भाभी जी की दो कचौड़ियां- 3
(Bhabhi Ji Xxx Kahani)
भाभी जी Xxx कहानी में पढ़ें कि वो दिन आ गया जब मुझे भाभी की मस्त फूली हुई कचौड़ियां चखने का मौका मिला। यह सब कैसे हुआ, विस्तार से पढ़ें।
दोस्तो, मैं सचिन आपको भाभी की चुदाई की हॉट हिंदी कहानी बता रहा था। कहानी के दूसरे भाग
पड़ोसन भाभी को अपना लंड दिखाया
में आपने पढ़ा था कि मैंने भाभी को जानबूझकर अपना लंड दिखा दिया।
उसने छुपकर मेरा लंड देखा और फिर अपने घर जाकर चूत में उंगली की।
जब मैं उसके पास चार्जर देने वापस गया तो उसने मुझे चाय के बहाने बैठा लिया और मेरी मुट्ठ मारने वाली बात बताई जिससे मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा।
अब आगे भाभी जी Xxx कहानी:
मोहिनी भाभी आगे बताते हुए बोली- और उसके बाद मैं अपने रूम में आ गई।
मैं- तो उसके बाद क्या हुआ फिर?
मैंने भाभी की चूत से निकले पदार्थ को अपने अंगूठे पर सूंघते हुए पूछा.
भाभी- कुछ नहीं, उसके बाद क्या होना था?
मैं- बताओ ना भाभी प्लीज … अब मुझसे क्या शर्माना … आपने मुझे देख लिया है, आप भी बताओ।
मोहनी भाभी मुस्कराते हुए बोली- उसके बाद शायद तुम्हें अंदाजा लग गया होगा क्या हुआ होगा?
मैं- फिर भी आपके मुंह से सुनना चाहता हूं क्योंकि मैं मेरा अंदाजा तो कुछ भी लगा सकता है।
मोहिनी भाभी एक सांस में बोली- उसके बाद मैं अपने रूम में आई। गेट बंद किया और सीधा बाथरूम में घुस गई। मैंने अपने सभी कपड़े उतार कर चूत में उंगली करनी शुरू की। चूत में उंगली करते हुए मैं तुम्हारे ‘उसके’ बारे में ही सोच रही थी। मेरा पानी निकला ही था कि तुमने गेट खटखटाया और जल्दी जल्दी में उसका (चूत का) पानी मेरे हाथ में लग गया और मैं हाथ धोना भूल गई। आगे की कहानी तुम्हें पता ही है।
दोस्तो, अब तक मेरा लंड खड़ा हो चुका था और शायद भाभी की चूत से भी पानी बरसने लगा था।
मैंने अपनी बात को पलटते हुए बोला- भाभी, मुझे कचौड़ियां खानी है।
अब तक हम चाय पी चुके थे।
तो भाभी उठी और चाय के खाली कप उठाते हुए बोली- मुझे नहीं पता कि कचौड़ियां कहां रखी हुई हैं। अगर तुमने देखी हैं तो खुद निकाल लो और खा लो।
वो हंसती हुई बोली.
उनका इतना कहना ही था कि मैंने उनका हाथ पकड़ कर खींच लिया और वह सीधी मेरी गोद में आकर गिरी।
मैंने आव देखा ना ताव, अपने होंठ भाभी के होंठों पर रख दिए और मैं उनके होंठों को चूसने लगा, चूस-चूसकर पीने लगा।
एक दो बार मैंने जीभ भाभी के मुंह में डाल दी तो वह भी मेरा साथ देने लगी और उनकी जीभ भी मेरी जीभ से टकराने लगी।
मैंने अपना हाथ बढ़ाकर उनकी एक कचौड़ी (बूब्स) पर रख दिया।
उनके बूब्स बहुत ही टाइट थे।
थोड़ी जोर से मैंने दबाए तो उसकी आह निकल गई और वह अचानक मुझसे छूटकर खड़ी हो गई।
मगर मैं मौके को गंवाना नहीं चाहता था।
मैंने उनका हाथ फिर पकड़ा और अपनी ओर खींच लिया।
वह वापस मेरी गोद में गिर गई और मैंने अपनी पैंट के ऊपर उनका हाथ पकड़कर लंड पर रख दिया।
उसने हाथ तो नहीं हटाया मगर कोई हलचल भी नहीं की।
मैं फिर उसके होंठों को चूसने लगा और दूधों को दबाने लगा।
उसने भी प्रतिक्रिया दी और अपने हाथों को मेरे लंड पर चलाने लगी।
फिर उसने मेरी पैंट के अंदर हाथ डाला और लंड पकड़ लिया।
चूंकि मैं अभी मुट्ठी मार कर आया था तो अंडरवियर नहीं पहना हुआ था और उसके हाथ पैंट के अंदर ही चलने लगे।
मैंने एक हाथ सलवार के अंदर डाला तो महसूस किया कि भाभी ने भी पैंटी नहीं पहनी थी।
उसकी चूत काफी पानी छोड़ रही थी।
फिर मैं उसकी कुर्ती उतारने लगा तो भाभी ने अपने हाथ ऊपर कर दिए।
कुर्ती उतारने में उसने मेरी मदद की।
जब मेरे हाथ उसकी दोनों का नंगी चूचियों के ऊपर घूमने लगे तो उसे एक झटका सा लगा और बोली- सचिन … क्या हम यह सही कर रहे हैं?
मैं- भाभी जब से मैंने आपको उस दिन पैंटी में और फिर उसके बाद पेटीकोट में देखा है तब से मेरा लंड मेरे बस में नहीं है। बस आपकी इस चूत में अंदर जाना चाहता है।
उसकी चूत में उंगली करते हुए मैं बोला.
भाभी- सचिन वैसे एक बात कहूं?
मैं- हां भाभी बोलो?
मोहिनी भाभी- जब तुम चले गए तो मेरे अंदर भी तुम्हें लेकर एक अलग सी फीलिंग आने लगी थी। ऐसा लगता था कि तुम मेरे पास लेटे हुए हो। और यह भाभी … भाभी क्या लगा रखा है? मैं मोहिनी हूं। मुझे तुम अकेले में मोहिनी कह सकते हो।
मैं उसकी चूत में उंगली करते हुए बोला- मैं मोहिनी नहीं … मोहिनी डार्लिंग कहूंगा तुम्हें!
मोहिनी भाभी- फिर तुम केवल डार्लिंग कह सकते हो।
मैं बोला- अब मुझसे रुका नहीं जाता, अब मैं तुमसे दूर नहीं रह सकता। अब आगे काम शुरू करना चाहता हूं।
यह कहते हुए मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोला और सलवार भी उतार दी।
अब वह मेरी आंखों के सामने पूरी नंगी थी।
भाभी- यहां नहीं, रूम में चलते हैं। तुमने मेरे पूरे कपड़े उतार दिए और तुम पूरे कपड़ों में हो, यह गलत बात है।
मैं- तुमने मेरे कपड़े उतारे ही नहीं जबकि मैंने तुम्हारे उतार दिए। तो अब तुम्हारी बारी है, तुम अपना काम चालू करो।
ये कहकर मैं खड़ा हो गया।
भाभी ने मेन गेट की तरफ देखा तो वह लॉक नहीं था अंदर से … तो उन्होंने जल्दी से गेट लॉक किया और मेरे पास आ गई।
उन्होंने अपनी दो उंगली मेरी पैंट की इलास्टिक में फंसाकर नीचे एक झटके से उसे उतारा। मेरी पैंट झटके से उतरने के कारण मेरा लंड सीधा भाभी की ठोडी में लगा और वह मुझे देखकर हंसने लगी।
मोहिनी भाभी मेरा लंड पकड़ कर खींचते हुए बोली- चलो पलंग पर चलते हैं।
मैं- मैं तुम्हें अपनी बांहों में उठा कर ले जाऊं?
भाभी- नहीं, अभी तुम मेरे घर में हो और तुम मेरे मेहमान हो। तो मैं तुम्हारा लंड पकड़ कर आगे आगे चलते हुए तुम्हें खींच कर ले जाना चाहती हूं। जब मैं तुम्हारे रूम में आऊंगी तो तुम जैसे चाहे वैसे अपने मन की कर लेना।
दोस्तो, मुझे उसकी बात अच्छी लगी और मैं मुस्करा दिया।
फिर वह मेरा लंड पकड़ कर खींचते हुए बेडरूम में ले गई।
बेडरूम में देखा तो उसका बच्चा सो रहा था।
मैं बोला- भाभी, हमारे खेल में यह जाग जाएगा।
उसने मेरा लंड छोड़ा और बच्चे को आराम से उठाकर दूसरे रूम में ले जाकर सुला दिया।
उसने अभी तक केवल मेरी पैंट को उतारा था और मैंने ऊपर अभी शर्ट पहन रखी थी।
वो आ गई और हम दोनों पलंग पर आमने सामने घुटने मोड़ कर बैठ गए और वह जल्दी-जल्दी मेरी शर्ट के बटन खोलने की कोशिश करने लगी।
मगर उत्तेजना में बस उसके हाथ कांप रहे थे और उससे बटन नहीं खुल रहे थे।
तो मैंने मेरी शर्ट के बटन खोलने में उसकी हेल्प की और कुछ देर में मेरी शर्ट उसके हाथ में थी।
उसने शर्ट हाथ में लेकर नाक से सूंघी और जोर से फेंकी, जो बेडरूम के बाहर जाकर गिरी।
फिर हम दोनों एक दूसरे के होंठों को तेजी से चूमने लगे, चाटने लगे।
ऐसा लग रहा था कि हम दोनों कुश्ती कर रहे हों और सोच रहे हों कि देखते हैं आज कौन इस कुश्ती में जीतता है।
मैंने भाभी के दूधों को पकड़कर दबाया और धक्का दे दिया।
वो बेड पर गिर गई और मैंने उनके पैर खींच कर सीधे कर दिए।
मैं उसके ऊपर आ गया।
मेरा लंड उसके पेट से टच हो रहा था, मेरी छाती उसके दूधों से और मेरे होंठ उसके होंठों पर थे।
हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे।
फिर मैंने उसके गले को किस किया जिससे उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी।
उसने अपने दोनों हाथों से मेरी पीठ को दबोच लिया और अपनी कमर ऊपर नीचे करने लगी।
इधर मैं उसके गालों को चूमने लगा; उसकी आंखों को चूमा, फिर गले को चूमने लगा और धीरे-धीरे नीचे खिसकने लगा।
उसकी पकड़ ढीली होती जा रही थी।
फिर मैं उसके दूधों पर आया और अपने होंठों से उसकी एक निप्पल को अपने होंठ में दबा लिया और चूसने लगा।
मैं एक हाथ से उसके दूधों को दबाने लगा।
भाभी के इतने कड़क और सुडौल बूब्स देखकर ऐसा लग रहा था जैसे दो फूली हुई कचौड़ियों को किसी ने उसके सीने पर चिपका दिया हो और दो गुलाबी अंगूर के दाने कचौड़ी के बीचों बीच चिपका दिए हों।
मैंने उसके दूधों से मुंह हटाते हुए भाभी की आंखों में देखा और पूछा- आपकी शादी के कई साल बाद भी यह दोनों इतने कड़क क्यों हैं? क्या आपने कभी अपने बच्चों को दूध नहीं पिलाया? क्या आपके पति इनसे नहीं खेलते?
मोहिनी भाभी प्यार से मेरे सिर के बालों को सहलाते हुए बोली- डियर … मैंने अपने बच्चे को दूध भी पिलाया है और मेरे पति भी इनसे खूब खेलते हैं। मगर वह इन्हें जोर से नहीं दबाते। और रही बात इनके इतने टाइट होने की तो मैं यहां आने के पहले जिम जाती थी और जिम में बहुत मेहनत करती थी। मेरे पति को यह बहुत पसंद हैं और वह प्यार से दबाते हैं। उनसे कई बार बोला कि जोर से दबाओ तो वह बोलते हैं कि इनका आकर खराब हो जाएगा और वो इनका आकर खराब नहीं करना चाहते।
मैं- डार्लिंग … तो मैं इनके साथ कैसे खेलूं? तुम ही बताओ फिर!
भाभी शरारत भरे अंदाज में बोली- अब ये दोनों तो तुम्हारी कचौड़ियां हैं। जैसे चाहे खेलो, या खा जाओ।
वो हा हा हा हा करके हंसने लगी.
फिर मैंने अपने दोनों हाथ उसके बूब्स पर रखे और दबाने लगा।
उसकी आहें निकलने लगी और उसकी आंखें बंद हो गईं।
मैं चूमते हुए धीरे-धीरे नीचे खिसकने लगा और उसके पेट को चूमने लगा।
मेरे हाथ उसकी मस्त कचौड़ियों से खेल रहे थे।
फिर मैं उसके बाजू में लेटा और हाथ की एक उंगली उसकी नाभि के चारों और धीमे-धीमे घुमाने लगा।
इसका असर यह हुआ कि वह अपने पैरों को पटकने लगी और उसके पैरों में बंधी हुई पायल की छम-छम छम-छम आवाज होने लगी।
तब मैंने उसकी नाभि में जीभ दे दी और घुमाने लगा।
मैं धीरे से उसकी दोनों टांगों के बीच में बैठ गया और उसकी चूत को निहारने लगा।
वह मुझे अपनी चूत में इस तरह निहारते हुए देख रही थी और बोली- क्या देख रहे हो? कभी देखी नहीं है क्या?
इस पर मैं बोला- भाभी, देखी तो बहुत हैं लेकिन इतनी मस्त फिगर के साथ इतनी प्यारी चूत मैंने कभी नहीं देखी।
वह शर्मा गई और अपनी आंखें बंद कर लीं।
मैं उसे छोड़कर बेड से 3 फीट दूर खड़ा हो गया और उसे देखने लगा।
मोहिनी भाभी- अब क्या देख रहे हो?
मैं- इतना कंटाप माल मैंने पहले कभी नहीं देखा। आपके बदन को जी भर कर देख लेना चाहता हूं। उस दिन थोड़ी सी झलक देख पाया था। अब तुम्हें जी भर कर देख लेना चाहता हूं।
मैं उसे देखने लगा- सच में आपके नाम के अनुरूप ही आपका फिगर है मोहिनी!
मोहिनी का फिगर ऐसा था कि जिसे देखकर कोई भी मोहित हो जाए।
मोहिनी भाभी- अब तारीफ बाद में कर लेना और रही बात फिगर देखने की तो जब मन करे तब देख लेना। मुझे बोल देना, मैं हाजिर हो जाऊंगी। पहले हम अभी का काम पूरा करते हैं।
उसने उठकर मेरे हाथ पकड़ कर अपने ऊपर खींच लिया।
मैं उसके दोनों पैरों के बीच में आया और उसके पैर मोड़कर उसके सीने से लगा दिए।
मैंने एक तकिया उठाकर उसकी गांड के नीचे रख दिया जिससे उसकी चूत स्पष्ट दिखाई देने लगी।
देखने से पता चल रहा था कि उसकी चूत काफी टाइट है।
फिर मैंने उसकी चूत के पास अपनी नाक ले जाकर एक गहरी सांस खींची और फिर गहरी सांस छोड़ी।
भाभी को देखा तो वह मुस्करा दी।
फिर मैंने अपनी जीभ निकाल कर उसकी चूत पर रखी और चाटने लगा तो उसने एकदम तेजी से अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया।
मोहिनी भाभी- यह क्या कर रहे हो? यह गंदा काम है।
मैं- क्या यार डार्लिंग, कभी तुमने पोर्न मूवी नहीं देखी क्या? क्या आपके पति ऐसा नहीं करते?
भाभी- मैंने बहुत पोर्न मूवी देखी हैं और मेरा मन भी करता है लेकिन फिर भी वह मूवी हैं। मेरे पति ऐसा नहीं करते हैं मगर मेरा बहुत मन करता है कि वह मेरी ‘इसको’ चाटें।
चूत पर उंगली रखते हुए वो बोली- अब ज्यादा बात मत करो और चूसो।
मैं- फिर मुझे क्यों रोक रही थी? मुझे अपना काम करने दो।
फिर से मैं अपना काम करने लगा और उनकी चूत को अपनी जीभ से चोदने लगा।
चप-चप चप-चप आवाजें निकालने लगा।
उसकी आहें निकलने लगीं।
वह अपनी सांसों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही थी।
चुदास के कारण वो अपनी कमर को दाएं-बाएं और ऊपर-नीचे हिला रही थी।
कभी पलंग पर पटक रही थी।
फिर उसने अपने दोनों हाथों से मेरे सिर को जोर से अपनी चूत पर दबा दिया।
उसका जोर इतना था कि मेरा सांस लेना मुश्किल हो गया और जोर से आह … आह्ह … कहते हुए वो झड़ गई।
उसकी चूत का कुछ पानी मेरे होंठों पर और कुछ ठोड़ी पर लग गया।
भाभी की सांसें जोर से चल रही थीं जैसे कि तूफान आकर थमा हो।
मैं भी जैसे अमृत पान कर गया था।
जिस भाभी की चुदाई का सपना इतने दिनों देखा था उसकी चूत का रस पीकर मैं धन्य हो गया था।
भाभी जी Xxx कहानी पर अपनी राय देना न भूलें।
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भाभी जी Xxx कहानी का अगला भाग: भाभी जी की दो कचौड़ियां- 4
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