काम की चाह-2

(Kaam Ki Chah- Part 2)

This story is part of a series:

दूसरे दिन मेरे पति की कॉल आई तो मैंने पूछा- कब आ रहे हो?
उन्होंने कहा- अभी तो 15 दिन लगेंगे।

मैंने ऐसा सवाल पहली बार किया था इसलिए उन्होंने पूछा- क्यों क्या हुआ?

तो मैं बोली- कल ब्लू फिल्म देखते हुए काफ़ी जोश आ गया है, इसलिए तुम्हारी याद आ रही है, अगर तुम नहीं आओगे तो मैं किसी और से चुदवा लूँगी!

उन्होंने हंसते हुए कहा- चूत तुम्हारी है, तुम्हारी मर्ज़ी!
मैंने कहा- आनन्द से चुदवा लूँ तो?

इस पर उन्होंने कहा- बेचारा इतना सीधा है! वो चोदने की बात दूर, तुमको हाथ लगाने से भी डरेगा।
मैंने कहा- देखो मज़ाक मत समझना, मैं सीरियस हूँ!

इस पर उन्होंने कहा- देखो जान, जब मैं टूर पर होता हूँ तो मैं भी चोदने का कोई मौका नहीं खोता, जब मैं अपने लंड की प्यास बाहर बुझा सकता हूँ तो तुमको मैं कैसे मना कर सकता हूँ।
इनका यह जवाब सुन कर मैंने कहा- मैं तो मज़ाक कर रही थी।

वो बोले- अगर तुम सीरियस भी होती तो भी मैं क्या कर लेता, अगर कोई चुप कर चुदाने पर आ जाए तो दुनिया की कोई ताक़त उस को रोक नहीं सकती, कम से कम तुम इतना बोल तो रही थी, यही क्या कम है?

उसके बाद उन्होंने बच्चों के बारे में पूछा और फोन काट दिया। अब मैं फिर आनन्द के बारे मैं सोचने लगी कि रात में जाऊँ या नहीं! पति भी मेरी बात को मज़ाक समझ रहे होंगे लेकिन उनको क्या मालूम कि जिस दोस्त को वो सीधा कह रहे हैं, वो मुझको नंगी देखना चाहता है, वो मुझको अपनी जान बनाना चाहता है।

इतना होने के बावजूद मैं दूसरे दिन आनन्द को कॉल करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई और उन्होंने भी मुझे कॉल नहीं किया और ना घर पर आए।

इसी बीच मेरे गाँव से मुझे कॉल आई कि रिश्तेदारी में शादी है, तुम आ जाओ।

मैंने अपने पति से पूछा तो बोले- मैं नहीं आ सकूँगा, मैं आनन्द से कहता हूँ कि तुमको गाँव छोड़ आए!

आनन्द को मेरे गाँव में सब लोग जानते थे क्योंकि वो मेरे पति के साथ कई मर्तबा आ चुके थे। दूसरे दिन उन्होंने टिकट निकाली और हम गाँव के लिए रवाना हो गये। पूरे सफ़र में उन्होंने कार वाली बात का कोई ज़िक्र नहीं किया और ना ही मैंने कुछ कहा।

हम लोग गाँव पहुँचे, वहाँ पर हम लोगों के घर बहुत बड़े बड़े हैं, आनन्द को पुराने वाले घर में ठहरा दिया गया जो हमारे नये घर के सामने था, वो मुझे गाँव मैं छोड़ने के बाद वापस जाना चाहते थे लेकिन घर वालों ने कहा- हफ़्ता पंद्रह दिन रुक जाओ तो आनन्द इंकार ना कर सके।

गाँव में शादी की दावत 10-12 दिन पहले से ही दे दी जाती है इस लिए घर के सब लोग वहीं चले गये थे, मैं दिन में वहाँ जाती और क्योंकि घर में कोई नहीं था तो रात मैं वापस आ जाती। आनन्द भी सामने वाले घर मैं रहते थे, मैं चाहती थी कि वो मुझे खुद कहें क्योंकि मैं कैसे कह सकती थी कि मुझे तुमसे चुदवाना है।

2-3 दिन होने क बाद मैं रात को केबल पर फिल्म देख रही थी, चैनेल अदल बदल करते देखा कि एक चैनेल पर ब्लू फिल्म लगी हुई थी, उसमें दो आदमी एक लड़की को जंगल में चोद रहे थे।

मैं फिल्म देखते देखते एकदम गर्म हो गई, मैंने अपनी ड्रेस बदली, गुलाबी रंग की नाईटी जो कि काफ़ी पारभासक थी, पहन ली। अंदर काले रंग की ब्रा और पेंटी पहनी जिससे मेरा बदन का हर एक भाग साफ नज़र आ रहा था, मेरी भरी भरी जांघों के बीच काली पेंटी ग़ज़ब ढा रही थी।

मैं सामने वाले घर, जिसमें आनन्द ठहरे हुए थे, गई, उनके कमरे पर जाकर दरवाजा खटखटाया, वैसे दरवाज़ा खुला हुआ था। वो अंदर सिर्फ़ अंडरवीयर में लेटे थे, मुझे अचानक देख कर जल्दी से अपनी कमर पर चादर लपेट ली और पूछा- कैसे आना हुआ?

मैंने कहा- तुम को किसी चीज़ की ज़रूरत तो नहीँ?

वो सिर से पाँव तक मुझे देख रहे थे, मेरे बदन में चींटियाँ रेंगती महसूस हुई। उन्होंने कहा- जिस चीज़ की ज़रूरत है वो मैंने तुमको बता दिया है।

मैंने कोई जवाब नहीं दिया, चुपचाप सोफे पर जाकर बैठ गई। आनन्द अपनी चादर छोड़ सिर्फ़ अंडरवीयर में मेरी बगल में आकर बैठ गये। उनके अंडरवीयर में खड़ा लंड देख कर मेरी चूत में पानी आने लगा था।

आनन्द ने मेरे गले में अपना हाथ डाल दिया और पूछा- अगर तुम्हारा जवाब हाँ में है तो मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दो।

मैंने शरमाते हुए अपना हाथ उनके हाथ पर रख दिया।
आनन्द ने कहा- सन्नी को तो नहीं बोलोगी?

मैंने अपनी गरदन ना में हिला दी, कुछ बोल नहीं पा रही थी मैं! अजीब बात थी कि मैं एक पराए आदमी को अपना सब कुछ सौंपना चाहती थी, वो भी पति को ना मालूम हो।

आनन्द ने मुझ से कहा- अगर तुम खामोश रहोगी और यूँ ही शरमाओगी तो मज़ा नहीं आएगा, तुम अपने मुँह से बोलो कि तुम मुझसे चुदवाना चाहती हो। अगर तुम नहीं बोलोगी तो मैं तुमको हाथ नहीं लगाऊँगा।

मैंने उनकी तरफ देखा, उनकी आँखें एक शराबी की तरह जोश में लाल हो गई थी। मैंने सिर झुका कर आहिस्ता से कहा- आनन्द, मैं तुमसे चुदवाना चाहती हूँ।

इतना सुनते ही उन्होंने मुझे अपने सामने खड़ा किया और अपनी बाहों में मुझे ले लिया। मैं उनके सीने तक आ रही थी जैसे कोई छोटी बच्ची हो!

आनन्द के सीने की गर्मी मैं अपने गालों पर महसूस कर रही थी, उन्होंने मेरी नाईटी आहिस्ता से उतार दी, मैं सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में उन के सामने खड़ी थी। मेरा एकदम चिकना बदन देख कर वो बोले- क्या हुस्न है!

मेरे बदन पर कहीं भी बाल नहीं हैं तो उन्होंने कहा- चूत पर भी बाल नहीं हैं क्या?
तो मैं शरमा गई।
वो बोले- क्या तुम और सन्नी चुदाई के समय बात नहीं करते?

मैंने हाँ मैं सिर हिला दिया तो वो बोले- तो मुझसे क्यों शरमाती हो? बात का जवाब बात से दिया करो क्योंकि मैं आज तुमको अपनी ज़िंदगी बनाने जा रहा हूँ।

उनके मुँह से ज़िंदगी के शब्द ने मुझमें और भी जोश भर दिया, उन्होंने आगे बढ़ कर मेरी पीठ पीछे हाथ ले जाकर मेरी ब्रा का हुक खोला और सामने से खींच ली, मेरे बड़े बड़े बोबे आज़ाद हो गये, वो मेरे बड़े बोबे और उन पर भूरे चुचूकों को देख पागलों की तरह दोनों को पकड़ कर दबाने लगे, मेरे मुँह से आ… ऑश…आअ… शिट प्लीज़ के अलावा और कुछ नहीं निकल रहा था।

मेरे बोबे दबाते हुए उन्होंने अपना एक हाथ मेरी पेंटी में डाल दिया और मेरी चूत को सहलाने लगे। ऐसा तो मेरे पति भी करते थे लेकिन आज की बात कुछ और थी, आज पति नहीं बल्कि उनका दोस्त था, मैं उनकी बीवी नहीं थी फिर भी उनके सामने सिर्फ़ पेंटी में उनके सामने थी और वो मेरे बदन से खेल रहे थे।

आनन्द ने मुझे सोफे पर बैठा दिया, मेरे पैरों को पकड़ कर मेरे सिर से भी ऊँचे किए वहीं थामे रखने को कहा फ़िर मेरी पेंटी को भी उतार दिया। मैं एकदम नंगी उनके सामने थी, बदन पर कुछ भी नहीं बचा था उतरने को!

वो मेरी चिकनी चूत को देख कर बोले- यक़ीन नहीं होता कि कपड़ों के अंदर इतना ज़बरदस्त ख़ज़ाना छुपा हुआ है, लगता नहीं कि तुम शादीशुदा हो।

आनन्द ने कहा- चलो, अब तुम मेरी अंडरवीयर अपने हाथों से उतारो!

मैंने शरमाते हुए उनके अंडरवीयर पर हाथ रखा तो वो बोले- ऐसे नहीं! मेरे सामने घुटनों के बल बैठ जाओ ताकि तुम्हारा मुँह मेरे लंड के सामने हो।

मैं अपने घुटनों के बल उनके सामने बैठ गई और सोचने लगी कि यह दूसरा लंड है जिसको मैं इतनी क़रीब से देखूँगी। यही सोचते हुए मैंने उनका अंडरवियर नीचे सरकाना शुरू किया, ऐसे लग रहा था जैसे किसी नीग्रो का लंड हो! मेरे पति का लंड इनके लंड के आगे कुछ भी नहीं था, उनके लंड के आगे का हिस्सा बहुत मोटा था, उनसे मोटा और काफ़ी लंबाई भी थी!

आनन्द का लंड देख कर मेरी चूत में हलचल मच गई और यह सोच कर कि इतना मोटा और काला नाग मेरी चूत में घुसेगा तो क्या होगा!?!

मेरे बदन में झुरझुरी आ गई!
वो बोले- क्या हुआ मेरी जान?
मैंने कहा- तुम्हारा तो बहुत मोटा और लंबा है।

वो बोले- आज इसका सारा रस तुम्हारी चूत में बहा दूंगा! लेकिन पहले तुम इसको अपने मुँह में लेकर चूसो!

मैंने काँपते हाथों से उनका लंड पकड़ा, वो एकदम गरम था। मैंने उसको अपने होठों से लगाया तो मेरे होंठ की लिपस्टिक उनके लंड पर लग गई। वो बोले- देखो जान, बेशरम बन जाओ, तभी मज़ा ले सकोगी।

मैंने भी सोचा कि जब चुदवाना ही है तो शरमाना कैसा! मैंने उनके लंड को चारों तरफ चूमना शुरू कर दिया, उनके मुँह से ‘ओह मेरी जान अ या या बड़ा मज़ा आ रहा है’ इस तरह के शब्द निकलने लगे।

मैंने उनके लंड की टिप पर अपनी ज़ुबान रखी तो आनन्द ने मेरे बाल पकड़ के मेरे मुँह में अपना लंड ज़बरदस्ती घुसेड़ दिया। उनकी ताक़त के आगे मैं कुछ नहीं कर सकी, उनका पूरा लंड एक झटके में मेरे हलक से जा टकराया।

मैंने लंड मुँह से निकालने की कोशिश की लेकिन नाकाम रही।
वो बोले- अगर मैं जानता कि तू मुझसे चुदवाना चाहती है तो कार मैं ही पटक कर चोद देता!

ऐसा कह कर वो अपना लंड मेरे मुँह में आगे पीछे करने लगे, उनके झटकों से मेरी आँखों में आँसू आ गये लेकिन अब वो इंसान नहीं, जानवर बन चुके थे, उनको मुझे तड़पता देख कर मज़ा आ रहा था।

वो बोले- अब तू मेरी ज़िंदगी है, मेरी जान है!

ऐसी बातें बोलते हुए उनकी स्पीड भी बढ़ गई और 10 मिनट बाद ही उनके लंड ने मेरे मुँह में पहली बारिश की। मेरा पूरा मुँह उनकी मलाई से भर गया। मैंने अपने मुँह से लंड निकालना चाहा लेकिन वो बोले- पी ले! अब तो तू मेरी जान है, मैं जो कहूँगा, करना पड़ेगा तुझे!

मैंने उनका पूरा पानी पी लिया लेकिन स्वाद मेरी पति के पानी से एकदम अलग था।

अब मेरा मुँह बुरी तरह दुख रहा था, मैं चाहती थी कि वो मुझे चोदें लेकिन वो मुझे तड़पाना चाहते थे, वो चाहते थे कि मैं उनसे बोलूँ कि मुझे चोदो।

उनका पानी निकलने के बाद उनका लंड ढीला हो गया, वो सोफे पर बैठ गये और मुझे अपने पैर पर ऐसे लिटायाकि उनका लंड मेरे मुँह के पास और सारा बदन सोफे पर तन के रहे। मैं तो ऐसे ही उनके लंड को देख कर पागल हो गई थी, मैं उनके लंड को अपने हाथों से सहलाने लगी, उन्होंने मेरे नंगे बदन पर हाथ फिराते हुए मेरी चिकनी चूत में अपनी एक ऊँगली घुसा दी।

मेरे मुँह से सिर्फ़ आहह की आवाज़ निकली, वो बोले- तेरी चूत तो एकदम गीली है, लगता है मुँह में जो पानी डाला था वो तेरी चूत से निकल रहा है! ज़रा सोफे पर बैठ कर अपनी टाँगे तो फ़ैला, मैं तेरी चूत को क़रीब से देखना चाहता हूँ।

मैं अब तक बिल्कुल बेशर्म हो चुकी थी, मैं उनके सामने सोफे पर अपनी टाँगें फ़ैला कर बैठ गई, वो मेरी चिकनी और गुलाबी चूत को देख कर बोले- बहुत प्यासी लग रही है! इसकी प्यास और बढ़ाओ तो मज़ा आएगा..

मुझसे नहीं रहा जा रहा था, मैं बोली- आनन्द, प्लीज़ मुझे चोदो! मेरी चूत तुम्हारे लंड के पानी के लिए तरस रही है।

तो उन्होंने कहा- इतनी जल्दी क्या है? अब तो तू 15 दिन के लिए मेरी है! और इतनी हसीन जान का इस्तेमाल इतनी जल्दी ठीक नहीं।

मैं बोली- तो तुम बताओ मैं क्या करूँ?
वो बोले- पहले मुझे खुश कर! अपने अंदाज़ से तुम जितना मुझे खुश करेगी, मैं उतना तुम्हारी चूत को खुश करूँगा।

उन्होंने मेरी फैली हुई चूत में शहद से भरी ऊँगली घुसेड़ दी और चूत मैं अंदर तक शहद मलने लगे।
मैं मदहोश हुए जा रही थी, गान्ड ऊपर को उठ जाती थी।

अब दूसरे हाथ में शहद लेकर मेरे वक्ष पर लगाने लगे, चूत और छाती की एक साथ मालिश हो रही थी। मैं टाँगें फैलाए उसका मज़ा ले रही थी, आनन्द कभी गाण्ड में कभी चूत में मालिश कर रहे थे। मेरी चूत और बोबे अब अकड़ने लगे और मेरी चूत ने पानी छोड़ कर आनन्द की मालिश का शुक्रिया अदा किया।

आनन्द का लंड अब फिर से खड़ा होने लगा था, अबकी बार वो और डरावना लग रहा था, आनन्द ने अब मेरे बदन के बाकी हिस्सों पे शहद मल दिया और मेरे पूरे बदन को शहद से भर दिया। फिर खुद होकर मुझे भी खड़ा होने का बोले।

और जब मैं उनके सामने हुई तो मुझे बाहों में भर लिया और मेरी चिकनी और शहद लगे चूतड़ों को मसलने लगे, उनके होंठ मेरे कान पर गये और चूसने लगे मेरे कान की लटकन को!

मेरी चूत लंड माँग रही थी और बदन खुशी से मस्त हुए जा रहा था, जो हो रहा था कभी सोचा भी ना था। मेरे चेहरे के हर हिस्से में उनके होंठ की मोहर लग रही थी और अब भी कभी सहद का लोंदा लेकर मेरी चूत गान्ड में डाल रहे थे, होंठ के साथ आनन्द की जीभ भी अब साथ निभा रही थी।
मेरी आँखें इस स्वर्ग से सुख के मारे बन्द हो चुकी थी और मैं आनन्द के प्यार को महसूस कर रही थी जो मेरे बदन पर बहने लगा था।

अचानक से आनन्द ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और चूसने लगे। उनके होंठ शहद में लग कर इतने मीठे हो गये थे कि मैं भी उनके होंठ काट कर चूसने लगी।

अब मेरी चूत रस छोड़ रही थी और शहद से मिल कर अजीब सी खुशबू फैला रही थी।

उधर आनन्द का एक हाथ चूत को ऐसे सहला रहा था जैसे किसी बच्चे को सहला रहा हो। इतने प्यार से वो चूत से खेल रहे थे, दूसरे हाथ से उरोजों की मालिश कर रहे थे और मेरे होंठो का अमृत पी रहे थे।

मैंने भी होंठ को चूसते हुए आनन्द के लंड को मेरे हाथ में ले लिया और मेरे बदन पर लगा शहद लेकर लंड को शहद से मालिश करने लगी।

आनन्द उससे और मस्ती में आ गये और मुझे गले पर, गालों पर, आँखों पर, कान पर, न ज़ाने कहाँ कहाँ चूमने लगे।

फिर उन्होंने मुझे नज़ाकत से सोफे पर लिटाया और मेरे पेट पर बैठ गये, चेहरा झुका कर गले पर, गले के नीचे, बोबे पर चूम रहे थे, जीभ भी घुमा रहे थे और दोनों हथेलिओं में मेरे बोबे दबोच कर दबा रहे थे। मैं अब भी आँखों को मूंद कर मज़ा ले रही थी।

एक पराया मर्द मुझे सही मायने में औरत बना रहा था, दुनिया का सबसे बड़ा सुख दे रहा था।

आनन्द मेरे बोबे दबाते, मेरे निप्पल पर गोल गोल जीभ घुमा रहे थे, चाट रहे थे, मैंने कहा- आनन्द ज़ोर से रगड़ कर मेरा दूध निकाल कर पिओ और ज़ोर से दबा डालो मेरे चुच्चों को!

और यह सुन आनन्द और भी जोश में आ गये और निप्पल मुँह में लेकर दांतों से काटने लगे, चूसने लगे पूरी चूची मुँह में लेकर।

वो धीरे धीरे नीचे की ओर अपने चूतड़ों को सरका कर और झुक रहे थे, मेरे कबूतर उनके हाथ में खेल रहे थे, फिर उन पर जीभ गोल-गोल घुमाते मुँह नीचे की ओर सरकाने लगे। चूचियों के नीचे पेट पर उनकी जीभ और होंठ चलते थे, वो शहद का स्वाद लेते मेरे बदन को अपनी जीभ और होंठ से ऐसे चूम चाट रहे थे कि लग रहा था कि मेरे अंग अंग को जैसे नहला रहे हो।

वो स्वाद ले लेकर मेरे बदन को खुद में समेट रहे थे।अब उनकी जीभ नाभि आस पास गोल गोल घूमते हुए नाभि के अंदर घुस गई और आनन्द मेरी नाभि को अन्दर से चाटने लगे।

और नीचे सरक कर अब आनन्द चूत के ऊपर के हिस्से को होंठ घूमाते हुए चूम रहे थे, मेरी टाँगें खुद ब खुद खुल रही थी जैसे आनन्द को मेरी टाँगो के बीच में आने की सहूलियत दे रही हों।

अब मैं कंट्रोल नहीं कर पा रही थी, मैंने कहा- आनन्द अब तो मुझे चोद दो!

लेकिन आनन्द को जैसे जल्दी ही नहीं थी, मेरे खूबसूरत बदन से खेलने में जैसे उन्हें खुशी मिल रही थी और मेरी तड़प का मज़ा ले रहे थे।

मेरे बदन का शहद चट कर जाने के बाद अब मेरी चूत की बारी थी, आनन्द की गर्म सांसों को चूत पर मैं महसूस कर रही थी, वो भी अब मेरी गुलाबी चूत को देख पागल हो रहे थे, उन्होंने अपने दोनों हाथ बोबे से हटा कर मेरी चूत पर लगा कर चीर दी और जीभ डाल दी चूत में, चूत के अंदर लगा ढेर सारा शहद अपने हलक से नीचे उतारने लगे और मज़े ले ले कर मेरी चूत खाने लगे।

अब तक मेरी चूत फिर दो बार पानी छोड़ चुकी थी, शहद और मेरे पानी से चमकती चूत को मुँह में लेकर आनन्द ऐसे चूस रहे थे जैसे बच्चा लोलीपोप चूसता है। आनन्द का विशाल लंड तन कर इतना फूल चुका था कि मानो अभी फट पड़ेगा, फिर भी वो खुद पर कंट्रोल किए अब तक मेरे बदन की रंगीनी में खोए हुए थे।

फिर उन्होंने मेरी टाँगें घुटनों से मोड़ दी, मेरी खुली चूत और गाण्ड को देख उनके मुँह से लार टापक पड़ी जो मेरी चूत में जाकर समा गई।

आनन्द अब मुझे पागल सांड़ जैसे दिख रहे थे। आनन्द ने अपने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के मुहाने पर रख दिया और दो ऊँगलियाँ मेरी गांड में घुसेड़ दी। मैं चीख पड़ी क्योंकि आनन्द की ऊँगलियाँ भी किसी लौड़े से कम नहीं थी। मैंने कहा- आनन्द, अब तो चूत मार दो! गाण्ड को बख्श दो!

लेकिन वो कुछ नहीं सुन रहे थे, लंड का सुपारा थोड़ा चूत में घुसेड़ कर ऊँगलियों से गान्ड मार रहे थे, और फिर एक झटका इतनी ज़ोर से मारा कि आनन्द का लंड थोड़ा सा चूत में घुस गया, साथ साथ गान्ड में भी ऊँगलियाँ काफ़ी अंदर तक घुस गई थी।

मैं इस बात से बेख़बर अचानक से हुए हमले से चिल्ला पड़ी, आनन्द का इतना बड़ा काला लंड मेरी चूत में थोड़ा सा घुसा था, और मुझे लग रहा था कि मेरी चूत फटने को है।

आनन्द ने फिर एक हाथ से मेरे बोबे पकड़ लिए दूसरा हाथ गान्ड मारने में व्यस्त था। और फिर ज़ोर का एक झटका मारा तो आनन्द का आधा लंड अब मेरी चूत में था।

मैंने चीख कर कहा- आनन्द प्लीज लंड को बाहर निकालो! मुझे नहीं चुदना!

मैं रो रही थी और आनन्द किशन कन्हैया सी शरारती मुस्कुराहट के साथ मुझे देख रहे थे, लंड चूत में रख बिना हिले वो मेरे बोबे को मसल रहे थे दूसरा हाथ भी अब गाण्ड से हट कर बोबे पर आ गया था, दोनों हाथों से बोबे मसलते मेरी चूत पर ऐसे सवारी कर रहे थे जैसे कोई विजेता अपनी घोड़ी पर सवार हो।

मेरा दर्द थोड़ा कम हुआ तो चूत लंड माँगने लगी, अपने आप मेरी गान्ड ऊपर को उठ गई। आनन्द भाँप गये कि मुझे चुदना है तो अब मेरी कमर को पकड़ कर एक और ज़ोर का धक्का दिया लंड का चूत में और मेरी चूत को चीरते झुक गये, मेरे होंठ अपने होंठो में जकड़ लिए। लंड पूरी चूत को चीर कर चूत में समा गया था। मैं दर्द से तड़प रही थी लेकिन मेरी आवाज़ नहीं निकल रही थी।

आनन्द ने कहा- साली, अब तक तो चूत में लंड लेने बेताब थी, अब लंड चूत में घुसा तो नखरे कर रही है!

आनन्द बिना कुछ किए रुके हुए थे। धीरे से उन्होंने अपने होंठ मेरे होंठों से अलग किए तो मैंने कहा- आनन्द, अब नहीं चुदना मुझे! आपका लंड मेरी चूत बर्दाश्त नहीं कर पाएगी।

वो कुछ नहीं बोले। जब उन्हें लगा कि मेरी चूत लंड ले पाएगी तो फिर मुझे चोदना चालू किया, धीरे धीरे लंड चूत में आगे पीछे हो रहा था और मेरी चूत भी मस्ती में आती जा रही थी।

आनन्द पहले धीरे, फिर ज़ोर से मेरी चूत चोद रहे थे, चूम रहे थे, बोबे मसल रहे थे और मैं अब उनको जोश दिला रही थी, बोल रही थी- आनन्द, चोद दो, बेदर्दी से पेल दो मेरी चूत! आहहहह! फाड़ दो चूत को! बहुत तड़पाया है तुमने! अब रहम मत करना! मैं तो कब से तुमसे चुदना चाहती थी! आहहहह आनन्द!

वो बेदरदी से मेरी चूत की धज्जियाँ उड़ा रहे थे, मेरी चूत में जलन हो रही थी इतने बड़े लंड से चुद के, लेकिन दिल करता था कि चुदती ही रहूँ।

आनन्द मेरी टांगों को तरह तरह से मोड़ कर चोद रहे थे, मैं उनके नीचे जन्नत का मज़ा ले रही थी, जलन को भूल, चूत चुदा रही थी। आज एक पराया मर्द मेरा सब कुछ हो गया था।

कोई बीस मिनट चोदने के बाद आनन्द की रफ़्तार बढ़ रही थी, मैं गान्ड उठा उठा के लंड ले रही थी, आनन्द ने मेरा आधा बदन कमर से मोड़ के टांगें मेरे वक्ष पर दबा दी और अपना मुसल लण्ड मेरी फ़ुद्दी की गहराई में घुसा कर मुझे चोद रहे थे।

आनन्द मेरे पूरे बदन को नोच रहे थे, चूम रहे थे, चोद रहे थे मेरी हसीन गुलाबी चूत और फिर कुछ देर में हम दोनों के बदन एक साथ अकड़ने लगे! आनन्द की साँस फूल रही थी, उन्होंने मुझे अपने साथ कस लिया और ज़ोर ज़ोर से चोदने लगे। और फिर हम दोनों साथ ही झड़ गये।

आनन्द मेरे वक्ष पर अपना सिर रख कर लेट गये। लंड अब भी मेरी चूत में समाया था, मैं पागल सी आनन्द के चेहरे को चूमने लगी। आज मुझे चुदने में जो मज़ा मिला था, पहले कभी नहीं मिला था। आनन्द मेरे उभारों पर हाथ फेरते हुए बोले- श्रद्धा, आज तुम मेरी हो गई, तुम मेरी ज़िंदगी बन गई!

और फिर मेरे बालों में ऊँगलियाँ फेरते हुए सिर सहलाने लगे। मैं उनकी पीठ पर हाथ फेर रही थी।

हमारी आँख कब लग गई, हमें पता ही नहीं चला, दो दिल प्यार करते करते सो गये…

…अगली सुबह और आने वाले 15 दिन हमें साथ साथ गाँव में बिताने थे!

कहानी जारी रहेगी।
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