बस स्टॉप पर एक भाभी से दोस्ती और प्यार- 2
(Bhabhi Ne Ghar Bulaya)
हैलो फ्रेंड्स, नमस्कार. मैं आपको अपनी सेक्स कहानी में स्वीटी नाम की एक मादक माल को सैट करने की बात सुना रहा था.
पहले भाग
बस स्टॉप पर एक भाभी से दोस्ती
में अब तक आपने पढ़ा था कि उस दिन स्वीटी के साथ थोड़ा सा वक्त गुजार कर मैंने घर आकर उसके नाम की मुठ मारी और उसके बारे में सोचने लगा.
अब आगे :
मुझे इतना तो समझ आ गया था कि अब उसकी चुत दूर नहीं, पर कैसे और कब मिलेगी, वो सब अभी बाकी था.
कल बातें करते मैंने उससे कई बार कहा था कि वो काले रंग में बला की खूबसूरत लगती है. मेरे अगले कदम के लिए उसका आज काले रंग में आना बहुत जरूरी था.
मैं आज उससे पहले ही पहुंच गया था और बेसब्री से उसके आने का इंतज़ार कर रहा था.
अचानक से उसका मैसेज आया- गुड मॉर्निंग … आज मैं नहीं आऊंगी, आप प्लीज़ बस को रोकना, मैं बच्चों को भेज रही हूँ.
मैंने भी ही गुड मॉर्निंग लिखा और कहा- कोई बात नहीं, आप बच्चों को भेजो, मैं बैठा दूंगा. आप ठीक तो हैं, क्या हुआ आज क्यों नहीं आना हो सका!
उसने कहा- कुछ नहीं, तबियत ठीक नहीं है.
मैंने कहा- क्या हुआ, सब ठीक तो है न … किसी डॉक्टर को दिखाया!
वो बोली- अरे बाबा इतना सब नहीं … ये तो रेगुलर है कुछ ख़ास नहीं. कल मिलते हैं.
मैंने तपाक से कह दिया कि पीरियड्स हुए हैं क्या?
उसका कोई जवाब नहीं आया, मुझे लगा मैंने जवाब देने में कुछ जल्दी की, पर भाई मुझे तो जल्दी ही थी ना.
खैर … उस दिन हमारी कोई बात नहीं हुई.
अगले दिन जब बच्चों को छोड़ने जाना था तो मैंने घर से निकलते ही उससे गुड मॉर्निंग लिखा.
उसका भी हैलो आ गया.
मैंने पूछा- अब कैसी है तबियत?
तो उसने लिखा- तुम तो डॉक्टर हो, तो तुम्हें पता ही होगा कि दूसरे दिन भी थोड़ी बेचैनी रहती है.
इसी के साथ उसने आंख मारने वाला इमोजी भेजा.
आज जब वो आयी तो चेहरे से थोड़ा थकी हुई सी थी, पर लेट थी तो भागती हुई आयी थी.
उसने बच्चों बस में चढ़ाया और बाई कह कर चली गई.
मुझे तो इस सबमें समझ ही नहीं आया कि क्या कहूँ और क्या नहीं.
मुड़ते हुए बस इतना कहा- ‘झूठे हो, ऐसे ही कह रहे थे कि मैं काले रंग में अच्छी अच्छी लगती हूँ!
तब मेरा ध्यान गया कि उसने काला पहना था.
मैं घर गया और ऑफिस के लिए निकल गया.
दिन मैं मैंने उसके वाट्सएप पर लगी पिक को देख रहा था कि उसका हाई का मैसेज आया.
मैंने कहा- ऐसा नहीं कि मैंने झूठ कहा था, आज तुम्हें देखने से ज्यादा जरूरी ये जानना था कि तुम्हारी तबियत कैसी है, तो नहीं बोल पाया … पर तुम सच में काले रंग में बहुत ही आकर्षक लगती हो.
अब ऐसे ही हम दोनों की बातें होना शुरू हो गईं ‘खाना खाया कि नहीं, आज क्या बनाया, क्या पहना, कहां गए, क्या किया.’
अब जैसे पूरे दिन मुझे उसके फ़ोन का मैसेज का इंतज़ार रहने लगा था.
आज पति से झगड़ा हुआ, उन्होंने ये कहा, वो कहा, अब ये सब भी हम शेयर करने लगे थे.
सरल शब्दों में कहूँ, तो अब हम अच्छे नहीं, बहुत अच्छे दोस्त हो गए थे.
एक दिन रात 7.30 बजे उसका कॉल आया.
‘कहां हो?’
मैंने बताया- अभी ऑफिस ही हूँ. क्या हुआ?
उसकी आवाज़ कुछ भरी लग रही थी. कुछ नहीं बोल कर वो चुप सी हो गई. शायद उसकी आंखें नम हो गयी थीं. उसकी आवाज़ कांपने सी लगी थी.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
पर वो कुछ बोल ही नहीं रही थी.
मैंने कहा- अभी कहां हो?
उसने बताया कि घर से कुछ दूरी पर एक पार्क है, वहां बैठी हूँ.
मैंने पूछा- वहां क्या कर रही हो?
तो वो कुछ नहीं बोली.
मैंने कहा- रुको, मैं कुछ मिनट में वहां पहुंच जाऊंगा.
मैंने फ़ोन रखा और जल्दी से उसकी बताई जगह के लिए निकल गया.
मैं लगभग दस मिनट में ही वहां पहुंच गया था.
वो पार्क के एकदम कोने में बैठी थी तो मुझे दिख नहीं रही थी.
मैंने कॉल किया तो दूर परछाई में किसी को कॉल रिसीव करते देखा.
मैंने पूछा- वो तुम हो ना!
उसने कहा- तुम आ गए सच में?
मैंने कहा- अब इतनी खूबसूरत लड़की सामने से डेट पर बुलाए … और वो भी रोते हुए, तो कोई गधा ही होगा जो सब छोड़ कर डेट पर ना आए.
वो हंस पड़ी.
तब तक मैं उसके करीब पहुंच चुका था. उसको देखा, तो वो शायद जब से आयी तब से रो ही रही थी. उसका चेहरा एकदम लाल हो गया था.
अंधेरे में हल्की पीली रोशनी में उसका वो सोने सा चमकता चेहरा, सच में आज सेक्स नहीं, उस पर प्यार आया था.
मैंने पूछा- क्या हुआ मेरे दोस्त को …
उसने बिना कुछ कहे मुझे गले से लगा लिया, मेरे सीने पर सर रख कर रोने लगी.
मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं.
उसके होंठों का अहसास गर्म सांसें, चूचों का दबाव, सब मिल कर मुझे मदहोश कर रहे थे.
मेरा लंड मुझे आवाज़ दे रहा था, पर सच कहूँ उस पल वो सब नहीं सोचना हो पा रहा था. बस मन था कि उसको प्यार करूं.
उससे पूछा, तो बताया कि उसकी उसके पति से लड़ाई हो गयी है. उसको घर नहीं जाना है.
मैंने उसको समझाना चाहा, पर उस पल गुस्सा इतना था कि वो कुछ सुनना ही नहीं चाहती थी.
उसका सब सुनने के बाद मैंने उसको सही गलत … और अभी क्या जरूरी है … वो समझाया.
उसको शायद मेरी बात समझ आयी. वो थोड़ा सा हल्का महसूस कर रही थी.
उसने थैंक्स कहा और सॉरी भी.
मैंने कहा- सॉरी नहीं चाहिए, तुम्हारे हाथ का खाना खाना है.
वो मुस्कुरा दी.
अब हम थोड़ा और करीब आ गए थे.
उस दिन का उसका गले लग कर रोना अक्सर मुझे उस रात में आए सपने में उसके करीब होने का अहसास कराता रहा था.
फिर एक दिन उसने जब हम बच्चों को स्कूल बस छोड़ कर वापस घर जाने लगे तो उसने कहा- चाय पियोगे?
मैंने कहा- और आपके पति?
तो उसने बताया कि वो छह दिन के लिए ऑफिस ट्रिप से दिल्ली गए हुए हैं.
मैंने भी मौका देखते ही चौका लगाया कि चाय ही पिलाओगी ना.
उसने हंसते हुए कहा- क्यों डर लग रहा है क्या!
अब हम बात करते उसके घर पहुंच गए. जाते ही उसने मुझे हॉल मैं बैठने को कहा और वो खुद चाय बनाने किचन में चली गयी.
मैं उसके घर को देख रहा था. पूरा घर एकदम साफ़ और व्यवस्थित था.
मैंने कहा- घर तो बहुत साफ़ रखती हो.
तो उसने बताया कि पति नहीं थे कल दोपहर से, तो कोई काम नहीं था, तो घर की सब साफ़ सफाई की थी, इसलिए साफ़ लग रहा है.
मैंने चुटकी लेते हुए कहा- ओके तो वो होते हैं, तो इतना बिजी रखते हैं कि टाइम नहीं मिलता होगा. या उनको ज्यादा मिस न कर सको, इसलिए सफाई में मन लगा लिया.
वो हा हा हा करके हंस पड़ी.
फिर चाय के दो कप और कुछ नाश्ता लेकर मेरे पास आकर सोफे पर ही बैठ गयी.
वो बोली- अरे कहां बिजी रखते हैं. अब तो बात किए, साथ बैठे महीनों हो जाते हैं. वो हमेशा ऑफिस में बिजी रहते हैं या घर आकर अपनी मां और बहन से बातों में लग जाते हैं. हमसे तो बस काम की बात करते हैं.
मैं अनायास ही पूछ बैठा- और सेक्स?
वो चुप हो गयी.
मैंने सॉरी कहा तो उसने कहा- कुछ नहीं … कभी जब उनका मन हो तब!
तो मैंने पूछा कि और तुम्हारा मन हुआ तो?
वो हंस दी और बोली- अभी तो सेक्स पूछने पर सॉरी कहा था … और वापस. तुम कोई मौका नहीं छोड़ते ना … अब चाय पियो.
अब हम अच्छे दोस्त हो गए थे तो कुछ भी बोल देने में मैं या वो हिचकिचाते नहीं थे.
उसने बताया कि सब अच्छा है. कभी कभी झगड़ा हो जाता है, तो कभी कभी ज्यादा प्यार … बस ऐसे ही चल रहा है. पर जब वो गुस्से में ज्यादा बुरा भला कहते हैं, बस तब मन भर आता है. मैं उन्हें कभी कुछ नहीं कहती, पर वो …
ये बोल कर वो थोड़ा सहम सी गयी.
उसकी आंखें नम होने को ही थीं कि मैंने कहा- देखो प्लीज रोना नहीं, तुम रो कर गले लगोगी … और फिर मुझसे कण्ट्रोल नहीं होगा.
उसने मुझे प्यार से कंधे पर मारा और बोली- बस मौका मिला नहीं कि फ़्लर्ट चालू ना.
मैंने कहा- अरे फ़्लर्ट क्या … इतनी सुन्दर लड़की अगर इतना करीब आकर गले से लगा ले, तो क्या मन नहीं बहकेगा!
उसने कहा- कुछ भी न … एक तो मैं सुन्दर नहीं, दूसरा ऐसे कोई थोड़ा पास आयी कि बहक जाओ … पागल कहीं के. जाओ तुम्हारी बीवी वेट कर रही होगी.
मैंने उससे बताया कि मेरी वाइफ आज सुबह ही कुछ काम से मुंबई गयी है. तो आज फ्री हूँ. कहो तो खाना खाकर ही जाऊं.
उसने कहा- जाओ आज तुम्हारा मूड न डर्टी डर्टी चल रहा है, हम कल मिलेंगे. हां ऑफिस जाने से पहले कॉल कर लेना.
मैं घर आ गया.
फिर जब ऑफिस के लिए तैयार होकर निकल ही रहा था कि मुझे उसकी ‘ऑफिस जाने से पहले मुझसे मिल कर जाना या बिल्डिंग के नीचे आकर कॉल करना …’ वाली बात याद आ गई.
मैंने उसे कॉल किया. वो एक ही मिनट में हाथ में एक डिब्बा लिए मेरे सामने थी.
वो डिब्बा मुझे देते हुए बोली- ये लो … उस दिन वाला थैंक्स. अब तो नहीं कहोगे न कि खाना खिलाओगी, तो ही थैंक्स कहूँगा.
ये कह कर वो हंसती हुई वापस चली गयी.
मैं उसे देखने लगा. उसका वो अन्दर जाकर वापस बाहर आकर बाय करना मुझे आह वाला फील दे रहा था.
आज लंच के टाइम से पहले मुझे अजीब सी कुछ उत्तेजना थी.
मुझसे तो जैसे रहा ही नहीं जा रहा था.
मैंने 12.30 पर ही लंच करना शुरू कर दिया.
सच में परांठे आलू की सब्जी रायता सलाद और साथ में गाजर का हलवा, सब मेरे सामने था.
ये हमारे इतने दिनों की बातों में मैंने उसे अपनी पसंद के बारे में जो जो बताया था कि मुझे ये खाना पसंद हैं, उसने वो सब रखा था.
नीचे एक पेज पर लिखा था- थैंक्स एक अच्छा दोस्त देने के लिए. मैंने कभी किसी को ऐसे पहले खाना नहीं दिया, न ही चाय पर बुलाया … न ही डेट की. तुम्हारे साथ सब अच्छा लगा. एक बार वापस थैंक्स. मैं वैसे तो बहुत अच्छा खाना नहीं बनाती हूँ, पर कैसा लगा, जरूर बताना. हमेशा की तरह झूठी तारीफ़ नहीं करना.
खाना सच में लाजवाब बना था, मैंने फ़ौरन फ़ोन निकाला और खाली बर्तन की फोटो ली और लिखा कि खाना सच में बहुत स्वादिष्ट था. मैंने ‘था …’ पर ज़ोर देते हुए वो फोटो टैग किया.
मैं तो मैं हूँ न … मौका कभी नहीं छोड़ता, तो ये कैसे छोड़ देता.
उसने ‘झूठ न बोलो …’ कह कर भेजा.
मैंने कहा कि इतना अच्छा लगा कि बनाने वाली के हाथ नहीं, बनाने वाले को ही चूम लूँ … ऐसा मन कर रहा है. सच में खाना इतना अच्छा बना था.
उसने जवाब में कहा- जाओ ना … एक तो झूठी तारीफ ऊपर से चूम लूँ … कुछ भी ना … सुबह आए, चूमना तो दूर हाथ भी नहीं लगा पाए. पूछ कर आए डरपोक कि बस चाय ही पीनी है.
उसने किस वाला इमोजी भेज दिया.
मैंने कहा- देख लो, अगली बार कहीं और कोई डरपोक ना बन जाए.
फिर हम दोनों पूरा दिन इसी तरह एक दूसरे को छेड़ते रहे.
शाम को मैंने उसके डिब्बे में एक थैंक्स का नोट, एक चॉकलेट रखी और डिब्बा देने के बहाने उसे कॉल करके नीचे बुलाया कि अपना डिब्बा ले लो.
उसने कहा- मैं नहीं आ पाऊंगी, बच्चों को सुला रही हूँ … तुम नीचे वॉचमैन को दे दो, वो दे जाएगा.
मैंने वॉचमैन को डिब्बा दिया और घर आ गया.
नहा धोकर बैठा ही था कि उसका मैसेज आया कि ये चॉकलेट क्यों रखा … पहले ही इतना मोटी हूँ और वजन बढ़ जाएगा.
मैंने कहा- एक चॉकलेट से कोई वजन नहीं बढ़ता और दूसरी बात ये कि तुम अपनी तारीफ सुनना चाहती हो ना … मोटी, अरे एकदम सेक्सी लगती हो. ऊपर से नीचे तक एकदम माल.
उसने कहा- तुम पूरे चालू हो और ये क्या माल … मैं कोई गन्दी लड़की हूँ, जो मुझे माल बुला रहे हो.
मैंने कहा- अरे ऐसा नहीं, सुन्दर हो तो लड़के लोगों को अक्सर जब कोई बहुत सुन्दर लड़की दिखती है, तो वो उसे माल कहते हैं.
वो मेरी इस बात पर हंस पड़ी.
इससे पहले मैं कुछ लिखता, उसका कॉल आ गया.
उसकी मीठी आवाज़ सुनकर सच में मैं एकदम से गर्मा जाता हूँ. उसकी आवाज से ही लंड खड़ा हो जाता है. सोचो जब वो सामने होती होगी, तो मेरा क्या हाल होता होगा.
उसने पूछा- खाना खाया?
मैंने कहा- अभी तो आया हूँ यार, अभी कहां से … अब बनाऊंगा तब ना खाऊंगा. अभी तो नहा कर आया और तुम्हारा कॉल आ गया.
उसने कहा- अब क्या बनाओगे, एक काम करो … तुम आ जाओ मैं टिफ़िन पैक कर देती हूँ.
मैंने कहा- नहीं, तुम परेशान मत हो, बच्चे भी हैं, वो क्या सोचेंगे. उन्होंने पापा को बोला कि अंकल इतनी रात को आए थे, तो अच्छा नहीं लगेगा.
वो हंसी और बोली- फट्टू … बच्चे अगर जाग रहे होते, तो ये भी बोलते कि पापा मम्मी किसी से रात में बात कर रही थीं.
वो हंसने लगी.
मैं बस जैसे उसकी हंसी में खो गया.
मैंने कहा- एक बात कहूँ स्वीटी, तुम्हारी हंसी बड़ी लाजवाब है. मुझे तो तुम्हारी हंसी से प्यार हो गया है.
उसने कहा- अब मक्खन नहीं लगाओ. जल्दी से आ जाओ, मैं खाना पैक करती हूँ … और हां, बेल मत बजाना. मैंने दरवाजा खोल कर रखा है, सीधा अन्दर आ जाना. टिफिन लेना और चले जाना.
मैंने कहा- बेल क्यों नहीं?
वो बोली- बस बातें बनानी आती हैं कुछ दिमाग नहीं चलता. मैंने बताया न कि बच्चे सो गए हैं, बेल की आवाज़ से जग जाएंगे.
मैंने कहा- ओके मैं आता हूँ.
मैं दस मिनट में उसके घर पर था.
अब उसके घर पहुंचने पर क्या हुआ … वो सेक्स कहानी के अगले भाग में लिखूंगा. आपके मेल का इन्तजार भी रहेगा.
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कहानी का अगला भाग: बस स्टॉप पर एक भाभी से दोस्ती और प्यार- 3
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