बहन का लौड़ा -5
(Bahan Ka Lauda-5)
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अभी तक आपने पढ़ा..
कुछ देर बाद दिलीप जी को किसी काम से बाहर जाना पड़ा और मीरा भी इधर-उधर कुछ काम कर रही थी। तब मौका देख कर दोनों ने बात की।
राधे- अबे साले यहाँ तो एक आइटम भी है अब क्या होगा?
नीरज- होना क्या है भोसड़ी के.. तेरी बहन है.. आराम से साथ रह कर मजे ले.. तब तक मैं जल्दी ही यहाँ से तुझे निकालने का कोई प्लान बनाता हूँ।
राधे- कुत्ते बहन होगी तेरी.. साले ऐसी गजब की आइटम के साथ कैसे रह पाऊँगा.. उससे गले मिल कर तो मेरा तो लौड़ा फड़फड़ा गया था।
नीरज- अबे काबू कर अपने आपको.. नहीं तो हवालात की हवा खानी पड़ जाएगी.. चुप.. वो आ रही है..मीरा वापस आ गई और दोनों से बातें करने लगी.. दोनों की गंदी नजरें मीरा के जिस्म की बनावट का मुआयना कर रही थीं।
अब आगे..
शाम तक सब नॉर्मल रहा.. नीरज को खाना खिलाकर विदा किया। अब तीनों बाप-बेटी ही बातें कर रहे थे।
दिलीप जी- अरे मीरा.. दोपहर से रात हो गई.. बेचारी राधा ने ज़रा भी आराम नहीं किया है.. जाओ अब सो जाओ.. अब राधा यहीं रहेगी.. बातें होती रहेंगी।
मीरा- हाँ पापा.. दीदी खोई थी.. तब तो मुझे होश भी नहीं था.. बहुत छोटी थी ना.. अब दीदी से बहुत बातें करूँगी..
राधा- हाँ मीरा.. अब में यहीं हूँ.. बातें होती रहेंगी..
मीरा- चलो दीदी वो है हमारा कमरा आज तक अकेली सोती थी.. आज आपके चिपक कर सोऊँगी और ढेर सारी बात करूँगी।
मीरा की बात सुनते ही राधे घबरा गया कि यह चिपक कर सोएगी.. तो गड़बड़ हो जाएगी.. इसे पता चल जाएगा कि मैं लड़की नहीं.. लड़का हूँ..
राधा- स..साथ सोएगी तू मेरे.. एमेम मगर मुझे तो अकेले सोने की आदत है..
दिलीप- अरे यह क्या बोल रही हो बेटी.. तुम दोनों बहनें हो.. और बरसों बाद मिली हो.. साथ सो जाओ बेटी.. इससे प्यार बढ़ता है.. जो बातें बचपन में ना कर सकी.. अब कर लो.. अगर शुरू से तुम दोनों साथ होतीं.. तो कितने खेल खेलतीं.. अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है.. दोनों साथ में खेलो-कूदो.. मज़ा लो.. लाइफ का..
राधा- ज्ज..जी पापा.. लगता है.. अब तो खेल खेलना ही पड़ेगा मीरा को मेरे ऊपर कुदवाऊँ या मैं उसके ऊपर कूदूँ..
मीरा- दीदी जैसा आपको अच्छा लगे.. मैं आपके साथ खेलने के लिए हर समय तैयार हूँ.. बड़ा मज़ा आएगा..
दिलीप जी आज बड़े खुश थे और मीरा भी अपनी दीदी को पाकर बहुत खुश थी।
जब दोनों कमरे में चली गईं.. तो मीरा ने दरवाजा बन्द कर लिया और कपड़े उतारने लगी। ये नजारा देख कर राधे की तो सांस अटक गई.. उसको उम्मीद नहीं थी कि अचानक ऐसा होगा.. उसका लौड़ा सलवार में खड़ा हो गया।
मीरा ने अभी टी-शर्ट ही निकाली थी.. अब वो पैन्ट का हुक खोल रही थी।
राधे की नज़र सफ़ेद ब्रा में कैद उसके संतरे जैसे मम्मों पर थीं। ये नजारा देख कर उसकी साँसें तेज हो गईं.. मगर उसने अपने आप पर काबू पाया।
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राधा- मीरा, यह क्या कर रही हो.. कुछ शर्म है कि नहीं तुम्हारे अन्दर?
मीरा- अरे दीदी रात को ये कपड़े पहन कर थोड़ी सोते हैं बस कपड़े बदल रही हूँ..
राधा- हाँ जानती हूँ.. मगर ऐसे मेरे सामने बदल रही हो.. ये सही है क्या?
मीरा- हा हा हा हा दीदी.. आप भी ना.. हा हा हा.. अरे आप मेरी दीदी हो और स्कूल में कोई ड्रामा होता है.. तो हम लड़कियाँ ऐसे ही एक-दूसरे के सामने कपड़े बदली करते हैं इसमें क्या बड़ी बात है?
राधे को अपनी ग़लती का अहसास हो गया अक्सर लड़कियाँ ऐसा ही करती हैं मगर राधे तो लड़का था.. उसे ये बात थोड़ा देर से समझ आई कि मीरा की नज़र में राधे एक लड़की है और ये नॉर्मल सी बात है।
राधा- ओके.. ठीक है.. बदल ले मगर मुझे ये सब अच्छा नहीं लगता..
मीरा बस हँसती रही और उसने जींस भी निकाल दी.. अब वो सिर्फ़ ब्रा-पैन्टी में थी पैन्टी में उसकी चूत का उभार साफ दिख रहा था। गोरी-गोरी जाँघें राधे को पागल बना रही थीं.. उसका लौड़ा इतना अकड़ गया कि उसमें दर्द भी होने लगा।
आपको बता दूँ राधे ने अन्दर एक चुस्त लंगोट फिर पजामा पहना हुआ था.. उस पर सलवार पहनी थी.. जिससे किसी को लौड़े का आभास ना हो.. मगर इस समय अगर कोई गौर से देखे.. तो पता चल जाएगा कि ये लड़की नहीं लड़का है..
अब मीरा ने अपनी ब्रा का हुक खोलना चाहा मगर वो उससे खुल नहीं रहा था।
मीरा- ओह ये हुक भी ना कभी-कभी अटक जाता है दीदी.. आप खोलो ना प्लीज़…
राधे ने काँपते हाथों से मीरा की ब्रा खोल दी।
मीरा ने ब्रा निकाल कर एक तरफ रख दी और अब वो पैन्टी निकालने लगी.. उसकी पीठ राधे की तरफ थी।
अब राधे का बर्दाश्त कर पाना मुश्किल था। वो घूम कर खड़ा हो गया.. उसको लगा अगर उसकी चूत दिख गई.. तो आज उसका देह शोषण हो जाएगा।
मीरा ने पास से एक लोवर और पतली टी-शर्ट ली और पहन ली।
मीरा- अरे दीदी आप उधर क्या देख रही हो आप चेंज नहीं करोगी क्या? या ऐसे ही सोने का इरादा है।
राधा- हाँ करूँगी ना.. मगर तुम्हारी तरह नहीं.. मैं बाथरूम में जा कर करूँगी समझी..
मीरा ने ज़्यादा बोलना ठीक नहीं समझा और बिस्तर पर बैठ गई..
राधा ने अपने बैग से कपड़े लिए और बाथरूम में चली गई।
वहाँ जाकर उसने कमीज़ और सलवार निकाली.. अन्दर उसने टाइट टी-शर्ट और पजामा पहना हुआ था.. टी-शर्ट में टाइट ब्रा में टेनिस बॉल फंसे थे.. राधे को बड़ी बेचैनी हो रही थी.. मगर मरता क्या ना करता..
राधे ने अपने पूरे कपड़े निकाल दिए.. उसका 8″ का लौड़ा फुंफकार मार रहा था और होता भी क्यों नहीं ऐसी नंगी जवानी पहली बार जो देखी थी बेचारे ने..
राधे- अबे साले मरवाएगा क्या.. बैठ जा मादरचोद.. मेरे बाप.. अभी मैं लड़की बना हूँ.. तेरा कुछ नहीं हो सकता…
राधे अपने-आप से बड़बड़ा रहा था और लौड़े को सहला रहा था।
मीरा- दीदी क्या हुआ.. आ जाओ ना बाहर.. क्या कर रही हो आप?
राधा- रुक ना थोड़ी देर.. आती हूँ सुबह से बैठी हूँ थोड़ी फ्रेश हो जाने दो.. उसके बाद आती हूँ।
राधे ने पास पड़ी शैम्पू की बोतल से थोड़ा शैम्पू हाथ में लिया और लौड़े पर लगा कर मुठ्ठ मारने लगा- आह्ह.. साले ऐसे खड़ा रहेगा तो मरवा देगा तू.. आह्ह.. उहह.. अब तो तुझे ठंडा करना ही पड़ेगा आह्ह.. उहह..
दस मिनट तक राधे मुठ्ठ मारता रहा.. मगर लौड़ा था कि झड़ने का नाम नहीं ले रहा था और उधर मीरा बार-बार आवाज़ लगा रही थी।
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राधे- साली कुतिया चैन से ठंडा भी नहीं होने देती.. अब तो साली की चूत ही मारूँगा उहह..
राधे ने वापस सारे कपड़े पहन लिए ऊपर से उसने एक टी-शर्ट और पजामा और पहन लिया और बाहर आ गया।
मीरा- क्या दीदी.. कितना समय लगा दिया मुझे आपसे बातें करनी हैं.. आ जाओ यहाँ लेट कर आराम से बात करेंगे।
राधा उसके पास जाकर लेट गई.. मीरा ने उस पर अपना हाथ रख दिया और बातें करने लगी। एक घन्टे तक मीरा चपर-चपर करती रही उसकी बातों से राधे समझ गया कि वो एक बहुत ही भोली-भाली लड़की है।
राधा- कितनी बोलती है तू.. अब सो जा..
मीरा- दीदी हाँ नींद आने लगी है अब.. सोने में ही भलाई है.. नहीं सुबह उठ नहीं पाऊँगी और हाँ दीदी एक बात आपको बता दूँ मैं बहुत गहरी नींद में सोती हूँ.. हाथ-पाँव भी चलाती हूँ.. आप बच कर सोना.. कहीं मैं आपको मार ना दूँ कहीं.. और मुझे उठाना हो.. तो ज़ोर से हिलाना.. तब ही उठूँगी वरना नहीं.. ओके..
मीरा तो नींद की दुनिया में खो गई.. मगर राधे बस उसको निहार रहा था.. उसका लौड़ा उसे परेशान कर रहा था.. वो कुछ कर नहीं पा रहा था..
राधे ने मीरा को हिलाया देखा वो सोई या नहीं.. एक-दो बार आवाज़ भी दी मगर वो गहरी नींद में थी।
दोस्तो, उम्मीद है कि आप को मेरी कहानी पसंद आ रही होगी.. मैं कहानी के अगले भाग में आपका इन्तजार करूँगी.. पढ़ना न भूलिएगा.. और हाँ आपके पत्रों का भी बेसब्री से इन्तजार है।
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