चूत एक लंड अनेक-1
(Chut ek Lund Anek- Part 1)
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अन्तर्वासना के सभी मित्रों को मेरा नमस्कार। मेरा नाम डॉली है। मैं छत्तीसगढ़ में रहती हूं। मेरी उम्र 35 वर्ष है और मेरी दूसरी शादी अभी कुछ महीने पहले ही हुई है। मैं एक चुदक्कड़ किस्म की लड़की हूं तथा अपनी पहली शादी के पहले से ही अपनी चूत को लंड का स्वाद दिला चुकी हूं।
मेरा मानना है कि हर लंड का स्वाद अलग होता है और हर चूत एक जैसी चटपटी नहीं होती है। मेरा रंग गोरा, हाइट 5 फुट 4 इंच और फिगर 35 30 36 है। मुझे ब्लू फिल्म देखना बहुत पसंद है, खासकर वह फिल्म जिसमें एक लड़की को दो या अधिक लड़के चोदते हैं। मेरा भी बहुत मन करता है कि मैं दो लड़कों के साथ एक साथ सेक्स कर सकूं।
कुछ दिन पहले मैंने अन्तर्वासना पर एक कहानी पढ़ी थी जिसका शीर्षक था
भीड़ में सेक्स का आनन्द
इस कहानी में एक लड़की बिना पैंटी और ब्रा पहने डीटीसी की बस में सफर करती है और उसे दो लड़के पटा कर ले जाते हैं। बाद में वह दो लड़के तथा ऑटो ड्राइवर तीनों मिलकर उस लड़की की सुनसान एकांत में ले जाकर भरपूर चुदाई करते हैं।
कहानी बहुत अच्छी लिखी गई थी और उसे मैंने कई बार पढ़ा। जब जब मैं यह कहानी पढ़ती थी, मेरी चूत गीली हो जाती थी। मेरे दिमाग में यही कहानी बार बार घूमती रहती थी। मैंने सोचा क्यूं नहीं ऐसा ही कुछ ट्राई करके थ्रीसम सेक्स के लिए दो लड़के मैं भी पटा सकूं तो मस्त चुदाई का मजा़ आ जाए।
मैंने डीटीसी बस रूट के बारे में अपने दिल्ली में रहने वाले एक चैट फ्रेंड से और इंटरनेट से जानकारी ली।
मेरे फ्रेंड ने मुझे सजेस्ट किया कि लाल किला से करोल बाग वाला रूट बहुत अच्छा है। उस पर समुचित भीड़ रहती है और मौका मिलने पर मेरे साथ छेड़छाड़ भी अच्छी तरीके से हो सकती है तथा किडनैपिंग का चांस नहीं है। मेरे दोस्त ने मुझे यह भी बताया कि रविवार को लाल किला के सामने सवेरे 6:00 बजे से एक साप्ताहिक बाजार लगता है जिसमें बहुत अच्छे से भीड़ रहती है। अब तो मैंने भी सोच लिया कि इस साप्ताहिक बाजार का आनंद भी लूंगी और मौका मिला तो दो लौंडे भी अपने लिए पटा लूंगी। मुझे दिल्ली नवंबर के महीने में जाना था जो कि ठंड का महीना होता है। मैंने सोचा कि अगर मैं इस मौसम में स्कर्ट पहनती हूं तो लड़कों का ध्यान मेरी तरफ़ अवश्य जाएगा। यह सोचकर मैंने एक स्कर्ट अपने लिये ऑनलाइन मंगवाई।
मैंने अपने लिये एक ऑफ व्हाइट ब्लाउज और स्किन कलर की ब्रा भी ऑर्डर कर के मंगवा ली। वैसे मेरा ब्रा साइज 36D है पर मैंने जानबूझ कर 34B साईज का ऑर्डर दिया ताकि मेरी चूचियों का कुछ भाग ब्रा के कप से बाहर रहे और लड़कों का ध्यान आकर्षित कर सके।
मेरी ड्रेस जब ऑनलाइन मुझे डिलीवर हो गई तब मैंने पहन कर उसकी ट्रायल ली। स्कर्ट मेरे घुटनों से लगभग 3 इंच से ज्यादा ऊपर थी और ब्रा मैं मेरे मम्मे आधे ही घुस पा रहे थे। कुल मिलाकर मुझे छेड़ने के लिए अच्छा माहौल लड़कों को मुझे दे पाने के लिये मेरी ड्रेस अच्छी लग रही थी।
मुझे एक शादी में चंडीगढ़ जाना था। लौटते समय मैंने दो रात दिल्ली रुकने का प्लान किया और अपने पति को यह समझाया कि मैं अपने ऑफिस के काम से 2 दिन दिल्ली रूकूंगी। मैंने अपने अधिकारियों से रिक्वेस्ट करके दो दिन के लिए दिल्ली टूर अनुमोदन भी करवा लिया।
जब मैं चंडीगढ़ से दिल्ली पहुंची तब रात्रि का लगभग 9:00 बज रहे थे। मैं करोल बाग के एक होटल में ठहर गई।
मैं रात को जल्दी सो गई और सुबह लगभग 3:45 बजे जागी। नहा कर मैंने अपनी पसंदीदा स्कर्ट और ऑफ शोल्डर ब्लाउज नई ब्रा के साथ पहना। मैंने उस स्कर्ट के अंदर पेंटी नहीं पहनी लेकिन लैपटॉप कवर के अंदर एक पैंटी मैंने इमरजेंसी के लिए रख ली।
लगभग 4:30 बजे मैं होटल से निकली। मैंने अपने साथ बहुत सामान नहीं लिया। लैपटॉप का कवर, अपना पर्स और मोबाइल लेकर मैं होटल से निकली थी।
मैंने यह महसूस किया कि होटल से निकलते वक्त भी लोगों की निगाहें मुझ पर थीं पर किसी की परवाह किये बगैर मैं ऑटो से बस स्टॉप तक आ गई। मैंने वातानुकूलित बस का पूरे दिन का पास बनवा लिया ताकि बार-बार टिकट खरीदने की झंझट से मुक्ति रहे।
सवेरे की बस में कोई भीड़ नहीं थी। मैं आराम से लाल किले तक पहुंच गई। सवेरे का मार्केट लग ही रहा था।
मुझे ठंड तो लग रही थी, लेकिन मैं लगभग 15 मिनट मार्केट में चहलकदमी करती रही। कुछ लोगों ने मुझे पलट कर देखा लेकिन आगे बढ़कर किसी ने छेड़छाड़ नहीं की।
कुछ देर बाद मैं लाल किला से करोल बाग जाने वाली बस में चढ़ गयी। अभी थोड़ी भीड़ बढ़ना शुरू हुई थी लेकिन मैं लगभग 200 मीटर बाद ही वापस उतर गई और फिर से लाल किले मार्केट तक आ गई।
सुबह सुबह का वक्त था और अब भीड़ थोड़ी बढ़ रही थी।
मैंने ईश्वर से प्रार्थना करी कि मुझे इस बार बस में कुछ अच्छे लड़के मिल जाएं।
अभी बस में भीड़ अच्छी थी और मुझे खड़े रहना पड़ा. वैसे मैं भी यही चाहती थी क्योंकि अगर मैं खड़ी रहूंगी तभी कोई मुझे छेड़ सकेगा।
थोड़ी देर बाद मैंने अपने नितंब पर कुछ दबाव महसूस किया पलट कर देखा तो एक अधेड़ उम्र का आदमी खड़ा था। मुझे ठीक नहीं लगा इसलिए मैं वहां से हट गई।
कुछ देर बाद एक स्टॉप पर काफी लोग चढ़े।
काफी लोग मेरे आस पास ही खड़े थे। कुछ देर बाद मैंने अपने बाएं स्तन पर कुछ दबाव महसूस किया। देखा तो तीन लड़के पीछे खड़े हुए थे। शक्ल से लगता था कि वे किसी कोचिंग क्लास वगैरह में जा रहे हैं क्योंकि उनके पास भी लैपटॉप थे।
मैंने कुछ भी प्रतिक्रिया नहीं दी। इस वजह से उन लोगों की थोड़ी हिम्मत बढ़ गई और वह मुझे इधर उधर छूने का प्रयास करने लगे। अब तो मुझे भी अच्छा लग रहा था और मैं गर्म भी होने लगी थी। अपनी तरफ से उन लड़कों को हिंट देने के लिये मैं अपने पीछे खड़े लड़के को देखकर थोड़ा सा मुस्कुराई और थोड़ा पीछे खिसक गई जिससे कि मेरे पीछे के लड़के के साथ मैं थोड़ा सटकर खड़ी रह सकूं।
फिर तो लड़कों की जैसे लॉटरी निकल आई। उन्होंने मेरे नितंबों को दबाना शुरू किया और मम्मों को भी। मैं बड़ी मुश्किल से अपने सीत्कार रोक पा रही थी।
एक लड़के ने मेरे कान में धीरे से पूछा- मजा आ रहा है ना जानेमन?
मैंने उसे आंख के इशारे से हां मैं जवाब दिया।
“तो चलो ना हमारे साथ … तुम्हें जन्नत का आनंद देंगे।” उस लड़के ने दोबारा बोला जिसका मैंने कोई जवाब नहीं दिया।
बस जब पूजा पार्क के पास से गुजरी तो मैं बस से उतर गई और पूजा पार्क में घुस गई। तेज तेज कदमों से चलकर मैं पूजा पार्क के एक कोने की तरफ जा कर बेंच पर बैठ गई।
बहुत जल्दी वे तीनों लड़के भी मेरे पास आ गए। मेरा दिल डर कर बहुत तेजी से धड़क रहा था।
मेरे पास आकर उन लड़कों में से एक ने बोला- क्या चाहिए रानी तुम्हें?
मैंने सुनकर कुछ जवाब नहीं दिया।
तब उसने दोबारा बोला- हमारे साथ चलो, तुम्हारे सारे छेद खोल देंगे और तुम्हें जन्नत का मजा देंगे।
अब मैंने हिम्मत करके बोला- मैं कहीं नहीं जाऊंगी। हां यदि आप लोग चाहो तो दो लड़के मेरे होटल में आकर मेरे साथ मजे लूट सकते हो कुछ इस तरह से।
यह बोल कर मैंने उन्हें अपने मोबाइल में रखी हुई एक चुदाई की फोटो दिखाई जिससे उन्हें यह मालूम हो जाए कि मैं क्या चाहती हूं।
फोटो देख कर उसमें से एक ने मेरे मजे लेते हुए बोला- हम तीनों को बुला लो ना अपने होटल में!
मैं थोड़ा कड़ा रुख अपनाते हुए बोली- तीन क्यों?
तब उसने बोला- दो लड़के तेरी चुदाई करेंगे और तीसरा फिल्म बनाएगा।
इस पर मैं नाराज होकर बोली- मुझे अपनी फिल्म नहीं बनवानी है इसीलिए सिर्फ दो को बुला रही हूं और हां मेरे पास अगर आना है तो अपने मोबाइल मेरे पास जमा कर के ही चुदाई शुरू कर पाओगे। अगर तुम्हें ठीक लगता है तो जैसा मैं बोलती हूं वैसा करो, अन्यथा मैं जा रही हूं।
और यह बोल कर मैं उठने लगी।
तब इनमें से एक लड़के ने कहा- इस बात की क्या गारंटी है कि तुम होटल में बुलाकर हम लोगों को फंसा तो ना दोगी?
मैंने भी गुस्से में बोला- अगर मुझे चुदने की इच्छा नहीं होती तो मुझे कोई शौक नहीं था जो इतनी सुबह बिना पैंटी के बस में सफर करती।
उसमें से एक लड़के ने मेरी स्कर्ट ऊपर उठा कर देखा। मुझे स्कर्ट के नीचे नंगी देखकर तीनों ने मेरी चिकनी चूत देखी।
मेरा गुस्सा अभी तक शांत नहीं हुआ था। मैंने अपनी स्कर्ट नीचे करते हुए कहा- अब तो विश्वास हुआ तुम्हें या अभी भी तुम्हें लगता है कि मैं तुम लोगों को फंसा दूंगी?
तीनों आपस में कुछ सलाह मशविरा करने लगे और फिर उसके बाद उन्होंने मेरे पास आकर बोला- ठीक है, हम तैयार हैं और हम होटल में आ जाएंगे, लेकिन हम कोई पैसे नहीं देंगे।
मैं बोली- मैं पैसे के लिए नहीं कर रही हूं। मैं खुद के मजे लेने के लिये ऐसा करना चाहती हूं।
तब उन लड़कों ने बोला- तुम एक लड़के को यहीं संतुष्ट कर दो और बाकी दो से होटल में चुदवा लेना।
मैंने इधर उधर देखा और कहा- यहां खुले में नहीं चुदवा सकती हूं।
तब उसमें से एक लड़के ने बोला- उस बड़े से पेड़ के पीछे चल, जल्दी से मैं तुझे चोद देता हूं और बाकी के दो लड़के आने-जाने वालों पर नजर रखेंगे।
मैंने कुछ सोच कर बोला- ठीक है. लेकिन तुम तीनों को अपने मोबाइल मेरे पास में पहले जमा कराने पड़ेंगे।
तीनों लड़कों के मोबाइल मैंने स्विच ऑफ करके अपने पर्स में रख लिये।
अब मैं उस लड़के के साथ में पेड़ के पीछे चली गई। मैंने अपने पर्स से निकाल कर उसे एक कंडोम दिया।
उस लड़के ने जिसका नाम रविंद्र था, कंडोम को अपने लंड पर चढ़ाया और मुझे पेड़ से सहारा लेकर झुकने के लिए कहा। मैंने ऐसा ही किया अब वह मेरे पीछे आ गया और अपना लंड मेरी चूत पर रखने लगा।
मैंने अपने हाथ से उसके लंड को अपने चूत का रास्ता दिखाया और बहुत जल्दी वह मेरी चूत में अपना लंड डालकर मुझे चोदने लगा।
चूत में लंड घुसते ही मेरे मुंह से सीत्कार फूटने लगे उम्म्ह… अहह… हय… याह… और मैं भी अपनी गांड आगे पीछे करने लगी। रविंद्र ने मुझे नितंब से पकड़ लिया और जल्दी-जल्दी चोदने लगा। क्योंकि किसी के देखने का भय भी हम दोनों को सता रहा था, इसलिए उसका पानी बहुत जल्दी निकल गया।
मैंने अपने कपड़े ठीक किए और पेड़ की आड़ से वापस बाहर आकर सभी को उनके मोबाइल वापस कर दिए।
अब मैंने बाकी के दोनों लड़कों जिनका नाम अभिजीत और विजय था को अपना प्लान समझाया।
मैंने उन्हें बोला कि वे एक घंटे बाद मेरे होटल में आएंगे और डॉली मैम से मिलना है, यह बोल कर अपना आईडी प्रूफ रिसेप्शनिस्ट को दिखा कर मेरे पास आ जाएंगे और आने से पहले कुछ अच्छे कंडोम और डिस्पोजेबल रेजर खरीद कर आएंगे।
तब दोनों ने मुझसे पूछा- रेजर किस लिए?
मैं बोली- ताकि तुम लोग चुदाई से पहले अपने लंड शेव कर सको। मुझे बढ़ी हुई झांटें पसंद नहीं हैं।
इतना बोल कर मैं अपने होटल की तरफ चल दी।
रविन्द्र के लंड ने मेरी चूत में हलचल तो मजा ही दी थी। जल्दी से होटल में आकर मैं तैयार होकर दोनों लड़कों का इंतजार करने लगी।
कहानी जारी रहेगी।
सभी पाठकों से नम्र अनुरोध है कि अपने कमेंट मुझे [email protected] पर अवश्य भेजें।
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