साथ सीधे लेट रही है!
वह बोली कि अब पंद्रह दिन रखूँगी तुझे अपने यहां, तो क्या इतने दिनों तक लेटूँगी नहीं क्या?
उसके यह कहते हुए ही मैंने उसके गाल पर एक किस कर दिया.
वह बोली- क्या कर रहा है … अकेलेपन का फायदा उठा रहा है क्या?
मैंने उससे कहा- अभी कहां फ़ायदा उठाया है … फ़ायदा उठाने को मौका मिलेगा तो उठाना ही पड़ेगा फ़ायदा!
तभी वह एकदम से मेरे करीब सरक गई और बोली- तुझे मैंने इस बार इतनी हिम्मत करके बुलाया है. बचपन से जिस जद्दोजहद में जीवन काटा है, बड़ी मुश्किल से उस जद्दोजहद से बाहर आई हूँ और तुझे हिम्मत करके यहां रहने के लिए बोला है … तो फ़ायदा तो अब मैं लूँगी तेरा … इन पंद्रह दिन तक!
यह कहते हुए वह एकदम से ऊपर सरक कर मेरे पैरों की दोनों तरफ अपने पैर करके मेरे सामने मेरे पैरों पर बैठ गयी.
फिर दोनों ग्लास को उठाते हुए उसने एक ग्लास मुझे दिया और चियर्स किया.
उसने कहा- चियर्स, हमारे जीवन के दूसरे दौर के लिए!
यह कहकर उसने एक सिप में ही पूरा पैग पी लिया और ग्लास बिस्तर पर साइड में ही पटक सा दिया.
फिर अचानक से उसने अपनी दोनों हथेलियों से मेरे चेहरे को पकड़ा और अपने होंठ मेरे होंठों के करीब लाती हुई बोली- मुझे पूरा विश्वास है कि अब जो मैं करने जा रही हूँ, वह सही इंसान के साथ है … और जो कर रही हूँ … वह भी सही ही करूँगी.
यह कहते हुए उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और मेरी गर्दन पर अपनी बांहें फैला कर मुझे अपने आपसे चिपका लिया.
हम दोनों पूरे जोर से एक दूसरे के होंठों को चूमने चूसने और काटने लगे.
हमारी जीभें एक दूसरे की जीभ से लड़ने लगीं.
उसने अपने दोनों पैर मेरी कमर के आस-पास से निकाल कर पीछे से मुझे कस सा लिया.
अब वह बोली- अब तू मिला है, तो तू वादा कर कि कभी मुझसे दूर नहीं होगा … और ना ही कभी अब मुझे छोड़ कर जाएगा!
मैंने अपने सर को हिला कर हां में जवाब दिया और अपने हाथ उसकी गर्दन में उसके बालों के नीचे से ले जाकर उसके चेहरे को अपने चेहरे से एकदम चिपका सा लिया.
काफ़ी देर एक दूसरे के मुँह को चूसने चूमने और काटने के बाद जब हम दोनों अलग हुए तो उसके बाल उसके चेहरे के दोनों और फैले हुए थे और उसकी आंखों में लाल डोरे आ गए थे.
उसकी नशीली आंखों से उसने मुझे कहीं अन्दर तक छू लिया था.
फिर उसने मेरा पैग उठाया और मुझे भी अपने हाथों से एक सिप में ही पिला दिया.
पूरा पैग पीकर मैंने उसकी कमर में अपने हाथ डाल कर उसे पकड़ लिया.
वह मेरे लंड पर बैठी बैठी अपनी चूत को उस पर धीरे धीरे घिस रही थी मेरी फ्रेंड x सेक्स का मजा ले रही थी.
हम दोनों ने काफ़ी देर तक अपने बचपने की, जवानी की, शादी की, घर परिवार की बातें साझा की और साथ साथ पैग भी पीते रहे.
यूं ही बीच बीच में एक दूसरे को किस करने लगते, कभी काट लेते, तो कभी वह मेरे लंड पर बैठ कर उस पर सवारी सी करने लगती.
तभी अचानक से पता नहीं उसे क्या शरारत सूझी कि वह उठ गई और रसोई से जाकर फिर से आइस क्यूब ले आई.
एक क्यूब उसने अपने मुँह में दबाया और मुझे स्मूच करने लग गई.
आआहह … इतना गर्म क्यूब मैंने कभी नहीं चूसा था … और तभी उसने अपने मुँह से क्यूब मेरी बनियान में गिरा दिया.
मैं अचानक से हड़बड़ा कर उठा और उससे कहा- रुक साली … अभी तुझे सबक सिखाता हूँ!
वह हंसने लगी.
मैंने दूसरा आइस क्यूब अपने होंठों में फँसाया और उसे पकड़ कर बिस्तर पर लेटा दिया. फिर आइस क्यूब को अपने होंठों में दबाए हुए ही मैं उसको माथे पर, दोनों गालों पर किस करता हुआ उसकी गर्दन तक लाया … तो वह तड़प उठी.
उसने झटके से अपना हाथ नीचे ले जाकर मेरे लोवर के ऊपर से ही मेरे लंड को पकड़ लिया और उसे सहलाने दबाने मसलने में लग गई.
साथ ही वह सिसकारियां लेने लगी.
तभी मैं आइस क्यूब धीरे धीरे करके उसके उरोजों की घाटी तक ले गया.
वहां की गर्मी पाकर क्यूब बहुत जल्दी जल्दी पिघल रहा था मगर उससे भी ज़्यादा जल्दी में बबली पिघल रही थी.
उसी क्षण उसकी चूत पिघल कर बहने लगी थी.
उसकी चूत इतनी ज्यादा पिघल गई कि लोवर के ऊपर से ही दाग पड़ने लगा था.
मैंने अपने होंठों को उसकी बगलों में लगा दिया और वहां उसे चूमने चाटने लगा.
वह कभी अपनी कमर उचका कर, तो कभी सिसकारियां लेकर अपने आपको संभालने की कोशिश कर रही थी या यूं कहें कि संभालने की कोशिश करती हुई तड़फ रही थी.
‘अया विकी … आअहह उम्म्म सस्सीई.’
उसकी कामुक आवाजें कमरे में गूंजने लगी थीं.
यहां मेरे लंड ने भी अपने भीमकाए आकार में आने की शुरुआत कर दी थी, जिसे वह मसल मसल कर बड़ा … और कड़क कर रही थी.
कभी कभी वह मेरे लंड को लोवर के ऊपर से ही अपनी गीली मुनिया को रगड़ कर अपनी उत्तेजना दिखा रही थी.
तभी उसने एक करवट ली और पेट के बल लेट गई.
अब मैं उसकी गांड पर चढ़ कर बैठा हुआ था और उसकी स्लिप के ऊपर से ही उसकी पीठ को सहला रहा था.
उसके बालों को हटा कर मैंने जब उसकी गर्दन पर किस किया तो वह अपनी गांड को भींचती हुई कराहने लगी- आआ अह उम्म्म् ऊऊ ओह जानू आआओ नाअ आआह!
वह अपनी चूत को बिस्तर पर रगड़ती हुई कुछ भी बड़बड़ाने लगी थी.
अब मैंने अपने हाथों से उसकी पीठ को सहलाना चालू किया और उसकी स्लिप के बगल से होते हुए अपने हाथ उसके मम्मों पर रख कर उन्हें मसलने लगा.
पीछे से ही अपने लंड को उसकी गांड पर दबाने लगा और अपनी जीभ से उसकी बगलों को सहलाने चूमने चाटने में लग गया.
वह तो जैसे सातवें आसमान पर थी.
फिर मैंने अपने हाथ वहां से निकाल कर उसे उठाया और अपने सामने बिठा लिया.
अब हम दोनों ने अपनी अपनी टांगें क्रॉस करके एक दूसरे की कमर में लिपटा दीं और एक दूसरे के सामने मुँह करके बैठ गए.
मैं उसके चेहरे पर अपने एक हाथ की उंगली फिरा रहा था और दूसरे हाथ को उसके क्लीवेज पर सहलाना शुरू कर दिया.
साथ ही उसके होंठों को अपने होंठों में दबा कर उन्हें चूमने लगा.
उधर नीचे से वह अपनी चूत मेरे लंड पर दबा कर X सेक्स का मजा ले रही थी.
मैंने अपने दोनों हाथ उसकी कमर में डाल कर उसे अपने से और ज्यादा सटा लिया और अपने होंठों से उसकी स्लिप के और ब्रा के ऊपर से ही उसके बूब्स को चूसने चाटने लगा.
फिर मैंने धीरे से अपने दोनों हाथ से उसकी स्लिप साइड करके जब उसकी नंगी कमर पर अपने हाथ रखे और उसे सहलाना शुरू किया.
तो वह अचानक से धनुष की तरह पीछे की तरफ़ मुड़ गई और उसकी चूत मेरे लंड से और जोर से अपने आप आकर चिपक गई.
वह मानो कह रही हो कि डाल दो लोवर के ऊपर से ही मेरी चूत में अपने लंड को.
मैं अपने हाथ उसकी पीठ पर फेरने लगा, तो मेरे हाथ उसकी ब्रा की स्ट्रिप पर आ लगे.
तभी वह सीधी हुई, तो मैंने उसकी स्लिप की एक डोरी को नीचे कर दिया और तत्काल फिर से अपनी नाक को उसकी एक बगल में घुसा कर मैंने उधर की महक को आत्मसात करना आरंभ कर दिया.
जब उसके पसीने और डिओ की महक को सूँघा तो मुझसे रहा न गया और मैं उसकी बगल को चाटने लगा.
‘सस्स्सी … ईईईई आह … स्स्शह क्या कर रहे हो डार्लिंग … यार कहीं भी घुस जाते हो!’
मैंने कहा- अभी तो में घुसा ही नहीं हूँ जान … अभी तो मैंने घुसने के तैयारी ही शुरू की है!
यह कहते हुए मैंने उसकी स्लिप की दूसरी डोरी को भी नीचे गिरा दिया और उसकी स्लिप उसके बूब्स से नीचे आकर उसकी कमर पर लटक गई.
उसने अन्दर ब्लैक ब्रा पहनी थी. मैंने उसके बूब्स को उसकी ब्रा के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया.
तो वह फिर से नीचे से अपनी चूत मेरे लंड पर दबाने में लग गई.
वह अपनी गांड को आगे पीछे करने लगी थी.
तो मैंने भी उसकी कमर में हाथ डाला और उसे अपने लंड से और ज्यादा दबा लिया.
फिर उसकी गर्दन, क्लीवेज को चूमते हुए उसे लेटा दिया.
वह ऐसे ही मेरी कमर में पैर लपेटे हुए ही लेट गई और अपने दोनों हाथों से उसने तकिये के कोनों को पकड़ लिया.
वह खुद को मुझसे दबवाने लगी और गर्दन पटकने लगी.
मैं उसे चूमते हुए आगे बढ़ा और उसके मम्मों को ब्रा के ऊपर से ही चूमने लगा, मसलने लगा.
उसने खुद अपनी ब्रा के कप को साइड में सरका दिया और अपना एक निप्पल मेरे मुँह में देने लगी.
मैंने देखा उसके निपल्स एकदम मोटे और कड़क हो रहे थे और मुझे बुला रहे थे कि आओ और हमें कच्चा चबा जाओ.
मैंने उसके अरोला के साइड से अपनी जुबान फेरनी शुरू कर दी, तो वह और तड़प उठी- आ आहह जानू आओ ना … क्यों तड़पा रहे हो … काटो ना इनको!
यह कहते हुए उसने अपने एक हाथ को पीछे ले जाकर अपनी ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा को निकाल कर मेरे मुँह पर फेंक दिया.
आह … उसके दूध देख कर लंड की सख्ती बढ़ गई.
दोस्तो, जब तक आप अपना हिलाएं, तब तक मैं इसके आगे की सेक्स कहानी को लिख कर भेजता हूँ.
इस फ्रेंड सेक्स X कहानी पर आप सभी के कमेंट्स मुझे प्रोत्साहित करेंगे.
धन्यवाद.
विकी
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फ्रेंड सेक्स X कहानी का अगला भाग: बचपन की फ्रेंड के साथ कामुक मस्ती- 2
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