चंडीगढ़ में शादीशुदा भाभी की चुत मिली- 2
(Bhabhi Ki Desi Sexy Chudai)
भाभी की देसी सेक्सी चुदाई का मजा लिया मैंने उसी के घर में! उसे मैंने चाट के ठेले पर पटाया था. वो भी सेक्स से वंचित थी क्योंकि उसका पति गायब हो गया था.
दोस्तो, मैं सोनू आपको चंडीगढ़ में मिली सीमा भाभी के साथ हुई देसी सेक्सी चुदाई की कहानी सुना रहा था.
पहले भाग
चंडीगढ़ में चूत की तलाश
में सीमा भाभी अपनी लव स्टोरी को बता रही थी कि उसकी उसके पति बंशी से किस तरह से मुलाक़ात हुई थी.
अब आगे भाभी की देसी सेक्सी चुदाई:
सीमा भाभी ने बताया कि बंशी से उसे कब प्यार हो गया, ये उसको पता ही नहीं चला.
प्यार में वो दोनों खो से गए. फिर साथ साथ घूमना, चोरी चोरी मिलना शुरू हो गया था.
जब भी मौका मिलता, बंशी उसके कभी गाल चूम लेता, कभी उसके मम्मे दबा देता. वह उसको सेक्स के लिए बोलता था. मगर सीमा उसको हर बार मना कर देती.
वो हर बार कह देती कि सेक्स शादी के बाद ही करूंगी.
आखिर सीमा भी जवानी का खिलता हुआ एक फूल थी, कब तक वो अपनी वासना पर काबू रख पाती.
अब बात सिर्फ शारीरिक मिलन की रह गई थी.
बंशी तो यही चाहता था.
सीमा भी बंशी के साथ सेक्स करने का मन बना चुकी थी.
एक दिन सीमा के घर वाले किसी रिश्तेदार के यहां शादी में गए थे.
सभी ने उसको भी चलने को कहा तो उसने कॉलेज के बहाने से जाने से मना कर दिया.
घर वालों के जाने की बात सीमा ने बंशी को बताई तो वो उससे मिलने उसी रात सीमा के घर पहुंच गया.
सीमा खुद उसी का इन्तजार कर रही थी.
वह किसी दुल्हन की तरह सजी थी.
सीमा ने भी अपना सब कुछ अपने प्यार के हवाले करने का मन बना लिया था.
बंशी ने आते ही उसको अपनी बांहों में भर लिया; उसे खड़े खड़े ही खूब चूमा चाटा और उसे एक सरप्राईज दे दिया.
भगवान को साक्षी मानकर बंशी ने सीमा की मांग में सिंदूर भर दिया, मंगलसूत्र भी उसके गले में पहना दिया.
सीमा ने बंशी को अपना पति मान लिया और बंशी ने सीमा को पत्नी के रूप में.
दोनों ने उस रात अपनी सुहागरात की तैयारी की और दोनों का उस रात मिलन हो गया. पहला सेक्स हुआ.
उस रात के बाद दो दिन तक बंशी उसके घर में रहा. इन दो दिनों उन्होंने अपने तन की आग खूब बुझाई.
तीसरे दिन सीमा के माता पिता उसके लिए रिश्ता पक्का करके आए.
उन्होंने लड़के की फोटो सीमा को दिखाई तो उसने शादी के लिए मना कर दिया.
फिर भी घर वाले शादी करने के लिए अपनी जिद पर अड़े रहे.
उन्होंने सीमा से एक हफ्ते बाद सगाई की बात कह दी.
सीमा किसी भी हाल में दूसरी शादी कैसे कर सकती थी.
उसने यह बात बंशी को बताई तो वो भी परेशान हो गया.
उन दोनों ने घर छोड़ कर भागने की तैयारी कर ली.
उसके चार दिन बाद सीमा कॉलेज के बहाने से घर से निकली और दोनों बस में बैठकर चंडीगढ़ आ गए.
वहां बंशी का एक दोस्त रहता था.
उसकी मदद से वहां एक कमरा किराए पर ले लिया और रहने लगे.
बंशी वहीं पर एक फैक्ट्री में काम करने लगा.
सीमा घर संभालती और पति की तन मन से खूब सेवा करती.
बंशी कमाकर लाता और दोनों प्यार से रहने लगे.
इसी तरह कुछ साल गुजर गए.
उनको दो बच्चे भी हुए.
फिर उनके संसार को किसी की नजर लग गई.
खर्च ज्यादा होता था और आमदनी कम थी. उनके बीच खर्च को लेकर लड़ाई झगड़ा शुरू हो गया.
अब उसका पति शराब पीकर आता और बीवी बच्चों को मारता पीटता.
सीमा के साथ कभी कभार जबरदस्ती भी करता. उन दोनों में फिर से कलह होती और यही सब चलता रहा.
डेढ़ साल पहले बंशी, सीमा और दोनों बच्चों को छोड़कर कहीं चला गया.
सीमा ने अपने बच्चों की खातिर बंशी को ढूँढने की बहुत कोशिश की, पर वह कहीं नहीं मिला और ना ही वह वापस आया.
भाभी को आस-पास के लोगों ने मदद की.
गांव के सरपंच ने बच्चों का दाखिला स्कूल में करवा दिया व जान पहचान की औरतों ने भाभी की नौकरी एक मॉल में लगवा दी.
अपनी ये आपबीती भाभी ने जब मुझे बताई तो मुझे अपने आप पर काफी शर्म महसूस हुई.
भाभी पर तरस भी आया व भाभी को हर संभव मदद करने का बोलकर मैंने बात खत्म कर दी.
उस दिन के बाद भाभी और भी खुलकर बात करने लगी थी.
हमारी बात अब फोन पर ज्यादा होने लगी थी; सेक्सी बातें भी होने लगीं.
जब भी मैं सीमा को भाभी बोलता तो वह नाराज हो जाती और सिर्फ नाम लेकर बुलाने को बोलती.
अब मैं उसे सीमा कहकर बुलाने लगा.
कभी वह काम पर जाने में लेट हो जाती तो मुझे फोन करके बता देती. मैं कैम्प के आगे से उसे पिक करके उसको काम पर छोड़ आता या उसके वापसी में लेट हो जाने पर उसको लेकर घर आ जाता.
जब मैं उसे काम से वापस लेने जाता, तब अंधेरा हो जाता.
तब मैं जानबूझ कर ब्रेक मारता, तो सीमा के मम्मे मेरी पीठ पर दब जाते, जिससे उसे भी मजा आता और वो मुझसे चिपक कर बैठ जाती.
मैं अंधेरे का फायदा उठाकर उसका हाथ अपनी पैंट के ऊपर से अपने लंड पर रख देता, तो जवाब में वह मेरे खड़े होते लंड को मसल देती.
जब दोनों काफी करीब आ गए, तो मैंने सीमा से रात में मिलने की बात कही.
वो भी राजी थी.
हमारा शनिवार को मिलने का तय हुआ.
मैं अपनी तरफ से बच्चों के लिए चॉकलेट बिस्कुट आदि ले गया और सीमा के लिए मिठाई फूल गजरा आदि लेकर गया.
चूंकि मैं दिन में उसके रूम पर नहीं जा सकता था तो मैं रात ग्यारह बजे गया.
अगल बगल देख कर मैंने उसके कमरे में जाने की कोशिश की ताकि किसी को पता ना चले और उसकी बदनामी ना हो.
उसके घर के पास पहुंच कर मैंने सीमा को फोन किया.
उसने कहा कि दरवाजा खुला है.
मैं उसके रूम में घुस गया और अन्दर से दरवाजा बन्द करके सीमा को बांहों में भर लिया.
बच्चों के लिए लाए चॉकलेट और मिठाई देकर उसके बालों में मैंने गजरा लगाया.
उसने लाल रंग का सूट पहना हुआ था.
मैं फिर से उसको अपनी बांहों में भरकर उसे लिपकिस करने लगा.
वह भी मेरा भरपूर साथ देने लगी.
साथ लाए हुए फूल वहीं बिस्तर पर डाल कर और उसको पीछे से बांहों में भरकर मैं सीमा की गर्दन पर किस करने लगा.
मेरे हाथ उसके दोनों मम्मों को हौले हौले से मसलने में लग गए.
मेरा लंड सीमा की गांड की दरार में रगड़ता रहा.
सीमा भी अपना एक हाथ पीछे ले जाकर मेरी पैंट के ऊपर से लंड मसलती रही.
फिर कब उसके कपड़े शरीर से अलग हुए … उसे पता ही नहीं चला.
अब वो ब्रा और पैन्टी में रह गई थी.
मुझे उसके इस मादक रूप के दर्शन हुए तो मैं बेकाबू हो गया और उसकी गर्दन से होता हुआ मैं गले को चूमने लगा.
फिर उसके मम्मों को ब्रा के ऊपर से ही चूमने लगा.
उसकी दूध घाटी को चूमता हुआ मैं उससे ब्रा हटाने की कहने लगा.
उसने खुद अपने हाथों से अपनी ब्रा अलग कर दी तो उसके दोनों दूध मेरे सामने फुदकने लगे.
मैं उसके एक मम्मे को मुँह में लेकर चूसता और दूसरे मम्मे को हौले से दबा देता.
मेरा दूसरा हाथ उसकी चुत पर बराबर चल रहा था.
जब सीमा उत्त्तेजना से कांपने लगी तो मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया.
उसकी टांगों को फैला कर मैंने उसकी जांघ पर किस किया तो वह जैसे पागल ही हो गई.
मैं उसकी टांगों पर किस करते करते उसकी जांघों पर किस करने लगा.
फिर से ऊपर आया और उसके पेट से होते होते उसके दूध चूसने लगा.
मैंने उसकी बगलों में किस करना शुरू किया तो सिहरन के मारे उसकी हालत खराब हो गई और मुँह से कामुक आवाजें आने लगीं.
अब मैंने उसको पेट के बल लिटा दिया.
उसकी पीठ पर किस करता हुआ मैं नीचे आया और उसकी गांड पर किस करने लगा.
दोनों टांगें फैली होने से मुझे उसकी गांड का छेद मस्त दिखा और मैं मुँह में भरकर उसकी गांड चाटने लगा.
फिर मैंने सीधा लिटाया और उसके जन्नत के द्वार पर पहुंचकर उसकी पैन्टी निकाल दी जहां से उसकी चुत से रसधार लगातार बह रही थी.
मैं उसकी चुत को मुँह मे भरकर उसके नमकीन पानी को चाटने लगा.
उसका स्वाद कुछ ज्यादा ही खारा सा था.
चुत रस पीने के बाद मेरे अन्दर एक अलग सा जोश भर रहा था.
इधर मेरा लंड फटने को हो रहा था फिर भी मैं अपने ऊपर कन्ट्रोल किए था.
वो बार बार मुझे अपने ऊपर खींच रही थी पर मैं उसे और गर्म किए जा रहा था.
फिर मैंने उसके चुत के दाने को मुँह में भरकर जोर से खींचा तो वो चीख पड़ी.
मगर मैं नहीं रुका, उसे जोरों से चूसे जा रहा था.
अब मेरी दो उंगलियां भी सीमा की चुत में बराबर चलने लगी थीं. इस तरह से चुत चूसे जाने से सीमा पन्द्रह मिनट में दो बार झड़ चुकी थी.
उसके चेहरे पर असीम संतुष्टि के भाव साफ दिख रहे थे.
उसने उठकर मेरे शरीर से सारे कपड़े उतार दिए और मेरे शरीर पर किस करने लगी.
मेरे लंड को उसने मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी.
कुछ ही देर में हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए.
जब मुझे लगा कि मैं छूटने वाला हूँ, तब मैंने उसे सीधा लिटा दिया और अपने लंड को उसकी चुत पर रख दिया.
पहले मैंने चुत की फांकों पर लंड का सुपारा रगड़ा, फिर दम लगाकर एक जोर का झटका दे दिया.
जैसे ही मेरा आधा लंड उसकी चुत में गया, उसकी जोर से चीख निकल गई.
वो छटपटाने लगी और छूटने की कोशिश करने लगी.
डेढ़ साल से उसकी चुत में लंड नहीं गया था. इसलिए चुत की पुत्तियां कस चुकी थीं.
मगर मैंने सीमा को मजबूती से पकड़ा हुआ था इसलिए वो सिर्फ कसमसा कर रह गई.
मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से भी दबा रखा था, जिससे वो मुझे धकेल रही थी.
मेरा वजन उसके ऊपर होने के कारण वो कुछ नहीं कर पाई.
उसकी आंखों से आसू आने लगे थे.
मैंने उसके आंसुओं की परवाह न करते हुए एक दूसरा झटका दे मारा और मेरा पूरा लंड उसकी बच्चेदानी से जा टकराया.
वो कलप कर रह गई.
मैं यूं ही उसके ऊपर पड़ा रहा और उसे चूमता रहा.
उसके मम्मों को सहलाता रहा. कुछ ही देर में सीमा शांत हो गई.
मैंने अब उसकी ताबड़तोड़ चुदाई शुरू कर दी. कुछ मिनट के बाद उसे भी मजा आने लगा. वो भी अपनी गांड उठा उठाकर चुदाई का मजा लेने लगी.
हम दोनों की यह चुदाई पन्द्रह मिनट तक चली.
जब सीमा अकड़ने लगी और बोली- अब बस करो … मेरा होने वाला है.
मैंने कहा- ओके … मैं अपना पानी कहां निकालूं?
वो बोली- मेरी चुत प्यासी है, इसे पानी से भर दो.
उसने लंड का पानी चुत के अन्दर ही डालने को कह दिया.
मैंने आठ दस झटकों के बाद उसकी चुत में रस झाड़ दिया और उसके ऊपर ही पसर गया.
उसकी आंखों में फिर से आंसू आ गए थे, पर अबकी बार ये खुशी के आंसू थे.
सीमा मेरी दूसरी पत्नी बन गई थी मगर ये बिन ब्याही पत्नी थी.
वो मुझसे एक पैसे की भी मदद नहीं मांगती थी.
हम दोनों ने अपनी सहमति से ये रिश्ता कायम किया था.
आज भी सीमा मेरे साथ है और मुझे पत्नी जैसा प्यार देती है.
उसे एक मर्द के सहारे की जरूरत इसलिए थी कि जमाने की गंदी नजरों से वो बची रहे.
आपको मेरी भाभी की देसी सेक्सी चुदाई की कहानी कैसी लगी. प्लीज़ मेल जरूर करें.
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