बेटी के यार के लंड से चुदाई की लालसा- 5
(Desi Family Ki Chudai Kahani)
देसी फैमिली की चुदाई कहानी में पढ़ें कि मैंने अपनी बेटी के यार से चूत मरवाने के बाद उससे गांड भी मरवा ली. फिर मैंने अपनी बेटियों को चुदाई का मौक़ा कैसे दिया?
हैलो फ्रेंड्स, मैं सबीना एक बार फिर से आपका अपनी सेक्स कहानी में इस्तकबाल करती हूँ.
देसी फैमिली की चुदाई कहानी के पिछले भाग
बेटी के बॉयफ्रेंड का लंड मेरी चूत में घुसा तो …
में अभी तक आपने पढ़ा था कि मेरी बेटी के आशिक शहजाद के लंड से मैं अपनी चुत चुदाई करवा चुकी थी. उसने दूसरे राउंड में मेरी कुंवारी गांड मारने की कवायद शुरू कर दी थी.
अब आगे देसी फैमिली की चुदाई कहानी:
इस कहानी को सुनकर मजा लें.
शहजाद ने अपने फौलादी लंड से मेरी गांड में एक जोर का झटका दे दिया जिससे उसका टोपा भर गांड में घुस पाया.
मुझे तेज दर्द भी होने लगा लेकिन शहज़ाद नहीं रुका. वो बड़े आराम आराम से अपना लंड अन्दर घुसाता गया और पूरा लंड गांड में पेलकर रुक गया. वो मेरी लटकती चूचियों को मींजने लगा, जिससे मेरी गांड का दर्द कम हो गया.
फिर शुरू हुई मेरी ज़िंदगी की पहली गांड चुदाई.
उस दिन मैंने शहज़ाद के लंड पर खूब उछल उछल कर अपनी गांड चुदाई करवाई.
इसी तरह दूसरी बार का वीर्य उसने मेरी गांड में ही छोड़ दिया.
अब हम दोनों एक साथ नंगे लेट गए.
मैंने समय देखा तो अभी रात के साढ़े तीन बजे थे. कुछ देर बाद हमने फिर से चुम्मा चाटी शुरू की और अबकी बार कुछ ज़्यादा देर तक शहज़ाद का लंड चूसने के बाद ही लंड खड़ा हुआ.
फिर जो चुदाई शुरू हुई तो इस बार साढ़े पांच बजे तक बहुत ज़बरदस्त तरीके से शहज़ाद ने मुझे चोदा.
अपनी बेटी के प्रेमी के लंड से चुदने के बाद मैंने अपने कपड़े पहने और चलने को तैयार हो गई.
शहज़ाद मुझे 6 बजे मेरे घर छोड़ आया.
उस दिन के बाद से वो जब भी घर आता, तो जैसे ही मौका मिलता, वो उसी समय मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे चुदाई का मज़ा दे देता.
एक दिन शाम को मेरे पति घर आए और बोले- मेरा सामान बांध दो, मुझे दो दिनों के लिए शहर से बाहर जाना है.
दूसरे दिन सुबह सुबह वो बाहर चले गए और उस दिन मैंने मेरी दोनों छोटी बेटियों को रोक लिया.
रुबिका के कॉलेज जाते ही मैंने अपने भाई को बुला लिया और उन दोनों को अपनी नानी के यहां भिजवा दिया.
उन सबके जाते घर एकदम खाली हो गया था. मैंने शहज़ाद की मम्मी को फ़ोन करके बोला कि मेरे शौहर दो दिन के लिए बाहर चले गए हैं, तो हम लोग रात में अकेले हो जाते हैं. अगर शहज़ाद दो दिनों के लिए रुक जाएया तो हम लोगों को डर नहीं रहेगा.
शहज़ाद आधे घंटे में मेरे घर आ गया और आते के साथ मैंने शहज़ाद से किचन में ही खाना बनाते हुए अपनी चूत और गांड एक बार चुदवा ली.
फिर हम साथ बैठ कर बात करते रहे.
दोपहर में जैसे रुबिका घर आई तो वो शहज़ाद को देख कर एकदम से खुश हो गयी.
जब उसको बाकी घर वालों के बारे में पता चला कि बाकी सब भी गए हैं तो वो और खुश हो गयी.
फिर हम तीनों ने दोपहर का खाना साथ खाया और वो शहज़ाद को लेकर छत पर चली गयी.
शाम तक वो दोनों नीचे उतरे.
ज मैंने पूरा मन बना लिया था कि आज शहज़ाद के लंड से रुबिका की नथ उतरवानी ही है, चाहे जैसे भी हो.
मगर ये दिक्कत भी थी कि मेरे घर में रहते हुए रुबिका सील नहीं खुलवाएगी.
तो मुझे एक तरकीब सूझी.
मैं चुपके से एक उत्तेजना बढ़ने वाली गोली ले आई और शाम को रुबिका को जूस में मिला कर दे दी.
ये दवा 100 एमजी की थी, तो अपना असर थोड़ी देर में शुरू करती थी. लेकिन एक बार मूड बन जाने के बाद किसी की भी चुत बिना बुरी तरह चुदे ठंडी नहीं पड़ सकती थी.
आज मैंने शाम का खाना जल्दी ही, करीब 9 बजे तक लगा दिया और खाने के बाद मैंने रुबिका को उसके कमरे में सोने को बोला.
मैं शहज़ाद को अपने साथ बाहर वाले कमरे में ले आई.
फिर जैसे रुबिका अपने कमरे में गयी तो मैंने शहज़ाद का मूड बनाने के लिए एक लाल रंग की फैंसी सी और बहुत ज़्यादा खुली हुई ब्रा पैंटी पहन ली.
वो भी बस एक शॉर्ट्स में था.
मैंने कमरे की लाइट बन्द करके बस बाहर आंगन का एक बल्ब जलाए रखा जिससे अन्दर तक हल्की रोशनी आती रहे.
हम दोनों एक बिस्तर पर लेट गए. पहले हम दोनों ने एक दूसरे के होंठों को चूमना शुरू किया. इसके बाद शहज़ाद ने मेरी ब्रा हल्की सी नीचे करके मेरी चूची बाहर निकाली और मेरे निप्पल को पीने लगा.
मैं जानबूझ कर सोने का नाटक करने लगी क्योंकि मैंने शहज़ाद का मूड तो बना दिया था लेकिन आज उसे मुझे नहीं चुदना था, आज तो रुबिका की सील टूटनी थी.
इसी लिए मैं जानबूझ कर सोने का नाटक करने लगी.
कुछ देर तो शहज़ाद ने मेरे चुचे रगड़े, लेकिन जब ये पाया कि मैं सो गई हूं .. तो वो भी बगल में सीधे होकर लेट गया.
करीब आधा घंटा लगभग बीता होगा कि रुबिका के कमरे का दरवाजा खुला. मेरे कमरे में तो अंधेरा था तो मुझे यहां से सब कुछ साफ दिख रहा था.
मैंने देखा कि वहां अपने कमरे से रुबिका बिल्कुल नंगी निकली. जिससे मुझे पता लग गया था कि इसकी चुत में आग सुलगने लगी है और मेरी दवा ने असर शुरू कर दिया है.
रुबिका बहुत आहिस्ता से मेरे कमरे में आयी और सीधे शहज़ाद के लंड के पास जाकर उसका शॉर्ट्स निकाल कर उसका लंड चूसने लगी.
कुछ देर लंड चूसने के बाद उसने शहज़ाद से अपने साथ अन्दर कमरे में चलने को बोला, तो शहज़ाद भी नंगा ही वहां से निकल गया.
उन दोनों के कमरे में जाते ही मैं भी अपनी ब्रा पैंटी वही निकाल कर नंगी हो गई और उसी कमरे के दरवाजे पर आ पहुंची.
वो दोनों जल्दी जल्दी में दरवाज़ा बन्द करना शायद भूल गए थे और बाहर के बल्ब की अच्छी रोशनी इस कमरे में आ रही थी, जिससे अन्दर का पूरा नज़ारा मुझे बाहर से साफ दिख रहा था.
अन्दर मेरी बेटी रुबिका और मुझे चोदने वाला लड़का दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चूम और चाट रहे थे.
आगे बढ़ते हुए शहज़ाद ने रुबिका के गदराए बदन का रस चूसना शुरू कर दिया. उसने मेरी बेटी के कसे हुए मम्मों को दबा दबा कर उनका रस पिया.
जिसके बाद रुबिका एकदम बेताबी से अपनी चूत पूरी शहज़ाद के मुँह में घुसा घुसा कर उससे चटवाने लगी.
कुछ देर में ही रुबिका ने एक बार पानी छोड़ दिया.
कुछ देर बाद उसने एकदम से बेड पर शहज़ाद के ऊपर गिर कर उसका लौड़ा बेसब्री से चूसने लगी.
मैं भी बाहर खड़ी अपनी बेटी की चुदाई देख कर उत्तेजित होकर अपने बुर में उंगली करते हुए मज़ा लेने लगी.
मोटा लंड चूसने के बाद रुबिका सीधे हो कर लेट गयी और शहज़ाद से बोली- जानम, जल्दी मेरी चूत में अपना लंड डाल दो .. वरना मैं मर जाऊंगी.
शहज़ाद ने अपना लंड हाथ में लिया और उसको रुबिका की सील पैक चूत पर रगड़ते हुए एक जोर का झटका दे दिया.
रुबिका एकदम दर्द से चीखने को हुई.
लेकिन शायद उसको मेरा ख्याल आया होगा कि कहीं उसकी आवाजों से अम्मी न जाग जाएं, तो उसने खुद बगल में रखे तकिया को अपने मुँह पर रख कर उससे अपना मुँह दबा लिया.
इससे उसकी आवाज़ निकलना बंद हो गई.
इसके बाद शहज़ाद ने बड़ी बेरहमी से मेरी बेटी की चुत का फीता काटना शुरू कर दिया.
अगले दो ही झटकों में बिना किसी ज़्यादा दिक्कत के रुबिका की एकदम पहले से गीली हो चुकी चूत में लंड अन्दर घुसता चला गया.
फिर कुछ देर बाद रुबिका अपने मुँह से तकिया हटा दिया और वो हल्की हल्की आवाजों में मादक सिसकारियां लेने लगी.
वो अपनी मदमस्त वाली चुदाई करवाने लगी और अपनी गांड उठा उठा कर लंड चुत में लेने लगी.
काफी देर चली इस भयंकर चुदाई में रुबिका कई पोज बदल बदल कर शहज़ाद का लंड चुत में लेती रही.
झड़ कर शहज़ाद ने अपना सारा वीर्य रुबिका को पिला दिया और दोनों थक कर लेट गए.
कुछ देर बाद शहज़ाद उठने लगा, तो रुबिका ने कहा- कहां जा रहे हो?
शहज़ाद बोला- पानी पीने.
रुबिका बोली- मेरे लिए भी लेते आना.
फिर शहज़ाद जैसे ही बाहर आया और मुझे उसी दरवाज़े पर नंगी खड़ी देखा तो वो एकदम से चौंक गया और सकपका गया.
लेकिन मैं उसका लंड पकड़ कर उसको किचन तक लेकर आयी और नीचे बैठ उसका लंड चूसने लगी.
कुछ देर लंड चूसने के बाद जैसे ही उसका लंड खड़ा हुआ तो मैं उठ गई और उसको पानी की बोतल और तेल की शीशी देते हुए अन्दर जाने को बोली.
अब तक वो भी समझ गया था कि मैं भी रुबिका को चुदवाने में राज़ी हूँ.
वो अन्दर गया और रुबिका को पानी पिला कर उसको घोड़ी बना कर उसकी गांड में तेल लगाने लगा.
फिर उसकी मखमली गांड फाड़ कर मजा लेने लगा.
करीब एक घंटे तक चली इस गांड और चूत की मिश्रित चुदाई में रुबिका एकदम थक कर चूर हो गयी थी.
आज उसके दोनों छेदों को सील टूटने की वजह से वो दो राउंड के बाद सो गई.
उसके सोते ही मैं उस कमरे में अन्दर आ गयी और सीधे लेटे हुए शहज़ाद का लंड चूसने लगी.
लंड खड़ा हुआ तो मैं उसके लंड में चढ़ गई.
चुत में लंड लिया और अपनी गांड उछाल उछाल कर अपनी चुत चुदवाने लगी.
मैं अपनी नंगी और अभी अभी चुदी बेटी की बुर गांड से निकले लंड से मेरी चुत की आग मस्त बुझ रही थी. मेरी बेटी की अम्मी उसी के आशिक के लंड से अपनी चुत चुदवा रही थी.
कुछ देर बाद मैंने उसका लंड अपनी गांड में ले लिया. लम्बी और ज़बरदस्त गांड चुदाई के बाद शहज़ाद ने सारा वीर्य मेरी गांड में छोड़ दिया.
मैं झड़ कर उसी के ऊपर लेट गयी और न जाने कब मेरी आंख लग गयी.
मेरी आंख सबसे पहले खुली, तो मैं उठते ही शहज़ाद के लंड का स्वाद लेते हुए उसके लंड को चूसने लगी.
वो लंड चूसने से जाग गया.
जैसे ही वो जागा, मैं बाहर आ गयी और अपनी नाइटी पहन कर चाय बनाने लगी. शहज़ाद भी अपनी शॉर्ट्स पहन कर फ्रेश होने चला गया.
तब तक रुबिका भी लोअर और टीशर्ट में एकदम लंगड़ाती हुई बाहर आ गई.
उसका हुलिया एकदम से उजड़ा हुआ था.
कुछ देर इसी तरह बीतने के बाद जब मैं नहा कर बस तौलिया पहन कर नाश्ता बना रही थी.
तभी शहज़ाद भी नहा कर निकल आया और मेरे पीछे आकर मेरी तौलिया के ऊपर से मेरी चुचियों को दबाने लगा.
मैं उसको चूमने लगी और वो गर्म हो गया.
उसने मेरी तौलिया निकाल अलग फेंक दी और मेरी एक टांग उठा कर किचन की स्लैब पर रख कर मेरी चूत में लंड पेल दिया. वो मेरी चुचियां दबाते हुए मुझे चोदने लगा.
इसी बीच रुबिका ने भी हम दोनों को चुदाई करते हुए देख लिया लेकिन वो कुछ नहीं बोली.
वो नहाने चली गयी और उसको भी मालूम चल गया था कि उसकी मां भी उसके प्रेमी के लंड से चुद रही है लेकिन शायद वो भी मेरी मजबूरी समझ कर चुप रही.
फिर नाश्ते के बाद मैं जानबूझ कर रुबिका को बोलकर गयी- मैं कुछ काम से बाहर जा रही हूँ, दोपहर तक आऊंगी.
इससे वो भी समझ गयी थी कि उसकी मम्मी उसको चुदने का समय देने के लिए बाहर जा रही हैं.
मैं निकल गयी.
जब दोपहर को मैं वापस आयी तो दरवाज़ा खुला था और रुबिका और शहज़ाद दोनों नंगे लेटे थे.
रुबिका शहज़ाद के ऊपर चढ़ी थी और शहज़ाद का लंड उसकी गांड में फंसा था. उसका वीर्य वहीं से थोड़ा बह भी रहा था.
मतलब शहज़ाद रुबिका की गांड मारते हुए उसी में झड़ कर सो गया था.
मैं अन्दर वाले कमरे में आ गयी और सो गई.
शाम को रुबिका उठी और तैयार होकर मुझसे बोली- मैं बाहर जा रही हूँ.
अबकी बार शायद उसने मुझे चुदने का समय दे दिया था.
वो चली गयी और मैं मुस्कुरा दी.
उसके जाते ही शहज़ाद ने मेरे सारे कपड़े फाड़ कर मुझे पूरे घर में दौड़ा दौड़ा कर बहुत ज़बरदस्त तरीके से चोदा. फिर देर शाम तक रुबिका घर आ गयी.
मैंने खाना लगाया और काफी देर बाद हम सब सोने के लिए गए.
आज रुबिका अपने कमरे में थी और शहज़ाद भी उसी के साथ चला गया था.
थोड़ी देर बाद मैं भी उसी कमरे में चली गई.
रुबिका ने मुझे देख कर कुछ नहीं कहा.
कुछ देर बाद शहज़ाद ने रुबिका को मेरे सामने ही नंगी कर दिया और उसे चोदना शुरू कर दिया.
चुदाई का खेल शुरू हो गया था.
मैं रुबिका के करीब आ गई और उसकी चूचियां मसलने लगी.
हम दोनों के बीच शर्म खत्म हो गई थी.
उसने मुझे लेट कर चुत चुसवाने के लिए इशारा किया.
मैं लेट गई और मेरी बेटी मेरी चुत चूसने लगी.
पहले शहज़ाद ने रुबिका को ठोका और फिर मुझे चोदना शुरू कर दिया.
अब हम दोनों मां बेटी एक ही लंड से बदल बदल कर चुद रही थी लेकिन हमने उस कमरे की लाइट बन्द रखी थी.
उस दिन के बाद से हम दोनों मां बेटी का एक ही सहारा शहज़ाद का लंड था.
जब कुछ सालों बाद रुबिका की शादी उसके अब्बू की मर्जी से किसी दूसरे शहर में किसी और से हो गयी तो वो अपनी ससुराल चली गई.
उसके जाने के बाद शुरूआत में मैं ही अकेली थी तो शहज़ाद के लंड से खूब मज़े लेती.
लेकिन फिर किसी दिन मेरी दूसरे नंबर वाली बेटी, जो कि पूरी जवान हो गयी थी … उसने मुझे शहज़ाद से चुदवाते हुए देख लिया था.
ये बात जब मुझे मालूम चली तो मैंने शहजाद से अपनी दूसरे नम्बर वाली बेटी की चुत की सील तोड़ने की कह दी.
अगले ही दिन मेरे शौहर शहर से बाहर चले गए और उसी दिन मैंने शहजाद को घर बुला लिया.
शहजाद के कहने पर मैं अपनी बेटी से घर से बाहर जाने की कह कर निकल गई.
उधर मेरे निकलते ही मेरी बेटी सबा ने शहजाद के पास जाकर उससे सीधे सीधे बात की.
सबा- आप मेरी अम्मी के साथ सेक्स करते हैं … ये बात मुझे मालूम है.
शहजाद- तो?
सबा- तो ये कि आप मेरे साथ भी सेक्स करो वरना मैं अब्बू को सब बता दूंगी.
शहजाद ने सबा का हाथ पकड़ कर उसे अपनी गोद में खींच लिया और उसके लब चूमते हुए कहा- तो इसमें धमकी देने की क्या बात है मेरी सब्बो रानी. आओ आज तुम्हारी बुर को चुत में तब्दील कर देता हूँ.
सबा शहजाद के साथ चूमाचाटी में लग गई.
तभी सना की आवाज आई- बाजी, मैं भी आपके साथ ही भाईजान के लंड से खेलूंगी.
शहजाद ने चौंक कर उसे देखा तो वो तो सबा से भी एक कदम आगे थी.
साली पूरी नंगी चुत खोले दरवाजे पर खड़ी थी.
शहजाद ने उसे भी अन्दर आने का इशारा किया और उस दिन शहजाद ने मेरी दोनों बेटियों की चुत की सील तोड़ दी.
चुदाई के बाद शहजाद ने उन दोनों से कहा- मैं सबीना के बिना नहीं रह सकता हूँ. यदि तुम दोनों अपनी अम्मी के साथ मेरे लंड से चुदना पसंद करो तो ठीक है, नहीं तो मैं आज से इस घर में आना छोड़ दूंगा.
शहजाद की ये बात सुनकर मैंने खिड़की से आवाज दे दी कि शहजाद तुम चिंता मत करो हम सब तुम्हारे सहारे ही हैं.
इतना कह कर मैं कमरे में आ गई. मेरे सामने वे तीनों नंगी हालत में थे. मैं भी अपने कपड़े उतार कर पूरी नंगी हो गई.
हम चारों ने सेक्स की मस्ती की और एक दूसरे के राजदार हो गए.
अब वो दोनों और मैं एक साथ शहज़ाद से चुदवा लेती थीं, मतलब फ़ोरसम चुदाई हो जाती थी.
फिर जब भी रुबिका मायके आती, तो वो शहज़ाद को बुलवा कर अपनी ठुकाई करवाने लगती. रुबिका के दो बच्चे हुए जो कि शहज़ाद के बीज से ही पैदा हुए थे. मतलब उनका असल बाप शहज़ाद ही था.
ये बात सिर्फ वो दोनों और मुझे ही मालूम था.
इस तरह से मैं तो हमेशा शहज़ाद से चुदती रही लेकिन उसने मेरी तीनों बेटियों की झोली में भी उसने अपने लंड से ही खुशी भर रखी थी.
देसी फैमिली की चुदाई कहानी कैसी लगी आपको? आप मुझे मेल करना न भूलें.
आपकी सबीना
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