मेरे दोस्त ने अपनी माँ की चुदाई देखी
(Free Xxx Kahani)
फ्री Xxx कहानी में पढ़ें कि एक बार मेरा दोस्त उदास सा मेरे पास आया और मेरा लंड पकड़ लिया. मैं हैरान था क्योंकि हम कभी गे सेक्स में नहीं थे. उसने मुझे क्या बताया?
लेखक की पिछली कहानी: पड़ोसन आंटी की रात भर चुत चुदाई की
हैलो प्यारे पाठको, कैसे हो आप सब लोग?
आज मैं आपको अपने दोस्त की आपबीती सुनाने जा रहा हूं। जो उसके साथ हुआ उसकी कल्पना तो कोई कर भी नहीं सकता है।
यह फ्री Xxx कहानी पढ़ कर सब जानें.
मेरे दोस्त का नाम शिशिर है। शिशिर मेरे मकान के सामने किराये के मकान में रहता था। शिशिर और मेरी दोस्ती काफी दिनों से थी।
वो मुझसे उम्र में दो-तीन साल छोटा था लेकिन देखने में बड़ा स्मार्ट और आकर्षक था।
हम दोनों के आमने-सामने मकान होने के कारण हम दोनों बेस्ट फ्रेंड बन गये थे; अपना हर सुख-दुख साझा करते थे।
शिशिर अक्सर मेरे घर पर आता रहता था। हम दोनों के घरवाले जानते थे कि हम दोनों पक्के दोस्त हैं।
एक दिन शिशिर रात में 10:00 बजे मेरे घर पर आया और मेरे रूम में आ गया।
शिशिर उस दिन बहुत उदास लग रहा था। वो आकर मेरे पास पलंग पर बैठ गया।
मैंने उससे पूछा- क्या बात है … आज बहुत परेशान दिख रहे हो?
तो वो कहने लगा- आज मैं बहुत परेशान हूं, दिल करता है कि आत्महत्या कर लूं।
उसे मैंने हैरान होकर पूछा- क्यों यार … ऐसा क्या हो गया कि तू इतना परेशान है?
वह कुछ ना बोला। सिर झुकाए नीचे देखता रहा।
मैंने उससे फिर पूछा तो वह आंखों में आंसू लिए कहने लगा- आज मैं बहुत परेशान हूं।
मैंने कहा- क्या बात है … कुछ बताएगा तभी तो मुझे कुछ समझ में आएगा!
इससे पहले कि वह मुझे कुछ बताता उसने मेरे लोवर पर हाथ रख कर मेरा लंड पकड़ लिया और दबाने लगा।
उसकी इस हरकत से मैं अचरज में पड़ गया।
शिशिर कहने लगा- आज मैं जो भी करूं, तुम मुझे मना मत करना।
हालांकि शिशिर के साथ मेरे गे सेक्स संबंध नहीं थे।
कभी-कभी हम दोनों एक दूसरे को छेड़ते थे और एक दूसरों के लण्ड को दबा देते थे।
यारी दोस्ती में जैसे कि आमतौर पर लड़कों के बीच में होता है, वही हम दोनों के बीच भी था।
उस दिन मैं समझ गया कि इसका मूड बहुत खराब है और यह सेक्स में ध्यान लगाकर अपना मूड ठीक करना चाहता है।
इसलिए मैंने उसको मना नहीं किया और मैंने अपने आपको उसके सामने ढीला छोड़ दिया ताकि उसको जो करने का मन है वो कर सके।
शिशिर मेरा लोवर खींचने लगा तो मैं उठकर ऊपर हो गया और नीचे से उसने मेरी लोअर खींच दी।
अब तक मेरे लंड में हल्का तनाव आने लगा था।
भले ही मैं गे सेक्स संबंध में नहीं था लेकिन मर्द के लंड को अगर कोई छेड़े तो उसमें तनाव आना बहुत सामान्य बात है, चाहे फिर वह किसी लड़के का हाथ हो या फिर लड़की का!
मैं अंडरवियर में रह गया।
फिर उसने मेरी अंडरवियर की इलास्टिक को हटाकर मेरे लंड को बाहर निकाल लिया।
वो उसे सहलाने लगा।
थोड़ी देर तक वो मेरा लंड ऐसे ही पकड़े रहा, उसको दबाकर और छेड़कर हिलाता रहा।
मेरे लंड में पूरा तनाव आ चुका था, लंड का टोपा एकदम फूल गया था।
उसके बाद उसने मेरे लंड चूसना शुरू कर दिया। लंड को उसके मुंह की गर्मी मिली तो मुझे भी मजा सा आने लगा।
हालांकि मुझे हल्की हल्की गुदगुदी भी हो रही थी लेकिन वो मजे के सामने न के बराबर ही थी।
मुझे अच्छा लगने लगा। पहली बार कोई लड़का मेरे लंड को चूस रहा था।
अभी तक मुझे लगता था कि सेक्स में लड़के को किसी लड़की के साथ ही मजा आ सकता है।
मगर शिशिर जिस तरह से मेरा लंड चूस रहा था, मैं तो स्वर्ग सा आनंद महसूस करने लगा था।
उसकी गर्म गर्म जीभ मेरे टोपे पर चल रही थी तो मेरी आह … स्स … करके हल्की सिसकारी निकल जाती थी।
लंड चुसाई की उसकी इस हरकत से मैं भी उत्तेजित हो गया।
मैंने उसके सिर को पकड़ लिया और अपने लंड पर दबाने लगा।
वो भी मेरा विरोध नहीं कर रहा था।
मैंने लंड पर उसके मुंह को पूरा घुसा दिया और मेरा लंड उसके गले में लगता हुआ मुझे महसूस हुआ।
उसको खांसी आने लगी तो मैंने उसे छोड़ दिया।
उसने मुंह से लंड निकाला और खांसकर खुद को शांत किया।
मेरे लंड का टोपा अब गुलाबी से लाल हो गया था। उसकी लार में मेरा पूरा लंड सन गया था।
पता नहीं क्यों मेरे अंदर इतनी उत्तेजना आ गयी थी।
मैं अब और आगे बढ़ना चाहता था।
मैंने उसको खड़ा किया और जल्दी से उसके कपड़े उतार डाले।
मैंने उसको पूरा नंगा कर दिया।
फिर मैं खुद भी नंगा हो गया।
अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे। हमारे बदन पर एक भी धागा नहीं था।
उस रात मैंने पहली बार शिशिर को नंगा देखा। उसकी गांड बहुत मस्त लग रही थी।
उसके शरीर पर ज्यादा बाल नहीं थे। उसने अपने लण्ड के बाल भी बना रखे थे मेरी तरह।
उसका बदन गोरा और चिकना था काफी!
मैं उत्तेजित था और मैंने उसको कह दिया- यार तू बड़ा मस्त लग रहा है आज! एक बार अपनी (गांड) दे दे ना यार … मेरा बहुत मन कर रहा है चोदने का!
वो बोला- मैं तुझे आज मना नहीं करूंगा किसी चीज के लिए भी … तुझे मेरे साथ जो करना है कर ले।
मैं सोच में पड़ गया।
उसने एक बार ही में मेरी बात मान ली।
मुझे बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि वो गांड देने के लिए भी तैयार हो जाएगा।
मगर उसकी बात सुनकर मैं खुश हो गया।
मैंने शिशिर को घोड़ी बना दिया और उसकी गांड में तेल लगाकर अपना लंड उसकी गांड के छेद पर टिका दिया।
मैंने कभी किसी लड़के की गांड चुदाई नहीं की थी।
मगर उस वक्त मैं ये सब नहीं सोच रहा था। मेरे लंड को बस एक छेद चाहिए था जिसको चोदकर वो शांत हो सके।
शिशिर की गांड का छेद मेरे लंड के लिए बस उसकी प्यास बुझाने का एक जरिया था।
वैसे भी उसकी गांड बड़ी ही चिकनी और मस्त लग रही थी। मन ही मन मैं उसकी गांड चोदने के लिए लालायित सा हो चुका था।
मैंने लंड को उसकी गांड के छेद पर टिका दिया और उसके चूतड़ों को पकड़ कर जोर से एक ही झटके में लंड को अंदर डाल दिया।
मेरा लंड एक ही झटके में से शिशिर की गांड में चला गया।
शिशिर की गांड ज्यादा टाइट नहीं थी।
इस बात पर मुझे काफी हैरानी हुई क्योंकि आज तक हमारे बीच में ऐसी कोई बात नहीं हुई थी। न उसने मुझे बताया कि वो गांड चुदवाता है कि नहीं।
मैंने पूछा- यार तूने पहले भी गांड मरवाई हुई है क्या?
तो वह कहने लगा- मेरी गांड तो रोज ही मारी जाती है।
मैंने कहा- कौन है वह जो तेरी गांड रोज लेता है?
वो बोला- मेरा बाप!
उसकी बात सुनकर मुझे मेरे कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ। भला एक बाप अपने ही बेटे की गांड क्यों मारेगा?
फिर मैंने मजा खराब नहीं किया और धीरे धीरे उसको चोदना शुरू कर दिया।
मुझे उसकी गांड मारने में मजा आ रहा था।
वो भी आह्ह-आह्ह करके चुदवा रहा था।
शायद उसको गांड मरवाने में मजा आ रहा था।
या यूं कहें कि उसको गांड मरवाने की आदत हो गयी थी इसलिए अब उसको गांड चुदवाने में मजा भी आने लगा था।
धीरे धीरे मेरी स्पीड बढ़ने लगी।
मेरे लंड के धक्के उसकी गांड में तेज हो गये।
चुदते हुए वो भी पूरा गर्म हो गया।
उसने पीछे हाथ लाकर मेरी गांड को पकड़ लिया और खुद ही अपने हाथों से मेरे चूतड़ों को धेकलते हुए अपनी गांड में लंड घुसवाने लगा।
मैं उसकी प्यास को समझ गया।
मैंने उसकी गांड को कस कर पकड़ा और दे धमाधम उसकी गांड को चोदने लगा।
पट-पट की आवाज से माहौल और गर्म हो गया।
मैं भी अब ज्यादा जोश में आ गया था।
अब आराम से पचापच उसकी गांड में मेरा लंड जा रहा था।
मैंने 15 मिनट तक उसकी गांड चोदी और फिर मेरा माल एकाएक उसकी गांड में गिरने लगा।
मैं उसके ऊपर ढेर हो गया और बूंद बूंद खाली होने तक उसकी कमर को पकड़े उस पर चढ़ा रहा।
बहुत मजा आ गया। ऐसा लग रहा था जैसे जन्नत की सैर से लौटा हूं।
जब हम दोनों की वासना की आग ठंडी हो गई तो मैंने उससे पूछा- पूरा मामला क्या है?
तो वह कहने लगा- मुझे पता नहीं है कि मेरा बाप कौन है और मैं किसके लंड से निकला हूं।
मैंने कहा- यह क्या बात हुई यार … तू अपने ही बाप के लंड से ही तो निकला होगा?
तो वह कहने लगा- एक दिन मैं और मम्मी घर पर अकेले थे। तभी मेरे घर पर मेरे अंकल हरप्रीत आ गए।
दोस्तो, शिशिर के अंकल हरप्रीत को मैं भी जानता था। अक्सर वो शिशिर के घर पर आते रहते थे। इसलिए मैं भी उनको अच्छी तरह से जानता था।
मैंने कहा- तो इसमें गलत क्या है … हरप्रीत अंकल तो अक्सर तेरे घर आते रहते हैं।
वो विस्तार से बताने लगा:
यही तो समस्या है। हरप्रीत अंकल उस दिन पूरे दिन हमारे घर पर ही रहे। रात में भी वो हमारे घर पर ही रुके।
खाना खाकर मैं अपने कमरे में जाने लगा.
हरप्रीत मेरी मां के साथ उनके कमरे में चले गए।
मां बोली- आधे घंटे में चले जाएंगे ये!
मैं अपने रूम में जाकर लेट गया आराम से!
थका होने के कारण मुझे तो नींद आ गई।
मैं गहरी नींद में सो गया।
रात में 12:00 बजे करीब मेरी नींद खुली तो मैंने देखा मॉम के रूम से अभी भी बातें करने की आवाज आ रही थी।
मैं उठकर मम्मी के कमरे में गया तो देखा मम्मी और अंकल एकदम नंगे लेटे थे।
यह देखकर मैं दंग रह गया।
मुझे अपनी आंखों पर भरोसा ही नहीं हो रहा था। मैं सोच रहा था कि मैं कोई सपना देख रहा हूं लेकिन यह हकीकत थी।
मैं छुपकर सब देखने लगा। अंकल ने मम्मी के होठों पर अपने होंठ रख दिए और किस करने लगे। उन्होंने मम्मी की चूत में अपनी उंगली डाल दी और चूत में उंगली करने लगे।
मम्मी ने अंकल का मोटा और करीब साढे़ 7 इंच लंबा लंड पकड़ लिया था।
वो उसके लंड को हिलाने और सहलाने लगी।
मम्मी की चूत और हरप्रीत अंकल के लंड पर एक भी बाल नहीं था।
अंकल ने मम्मी की चूत में उंगली करना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर बाद मम्मी के मुंह से आह … आह्ह … की आवाज निकलने लगी।
अंकल ने अपना लंड मम्मी के मुंह में दे दिया।
अब मम्मी बड़े प्रेम से उनके लंड को चूसने लगी।
यह सब देख कर मेरा लंड भी खड़ा हो गया।
मैं चड्डी के ऊपर से ही अपने लंड को मसलने लगा।
मैंने मम्मी को पहली बार पापा के अलावा किसी गैर मर्द के साथ सेक्स करते हुए देखा था।
पापा-मम्मी की चुदाई को तो कई बार मैं देख चुका था लेकिन इस बार मम्मी पापा के दोस्त से चुदाई करवा रही थी।
हरप्रीत अंकल ने मम्मी को पीठ के बल पलंग पर लेटा दिया और उनकी दोनों टांगें फैलाकर चूत चाटने लगे।
10 मिनट तक चूत चाटने के बाद अंकल ने अपना लंड मम्मी की चूत में थूक लगाकर डाल दिया और झटके देने शुरू कर दिए।
वो अपने दोनों हाथों से मम्मी के दूध दबाने लगे। वो मॉम की चूचियों को पीते हुए उनको चोदने लगे।
मैं ये सब देखकर बहुत ज्यादा गर्म हो गया और मैंने वहीं पर मुठ मारना शुरू कर दिया।
उनकी स्पीड बढ़ने लगी और मेरे लंड पर मेरे हाथ की स्पीड भी बढ़ने लगी।
मैंने कुछ देर बाद अपना माल वहीं निकाल दिया।
इतने में ही अंकल ने भी जोर जोर से मॉम की चुदाई शुरू कर दी।
वो दोनों अपने चरम पर आ चुके थे क्योंकि उसके कुछ देर बाद ही अंकल की स्पीड एकदम से रुक गयी और वो मम्मी के ऊपर ही लेट गए।
उनका माल मम्मी की चूत में ही निकल गया था।
फिर वो दोनों नंगे ही एक दूसरे के साथ चिपक कर लेटे रहे।
उसके बाद अंकल ने मम्मी की गांड चुदाई भी की।
यह सब देख कर मैंने भी फिर से मुट्ठ मार दी।
सुबह जब मैं सोकर उठा तो मुझे मम्मी पर बड़ा गुस्सा आया था कि यह सब करते हुए उन्हें शर्म भी नहीं आई।
मैंने मम्मी से तो कुछ नहीं कहा लेकिन सोच रखा था कि पापा को यह सब जरूर बताऊंगा।
उस रात के बाद अंकल रात को मेरे ही घर पर रुकने लगे लेकिन मैं कुछ नहीं कर सका।
अंकल रोज मम्मी की रात भर चुदाई करते थे और उन्हीं के साथ नंगे पड़े रहते थे।
मैं रोज उनकी लाइव चुदाई देखते हुए मुट्ठ मारता रहता था।
एक हफ्ते बाद जब मेरे पापा घर पर वापस लौटे तो रात में मैंने उन्हें अंकल के बारे में सब कुछ बता दिया।
यह सुनकर वो जरा भी परेशान नहीं हुए तो मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ।
मैंने पापा से पूछा तो उन्होंने कहा- मुझे कोई हैरानी नहीं है। यह सब तो बरसों से चल रहा है। तुझे यह आज पता चला है।
मैंने कहा- तो फिर आप कुछ करते क्यों नहीं?
तो वह बोले- अभी मैं बहुत थका हूं। फिर कभी किसी दिन तुम्हें पूरी बात बताऊंगा। तुम मेरे साथ ही सो जाओ।
फिर मैं पापा के पास ही लेट गया और सो गया।
रात में नींद में ही मुझे मेरे लंड पर कुछ हरकत होती हुई महसूस हुई तो मेरी नींद खुल गई। मैंने जब देखा तो पापा का हाथ मेरी चड्डी के अंदर मेरे लंड पर था।
मैंने कुछ नहीं कहा और ऐसे ही लेटा रहा। मैं देखना चाहता था कि पापा मेरे साथ क्या करना चाहते हैं।
फिर उन्होंने मेरी चड्डी उतार दी और मुझे नंगा कर दिया।
अब भी मैं आंख बंद करके लेटा हुआ था। पापा ने अपनी चड्डी उतार दी और मेरी बनियान उतार कर मुझे बिल्कुल नंगा कर दिया।
मुझे बड़ी शर्म आ रही थी लेकिन मैं चुपचाप लेटा रहा।
पापा ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रखवा दिया और कहने लगे- मैं जानता हूं कि तू जाग रहा है, चल मेरा लंड दबा!
मैंने कहा- पापा … पर … ये!
वो कहने लगे- जो मैं कहता हूं करता जा … ज्यादा सवाल मत पूछ।
मैंने पापा का लण्ड दबाना शुरू कर दिया।
फिर उन्होंने अपना लंड मेरे मुंह में डाल दिया।
मैं पापा का लण्ड चूसने लगा।
पहले तो मुझे उल्टी आ रही थी लेकिन बाद में मुझे यह अच्छा लगने लगा।
उसके बाद पापा ने मुझे पेट के बल लिटा दिया और मेरी गांड में तेल लगाने लगे। मैं समझ गया कि आज मेरी गांड मारेंगे पापा।
उन्होंने मेरी गांड पर लंड को लगाया और फिर लंड को अंदर धकेलते चले गये।
जब लंड मेरी कुंवारी गांड को चीरकर खोलता हुआ अंदर जाने लगा तो मैं दर्द में बिलख पड़ा।
पापा ने मेरे मुंह पर हाथ रखा और लंड को धकेलते हुए मुझसे लिपटते चले गए।
उन्होंने धक्के दे देकर मेरी गांड में पूरा लंड घुसा दिया।
पापा का लंड बहुत मोटा और लंबा था।
दर्द से मेरा बुरा हाल हो गया था। मुझे सुध नहीं थी कि मेरे साथ क्या हो रहा है।
फिर वो कुछ देर रुके रहे और फिर धीरे धीरे मेरी गांड में लंड को धकेलते हुए अंदर बाहर करने की कोशिश करने लगे।
लंड मेरी गांड में बुरी तरह से रगड़ रहा था।
फिर धीरे धीरे लंड अंदर बाहर होने लगा और मेरी गांड फैलने लगी।
उन्होंने अब धीरे धीरे धक्कों की स्पीड तेज कर दी।
मेरी गांड चुदाई शुरू हो गई।
धीरे धीरे मेरा दर्द हल्का पड़ने लगा और मैं आराम से लेटा हुआ चुदवाने लगा क्योंकि दूसरा रास्ता मेरे पास था भी नहीं।
20 मिनट तक उन्होंने मेरी गांड चोद चोदकर उसकी सील खोल डाली और मेरी गांड में झड़ गए।
पापा की इस हरकत के बाद मुझे उनसे घिन आ रही थी; उनसे मुझे नफरत होने लगी थी।
मैंने उनकी तरफ गुस्से से देखा और कहने लगा- आपको शर्म नहीं आती है अपने बेटे की गांड मारते हुए?
तो वह कहने लगे- तू मेरा बेटा नहीं है, यह तो तेरी मम्मी ही बता सकती है कि तू किसके लंड से निकला है। जहां तक मुझे पता है … तू मेरे लंड से नहीं निकला। इसलिए तेरी गांड मारने में मुझे कोई शर्म और संकोच नहीं है। तेरी मां अपने यार से चुदाई करवा रही है और मैं अब रोज तेरी गांड चुदाई करूंगा। आज से तुम मेरे पास ही सोएगा।
उस दिन के बाद से ही पापा रोज मेरी गांड चुदाई करने लगे।
रोज-रोज गांड मरवाने से मेरी गांड का छेद बड़ा हो गया इसलिए मुझे गांड में लंड लेने में कोई परेशानी नहीं होती है।
दोस्तो, शिशिर की बात सुनकर मैं हैरान रह गया था।
मगर साथ ही खुशी भी थी कि उसने अपने मन की बात मुझसे शेयर की।
अब हम दोनों की दोस्ती और भी गहरी हो गयी थी।
आपको मेरे दोस्त की फ्री Xxx कहानी कैसी लगी मुझे जरूर लिखना।
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